पाबू प्रकाश के लेखक

  1. Rajasthan Ke Pramukh Lok Devta। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता
  2. राजस्थानी साहित्य Question
  3. पाबूजी महाराज की कथा
  4. [Solved] निम्नलिखित में से साहित्य और लेखक के बीच असंग�
  5. राजस्थान के प्रमुख लोक देवता (Major Folk Deities of Rajasthan)
  6. पाबू प्रकाश के काव्य का मूल्यांकन
  7. राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध
  8. भारतेन्दु युग
  9. [Solved] निम्नलिखित में से किसे मारवाड़ में सर्वप्रथम
  10. Rajasthan Ke Pramukh Lok Devta। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता


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Rajasthan Ke Pramukh Lok Devta। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता

• • • Rajasthan Ke Pramukh Lok Devta। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता नमस्कार दोस्तों , आज हमारी टीम Rajasthan Ke Pramukh Lok Devta। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता के ऊपर विश्तृत अध्याय लेकर आई है जिसके माध्यम से आप अपनी तयारी को बेहतर कर पाएंगे और Rajasthan Ke Pramukh Lok Devi Devta के नोट्स तैयार कर पाएंगे , ही पूरी उम्मीद है Rajasthan Ke Pramukh Lok Devta। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता अध्याय आपकी तैयारी में एक महत्वूर्ण कड़ी साबित होगा Rajasthan Ke Pramukh Lok Devta। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता • पिता :- धोंधल जी • माता :- • जन्म स्थान :- कोलुमण्ड (बाडमेर) • पत्नी :- फूलमदे / सुप्यार दे (अमरकोट के सूजन्नमल पोवा की राजकुमारी • घोडी – केसर कालमी (देवल नामक चालमा महिलामा गोही) • सहयोगी :- चाँदा तथा डामा (दोनो भील गाव . • मेला :- कोलुमण्ड में चैत्र अमावस्या को आयोजित किया जाता है। • देवल नामक चारण महिला की गायों की रक्षा के लिए अपने विवाह के दौरान तीन फेरों • के बाद उठकर आ गये तथा देषु में जींदराब खींची” (जायल) के खिलाफ लड़ते हुये मारे गये थे। ” • पाबूजी को लक्षमण का अवतार माना जाता है। • पाबूजी को ऊँट रक्षक देवता” कहा जाता है। • राईका/देवासी (ऊँट पालने वाली जाति) पाबूजी को अपना प्रमुख देवता मानते है. • पावजी को प्लेग रक्षक देवता” भी कहा जाता है। • पाबूजी ने गुजरात के 7 थोरी (जाति) भाइयों को शरण दी थी। • पाबूजी की फड सबसे लोकप्रिय फड है। भील जाति के भोपे (पुजारी) फड को गाते समय रावणहत्था वाद्य यंत्र बजाते है। • पाबूजी के वीरगाथा गीत पवाडे (भजन) माट वाद्य यंत्र द्वारा गाये जाते है। पाबूजी से सम्बन्धित पुस्तके : • पाबू प्रकाश :- आशिया मोडजी (इनके अनुसार पाबूजी का जन्म बाड़मेर जिले...

राजस्थानी साहित्य Question

प्रश्न 43‘वेलि क्रिसन रुकमणी री’ रा रचनाकार है - (अ) पृथ्वीराज राठौड़ (ब)संत विट्ठलदास (स)बारहठ ईसरदास (द)ठाकुर रामसिंह उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 44सूची-I व सूची-II को सुमेल करते हुए सही उत्तर लिखिए: सूची-I सूची-II A. गुण भाषा 1. केशवदास B. गुण रूपक 2. वीरभान C. राज रूपक 3. अभयसिंह D. सूरज प्रकाश 4. हेम कवि कोड़ : A B C D (अ)1 3 4 2 (ब)4 1 2 3 (स)2 4 1 3 (द)3 1 2 4 उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 45निम्न में से किस ग्रन्थ की रचना महाराणा कुम्भा ने नहीं की - (अ)संगीत राज (ब)संगीत रत्नाकर (स)संगीत मीमांसा (द)सूड प्रबन्ध उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 4619वीं शताब्दी के किस कवि को दरबारी चाटुकारिता से दूर रहकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ लिखने के लिए ‘लोक - कवि’ कहकर पुकारा जाता है - (अ)दयाल दास (ब)श्यामल दास (स)बांकीदास (द)शंकरदान सामोर उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 47निम्न में से कौन राजस्थानी काव्य ‘भरतेश्वर बाहुबली घोर’ के रचयिता हैं - (अ)चन्दबरदाई (ब)शिवदास (स)कृपाराम (द)वज्रसेन सूरी उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 48कविराजा बांकीदास किस शासक द्वारा संरक्षित राजकवि थे - (अ)बीकानेर के सुजान सिंह (ब)जोधपुर के मानसिंह (स)उदयपुर के भीमसिंह (द)जयपुर के माधोसिंह उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 49‘रणमल्ल छन्द’ के रचयिता हैं - (अ)नरपति नाल्ह (ब)श्रीधर व्यास (स)पद्मनाभ (द)सुन्दरदास उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 50‘हरि पिंगल प्रबन्ध’ नामक जीवनचरित्र विषयक और छन्दः शास्त्र पर आधारित काव्य के लेखक कौन हैं - (अ)जोगीदास कुंवारिया (ब)ईसर दान (स)कल्याणदास भाट (द)भाव भट्ट उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 51निम्नलिखित में से कौनसा युग्म सही सुमेलित नहीं है - (अ)हम्मीर रासो - जोधराज (ब)बीसलदेव रासो - नरपति नाल्ह (स)खुमाण रासो - जयानक (द)सगत...

पाबूजी महाराज की कथा

पाबुजी महाराज के बारें में (pabuji story in hindi) : पाबूजी राजस्थान के लोक-देवता हैं। आपको बता दे की वह 14वीं शताब्दी में राजस्थान में जन्मे थे। पाबु जी को प्लेग रक्षक देवता के रूप में पुजा जाता है। आप यह भी ध्यान रखे की राजस्थान में ऊँटो के बीमार होने तथा ऊँटो के देवता के रूप में पाबु जी की पुजा होती है। पाबूजी राठौड़ का जन्म जोधपुर ज़िले में फलोदी के पास कोलू नामक गाँव में हुआ था। पाबूजी के पिता का नाम धाँधल राठौड़ था। पाबूजी राठौड़ का विवाह अमरकोट के निवासी सोढ़ा राणा सूरजमल की बेटी के साथ हुआ था। वे अपने समय में लोगों के लिए विरता के मिसाल थे, जिनसे दुश्मन भी थरथरते थे। आज हम ऐसे ही एक महान वीर पाबूजी राठौड़ के इतिहास के बारे में जानेंगे, जिनकी वीरता की कहानी सुनकर आप भी उनसे प्रेरित हो जाएंगे। पाबूजी राठौड़ फोटो (Pabuji photo) : पाबूजी महाराज की कथा : यह कथा देवल नामक एक चारणी के साथ शुरू होती है जो मारवाड़ के इलाके में गायें पालती और चराती थी। कथा में देवल को अद्वितीय सुंदरी और शक्ति का अवतार माना गया है। देवल के पास काले रंग की एक घोड़ी है जिसका नाम कालिमी (या केसर कालमी) है। जयाल के सामंत जींद राव को कालिमी घोड़ी पसंद आ जाती है वह उसे प्राप्त करने का प्रयास करता है। और सुरक्षा के लिए देवल कोलूगढ़ के सामंत के यहाँ चली आती है जो उसे अपनी पुत्री की तरह शरण देते हैं साथ ही उसकी गायों की रक्षा करने का वचन भी देते हैं। इसी दौरान जींद राव देवल की गायें हँका ले जाता है। देवल अपनी कालिमी घोड़ी पाबूजी को दे देती है और पाबूजी अपने आदमियों के साथ देवल की गायों को छुड़ाने जाते हैं। युद्ध में पाबूजी की मृत्यु हो जाती है। पाबूजी का मेला कब लगता है ? बात करें पाबूजी के मेले की तो...

[Solved] निम्नलिखित में से साहित्य और लेखक के बीच असंग�

सही उत्तर राज वल्लभ - महाराणा कुम्भा है। Key Points • अमरसार • यह पंडित जीवाधर द्वारा रचित पुस्तक है। • इसमें उन्होंने महाराणा प्रताप और महाराणा अमर सिंह के इतिहास की जानकारी दी है। • राजवल्लभ • इसे मंडन लिखते हैं। • यह 15वीं सदी के सैन्य संगठन, वास्तुकला और मेवाड़ के बारे में जानकारी प्रदान करता है। • पाबू प्रकाश • इसे मोदजी आशिया कृत द्वारा लिखा गया है। • पाबू राजस्थान के लोकदेवता हैं। • पुस्तक में पाबूजी के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक वर्णन को दर्शाया गया है। • राज प्रकाश • ​इसे राज प्रकाश लिखते हैं। • इस ग्रंथ में महाराणा राज सिंह द्वारा टीके की दौड़ के बहाने मुगल क्षेत्रों को लूटने का वर्णन है। • यह ग्रंथ हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप की विजय के बारे में बताता है।

राजस्थान के प्रमुख लोक देवता (Major Folk Deities of Rajasthan)

राजस्थान के प्रमुख लोक देवता (Major Folk Deities of Rajasthan)- • 1. रामदेव जी (Ramdev Ji) • 2. गोगाजी (Gogaji) • 3. पाबूजी (PabuJi) • 4. मेहाजी मांगलिया (Mehaji Mangalia) • 5. हडबू जी सांखला (Hadbu Ji Sankhala) • 6. तेजाजी (Tejaji) • 7. देवनारायण जी (Devnarayan Ji) • 8. मल्लीनाथ जी (Mallinath Ji) • 9. तल्लीनाथ जी (Tallinath Ji) • 10. बिग्गा जी या वीर बग्गाजी (Bigga Ji) • 11. हरिराम जी (Hariram Ji) • 12. केसरिया कुंवर जी (Kesariya Kunwar Ji) • 13. झरड़ा जी (Jharda Ji) • 14. जुंझार जी (Junjhar Ji) • 15. मामादेव (Mamadev) • 16. आलम जी (Alam Ji) • 17. खेतला जी (Khetla Ji) • 18. डूंगजी-जवाहर जी (Doong Ji-Jawahar Ji) • 19. वीर फत्ता जी (Veer Fatta Ji) • 20. देव बाबा (Dev Baba) • 21. कल्ला जी राठौड़ (Kallaji Rathore) • 22. खेतरपाल जी या क्षेत्रपला जी (Khetarpal Ji) • 23. भूरिया बाबा (Bhuriya Baba) • 24. भोमिया बाबा (Bhomia Baba) • 25. हरिमन बाबा (Hariman Baba) • 26. ओम बन्ना जी (Om Banna Ji) • 27. दशरथ मेघवाल जी (Dashrath Meghwal Ji) • 28. फत्ता जी (Fatta Ji) • 29. पनराज जी (Panraj Ji) • 30. पत्तर जी (Pattar Ji) • 31. ईलोजी (Eulogy) निम्नलिखित 5 लोक देवताओं को पंच पीर कहते हैं।- • 1. रामदेव जी (Ramdev Ji) • 2. गोगाजी (Gogaji) • 3. पाबूजी (PabuJi) • 4. मेहाजी मांगलिया (Mehaji Mangalia) • 5. हडबू जी सांखला (Hadbu Ji Sankhala) • उपर्युक्त 5 लोक देवताओं को हिन्दू तथा मूस्लिम दोनों धर्मों के लोग पूजते हैं या मानते हैं। 1. रामदेव जी (Ramdev Ji)- • पूरा नाम- रामदेव जी तंवर • जन्म स्थान- उण्डू काश्मीर, बाड़मेर जिला, राजस्थान • जन्म दिन- 1409 ई. • पिता- अजमल जी तंवर या अजमाल जी • अजमाल ज...

पाबू प्रकाश के काव्य का मूल्यांकन

पाबू प्रकाश एक प्रबन्ध काव्य है जिसमें समसामयिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों के साथ पाबू का सम्पूर्ण चरित्र वर्णित है। हम उसे एक महाकाव्य की संज्ञा भली भांति दे सकते हैं। महाकाव्य के परम्परागत शास्त्रीय लक्षणों के अनुसार उसमें उद्दात चरित्र का जीवन वृत, वीर श्रंगार और भक्ति रसों में से किसी एक की प्रधानता, प्रकृति चित्रण, चरित्र चित्रण और अन्य सामाजिक मान्यताओं का विस्तार, उस समय की संस्कृति का चित्रण, आठ सर्गों से अधिक सर्गों में ग्रन्थ का विभाजन, विभिन्न छंदों का प्रयोग, तथा धर्म अर्थ काम मोक्ष इन चारों में से किसी एक की लक्ष्यभूत उपलब्धि ये प्रमुख तत्व माने गए हैं। पाबू प्रकाश में ये सभी तत्व किसी न किसी रूप में विद्यमान हैं। पाबू प्रकाश की कथा वस्तु पाबू प्रकास की कथा लोकदेवता पाबूजी की जीवनी पर आधारित है। इसमें उनके पूर्वजों का वर्णन है। पाबू को एक अलौकिक पुरुष बताने की दृष्टि से उसके पिता धांधल के घर एक अप्सरा की कोख से पाबू का जन्म बताया गया है। बचपन से ही उसकी विलक्षण बाल सुलभ प्रवृत्तियों को दर्शाया गया है और एक वीर के अच्छे गुणों को भी उसके चरित्र में प्रतिष्ठापित किया गया है। उस काल के वीरों का एक विलक्षण गुण अश्वारोहण था और वे लोग घोड़ों के बड़े शौकीन होते थे, पाबू की नजर में देवलदे चारणी की घोड़ी कालवी चढ़ गई और उसने उसे प्राप्त करने के लिए उससे प्रार्थना की। चारणी को वह घोड़ी बहुत प्रिय थी और कई वीर उसे मांग चुके थे, यहां तक कि पाबू का बड़ा भाई बूड़ा भी उसे मांग चुका था पर देवल ने वह घोड़ी उसे भी नहीं दी थी। पाबू की विलक्षण वृत्ति को देखकर उसने उसे वह घोड़ी इस शर्त पर दी कि वह घोड़ी उसकी गायों की रक्षा करती है और जब कभी उस पर ऐसी विपत्ति आये तो पाबू उस...

राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध

Table of Contents • • राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – Essay On The Major Folk Deities Of Rajasthan संकेत बिन्दु– • लोक देवता का आशय • प्रमुख लोक देवताओं का संक्षिप्त परिचय • लोक देवताओं के जनहितकारी कार्य • लोक देवता और लोक आस्था • उपसंहार। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – Raajasthaan Ke Pramukh Lok Devata Par Nibandh लोक देवता का आशय– लोक देवता/देवी से तात्पर्य ऐसे महापुरुषों/महान स्त्रियों से है, जो मानव रूप में जन्म लेकर अपने असाधारण व लोकोपकारी कार्यों के कारण दैवीय अंश के रूप में स्थानीय जनता द्वारा स्वीकारे गए हैं। इनके जन्मस्थल अथवा समाधि पर मेले लगते हैं। प्रमुख लोक देवताओं का संक्षिप्त परिचय- एवं उनके जनहितकारी कार्य राजस्थान में लोक देवताओं की एक लंबी परम्परा रही है। क्षेत्र विशेष के अपने–अपने लोक देवता हैं तथा कुछ सर्वमान्य लोक देवता भी हैं, जो राजस्थान की सीमाओं से भी बाहर के लोगों की आस्था का केन्द्र बने हुए हैं। कुछ प्रमुख लोक देवताओं का संक्षिप्त परिचय एवं उनके जनहितकारी कार्य इस प्रकार हैं। (i) गोगाजी–इनका जन्म 1003 ई. में चूरू जिले के ददरेवा नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम जेवरसिंह तथा माता का नाम बाछल था। ये चौहान राजपूत थे। गोगाजी को जाहरपीर व साँपों का देवता भी कहा जाता है। इनकी स्मृति में भाद्रपद कृष्ण नवमी (गोगानवमी) को गोगामेड़ी (हनुमानगढ़) में मेला लगता है। गोगाजी का प्रतीक घोड़ा है। गोगामेंडी (हनुमानगढ़) व ददरेवा (चूरू) प्रमुख स्थल हैं। जहाँ गोरख टीला है, वहीं नाथ संप्रदाय का विशाल मन्दिर भी स्थित है। गोगाजी ने गौ–रक्षा एवं मुस्...

भारतेन्दु युग

मुख्य लेख: बहुमुखी प्रतिभा के धनी भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने प्रभूत साहित्य रचा एवं अनेक साहित्यकारों को अपनी प्रतिभा से प्रभावित एवं प्रेरित किया। इन लेखकों में भारतेन्दु युग के नाम से अभिहित किया जाता है। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (1850-1885), भारतेन्दुयुगीन कविता की मुख्य विशेषताएँ [ ] इस युग की अधिकांश कविता वस्तुनिष्ठ एवम् वर्णनात्मक है। छंद, भाषा एवम् अभिव्यंजना पद्धति में प्राचीनता अधिक है, नवीनता कम। खड़ी बोली का आन्दोलन प्रारम्भ हो चुका था किन्तु कविता के क्षेत्र में ब्रज ही सर्वमान्य भाषा रही। भारतेन्दुयुगीन कविता की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- • देश-भक्ति और राष्ट्रीय-भावना: इस काल की कविता की मुख्य प्रवृति देशभक्ति की है। करहु आज सों राज आप केवल भारत हित, केवल भारत के हित साधन में दीजे चित। (प्रेमघन) इस युग के कवि देश की दयनीय दशा से उत्पन्न क्षोभ के कारण ईश्वर से प्राथना करते हैं- कहाँ करुणानिधि केशव सोए? जानत नाहिं अनेक जतन करि भारतवासी रोए। (भारतेन्दु) तो कहीं-कहीं उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्यवादी नीति के प्रति असंतोष व्यक्त करते हुए स्वतंत्रता का महत्व बताया है- सब तजि गहौ स्वतंत्रता, नहिं चुप लातै खाव। राजा करै सो न्याव है, पाँसा परे सो दाँव।। • जनवादी विचारधारा: भारतेन्दुयुगीन कविता की दूसरी प्रमुख विशेषता है- जनवादी विचारधारा। डॉ. निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। भारतेन्दु मेम-मेहरानी के बारे में कहते हैं- का भवा, आवा है ए राम जमाना कैसा। कैसी महरारू है ई, हाय जमाना कैसा। भारतेन्दु युगीन कविता में साम्प्रत समाज की दशा का, विदेशी सभ्यता के संकट का, पुराने रोजगार के बहिष्कार का स्वर दिखाई देता है। इस युग में दो विचार-धाराएँ दिखाई देती हैं- 1.पुराणवादी प...

[Solved] निम्नलिखित में से किसे मारवाड़ में सर्वप्रथम

सही उत्तर पाबू जी है । Key Points • मारवाड़ में सबसे पहले ऊँट लाने का श्रेय पाबूजी को ही जाता है । • पाबूजी को लोक-देवता के रूप में पूजा जाता है। • पाबूजी की फड़ राज्य में सबसे लोकप्रिय फड़ है। • पाबूजी की जीवनी "पाबू प्रकाश" की रचना अंशिया मोद जी ने की है। • उनकी घोड़ी का नाम केसर कलमी है। • कुल्लू गाँव में चैत्र अमावस्या को पाबूजी का मेला भरता है। • पाबूजी की फड़ का पाठ करते समय "रावणहत्था" नामक वाद्य यंत्र का उपयोग किया जाता है। • वह 14वीं शताब्दी (16वीं शताब्दी का भी उल्लेख है) में राजस्थान के कुल्लू नामक एक सुदूर गाँव में रहते थे। Additional Information • देवनारायण राजस्थान, भारत के एक लोक देवता है। • आशिंद (भीलवाड़ा) में पैदा हुए थे। • उनका विवाह राजा जय सिंह (मध्य प्रदेश में धार के शासक) की बेटी पिपलदेसे हुआ था। • गुर्जर जाति के देवता हैं। • गुर्जर जाति का मुख्य व्यवसाय पशुपालन है। • देवनारायण जी को विष्णु का अवतार माना जाता है। • मुख्य मेला भाद्र शुक्ल सप्तमी को भरता है। • देवनारायण के घोड़े का नाम लीलागर था। • वीर तेजा या तेजाजी एक राजस्थानी लोक देवता है। • उनका जन्म जाट वंश में हुआ था। • जन्म स्थान खरनाल (नागौर) है। • तेजाजी का विवाह पनेर नरेश रामचंद की बेटी पामल देसे हुआ था। • उनका कार्य क्षेत्र हाड़ौती क्षेत्र रहा है। • तेजाजी अजमेर क्षेत्र में लोकप्रिय है। • उन्हें जाटों का देवता कहा जाता है। • गोगाजी: • जन्म स्थान - दादरेवा (जेवरग्राम) राजगढ़ तहसील (चुरू)। • समाधि - गोगामेड़ी, नोहर तहसील (हनुमानगढ़)। • उपनाम - साँपों के देवता, जहरपीर (यह नाम महमूद गजनवी ने दिया था)। • उनकी वंशावली, चौहान वंश था। • गोगा जी ने महमूद गजनवी से युद्ध किया था। • प्रमुख स्थान:- नोहर...

Rajasthan Ke Pramukh Lok Devta। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता

• • • Rajasthan Ke Pramukh Lok Devta। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता नमस्कार दोस्तों , आज हमारी टीम Rajasthan Ke Pramukh Lok Devta। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता के ऊपर विश्तृत अध्याय लेकर आई है जिसके माध्यम से आप अपनी तयारी को बेहतर कर पाएंगे और Rajasthan Ke Pramukh Lok Devi Devta के नोट्स तैयार कर पाएंगे , ही पूरी उम्मीद है Rajasthan Ke Pramukh Lok Devta। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता अध्याय आपकी तैयारी में एक महत्वूर्ण कड़ी साबित होगा Rajasthan Ke Pramukh Lok Devta। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता • पिता :- धोंधल जी • माता :- • जन्म स्थान :- कोलुमण्ड (बाडमेर) • पत्नी :- फूलमदे / सुप्यार दे (अमरकोट के सूजन्नमल पोवा की राजकुमारी • घोडी – केसर कालमी (देवल नामक चालमा महिलामा गोही) • सहयोगी :- चाँदा तथा डामा (दोनो भील गाव . • मेला :- कोलुमण्ड में चैत्र अमावस्या को आयोजित किया जाता है। • देवल नामक चारण महिला की गायों की रक्षा के लिए अपने विवाह के दौरान तीन फेरों • के बाद उठकर आ गये तथा देषु में जींदराब खींची” (जायल) के खिलाफ लड़ते हुये मारे गये थे। ” • पाबूजी को लक्षमण का अवतार माना जाता है। • पाबूजी को ऊँट रक्षक देवता” कहा जाता है। • राईका/देवासी (ऊँट पालने वाली जाति) पाबूजी को अपना प्रमुख देवता मानते है. • पावजी को प्लेग रक्षक देवता” भी कहा जाता है। • पाबूजी ने गुजरात के 7 थोरी (जाति) भाइयों को शरण दी थी। • पाबूजी की फड सबसे लोकप्रिय फड है। भील जाति के भोपे (पुजारी) फड को गाते समय रावणहत्था वाद्य यंत्र बजाते है। • पाबूजी के वीरगाथा गीत पवाडे (भजन) माट वाद्य यंत्र द्वारा गाये जाते है। पाबूजी से सम्बन्धित पुस्तके : • पाबू प्रकाश :- आशिया मोडजी (इनके अनुसार पाबूजी का जन्म बाड़मेर जिले...