प्लास्टिक एनीमिया

  1. बेगूसराय: 13 साल से बीमार है बेटा, आयुष्मान कार्ड के लिए मां काट रही है दफ्तरों के चक्कर, the patient does not have the ayushman bharat card in begusarai
  2. अप्लास्टिक एनीमिया क्या हैं जाने इसका इलाज aplastic anemia treatment in India
  3. सिकल सेल एनीमिया: कारण, जोखिम कारक, निदान, उपचार, लक्षण
  4. आकाश की जान बचाने को चाहिए पांच लाख
  5. प्लास्टिक एनीमिया से महिला की मौत
  6. know what is Aplastic anemia symptoms causes why body stops making new blood in body Treatment for Aplastic anemia khoon ki kami


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बेगूसराय: 13 साल से बीमार है बेटा, आयुष्मान कार्ड के लिए मां काट रही है दफ्तरों के चक्कर, the patient does not have the ayushman bharat card in begusarai

बेगूसराय: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत का लाभ जरूरत मंदों को नहीं मिल पा रहा है. ताजा मामला जिला मुख्यालय से सटे धबौली गांव की शिवकुमारी देवी का है, जो अपने बेटे की इलाज के लिए दर-दर भटक रही हैं. शिवकुमारी देवी बेटे को दिल्ली एम्स में भर्ती कराकर आयुष्मान भारत का कार्ड बनवाने के लिए सरकरी दफ्तरों के चक्कर काट रही है. एसडीएम से गुहार लगाती पीड़ित की मां इलाज में 7 लाख रुपये होंगे खर्च दरअसल, शिवकुमारी देवी का बेटा गोलू 2006 से ही बीमार है. बेगूसराय से पटना तक इलाज कराकर थक गई, तो अब गोलू को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया. जहां डॉक्टर्स ने बताया कि गोलू को ए प्लास्टिक एनीमिया नामक बीमारी है. इस बीमारी में मरीज के शरीर में खून बनना बंद हो जाता है. गोलू के इलाज के लिए डॉक्टरों ने 7 लाख रुपये का खर्च बताया है. पीड़ित की मां शिवकुमारी देवी 13 साल से है बीमार शिवकुमारी देवी ने बताया कि उनके पति योगेंद्र सिंह मजदूरी कर घर चलाते हैं. खा-पी कर जो थोड़ा बहुत बचता है वो बेटे की दवा में लग जाता है. 7 लाख रुपये होते तो बेटा 13 साल से बीमारी की हालत में नहीं रहता. उन्होंने आगे कहा कि आयुष्मान भारत कार्ड बनवाने के लिए सरकारी दफ्तर जाती हैं तो कोई उन्हें एसडीएम के पास जाने को कहता है, तो कोई डीएम के पास. जबकी उनका परिवार बीपीएल कार्ड धारी है. वहीं, सदर एसडीएम संजीव चौधरी ने कहा कि गोलू मामले की जानकारी हुई है. संबंधित अधिकारी को जल्द हर संभव मदद करने का निर्देश दिया गया है.

अप्लास्टिक एनीमिया क्या हैं जाने इसका इलाज aplastic anemia treatment in India

ब्लड और बोन मेरो हमारे शारीरिक विकास के लिए कितने जरूरी हैं, इस बात से हम सभी अच्छी तरह से वाकिफ हैं। लेकिन कई बार ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं जिससे व्यक्ति को रक्त संबंधी और बोन मेरो संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। अप्लास्टिक एनीमिया एक ऐसी बीमारी है जो बोन मैरो से संबंधित होती है। बोन मेरो में स्टेम सेल को नुकसान पहुंचाता है। बोन मेरो कोशिकाएं लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स बनाने के लिए जिम्मेदार होती हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। लेकिन इस दौरान इन सभी का उत्पादन आवश्यकता के अनुपात में कम या ज्यादा होने लगता है। इस स्थिति ...

सिकल सेल एनीमिया: कारण, जोखिम कारक, निदान, उपचार, लक्षण

सिकल सेल एनीमिया सिकल सेल रोगों में से एक है जो वंशानुगत बीमारियां हैं। इसका लाल रक्त कोशिकाओं की संरचना पर प्रभाव पड़ता है, जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन करती हैं। लाल रक्त कोशिकाएं आमतौर पर गोलाकार और लचीली होती हैं, जिससे वे आसानी से रक्त वाहिकाओं से गुजर सकती हैं। सिकल सेल एनीमिया में कुछ लाल रक्त कोशिकाएं दरांती या वर्धमान चंद्रमा के आकार की होती हैं। यह कठोर और चिपचिपा हो जाता है, रक्त के प्रवाह को धीमा या अवरुद्ध कर देता है। उपचार दर्द को कम करने और बीमारी से संबंधित परिणामों से बचने में मदद कर सकते हैं। निर्धारित तारीख बुक करना हमारे विशेषज्ञ खोजें • रक्ताल्पता - सिकल सेल आसानी से विघटित होकर मर जाते हैं। बदलने की आवश्यकता से पहले लाल रक्त कोशिकाएं लगभग 120 दिनों तक चलती हैं। हालांकि, सिकल सेल 10 से 20 दिनों में मर जाते हैं, जिससे लाल रक्त कोशिका की कमी (एनीमिया) हो जाती है। यदि शरीर में पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाएं नहीं हैं, तो शरीर पर्याप्त ऑक्सीजन प्राप्त नहीं कर सकता है, जो थकावट पैदा करता है। • दर्दनाक एपिसोड - दर्द या अत्यधिक दर्द की घटनाएं, सिकल सेल एनीमिया के सामान्य लक्षण हैं। दर्द तब होता है जब सिकल के आकार की लाल रक्त कोशिकाएं छोटे रक्त चैनलों के माध्यम से आपकी छाती, पेट और जोड़ों में रक्त के प्रवाह को बाधित करती हैं। डॉक्टर को कब देखना है? यदि आप या आपके बच्चे में सिकल सेल एनीमिया के लक्षण दिखाई देते हैं, तो जल्द ही अपने डॉक्टर से मिलें। सिकल सेल एनीमिया वाले बच्चे संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, जो आमतौर पर बुखार से शुरू होता है और जीवन के लिए खतरा हो सकता है। 101.5 F से अधिक के बुखार का जल्द से जल्द इलाज किया जाना चाहिए। सिकल सेल एनीमिया ...

आकाश की जान बचाने को चाहिए पांच लाख

नई दिल्ली। आठ साल का एक मासूम जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है। उसे एक जानलेवा बीमारी है। बीमारी लाइलाज नहीं है लेकिन इलाज बेहद खर्चीला है। उसके परिवार के पास इतने पैसे नहीं हैं कि उस बच्चे का ऑपरेशन करवाकर उसकी जिंदगी बचाई जा सके। मासूम आकाश अपने पिता विजय के साथ लगातार तीन महीने से एम्स के चक्कर काट रहा है। अगर जल्द ही इसका इलाज नहीं किया गया तो जिंदगी इसका साथ छोड़ देगी। इसे ए-प्लास्टिक एनीमिया नाम की गंभीर बीमारी है। इस वजह से आकाश के शरीर में खून नहीं बनता। दांतों से लगातार खून आता रहता है। शरीर के कई हिस्सों में नीले निशान पड़ गए हैं। किसी भी वक्त इसके शरीर के किसी भी हिस्से से खून निकल सकता है। इस बीमारी के इलाज के लिए आकाश को तकरीबन पांच लाख रुपये की जरूरत है। लेकिन फैक्ट्री में सुपरवाइजर विजय के पास इतने पैसे नहीं हैं। विजय ने बताया कि डॉक्टरों ने पहले उससे बोला था कि इसका बोन मैरो ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा। लेकिन उनके दूसरे लड़के से वो मैच नहीं किया। अब डॉक्टर कहते हैं कि इसे एटीजी के 17-18 इंजेक्शन लगाने पड़ेंगे। एक की कीमत 17-18 हजार रुपए है। यानी की चार लाख अस्सी हजार के करीब। उनके पास इतने पैसे नहीं हैं। दरअसल आकाश को जो बीमारी है वो बहुत कम लोगों में पाई जाती है। आंकड़ों के हिसाब से ए-प्लास्टिक एनीमिया नाम की ये बीमारी दस लाख लोगों में पांच से छह लोगों में पाई जाती है। इसमें शरीर में खून बनना बंद हो जाता है। और प्रतिरोधक क्षमता दिनोंदिन कमजोर पड़ती है और हालत जानलेवा हो जाती है। .

प्लास्टिक एनीमिया से महिला की मौत

प्लास्टिक एनीमिया से महिला की मौत प्लास्टिक एनीमिया से विवाहिता की मौत संवाद सूत्र कान्हाचट्टी राजपुर थाना क्षेत्र के सूरहूद गांव में सोमवार को प्लास्टिक एनीमिया से एक विवाहिता की मौत हो गई। विवाहिता मथुरि सिंह भोक्ता की 30 वर्षीय पुत्री मूसनी देवी बताई जाती है। जानकारी के अनुसार बीते 2 माह से मूसनी देवी प्लास्टिक एनीमिया से जूझ रही थी। जिसके कारण उसके शरीर में खून बनना बंद हो गया था। फिलवक्त खून की कमी से उसकी मौत हो गई। जानकारी के अभाव अथवा आर्थिक तंगी के कारण मूसनी देवी का समुचित इलाज नहीं हो सका। जिसके कारण घर में पड़े रहने के कारण उसकी मौत हो गई। मौत के बाद गांव में मातम का माहौल है। संवाद सूत्र, कान्हाचट्टी : राजपुर थाना क्षेत्र के सुरहुद गांव में सोमवार को प्लास्टिक एनीमिया से एक महिला की मौत हो गई। मृतक महिला मुसनी देवी की उम्र करीब 30 वर्ष थी और मथुरी सिंह भोक्ता की पत्नी थी। जानकारी के अनुसार वह पिछले दो माह से प्लास्टिक एनीमिया से जूझ रही थी। जिसके कारण उसके शरीर में खून बनना बंद हो गया था।

know what is Aplastic anemia symptoms causes why body stops making new blood in body Treatment for Aplastic anemia khoon ki kami

What is Aplastic Anemia: उत्तरप्रदेश की एक युवती में हार्मोन और खून संबंधित दुर्लभ बीमारी मिलने से डॉक्टर परेशान हैं। केजीएमयू हिमैटोलॉजी विभाग के डॉक्टरों का दावा है कि अमेरिका के बाद एप्लास्टिक एनीमिया नाम की इस बीमारी का यह दुनियाभर में दूसरा मामला है। यूपी की इस युवती में हार्मोन और खून संबंधित दुर्लभ राबर्टसोनियन ट्रांसलोकेशन जनित एप्लास्टिक एनीमिया बीमारी मिली है। डॉक्टरों के अनुसार चौंकाने वाली बात यह है कि इस युवती में जेनेटिक्स बीमारी राबर्टसोनियन ट्रांसलोकेशन की वजह से एप्लास्टिक एनीमिया हुआ। यह केस स्टडी जरनल ऑफ क्लीनिकल एंड डायग्नोस्टिक रिसर्च में प्रकाशित हुआ है। आइए जानते हैं आखिर क्या है अप्लास्टिक एनीमिया, इसके लक्षण और बचाव के उपाय। क्या है अप्लास्टिक एनीमिया- अप्लास्टिक एनीमिया एक दुर्लभ और गंभीर स्थिति है, जो किसी भी उम्र में हो सकती है। इस अवस्था में आपका बोन मैरो नए ब्लड सेल्स का निर्माण नहीं कर पाता है। इसे मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम भी कहा जाता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को थकान अधिक महसूस होती है, संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और अनियंत्रित रक्तस्राव होता है। अप्लास्टिक एनीमिया खून की कमी से जुड़ी बीमारी है जिसमें शरीर में रक्त कोशिकाओं का निर्माण कम हो जाता है। इस रोग के लक्षण एकाएक सामने नहीं आते हैं लेकिन अगर इस रोग को अधिक समय तक इग्‍नोर किया जाए तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं और व्यक्ति की मौत तक हो सकती है। कुछ वैज्ञानिक के अनुसार ऑटोइम्युन रोग के कारण भी अप्लास्टिक एनीमिया विकार विकसित होने का जोखिम बना रहता है। ऐसा, इसलिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बोन मेरो के भीतर स्टेम कोशिकाओं को क्षति पहुंचाने लगते है। कुछ लोगो में पुरानी बीमारी के इतिहास के होन...