ओम जय जगदीश आरती फोटो

  1. विष्णु भगवान की आरती: आरती ओम जय जगदीश हरे
  2. Aarti Om Jai Jagdish Hare Lyrics
  3. श्रद्धाराम शर्मा
  4. आरती: ॐ जय जगदीश हरे!
  5. Om Jai Jagdish Hare Aarti – ॐ जय जगदीश हरे आरती PDF Hindi – InstaPDF
  6. Om Jai Jagdish Hare Aarti
  7. आरती: ॐ जय जगदीश हरे


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विष्णु भगवान की आरती: आरती ओम जय जगदीश हरे

विष्णु जी की जो आरती पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, वह है ॐ जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti)। इस आरती की रचना लगभग 150 साल पहले पंडित श्रद्धाराम शर्मा फिल्लौरी ने की थी। तब से यह हर घर में प्रसिद्ध हो गया। इस आरती को भगवान जगदीश की आरती भी कहा जाता है (Vishnu Bhagwan Ki Aarti)। इस लेख में, आप जगदीश आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti) नामक हिंदू प्रार्थना के बारे में जानेंगे। सबसे पहले, आप प्रार्थना के बोल पढ़ेंगे। बाद में, आप हिंदी अनुवाद का अर्थ सीखेंगे। अंत में, आप विष्णु आरती के बारे में कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानेंगे। ओम जय जगदीश हरे आरती ( Vishnu Bhagwan Ki Aarti ) यह भी पढ़ें - ओम जय जगदीश हरे आरती ( Vishnu Bhagwan Ki Aarti ) - हिंदी अनुवाद ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे।। धन्यवाद भगवान। जो लोग आपसे प्रार्थना करते हैं, उनके कष्टों और समस्याओं को आप दूर करते हैं। आप सारे संसार के परमेश्वर हैं, और आप यह शीघ्र और सरलता से कर सकते हैं। जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का, स्वामी दुःख विनसे मन का। सुख-संपत्ति घर आवे, सुख-संपत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का।। जो लोग सच्चे मन से आपका ध्यान करेंगे उनके दुःख दूर होंगे। वे अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेंगे और उनके घर में धन का आगमन होगा। इनके जीवन से रोग और कष्ट दूर होंगे। मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी, स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी। तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूँ मैं जिसकी।। प्रिय भगवान विष्णु, आप मेरे माता-पिता हैं और इसका मतलब है कि मैं आपके कारण पैदा हुआ हूं। मैं आपकी शरण लेता हूं और आपने मुझे जो जीवन का उपहार दिया है, उसके लिए मैं आभा...

Aarti Om Jai Jagdish Hare Lyrics

Om Jai Jagdish Hare Lyrics Aarti Om Jai Jagdish Hare Lyrics : दोस्तों अगर आप ॐ जय जगदीश हरे आरती लीरिक्स लिखित में (Om Jai Jagdish Hare Lyrics) ढूंढ रहे हो तो आप बिलकुल सही जगह पर ह। आज मैंने यहाँ पर निचे आपको फुल Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics in Hindi and English दोनों में दिए है। तो प्लीज आप इसको लास्ट तक पढ़े। 🕉️🙏🛕🌸🏵️🪔🌹🌺🌻🙏🛕🕉️ ॐ जय जगदीश आरती यह दुनियाँ में सबसे ज्यादा लोकप्रिय आरती है 1870 में 32 वर्ष की उम्र में पंडित श्रद्धाराम शर्मा ने ‘ ओम जय जगदीश हरे’ आरती की रचना की थी। यह आरती भगवान विष्णु जी को समर्पित है, जो सार्वभौमिक आरती है और हर सनातनी के घर में गयी जाती है। Om Jai Jagdish Hare Lyrics In Hindi ओम जय जगदीश हरे आरती लिखित में हिंदी ⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️ 🕉️🙏🛕🌸🏵️🪔🌹🌺🌻🙏🛕🕉️ ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे । भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ 🕉️🙏🛕🌸🏵️🌹🌺🌻🙏🛕🕉️ om jai jagdish hare lyrics Om Jai Jagdish Hare Lyrics English Here are the Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics in English ⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️ 🕉️🙏🛕🌸🏵️🌹🌺🌻🙏🛕🕉️ Om Jai Jagdish Hare, Swami Jai Jagdish Hare Bhagt Jano Ke Sankat, Khshan Mein Door Kare Om Jai Jagdish Hare… 🕉️🙏🛕🌸🏵️🌹🌺🌻🙏🛕🕉️ Aarti Om Jai Jagdish Hare Lyrics Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF | ॐ जय जगदीश हरे आरती in Hindi and English PDF download link निचे दिए गए है | Aarti Om Jai Jagdish Hare PDF direct download for free using the download button. Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics In English PDF– [ Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics In Hindi PDF– [ 🪔आरती सामग्री (Song Content) : 🎵 गाना (Song Name):...

श्रद्धाराम शर्मा

अनुक्रम • 1 जीवन परिचय • 2 कार्यक्षेत्र • 3 विरासत • 4 रचनाएँ • 5 सन्दर्भ ग्रन्थ • 6 बाहरी कड़ियाँ • 7 सन्दर्भ जीवन परिचय पं. श्रद्धाराम शर्मा का जन्म पंजाब के जिले कार्यक्षेत्र पं. श्रद्धाराम ने उन्होंने धार्मिक कथाओं और आख्यानों का उद्धरण देते हुए अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ जनजागरण का ऐसा वातावरण तैयार कर दिया कि अंग्रेजी सरकार की नींद उड़ गई। वे विरासत १८७० में उन्होंने "ओम जय जगदीश" की आरती की रचना की। पं॰ श्रद्धाराम की विद्वता, भारतीय धार्मिक विषयों पर उनकी वैज्ञानिक दृष्टि के लोग कायल हो गए थे। जगह-जगह पर उनको धार्मिक विषयों पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया जाता था और तब हजारों की संख्या में लोग उनको सुनने आते थे। वे लोगों के बीच जब भी जाते अपनी लिखी ओम जय जगदीश की आरती गाकर सुनाते। उनकी आरती सुनकर तो मानो लोग बेसुध से हो जाते थे। आरती के बोल लोगों की जुबान पर ऐसे चढ़े कि आज कई पीढियाँ गुजर जाने के बाद भी उनके शब्दों का जादू कायम है। १८७७ में भाग्यवती नामक एक उपन्यास प्रकाशित हुआ (जिसे हिन्दी का पहला उपन्यास माना जाता है), इस उपन्यास की पहली समीक्षा अप्रैल १८८७ में हिन्दी की मासिक पत्रिका रचनाएँ आपकी लगभग दो दर्जन रचनाओं का पत चलता है, यथा- (क) संस्कृत - (१) नित्यप्रार्थना (शिखरिणी छंद के ११ पदों में ईश्वर की दो स्तुतियाँ)। (२) भृगुसंहिता (सौ कुंडलियों में फलादेश वर्णन), यह अधूरी रचना है। (३) हरितालिका व्रत (शिवपुराण की एक कथा)। (४) "कृष्णस्तुति" विषयक कुछ श्लोक, जो अब अप्राप्य हैं। (ख) हिंदी - (१) तत्वदीपक (प्रश्नोत्तर में श्रुति, स्मृति के अनुसार धर्म कर्म का वर्णन)। (२) सत्य धर्म मुक्तावली (फुल्लौरी जी के शिष्य श्री तुलसीदेव संगृहीत भजनसंग्रह) प्रथम भाग में ठु...

आरती: ॐ जय जगदीश हरे!

दुनियाँ में सबसे ज्यादा लोकप्रिय आरती ओम जय जगदीश हरे पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा सन् १८७० में लिखी गई थी। यह आरती मूलतः भगवान विष्णु को समर्पित है फिर भी इस आरती को किसी भी पूजा, उत्सव पर गाया / सुनाया जाता हैं। कुछ भक्तों का मानना है कि इस आरती का मनन करने से सभी देवी-देवताओं की आरती का पुण्य मिल जाता है। ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे । भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥ जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का, स्वामी दुःख बिनसे मन का । सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥ मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं मैं किसकी । तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥ तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी । पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥ तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता । मैं मूरख फलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥ तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति । किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥ दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे । अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥ विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा । श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥

Om Jai Jagdish Hare Aarti – ॐ जय जगदीश हरे आरती PDF Hindi – InstaPDF

ॐ जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti) PDF Hindi ॐ जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti) Hindi PDF Download Download PDF of ॐ जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti) in Hindi from the link available below in the article, Hindi ॐ जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti) PDF free or read online using the direct link given at the bottom of content. Om Jai Jagdish Hare Aarti - ॐ जय जगदीश हरे आरती Hindi ॐ जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti) हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप Om Jai Jagdish Hare Aarti - ॐ जय जगदीश हरे आरती हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको दे रहे हैं ॐ जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक। ॐ जय जगदीश हरे एक हिंदू धार्मिक गीत है। यह सर्वोच्च भगवान विष्णु को समर्पित है और ज्यादातर विष्णु मंदिरों में गाया जाता है। यद्यपि धार्मिक भजन एक हिंदी भाषा की रचना है, यह हिंदुओं द्वारा व्यापक रूप से गाया जाता है। हिंदू पूजा का एक रूप, आरती के समय पूरी मण्डली द्वारा प्रार्थना गाई जाती है। यह जयदेव के गीता गोविंदा के दशावतार खंड से प्रेरित हो सकता है, जो 12वीं शताब्दी की एक गीतात्मक रचना है, जिसमें एक ही भाव है। ॐ जय जगदीश हरे आरती – Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे। भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥ जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का। सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥ मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी। तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥...

Om Jai Jagdish Hare Aarti

Om Jai Jagdish Hare ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ Om Jai Jagdish Hare Download Om Jai Jagdish Hare, Swami Jai Jagadish Hare download as PDF– [download id=”27406″ template=”pdf” version=”1″] Image – [download id=”27406″ template=”image” version=”2″] (For download – For Print – Krishna Bhajans • • • • • • • • • श्री हरी की भक्ति मुक्ति के आदि कारण श्री हरि को अपने ह्रदय में स्थापित करके, जो प्रतिदिन भक्ति पूर्वक उनका चिंतन करता है, वह मोक्ष का भागी होता है। जो ईश्वर का भक्ति पूर्वक पूजन करते हैं, उन्हें दुखमयी यातना नहीं भोगनी पड़ती। जो भगवान श्रीहरि की आराधना में संलग्न हो, नियमित रूप से उनका ध्यान करता है, वह मनुष्य संसार बन्धनमें नहीं पड़ता। ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे॥ जो सब समय में भगवान श्री हरि के चरणों में अपने कर्मों को अर्पण करता है, वह संपूर्ण कामनाओं को पा लेता है। ईश्वर भक्ति और ध्यान से मनुष्य सब पापों से शुद्ध चित्त होकर उत्तम गति को प्राप्त होता है और श्रीहरि में तन्मयताको प्राप्त होता है। एक ही परमात्मा है, कोई उसका दुसरा नहीं। एक ही को लोग बहुत से नामोंसे वर्णन करते है। है एक ही, किन्तु उसको बहुत प्रकारसे कल्पना करते है। इसलिए मनुष्य मात्रको उचित है की, नित्य सुबह-शाम उस सर्वव्यापी परमात्मा का, उस हरी का, ध्यान करें और उसकी स्तुति करें। मनुष्य प्रतिदिन उठकर सारे जगतके स्वामी, देवताओंके देवता, अनंत पुरुषोत्तमकी सहस्र नामोंसे स्तुति करें। सारे लोकके महेश्वर, लोकके अध्यक्ष (अर्थात शासन करनेवाले) सर्व लोकमे व्यापक भगवान ...

आरती: ॐ जय जगदीश हरे

Read in English दुनियाँ में सबसे ज्यादा लोकप्रिय आरती ओम जय जगदीश हरे पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा सन् १८७० में लिखी गई थी। यह आरती मूलतः भगवान विष्णु को समर्पित है फिर भी इस आरती को किसी भी पूजा, उत्सव पर गाया / सुनाया जाता हैं। कुछ भक्तों का मानना है कि इस आरती का मनन करने से सभी देवी-देवताओं की आरती का पुण्य मिल जाता है। ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे । भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का, स्वामी दुःख बिनसे मन का । सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं मैं किसकी । तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी । पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता । मैं मूरख फलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति । किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे । अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा । श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा ॥ ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे । भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ आरती ओम जय जगदीश हरे के रचयि...