Parvat pradesh mein pavas question answer class 10th

  1. Short Question Answers: पर्वत प्रदेश में पावस
  2. Parvat Pradesh Mein Pavas Class 10 Solution [NCERT + PYQ]
  3. पर्वत प्रदेश में पावस
  4. NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 5
  5. NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 5
  6. पर्वत प्रदेश में पावस कविता का सार


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Short Question Answers: पर्वत प्रदेश में पावस

अति लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न. 1. ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ के आधार पर इंद्र के इंद्रजाल का भाव लिखिए। उत्तर:इंद्र के इंद्रजाल का भाव यह है कि इंद्र मानो जादू के खेल दिखा रहा है। प्रश्न. 2. पर्वत प्रदेश में पावस के दृश्य को कवि ने इन्द्रजाल क्यों कहा है ? उत्तर: पावस के दृश्य को कवि ने इन्द्रजाल इसलिए माना है, क्योंकि इस ऋतु में प्रकृति पल-पल अपना रूप बदलती है तो ऐसा लगता है, मानो वास्तविकता न होकर कोई माया जाल हो अर्थात् मानो इंद्र ने ही यह जाल फैलाया है। प्रश्न. 3. शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धँस गए ? उत्तर: शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में इसलिए धँस गए, क्योंकि जो धुआँ बादलों के रूप में उठ रहा था उससे उन्हें तालाब जलता हुआ नजर आ रहा था और ऐसा लग रहा है जैसे आकाश धरती पर टूट पड़ा हो। वे जलने से बचने के लिए धरती में धँस गए थे। प्रश्न. 4. झरने कविता में किसके गौरव का गान कर रहे हैं ? बहते हुए झरने की तुलना किससे की गई है ? उत्तर: झरने पर्वतों (गिरि) का गौरव गान कर रहे हैं। बहते हुए झरने की तुलना मोती की लड़ियों से सुन्दर निर्झर जो झाग से भरे हैं उनसे की गई है। प्रश्न. 5. कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों ? अथवा कवि ने तालाब की तुलना दर्पण से क्यों की है ? उत्तर:कवि ने तालाब की तुलना दर्पण से इसलिए की है क्योंकि जिस प्रकार दर्पण में हमें अपना प्रतिबिंब देखने को मिलता है उसी प्रकार तालाब में पर्वत का महाकाय प्रतिबिंब दिखता है। प्रश्न. 6. पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर क्यों देख रहे थे और वे किस बात को प्रतिबिंबित करते हैं ? उत्तर: पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष नीरव आकाश को एकटक झाँककर देख रहे थे। वे अपनी जिज्ञासा और बढ़ती हुई ...

Parvat Pradesh Mein Pavas Class 10 Solution [NCERT + PYQ]

Parvat Pradesh Mein Pavas Class 10 Solution Here we have provided Parvat Pradesh Mein Pavas Class 10 Solution. These solutions will help you in understanding the chapter better & will make you with the types of questions that can be framed for your exam. NCERT Questions Solutions: प्रश्न 1. पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। उत्तर- पावस ऋतु में प्रकृति में निम्नलिखित परिवर्तन आते हैं – • पर्वत पर कभी बारिश तो कभी धुप दिखाई देती है। • पर्वत पर अनगनित फूल खिल उठते है। • तालाब में बारिश का जल एकत्रित होकर दर्पण के समान लग रहा है। • पर्वत से गिरते हुए झरने अत्यंत आकर्षित एवं दर्शनीय है। • ऊँचे-ऊँचे पेड़ आकाश की तरफ देखते हुए दिखाई पड़ते है। • बदल के घने होने पर पर्वत गायब हो जाता है। • तालाब पर जो कोहरा है वो धुए के समान प्रतीत होता है। प्रश्न 2. ‘मेखलाकार’ शब्द का क्या अर्थ है? कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है? उत्तर- ‘मेखलाकार’ शब्द का अर्थ है कि करघनी के आकर की पहाड़ की ढाल। पर्वत भी मेखलाकार के समान ही गोल होते है और उसके चारो ओर अलग-अलग परिदृश्य होते है ओर पर्वत मेखलाकार के समान दिखाई देता है। इसलिए कवी ने मेखलाकार शब्द का प्रयोग किया है। प्रश्न 3. ‘सहस्र दृग-सुमन’ से क्या तात्पर्य है? कवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा? उत्तर-‘सहस्र दृग-सुमन’ से कवी का तात्पर्य है कि पर्वत पर जो अनेक फूलो ने जन्म लिया है वो पर्वत के नेत्र के समान प्रतीत हो रहे है। कवि ने इस पद का प्रयोग इसलिए किया है क्योकि वे बता रहे है की इन्ही नेत्रों से पर्वत तालाब में खुद को देख कर निहार रहा है। प्रश्न 4. कवि ने तालाब की समानता किस...

पर्वत प्रदेश में पावस

पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तरऔर व्याख्या- पर्वत प्रदेश में पावसस्पर्शभाग- 2 व्याख्या पावस ऋतु थी, पर्वत प्रदेश, पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश। इस कविता में कवि सुमित्रानंदन पंत जी ने पर्वतीय इलाके में वर्षा ऋतुका सजीव चित्रण किया है। पर्वतीय प्रदेश में वर्षा ऋतु होने से वहाँप्रकृति में पल-पल बदलाव हो रहे हैं। कभी बादल छा जाने से मूसलधार बारिश हो रही थी तो कभी धूप निकल जाती है। मेखलाकर पर्वत अपार अपने सहस्‍त्र दृग-सुमन फाड़, अवलोक रहा है बार-बार नीचे जल में निज महाकार, -जिसके चरणों में पला ताल दर्पण सा फैला है विशाल! पर्वतों की श्रृंखला मंडप का आकार लिए अपने पुष्प रूपी नेत्रों को फाड़ेअपने नीचे देख रहा है। कवि को ऐसा लग रहा है मानो तालाब पर्वत केचरणों में पला हुआ है जो की दर्पण जैसाविशाल दिख रहा है। पर्वतों में उगे हुए फूल कवि को पर्वत के नेत्र जैसे लग रहे हैं जिनसे पर्वत दर्पण समान तालाब में अपनी विशालता और सौंदर्य का अवलोकन कर रहा है। गिरि का गौरव गाकर झर-झर मद में नस-नस उत्‍तेजित कर मोती की लडि़यों सी सुन्‍दर झरते हैं झाग भरे निर्झर! गिरिवर के उर से उठ-उठ कर उच्‍चाकांक्षायों से तरूवर है झांक रहे नीरव नभ पर अनिमेष, अटल, कुछ चिंता पर। झरने पर्वत के गौरव का गुणगान करते हुए झर-झर बह रहे हैं। इन झरनों की करतल ध्वनि कवि केनस-नस में उत्साह का संचार करती है। पर्वतों पर बहने वाले झाग भरेझरने कवि को मोती की लड़ियों के समान लग रहे हैं जिससे पर्वत की सुंदरता में और निखार आ रहा है। पर्वत के खड़े अनेकवृक्ष कवि को ऐसे लग रहे हैं मानो वे पर्वत के हृदय से उठकर उँची आकांक्षायें लिए अपलक और स्थिर होकरशांत आकाश को देख रहे हैं तथा थोड़े चिंतित मालुम हो रहे हैं। उड़ गया, अचानक लो, भूधर फड़क...

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 5

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 5 Parvat Pradesh mein Pawas (पर्वत प्रदेश में पावस) NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 5 पर्वत प्रदेश में पावस have been explained in a simple and easy to understand language in order to create Textbook Hindi Class 10 Sparsh (स्पर्श भाग 2) Chapter 5 – Parvat Pradesh mein Pawas (पर्वत प्रदेश में पावस) Author Sumitranandan Pant (सुमित्रानंदन पंत) Khand Padh Khand (पद्य खंड) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- 1. पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। उत्तर:- पावस ऋतु के समय प्रकृति में निम्नलिखित परिवर्तन आते हैं- (क). प्रकृति पल-पल परिवर्तित होती रहती है। (ख). करधनी के समान, दूर तक फैली पर्वतीय श्रंखला पर खिले हजारों फूल ऐसे प्रतीत होते है, मानो पर्वत अपनी पुष्प-रूपी आंखों से आसमान को निहार रहा है। (ग). पर्वत के चरणों में फैला तालाब दर्पण के समान दिखाई पड़ता है। (घ). मोती की लड़ियों के समान प्रतीत होने वाले झाग से भरे झरने, पहाड़ का गौरव गाते हुए बहते है। (ड़). पर्वत पर उगे ऊंचे-ऊंचे पेड़ चिंतित दृष्टि से आसमान को निहारते है। (च). बादलों के पीछे छिपे पर्वत ऐसे प्रतीत होते है, मानो पंख लगा कर कहीं उड़ गए हो। (छ). ताल से उठता हुआ कोहरा, आग लगने से उठते हुए धुएं की तरह प्रतीत होता है। (ज). इधर-उधर तेजी से घूमते बादलों को देखकर ऐसा लगता है, मानो जलद-यान में बैठकर इंद्र-देवता घूम रहे हो और अपनी जादूगरी कहां प्रदर्शन कर रहे हो। 2. ‘मेखलाकार’ शब्द का क्या अर्थ है? कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है? उत्तर:-‘मेखलाकार’शब्द का अर्थ है, करधनी के आकार का अर्थ अर्थ कमर...

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 5

पृष्ठ संख्या: 28 प्रश्न अभ्यास (क)निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 1. पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए? उत्तर पावस ऋतू में प्रकृति में निम्नलिखित परिवर्तन आते हैं- • इस ऋतू में मौसम हर वक्त बदलता रहता है| • विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे फूल खिल जाते हैं| • पर्वत के नीचे फैले तालाबों में पर्वतों की परछाई दिखाई देती है| • मोती की लड़ियों की तरह बहते झरने ऐसा लगता है मानो पर्वतों का गुणगान कर रहे हों| • पर्वत पर उगे ऊँचे वृक्ष आसमान को चिंतित होकर निहार रहे हैं| • तेज वर्षा के कारण चारों तरफ धुंध छा जाता है| 2. 'मेखलाकार' शब्द का क्या अर्थ है? कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है? मेखलाकार का अर्थ है करघनी केआकार का। यहाँ इस शब्द का प्रयोग विशाल और दूर-दूर तक फैले पर्वतों की श्रृंखला के लिए किया गया है। 3.'सहस्र दृग-सुमन' से क्या तात्पर्य है? कवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा? उत्तर 'सहस्र दृग-सुमन' कवि का तात्पर्य पहाड़ोंपर खिले हजारों फूलों से है। कवि को ये हजारों फूल पहाड़ों की आँखों के सामान लग रहे हैं इसीलिए कवि ने इस पद का प्रयोग किया है। 4. कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों? उत्तर कवि ने तालाब की समानता दर्पण से की है क्योंकि तालाब भी दर्पण की तरह स्वच्छ और निर्मल प्रतिबिम्ब दिखा रहा है। 5. पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर क्यों देख रहे थे और वे किस बात को प्रतिबिंबित करते हैं? पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर एकटक चिंतित होकर ऐसे देख रहे थे जैसे वे उनकी उँचाईओं को छूना चाहते हों| वे अपनी मन की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करते हैं| 6. शाल के वृक्ष भयभीत होक...

पर्वत प्रदेश में पावस कविता का सार

• • • • कवि परिचय सुमित्रानंदन पंत इनका जन्म सन 20 मई 1900 को उत्तराखंड के कौसानी-अल्मोड़ा में हुआ था। इन्होनें बचपन से ही कविता लिखना आरम्भ कर दिया था। सात साल की उम्र में इन्हें स्कूल में काव्य-पाठ के लिए पुरस्कृत किया गया। 1915 में स्थायी रूप से साहित्य सृजन किया और छायावाद के प्रमुख स्तम्भ के रूप में जाने गए। इनकी प्रारम्भिक कविताओं में प्रकृति प्रेम और रहस्यवाद झलकता है। इसके बाद वे मार्क्स और महात्मागांधी के विचारों से प्रभावित हुए। पर्वत प्रदेश में पावस – पठन सामग्री और व्याख्या NCERT Class 10th Hindi (1)- पावस ऋतु थी, पर्वत प्रदेश,पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश | भावार्थ –प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि ‘सुमित्रानंदन पंत’ जी के द्वारा रचित कविता ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ से उद्धृत हैं | इस कविता के माध्यम से कवि पंत जी पर्वतीय प्रदेश में वर्षा ऋतु का सजीव चित्रण कर रहे हैं | वर्षा ऋतु के आगमन से वहाँ प्रकृति में पल-पल परिवर्तन हो रहे हैं | (2)- मेखलाकार पर्वत अपारअपने सहस्‍त्र दृग-सुमन फाड़,अवलोक रहा है बार-बारनीचे जल में निज महाकार,— जिसके चरणों में पला तालदर्पण-सा फैला है विशाल ! भावार्थ –प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि ‘सुमित्रानंदन पंत’ जी के द्वारा रचित कविता ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ से उद्धृत हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि ऊँचे-ऊँचे पर्वतों की श्रृंखला का आकार लिए अपने पुष्प रूपी नेत्रों को फाड़े नीचे देख रहा है | आगे कवि पंत जी कहते हैं कि ये विशाल पर्वत के चरणों में तालाब का अस्तित्व है, जो की दर्पण के समान प्रतीत हो रहा है | ये पर्वत दर्पण समान तालाब का अवलोकन कर रहा है | (3)- गिरि का गौरव गाकर झर-झर मद में नस-नस उत्तेजित करमोती की लड़ियों-से सुन्‍दरझरते है...