Padmawati पद्मावती फिल्म

  1. हां, भंसाली की पद्मावती से हमें गुस्सा आया है, हमारी भावना आहत हुई है
  2. पद्मावत (फ़िल्म)
  3. महारानी नहीं, फिल्म ‘पद्मावती’ तुम्हारा क्या होगा?,blog: What Will Happen To Movie Padmavati?
  4. Padmavati History in Hindi
  5. Padmaavat
  6. राजस्थान सहित पंजाब और मध्यप्रदेश में पद‌्मावती फिल्म बैन
  7. Padmavati History in Hindi
  8. महारानी नहीं, फिल्म ‘पद्मावती’ तुम्हारा क्या होगा?,blog: What Will Happen To Movie Padmavati?
  9. हां, भंसाली की पद्मावती से हमें गुस्सा आया है, हमारी भावना आहत हुई है
  10. राजस्थान सहित पंजाब और मध्यप्रदेश में पद‌्मावती फिल्म बैन


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हां, भंसाली की पद्मावती से हमें गुस्सा आया है, हमारी भावना आहत हुई है

नागरिकता के लिहाज से हम हिन्दुस्तानी हैं. हममें कुछ हो या न हो मगर हममें, हमारे मन में, हमारे विचारों में भावना की अधिकता और उसका वास बड़ी गहराई तक है. अक्सर देखा गया है कि अभी बात पूरी भी नहीं होती कि उसे सुनने मात्र से ही प्रायः खुश रहने वाली हमारी भावना आहत हो जाती है और उदास होकर कहीं किनारे बैठ जाती है. मौजूदा वक़्त में ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि अब वो दौर आ चुका है जब अमूमन शांत रहने वाली हमारी भावना आहत, बहुत आहत है. फिलहाल भावना के आहत या कहें कि बहुत ज्‍यादा आहत होने का कारण निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली की आने वाली फिल्म पद्मावती है. भंसाली, पद्मावती को हिस्टॉरिकल फिक्शन बता रहे हैं जबकि जो लोग फिल्म के विरोध में हैं, उनका तर्क है कि इसमें एक ऐसी घटना को प्रेम कहानी बनाया गया है जो इतिहास में एक काला अध्याय है. और जिसने सिर्फ और सिर्फ हमारी भारतीय संस्कृति का भक्षण किया है. रानी पद्मावती हमारी संस्कृति से जुड़ी हैं, और संस्कृति के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा सच और झूठ के बीच एक बड़ी बारीक रेखा रहती है. हो सकता है कि जो चीजें पहले व्यक्ति के लिए सत्य हो वो दूसरे के लिए झूठ हों या फिर दूसरे का सच पहले को झूठ लगे. बातें बहुत सी हैं और इन बहुत सी बातों के बीच ये केवल हमारा विवेक होता है जो हमें सही और गलत के बीच अंतर करना या फिर उसका विरोध करना बताता है. यदि भंसाली अपनी फिल्म को मनोरंजन का नाम देकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बता रहे हैं तो वो गलत हैं और जो लोग उनका विरोध कर रहे हैं वो सही हैं. जी हां बिल्कुल सही सुना आपने. हम भंसाली और पद्मावती के विरोध में और उन लोगों के समर्थन में हैं जिन्हें ये फिल्म भारतीय संस्कृति के साथ एक मजाक लग रही है. आप ये बिल्कु...

पद्मावत (फ़िल्म)

अनुक्रम • 1 कथानाक • 2 पात्र • 3 निर्माण • 4 संगीत • 5 फ़िल्म पर विवाद एवं विरोध-प्रदर्शन • 6 सन्दर्भ • 7 बाहरी कड़ियाँ कथानाक [ ] १३वीं सदी में अफगानिस्तान में, दिल्ली के सिंहासन को जब्त करने के लिए खिलजी वंश के जलालुद्दीन खिलजी ( जलालुद्दीन दिल्ली के सिंहासन पर कब्ज़ा कर लेता है, और अलाउद्दीन को कारा सूबे का अधिकारी बना देता है। दिल्ली में मंगोल आक्रमण के समय अलाउद्दीन उनसे लड़ने जाता है, परन्तु साथ साथ वह देवगिरी पर भी आक्रमण कर देता है। राज्य पर कब्ज़ा कर लेने की अलाउद्दीन की महत्वाकांक्षाओं का अपता जब जलालुद्दीन को चलता है, तो वह उससे मिलने कारा के लिए निकल जाता है। अलाउद्दीन देवगिरी की राजकुमारी का अपहरण कर लेता है, और उसे अपने हरम में रख लेता है। जलालुद्दीन कारा पहुंचकर अलाउद्दीन को मलिक कफूर नामक एक गुलाम उपहार स्वरुप देता है, परन्तु अलाउद्दीन जलालुद्दीन और उसके पहरेदारों की हत्या कर खुद को दिल्ली का सुल्तान घोषित कर देता है। पद्मावती रतन सिंह के साथ मेवाड़ आ जाती हैं, लेकिन रतन की पहली पत्नी पद्मावती से ईर्ष्या करने लगती है। रतन और पद्मावती जब अंतरंग हो रहे होते हैं तो उनके शाही पुजारी, राघव चेतन को उन्हें देखते हुए पकड़ा जाता है, और इसके फलस्वरूप उसे राज्य से निकाल दिया जाता है। चेतन आवेश में आकर दिल्ली चला जाता है, और पद्मावती की सुंदरता के बारे में खिलजी को सूचित करता है। अलाउद्दीन राजपूतों को दिल्ली आमंत्रित करता है, और उनकी अस्वीकृति के बारे में जानने के बाद चित्तौड़ पर हमला करने का आदेश दे देता है। चित्तौड़ पर कब्जा करने के कई असफल प्रयासों के बाद, खिलजी शांति का आह्वान करता है और मित्र के तौर पर चित्तौड़ में प्रवेश करता है, जहां उसकी मुलाकात रतन से होती है।...

महारानी नहीं, फिल्म ‘पद्मावती’ तुम्हारा क्या होगा?,blog: What Will Happen To Movie Padmavati?

संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' सीबीएफसी (सेंसर बोर्ड) के सामने जाने से पहले ही अगर उपद्रवियों को दिखाए जाने के संकेत मिलने लगें तो समझ लीजिए कि वर्तमान समय में रचनात्मक स्वतंत्रता की बात एक नैतिक लफ्फाजी के सिवा कुछ नहीं है. जब फिल्म की रिलीज़ पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से मना कर दिया है, तो फिल्मकार की इस मजबूरी का कोई दूसरा अर्थ कैसे लगाया जा सकता है? फिल्म का विरोध प्रत्यक्ष रूप से तो राजपूत समाज कर रहा है पर इसे भाजपा की अगुवाई में हिन्दुत्ववादी ताकतों का पूरा-पूरा समर्थन हासिल है और यही इस विरोध की ताकत भी है. रोज़ हिंसा की ख़बरों से लेकर फिल्म के विरोध में उग्र बयानबाजी हो रही है लेकिन केंद्र सरकार कान में तेल डाले बैठी है. मारने-काटने की धमकी देने वाली करणी सेना या अन्य क्षत्रिय गुटों के मुंह पर ताला लगाने की कोई कोशिश नहीं हो रही. क्यों हो रहा है फिल्म का विरोध? एक अर्ध-ऐतिहासिक कथा पर बनाई गई फिल्म 'पद्मावती' बनने से पूर्व ही इन तत्वों के निशाने पर थी. जयपुर में फिल्म की शूटिंग बाधित की गई, भंसाली के साथ मार-पीट की गई. फिल्मकार को राजस्थान में शूटिंग बंद कर कोल्हापुर में सेट लगाकर शूटिंग करनी पड़ी. वहां सेट ही जला दिया गया. विरोध का कारण यह आशंका है कि फिल्म में आक्रांता अलाउद्दीन खिलजी और महारानी पद्मावती के किरदार में 'ड्रीम सीक्वेंस' में ही सही पर प्रेम प्रसंग जरूर दर्शाया गया होगा. संजय लीला भंसाली ने इससे कई बार इनकार किया है. उन्होंने सफाई देने की कोशिश की है कि फिल्म बनाते समय उन्होंने राजपूत समाज के गौरव का ख्याल रखा है, पर विरोधी अड़े हुए हैं क्योंकि उन्हें सॉलिड वोट बैंक बनना है. राजनीतिक मलाई में अपना दीर्घकालीन हिस्सा तय करना है. उन्हें पद्मावती के...

Padmavati History in Hindi

भारतीय इतिहास के पन्नों में अत्यंत सुंदर और साहसी रानी “रानी पद्मावती” का उल्लेख है। रानी पद्मावती को रानी पद्मिनी के नाम से भी जाना जाता है। रानी पद्मावती के पिता सिंघल प्रांत (श्रीलंका) के राजा थे। उनका नाम गंधर्वसेन था। और उनकी माता का नाम चंपावती था। पद्मावती बाल्य काल से ही दिखने में अत्यंत सुंदर और आकर्षक थीं। पद्मिनी जब बड़ी हुई तो उसकी बुद्धिमानी के साथ ही उसके सौन्दर्य की चर्चे चारों तरफ होने लगे | पद्मावती का लम्बा इकहरा शरीर ,झील सी गहरी आंखें और परियों सा सुंदर रंग रूप सभी का ध्यान आकर्षित कर लेता था। उनके माता-पिता ने उन्हे बड़े लाड़-प्यार से बड़ा किया था। कहा जाता है बचपन में पद्मावती के पास एक बोलने वाला तोता था जिसका नाम हीरामणि था। रानी पद्मावती/ एक कवि की कल्पना पद्मावती को 13 वीं -14 वीं सदी की महान भारतीय रानी के रूप में जाना जाता हैं। रानी पद्मावती के जीवन का उल्लेख करने वाला सबसे पहला स्रोत 16 वीं शताब्दी के सूफी-कवि मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा लिखित “पद्मावत” नामक एक महाकाव्य को माना जाता है। यह महाकाव्य 1540 ई. में अवधी भाषा में लिखा गया था। हालांकि इसका कोई सबूत नहीं है की पद्मावती अस्तित्व में है और अधिकांश आधुनिक इतिहासकारों ने 13 वीं सदी की रानी पद्मावती के अस्तित्व को खारिज कर दिया है। रानी पद्मावती विवाह उनके पिता रानी पद्मावती के प्रति काफी सुरक्षात्मक थे, जिसके चलते उन्हें पद्मावती का किसी और से बात करना पसंद नहीं था। जिसके कारण रानी पद्मावती का लगाव एक तोते (हीरामणी) से हो गया था। जब उनके पिता को तोता (हीरमणी) व पद्मावती के घनिष्ठ संबंधों के बारे में पता चला तो, उनके पिता ने तोते को मारने का आदेश दे दिया। हालांकि, वह तोता अपनी जान बचाकर वहाँ से उ...

Padmaavat

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राजस्थान सहित पंजाब और मध्यप्रदेश में पद‌्मावती फिल्म बैन

- इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश से हुई। शिवराज के ऐलान के कुछ देर बाद पंजाब की कांग्रेेस सरकार ने भी फिल्म पर बैन का ऐलान किया। - मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि किसी को भी इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का हक नहीं है। जो फिल्म इतिहास से छेड़छाड़ करती है उसे राज्य में रिलीज नहीं होने दिया जाएगा। -उन्होंने कहा, ‘ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ किसी को स्वीकार नहीं है, और जो इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं वो ठीक ही कर रहे हैं।’ - राजस्थान की भाजपा सरकार ने भी प्रदेश में फिल्म का प्रदर्शन नहीं करने की बात कह दी। - इधर, सुप्रीमकोर्ट ने विवादाें में घिरी फिल्म ‘पद्मावती’ के मामले में दखल देने से इनकार करदिया है। भंसाली, दीपिका का सिर काटने पर इनाम का ऐलान करने वाले सूरजपाल को बीजेपी का नोटिस - बीजेपी ने हरियाणा बीजेपी के चीफ मीडिया को-ऑर्डिनेटर कुंवर सूरजपाल अम्मू को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अमु ने

Padmavati History in Hindi

भारतीय इतिहास के पन्नों में अत्यंत सुंदर और साहसी रानी “रानी पद्मावती” का उल्लेख है। रानी पद्मावती को रानी पद्मिनी के नाम से भी जाना जाता है। रानी पद्मावती के पिता सिंघल प्रांत (श्रीलंका) के राजा थे। उनका नाम गंधर्वसेन था। और उनकी माता का नाम चंपावती था। पद्मावती बाल्य काल से ही दिखने में अत्यंत सुंदर और आकर्षक थीं। पद्मिनी जब बड़ी हुई तो उसकी बुद्धिमानी के साथ ही उसके सौन्दर्य की चर्चे चारों तरफ होने लगे | पद्मावती का लम्बा इकहरा शरीर ,झील सी गहरी आंखें और परियों सा सुंदर रंग रूप सभी का ध्यान आकर्षित कर लेता था। उनके माता-पिता ने उन्हे बड़े लाड़-प्यार से बड़ा किया था। कहा जाता है बचपन में पद्मावती के पास एक बोलने वाला तोता था जिसका नाम हीरामणि था। रानी पद्मावती/ एक कवि की कल्पना पद्मावती को 13 वीं -14 वीं सदी की महान भारतीय रानी के रूप में जाना जाता हैं। रानी पद्मावती के जीवन का उल्लेख करने वाला सबसे पहला स्रोत 16 वीं शताब्दी के सूफी-कवि मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा लिखित “पद्मावत” नामक एक महाकाव्य को माना जाता है। यह महाकाव्य 1540 ई. में अवधी भाषा में लिखा गया था। हालांकि इसका कोई सबूत नहीं है की पद्मावती अस्तित्व में है और अधिकांश आधुनिक इतिहासकारों ने 13 वीं सदी की रानी पद्मावती के अस्तित्व को खारिज कर दिया है। रानी पद्मावती विवाह उनके पिता रानी पद्मावती के प्रति काफी सुरक्षात्मक थे, जिसके चलते उन्हें पद्मावती का किसी और से बात करना पसंद नहीं था। जिसके कारण रानी पद्मावती का लगाव एक तोते (हीरामणी) से हो गया था। जब उनके पिता को तोता (हीरमणी) व पद्मावती के घनिष्ठ संबंधों के बारे में पता चला तो, उनके पिता ने तोते को मारने का आदेश दे दिया। हालांकि, वह तोता अपनी जान बचाकर वहाँ से उ...

महारानी नहीं, फिल्म ‘पद्मावती’ तुम्हारा क्या होगा?,blog: What Will Happen To Movie Padmavati?

संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' सीबीएफसी (सेंसर बोर्ड) के सामने जाने से पहले ही अगर उपद्रवियों को दिखाए जाने के संकेत मिलने लगें तो समझ लीजिए कि वर्तमान समय में रचनात्मक स्वतंत्रता की बात एक नैतिक लफ्फाजी के सिवा कुछ नहीं है. जब फिल्म की रिलीज़ पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से मना कर दिया है, तो फिल्मकार की इस मजबूरी का कोई दूसरा अर्थ कैसे लगाया जा सकता है? फिल्म का विरोध प्रत्यक्ष रूप से तो राजपूत समाज कर रहा है पर इसे भाजपा की अगुवाई में हिन्दुत्ववादी ताकतों का पूरा-पूरा समर्थन हासिल है और यही इस विरोध की ताकत भी है. रोज़ हिंसा की ख़बरों से लेकर फिल्म के विरोध में उग्र बयानबाजी हो रही है लेकिन केंद्र सरकार कान में तेल डाले बैठी है. मारने-काटने की धमकी देने वाली करणी सेना या अन्य क्षत्रिय गुटों के मुंह पर ताला लगाने की कोई कोशिश नहीं हो रही. क्यों हो रहा है फिल्म का विरोध? एक अर्ध-ऐतिहासिक कथा पर बनाई गई फिल्म 'पद्मावती' बनने से पूर्व ही इन तत्वों के निशाने पर थी. जयपुर में फिल्म की शूटिंग बाधित की गई, भंसाली के साथ मार-पीट की गई. फिल्मकार को राजस्थान में शूटिंग बंद कर कोल्हापुर में सेट लगाकर शूटिंग करनी पड़ी. वहां सेट ही जला दिया गया. विरोध का कारण यह आशंका है कि फिल्म में आक्रांता अलाउद्दीन खिलजी और महारानी पद्मावती के किरदार में 'ड्रीम सीक्वेंस' में ही सही पर प्रेम प्रसंग जरूर दर्शाया गया होगा. संजय लीला भंसाली ने इससे कई बार इनकार किया है. उन्होंने सफाई देने की कोशिश की है कि फिल्म बनाते समय उन्होंने राजपूत समाज के गौरव का ख्याल रखा है, पर विरोधी अड़े हुए हैं क्योंकि उन्हें सॉलिड वोट बैंक बनना है. राजनीतिक मलाई में अपना दीर्घकालीन हिस्सा तय करना है. उन्हें पद्मावती के...

हां, भंसाली की पद्मावती से हमें गुस्सा आया है, हमारी भावना आहत हुई है

नागरिकता के लिहाज से हम हिन्दुस्तानी हैं. हममें कुछ हो या न हो मगर हममें, हमारे मन में, हमारे विचारों में भावना की अधिकता और उसका वास बड़ी गहराई तक है. अक्सर देखा गया है कि अभी बात पूरी भी नहीं होती कि उसे सुनने मात्र से ही प्रायः खुश रहने वाली हमारी भावना आहत हो जाती है और उदास होकर कहीं किनारे बैठ जाती है. मौजूदा वक़्त में ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि अब वो दौर आ चुका है जब अमूमन शांत रहने वाली हमारी भावना आहत, बहुत आहत है. फिलहाल भावना के आहत या कहें कि बहुत ज्‍यादा आहत होने का कारण निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली की आने वाली फिल्म पद्मावती है. भंसाली, पद्मावती को हिस्टॉरिकल फिक्शन बता रहे हैं जबकि जो लोग फिल्म के विरोध में हैं, उनका तर्क है कि इसमें एक ऐसी घटना को प्रेम कहानी बनाया गया है जो इतिहास में एक काला अध्याय है. और जिसने सिर्फ और सिर्फ हमारी भारतीय संस्कृति का भक्षण किया है. रानी पद्मावती हमारी संस्कृति से जुड़ी हैं, और संस्कृति के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा सच और झूठ के बीच एक बड़ी बारीक रेखा रहती है. हो सकता है कि जो चीजें पहले व्यक्ति के लिए सत्य हो वो दूसरे के लिए झूठ हों या फिर दूसरे का सच पहले को झूठ लगे. बातें बहुत सी हैं और इन बहुत सी बातों के बीच ये केवल हमारा विवेक होता है जो हमें सही और गलत के बीच अंतर करना या फिर उसका विरोध करना बताता है. यदि भंसाली अपनी फिल्म को मनोरंजन का नाम देकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बता रहे हैं तो वो गलत हैं और जो लोग उनका विरोध कर रहे हैं वो सही हैं. जी हां बिल्कुल सही सुना आपने. हम भंसाली और पद्मावती के विरोध में और उन लोगों के समर्थन में हैं जिन्हें ये फिल्म भारतीय संस्कृति के साथ एक मजाक लग रही है. आप ये बिल्कु...

राजस्थान सहित पंजाब और मध्यप्रदेश में पद‌्मावती फिल्म बैन

- इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश से हुई। शिवराज के ऐलान के कुछ देर बाद पंजाब की कांग्रेेस सरकार ने भी फिल्म पर बैन का ऐलान किया। - मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि किसी को भी इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का हक नहीं है। जो फिल्म इतिहास से छेड़छाड़ करती है उसे राज्य में रिलीज नहीं होने दिया जाएगा। -उन्होंने कहा, ‘ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ किसी को स्वीकार नहीं है, और जो इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं वो ठीक ही कर रहे हैं।’ - राजस्थान की भाजपा सरकार ने भी प्रदेश में फिल्म का प्रदर्शन नहीं करने की बात कह दी। - इधर, सुप्रीमकोर्ट ने विवादाें में घिरी फिल्म ‘पद्मावती’ के मामले में दखल देने से इनकार करदिया है। भंसाली, दीपिका का सिर काटने पर इनाम का ऐलान करने वाले सूरजपाल को बीजेपी का नोटिस - बीजेपी ने हरियाणा बीजेपी के चीफ मीडिया को-ऑर्डिनेटर कुंवर सूरजपाल अम्मू को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अमु ने