पंचशील का संबंध है

  1. पंचशील पर भारत और चीन ने कब हस्ताक्षर किये? – Expert
  2. पंचशील समझौता
  3. पंचशील (बौद्ध आचार)
  4. [Solved] 'पंचशील' शब्द निम्नलिखित में से किस विकल्प �
  5. पंचशील उपदेश: चिंतनमूलक है बौद्ध दर्शन
  6. पंचशील (बौद्ध आचार)
  7. पंचशील समझौता
  8. [Solved] 'पंचशील' शब्द निम्नलिखित में से किस विकल्प �


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पंचशील पर भारत और चीन ने कब हस्ताक्षर किये? – Expert

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • पंचशील पर भारत और चीन ने कब हस्ताक्षर किये? पंचशील समझौते पर 50 साल पहले 29 अप्रैल 1954 को हस्ताक्षर हुए थे. चीन के क्षेत्र तिब्बत और भारत के बीच व्यापार और आपसी संबंधों को लेकर ये समझौता हुआ था. इस समझौते की प्रस्तावना में पाँच सिद्धांत थे जो अगले पाँच साल तक भारत की विदेश नीति की रीढ़ रहे. पंचशील सिद्धांत के जनक कौन है? नारायणगढ़ – प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि पर नारायणगढ़ में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उन्हें याद किया और देश के प्रति उनकी सेवाओं और आजादी में दिए गए उनके योगदान का जिक्र किया। पंचशील समझौता कब से कब तक चला? दरअसल, पंचशील शब्द ऐतिहासिक बौद्ध अभिलेखों से लिया गया है जो कि बौद्ध भिक्षुओं का व्यवहार निर्धारित करने वाले पांच निषेध होते हैं. पंडित जवाहर लाल नेहरू ने वहीं से ये शब्द लिया था. इस समझौते के बारे में 31 दिसंबर 1953 और 29 अप्रैल 1954 को बैठकें हुई थीं जिसके बाद बीजिंग में इस पर हस्ताक्षर हुए. READ: दूध पीने से शरीर में क्या होता है? पंचशील से चीन का क्या संबंध है? पंचशील समझौता, चीन के क्षेत्र तिब्बत और भारत के बीच आपसी संबंधों और व्यापार को लेकर हुआ था. पंचशील, या शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांत, पर पहली बार औपचारिक रूप से भारत और चीन के तिब्बत क्षेत्र के बीच व्यापार और शांति के समझौते पर 29 अप्रैल, 1954 को हस्ताक्षर किए गए थे. पंचशील के सर्वप्रथम प्रतिपादक कौन थे? पंडित नेहरू ने विश्व में शांति के लिये पंचशील जैसे सिद्धांतों का प्रतिपादन किया। पंचशील कौन से देश में पड़ता है? जून 1945 में सुकर्णो, इंडोनेशियाई नाटी ओनालिस्ट नेता ने पांच सामान्य सिद्धांतों, या पंचशील की घोषणा क...

पंचशील समझौता

विषय सूची • 1 इतिहास • 2 सीमा रेखा • 3 समझौता • 4 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 5 बाहरी कड़ियाँ • 6 संबंधित लेख इतिहास साफ़ था कि तिब्बत पर चीन के कब्जे का असर सबसे ज्यादा भारत पर पड़ने वाला था। तिब्बत पर चीन के कब्जे ने भारत के सुरक्षा के लिए नए सवाल खड़े कर दिए। सीमा रेखा तब के नेफा (NEFA- North-East Frontier Agency) और आज के समझौता पंचशील समझौता कहा जाता है। इसमें शान्ति के साथ-साथ रहने और दोस्ताना सम्बन्ध की बात कही गई थी। • एक दूसरे की अखंडता और संप्रुभता का सम्मान • एक दूसरे पर आक्रमण न करना • एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना • सामान और परस्पर लाभकारी सम्बन्ध • शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व इस समझौते के तहत भारत ने तिब्बत को चीन का एक क्षेत्र स्वीकार कर लिया। इस तरह उस समय इस संधि ने भारत और चीन के संबंधों के तनाव को काफ़ी हद तक दूर कर दिया था। भारत को पंडित नेहरू ने पन्ने की प्रगति अवस्था टीका टिप्पणी और संदर्भ बाहरी कड़ियाँ • • • संबंधित लेख

पंचशील (बौद्ध आचार)

• दे • वा • सं पंचशील भगवान बुद्ध द्वारा अपने अनुयायिओं को दिया गया है यह पंचशील। छंदोगय उपनिषद में भी पंचशील का विवरण मिलता है। हिन्दी में इसका भाव निम्नवत है- 1. हिंसा न करना, 2. चोरी न करना, 3. व्यभिचार न करना, 4. झूठ न बोलना, 5. नशा न करना। पालि में यह निम्नवत है- 1- पाणातिपाता वेरमणी-सिक्खापदं समादयामि।। 2- अदिन्नादाना वेरमणी- सिक्खापदं समादयामि।। 3- कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी- सिक्खापदं समादयामि।। 4- मुसावादा वेरमणी- सिक्खापदं समादयामि।। 5- सुरा-मेरय-मज्ज-पमादठ्ठाना वेरमणी- सिक्खापदं समादयामि।। बौद्ध धर्म में आम आदमी भी बुद्ध बन सकता है उसे बस दस पारमिताएं पूरी करनी पड़ती हैं एक आदर्श मानव समाज कैसा हो? दुनियां का हर मनुष्य किसी न किसी दुःख से दुखी है. तथागत बुद्ध ने बताया कि इस दुःख की कोई न कोई वजह होती है और अगर मनुष्य दुःख निरोध के मार्ग पर चले तो इस दुःख से मुक्ति पाई जा सकती है. यही चार आर्य सत्य हैं: अर्थात 1. दुःख है. 2. दुःख का कारण है. 3. दुःख का निरोध है. 4. दुःख निरोध पाने का मार्ग है. बौद्ध धर्म के चौथे आर्य सत्य, दुःख से मुक्ति पाने का रास्ता, अष्टांगिक मार्ग कहलाता है. जिसका विवरण एतरेय उपनिषद मिलता है। जन्म से मरण तक हम जो भी करते है, उसका अंतिम मकसद केवल ख़ुशी होता है. स्थायी ख़ुशी सुनिश्चित करने के लिए हमें जीवन में इस मार्ग का अनुसरण करना चाहिए. 1. सम्यक दृष्टि: चार आर्य सत्य में विश्वास करना 2. सम्यक संकल्प: मानसिक और नैतिक विकास की प्रतिज्ञा करना 3. सम्यक वाक: हानिकारक बातें और झूठ न बोलना 4. सम्यक कर्म: हानिकारक कर्म न करना 5. सम्यक जीविका: कोई भी स्पष्टतः या अस्पष्टतः हानिकारक व्यापार न करना 6. सम्यक प्रयास: अपने आप सुधरने की कोशिश करना 7. सम्यक ...

[Solved] 'पंचशील' शब्द निम्नलिखित में से किस विकल्प �

सही उत्तर भारत की विदेश नीति है। Key Points • पंचशील की अवधारणा /पंचशील का सिद्धांत पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया था। • पंचशील समझौते को सहअस्तित्व के पांच सिद्धांतों केरूप में भी जाना जाता है। • इसमें राज्यों के बीच संबंधों को नियंत्रित करने के लिए सिद्धांतों काएक समूह शामिल है। • पंचसील समझौते पर प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और चीन के पहले प्रधान मंत्री झोउ एनलाई केबीच हस्ताक्षर किए गए थे। • सिद्धांतों को पहली बार 1954 में भारत और चीनके बीच एक समझौते के दौरान संहिताबद्ध किया गया था। • कोलंबो में एशियाई प्रधानमंत्रियों के सम्मेलन में एक भाषण में पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा सिद्धांतों पर जोर दिया गया था। Additional Information • समझौते के पांच सिद्धांत हैं • एक दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के लिए परस्पर सम्मान, • आपसी गैर-आक्रामकता, • दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना, • समानता, शांति, और • पारस्परिक लाभ । • इसे 11 दिसंबर 1957 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत, यूगोस्लाविया और स्वीडन द्वारा प्रस्तुत किया गया था।

Hindi

भारत की आजादी के समय भारत और चीन के रिश्ते इतने कडवे नहीं थी जितने कि 1962 के बाद हो गये हैं. चूंकि उस समय अमेरिका, पाकिस्तान का पक्ष लेता था इसलिए भारत ने अपने पड़ोसी देश चीन से मधुर रिश्ते रखने में ही भलाई समझी. यही कारण है कि भारत ने 1950 में चीन द्वारा तिब्बत पर कब्ज़ा करने का पुरजोर विरोध नहीं किया था लेकिन जब भारत ने दलाई लामा को भारत में शरण दी तो रिश्ते कडवे होने शुरू हो गये. हालाँकि तत्कालानीं प्रधानमन्त्री नेहरु ने पंचशील समझौते के माध्यम से दोनों देशों के बीच मधुर सम्बन्ध बनाने की कोशिश की लेकिन वे कामयाब नहीं हुए और दोनों देशों के बीच 1962 का युद्ध हुआ. अब आइये इस लेख में जानते हैं कि भारत और चीन के बीच पंचशील समझौता क्या था और क्यों किया गया था? पंचशील समझौते के बारे में:- पंचशील समझौता, चीन के क्षेत्र तिब्बत और भारत के बीच आपसी संबंधों और व्यापार को लेकर हुआ था. पंचशील, या शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांत, पर पहली बार औपचारिक रूप से भारत और चीन के तिब्बत क्षेत्र के बीच व्यापार और शांति के समझौते पर 29 अप्रैल, 1954 को हस्ताक्षर किए गए थे. यह समझौता तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और चीन के पहले प्रीमियर (प्रधानमंत्री) चाऊ एन लाई के बीच हुआ था. पंचशील का संधि विच्छेद है पंच+शील अर्थात पांच सिद्धांत या विचार! पंचशील शब्द ऐतिहासिक बौद्ध अभिलेखों से लिया गया है जो कि बौद्ध भिक्षुओं का व्यवहार निर्धारित करने वाले पांच निषेध होते हैं अर्थात इन कामों को करने की मनाही हर बौद्ध व्यक्ति के लिए होती है. अप्रैल 1954 में भारत ने तिब्बत को चीन का हिस्सा मानते हुए चीन के साथ ‘पंचशील’ के सिद्धांत पर समझौता कर लिया. इस सिद्धांत के मुख्य बिंदु थे: (1) दूसरे देश के आं...

पंचशील उपदेश: चिंतनमूलक है बौद्ध दर्शन

शास्त्री कोसलेन्द्रदास पिछले ढाई सहस्त्राब्दियों से जिस दर्शन की गूंज भारत और आसपास के देशों में व्यापक रूप से छा गई वह गौतम बुद्ध का चलाया बौद्ध दर्शन है। शुरू में यह एक दार्शनिक प्रस्थान मात्र था, जो धीरे-धीरे धर्म के रूप में परिवर्तित हो गया और अब अनेक लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। बौद्ध दर्शन चिंतन-मूलक है अर्थात जो बुद्ध के चिंतन में आया, वही बौद्ध दर्शन का आधार है। बौद्ध धर्म एवं बौद्ध दर्शन के उपदेश में उपदेष्टा बुद्ध की करुणा ही कारण है। उनके अनुसार सत्य के दो प्रकार हैं-पारमार्थिक एवं सांवृतिक। पारमार्थिक सत्य ही शून्य है और सांवृतिक है संसार का सत्य। जितने भी सांवृतिक सत्य हैं, वे क्षणभंगुर हैं। पारमार्थिक सत्य के साक्षात्कार से ही जन्म-मरण के चक्र से छुटकारा मिल सकता है। बुद्ध के देशनाओं (उपदेश) के अनुसार पंचशील के अनुष्ठान एवं दार्शनिक ज्ञान के अभ्यास से निर्वाण प्राप्त होता है। गौतम बुद्ध ने अपने अनुयायियों को पंचशील की कठोरता से पालन की प्रेरणा दी है। उनके मत से पंचशील के पालन से व्यक्ति की आत्मिक उन्नति होती है और वह ज्ञान पाने के योग्य होता है। ये पंचशील हैं-हिंसा न करना, चोरी न करना, व्यभिचार न करना, झूठ न बोलना एवं नशा न करना। गौतम भी कहे जाते हैं धर्मराज प्राय: लोग धर्मराज के नाम से महाभारत के पांडुपुत्र युधिष्ठिर को जानते हैं। यह अल्पज्ञात है कि गौतम बुद्ध ने स्वयं को ‘धर्मराज’ कहा है और धर्म-चक्र चलाने वाला माना है। ईसा की कई शताब्दियों पूर्व गौतम बुद्ध ने अपने पहले के लोगों का मत प्रकाशित कर दिया था कि नरक कोई एक स्थान नहीं है, प्रत्युत वह है किसी वर्ण के लिए निर्धारित कर्मों के करने की अक्षमता का द्योतक है। अश्वघोष ने बुद्धचरित कहा है- बुद्ध ने प्रा...

पंचशील (बौद्ध आचार)

• दे • वा • सं पंचशील भगवान बुद्ध द्वारा अपने अनुयायिओं को दिया गया है यह पंचशील। छंदोगय उपनिषद में भी पंचशील का विवरण मिलता है। हिन्दी में इसका भाव निम्नवत है- 1. हिंसा न करना, 2. चोरी न करना, 3. व्यभिचार न करना, 4. झूठ न बोलना, 5. नशा न करना। पालि में यह निम्नवत है- 1- पाणातिपाता वेरमणी-सिक्खापदं समादयामि।। 2- अदिन्नादाना वेरमणी- सिक्खापदं समादयामि।। 3- कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी- सिक्खापदं समादयामि।। 4- मुसावादा वेरमणी- सिक्खापदं समादयामि।। 5- सुरा-मेरय-मज्ज-पमादठ्ठाना वेरमणी- सिक्खापदं समादयामि।। बौद्ध धर्म में आम आदमी भी बुद्ध बन सकता है उसे बस दस पारमिताएं पूरी करनी पड़ती हैं एक आदर्श मानव समाज कैसा हो? दुनियां का हर मनुष्य किसी न किसी दुःख से दुखी है. तथागत बुद्ध ने बताया कि इस दुःख की कोई न कोई वजह होती है और अगर मनुष्य दुःख निरोध के मार्ग पर चले तो इस दुःख से मुक्ति पाई जा सकती है. यही चार आर्य सत्य हैं: अर्थात 1. दुःख है. 2. दुःख का कारण है. 3. दुःख का निरोध है. 4. दुःख निरोध पाने का मार्ग है. बौद्ध धर्म के चौथे आर्य सत्य, दुःख से मुक्ति पाने का रास्ता, अष्टांगिक मार्ग कहलाता है. जिसका विवरण एतरेय उपनिषद मिलता है। जन्म से मरण तक हम जो भी करते है, उसका अंतिम मकसद केवल ख़ुशी होता है. स्थायी ख़ुशी सुनिश्चित करने के लिए हमें जीवन में इस मार्ग का अनुसरण करना चाहिए. 1. सम्यक दृष्टि: चार आर्य सत्य में विश्वास करना 2. सम्यक संकल्प: मानसिक और नैतिक विकास की प्रतिज्ञा करना 3. सम्यक वाक: हानिकारक बातें और झूठ न बोलना 4. सम्यक कर्म: हानिकारक कर्म न करना 5. सम्यक जीविका: कोई भी स्पष्टतः या अस्पष्टतः हानिकारक व्यापार न करना 6. सम्यक प्रयास: अपने आप सुधरने की कोशिश करना 7. सम्यक ...

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भारत की आजादी के समय भारत और चीन के रिश्ते इतने कडवे नहीं थी जितने कि 1962 के बाद हो गये हैं. चूंकि उस समय अमेरिका, पाकिस्तान का पक्ष लेता था इसलिए भारत ने अपने पड़ोसी देश चीन से मधुर रिश्ते रखने में ही भलाई समझी. यही कारण है कि भारत ने 1950 में चीन द्वारा तिब्बत पर कब्ज़ा करने का पुरजोर विरोध नहीं किया था लेकिन जब भारत ने दलाई लामा को भारत में शरण दी तो रिश्ते कडवे होने शुरू हो गये. हालाँकि तत्कालानीं प्रधानमन्त्री नेहरु ने पंचशील समझौते के माध्यम से दोनों देशों के बीच मधुर सम्बन्ध बनाने की कोशिश की लेकिन वे कामयाब नहीं हुए और दोनों देशों के बीच 1962 का युद्ध हुआ. अब आइये इस लेख में जानते हैं कि भारत और चीन के बीच पंचशील समझौता क्या था और क्यों किया गया था? पंचशील समझौते के बारे में:- पंचशील समझौता, चीन के क्षेत्र तिब्बत और भारत के बीच आपसी संबंधों और व्यापार को लेकर हुआ था. पंचशील, या शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांत, पर पहली बार औपचारिक रूप से भारत और चीन के तिब्बत क्षेत्र के बीच व्यापार और शांति के समझौते पर 29 अप्रैल, 1954 को हस्ताक्षर किए गए थे. यह समझौता तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और चीन के पहले प्रीमियर (प्रधानमंत्री) चाऊ एन लाई के बीच हुआ था. पंचशील का संधि विच्छेद है पंच+शील अर्थात पांच सिद्धांत या विचार! पंचशील शब्द ऐतिहासिक बौद्ध अभिलेखों से लिया गया है जो कि बौद्ध भिक्षुओं का व्यवहार निर्धारित करने वाले पांच निषेध होते हैं अर्थात इन कामों को करने की मनाही हर बौद्ध व्यक्ति के लिए होती है. अप्रैल 1954 में भारत ने तिब्बत को चीन का हिस्सा मानते हुए चीन के साथ ‘पंचशील’ के सिद्धांत पर समझौता कर लिया. इस सिद्धांत के मुख्य बिंदु थे: (1) दूसरे देश के आं...

पंचशील समझौता

विषय सूची • 1 इतिहास • 2 सीमा रेखा • 3 समझौता • 4 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 5 बाहरी कड़ियाँ • 6 संबंधित लेख इतिहास साफ़ था कि तिब्बत पर चीन के कब्जे का असर सबसे ज्यादा भारत पर पड़ने वाला था। तिब्बत पर चीन के कब्जे ने भारत के सुरक्षा के लिए नए सवाल खड़े कर दिए। सीमा रेखा तब के नेफा (NEFA- North-East Frontier Agency) और आज के समझौता पंचशील समझौता कहा जाता है। इसमें शान्ति के साथ-साथ रहने और दोस्ताना सम्बन्ध की बात कही गई थी। • एक दूसरे की अखंडता और संप्रुभता का सम्मान • एक दूसरे पर आक्रमण न करना • एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना • सामान और परस्पर लाभकारी सम्बन्ध • शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व इस समझौते के तहत भारत ने तिब्बत को चीन का एक क्षेत्र स्वीकार कर लिया। इस तरह उस समय इस संधि ने भारत और चीन के संबंधों के तनाव को काफ़ी हद तक दूर कर दिया था। भारत को पंडित नेहरू ने पन्ने की प्रगति अवस्था टीका टिप्पणी और संदर्भ बाहरी कड़ियाँ • • • संबंधित लेख

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सही उत्तर भारत की विदेश नीति है। Key Points • पंचशील की अवधारणा /पंचशील का सिद्धांत पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया था। • पंचशील समझौते को सहअस्तित्व के पांच सिद्धांतों केरूप में भी जाना जाता है। • इसमें राज्यों के बीच संबंधों को नियंत्रित करने के लिए सिद्धांतों काएक समूह शामिल है। • पंचसील समझौते पर प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और चीन के पहले प्रधान मंत्री झोउ एनलाई केबीच हस्ताक्षर किए गए थे। • सिद्धांतों को पहली बार 1954 में भारत और चीनके बीच एक समझौते के दौरान संहिताबद्ध किया गया था। • कोलंबो में एशियाई प्रधानमंत्रियों के सम्मेलन में एक भाषण में पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा सिद्धांतों पर जोर दिया गया था। Additional Information • समझौते के पांच सिद्धांत हैं • एक दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के लिए परस्पर सम्मान, • आपसी गैर-आक्रामकता, • दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना, • समानता, शांति, और • पारस्परिक लाभ । • इसे 11 दिसंबर 1957 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत, यूगोस्लाविया और स्वीडन द्वारा प्रस्तुत किया गया था।