Paryavaran par nibandh

  1. Paryavaran Sanrakshan par nibandh
  2. Environment Essay in Hindi पर्यावरण पर निबंध
  3. विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध एवं सम्पूर्ण ज्ञान


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Paryavaran Sanrakshan par nibandh

नमस्कार दोस्तों आज के इस पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Paryavaran Sanrakshan par nibandh या यूं कहें पर्यावरण संरक्षण पर लेख में हम लोग पर्यावरण से संबंधित व सारी बातों को जानेंगे जिससे हम अपने पर्यावरण का संरक्षण बहुत ही अच्छे तरीके से कर पाए। अगर आप पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Paryavaran Sanrakshan par nibandh) लिख रहे हैं या उस पर स्पीच, भाषण या वाद-विवाद प्रतियोगिता के लिए तैयारी कर रहे हैं तो आप इस लेख को अंत तक पढ़े और फिर खुद से लिखने का प्रयास करें। Paryavaran Sanrakshan par nibandh | पर्यावरण संरक्षण पर निबंध Paryavaran Sanrakshan par nibandh भारतीय संस्कृति में ‘जियो और जीने दो’ का सिद्धांत सर्वोपरि रहा है, जो केवल प्राणियों तक सीमित नहीं। इसमें चर-अचर, जड़-चैतन्य प्रकृति का हर घटक शामिल है। मनुष्य जीवन और प्रकृति के बीच सामंजस्य इसका मूलमंत्र रहा है, जिसमें प्रकृति का अंग बनकर रहने का भाव रहा है कि उससे उतना ही लिया जाए, जितना कि आवश्यक हो। हवा, पानी, पृथ्वी, अग्नि, आकाश जैसे मूलतत्त्वों से सृष्टि की रचना होने के कारण भारतीय दर्शन एवं चिंतन में इनकी शुद्धता एवं प्रदूषणरहितता पर विशेष ध्यान दिया गया है। हमारी संस्कृति आगाह करती है कि प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने से ही पर्यावरणीय संरक्षण संभव है, जो हमें वर्तमान एवं भविष्य में होने वाले दुष्परिणामों से बचा सकता है। प्रकृति के साथ सहअस्तित्व, सामंजस्य और सौहार्दपूर्ण मातृभावयुक्त सम्माननीय दृष्टि ही भारतीय संस्कृति का विधान है। हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने वनों के बीच रहकर जीवन के उच्चतर सत्यों का संधान किया। प्रकृति से हमारा न तो कोई संघर्ष रहा तथा न प्रकृति पर विजय पाने जैसे विचारों से हमारी संस्कृति निर्मित रही। जहाँ...

Environment Essay in Hindi पर्यावरण पर निबंध

Environment Essay in Hindi for class 5/6 in 100 words (Paryavaran par nibandh) हमारे आस-पास जो कुछ भी हम देख रहे हैं वह हमारे पर्यावरण का ही भाग है। किसी भी जैविक एवं अजैविक पदार्थ के जन्म लेने, विकसित होने एवं समाप्त होने में पर्यावरण की ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पर्यावरण के अनुरूप ही ये पदार्थ अपने अस्तित्व पर कायम रह पाते हैं अथवा विकसित होते हैं। मनुष्य इस पर्यावरण के कारण ही विकास कर रहा है। लेकिन अपने आस-पास के प्राकृतिक पर्यावरण को इन्सान अपने विकास के लिए दूषित और नष्ट करता जा रहा है। समय अब सचेत कर रहा है कि हम अपने पर्यावरण को समझ कर इसे प्रदूषित और नष्ट करने के बजाय विकास के साथ-साथ इसका भी संतुलन बनाये रखें। Environment Essay in Hindi for class 7/8 in 200 words हम चारों ओर पर्यावरण से घिरे हुए हैं। हवा, पानी, पेड़-पौधे, जानवर, इंसान आदि ये सब पर्यावरण के ही तत्व हैं। पर्यावरण के बगैर किसी भी प्रकार का जीवन असंभव है। पर्यावरण से ही किसी भी देश की भौतिक परिस्थितियाँ एवं अन्य विशेषताऐं विकसित होती हैं। जिस स्थान अथवा देश का पर्यावरण स्वस्थ होता है वह देश उतना ही स्वस्थ एवं विकसित होता है। मात्र बड़े-बड़े कारखाने, ईमारतें, सड़कें आदि बना देने से वह देश विकसित नहीं कहलाता। यदि भौतिक विकास के साथ-साथ पर्यावरणीय विकास को भी महत्व दिया जायेगा तभी कोई देश तरक्की कर सकता है। अन्यथा वह कंकरीट का जंगल बन कर रह जायेगा। स्वस्थ पर्यावरण किसी भी देश की दिशा तय कर सकता है। पर्यावरण के किसी एक भी तत्व में हेरफेर होने पर इसके परिणाम बहुत दुखदायी हो सकते हैं। किंतु मनुष्य अपने विकास के चलते अभी इस तरफ से अपनी नज़रें बचाये हुए है। हमें ध्यान रखना चाहिये कि एक स्वच्छ पर्यावरण, स्वस्थ...

विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध एवं सम्पूर्ण ज्ञान

प्रस्तुत लेख में विश्व पर्यावरण दिवस से संबंधित समस्त बिंदुओं को संकलित कर रहे हैं। साथ ही विद्यार्थियों के लिए इस विषय पर निबंध भी उपलब्ध करा रहे हैं। विश्व पर्यावरण दिवस की उपयोगिता आज पूरे विश्व में है। निरंतर प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से आज ऐसी भयावह स्थिति उत्पन्न हो रही है जिसके कारण प्राकृतिक संतुलन निरंतर बिगड़ती जा रही है। वैश्विक ताप वृद्धि ने आज मानव जीवन के अस्तित्व पर संकट ला खड़ा किया है। अगर समय रहते व्यक्ति सतर्क नहीं होता तो जल्द ही वह अपने प्राकृतिक संसाधनों के साथ-साथ स्वयं के अस्तित्व को भी नहीं बचा पाएगा। Table of Contents • • • • • • • • • • • विश्व पर्यावरण दिवस क्या है विश्व पर्यावरण दिवस से हमारा संबंध उस दिन को उत्सव तथा जागरूकता के रूप में मनाना है जो पर्यावरण से संबंधित है। इस दिन प्राकृतिक संसाधनों के प्रति मानव को जागरूक किया जाता है। किस प्रकार व्यक्ति अपने निजी हितों के लिए निरंतर प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहा है ,उस की ओर ध्यान आकर्षित करना होता है। • अधिक मात्रा में वन की कटाई, • जल स्रोतों को दूषित करना, • वायु प्रदूषण करना • यह सभी विषय पर्यावरण के दोहन से जुड़े हुए हैं। जिसके अधिक दोहन के कारण आज वैश्विक ताप वृद्धि का संकट उत्पन्न हुआ है। विकसित देश इसके प्रति थोड़ी बहुत जिम्मेदारी दिखाते तो है किंतु उस पर अमल नहीं करते। वह विकासशील देशों पर सारा दायित्व थोप कर कर स्वयं को दोषमुक्त बता देते हैं ,जबकि वैश्विक ताप वृद्धि में विकसित देशों का अधिक हस्तक्षेप है। जिसके कारण निरंतर प्रकृति अपना संतुलन होती जा रही है। दक्षिणी गोलार्ध पर जमी बर्फ दिन प्रतिदिन बड़ी मात्रा में पिघल रही है ,जिसके कारण जल का स्तर बढ़ता जा रहा है। इसके प्रभाव मे...