Paryavaran ke ghatak

  1. Environment in Hindi – पर्यावरण क्या है
  2. मानव और पर्यावरण में अंतःक्रियात्मक संबंध
  3. पर्यावरण पर निबंध
  4. अजैविक घटक (Abiotic Components), Ajaivik Ghatak
  5. Environment in Hindi – पर्यावरण क्या है
  6. पर्यावरण पर निबंध
  7. मानव और पर्यावरण में अंतःक्रियात्मक संबंध
  8. अजैविक घटक (Abiotic Components), Ajaivik Ghatak


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Environment in Hindi – पर्यावरण क्या है

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • आज के आर्टिकल में हम पर्यावरण (Paryavaran) के बारे में पढ़ेंगे। इसमें हम पर्यावरण क्या है (Environment in Hindi), पर्यावरण का अर्थ (Paryavaran Ka Arth), पर्यावरण के प्रकार (Paryavaran Ke Prakar) , पर्यावरण के घटक (Paryavaran Ke Ghatak) , पर्यावरण के क्षेत्र (Paryavaran Ke Kshetra) के बारे में जानेंगे। पर्यावरण क्या है – Environment in Hindi • पर्यावरण (Paryavaran) से तात्पर्य है वह वातावरण जिससे सम्पूर्ण जगत या ब्रह्माण्ड या जीव जगत घिरा हुआ है। हमारे चारों ओर जो प्राकृतिक, भौतिक व सामाजिक आवरण है वहीं वास्तविक अर्थों में पर्यावरण (Environment) कहलाता है। • जीव जिस वातावरण या परिस्थितियों में रहता है, उसे उसका पर्यावरण कहा जाता है। पर्यावरण जीवों को प्रभावित करता है तथा जीव पर्यावरण को प्रभावित करते है। पर्यावरण में जीवधारियों के लिए आवश्यक हवा, पानी, खाद्यान्न, आवास तथा प्रकाश जैसी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध होती है। • पर्यावरण (Paryavaran) किसी एक तत्त्व का नाम न होकर उन समस्त दशाओं या तत्त्वों का योग है, जो मानव के जीवन व विकास को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। पर्यावरण से आप क्या समझते हैं – Paryavaran Se Aap Kya Samajhte Hain • पर्यावरण भौतिक दशाओं का ऐसा योग होता है जिसमें जैविक समुदाय रहता है। ये भौतिक दशाएँ हमेशा परिवर्तनशील रहती हैं तथा इनके मध्य रहने वाले सभी जैविक घटक अपने उद्भव, विकास तथा कार्य-प्रणाली के अन्तर्गत इन दशाओं से प्रभावित रहते हैं तथा पर्यावरण के साथ अनुकूलन के तहत इसे भी प्रभावित करते हैं। • स्पष्ट है कि पर्यावरण जैविक तथा अजैविक घटकों का सामंजस्य स्थल भी है जहाँ पर्यावरण के...

मानव और पर्यावरण में अंतःक्रियात्मक संबंध

प्रकृति मानव की सहचारी है। प्रकृति स्वभावतः संतुलित पर्यावरण के द्वारा मानव को स्वस्थ जीवन प्रदान करती है। हमारे ऋषि-मुनि प्रकृति की सुरक्षा और विकास के लिए प्रतिबद्ध थे। यज्ञ द्वारा वायु प्रदूषण को समाप्त करके पर्यावरण को शुद्ध किए जाने की वैज्ञानिक विधि से विज्ञ थे। उन्हें यह भी ज्ञात था कि प्रकृति, स्वाभाविक रूप से जो कुछ अतिरिक्त या अपच है, उसे बाहर करके अपने आप को संतुलित कर लेती है। ज्वालामुखी द्वारा यह धरती हमें जो कुछ भी प्रदान करती है, उसी के उपभोग के हम अधिकारी होते हैं। सृष्टि के जीवों में मानव एक मात्र प्राणी है, जिसे यह योग्यता प्राप्त है कि वह आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और तकनीकी क्रिया के द्वारा पर्यावरण के भौतिक परिवेश में परिवर्तन करके सांस्कृतिक परिवेश की रचना करता रहा है। मानव इतिहास के प्रारम्भ से ही अपने चारों ओर के पर्यावरण में रुचि रखता आया है। आदिम समाज में प्रत्येक व्यक्ति को अपने अस्तित्व हेतु अपने पर्यावरण का समुचित ज्ञान आवश्यक होता था। मनुष्य में अग्नि तथा अन्य यंत्रों का प्रयोग पर्यावरण को परिवर्तित करने के लिए सीखा। जांच और भूल विधि द्वारा मानव अपने पर्यावरणीय ज्ञान में वृद्धि करता रहा है। धीरे-धीरे पर्यावरण में संबंधित ज्ञान का भंडार इतना विस्तृत एवं वृहद् हो गया कि इसे विज्ञान का रूप दिया जा सकने की स्थिति आ गई और पर्यावरण अध्ययन के व्यवस्थित रूप “पर्यावरण विज्ञान” का जन्म हुआ। विगत सौ वर्षों में मानव नें आर्थिक, भौतिक तथा सामाजिक जीवन की प्रत्येक दिशा में प्रगति के लंबे-लंबे कदम उठाए हैं। उसका इन क्षेत्रों में प्रगति का मात्र एक उद्देश्य था – इससे उसका स्वयं का हित हो। उसने इस प्रगति के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों की ओर तनिक भी ध्यान नह...

पर्यावरण पर निबंध

4.5. प्रश्न.5. पर्यावरण प्रदूषण कौन कौन से हैं? इस निबंध के माध्यम से हमने बताया है कि पर्यावरण का क्या अर्थ है, पर्यावरण के प्रमुख घटक कौनसे है तथा पर्यावरण का संरक्षण कैसे किया जा सकता है के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। इस पोस्ट को हमने आसान भाषा मे लिखने का प्रयास किया है ताकि आपको सभी बातें आसानी से समझ आ सकें। इस पोस्ट में आपको पर्यावरण पर कई निबन्ध दिए गए है जैसे पर्यावरणएस्से इन हिंदी 100 शब्दों में, पर्यावरण पर निबंध 300 शब्दों में, पर्यावरण एस्से 500 शब्दों में इत्यादि। पर्यावरण पर निबंध 100 शब्दों में – Paryavaran essay in hindi हमारे चारों तरफ के वातावरण को ही पर्यावरण कहा जाता है। हमारे पर्यावरण में लगभग सभी प्रकार के प्राकृतिक संसाधन पाए जाते हैं, जो अलग-अलग तरीकों से हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। यह हमें वो सब कुछ उपलब्ध करवाते हैं जिसकी हमें अपना जीवन यापन करने हेतु सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। हमारा पर्यावरण भी हमसे कुछ मदद की अपेक्षा रखता है जिससे कि हमारा जीवन भी बना रहे और पर्यावरण भी कभी नष्ट न हो। इस धरती पर अगर हम जीवन को बनाए रखना चाहते हैं तो उसके लिए हमें सबसे पहले पर्यावरण का संरक्षण करना होगा। हम सभी को पर्यावरण के लिए चलाई जा रही अलग-अलग मुहिम और पर्यावरण बचाओ अभियान का हिस्सा बनना चाहिए। पर्यावरण पर निबंध 300 शब्दों में – Paryavaran par nibandh पर्यावरण में वे सभी प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं जो कई तरीकों से हमारी मदद करते हैं तथा चारों ओर से हमें घेरे हुए हैं। हमें अपना जीवन यापन करने के लिए इन सभी प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ती है। पर्यावरण हमें वह सब कुछ प्रदान करता है जो जीवन यापन करने के लिए आवश्यक है। हमारा पर्यावरण ...

अजैविक घटक (Abiotic Components), Ajaivik Ghatak

अजैविक घटक (Abiotic Components) किसी पारिस्थितिक तन्त्र में पाए जाने वाले सभी निर्जीव पदार्थ उसके अजैविक घटक कहलाते हैं। Ajaivik Ghatak पर्यावरण के संघटक: पर्यावरण अनेक तत्त्वों का समूह है तथा प्रत्येक तत्त्व का इसमें महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्राकृतिक पर्यावरण के तत्त्व ही पारिस्थितिकी के भी तत्त्व हैं, क्योंकि पारिस्थितिकी का एक मूल घटक पर्यावरण है। सामान्य स्तर पर पर्यावरण के तत्त्वों को जैविक एवं अजैविक दो समूहों में वर्गीकृत किया जाता है। अजैविक घटक अजैविक घटक (Ajaivik Ghatak) किसी पारिस्थितिक तन्त्र में पाए जाने वाले सभी निर्जीव पदार्थ उसके अजैविक घटक कहलाते हैं। पर्यावरण के अजैविक घटकों में प्रकाश, वर्षण, तापमान, आर्द्रता एवं जल, अक्षांश, ऊँचाई, उच्चावच आदि शामिल होते है। पर्यावरण के प्रमुख अजैविक घटक इस प्रकार हैं:- • प्रकाश (Light) हरे पौधों के लिए प्रकाश आवश्यक है, जिसके द्वारा वे प्रकाश संश्लेषण करते हैं। सभी प्राणी प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप में हरे पौधों द्वारा निर्मित भोजन पदार्थ पर ही निर्भर होते हैं। सभी जीवों के लिए सूर्य से आने वाला प्रकाश (सौर ऊर्जा) ही ऊर्जा का अन्तिम स्रोत है। • वर्षण (Precipitation) कोहरा, वर्षा, हिमपात अथवा ओलावृष्टि, का एक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अजैविक कारक है। अधिकांश जीव सीधे अथवा परोक्ष रूप में किसी-न-किसी प्रकार से वर्षण पर निर्भर होते हैं, जो अधोभमि से होता है। वर्षण की मात्रा अलग-अलग होती है, जो इस प्रकार निर्भर है कि आप पृथ्वी पर कहाँ हैं। • तापमान (Temperature) यह पर्यावरण का महत्त्वपूर्ण घटक है, जो जीवों की उत्तर जीविता (Survival) को वृहद रूप से प्रभावित करता है। जीव अपनी वृद्धि हेतु एक निश्चित सीमा तक के तापमान को ही बर्दाश्त ...

Environment in Hindi – पर्यावरण क्या है

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • आज के आर्टिकल में हम पर्यावरण (Paryavaran) के बारे में पढ़ेंगे। इसमें हम पर्यावरण क्या है (Environment in Hindi), पर्यावरण का अर्थ (Paryavaran Ka Arth), पर्यावरण के प्रकार (Paryavaran Ke Prakar) , पर्यावरण के घटक (Paryavaran Ke Ghatak) , पर्यावरण के क्षेत्र (Paryavaran Ke Kshetra) के बारे में जानेंगे। पर्यावरण क्या है – Environment in Hindi • पर्यावरण (Paryavaran) से तात्पर्य है वह वातावरण जिससे सम्पूर्ण जगत या ब्रह्माण्ड या जीव जगत घिरा हुआ है। हमारे चारों ओर जो प्राकृतिक, भौतिक व सामाजिक आवरण है वहीं वास्तविक अर्थों में पर्यावरण (Environment) कहलाता है। • जीव जिस वातावरण या परिस्थितियों में रहता है, उसे उसका पर्यावरण कहा जाता है। पर्यावरण जीवों को प्रभावित करता है तथा जीव पर्यावरण को प्रभावित करते है। पर्यावरण में जीवधारियों के लिए आवश्यक हवा, पानी, खाद्यान्न, आवास तथा प्रकाश जैसी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध होती है। • पर्यावरण (Paryavaran) किसी एक तत्त्व का नाम न होकर उन समस्त दशाओं या तत्त्वों का योग है, जो मानव के जीवन व विकास को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। पर्यावरण से आप क्या समझते हैं – Paryavaran Se Aap Kya Samajhte Hain • पर्यावरण भौतिक दशाओं का ऐसा योग होता है जिसमें जैविक समुदाय रहता है। ये भौतिक दशाएँ हमेशा परिवर्तनशील रहती हैं तथा इनके मध्य रहने वाले सभी जैविक घटक अपने उद्भव, विकास तथा कार्य-प्रणाली के अन्तर्गत इन दशाओं से प्रभावित रहते हैं तथा पर्यावरण के साथ अनुकूलन के तहत इसे भी प्रभावित करते हैं। • स्पष्ट है कि पर्यावरण जैविक तथा अजैविक घटकों का सामंजस्य स्थल भी है जहाँ पर्यावरण के...

पर्यावरण पर निबंध

4.5. प्रश्न.5. पर्यावरण प्रदूषण कौन कौन से हैं? इस निबंध के माध्यम से हमने बताया है कि पर्यावरण का क्या अर्थ है, पर्यावरण के प्रमुख घटक कौनसे है तथा पर्यावरण का संरक्षण कैसे किया जा सकता है के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। इस पोस्ट को हमने आसान भाषा मे लिखने का प्रयास किया है ताकि आपको सभी बातें आसानी से समझ आ सकें। इस पोस्ट में आपको पर्यावरण पर कई निबन्ध दिए गए है जैसे पर्यावरणएस्से इन हिंदी 100 शब्दों में, पर्यावरण पर निबंध 300 शब्दों में, पर्यावरण एस्से 500 शब्दों में इत्यादि। पर्यावरण पर निबंध 100 शब्दों में – Paryavaran essay in hindi हमारे चारों तरफ के वातावरण को ही पर्यावरण कहा जाता है। हमारे पर्यावरण में लगभग सभी प्रकार के प्राकृतिक संसाधन पाए जाते हैं, जो अलग-अलग तरीकों से हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। यह हमें वो सब कुछ उपलब्ध करवाते हैं जिसकी हमें अपना जीवन यापन करने हेतु सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। हमारा पर्यावरण भी हमसे कुछ मदद की अपेक्षा रखता है जिससे कि हमारा जीवन भी बना रहे और पर्यावरण भी कभी नष्ट न हो। इस धरती पर अगर हम जीवन को बनाए रखना चाहते हैं तो उसके लिए हमें सबसे पहले पर्यावरण का संरक्षण करना होगा। हम सभी को पर्यावरण के लिए चलाई जा रही अलग-अलग मुहिम और पर्यावरण बचाओ अभियान का हिस्सा बनना चाहिए। पर्यावरण पर निबंध 300 शब्दों में – Paryavaran par nibandh पर्यावरण में वे सभी प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं जो कई तरीकों से हमारी मदद करते हैं तथा चारों ओर से हमें घेरे हुए हैं। हमें अपना जीवन यापन करने के लिए इन सभी प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ती है। पर्यावरण हमें वह सब कुछ प्रदान करता है जो जीवन यापन करने के लिए आवश्यक है। हमारा पर्यावरण ...

मानव और पर्यावरण में अंतःक्रियात्मक संबंध

प्रकृति मानव की सहचारी है। प्रकृति स्वभावतः संतुलित पर्यावरण के द्वारा मानव को स्वस्थ जीवन प्रदान करती है। हमारे ऋषि-मुनि प्रकृति की सुरक्षा और विकास के लिए प्रतिबद्ध थे। यज्ञ द्वारा वायु प्रदूषण को समाप्त करके पर्यावरण को शुद्ध किए जाने की वैज्ञानिक विधि से विज्ञ थे। उन्हें यह भी ज्ञात था कि प्रकृति, स्वाभाविक रूप से जो कुछ अतिरिक्त या अपच है, उसे बाहर करके अपने आप को संतुलित कर लेती है। ज्वालामुखी द्वारा यह धरती हमें जो कुछ भी प्रदान करती है, उसी के उपभोग के हम अधिकारी होते हैं। सृष्टि के जीवों में मानव एक मात्र प्राणी है, जिसे यह योग्यता प्राप्त है कि वह आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और तकनीकी क्रिया के द्वारा पर्यावरण के भौतिक परिवेश में परिवर्तन करके सांस्कृतिक परिवेश की रचना करता रहा है। मानव इतिहास के प्रारम्भ से ही अपने चारों ओर के पर्यावरण में रुचि रखता आया है। आदिम समाज में प्रत्येक व्यक्ति को अपने अस्तित्व हेतु अपने पर्यावरण का समुचित ज्ञान आवश्यक होता था। मनुष्य में अग्नि तथा अन्य यंत्रों का प्रयोग पर्यावरण को परिवर्तित करने के लिए सीखा। जांच और भूल विधि द्वारा मानव अपने पर्यावरणीय ज्ञान में वृद्धि करता रहा है। धीरे-धीरे पर्यावरण में संबंधित ज्ञान का भंडार इतना विस्तृत एवं वृहद् हो गया कि इसे विज्ञान का रूप दिया जा सकने की स्थिति आ गई और पर्यावरण अध्ययन के व्यवस्थित रूप “पर्यावरण विज्ञान” का जन्म हुआ। विगत सौ वर्षों में मानव नें आर्थिक, भौतिक तथा सामाजिक जीवन की प्रत्येक दिशा में प्रगति के लंबे-लंबे कदम उठाए हैं। उसका इन क्षेत्रों में प्रगति का मात्र एक उद्देश्य था – इससे उसका स्वयं का हित हो। उसने इस प्रगति के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों की ओर तनिक भी ध्यान नह...

अजैविक घटक (Abiotic Components), Ajaivik Ghatak

अजैविक घटक (Abiotic Components) किसी पारिस्थितिक तन्त्र में पाए जाने वाले सभी निर्जीव पदार्थ उसके अजैविक घटक कहलाते हैं। Ajaivik Ghatak पर्यावरण के संघटक: पर्यावरण अनेक तत्त्वों का समूह है तथा प्रत्येक तत्त्व का इसमें महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्राकृतिक पर्यावरण के तत्त्व ही पारिस्थितिकी के भी तत्त्व हैं, क्योंकि पारिस्थितिकी का एक मूल घटक पर्यावरण है। सामान्य स्तर पर पर्यावरण के तत्त्वों को जैविक एवं अजैविक दो समूहों में वर्गीकृत किया जाता है। अजैविक घटक अजैविक घटक (Ajaivik Ghatak) किसी पारिस्थितिक तन्त्र में पाए जाने वाले सभी निर्जीव पदार्थ उसके अजैविक घटक कहलाते हैं। पर्यावरण के अजैविक घटकों में प्रकाश, वर्षण, तापमान, आर्द्रता एवं जल, अक्षांश, ऊँचाई, उच्चावच आदि शामिल होते है। पर्यावरण के प्रमुख अजैविक घटक इस प्रकार हैं:- • प्रकाश (Light) हरे पौधों के लिए प्रकाश आवश्यक है, जिसके द्वारा वे प्रकाश संश्लेषण करते हैं। सभी प्राणी प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप में हरे पौधों द्वारा निर्मित भोजन पदार्थ पर ही निर्भर होते हैं। सभी जीवों के लिए सूर्य से आने वाला प्रकाश (सौर ऊर्जा) ही ऊर्जा का अन्तिम स्रोत है। • वर्षण (Precipitation) कोहरा, वर्षा, हिमपात अथवा ओलावृष्टि, का एक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अजैविक कारक है। अधिकांश जीव सीधे अथवा परोक्ष रूप में किसी-न-किसी प्रकार से वर्षण पर निर्भर होते हैं, जो अधोभमि से होता है। वर्षण की मात्रा अलग-अलग होती है, जो इस प्रकार निर्भर है कि आप पृथ्वी पर कहाँ हैं। • तापमान (Temperature) यह पर्यावरण का महत्त्वपूर्ण घटक है, जो जीवों की उत्तर जीविता (Survival) को वृहद रूप से प्रभावित करता है। जीव अपनी वृद्धि हेतु एक निश्चित सीमा तक के तापमान को ही बर्दाश्त ...