फारस का प्रसिद्ध शासक

  1. पारसी धर्म का इतिहास
  2. [Solved] फारसी राजदूत अब्दुल रज्जाक किसके शासनकाल में
  3. फारस का शासक (Pharas ka shasak) meaning in English
  4. भारत को लूटने वाले 10 क्रूर, बर्बर विदेशी शासक
  5. भारत / हिंदुस्तान का पहला राजा कौन था
  6. मध्यकालीन भारत का इतिहास, मुग़ल राजवंश,प्रमुख शासक तथा तकनीकी विकास
  7. फ़ारसी साहित्य
  8. प्राचीन मिस्र की सभ्यता
  9. तक्षशिला
  10. फ़ारसी साहित्य


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पारसी धर्म का इतिहास

7 वीं शताब्दी में, जोरास्ट्रियन ससानियन राजवंश को इस्लामी विजय का खतरा था जिसके फलस्वरूप पारसी लोगों का एक छोटा समूह वर्तमान भारत में गुजरात भाग गया, जहां उन्हें 'पारसी' (शाब्दिक अर्थ 'पारस या फ़ार्स के लोग') कहा जाता था। कई मिथक भारत के वेस्ट कोस्ट में आने और संजान (गुजरात) में बसने के बारे में बताते हैं। क़िस्सा-ए-संजान में उल्लिखित सबसे लोकप्रिय यह है कि जैदी राणा नामक एक भारतीय शासक ने पारसी समूह को दूध से भरा एक गिलास भेजा था। उनका संदेश था कि उनका राज्य स्थानीय लोगों से भरा हुआ था। पारसी प्रवासियों ने दूध में चीनी (या एक अंगूठी, कहानी के कुछ संस्करणों में) डालकर अपने लोगों को स्थानीय समाज में "दूध में चीनी" की तरह आत्मसात करने का संकेत दिया। भारतीय उपमहाद्वीप का पारसी (या पारसी) समुदाय इंडो-यूरोपियनबोलने वालों और जोरोस्ट्रियन आस्थाके अनुयायियों का एक समूह है, जो पूर्व-इस्लामिक फारस (वर्तमान ईरान) में पनपे शुरुआती अद्वैतवादमें से एक है। पारसी धर्म 600 ईसा पूर्व से 650 A.D.तक फारस का धर्म था और अच्छी तरह से संरक्षित संस्कृति के लंबे इतिहास के बावजूद, अब इसके अनुयायियों की सीमित संख्या है। पारसी धर्म भी द्वैतवादी है। जोरास्ट्रियन का मानना​​है कि अहुरा मज़्दा ने दो आत्माओं का निर्माण किया: एक अच्छा एक ( स्पेंटा मेन्यू), और एक बुराएक ( अंग्रा मेन्यू)। पारसी लोग मानते हैं कि लोग अच्छे और बुरे के बीच चयन करने के लिए स्वतंत्र हैं। अच्छा चुनने से खुशी मिलेगी, और बुरे को चुनने से दुखी होगा। इसलिए अच्छा चुनना सबसे अच्छा है। इसलिए, धर्म का आदर्श वाक्य "अच्छे विचार, अच्छे शब्द, अच्छे कर्म" हैं। दुनिया की सभी बुरी चीजों को "विनाशकारी सिद्धांत" के रूप में अंगरा मेन्यू के रूप में दर...

[Solved] फारसी राजदूत अब्दुल रज्जाक किसके शासनकाल में

सही उत्तर देवराय-द्वितीय है। Key Points • देवराय द्वितीय विजयनगर साम्राज्य का एक सम्राट और संगम वंश का सबसे शक्तिशाली राजा था। • उनका शासनकाल 1422-1446 ई.के बीच था। • वह एक प्रसिद्ध प्रशासक, योद्धा और विद्वान थे। • उन्होंने सोबागियाना सोना और अमरुका जैसी कन्नड़ भाषाओं में प्रसिद्ध कृतियों को लिखा। • फारस के राजदूत अब्दुल रज्जाक देवराय द्वितीय के शासनकाल के दौरान विजयनगर आए।

फारस का शासक (Pharas ka shasak) meaning in English

Information provided about फारस का शासक ( Pharas ka shasak ): फारस का शासक (Pharas ka shasak) meaning in English (इंग्लिश मे मीनिंग) is SOPHY (फारस का शासक ka matlab english me SOPHY hai). Get meaning and translation of Pharas ka shasak in English language with grammar, synonyms and antonyms by ShabdKhoj. Know the answer of question : what is meaning of Pharas ka shasak in English? फारस का शासक (Pharas ka shasak) ka matalab Angrezi me kya hai ( फारस का शासक का अंग्रेजी में मतलब, इंग्लिश में अर्थ जाने) Tags: English meaning of फारस का शासक , फारस का शासक meaning in english, फारस का शासक translation and definition in English. English meaning of Pharas ka shasak , Pharas ka shasak meaning in english, Pharas ka shasak translation and definition in English language by ShabdKhoj (From HinKhoj Group). फारस का शासक का मतलब (मीनिंग) अंग्रेजी (इंग्लिश) में जाने |

भारत को लूटने वाले 10 क्रूर, बर्बर विदेशी शासक

भारत की प्राचीन सभ्यता काफी विकसित और उन्नत रही है। भारत कभी दुनिया में सबसे अमीर व् संपन्न देशो में गिना जाता था जिस कारण उसे सोने की चिड़िया भी कहते थे। भारत के सोने की पुरी दुनिया में तूती बोलती थी जिस कारण बड़े बड़े विदेशी आक्रमणकारी भारत को लुटने के लिए भारत पर आक्रमण करते थे। भारत में बड़े बड़े साम्राज्य हुए जिन्होंने इन विदेशी लुटेरो का सामना किया पर 7वी शताब्दी में गुप्त वंश के पतन के बाद भारत में राजनैतिक अस्थिरता आ गयी जिस कारण भारत छोटे छोटे जनपदों में बंट गया और कई विदेशी लुटेरो के आक्रमण से देश पराजित हो गया। मौर्य के उन्नत शासन के पश्चात देश में गुप्तवंश के राजाओ का काल आया जिसे भारत का स्वर्णिम काल भी कहते है पर इसके तुरंत बाद भारत की सत्ता कमजोर हो गयी जिस पर कई विदेशी आक्रमणकारियों ने लाभ उठा कर अपने अधिकार में ले लिए। आइये बताते है कुछ ऐसे ही क्रूर लुटेरो के बारे में जिन्होंने देश पर आक्रमण करके भारत के संपन्न लोगों को कमजोर और दरिद्र बना दिया। 1. सिकंदर (अलेक्सेंडर) भारत पर पहला विदेशी आक्रमण 326 ईसा पूर्व मेसेडोनिया के राजा सिकंदर ने किया था जब वह मिस्र पोरस(फारस) आदि देशो को रोंद्ता हुआ तक्षशिला तक आ पहुंचा। यहाँ उसने तक्षशिला के युवराज आम्भी से संधि करके तक्षशिला पर अधिकार कर लिया। सिकंदर दुनिया पर अधिकार करने के उद्देश्य से सभी देशो को पराजित करता हुआ भारत पहुंचा था पर भारत पहुँच कर उसे भारत के वैभव व् सम्पन्नता का पता चला तो उसने लुटने के उद्देश्य भारत के भीतर तक आक्रमण किये जिसका पुरुस और अन्य कई जनपदों ने सामना किया पर सिकंदर ने बहुत से भारतीय जनपदों पर अधिकार कर लिया था। तक्षशिला के ही एक ब्राह्मण शिक्षक विष्णुगुप्त(आचार्य चाणक्य) ने हारे हुए भारतीयों...

भारत / हिंदुस्तान का पहला राजा कौन था

महान शासक चंद्रगुप्त मौर्य, जिन्होंने मौर्य वंश की स्थापना की , निर्विवाद रूप से भारत के पहले राजा थे क्योंकि उन्होंने न केवल प्राचीन भारत में सभी खंडित राज्यों को जीता बल्कि उन सभी को मिला कर एक बड़ा साम्राज्य खड़ा कर दिया जिसकी सीमाएं अफगानिस्तान और फारस के किनारे तक विस्तृत थी। चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म पाटलिपुत्र, मगध में 340 ईसा पूर्व में हुआ था जो वर्तमान में बिहार के रूप में जाना जाता है। उनकी उम्र केवल 20 वर्ष थी जब उन्होंने महान अर्थशास्त्री, दार्शनिक और विद्वान ब्राह्मण चाणक्य की मदद से मगध में मौर्य वंश की स्थापना की। वास्तव में यह चाणक्य ही थे जिन्होंने विन्झा वन में चंद्रगुप्त मौर्य की खोज की थी। चाणक्य मगध के तत्कालीन शासक नंदा वंश के राजा धन नंदा से बदला लेना चाहते थे। चाणक्य एक युवा योद्धा की खोज में थे जो नंदा साम्राज्य को खत्म करने में उनकी मदद करें क्योंकि राजा धन नंदा ने एक बार उनकी बदसूरत शक्ल के कारण उनका अपमान किया था। राजा धन नंदा के आदेशों पर उनके सैनिकों ने चाणक्य को विधानसभा से जबरदस्ती बाहर निकलवा दिया था। अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए चाणक्य ने विभिन्न युद्ध कौशल में चंद्रगुप्त मौर्य को प्रशिक्षण और ज्ञान दिया। इसके साथ ही उन्होंने उन्हें एक शक्तिशाली शासक बनने के लिए आवश्यक मानविकी, शिल्प और सारे राजनीतिक सबक भी सिखायें। इसके बाद 322 ईसा पूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य ने सफलतापूर्वक चाणक्य की सहायता से एक मजबूत सेना की स्थापना की और धन नंदा के साम्राज्य को समाप्त कर दिया और मगध में मौर्य वंश स्थापित किया। चंद्रगुप्त मौर्य ने 298 ईसा पूर्व तक शासन किया और अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने लगभग देश के सभी साम्राज्यों पर विजय प्राप्त करके उन्हें अपने ...

मध्यकालीन भारत का इतिहास, मुग़ल राजवंश,प्रमुख शासक तथा तकनीकी विकास

मध्यकालीन भारत का इतिहास, मुग़ल राजवंश,प्रमुख शासक तथा तकनीकी विकास भारत के मध्यकालीन इतिहास को 8वी शताब्दी से 18वी शताब्दी के मध्य माना जाता है| इस समय अन्तराल में पाल, प्रतिहार और राष्ट्रकूट के साथ-साथ दिल्ली सल्तनत तथा शक्तिशाली मुग़ल साम्राज्य तथा इस समय के प्रमुख शासक के बारे में विस्त्रत जानकारियों को पढ़ते है | इसी को ध्यान में रखते हुए इस पोस्ट के माध्यम से हम विस्तृत जानकारी को प्राप्त करेंगे| विस्तृत एवं सुचारु रूप से जानकारी के लिये प्रारम्भिक मध्यकालीन युग (8वी से 11वी शताब्दी) गत मध्यकालीन युग (12वी से 18वी शताब्दी) इन्हे भी पढ़े 👉 प्रारम्भिक मध्यकालीन युग (8वी से 11वी शताब्दी) प्रारम्भिक मध्यकालीन को लेकर हमेशा इतिहासकारों के मध्य मदभेत रहा है | कुछ इतिहासकार इस समय काल को जिनमे हमेसा लड़ाईयाँ होती रहती थी | इन्ही संघर्षों के मध्य यहाँ पर मुस्लिम शासकों का भी आक्रमण होता रहा | इस तरह कुछ निम्न शासक है जिन्होंने शासन किया | इन्हे भी पढ़े👉 हिन्दी के महत्वपूर्ण नोट्स • • • • • • • • • • • • • • • प्रारम्भिक मध्यकालीन युग (12वी से 18वी शताब्दी) भारत पर मुस्लिमों शासकों का आक्रमण इन्हे भी पढ़े 👉 दिल्ली सल्तनत 12वी शताब्दी के अन्त तक भारत पर गये थे | जिनमे सल्तनत की शुरुआत हुयी | • • • • • मंगोल आक्रमण लोदी शासकों के द्वारा लगातार जनता के खिलाफ लिये जा रहे गलत फैसलों से लोगो में असंतोष की लहर दौड़ने लगी | जिससे मुग़ल राजवंश मुग़ल सल्तनत की भारत में शुरुआत मुग़ल सल्तनत का संस्थापक- बाबर(1526) मुग़ल सल्तनत का पहला शासक - मुग़ल सल्तनत का अन्तिम शासक- बहादुरशाह जफ़र द्वितीय दिल्ली सल्तनत ने सिकन्दर लोदी के पश्चात लोदी वंश का अन्तिम शासक इ लोदी 1517 में सिहांसन पर बैठा, 1517-18 में ह...

फ़ारसी साहित्य

फारसी भाषा और साहित्य अपनी मधुरता के लिए प्रसिद्ध है। फारसी ईरान देश की भाषा है, परंतु उसका नाम फारसी इस कारण पड़ा कि फारस, जो वस्तुत: ईरान के एक प्रांत का नाम है, के निवासियों ने सबसे पहले राजनीतिक उन्नति की। इस कारण लोग सबसे पहले इसी प्रांत के निवासियों के संपर्क में आए अत: उन्होंने सारे देश का नाम 'पर्सिस' रख दिया, जिससे आजकल यूरोपीय भाषाओं में ईरान का नाम पर्शिया, पेर्स, प्रेज़ियन आदि पड़ गया। . 53 संबंधों: , , तज़किरा (फ़ारसी) भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान और मध्य एशिया की बहुत-सी भाषाओँ में (जैसे कि उर्दू, फ़ारसी, उज़बेकी, पंजाबी) के साहित्य में किसी लेखक कि जीवनी को दर्शाने वाले उसकी कृतियों के एक संग्रह (यानि कुसुमावली) को कहते हैं। तज़किरे अधिकतर कवियों-शायरों के बनाए जाते हैं, हालांकि गद्य-लेखक का भी तज़किरा बनाना संभव है। कभी-कभी किसी व्यक्ति कि जीवनी या जीवन-सम्बन्धी कहानियों को भी 'तज़किरा' कह दिया जाता है।, Muzaffar Alam, Françoise Delvoye Nalini, Marc Gaborieau, Manohar Publishers & Distributors, 2000, ISBN 978-81-7304-210-2,... नई!!: तैमूर लंग (अर्थात तैमूर लंगड़ा) (जिसे 'तिमूर' (8 अप्रैल 1336 – 18 फ़रवरी 1405) चौदहवी शताब्दी का एक शासक था जिसने महान तैमूरी राजवंश की स्थापना की थी। उसका राज्य पश्चिम एशिया से लेकर मध्य एशिया होते हुए भारत तक फैला था। उसकी गणना संसार के महान्‌ और निष्ठुर विजेताओं में की जाती है। वह बरलस तुर्क खानदान में पैदा हुआ था। उसका पिता तुरगाई बरलस तुर्कों का नेता था। भारत के मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक बाबर तिमूर का ही वंशज था। . नई!!: दारा प्रथम या डेरियस प्रथम (पुरानी फ़ारसी: Dārayava(h)uš, नव फ़ारसी भाषा: داریوش दरायुस; דָּֽרְיָוֶשׁ,...

प्राचीन मिस्र की सभ्यता

मिस्र के प्रथम राजवंश का प्रथम शासक मेनिस था। विश्व की प्रथम महिला शासक प्राचीन मिस्र की रानी हटशेटपुट थी। मिस्र को नील नदी की देन कहने वाला प्रमुख इतिहासकार नेपोलियन थुटमोज तृतीय को कहा जाता है। (मध्यकालीन राज्य का एक प्रतापी सम्राट) गीजा स्थित विश्व प्रसिद्ध पिरामिड का निर्माता-मिश्र का एक महान फराओ चियोप्स (खूफू)। इसने 2600 ई.पू. में विश्व प्रसिद्ध पिरामिड का निर्माण कराया था। अधिकांश पिरामिण्डों का निर्माण नील नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित नेनफिस नगर में किया गया था। मिस्र सभ्यता के समय हुई विभिन्न राजनैतिक घटनाओं को देखते हुये मिश्र के राजनैतिक इतिहास को तीन भागों में विभक्त किया गया है, जो निम्नलिखित हैं – • पिरामिड युग 34,00 ई.पू.से 2500 ई.पू. तक, • सामंतशाही युग 25,00 ई.पू.से 1800 ई.पू. तक • नवीन साम्राज्य 1580 ई.पू. से 1150 ई.पू. तक पिरामिड काल का प्रथम शासक मीन्स था। इसी के समय में मिश्र के वास्तविक राजनैतिक जीवन का श्रीगणेश हुआ। 2500 ई.पू. तक फराओ की शक्ति का पूर्ण ह्रास हो गया। इसके परिणामस्वरूप मिश्र के राजनैतिक इतिहास में एक नये युग का श्रीगणेश हुआ, जिसे सामंतशाही काल कहा जाता है। पिरामिड युग की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि पिरामिड का निर्माण था, जिसको फराओ ने स्वयं की मृत्यु के बाद दफनाये जाने के लिये बनवाया था। मिश्र के इतिहास में सामंतशाही युग 2500 ई.पू. से 1800 ई.पू. तक रहा। इसके बाद नवीन साम्राज्य की स्थापना हुई, जो हर दृष्टि से पिरामिड काल का उत्तराधिकारी कहा जा सकता है। इस काल को नवीन साम्राज्य कहा जाता है। पिरामिड मिस्र के इतिहास का प्रारंभिक काल (3400 ई.पू. से 2500 ई.पू.) पिरामिड युग के नाम से जाना जाता है। इसी काल में विश्वविख्यात पिरामिडों का निर्माण हुआ।...

तक्षशिला

प्राचीन तक्षशिला के खण्डहरों को खोज निकालने का प्रयन्त सबसे पहले तक्षशिला विश्वविद्यालय [ ] भारतीय इतिहास में तक्षशिला नगरी स्पष्ट है कि तक्षशिला राजनीति और शस्त्रविद्या की शिक्षा का अन्यतम केन्द्र थी। वहाँ के एक शस्त्रविद्यालय में विभिन्न राज्यों के 103 राजकुमार पढ़ते थे। कुछ विद्वानों का मत है (अल्तेकर, एजुकेशन इन एंशेंट इण्डिया, 1944, पृष्ठ 106-7) कि तक्षशिला में कोई आधुनिक महाविद्यालयों अथवा विश्वविद्यालयों जैसी एक संगठित एवं समवेत संस्था नहीं थी, अपितु वह विद्या का ऐसा केन्द्र था जहाँ अलग-अलग छोटे-छोटे गुरुकुल होते और व्यक्तिगत रूप से विभिन्न विषयों के आचार्य आगंतुक विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करते थे। किन्तु इस बात का ध्यान रखते हुए कि उस समय के गुरुकुलों पर गुरुओं के अतिरिक्त अन्य किसी अधिकारी अथवा केन्द्रीय संस्था का कोई नियन्त्रण नहीं होता था, यह असंभव नहीं जान पड़ता कि तक्षशिला के सभी गुरुकुलों के छात्रों की सारी संख्या और उन अलग अलग गुरुकुलों का समवेत स्वरूप आधुनिक विश्वविद्यालयों से विशेष भिन्न न रहा हो। कभी-कभी तो एक-एक गुरुकुल में पाँच-पाँच सौ विद्यार्थी होते थे (जातक, फॉसबॉल, प्रथम, पृष्ठ 239, 317, 402; तृतीय, पृ0 18, 235 आदि) और उनमें विभिन्न विषय अवश्य पढ़ाए जाते होगें। उनको महाविद्यालयों की संज्ञा देना अनुचित न होगा। ग्रैण्ड ट्रंक रोड, इन्हें भी देखें [ ] • सन्दर्भ [ ] • አማርኛ • العربية • مصرى • অসমীয়া • Български • বাংলা • Català • Čeština • Dansk • Deutsch • Ελληνικά • English • Esperanto • Español • Euskara • فارسی • Suomi • Français • गोंयची कोंकणी / Gõychi Konknni • ગુજરાતી • עברית • Hrvatski • Magyar • Հայերեն • Bahasa Indonesia • Italiano • 日本語 ...

फ़ारसी साहित्य

फारसी भाषा और साहित्य अपनी मधुरता के लिए प्रसिद्ध है। फारसी ईरान देश की भाषा है, परंतु उसका नाम फारसी इस कारण पड़ा कि फारस, जो वस्तुत: ईरान के एक प्रांत का नाम है, के निवासियों ने सबसे पहले राजनीतिक उन्नति की। इस कारण लोग सबसे पहले इसी प्रांत के निवासियों के संपर्क में आए अत: उन्होंने सारे देश का नाम 'पर्सिस' रख दिया, जिससे आजकल यूरोपीय भाषाओं में ईरान का नाम पर्शिया, पेर्स, प्रेज़ियन आदि पड़ गया। . 53 संबंधों: , , तज़किरा (फ़ारसी) भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान और मध्य एशिया की बहुत-सी भाषाओँ में (जैसे कि उर्दू, फ़ारसी, उज़बेकी, पंजाबी) के साहित्य में किसी लेखक कि जीवनी को दर्शाने वाले उसकी कृतियों के एक संग्रह (यानि कुसुमावली) को कहते हैं। तज़किरे अधिकतर कवियों-शायरों के बनाए जाते हैं, हालांकि गद्य-लेखक का भी तज़किरा बनाना संभव है। कभी-कभी किसी व्यक्ति कि जीवनी या जीवन-सम्बन्धी कहानियों को भी 'तज़किरा' कह दिया जाता है।, Muzaffar Alam, Françoise Delvoye Nalini, Marc Gaborieau, Manohar Publishers & Distributors, 2000, ISBN 978-81-7304-210-2,... नई!!: तैमूर लंग (अर्थात तैमूर लंगड़ा) (जिसे 'तिमूर' (8 अप्रैल 1336 – 18 फ़रवरी 1405) चौदहवी शताब्दी का एक शासक था जिसने महान तैमूरी राजवंश की स्थापना की थी। उसका राज्य पश्चिम एशिया से लेकर मध्य एशिया होते हुए भारत तक फैला था। उसकी गणना संसार के महान्‌ और निष्ठुर विजेताओं में की जाती है। वह बरलस तुर्क खानदान में पैदा हुआ था। उसका पिता तुरगाई बरलस तुर्कों का नेता था। भारत के मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक बाबर तिमूर का ही वंशज था। . नई!!: दारा प्रथम या डेरियस प्रथम (पुरानी फ़ारसी: Dārayava(h)uš, नव फ़ारसी भाषा: داریوش दरायुस; דָּֽרְיָוֶשׁ,...