पिता पर 4 पंक्तियां

  1. मेरे पिता पर निबंध Essay on Father in Hindi on Father's Day
  2. 150+ Punyatithi Quotes in Hindi
  3. पिता की याद में शायरी
  4. Poem For Sister in Hindi: बहन पर कविता
  5. 12+ पिता पर कविता
  6. 10+ पिता पर कविता
  7. पिता पर 4 पंक्तियां


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मेरे पिता पर निबंध Essay on Father in Hindi on Father's Day

Mere Pita par nibandh – Father’s Day essay in Hindi मेरे पापा पर निबंध My Father Essay in Hindi मैं अपने पिता जी से बेहद प्यार करता हूँ. मेरे पिता सचमुच मुझे बहुत प्यार करते हैं. मेरे पिता मेरे लिए महान हैं क्योंकि वे एक आदर्श पिता हैं। वे मेरे लिए केवल एक पिता ही नहीं बल्कि मेरे सबसे अच्छे दोस्त भी हैं, जो समय-समय पर मुझे अच्छी और बुरी बातों का आभास कराकर आगाह करते हैं। पिताजी मुझे हार न मानने और हमेशा आगे बढ़ने की सीख देते हुए मेरा हौसला बढ़ाते हैं। पिता से अच्छा मार्गदर्शक कोई हो ही नहीं सकता। हर बच्चा अपने पिता से ही सारे गुण सीखता है जो उसे जीवन भर परिस्थितियों के अनुसार ढलने के काम आते हैं। उनके पास सदैव हमें देने के लिए ज्ञान का अमूल्य भंडार होता है, जो कभी खत्म नहीं होता। मेरे पिता की कुछ प्रमुख विशेषताएं उन्हें दुनिया का सबसे अच्छा पिता बनाती है जैसे – धीरज- पिताजी का सबसे महत्वपूर्ण गुण है, कि वे सदैव हर समय धीरज से काम लेते हैं और कभी खुद पर से आपा नहीं खोते। हर परिस्थिति में वे शांति से सोच समझ कर आगे बढ़ते हैं और गंभीर से गंभीर मामलों में भी धैर्य बनाए रखते हैं। संयम – मैने हमेशा पिता से सीखा है कि चाहे कुछ भी हो जाए, हमें अपने आप पर से नियंत्रण कभी नहीं खोना चाहिए। पिताजी हमेशा संयमित व्यवहारकुशलता से हर कार्य को सफलता पूर्वक समाप्त करते हैं। वे कभी मुझ पर या मां पर बिना वजह छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा नहीं करते। Advertisement अनुशासन- पिताजी हमेशा हमें अनुशासन में रहना सिखाते हैं और वे खुद भी अनुशासित रहते हैं। सुबह से लेकर रात तक उनकी पूरी दिनचर्या अनुशासित होती है। वे सुबह समय पर उठकर दैनिक कार्यों से नि़वृत्त होकर ऑफिस जाते हैं और समय पर लौटते हैं। वे प्रति...

150+ Punyatithi Quotes in Hindi

भले ही वो महान लोग इस दुनिया को अलविदा कह गए हों, लेकिन उनके विचार आज भी करोड़ो युवाओं के जेहन में जिंदा हैं। दुःखद समाचार प्राप्त हुआ, इस दुःख भरे समय में, ईश्वर आपको और आपके, परिवार को शक्ति और साहस दे। पिता जी भले ही आप हमारे बीच नहीं है, पर आपकी यादें हमारे दिलो में हमेशा रहेगी, कृपया मेरी और से श्रद्धांजलि स्वीकार करे, ओम शांति। होनी को कौन टाल सकता हैं, ईश्वर की इच्छा के सामने, इंसान बेबस होता हैं, आपकी माता जी की आत्मा को शन्ति मिले, ईश्वर इस दुःख की घड़ी में आपको धैर्य और शक्ति दे। आप हमसे बहुत दूर चले गए परन्तु आप सदैव हमारे दिल में, रहेंगे आपका प्यार बहुत ही महान था। यह संसार प्रकृति के नियमों के अधीन हैं, और परिवर्तन एक नियम है, शरीर तो मात्र एक साधन है, इस दुःख की घडी में हम सब आपके साथ हैं। जीवन शाश्वत होता है, इस पर किसी का बस नहीं, जो आया है उसे जाना होगा, इस पर कोई शक नहीं, हम इस दुख की घड़ी में आपके साथ हैं। आपने एक पिता होने का फ़र्ज़ बहुत अच्छे से निभाया है, मैं आपको बहुत याद करता हूँ पापा, मैं आपको श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ, कृपया स्वीकार करे। आज आपके निधन का एक साल पूरा हो चूका है, लेकिन हम आपसे आज भी उतना ही प्यार करते है, जितना हम आपसे पहले किया करते थे, कृपया अपने चरणों में हमारा नमन स्वीकार करें। भगवान आपको आपके नुकसान से निपटने की ताकत दे। उनके निधन का समाचार एक अव्यक्त, रिक्तता के वास्तविक आभास जैसा हैं, ईश्वर पूज्य श्री को अपनी कृपाछाया, में शांतिपूर्ण स्थान प्रदान करें। उनके निधन से गहरा दुःख हुआ, यह हम सभी के लिए एक अपूरणीय क्षति हैं, ईश्वर दिवंगत आत्मा को शन्ति दे और, परिजनों को संबल प्रदान करें। मौत उस की है करे जिस का ज़माना अफ़्सोस, यूँ तो ...

पिता की याद में शायरी

सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है Papa Ki Yaad Shayari – पूरे परिवार के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाला एक ही इंसान होता है और वो है ‘ पिता ‘। जब तक पिता हमारे साथ रहते हैं तब तक वो सारी जिम्मेवारी निभाते हैं। लेकिन हमने इस बात का अहसास नहीं होता। इस बात का अहसास हमें उनके चले जाने के बाद होता है। उसके बाद कुछ बाकी रह जाता है तो बस उनके साथ बिताई यादें और उन्हें न समझ पाने का पछतावा। उन्हीं यादों और पछतावों को शब्दों का रूप देकर मैंने ये शायरी संग्रह ‘ पिता की याद में शायरी ‘ लिखने का प्रयास किया है। आशा करता हूँ ये शायरियाँ आप सब के दिल को अवश्य छू जाएँगी। तो आइये पढ़ते हैं ‘ दिवंगत पिता की याद में शायरी ‘ :- Papa Ki Yaad Shayari पिता की याद में शायरी विडियो देखे या पिता की याद शायरी नीचे पढ़े:- 1. यूँ तो दुनिया के सारे गम मैं हंस के ढो लेता हूँ, पर जब भी आपकी याद आती है मैं अक्सर रो देता हूँ। 2. मार-मार के पत्थर को एक जौहरी हीरा बनाता है, आपकी डांट का मतलब हमको आज समझ में आता है। 3. हाँ मैं खुश था उस बचपन में जब आपके कंधे पर बैठा था, मगर बहुत रोया था जब मेरे कंधे पर आप थे। 4. हर पल अहसास होता है आप यहाँ ही हों जैसे, काश ये हो जाये मुमकिन मगर ये मुमकिन हो कैसे? 5. गिर-गिर कर आगे बढ़ता था जब मैं बचपन में ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया और पढ़ा लिखा कर बड़ा किया, याद है मुझे आपने अपनी कई ख्वाहिशें भुला कर मेरी हर जरूरत को पूरा कर मुझे मेरे पैरों पर खड़ा किया। पढ़िए पिता पर कविता :- बंजर है सपनों की धरती 6. कब का बर्बाद हो गया होता मैं इस मतलबी दुनिया में, सफल होने में काम आये सबक जो पिता ने पढ़ाये...

Poem For Sister in Hindi: बहन पर कविता

भाई-बहन का प्रेम सिर्फ वही समझ सकता है जिसके जीवन में बहन का अस्तित्व हो या फिर बहन की कमी महसूस कर रहा हो. यह प्रेम का एक ऐसा बंधन है जो कभी भी प्रत्यक्ष नही होता. लेकिन इसका डोर इतना गहरा होता है जिसे तोड़ना लगभग नामुमकिन सा होता है. बहन, भाई के लिए सबसे प्रिय होती है उसके लिए वह कुछ भी करने के लिए तैयार होते है. लेकिन समाज में चल रहे गलत दुर्व्यवहार की वजह से प्रत्येक भाई की चिंताए बड़ती जा रही है उसकी के सम्बन्ध में बहन पर कुछ प्रसिद्ध कविता उपस्थित है जो समाज को उचित धरना प्रदान करेगा. यह कविता यानि छोटी बहन के लिए कविता प्रत्येक भाई के तरफ से उन बहनों को समर्पित है जो अपने बहन के खुसी जीवन का कामना करते है. बहन के प्रति भाई का प्रेम के सामान निस्वार्थ होता है जिसे समझना बहन के लिए आवश्यक होता है. Table of Contents • • • • • बहन पर कविता | Best Sister Poem in Hindi तू चिंगारी बनकर उड़ री, जाग-जाग मैं ज्वाल बनूँ। तू बन जा हहराती गँगा, मैं झेलम बेहाल बनूँ।। आज बसन्ती चोला तेरा, मैं भी सज लूँ लाल बनूँ। तू भगिनी बन क्रान्ति कराली, मैं भाई विकराल बनूँ।। यहाँ न कोई राधारानी, वृन्दावन, बंशीवाला। तू आँगन की ज्योति बहन री, मैं घर का पहरे वाला ।। बहन प्रेम का पुतला हूँ मैं, तू ममता की गोद बनी। मेरा जीवन क्रीड़ा-कौतुक तू प्रत्यक्ष प्रमोद भरी।। मैं भाई फूलों में भूला, मेरी बहन विनोद बनी। भाई की गति, मति भगिनी की दोनों मंगल-मोद बनी।। यह अपराध कलंक सुशीले, सारे फूल जला देना । जननी की जंजीर बज रही, चल तबियत बहला देना । भाई एक लहर बन आया, बहन नदी की धारा है। संगम है, गँगा उमड़ी है, डूबा कूल-किनारा है।। यह उन्माद, बहन को अपना भाई एक सहारा है। यह अलमस्ती, एक बहन ही भाई का ध्रुवतारा है।...

12+ पिता पर कविता

विषय सूची • • • • • • • • • • • • • • • पिता पर कविता – Poem on Father in Hindi मेरे प्यारे पापा कविता – 1 मेरे प्यारे प्यारे पापा, मेरे दिल में रहते पापा, मेरी छोटी सी ख़ुशी के लिए सब कुछ सेह जाते हैं पापा, पूरी करते हर मेरी इच्छा, उनके जैसा नहीं कोई अच्छा, मम्मी मेरी जब भी डांटे, मुझे दुलारते मेरे पापा, मेरे प्यारे प्यारे पापा। Pita ji Par Kavita – 2 माँ घर का गौरव तो पिता घर का अस्तित्वा होते हैं, माँ के पास अश्रुधारा तो पिता के पास संयम होता है। दोनो समय का भोजन माँ बनाती है तो जीवन भर भोजन की व्यवस्था करने वाले पिता होते हैं। कभी चोट लगे तो मुंह से ‘ओह माँ’ निकलता है रास्ता पार करते वक़्त कोई ट्रक पास आकर ब्रेक लगाये तो ‘बाप रे’ ही निकलता है। क्यूं कि छोटे छोटे संकट के लिये माँ याद आती है मगर बड़े संकट के वक़्त पिता याद आते हैं। पिता एक वट वृक्ष है जिसकी शीतल च्हाव मे, सम्पूर्ण परिवार सुख से रहता है…!!!! Heart Touching Poem on Father in Hindi – 3 कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता, कभी धरती तो कभी आसमान है पिता, जन्म दिया है अगर माँ ने, जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता, कभी कंधे पे बिठा के मेला दिखाता है पिता, कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता, माँ अगर पैरों पर चलना सिखाती है, पैरों पर खड़ा होना सिखाता है पिता। Hindi Poem on Papa – 4 प्यार का सागर ले आते फिर चाहे कुछ न कह पाते बिन बोले ही समझ जाते दुःख के हर कोने में खड़ा उनको पहले से पाया छोटी सी उंगली पकड़कर चलना उन्होंने सीखाया जीवन के हर पहलु को अपने अनुभव से बताया हर उलझन को उन्होंने अपना दुःख समझ सुलझाया दूर रहकर भी हमेशा प्यार उन्होंने हम पर बरसाया एक छोटी सी आहट से मेरा साया पहचाना, मेरी हर सिसकियों में अपनी आँखों को ...

10+ पिता पर कविता

उसका अपने परिवार रिश्तेदारों और समाज के लिए जीवन भर के संघर्ष के बारे में कोई नहीं बताता है वह दुख और कठिनाइयों को सहकर भी हमें खुश रहता है ऐसा सिर्फ एक पिता ही कर सकता है. उसका हृदय बहुत बड़ा होता है वह हर गलती को बड़ी ही सहजता से माफ कर देता है जिसके सर पर पिता का हाथ होता है उसे किसी प्रकार का डर नहीं होता है. विषय-सूची 1 • • • • • • • • • • • Best Poem on Father in Hindi (1) Jise Papa Kehte Hain Poem in Hindi हर घर में होता है वो इंसान जिसे हम पापा कहते है। सभी की खुशियों का ध्यान रखते हर किसी की इच्छा पूरी करते खुद गरीब और बच्चों को अमीर बनाते जिसे हम पापा कहते है। बड़ों की सेवा भाई-बहनों से लगाव पत्नी को प्यार, बच्चों को दुलार खोलते सभी ख्वाहिशों के द्वार जिसे हम पापा कहते है। बेटी की शादी, बेटों को मकान बहुओं की खुशियां, दामादो का मान कुछ ऐसे ही सफर में गुजारे वो हर शाम जिसे हम पापा कहते है। – एकता चितकारा (2) Mere Pita Kavita बरगद की गहरी छांव जैसे, मेरे पिता। जिंदगी की धूप में, घने साये जैसे मेरे पिता।। धरा पर ईश्वर का रूप है, चुभती धूप में सहलाते, मेरे पिता। बच्चों संग मित्र बन खेलते, उनको उपहार दिला कर, खुशी देते। बच्चों यूं ही मुस्कुराओं की दुआ देते मेरे पिता।। संकट में पतवार बन खड़े होते, आश्रय स्थल जैसे है मेरे पिता। बूंद बूंद सब को समेटते, अंधेरी में देकर हौसला, कहते मेरे पिता।। तुम को किस का डर है, गमों की भीड़ में, हंसना सिखाते, मेरे पिता। और अपने दम पर, तूफानों से लड़ना, किसी के आगे तुम नहीं झुकना, ये सीखलाते मेरे पिता। परिवार की हिम्मत, और विश्वास है, उम्मीद और आस की, पहचान है मेरे पिता। – शोभारानी गोयल (3) Poem for Papa From Daughter – Babul More बाबुल ...

पिता पर 4 पंक्तियां

Kmsraj51 की कलम से….. Pita Ki Seekh Hi Sacchi Thi | पिता की सीख ही सच्ची थी। “कहलाना तो है मानव हमको, पर पशु सा हमे सब करने दो। पिता हो तुम तो फिर क्या हुआ? हमे मर्जी से ही सब करने दो।” “जन्म दिया और पाला – पोसा, पढ़ाया – लिखाया, बड़ा किया।” “कौन सा तीर मारा है तुमने? फर्ज मां – बाप का अदा किया।” “धन्य लला तुम जो जान खपा कर, आज तुमसे ये शब्द उपहार मिला। नेकी कर दरिया में डाल का उम्दा, पितृ कर्म का उत्तम उपकार मिला। निवाला अपने मुंह का छीन कर, तेरे मुंह में, इसी लिए ही डाला था? नूर गंवाया, तेरी मां ने तुझे जनाया, क्या इसी लिए ही तुझे पाला था?” सुन भारी-भरकम बोझिल शब्द पिता के, हुए अनुगुंजित अधिभारित अनुशासित थे। हुए अंकुशित बुद्धि के घोड़े डर बेदखली के, पर मनोभाव तो अभी भी त्यों विलासित थे। होते ही जायदाद नाम अपने पिता की, हुआ बेटा फिर से आपे से ही बेकाबू था। उद्भासित पिता के अनुभव को भुला कर, किया दूर प्रयोग से विवेक का तराजू था। कुछ यारों ने लुटा, कुछ विकारों ने लुटा, शेष कुछ लूट गई बेवफा महबूबा थी। पिता की कमाई तो जाती रही हाथ से, खुद के लिए तो कमाई उसे अजूबा थी। पिता की पीठ में बजे नगाड़े की धुन, समझा, कितनी मीठी, कितनी खट्टी थी। मालामाल था, कंगाल हो लिया था जब, तब समझा, पिता की सीख ही सच्ची थी। गर्म खून था ठंडने लगा जब उसका, लगा तोलने हर सौदा विवेक तराजू से। संभलती दुकान फिर से जिंदगानी की, तब तक जा चुकी थी ताकत ही बाजू से। पछतावा तो था पर किस काम का ? चिड़िया ने चुग लिए खेत अब सारे थे। स्मृति पटल में अनुगुंजित शब्द पिता के, अब समझा कि उनमें कौन से इशारे थे? ♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी , हिमाचल प्रदेश ♦ ————— • “ हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर त...