पंचमुखी हनुमान कवच अर्थ सहित

  1. Panchmukhi hanuman : पंचमुखी हनुमान जी के पांच मुखों का रहस्य
  2. Panchmukhi Hanuman Kavach in Hindi
  3. Hanuman Kavach in Hindi [पंचमुखी हनुमान कवच] Download PDF
  4. पंचमुखी हनुमान कवच स्तोत्र
  5. पंचमुख हनुमत कवच, श्रीपञ्चमुखहनुमत्कवचम् Panchmukh hanuman kavach । Hanuman kavach
  6. आइये जानते हैं हनुमान जी का मुख दक्षिण दिशा में ही क्यों है? – Buy Spiritual Products


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Panchmukhi hanuman : पंचमुखी हनुमान जी के पांच मुखों का रहस्य

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • Panchmukhi Hanuman नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Panchmukhi hanuman में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, कहा जाता है कि स्वयं माता सीता ने सदैव अजर तथा अमर रहने का वरदान इन्हें दिया है। panchmukhi hanuman पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने से साधक को चमत्कारिक लाभ प्राप्त होते हैं। आज की पोस्ट में हम Panchmukhi hanuman : पंचमुखी हनुमान जी के स्वरूप का वर्णन हनुमान जी के पांचों मुखों का अति सुंदर वर्णन श्रीविद्यार्णव तन्त्र में इस प्रकार किया गया है – ” पंचवक्त्रं महाभीमं त्रिपंचनयनैर्युतम। बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकाम्यार्थ सिद्धिदम्”।। भावार्थ – विराट्स्वरूप धारण करने वाले हनुमान जी के पांच मुख, पंद्रह नेत्र तथा दस भुजायें हैं। इन दस भुजाओं में इन्होंने दस आयुध अर्थात अस्त्र -शस्त्र धारण किये हैं ये आयुध निम्नलिखित हैं – 1. खड्ग 2. त्रिशूल 3. 4. पाश 5. अंकुश 6. पर्वत 7. स्तम्भ 8. मुष्टि 9. गदा 10. वृ़क्ष की डाली। अब बात करते हैं श्री हनुमान जी के पांचों मुखों के बारे में। पूर्व दिशा की ओर मुख Panchmukhi hanuman ji हनुमान जी का पूर्व दिशा की ओर जो मुख है वह वानर का है तथा इस मुख की प्रभा यह बजरंगबली के क्रोध को दर्शाता है। पश्चिम दिशा की ओर मुख अजनी नंदन का यह मुख उत्तर दिशा की ओर मुख यह मुख वाराह (शूकर) के स्वरूप वाला है यह रूप आकाश में छाये बादलों की भांति कृष्णवर्ण है। इस मुख के दर्शन से पाताल में रहने वाले जीवों के साथ-साथ सिंह तथा वेताल के भय से मुक्ति मिलती है। दक्षिण दिशा की ओर मुख श्री हनुमान जी का यह मुख भगवान श्री हरि विष्णु के अवतार नृसिंह का है। यह मुख अत्यंत उग्र तेज वाला तथा भयानक है। जिस प्रकार नृसिंह भगव...

Panchmukhi Hanuman Kavach in Hindi

WhatsApp Telegram Facebook Twitter LinkedIn Panchmukhi Hanuman Kavach is a very powerful mantra of Lord Hanuman. This mantra praises lord hanuman in his 5 faced form ( “panchmukhi ” means 5 faces). The five faces or heads of Panchmukhi Hanuman include 1) Varaha (Boar face), 2) Garud (eagle face), 3) Hanuman (monkey face), 4) Narasimha (lion face), and 5) Hayagriva (horse face). Of these faces, Varaha, Narasimha, and Hayagriva are the incarnations of lord vishnu and Garud is the vehicle mount of lord Vishnu. Therefore, it is believed that Panchmukh hanuman possesses the divine powers of both Lord Hanuman and Lord Vishnu. Get Panchmukhi Hanuman Kavach lyrics in Hindi here and chant to ward of all evil and negative forces, and to rejuvenate yourself with positive energy. Panchmukhi Hanuman Kavach in Hindi – पंचमुखी हनुमान कवच विनियोगः – गायत्री छंद्: ॐ अस्य श्री पंचमुख हनुमन्मन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिः गायत्री छन्दः पंचमुख विराट हनुमान देवता। ह्रीं बीजम्। श्रीं शक्ति:। क्रौ कीलकम्। क्रूं कवचम्। क्रै अस्त्राय फ़ट्। इति दिग्बंध्:। श्री गरूड उवाच् – श्री पंचमुखी हनुमान कवच अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि।श्रुणु सर्वांगसुंदर। यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमत्: प्रियम् ।। 1 ।। पंचकक्त्रं महाभीमं त्रिपंचनयनैर्युतम्। बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिध्दिदम् ।। 2 ।। पूर्वतु वानरं वक्त्रं कोटिसूर्यसमप्रभम्। दंष्ट्राकरालवदनं भ्रुकुटीकुटिलेक्षणम् ।। 3 ।। अस्यैव दक्षिणं वक्त्रं नारसिंहं महाद्भुतम्। अत्युग्रतेजोवपुष्पंभीषणम भयनाशनम् ।। 4 ।। पश्चिमं गारुडं वक्त्रं वक्रतुण्डं महाबलम्। सर्वनागप्रशमनं विषभूत...

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श्रीरामपादसरसी- रुहभृङ्गराज- संसारवार्धि- पतितोद्धरणावतार। दोःसाध्यराज्यधन- योषिददभ्रबुद्धे पञ्चाननेश मम देहि करावलम्बम्। आप्रातरात्रिशकुनाथ- निकेतनालि- सञ्चारकृत्य पटुपादयुगस्य नित्यम्। मानाथसेविजन- सङ्गमनिष्कृतं नः पञ्चाननेश मम देहि करावलम्बम्। षड्वर्गवैरिसुख- कृद्भवदुर्गुहाया- मज्ञानगाढतिमिराति- भयप्रदायाम्। कर्मानिलेन विनिवेशितदेहधर्तुः पञ्चाननेश मम देहि करावलम्बम्। सच्छास्त्रवार्धिपरि- मज्जनशुद्धचित्ता- स्त्वत्पादपद्मपरि- चिन्तनमोदसान्द्राः। पश्यन्ति नो विषयदूषितमानसं मां पञ्चाननेश मम देहि करावलम्बम्। पञ्चेन्द्रियार्जित- महाखिलà...

Hanuman Kavach in Hindi [पंचमुखी हनुमान कवच] Download PDF

हनुमान कवच स्तोत्र श्रुणु सर्वांगसुंदर| यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमत्: प्रियम् ||१|| पंचकक्त्रं महाभीमं त्रिपंचनयनैर्युतम्| बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिध्दिदम् ||२|| पूर्वतु वानरं वक्त्रं कोटिसूर्यसमप्रभम्| दंष्ट्राकरालवदनं भ्रुकुटीकुटिलेक्षणम् ||३|| अस्यैव दक्षिणं वक्त्रं नारसिंहं महाद्भुतम्| अत्युग्रतेजोवपुष्पंभीषणम भयनाशनम् ||४|| पश्चिमं गारुडं वक्त्रं वक्रतुण्डं महाबलम्| सर्वनागप्रशमनं विषभूतादिकृन्तनम् ||५|| उत्तरं सौकरं वक्त्रं कृष्णं दिप्तं नभोपमम्| पातालसिंहवेतालज्वररोगादिकृन्तनम्| ऊर्ध्वं हयाननं घोरं दानवान्तकरं परम्| येन वक्त्रेण विप्रेन्द्र तारकाख्यमं महासुरम् ||७|| जघानशरणं तस्यात्सर्वशत्रुहरं परम्| ध्यात्वा पंचमुखं रुद्रं हनुमन्तं दयानिधिम् ||८|| खड्गं त्रिशुलं खट्वांगं पाशमंकुशपर्वतम्| मुष्टिं कौमोदकीं वृक्षं धारयन्तं कमण्डलुं ||९|| भिन्दिपालं ज्ञानमुद्रा दशभिर्मुनिपुंगवम्| एतान्यायुधजालानि धारयन्तं भजाम्यहम् ||१०|| प्रेतासनोपविष्टं तं सर्वाभरण्भुषितम्| दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानु लेपनम सर्वाश्चर्यमयं देवं हनुमद्विश्वतोमुखम् ||११|| पंचास्यमच्युतमनेकविचित्रवर्णवक्त्रं शशांकशिखरं कपिराजवर्यम्| पीताम्बरादिमुकुटै रूप शोभितांगं पिंगाक्षमाद्यमनिशं मनसा स्मरामि ||१२|| मर्कतेशं महोत्राहं सर्वशत्रुहरं परम्| शत्रुं संहर मां रक्ष श्री मन्नपदमुध्दर ||१३|| ओम हरिमर्कट मर्केत मंत्रमिदं परिलिख्यति लिख्यति वामतले| यदि नश्यति नश्यति शत्रुकुलं यदि मुंच्यति मुंच्यति वामलता ||१४|| ओम हरिमर्कटाय स्वाहा ओम नमो भगवते पंचवदनाय पूर्वकपिमुखाय सकलशत्रुसंहारकाय स्वाहा| ओम नमो भगवते पंचवदनाय दक्षिणमुखाय करालवदनाय नरसिंहाय सकलभूतप्रमथनाय स्वाया| ओम नमो भगवते पंचवदनाय पश्चिममुखा...

पंचमुखी हनुमान कवच स्तोत्र

पंचमुखी हनुमान कवच स्तोत्र सर्व शक्तिशाली पंचमुखी हनुमान कवच स्तोत्र हनुमान जी को समर्पित है। पंचमुखी हनुमान कवच बहुत ही शुभ फलदायी है। मान्यता है कि पंचमुखी हनुमान कवच का जाप करने से जातक के आसपास एक सुरक्षा आवरण बन जाता है, जो जातक को सभी संकटों से बचाता है। लेख में- • श्री पंचमुखी हनुमान कवच पाठ की विधि। • श्री पंचमुखी हनुमान कवच स्तोत्र से लाभ। • श्री पंचमुखहनुमत्कवच स्तोत्र एवं अर्थ। 1. पंचमुखी हनुमान कवच पाठ की विधि: • पंचमुखी हनुमान कवच स्तोत्र का जाप करने से पहले स्नान कर खुद को पवित्र कर लें। • स्नान के बाद पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर को किसी लाल आसन पर स्थापित करें। • पंचमुखी हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं। • इसके बाद पंचमुखी हनुमान कवच स्तोत्र का पाठ करें। • पाठ करने के बाद हनुमान जी को प्रणाम करते हुए अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें। 2. पंचमुखी हनुमान कवच स्तोत्र से लाभ: • पंचमुखी हनुमान की आराधना से जातक के भय, रोग-दोष का नाश होता है। • पंचमुखी हनुमान की आराधना करने वाले जातक के जीवन में सुख शांति आता है। • श्री हनुमान कवच से बुराइयों पर जीत मिलती है। • इस कवच स्तोत्र के पाठ से भूत, प्रेत, चांडाल, और बुरी आत्माओं से मुक्ति मिलती है। 3. श्री पंचमुखहनुमत्कवच स्तोत्र एवं अर्थ: अथ श्री पंचमुखहनुमत्कवचम् स्तोत्र श्री गणेशाय नमः। ॐ अस्य श्रीपञ्चमुखहनुमत्कवचमन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषि:। गायत्री छंद:। पञ्चमुख-विराट् हनुमान् देवता। ह्रीं बीजम्। श्रीं शक्ति:। क्रौं कीलकं। क्रूं कवचं। क्रैं अस्त्राय फट्। इति दिग्बन्ध:। अर्थ: इस पंचमुख हनुमत कवच स्तोत्र के ऋषि ब्रह्मा हैं, छंद गायत्री है, देवता पंचमुख विराट हनुमान जी हैं, ह्रीं बीज मंत्र है, श्रीं शक्ति है, क्रौं कीलक है, क्रूं कवच...

पंचमुख हनुमत कवच, श्रीपञ्चमुखहनुमत्कवचम् Panchmukh hanuman kavach । Hanuman kavach

ॐ अस्य श्रीपञ्चमुखहनुमत्कवचमन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषि: | गायत्री छंद:| पञ्चमुख-विराट् हनुमान् देवता| ह्रीम् बीजम् | श्रीम् शक्ति:| क्रौम् कीलकम्| क्रूम् कवचम्| क्रैम् अस्त्राय फट् | इति दिग्बन्ध:| हिंदी में अर्थ : इस पंचमुख हनुमत कवच स्तोत्र के ऋषि ब्रह्मा हैं, छंद गायत्री है, देवता पंचमुख विराट हनुमानजी हैं, ह्रीम् बीज मन्त्र है, श्रीम् शक्ति है, क्रौम् कीलक है, क्रूम् कवच है और ‘क्रैम् अस्त्राय फट्’ मन्त्र दिग्बन्ध हैं। श्री गरुड उवाच अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि शृणु सर्वांगसुंदर, यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमत: प्रियम्॥ हिंदी में अर्थ : गरुड़जी ने उद्घोष किया हे सर्वांगसुंदर, देवाधिदेव के द्वारा, उन्हें प्रिय रहने वाला जो हनुमानजी का ध्यान लगाया, मैं उनके नाम का सुमिरण करता हूँ। मैं उस सुन्दर महिला का ध्यान करता हूँ जिन्होंने आपको बनाया है। पञ्चवक्त्रं महाभीमं त्रिपञ्चनयनैर्युतम्, बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिद्धिदम्।। हिंदी में अर्थ : श्री हनुमान जी पाँच मुख वाले, अत्यन्त विशालकाय, पंद्रह नेत्र (त्रि-पञ्च-नयन) धारी हैं, श्री हनुमान जी दस हाथों वाले हैं, वे सकल काम एवं अर्थ इन पुरुषार्थों की सिद्धि कराने वाले देव हैं। भाव है की श्री हनुमान जी पाँच मुख वाले, पंद्रह नेत्र धारी और दस हाथों वाले हैं जो सभी कार्यों को सिद्ध करते हैं। पूर्वं तु वानरं वक्त्रं कोटिसूर्यसमप्रभम्, दंष्ट्राकरालवदनं भ्रुकुटिकुटिलेक्षणम्॥ हिंदी में अर्थ : श्री हनुमान जी का मुख सदा ही पर्व दिशा की और रहता है, पूर्व मुखी हैं। श्री हनुमान जी जो वानर मुखी हैं, उनका तेज करोड़ों सूर्य के तुल्य है। श्री हनुमान जी के मुख पर विशाल दाढ़ी है और इनकी भ्रकुटी टेढ़ी हैं। ऐसे दांत वाले श्री हनुमान जी हैं। अस्यैव दक्षिणं वक्...

आइये जानते हैं हनुमान जी का मुख दक्षिण दिशा में ही क्यों है? – Buy Spiritual Products

रामायण के एक प्रसंग में हनुमान के Panchamukha Hanuman बनने का उल्लेख मिलता है। जब प्रभु श्री राम और रावण के बीच भीषण युद्ध चल रहा था उस समय रावण को यह आभास हो चुका था कि वह अपनी हार के अत्यंत निकट है। ऐसे में रावण को एक चालाकी सूझी और उसने अपने मायावी, तंत्र-मंत्र के विख्याता और मां भवानी के परम भक्त अहिरावण को बुलाया। अहिरावण ने आते ही भीषण युद्ध कर रही पूरी सेना को गहरी निद्रा में सुला दिया। इसके बाद वह प्रभु श्री राम और भाई लक्ष्मण को अपने संग पाताल लोक ले गया। गहरी निद्रा में सोई हुई सेना जब जाएगी और विभीषण ने पूरी घटना को जांचा परखा तो पाया कि यह कार्य अहिरावण के सिवाय कोई और नहीं कर सकता है। फिर विभीषण ने hanuman ji को भगवान राम और लक्ष्मण को अहिरावण के चंगुल से बचाने के लिए पाताल लोक भेजा। Hanumantha god जैसे ही पाताल लोक पहुंचे वहां द्वार पर उन्हीं का पुत्र मकरध्वज पहरा लगाते हुए नज़र आया। अपने पुत्र को हराकर ही वे भगवान राम और लक्ष्मण तक पहुँच पाए। हनुमान जी अब उस स्थान पर पहुँच चुके थे जहाँ भगवान राम और लक्ष्मण को बंदी बनाया गया था। उन्होंने देखा कि पाँचों दिशा में दीपक जल रहा है जिसे अहिरावण ने मां भवानी के लिए जलाया था। इन दीपक को एक साथ बुझाने से ही अहिरावण का वध भी निश्चित था इसे देखते हुए हनुमान जी ने 5 mukhi hanuman रूप धारण किया और इन पांच दीपक को एक साथ बुझा दिया। इस तरह से हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण कर प्रभु श्री राम और लक्ष्मण को अहिरावण की कैद से मुक्त कराया और दैत्य का नाश भी कर दिया। 1. Panchamukhi Hanuman में पांच देवताओं का वास है और ये पांचों देवता पांच दिशाओं की ओर मुख किये हुए हैं। 2. हनुमान जी का वानर मुख पूर्व दिशा की तरफ मुख किये हुए है जो...