Poshan se aap kya samajhte hain

  1. सम्प्रेषण का अर्थ और परिभाषा
  2. विपणन का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, कार्य, महत्व
  3. पठन कौशल के प्रकार और पठन कौशल का महत्व
  4. समाजीकरण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, उद्देश्य
  5. WWW Se Aap Kya Samajhte Hain


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सम्प्रेषण का अर्थ और परिभाषा

सम्प्रेषण का अर्थ और परिभाषा(Meaning and definition of communication in hindi) : संप्रेषण शिक्षण के लिए काफी आवश्यक तत्व है। सम्प्रेषण के बिना शिक्षण कार्य संभव नहीं है संप्रेषण के माध्यम से ही व्यक्ति अपनी बातों एवं विचारों, अभिव्यक्तियों को एक दूसरे से साझा कर पाते हैं । आज hindivaani इस आर्टिकल के सम्प्रेषण का अर्थ ,सम्प्रेषण की परिभाषा , सम्प्रेषण के प्रकार, सम्प्रेषण के सिद्धांत , सम्प्रेषण को प्रभावित करने वाले कारक आदि के बारे में जनाकारी प्रदान करेगा। तो आइए शुरू करते हैं पढ़ना – सम्प्रेषण का अर्थ और परिभाषा अनुक्रम • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • संप्रेषण का अर्थ (Meaning of communication) संप्रेषण शिक्षा की रीढ़ की हड्डी है। बिना सम्प्रेषण के अधिगम और शिक्षण नहीं हो सकता। संप्रेषण दो शब्दों से मिलकर बना हुआ हैं। सम + प्रेषण अर्थात समान रूप से भेजा गया। संप्रेषण को अंग्रेजी में कम्युनिकेशन कहते हैं। कम्युनिकेशन शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के कम्युनिस शब्द से हुई है। जिसका अर्थ होता है सामान्य बनाना अर्थात संप्रेषण का अर्थ सूचना तथा विचारों का आदान प्रदान करना। ¶ यदि आप अपने जीवन मे सफल होना चाहते है। तो ये प्रेणादायक किताब जरूर पढ़ें ¶ सम्प्रेषण का अर्थ और परिभाषा(Meaning and definition of communication) संप्रेषण की परिभाषाएं (Definition of communication) संप्रेषण की परिभाषा इन निम्नलिखित शिक्षा शास्त्रियों के अनुसार हैं। ई.जी.मेयर के अनुसार संप्रेषण की परिभाषा “संप्रेषण से तात्पर्य एक व्यक्ति के विचारों तथा शक्तियों से दूसरे व्यक्तियों को परिचित कराने से है।” श्रीमती आर. के अनुसार संप्रेषण की परिभाषा संप्रेषण विचार-विमर्श की वह विद्या है।...

विपणन का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, कार्य, महत्व

पहले के समय में उपभोक्ता अपनी आवश्यकताओं की वस्तुएँ स्वयं ही उत्पादित कर लेता था जितना उत्पादन हुआ उसका उपभोग कर लिया जाता था। जिस वस्तु का उत्पादन उपभोक्ता नहीं कर पा रहा था उसे उस व्यक्ति से लेने लगे, जो उसका उत्पादन स्वयं के लिए करता चला आ रहा था। इस तरह माँग बढ़ने से उत्पादन बढ़ा, सर्वप्रथम वस्तु विनिमय उसके बाद मुद्रा का प्रचलन बढ़ने पर मौद्रिक विनिमय प्रारंभ हुआ और विपणन प्रक्रिया प्रारंभ हुई। विपणन का अर्थविपणन का अर्थ वस्तुओं के क्रय एवं विक्रय से लगाया जाता है लेकिन विपणन विशेषज्ञ इसका अर्थ वस्तुओं के क्रय एवं विक्रय तक सीमित नहीं करते बल्कि क्रय एवं विक्रय से पूर्व एवं पश्चात की क्रियाओं को भी इसका अंग मानते हैं। कुछ विद्वान तो क्रय एवं विक्रय के अतिरिक्त सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने को भी विपणन का एक प्रमुख कार्य मानकर विपणन का अर्थ लगाते हैं। व्हीलर के अनुसार:-’’विपणन उन समस्त साधनों एवं क्रियाओं से सम्बन्धित है जिनसे वस्तुएँ एवं सेवाएँ उत्पादक से उपभोक्ता तक पहुंचती है’’ पायले के अनुसार:-’’विपणन में क्रय एवं विक्रय दोनों ही क्रियाएँ सम्मिलित होती है।’’ अमेरिकन मार्केटिग एसोसिएशन के अनुसार:-’’विपणन उन व्यावसायिक क्रियाओं का निष्पादन करना है जो उत्पादक से उपभोक्ता की बीच वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रवाह का नियमन करती है।’’ फिलिप कोटलर के अनुसार-’’विपणन वह मावनीय क्रिया है जो विनिमय प्रकियाओं के द्वारा आवश्यकताओं एवं इच्छाओं की सन्तुष्टि के लिए की जाती है। हैन्सन के शब्दों में-’’विपणन उपभोक्ता की आवश्यकताओं को खोजने एवं उनको वस्तुओं तथा सेवाओं में परिवर्तित करने की क्रिया है। विलियम जे. स्टेन्टन के शब्दों में:-’’विपणन उन समस्त आपसी प्रभावकारी व्यावसायिक क्रियाओं की सम...

पठन कौशल के प्रकार और पठन कौशल का महत्व

लिखित भाषा को पढ़ने की क्रिया को पठन कौशल कहा जाता है, जैसें- पुस्तकों को पढ़ना, समाचार-पत्रों को पढ़ना आदि। भाषा के संदर्भ में पढ़ने का अर्थ कुछ भिनन होता है। भाव और विचारों को, लिखित भाषा के माध्यम से अभिव्यक्ति को पढ़कर समझना पठन कहा जाता है। लिखने का उद्देश्य होता है कि भाव और विचारों को हम दूसरों तक पहुंचाना चाहते है। अन्य व्यक्ति जब उसको लिखित भाषा के रूप में पढ़ेगा तब उसके भाव एवं विचारों को समझ लेगा। इस क्रिया को पठन कहते है। पठन कौशल का विकास कौशल का संबंध क्रियात्मक पक्ष के विकास से होता है। इसलिए भाषा कौशलों के विकास के लिए अभ्यास तथा प ्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। छात्रों को पढ़ने के लिए अवसर दिए जाये और उन्हें ऐसा साहित्य उपलब्ध कराया जाए जो उनकी रुचि के अनुकूल हो; जैसे छात्र कहानियों में अधिक रुचि लेते है, इसलिए उन्हें शिक्षाप्रद् कहानियाॅ पढ़ने का अवसर दिया जाए। पढ़ने का निरन्तर अभ्यास कराया जाए जिससे उनमें पठन की आदत का विकास हो जाए पठन के अभ्यास का कार्य घर एवं विद्यालयों दोनों से आरंभ किया जा सकता है। छात्रों की अवस्थानुकूल विभिन्न स्तरों पर उनकी आवश्यकता एवं इच्छाओं के अनुकूल पठन के लिए अवसर दिये जाए। पठन कौशल का महत्व तथ्यों के आधार पर पठन कौशल के महत्व को समझा जा सकता है: • पठन, शिक्षा प्राप्ति में सहायक होता है। • पठन-कौशल ज्ञानोपार्जन का साधन है। • आधुनिक युग विशिष्टताओं का युग है, व्यक्ति जिस भी क्षेत्र में है वह विशिष्टता प्राप्त करना चाहता है। • सामाजिक दृष्टिकोण से भी पठन कौशल अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, कक्षाओं में की जाने वाली बहुत-सी सांस्कृतिक गतिविधियों में पठन कौशल का विशेष महत्व होता है। • शिक्षा की प्रक्रिया का संचालन सभी शिक्षण स्तरों पर वाचन ...

समाजीकरण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, उद्देश्य

Samajikaran arth paribhasha visheshta uddeshy;समाजीकरण एक ऐसी सामाजिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा एक जैविक प्राणी मे सामाजिक गुणों का विकास होता है और वह सामाजिक प्राणी बनता है। इस प्रक्रिया के द्वारा व्यक्ति समाज और संस्कृति के बीच रहकर विभिन्न साधनों के माध्यम से सामाजिक गुणों को सीखता हैं, अतः इसे सीखने की प्रक्रिया भी कहते हैं। समाजीकरण द्वारा संस्कृति, सभ्यता तथा अन्य अनगिनत विशेषताएं पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तान्तरित होती है और जीवित रहती है। समाज से बाहर व्यक्ति व्यक्ति नही हैं। समाज से पृथक वह असहाय है। समाज से दूर होकर वह चल-फिर नही सकता, बोल-चाल नही सकता। समाज के अभाव मे व्यक्ति का जीवन यदि असम्भव नही तो कठिन एवं दूभर अवश्य है, किन्तु समाज कोई ऐसा जादुई करिश्मा नही कर देता कि जन्म लेते ही बच्चा चलने-फिरने लगे, बोलने-चालने लगे, समझने-समझाने लगे। ऐसा तो सामूहिक जीवन के दौरान जीवन पर्यन्त चलने वाली एक प्रक्रिया के द्वारा सम्भव होता है। इस प्रक्रिया को समाजीकरण कहते है। समाजीकरण की परिभाषा (samajikaran ki paribhasha) ग्रीन के अनुसार," समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा बच्चा सांस्कृतिक विशेषताओं, आत्म एवं व्यक्तित्व को प्राप्त करता हैं। फिचर के शब्दों में "समाजीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति सामाजिक व्यवहारों को स्वीकार करता है और उसके साथ अनुकूलन करता हैं। गिलिन व गिलिन के अनुसार, " समाजीकरण से आश्य उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा एक व्यक्ति समाज के एक क्रियाशील सदस्य के रूप मे विकसित होता हैं, समूह की कार्यप्रणालियों से समन्वय करता है, उसकी परम्पराओं का ध्यान रखता है और सामाजिक स्थितियों मे व्यवस्थापन करके अपने साथियों के प्रति सहनशक्ति की भावना विकसित करता...

WWW Se Aap Kya Samajhte Hain

आज के इस युग में इंटरनेट से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति या तो अपने कंप्यूटर अथवा मोबाइल पर इंटरनेट का उपयोग कर ही रहा है। कई लोग तो केवल इंटनरेट का उपयोग बस व्हाट्सएप्प, इंस्टाग्राम चलाने में ही करते हैं मगर कुछ ऐसे भी हैं जो अलग अलग वेबसाइट भी ब्राउज करते हैं। यदि आप भी इंटरनेट ब्राउज करते समय किसी वेबसाइट को अपने ब्राउज़र में खोलते हैं तो कहीं न कहीं आपके मन में भी ये सवाल आया ही होगा कि वेबसाइट के नाम के आगे जो WWW जाता है आखिर वो होता क्या है? साथ ही यह सवाल आपको अपनी किताबों में भी मिल ही जायेगा कि WWW से आप क्या समझते हैं – WWW Se Aap Kya Samajhte Hain? तो चलिए आज इसी पर चर्चा करते हैं। साथ ही हम आपको इससे जुडी अन्य टर्म्स से भी आपको अवगत कराएंगे और उनके बारे में संक्षिप्त में बताएंगे। Table of Contents • • • • • • • WWW Se Aap Kya Samajhte Hain? WWW का फुल फॉर्म वर्ल्ड वाइड वेब(World Wide Web) होता है। यह जानकारियों के एक भंडार के सामान है यहां आपको दुनियाभर की जानकरी मिल सकती है।दुनियाभर की जितनी भी वेब साइट्स है वह वर्ल्ड वाइड वेब में रजिस्टर होती है, WWW में मौजूद डॉक्यूमेंट आपस में हाइपरटेक्स्ट से जुड़े होते है, हाइपरटेक्स्टडॉक्युमेंट ध्वनि, टेक्स्ट इमेज आदि चीजों का समावेश होता है। यह एक प्राइमरी टूल की तरह काम करता है जिसके द्वारा हम इंटरनेट को access कर पाते हैं, दुनिया में जितने भी Websites और Web Pages Internet में हैं उनके Combination को वर्ल्ड वाइड वेब कहा जाता है। Web Document को Web Programming Language में लिखा जाता है जिसको HTML (Hyper Text Mark Up Language) कहा जाता है। जब कभी आप Web Browser में एक Domain का नाम लिखते हो इसको URL भी कहा ज...

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