Paramparagat rajnitik darshnik kaun hai

  1. परम्परागत ऊर्जा स्रोत की परिभाषा
  2. कबीर दास
  3. भारत घूमने की 20 सबसे सस्ती जगह
  4. ऊर्जा के परंपरागत स्रोत
  5. परंपरागत राजनीति शास्त्र किसे कहते हैं? » Paramparagat Raajneeti Shastra Kise Kehte Hain
  6. हरित क्रांति (harit kranti)
  7. राजस्थान की परंपरागत वर्षा
  8. राजनीतिक आधुनिकीकरण का अर्थ, परिभाषा, लक्षण/विशेषताएं
  9. वैदिक काल का इतिहास


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परम्परागत ऊर्जा स्रोत की परिभाषा

वर्तमान समय में भी उर्जा के परम्परागत स्रोत महत्वपूर्ण हैं, और इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता, तथापि ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्रोतों अथवा वैकल्पिक स्रोतों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इससे एक ओर जहां ऊर्जा की मांग एवं आपूर्ति के बीच का अन्तर कम हो जाएगा, वहीं दूसरी ओर पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों का संरक्षण होगा, पर्यावरण पर दबाव कम होगा, प्रदूषण नियंत्रित होगा, ऊर्जा लागत कम होगी और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सामाजिक जीवन स्तर में भी सुधार हो पाएगा। परंपरागत ऊर्जा के स्रोत : • जलावन • उपले • कोयला • पेट्रोलियम • प्राकृतिक गैस • बिजली गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोत : • सौर ऊर्जा • पवन ऊर्जा • ज्वारीय ऊर्जा • बायोगैस • परमाणु ऊर्जा

कबीर दास

कबीर दास की जीवनी भारत के महान संत और आध्यात्मिक कवि कबीर दास का जन्म वर्ष 1440 में और मृत्यु वर्ष 1518 में हुई थी। इस्लाम के अनुसार ‘कबीर’ का अर्थ महान होता है। कबीर पंथ एक विशाल धार्मिक समुदाय है जिन्होंने संत आसन संप्रदाय के उत्पन्न कर्ता के रुप में कबीर को बताया। कबीर पंथ के लोग को कबीर पंथी कहे जाते है जो पूरे उत्तर और मध्य भारत में फैले हुए है। संत कबीर के लिखे कुछ महान रचनाओं में बीजक, कबीर ग्रंथावली, अनुराग सागर, सखी ग्रंथ आदि है। ये स्पष्ट नहीं है कि उनके माता-पिता कौन थे लेकिन ऐसा सुना गया है कि उनकी परवरिश करने वाला कोई बेहद गरीब मुस्लिम बुनकर परिवार था। कबीर बेहद धार्मिक व्यक्ति थे और एक महान साधु बने। अपने प्रभावशाली परंपरा और संस्कृति से उन्हें विश्व प्रसिद्धि मिली। ऐसा माना जाता है कि अपने बचपन में उन्होंने अपनी सारी धार्मिक शिक्षा रामानंद नामक गुरु से ली। और एक दिन वो गुरु रामानंद के अच्छे शिष्य के रुप में जाने गये। उनके महान कार्यों को पढ़ने के लिये अध्येता और विद्यार्थी कबीर दास के घर में ठहरते है। इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि उनके असली माता-पिता कौन थे लेकिन ऐसा माना जाता है कि उनका लालन-पालन एक गरीब मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनको नीरु और नीमा (रखवाला) के द्वारा वाराणसी के एक छोटे नगर से पाया गया था। कबीर के माँ-बाप बेहद गरीब और अनपढ़ थे लेकिन उन्होंने कबीर को पूरे दिल से स्वीकार किया और खुद के व्यवसाय के बारे में शिक्षित किया। उन्होंने एक सामान्य गृहस्वामी और एक सूफी के संतुलित जीवन को जीया। कबीर दास का अध्यापन ये माना जाता है कि उन्होंने अपनी धार्मिक शिक्षा गुरु रामानंद से ली। शुरुआत में रामानंद कबीर दास को अपने शिष्य के रुप में लेने को तैयार नहीं...

भारत घूमने की 20 सबसे सस्ती जगह

3.7/5 - (13 votes) Low Budget Tourist Places In India In Hindi : भारत एक ऐसा देश है जहाँ घूमने के लिए बहुत सारे सस्ते स्थान हैं। बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो घूमने के लिए सस्ती जगहों पर जाना चाहते हैं, कॉलेज के छात्र हों या माध्यम वर्ग के लोग हमेशा एक कम बजट में यात्रा करना चाहते हैं। भारत में कई परिवार ऐसे होते हैं, जिनके पास घूमने के लिए ज्यादा पैसे नहीं होते इसलिए वो हमेशा सस्ती या कम बजट वाली जगहों पर घूमना पसंद करते हैं। आज इस आर्टिकल में हम आपको भारत की 20 सबसे सस्ती और आकर्षक जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ आप कम बजट में भी एक अच्छी यात्रा का आनंद ले सकते हैं। तो आइये जानते हैं भारत की 20 सबसे सस्ती घूमने की जगहों के बारे में – Table Content • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • 1. भारत घूमने की 20 सबसे सस्ती जगह- India Me Ghumne Ki Sabse Sasti Jagha In Hindi भारत दुनिया एक बहुत ही खूबसूरत देश हैं जो अपने सुंदर वातावरण, स्वादिष्ट भोजन और साहसिक गतिविधियों से हर साल दुनिया भर के लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस आर्टिकल में भारत की 20 खास जगहों की लिस्ट दी गई है जहां के लिए आप एक शानदार बजट यात्रा की योजना बना सकते हैं। 1.1 भारत घूमने की सबसे सस्ती और अच्छी जगह गोवा – Goa India Me Ghumne Ki Sabse Sasti Aur Acchi Jagha In Hindi जो भी लोग भारत की सबसे सस्ती जगहों के बारे में जानना चाहते हैं उनके लिए बता दें कि भारत में सभी का पसंदिदा पर्यटन स्थल गोवा है जो अपने समुद्र तटों, पुर्तगाली वास्तुकला, किलों, स्थानीय बाजारों, और ताड़ के पेड़ की चलते एक बहुत ही आकर्षक जगह है। अगर आप भारत में घूमने के लिए कोई सस्ती जगह तलाश रहे रहे हैं, तो आपको गोवा जरुर जान...

ऊर्जा के परंपरागत स्रोत

क्लास 10 भूगोल ऊर्जा संसाधन परंपरागत ऊर्जा के स्रोत: जलावन, उपले, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और बिजली। गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोत: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, बायोगैस और परमाणु ऊर्जा। जलावन और उपले: अनुमान के अनुसार ग्रामीण घरों की ऊर्जा की जरूरत का 70% भाग जलावन और उपलों से पूरा होता है। तेजी से घटते हुए जंगलों के कारण जलावन की लकड़ियाँ इस्तेमाल करना दिनों दिन मुश्किल होता जा रहा है। उपले बनाने से बेहतर होगा यदि गोबर का इस्तेमाल खाद बनाने में किया जाये। इसलिए उपलों के इस्तेमाल को भी कम करना जरूरी है। कोयला: अपनी वाणिज्यिक ऊर्जा जरूरतों के लिए भारत कोयले पर सबसे ज्यादा निर्भर है। संपीड़न की मात्रा, गहराई और समय के अनुसार कोयले के तीन प्रकार होते हैं जो निम्नलिखित हैं। लिग्नाइट: यह एक निम्न दर्जे का भूरा कोयला है। यह मुलायम होता है और इसमें अधिक नमी होती है। तमिल नाडु के नैवेली में लिग्नाइट के मुख्य भंडार हैं। इस प्रकार का कोयला बिजली के उत्पादन में इस्तेमाल होता है। बिटुमिनस कोयला: जो कोयला उच्च तापमान के कारण बना था और अधिक गहराई में दब गया था उसे बिटुमिनस कोयला कहते हैं। वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए यह सबसे लोकप्रिय कोयला माना जाता है। लोहा उद्योग के लिए बिटुमिनस कोयले को आदर्श माना जाता है। Share एंथ्रासाइट कोयला: यह सबसे अच्छे ग्रेड का और सख्त कोयला होता है। भारत में पाया जाने वाला कोयला दो मुख्य भूगर्भी युगों की चट्टानों की परतों में मिलता है। गोंडवाना कोयले का निर्माण बीस करोड़ साल पहले हुआ था। टरशियरी निक्षेप के कोयले का निर्माण लगभग साढ़े पाँच करोड़ साल पहले हुआ था। गोंडवाना कोयले के मुख्य स्रोत दामोदर घाटी में हैं। इस बेल्ट में झरिया, रानीगंज और बोकारो में...

परंपरागत राजनीति शास्त्र किसे कहते हैं? » Paramparagat Raajneeti Shastra Kise Kehte Hain

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। आपका सवाल है परंपरागत राजनीति शास्त्र किसे कहते हैं इसका जवाब है देखिए परंपरागत राजनीति शास्त्र का अर्थ होता है जो कि राजनीति की एक परंपरा होती है जो कि सदियों से चली आ रही है तो राजनीति की भी एक छात्र होती है उनकी भी कुछ नीतियां होती है जिन को मेंटेन करके आज तक चली चली जा रही है पीढ़ियों के बाद प्रिया जेनरेशन आफ जेनरेशन जो की राजनीति को एक नीति के अनुसार मानते हैं जानते हैं और शास्त्र के अनुसार भी कुछ नियम कानून होते हैं जिनको पालन करते हैं हमारे भारतीय समाज के अंदर तो उसी को भी कहा जाता है राजनीति परंपरागत राजनीतिक धन्यवाद aapka sawaal hai paramparagat raajneeti shastra kise kehte hain iska jawab hai dekhiye paramparagat raajneeti shastra ka arth hota hai jo ki raajneeti ki ek parampara hoti hai jo ki sadiyon se chali aa rahi hai toh raajneeti ki bhi ek chatra hoti hai unki bhi kuch nitiyan hoti hai jin ko maintain karke aaj tak chali chali ja rahi hai peedhiyon ke baad priya generation of generation jo ki raajneeti ko ek niti ke anusaar maante hain jante hain aur shastra ke anusaar bhi kuch niyam kanoon hote hain jinako palan karte hain hamare bharatiya samaj ke andar toh usi ko bhi kaha jata hai raajneeti paramparagat raajnitik dhanyavad आपका सवाल है परंपरागत राजनीति शास्त्र किसे कहते हैं इसका जवाब है देखिए परंपरागत राजनीति शा

हरित क्रांति (harit kranti)

हरित क्रांति क्या है? | harit kranti kya hain भारत में पहली हरित क्रांति (harit kranti) 1960 के दशक में प्रारंभ हुई जिसका उद्देश्य भारत के कृषि उत्पादन में वृद्धि करके भारत को खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना था। 1968 ई० में अमेरिका के 'विलियम गाउड' ने सर्वप्रथम हरित क्रांति (green revolution in hindi) का नाम दिया। यद्यपि यह सत्य है कि हरित क्रांति (green revolution in hindi) से सभी किसान पूरा लाभ नहीं ले पाए किंतु कमोबेश इससे सभी किसानों को परोक्ष अथवा अपरोक्ष रूप से लाभ हुआ है। इस अर्थ में यह एक बड़ा बदलाव रहा जिसने किसानों की आर्थिक हालात में सुधार किया एवं ग्रामीण विकास के लिए वृहद पैमाने पर कार्य किया। हरित क्रांति के जनक | harit kranti ke janak दुनिया में हरित क्रान्ति के जनक थे प्रो० नॉरमन बोरलॉग, जिन्हें इसके लिए नोबल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था। भारत में हरित क्रान्ति का आरम्भ 1960 के दशक में हुआ । भारत में डा० स्वामीनाथनको इसका जनक माना जाता है। भारत में हरित क्रांति कब चलाई गई - देश में हरित क्रांति दो चरणों में आयी - • पहला चरण1966-67ई० से1980-81ई०तक चला • दूसरा चरण1980-81ई० से1996-97ई०तक चला। हरित क्रांति (green revolution in hindi)के पहले चरण के अंतर्गत संकर जाति के बीजों के उपयोग एवं रासायनिक खाद आदि पर जोर रहा‌ जबकि दूसरे चरण में नवीन तकनीकों एवं भारी मशीनों के उपयोग पर बल दिया गया। पहले प्रगतिशील किसानों नेहरित क्रांतिअपनाया लेकिन बाद में लगभग सम्पूर्ण भारतवर्ष में इसका बोलबाला हो गया। दूसरे शब्दों में, हरित क्रांति (harit kranti)का भारत के सभी क्षेत्रों के सभी किसानों पर प्रभाव पड़ा। हरित क्रांति का क्या अर्थ है? | harit kranti ka arth हरित...

राजस्थान की परंपरागत वर्षा

Explanation : राजस्थान की परंपरागत वर्षा-जल संग्रहण तकनीक टांका है। राजस्थान में सिचाई के प्रमुख स्त्रोत कुएं, नलकूप, नहरें और तालाब हैं। कुल सिंचित क्षेत्र का लगभग 70 से 75 प्रतिशत भाग कुओं एवं नलकूपों द्वारा, लगभग 25 से 30 प्रतिशत भाग नहरों द्वारा 1 प्रतिशत भाग तालाबों द्वारा और शेष 1 प्रतिशत भाग अन्य साधनों द्वारा सिंचित है। कुओं और नलकूपों से सर्वाधिक सिंचाई जयपुर जिले में, नहरों द्वारा गंगानगर जिले में एवं तालाबों द्वारा भीलवाड़ा जिले में की जाती है। Explanation : राजस्थान के वर्तमान उपमुख्यमंत्री कोई नहीं है। वर्तमान की गहलोत सरकार में सचिन पायलट (Sachin Pilot) उपमुख्यमंत्री थे, जिन्होंने 17 दिसम्बर, 2018 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ही पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। लेकिन ज • राजस्थान में गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक जिला कौन सा है? Explanation : राजस्थान में पांच कृषि विश्वविद्यालय हैं-स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय (SKRAU) बीकानेर, महाराणा प्रताप कृषि व तकनीकी विश्वविद्यालय (MPUAT) उदयपुर, श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय (SKNAU) जयपुर, कृषि विश्वविद्या • राजस्थान में सबसे ज्यादा जीरा कौन से जिले में होता है?

राजनीतिक आधुनिकीकरण का अर्थ, परिभाषा, लक्षण/विशेषताएं

राजनीतिक आधुनिकीकरण की संकल्पना उस राजनीतिक परिवर्तन की स्थिति की ओर निर्देशित करती हैं जो विशेषकर आधुनिक काल में यूरोपीय देशों में और फिर हाल ही के वर्षों में विश्व के अन्य देशों में हुआ। राजनीतिक आधुनिकीकरण की अवधारणा का संबंध राजनीतिक व्यवस्था के संपूर्ण रूपांतरण से हैं। अर्थ की दृष्टि से राजनीतिक आधुनिकीकरण राजनीतिक विकास से व्यापक अवधारणा हैं। सामाजिक संचालन तथा तथा आर्थिक विकास के फलस्वरूप हुए राजनीतिक परिवर्तनों को सामान्यतः राजनीतिक आधुनिकीकरण कहा जाता हैं। इसको व्यापक अवधारणा मानने का मुख्य कारण इसका शहरीकरण, औद्योगिकरण, शैक्षाणिक तथा सहभागिता से आगे के परिवर्तनों से संबंधित होना हैं। डाॅ.एस.पी. वर्माआधुनिकीकरण को एक बहुपक्षीय प्रक्रिया मानते हैं। उनके अनुसार राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के कई आयाम हैं। अपनी पुस्तक (Modern Political Theory) में उन्होंने इस पर विस्तार से प्रकाश डाला हैं। उनके शब्दों में," आधुनिकीकरण एक व्यापक घटना है जो आर्थिक विकास के क्षेत्र में औद्योगिकरण, भौतिक प्रगति, राजनीतिक व्यवस्था की प्रगति एवं सारतत्व से सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक जीवन के क्षेत्र में मूलभूत परिवर्तन लाती हैं।" इजेनसटेड ने राजनीतिक आधुनिकीकरण की व्याख्या करते हुए लिखा है कि राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रथम विशेषता है राजनीतिक भूमिकाओं और संस्थाओं में उच्च मात्रा का विभेदीकरण और एक केन्द्रीकृत तथा एकीकृत शासन व्यवस्था का विकास जिसके अपने विशिष्ट ध्येय हों। आधुनिकीकरण की दूसरी विशेषता हैं-- केन्द्रीय प्रशासनिक तथा राजनीतिक संगठनों के कार्यों का विस्तार और समाज के सभी क्षेत्रों में उसकी क्रमिक व्याप्ति। तीसरी विशेषता हैं-- संभावित या अंतर्निहित शक्ति का समाज के अधिकाधिक समूहों...

वैदिक काल का इतिहास

वैदिक काल | सम्पूर्ण जानकारी | पूरी कवरेज | Vedic Kaal Ka Itihas | Complete History for UPSC/SSC वैदिक संस्कृति का काल सिन्धु सभ्यता के पश्चात स्वीकार किया गया है । राजनीतिक , आ र्थिक , सामाजिक , धार्मिक प्रवृत्तियों में हुए मौलिक विकास क्रम एवं परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए | अध्ययन की सुविधा हेतु वैदिक काल को दो भागों में विभाजित किया गया है – ( 1 ) ऋग्वैदिक या पूर्व वैदिक काल ( 2 ) उत्तरवैदिक काल । वैदिक सभ्यता का काल • याकोबी एवं तिलक ने ग्रहादि सम्बन्धी उद्धरणों के आधार पर भारत में आर्यों का आगमन 4000 ई० पू० निर्धारित किया है । • मैक्समूलर का अनुमान है कि ऋग्वेद काल 1 200 ई० पू० से 1000 ई० पू० तक है । • मान्यतिथि – भारत में आर्यों का आगमन 1500 ई० पू० के लगभग हुआ । आर्यों का मूल स्थान आर्य किस प्रदेश के मूल निवासी थे, यह भारतीय इतिहास का एक विवादास्पद प्रश्न है। इस सम्बन्ध में विभिन्न विद्वानों द्वारा दिए गए मत संक्षेप में निम्नलिखित हैं। • यूरोप 5 जातीय विशेषताओं के आधार पर पेनका , हर्ट आदि विद्वानों ने जर्मनी को आर्यों का आदि देश स्वीकार किया है । • गाइल्स ने आर्यों का आदि देश हंगरी अ थवा डेन्यूब घाटी को माना है । • मेयर , पीक , गार्डन चाइल्ड , पिगट , नेहरिंग , बैण्डेस्टीन ने दक्षिणी रूस को आर्यों का मूल निवास स्थान माना है । यह मत सर्वाधिक मान्य है । • आर्य भारोपीय भाषा वर्ग की अनेक भाषाओं में से एक संस्कृत बोलते थे । • भाषा वैज्ञानिकों के अनुसार भारोपीय वर्ग की विभिन्न भाषाओं का प्रयोग करने वाले लोगों का सम्बन्ध शीतोष्ण जलवायु वाले ऐसे क्षेत्रों से था जो घास से आच्छादित विशाल मैदान थे । • यह निष्कर्ष इस मत पर आधारित है कि भारोपीय वर्ग की अधिकांश भाषाओं में भेड़ि...