ओम जय जगदीश हरे

  1. आरती ओम जय जगदीश हरे
  2. Om Jai Jagdish Hare, lyrics, meaning, prayer, Aarti, song
  3. 'ओम जय जगदीश हरे' वाली आरती गाने वालों, क्या जानते हो इसे किसने लिखा है?
  4. Om Jai Jagdish Hare (ओम जय जगदीश हरे) Lyrics in Hindi and English
  5. ॐ जय जगदीश हरे
  6. Om Jai Jagdish Hare
  7. श्रद्धाराम शर्मा
  8. Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics
  9. ओम जय जगदीश हरे लिरिक्स
  10. 'ओम जय जगदीश हरे' वाली आरती गाने वालों, क्या जानते हो इसे किसने लिखा है?


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आरती ओम जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे || ॐ जय || जो ध्यावे फल पावे दुःख विनाशे मनका सुख संपति घर आवे कष्ट मिटे तनका || ॐ जय || मात पिता तुम मेरे शरण गहुँ किसकी तुम बिन और न दूजा आस करू जिसकी || ॐ जय || तुम पूरण परमात्मा तुम अंतर्यामी पारब्रम्हा परमेश्वर तुम सबके स्वामी || ॐ जय || तुम करुणा के सागर तुम पालन करता मैं मुरख खलकामी कृपा करो भरता || ॐ जय || तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पती किस विधि मिलूं गुसाई तुमको मैं कुमती || ॐ जय || दीनबंधु दुःख हरता तुम रक्षक मेरे अपने हाथ उठाओ द्वार पड़ा तेरे || ॐ जय || विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा श्रद्धा भक्ति बढाओ संतान की सेवा || ॐ जय || तन मन धन जो कुछ है, सब ही है तेरा तेरा तुझको अर्पण, क्या लगत मेरा || ॐ जय || आरती ओम जय जगदीश हरे हिंदी मै PDF डाउनलोड

Om Jai Jagdish Hare, lyrics, meaning, prayer, Aarti, song

स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे, ओम जय जगदीश हरे| जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का स्वामी दुख बिनसे मन का सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ओम जय जगदीश हरे| मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी स्वामी शरण गहूं मैं किसकी . तुम बिन और न दूजा, प्रभू बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी ओम जय जगदीश हरे| तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी स्वामी तुम अंतरयामी पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ओम जय जगदीश हरे तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता स्वामी तुम पालनकर्ता, मैं मूरख खल कामी मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता ओम जय जगदीश हरे| तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति, किस विधि मिलूं गोसाई, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति ओम जय जगदीश हरे| दीनबंधु दुखहर्ता, ठाकुर तुम मेरे, स्वामी ठाकुर तुम मेरे अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ द्वार पड़ा तेरे ओम जय जगदीश हरे| विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वमी पाप हरो देवा,. श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ओम जय जगदीश हरे “Om Jai Jagdish Hare” in English: Om Jai Jagdish Hare, Swami Jai Jagdish Hare Bhakt Janon Ke Sankat Das Janon Ke Sankat Kshan Mein Door Kare Om Jai Jagdish Hare Jo Dhyave Phal Paave, Dukh Bin Se Man Ka Swami Dukh Binase Man Ka Sukh Sampati Ghar Aave Sukh Sampati Ghar Aave Kasht Mite Tan Ka Om Jai Jagdish Hare Mata Pita Tum Mere, Sharan Gahoon Main Kisaki Swami Sharan Gahoon Main Kisaki Tum Bin Aur Na Dooja Prabhu Bin Aur Na Dooja Aas Karoon Main Kisaki Om Jai Jagdish Hare Tum Pooran Paramatma, Tum Antaryami...

'ओम जय जगदीश हरे' वाली आरती गाने वालों, क्या जानते हो इसे किसने लिखा है?

घर हो या मंदिर बचपन से ही हम एक आरती सुनते आ रहे हैं ‘ओम जय जगदीश हरे’. यह आरती देश की सबसे लोकप्रिय आरती है. हिंदू परिवारों में इसके बिना तो कोई भी धार्मिक कार्यक्रम पूरा ही नहीं होता. पूजा करने वाले लोग बेहद लय में इसे गाते हैं और भगवान की आरती करते हैं. मगर क्या आप जानते हैं कि इस खूबसूरत आरती को किसने लिखा था? नहीं जानते हैं तो आज हम आपको इसके रचयिता के बारे में बता देते हैं. देश की सबसे लोकप्रिय आरती पंडित श्रद्धाराम शर्मा फिल्लौरी ने लिखा था. उनकी कलम से ही ‘ओम जय जगदीश हरे’ जैसी आरती निकली. पंजाब के लुधियाना के एक छोटे से गांव फिल्लौरी में जन्मे पंडित श्रद्धाराम शर्मा को इस आरती ने लोकप्रिय बना दिया. धार्मिक माहौल में गुजरा बचपन पंडित श्रद्धाराम शर्मा का बचपन धार्मिक माहौल में गुजरा. इसकी वजह से वो छोटी उम्र में ही धार्मिक ग्रंथों के बारे में काफी कुछ जानने लगे थे. उनके पिता जयदयालु शर्मा एक ज्योतिषि थे. पंडित श्रद्धाराम भी अपने पिता की राह पर ही चल पड़े. उनके पिता को हिंदी, संस्कृत, अरबी और फारसी भाषा का ज्ञान था. उन्होंने भी अपने पिता से इन भाषाओं को सिखा. 30 साल की उम्र में लिखी आरती पंडित श्रद्धाराम ने 30 साल की उम्र में साल 1870 में ‘ओम जय जगदीश हरे’ आरती लिख डाली. यह आरती पहली बार मनोज कुमार की फिल्म ‘पूरब और पश्चिम’ में इस्तेमाल हुई. इसके बाद तो यह आरती सभी के दिलों में बस गई और देश के हर कोने में गूंजती है. शहर से निकाले गए मशहूर आरती ओम जय जगदीश हरे लिखने के अलावा भी पंडित श्रद्धाराम ने ज्‍योतिष और साहित्‍य पर भी लिखा. हिंदी साहित्य में पहले उपन्यास भाग्यवती का रचनाकार भी इन्हें माना जाता है. फिल्लौरी पर 1865 में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ प्रचार करने के आरोप ...

Om Jai Jagdish Hare (ओम जय जगदीश हरे) Lyrics in Hindi and English

• Artist (आर्टिस्ट) – • Song (सॉन्ग) – Om Jai Jagdish Hare (ओम जय जगदीश हरे ) • Music director (म्यूजिक डायरेक्टर ) –Arun Paudwal (अरुण पोडवाल) • Lyrics ( लिरिक्स) – Hindi and English (हिंदी एंड इंग्लिश ) Om Jai Jagdish Hare Aarti के हिंदी और इंग्लिश बोल ओम जय जगदीश हरे Om Jai Jagdish Hare स्वामी जय जगदीश हरे Swami Jai Jagdish Hare भक्त जनों के संकट Bhakt Jano Ke Sankat दास जनों के संकट Das jano ke sankat क्षण में दूर करे Khshan Mein Door Kare ओम जय जगदीश हरे Om Jai Jagdish Hare जो ध्यावे फल पावे Jo Dhaywe Fal Pave दुःख बिन से मन का Dukh bin se ManKa स्वामी दुःख बिन से मन का Swami Dukh bin se ManKa सुख सम्पति घर आवे Sukh Sampati Ghar Aave सुख सम्पति घर आवे Sukh Sampati Ghar Aave कष्ट मिटे तन का Kashta Mite TanKa ओम जय जगदीश हरे Om Jai Jagdish Hare मात पिता तुम मेरे Maat Pita Tum Mere शरण गहूं किसकी Sharan Gahun Kiski स्वामी शरण गहूं मैं किसकी Swami Sharan Gahun me Kiski तुम बिन और न दूजा Tum Bin Aur Na Duja तुम बिन और न दूजा Tum Bin Aur Na Duja आस करूं मैं जिसकी Aas Karu Jiski ओम जय जगदीश हरे Om Jai Jagdish Hare तुम पूरण परमात्मा Tum Puran Parmatma तुम अन्तर्यामी Tum Antaryami स्वामी तुम अन्तर्यामी Swami Tum Antaryami पारब्रह्म परमेश्वर ParBrahm Parmeshwar तुम सब के स्वामी Tum Sabke Swami See also Falak Tu Garaj Tu(फलक तू गरज तू) Lyrics in Hindi-KGF 2 ओम जय जगदीश हरे Om Jai Jagdish Hare तुम करुणा के सागर Tum Karuna Ke Sagar तुम पालनकर्ता Tum Palan karta स्वामी तुम पालनकर्ता Swami Tum Palan karta मैं मूरख खलकामी Main Murakh Khal Kami मैं सेवक तुम स्वामी Mein Sewak Tum Swami...

ॐ जय जगदीश हरे

ओम जय जगदीश हरे पण्डित गीत [ ] हिन्दी नेपाली ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट दास जनों के संकट क्षण में दूर करे ॐ जय जगदीश हरे जो ध्यावे फल पावे दुख बिनसे मन का स्वामी दुख बिनसे मन का सुख संपत्ती घर आवे सुख संपत्ती घर आवे कष्ट मिटे तन का ॐ जय जगदीश हरे मात पिता तुम मेरे शरण गहूँ मैं किसकी स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी तुम बिन और न दूजा तुम बिन और न दूजा आस करूँ मैं किसकी ॐ जय जगदीश हरे तुम पूरण परमात्मा तुम अंतर्यामी स्वामी तुम अंतर्यामी पारब्रह्म परमेश्वर पारब्रह्म परमेश्वर तुम सब के स्वामी ॐ जय जगदीश हरे तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता स्वामी तुम पालनकर्ता मैं मूरख खल कामी मैं सेवक तुम स्वामी कृपा करो भर्ता ॐ जय जगदीश हरे तुम हो एक अगोचर सबके प्राणपति स्वामी सबके प्राणपति किस विधि मिलूँ दयामय किस विधि मिलूँ दयामय तुमको मैं कुमति ॐ जय जगदीश हरे दीनबंधु दुखहर्ता ठाकुर तुम मेरे, स्वामी ठाकुर तुम मेरे अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ द्वार पड़ा तेरे | ॐ जय जगदीश हरे विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा स्वमी पाप हरो देवा श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा ॐ जय जगदीश हरे तन मन धन सब कुछ है तेरा स्वामी सब कुछ है तेरा तेरा तुझ को अर्पण तेरा तुझ को अर्पण क्या लागे मेरा ॐ जय जगदीश हरे ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट दास जनों के संकट क्षण में दूर करे ॐ जय जगदीश हरे ॐ जय जगदीश हरे, प्रभु जय जगदीश हरे। प्रभू का चरण उपाशक, हरि का चरण उपाशक। कति कति पार तरे, ॐ जय जगदीश हरे। मनको थाल मनोहर, प्रेम रूप बाती, प्रभु प्रेम रूप बाती। भाब कपुर छ मंगल, भाब कपुर छ मंगल। अारती सब भाती, ॐ जय जगदीश हरे। नित्य नीरंजन निर्मल कारण अबिनाशी, प्रभु कारण अबिनाश...

Om Jai Jagdish Hare

This article contains Om Jai Jagdish Hare ( ॐ जय जगदीश हरे) is a History [ ] It may have been inspired by the Dashavatara ( दशावतारकीर्तिधवलम्) section of प्रलयपयोधिजले धृतवानसि वेदम् ॥ विहितवहित्रचरित्रमखेदम्॥ केशवाधृतमीनशरीर जयजगदीशहरे॥ There are also variants of the song, using the same tune and structure, but with focus on different deities. These include Om Jai Lakshmi Mata, Om Jai Shiva Omkara and Om Jai Shiva Shakti Hare. Lyrics [ ] Devanagari English translation स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट दास जनों के संकट क्षण में दूर करे ॐ जय जगदीश हरे जो ध्यावे फल पावे दुख बिनसे मन का स्वामी दुख बिनसे मन का सुख संपत्ती घर आवे सुख संपत्ती घर आवे कष्ट मिटे तन का ॐ जय जगदीश हरे मात पिता तुम मेरे शरण गहूँ मैं किसकी स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी तुम बिन और न दूजा तुम बिन और न दूजा आस करूँ मैं किसकी ॐ जय जगदीश हरे तुम पूरण परमात्मा तुम अंतर्यामी स्वामी तुम अंतर्यामी पारब्रह्म परमेश्वर पारब्रह्म परमेश्वर तुम सब के स्वामी ॐ जय जगदीश हरे तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता स्वामी तुम पालनकर्ता मैं मूरख खल कामी मैं सेवक तुम स्वामी कृपा करो भर्ता ॐ जय जगदीश हरे तुम हो एक अगोचर सबके प्राणपति स्वामी सबके प्राणपति किस विधि मिलूँ दयामय किस विधि मिलूँ दयामय तुमको मैं कुमति ॐ जय जगदीश हरे दीनबंधु दुखहर्ता ठाकुर तुम मेरे, स्वामी ठाकुर तुम मेरे अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ द्वार पड़ा तेरे | ॐ जय जगदीश हरे विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा स्वमी पाप हरो देवा श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा ॐ जय जगदीश हरे तन मन धन सब कुछ है तेरा स्वामी सब कुछ है तेरा तेरा तुझ को अर्पण तेरा तुझ को ...

श्रद्धाराम शर्मा

अनुक्रम • 1 जीवन परिचय • 2 कार्यक्षेत्र • 3 विरासत • 4 रचनाएँ • 5 सन्दर्भ ग्रन्थ • 6 बाहरी कड़ियाँ • 7 सन्दर्भ जीवन परिचय पं. श्रद्धाराम शर्मा का जन्म पंजाब के जिले कार्यक्षेत्र पं. श्रद्धाराम ने उन्होंने धार्मिक कथाओं और आख्यानों का उद्धरण देते हुए अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ जनजागरण का ऐसा वातावरण तैयार कर दिया कि अंग्रेजी सरकार की नींद उड़ गई। वे विरासत १८७० में उन्होंने "ओम जय जगदीश" की आरती की रचना की। पं॰ श्रद्धाराम की विद्वता, भारतीय धार्मिक विषयों पर उनकी वैज्ञानिक दृष्टि के लोग कायल हो गए थे। जगह-जगह पर उनको धार्मिक विषयों पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया जाता था और तब हजारों की संख्या में लोग उनको सुनने आते थे। वे लोगों के बीच जब भी जाते अपनी लिखी ओम जय जगदीश की आरती गाकर सुनाते। उनकी आरती सुनकर तो मानो लोग बेसुध से हो जाते थे। आरती के बोल लोगों की जुबान पर ऐसे चढ़े कि आज कई पीढियाँ गुजर जाने के बाद भी उनके शब्दों का जादू कायम है। १८७७ में भाग्यवती नामक एक उपन्यास प्रकाशित हुआ (जिसे हिन्दी का पहला उपन्यास माना जाता है), इस उपन्यास की पहली समीक्षा अप्रैल १८८७ में हिन्दी की मासिक पत्रिका रचनाएँ आपकी लगभग दो दर्जन रचनाओं का पत चलता है, यथा- (क) संस्कृत - (१) नित्यप्रार्थना (शिखरिणी छंद के ११ पदों में ईश्वर की दो स्तुतियाँ)। (२) भृगुसंहिता (सौ कुंडलियों में फलादेश वर्णन), यह अधूरी रचना है। (३) हरितालिका व्रत (शिवपुराण की एक कथा)। (४) "कृष्णस्तुति" विषयक कुछ श्लोक, जो अब अप्राप्य हैं। (ख) हिंदी - (१) तत्वदीपक (प्रश्नोत्तर में श्रुति, स्मृति के अनुसार धर्म कर्म का वर्णन)। (२) सत्य धर्म मुक्तावली (फुल्लौरी जी के शिष्य श्री तुलसीदेव संगृहीत भजनसंग्रह) प्रथम भाग में ठु...

Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics

जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिन से मन का, स्वामी दुख बिन से मन का सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे कष्ट मिटे तन का ।। ॐ जय जगदीश हरे ।। मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं किसकी तुम बिन और ना दूजा, तुम बिन और ना दूजा आस करूँ जिसकी ।। ॐ जय जगदीश हरे ।। तुम पूरण, परमात्मा तुम अंतरियामी, स्वामी तुम अंतरियामी पार ब्रह्म परमेश्वर, पार ब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी ।। ॐ जय जगदीश हरे ।। तुम करुणा के सागर तुम पालन करता, स्वामी तुम पालन करता मैं मूरख खलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी कृपा करो भर्ता ।। ॐ जय जगदीश हरे ।। तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति, स्वामी सबके प्राण पति किस विध मिलु दयामय, किस विध मिलु दयामय तुम को मैं कुमति ।। ॐ जय जगदीश हरे ।। दीन-बन्धु दुःख-हर्ता ठाकुर तुम मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे अपने हाथ उठाओ, अपनी शरण लगाओ द्वार पड़ा तेरे ।। ॐ जय जगदीश हरे ।। विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वामी पाप हरो देवा श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ सन्तन की सेवा ।। ॐ जय जगदीश हरे ।। ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे भक्त ज़नो के संकट दास ज़नो के संकट क्षण में दूर करे ।। ॐ जय जगदीश हरे ।। ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे भक्त ज़नो के संकट दास जनो के संकट क्षण में दूर करे ।। ॐ जय जगदीश हरे ।। Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics Om Jai Jagdish Hare, Swami, Jai Jagdish Hare । Bhakt Jano Ke Sankat, Kshan Mein Door Kare ।। ।। Om Jai Jagdish Hare ।। Jo Dhyawe Phal Pave, Dukh Vinse Man Ka । Sukh Sampati Ghar Aave, Kashta Mite Tan Ka ।। ।। Om Jai Jagdish Hare ।। Maat Pita Tum Mere, Sharan Gahun Mein Kiski । Tum Bin Aur Na Duja, Aas Karun Mein Jiski ।। ।। Om Jai Jagdi...

ओम जय जगदीश हरे लिरिक्स

मात – पिता तुम मेरे , शरण गहूं मैं किसकी । तुम बिन और न दूजा , आस करूं जिसकी । । ॐ . . . तुम पूरण परमात्मा , तुम अंतर्यामी । पारब्रह्म परमेश्वर , तुम सबके स्वामी । । ॐ . . . तूम करुणा के सागर , तुम पालन कर्ता । मैं मूरख खल कामी , कृपा करो भर्ता । । ॐ . . . तुम हो एक अगोचर , सबके प्राणपती । किस विधि मिलू दयामय , तुमको मैं कुमती । । ॐ . . . दीनबंधु दुखहर्ता , तुम रक्षक मेरे । करुणा हस्त बढ़ाओ , द्वार पड़ा तेरे । । ॐ . . . विषम विकार मिटाओ , पाप हरो देवा । श्रद्वा भक्ति बढ़ाओ , संतन की सेवा । । ॐ . . . श्री जगदीश जी की आरति , जो कोई नर गावे । कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपति पावे । । ॐ . . . om jay jagadeesh hare , svaamee jay jagadeesh hare . bhaktajanon ke sankat , kshan mein door kare . . om . . . jo dhyaave phal paave , dukhavin se man ka . sukh sampatti ghar aave , kasht mite tan ka . . om . . . maat – pita tum mere , sharan gahoon main kisakee . tum bin aur na dooja , aas karoon jisakee . . om . . . tum pooran paramaatma , tum antaryaamee . paarabrahm parameshvar , tum sabake svaamee . . om . . . toom karuna ke saagar , tum paalan karta . main moorakh khal kaamee , krpa karo bharta . . om . . . tum ho ek agochar , sabake praanapatee . kis vidhi miloo dayaamay , tumako main kumatee . . om . . . deenabandhu dukhaharta , tum rakshak mere . karuna hast badhao , dvaar pada tere . . om . . . visham vikaar mitao , paap haro deva . shradva bhakti badhao , santan kee seva . . om . . . shree jagadeesh jee kee aarati , jo koee nar gaave . kahat shivaanand svaamee, sukh sampati paave ...

'ओम जय जगदीश हरे' वाली आरती गाने वालों, क्या जानते हो इसे किसने लिखा है?

घर हो या मंदिर बचपन से ही हम एक आरती सुनते आ रहे हैं ‘ओम जय जगदीश हरे’. यह आरती देश की सबसे लोकप्रिय आरती है. हिंदू परिवारों में इसके बिना तो कोई भी धार्मिक कार्यक्रम पूरा ही नहीं होता. पूजा करने वाले लोग बेहद लय में इसे गाते हैं और भगवान की आरती करते हैं. मगर क्या आप जानते हैं कि इस खूबसूरत आरती को किसने लिखा था? नहीं जानते हैं तो आज हम आपको इसके रचयिता के बारे में बता देते हैं. देश की सबसे लोकप्रिय आरती पंडित श्रद्धाराम शर्मा फिल्लौरी ने लिखा था. उनकी कलम से ही ‘ओम जय जगदीश हरे’ जैसी आरती निकली. पंजाब के लुधियाना के एक छोटे से गांव फिल्लौरी में जन्मे पंडित श्रद्धाराम शर्मा को इस आरती ने लोकप्रिय बना दिया. धार्मिक माहौल में गुजरा बचपन पंडित श्रद्धाराम शर्मा का बचपन धार्मिक माहौल में गुजरा. इसकी वजह से वो छोटी उम्र में ही धार्मिक ग्रंथों के बारे में काफी कुछ जानने लगे थे. उनके पिता जयदयालु शर्मा एक ज्योतिषि थे. पंडित श्रद्धाराम भी अपने पिता की राह पर ही चल पड़े. उनके पिता को हिंदी, संस्कृत, अरबी और फारसी भाषा का ज्ञान था. उन्होंने भी अपने पिता से इन भाषाओं को सिखा. 30 साल की उम्र में लिखी आरती पंडित श्रद्धाराम ने 30 साल की उम्र में साल 1870 में ‘ओम जय जगदीश हरे’ आरती लिख डाली. यह आरती पहली बार मनोज कुमार की फिल्म ‘पूरब और पश्चिम’ में इस्तेमाल हुई. इसके बाद तो यह आरती सभी के दिलों में बस गई और देश के हर कोने में गूंजती है. शहर से निकाले गए मशहूर आरती ओम जय जगदीश हरे लिखने के अलावा भी पंडित श्रद्धाराम ने ज्‍योतिष और साहित्‍य पर भी लिखा. हिंदी साहित्य में पहले उपन्यास भाग्यवती का रचनाकार भी इन्हें माना जाता है. फिल्लौरी पर 1865 में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ प्रचार करने के आरोप ...