Paryavaran kise kahate hain

  1. पर्यावरण किसे कहते हैं, परिभाषा, प्रकार, महत्त्व, समस्याएं, लाभ
  2. पर्यावरण संरक्षण के लाभ
  3. पर्यावरण किसे कहते हैं
  4. पर्यावरण कितने प्रकार के होते है
  5. पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं?
  6. पर्यावरण किसे कहते हैं ?
  7. पर्यावरण कितने प्रकार के होते है
  8. पर्यावरण किसे कहते हैं
  9. पर्यावरण किसे कहते हैं, परिभाषा, प्रकार, महत्त्व, समस्याएं, लाभ
  10. पर्यावरण किसे कहते हैं ?


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पर्यावरण किसे कहते हैं, परिभाषा, प्रकार, महत्त्व, समस्याएं, लाभ

पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है परि+आवरण इसमें परि का अर्थ होता है चारों तरफ से एवं आवरण का अर्थ है 'ढके हुए। अंग्रेजी में पर्यावरण को Environment कहते हैं इस शब्द की उत्पकि 'Envirnerl' से हुई और इसका अर्थ है-Neighbonrhood अर्थात आस-पड़ोस। पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ है हमारे आस-पास जो कुछ भी उपस्थित है जैसे जल-थल, वायु तथा समस्त प्राकृतिक दशाएँ, पर्वत, मैदान व अन्य जीवजन्तु, घर, मोहल्ला, गाँव, शहर, विद्यालय महाविद्यालय, पुस्तकालय आदि जो हमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं।paryavaran kya hai जैव मण्डल का विशिष्ट लक्षण यह है कि वह जीवन को आधार प्रदान करती है। यह एक विकासात्मक प्रणाली है। इसमें अनेक प्रकार के जैविक व अजैविक घटकों का संतुलन बहुत पहले से क्रियाशील रहा है। जीवन की इस निरन्तरता के मूल में अन्योन्याश्रित सम्बन्धों का एक सुघटित तंत्र काम करता है। वायु जल मनुष्य, जीव जन्तु, वनस्पति, लवक मिट्टी एवं जीवाणु ये सभी जीवन चरण प्रणाली में अदृश्य रूप से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और यह व्यवस्था पर्यावरण कहलाती है। सौर ऊर्जा सूर्य से प्राप्त होती है। ये जैवमण्डल को सजीव बनाए रखती है।। मनो-सामाजिक पर्यावरणः- मनो-सामाजिक मनुष्य के सामाजिक संबंधों से प्रगट होता है। इसके अंतर्गत सामाजिक आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्रों में मनुष्य के व्यक्तिगत के विकास का अध्ययन करते हैं। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है उसे परिवार में माता-पिता, भाई-बहन, पत्नि तथा समाज में पड़ौसियों के साथ संबंध बना कर रहना पड़ता है। उसे समुदाय प्रदेश एवं राष्ट्र से भी सम्बन्ध बना कर रहना पड़ता है। मनुष्य सामाजिक व सांस्कृतिक पर्यावरण का उत्पाद है जिसके द्वारा मनुष्य का आका...

पर्यावरण संरक्षण के लाभ

पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है। के कारण सारी दूषित हो रही है और निकट भविष्य में का अंत दिखाई दे रहा है। इस स्थिति को ध्यान में रखकर सन् 1992 में में विश्व के 174 देशों का आयोजित किया गया। इसके पश्चात सन् 2002 में में आयोजित कर विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाए गये। वस्तुतः के संरक्षण से ही धरती पर जीवन का संरक्षण हो सकता है , अन्यथा आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन-चक्र भी एक दिन समाप्त हो जायेगा। पर्यावरण संरक्षण के उपाय के कुछ दूरगामी दुष्प्रभाव हैं , जो अतीव घातक हैं , जैसे विस्फोटों से का आनुवांशिक प्रभाव , का तापमान बढ़ना , की हानि , आदि ऐसे घातक दुष्प्रभाव हैं। प्रत्यक्ष दुष्प्रभाव के रूप में जल , वायु तथा परिवेश का दूषित होना एवं का विनष्ट होना , मानव का अनेक नये रोगों से आक्रान्त होना आदि देखे जा रहे हैं। बड़े से विषैला अपशिष्ट बाहर निकलने से तथा आदि के कचरे से प्रदूषण की मात्रा उत्तरोत्तर बढ़ रही है। अपने पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए हमें सबसे पहले अपनी मुख्य जरूरत ‘जल’ को प्रदूषण से बचाना होगा। कारखानों का गंदा पानी, घरेलू, गंदा पानी, नालियों में प्रवाहित मल, सीवर लाइन का गंदा निष्कासित पानी समीपस्थ नदियों और समुद्र में गिरने से रोकना होगा। कारखानों के पानी में हानिकारक रासायनिक तत्व घुले रहते हैं जो नदियों के जल को विषाक्त कर देते हैं, परिणामस्वरूप जलचरों के जीवन को संकट का सामना करना पड़ता है। दूसरी ओर हम देखते हैं कि उसी प्रदूषित पानी को सिंचाई के काम में लेते हैं जिसमें उपजाऊ भूमि भी विषैली हो जाती है। उसमें उगने वाली फसल व सब्जियां भी पौष्टिक तत्...

पर्यावरण किसे कहते हैं

पर्यावरण से तात्पर्य हमारे चारों ओर के उस परिवेश एवं वातावरण से है जिससे हम घिरे हैं। सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि जो कुछ जीव के चारों ओर उपस्थित होता है, वह उसका पर्यावरण होता है। पर्यावरण किसे कहते हैंपर्यावरण शब्द ‘परि’ एवं‘आवरण’ से मिलकर बना है। परि का अर्थ चारों ओर व आवरण का अर्थ घेरा होता है अर्थात् हमारे चारों ओर जो कुछ भी दृश्यमान एवं अदृश्य वस्तुएँ हैं, वही पर्यावरण है। इस प्रकार जो कुछ भी हमारे चारों ओर स्थित है और जो हमारे रहन-सहन की दशाओं तथा मानसिक क्षमताओं को प्रभावित करता है, वही पर्यावरण कहलाता है। बोरिंग ने पर्यावरण को निम्न प्रकार से परिभाषित किया है- एक व्यक्ति के पर्यावरण में वह सब कुछ सम्मिलित किया जाता है जो उसके जन्म से मृत्युपर्यन्त उस पर प्रभाव डालता है।’ व्यक्ति का जन्म भी पर्यावरण की परिधि में, जीवन भी उसी परिधि में तथा मृत्यु भी पर्यावरण की परिधि में ही होता है। डी0 डेविस के अनुसार- ‘‘पर्यावरण से अभिप्राय है कि जीव के चारों ओर से घेरे उन सभी भौतिक स्वरूपों से जिनमें वह रहता है जिनका उनकी आदतों एवं क्रियाओं पर प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार के स्वरूपों में भूमि, जलवायु, मिट्टी की प्रकृति, वनस्पति, प्राकृतिक संसाधन, जल, थल आदि सम्मिलित हैं।’’ सोरोकिन के अनुसार- ‘‘पर्यावरण से तात्पर्य ऐसी व्यापक दशाओं से है जिनका अस्तित्व मनुष्यों के कार्यों से स्वतंत्र हैं अर्थात् जो मानव रचित नह है। ये दशायें बिना मनुष्य के कार्यों से प्रभावित हुए स्वत: परिवर्तित होती है। दूसरे शब्दों में पर्यावरण में वे सब प्रभाव अन्तर्निहित होते हैं जिनका अस्तित्व मनुष्य को पृथ्वी से पूर्णतया हटा देने पर भी बना रहेगा।’’ पर्यावरण के प्रकारपर्यावरण कितने प्रकार के होते हैं? पर्या...

पर्यावरण कितने प्रकार के होते है

प्रदूषण के कुछ मुख्य प्रकार निम्नवत हैं: वायु प्रदूषण: -वातावरण में रसायन तथा अन्य सुक्ष्म कणों के मिश्रण को वायु प्रदुषण कहते हैं। सामान्यतः वायु प्रदूषण कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) और उद्योग और मोटर वाहनों से निकलने वाले नाइट्रोजन आक्साइड जैसे प्रदूषको से होता है। धुआँसा वायु प्रदुषण का परिणाम है। धूल और मिट्टी के सूक्ष्म कण सांस के साथ फेफड़ों में पहुंचकर कई बीमारियाँ पैदा कर सकते हैं। जल प्रदूषण:- जल में अनुपचारित घरेलू सीवेज के निर्वहन और क्लोरीन जैसे रासायनिक प्रदूषकों के मिलने से जल प्रदूषण फैलता है। जल प्रदूषण पौधों और पानी में रहने वाले जीवों के लिए हानिकारक होता है। भूमि प्रदूषण:- ठोस कचरे के फैलने और रासायनिक पदार्थों के रिसाव के कारण भूमि में प्रदूषण फैलता है। प्रकाश प्रदूषण:- यह अत्यधिक कृत्रिम प्रकाश के कारण होता है। ध्वनि प्रदूषण:- अत्यधिक शोर जिससे हमारी दिनचर्या बाधित हो और सुनने में अप्रिय लगे, ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। रेडियोधर्मी प्रदूषण:- परमाणु उर्जा उत्पादन और परमाणु हथियारों के अनुसंधान, निर्माण और तैनाती के दौरान उत्पन्न होता है

पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं?

पर्यावरण शब्द 'परि' + 'आवरण' से मिलकर बना है जिसका क्रमशः अर्थ है, 'चारो ओर', 'ढका हुआ' । इस अर्थ में प्राणी के चारों ओर जो कुछ भी भौतिक और अभौतिक वस्तुयें हैं वे उनका पर्यावरण हैं। मानव के अपने चारों ओर कई प्राकृतिक शक्तियों एवं पदार्थों जैसे चाँद तारे, सूरज, पृथ्वी, वायु, नदी, पहाड़, जंगल एवं ताप आदि से तथा सामाजिक- सांस्कृतिक तथ्यों जैसे समाज, समूह, संस्था, प्रथा, लोकाचार, नैतिकता, धर्म एवं राजनैतिक मूल्यों आदि से घिरा हुआ है जो कि उसका पर्यावरण कहा जाता है। इस प्रकार प्राणी चारों ओर पाई जाने वाली सभी प्राकृतिक, सामाजिक-सांस्कृतिक वस्तुओं एवं दशायें उसका पर्यावरण कहलाती हैं। पर्यावरण से अभिप्राय हमारे चारों ओर फैले उस वातावरण और परिवेश से है, जिससे हम घिरे रहते हैं। प्रकृति में जो विद्यमान समस्त जैविक तथा अजैविक घटक मिलकर पर्यावरण की रचना करते हैं। अर्थात् जल, वायु, भूमि, प्रकाश, वनस्पति, जन्तु, मानव इत्यादि पर्यावरण के घटक या तत्व हैं। ब्रह्माण्ड में सम्भवतः पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा खगोलीय पिण्ड है, जहाँ जीवन के अनुकूल प्राकृतिक दशायें पायी जाती हैं। इसी कारण यहाँ जीवों का विकास संभव हो सका है। स्थल, जल एवं वायुमण्डल तीनों में ही जीवों का अस्तित्व पाया जाता है। पृथ्वी पर सजीवों (वनस्पति एवं प्राणी) के निवास क्षेत्र को 'जीवमण्डल' कहते हैं। वायुमण्डल में प्रदूषण के स्रोत प्राकृतिक और कृतिम या मानव प्रदत्त प्रदूषण के रूप में विभक्त होते हैं। प्राकृतिक प्रदूषण का स्रोत स्वयं प्रकृति है। अनचाहे और अनजाने यह प्रदूषण हो जाता है जिसका प्रभाव जीवधारियों पर पड़ता है। जैसे—ज्वालामुखी विस्फोट, चट्टानों का टूटना, आँधी या तूफान, वनों की आग, बिजली का गिरना आदि नदियों के साथ अनचाही वस्त...

पर्यावरण किसे कहते हैं ?

पर्यावरण किसे कहते हैं ? [ Paryavaran kise kahate hain ] पर्यावरण क्या है ? – पर्यावरण (Environment) शब्द का उद्भव फ्रेंच भाषा के Environner शब्द से हुआ है जिसका अर्थ है “घेरना”। अतः इसमें किसी जीव के चारों ओर उपस्थित समस्त जैविक तथा अजैविक पदार्थों को पर्यावरण के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार जल, वायु, भूमि उनके पारस्परिक सम्बन्ध, अन्य वस्तुओं जैसे जीवों, सम्पत्ति तथा मनुष्य के आपसी सम्बन्धों को मिलाकर ही पर्यावरण का निर्माण होता है। वनस्पति विज्ञान, जीव विज्ञान, सूक्ष्मजीवी विज्ञान, अनुवंशिकी, जैव रसायन, तथा जैव प्रौद्योगिकी आदि जीवन सम्बन्धी विज्ञान की जानकारी पर्यावरण के जैविक संघटकों तथा उसके आपसी सम्बन्धों को समझने में सहायक होती है। अजैविक संघटकों की भौतिक तथा रासायनिक संरचना, ऊर्जा स्थानान्तरण तथा ऊर्जा प्रवाह आदि को भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, भूगर्भ विज्ञान, वायुमण्डलीय विज्ञान, समुद्र विज्ञान तथा भौगोलिक विज्ञान आदि के मूल सिद्धान्तों के ज्ञान के आधार पर समझा जा सकता है। गणित, सांख्यिकी तथा कम्प्यूटर विज्ञान पर्यावरण के प्रबन्धन तथा इसका प्रतिरूप बनाने में सहायक होती है। पर्यावरण के विभिन्न विकास कार्यक्रमों से जुड़े इसके सामाजिक तथा आर्थिक पहलुओं की जानकारी समाज – शास्त्र तथा जनसंचार के माध्यम से प्राप्त की जाती है। पर्यावरणीय अभियान्त्रिकी, सिविल अभियान्त्रिकी तथा रसायन अभियान्त्रिकी के माध्यम से पर्यावरणीय प्रदूषण की रोकथाम, कूड़ा-करकट का निस्तारण तथा स्वच्छ तकनीकी आदि का विकास तथा पर्यावरण का संरक्षण संभव है। पर्यावरण के निर्धारित नियम तथा कानून इसके उचित प्रबन्धन तथा संरक्षण के लिए उपयुक्त व्यवस्था प्रदान करते हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि पर...

पर्यावरण कितने प्रकार के होते है

प्रदूषण के कुछ मुख्य प्रकार निम्नवत हैं: वायु प्रदूषण: -वातावरण में रसायन तथा अन्य सुक्ष्म कणों के मिश्रण को वायु प्रदुषण कहते हैं। सामान्यतः वायु प्रदूषण कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) और उद्योग और मोटर वाहनों से निकलने वाले नाइट्रोजन आक्साइड जैसे प्रदूषको से होता है। धुआँसा वायु प्रदुषण का परिणाम है। धूल और मिट्टी के सूक्ष्म कण सांस के साथ फेफड़ों में पहुंचकर कई बीमारियाँ पैदा कर सकते हैं। जल प्रदूषण:- जल में अनुपचारित घरेलू सीवेज के निर्वहन और क्लोरीन जैसे रासायनिक प्रदूषकों के मिलने से जल प्रदूषण फैलता है। जल प्रदूषण पौधों और पानी में रहने वाले जीवों के लिए हानिकारक होता है। भूमि प्रदूषण:- ठोस कचरे के फैलने और रासायनिक पदार्थों के रिसाव के कारण भूमि में प्रदूषण फैलता है। प्रकाश प्रदूषण:- यह अत्यधिक कृत्रिम प्रकाश के कारण होता है। ध्वनि प्रदूषण:- अत्यधिक शोर जिससे हमारी दिनचर्या बाधित हो और सुनने में अप्रिय लगे, ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। रेडियोधर्मी प्रदूषण:- परमाणु उर्जा उत्पादन और परमाणु हथियारों के अनुसंधान, निर्माण और तैनाती के दौरान उत्पन्न होता है

पर्यावरण किसे कहते हैं

पर्यावरण से तात्पर्य हमारे चारों ओर के उस परिवेश एवं वातावरण से है जिससे हम घिरे हैं। सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि जो कुछ जीव के चारों ओर उपस्थित होता है, वह उसका पर्यावरण होता है। पर्यावरण किसे कहते हैंपर्यावरण शब्द ‘परि’ एवं‘आवरण’ से मिलकर बना है। परि का अर्थ चारों ओर व आवरण का अर्थ घेरा होता है अर्थात् हमारे चारों ओर जो कुछ भी दृश्यमान एवं अदृश्य वस्तुएँ हैं, वही पर्यावरण है। इस प्रकार जो कुछ भी हमारे चारों ओर स्थित है और जो हमारे रहन-सहन की दशाओं तथा मानसिक क्षमताओं को प्रभावित करता है, वही पर्यावरण कहलाता है। बोरिंग ने पर्यावरण को निम्न प्रकार से परिभाषित किया है- एक व्यक्ति के पर्यावरण में वह सब कुछ सम्मिलित किया जाता है जो उसके जन्म से मृत्युपर्यन्त उस पर प्रभाव डालता है।’ व्यक्ति का जन्म भी पर्यावरण की परिधि में, जीवन भी उसी परिधि में तथा मृत्यु भी पर्यावरण की परिधि में ही होता है। डी0 डेविस के अनुसार- ‘‘पर्यावरण से अभिप्राय है कि जीव के चारों ओर से घेरे उन सभी भौतिक स्वरूपों से जिनमें वह रहता है जिनका उनकी आदतों एवं क्रियाओं पर प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार के स्वरूपों में भूमि, जलवायु, मिट्टी की प्रकृति, वनस्पति, प्राकृतिक संसाधन, जल, थल आदि सम्मिलित हैं।’’ सोरोकिन के अनुसार- ‘‘पर्यावरण से तात्पर्य ऐसी व्यापक दशाओं से है जिनका अस्तित्व मनुष्यों के कार्यों से स्वतंत्र हैं अर्थात् जो मानव रचित नह है। ये दशायें बिना मनुष्य के कार्यों से प्रभावित हुए स्वत: परिवर्तित होती है। दूसरे शब्दों में पर्यावरण में वे सब प्रभाव अन्तर्निहित होते हैं जिनका अस्तित्व मनुष्य को पृथ्वी से पूर्णतया हटा देने पर भी बना रहेगा।’’ पर्यावरण के प्रकारपर्यावरण कितने प्रकार के होते हैं? पर्या...

पर्यावरण किसे कहते हैं, परिभाषा, प्रकार, महत्त्व, समस्याएं, लाभ

पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है परि+आवरण इसमें परि का अर्थ होता है चारों तरफ से एवं आवरण का अर्थ है 'ढके हुए। अंग्रेजी में पर्यावरण को Environment कहते हैं इस शब्द की उत्पकि 'Envirnerl' से हुई और इसका अर्थ है-Neighbonrhood अर्थात आस-पड़ोस। पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ है हमारे आस-पास जो कुछ भी उपस्थित है जैसे जल-थल, वायु तथा समस्त प्राकृतिक दशाएँ, पर्वत, मैदान व अन्य जीवजन्तु, घर, मोहल्ला, गाँव, शहर, विद्यालय महाविद्यालय, पुस्तकालय आदि जो हमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं।paryavaran kya hai जैव मण्डल का विशिष्ट लक्षण यह है कि वह जीवन को आधार प्रदान करती है। यह एक विकासात्मक प्रणाली है। इसमें अनेक प्रकार के जैविक व अजैविक घटकों का संतुलन बहुत पहले से क्रियाशील रहा है। जीवन की इस निरन्तरता के मूल में अन्योन्याश्रित सम्बन्धों का एक सुघटित तंत्र काम करता है। वायु जल मनुष्य, जीव जन्तु, वनस्पति, लवक मिट्टी एवं जीवाणु ये सभी जीवन चरण प्रणाली में अदृश्य रूप से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और यह व्यवस्था पर्यावरण कहलाती है। सौर ऊर्जा सूर्य से प्राप्त होती है। ये जैवमण्डल को सजीव बनाए रखती है।। मनो-सामाजिक पर्यावरणः- मनो-सामाजिक मनुष्य के सामाजिक संबंधों से प्रगट होता है। इसके अंतर्गत सामाजिक आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्रों में मनुष्य के व्यक्तिगत के विकास का अध्ययन करते हैं। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है उसे परिवार में माता-पिता, भाई-बहन, पत्नि तथा समाज में पड़ौसियों के साथ संबंध बना कर रहना पड़ता है। उसे समुदाय प्रदेश एवं राष्ट्र से भी सम्बन्ध बना कर रहना पड़ता है। मनुष्य सामाजिक व सांस्कृतिक पर्यावरण का उत्पाद है जिसके द्वारा मनुष्य का आका...

पर्यावरण किसे कहते हैं ?

पर्यावरण किसे कहते हैं ? [ Paryavaran kise kahate hain ] पर्यावरण क्या है ? – पर्यावरण (Environment) शब्द का उद्भव फ्रेंच भाषा के Environner शब्द से हुआ है जिसका अर्थ है “घेरना”। अतः इसमें किसी जीव के चारों ओर उपस्थित समस्त जैविक तथा अजैविक पदार्थों को पर्यावरण के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार जल, वायु, भूमि उनके पारस्परिक सम्बन्ध, अन्य वस्तुओं जैसे जीवों, सम्पत्ति तथा मनुष्य के आपसी सम्बन्धों को मिलाकर ही पर्यावरण का निर्माण होता है। वनस्पति विज्ञान, जीव विज्ञान, सूक्ष्मजीवी विज्ञान, अनुवंशिकी, जैव रसायन, तथा जैव प्रौद्योगिकी आदि जीवन सम्बन्धी विज्ञान की जानकारी पर्यावरण के जैविक संघटकों तथा उसके आपसी सम्बन्धों को समझने में सहायक होती है। अजैविक संघटकों की भौतिक तथा रासायनिक संरचना, ऊर्जा स्थानान्तरण तथा ऊर्जा प्रवाह आदि को भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, भूगर्भ विज्ञान, वायुमण्डलीय विज्ञान, समुद्र विज्ञान तथा भौगोलिक विज्ञान आदि के मूल सिद्धान्तों के ज्ञान के आधार पर समझा जा सकता है। गणित, सांख्यिकी तथा कम्प्यूटर विज्ञान पर्यावरण के प्रबन्धन तथा इसका प्रतिरूप बनाने में सहायक होती है। पर्यावरण के विभिन्न विकास कार्यक्रमों से जुड़े इसके सामाजिक तथा आर्थिक पहलुओं की जानकारी समाज – शास्त्र तथा जनसंचार के माध्यम से प्राप्त की जाती है। पर्यावरणीय अभियान्त्रिकी, सिविल अभियान्त्रिकी तथा रसायन अभियान्त्रिकी के माध्यम से पर्यावरणीय प्रदूषण की रोकथाम, कूड़ा-करकट का निस्तारण तथा स्वच्छ तकनीकी आदि का विकास तथा पर्यावरण का संरक्षण संभव है। पर्यावरण के निर्धारित नियम तथा कानून इसके उचित प्रबन्धन तथा संरक्षण के लिए उपयुक्त व्यवस्था प्रदान करते हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि पर...