प्राणायाम के प्रकार

  1. प्राणायाम के प्रकार और विधियाँ (pranayam ke prakar)
  2. प्राणायाम के 10 प्रकार । 10 Types of Pranayama in Hindi
  3. TYPES OF PRANAYAMA प्राणायाम के प्रकार
  4. Pranayam or Yog ke Prakar
  5. प्राणायाम
  6. प्राणायाम के प्रकार, फायदे और सावधानियां


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प्राणायाम के प्रकार और विधियाँ (pranayam ke prakar)

Table of Contents (in Hindi) • प्राणायाम के प्रकार • कुछ महत्वपूर्ण प्राणायाम विधियाँ • कुण्डलिनी जागरण में सहायक प्राणायाम प्राणायाम के प्रकार (pranayam ke prakar) प्राणायाम के अनेक प्रकार या भेद योगाचार्यों और योग दर्शनकारों ने दिए हैं। इसमें पतंजलि ने चार प्रकार के प्राणायाम बतायें हैं। ये हैं: • बाह्य वृत्ति या रेचक - श्वांस छोड़ना • आभ्यन्तर वृत्ति या पूरक - श्वांस लेना • स्तम्भवृत्ति या कुम्भक - यह श्वांस को बाहर निकलने से, या भीतर जाने से रोकने वाला प्राणायाम है। • बाह्यभ्यन्तराक्षेपी इन्ही चारों को विभिन्न प्रकार से मिला-जुलाकर भाँति-भाँति की प्राणायाम विधियाँ विकसित की गयी हैं| इससे पहले हम प्राणायाम की विभिन्न विधियाँ को जानें, आईये पहले प्राणायाम के इन चार प्रकारों को विस्तार से समझ लेते हैं| बाह्य वृत्ति या रेचक (rechak) प्राणायाम में ‘रेचक‘ का अर्थ है श्वांस छोड़ना। इसे संयमति करना। अर्थार्थ सांस को बाहर निकालना बाह्यवृत्ति (रेचक) है। बाह्य वृत्ति छोड़ने को ही कहते हैं। आभ्यन्तर वृत्ति या पूरक (poorak) जैसे बाह्य वृत्ति में बाहर निकाला था, ऐसे ही श्वांस को भीतर ले जाने को पूरक कहते हैं। ज्यादातर प्राणायाम क्रियाओं में रेचक और पूरक दोनों किये जाते हैं - कभी तेजी से कभी धीरे-धीरे| श्वांस की गति को धीरे करके या बढाकर अपनी प्राण शक्ति पर आधिपत्य कायम करना योग का एक लक्ष्य होता है (चाहे आप राजयोग कर रहे हों, या कुंडलिनी योग इत्यादि)| योगी कई सांसों को मिलाकर एक करते हैं। जैसे एक मिनट में आप आठ बार सांस लेते हैं और इतनी बार ही छोड़ते हैं। इन्हें कम करते हुए एक में ले आना। अर्थात् एक मिनट में एक बार सांस लेना और एक ही बार छोड़ना। स्तम्भवृत्ति (kumbhak) स्वाभाविक रूप से चल...

प्राणायाम के 10 प्रकार । 10 Types of Pranayama in Hindi

नाड़ीसोधन प्राणायाम को अनुलोम-विलोम भी कहा जाता है। शास्त्रों में नाड़ीसोधन प्राणायाम या अनुलोम-विलोम को अमृत कहा गया है और स्वास्थ्य लाभ में इसका महत्व सबसे ज़्यदा है। इस प्राणायाम में आप बाएं नासिका छिद्र से सांस लेते हैं, सांस को रोकते हैं और फिर धीरे धीरे दाहिनी नासिका से श्वास को निकालते हैं। फिर दाहिनी नासिका से सांस लेते हैं, अपने हिसाब से सांस को रोकते हैं और धीरे धीरे बाएं नासिका से सांस को छोड़ते हैं। यह एक चक्र हुआ। इस तरह से आप शुरुवाती समय में 5 से 10 बार करें फिर धीरे धीरे इसको बढ़ाते रहें। नाड़ीसोधन प्राणायाम के लाभ अनेकों है जैसे चिंता एवं तनाव कम करने में; शांति, ध्यान और एकाग्रता में; शरीर में ऊर्जा का मुक्त प्रवाह करने में; प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में ; इत्यादि। भस्त्रिका भस्त्र शब्द से निकला है जिसका अर्थ होता है ‘धौंकनी’। इस प्राणायाम में श्वास तेजी से लिया जाता है,सांस को रोकते हैं और बलपूर्वक छोड़ा जाता है। वैसे तो यह प्राणायाम शरीर को स्वस्थ रखने के लिए काफी प्रभावी है लेकिन ह्रदय रोगी, उच्च ब्लड प्रेशर एवं एसिडिटी में इसको करने से बचना चाहिए। भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ कुछ इस प्रकार है। पेट की चर्बी कम करने के लिए, वजन घटाने के लिए, अस्थमा के लिए, गले की सूजन कम करने में, बलगम से नजात में, भूख बढ़ाने के लिए, शरीर में गर्मी बढ़ाने में, कुंडलिनी जागरण में, श्वास समस्या दूर करने में, आदि में इसका बहुत बड़ा प्रभावी रोल माना जाता है। उज्जयी प्राणायाम के फायदे के बारे में अगर आप जान जाएं तो बिना प्रैक्टिस किये इसको आप रह नहीं सकते। यह एक ऐसी प्राणायाम है जिसका नियमित अभ्यास से आप एजिंग प्रोसेस को धीमा कर सकते हैं। इसमें दोनों नासिकाओं से धीरे धीरे सांस...

TYPES OF PRANAYAMA प्राणायाम के प्रकार

नियमित रूप से प्राणायाम आपको बनाएगा तन और से बहुत अधिक मजबूत TYPES OF PRANAYAMA प्राणायाम और स्वास्थ्य (Pranayama and health) प्राणायाम एक परिचय प्राणायाम योग के आठ अंगों में से एक है। अष्टांग योग में आठ प्रक्रियाएँ होती हैं- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा ध्यान, तथा समाधि। प्राणायाम = प्राण + आयाम । इसका शाब्दिक अर्थ होता है –‘प्राणअर्थात श्वसन या जीवनिशक्ति को लम्बा करना। प्राणायाम का अर्थ ‘स्वास को नियंत्रित करना’ या कम करना नहीं है। प्राण या श्वास का आयाम या विस्तार ही प्राणायाम कहलाता है। यह प्राण -शक्ति का प्रवाह कर मनुष्य को एक जीवन शक्ति प्रदान करता है। प्राणायाम प्राण अर्थात् साँस आयाम यानी दो साँसो में दूरी को थोड़ा बढ़ाना, श्‍वास और नि:श्‍वास की गति को पूरी तरह से नियंत्रण करके रोकने व निकालने की प्रक्रिया को कहा जाता है। श्वास को एक धीमी गति से गहरी खींचकर रोकना व बाहर निकालना प्राणायाम के एक महत्वपूर्ण क्रम में आता है। श्वास खींचने के साथ भावना करें कि प्राण शक्ति, श्रेष्ठता श्वास के द्वारा अंदर खींची जा रही है, छोड़ते समय यह भावना करें कि हमारे दुर्गुण, दुष्प्रवृत्तियाँ, बुरे विचार प्रश्वास के साथ बाहर निकल रहे हैं। हम साँस लेते है तो सिर्फ़ हवा को ही नहीं खींचते हैं बल्कि उसके साथ ब्रह्मान्ड की सारी उर्जा को उसमे खींचते है। अब आपको यह लगेगा की सिर्फ़ साँस खीचने से ऐसा कैसा होगा। हम जो साँस फेफडो में खीचते है, वो सिर्फ़ साँस नहीं रहती उसमे सारे ब्रम्हांड की सारी ऊर्जा समायी रहती है। मान लीजिए जो साँस आपके पूरे शरीर (body) को चलाना जानती है, वो आपके शरीर को चुस्त व दुरुस्त करने की भी ताकत रखती है। TYPES OF PRANAYAMA प्राणायाम का महत्व प्राणायाम का...

Pranayam or Yog ke Prakar

नाड़ीशोधन प्राणायाम करने की विधि : इसको करने के लिए आप सुखासन अवस्था में पालथी मारकर बैठ जायें और अपने नेत्रों को खुलें रखें. अब आप अपनी दायी नासिका को बंद करके बायीं नासिका से सांस को अंदर खींचे और उसे नाभिचक्र तक ले जायें. आप महसूस करें कि खिंचा हुआ सांस आपको स्पर्श करें. अब आप इसे अपने भीतर रोकने की कोशिश करें. अब आप जिस नासिका से सांस खिंचा था उसे नासिका से सांस को बाहर निकालें. अब आप कुछ देर सांस न लें. इसके बाद आप इस प्रक्रिया को दूसरी नासिका के छिद्र के साथ दोहरायें. इस तरह आप तीन बार करें. फिर आप दोनों नासिका से सांस को अंदर लें और अपने मुहं से सांस को भर निकाल दें. Pranayam or Yog ke Prakar 2. भ्रामरी : भ्रामरी प्राणायाम को नाक खर्राटे के नाम से भी जाना जाता है. भ्रामरी प्राणायाम व्यक्ति को मानसिक तनाव से बचाकर, उसे विचारों पर काबू करने की शक्ति प्रदान करता है. इस प्राणायाम को करते वक़्त काले भँवरे की तरह स्वर निकलना होता है. इस प्राणायाम को करने के लिए कोई समय निर्धारित नही है इसे आप कहीं भी और कभी भी कर सकते हो. भ्रामरी प्राणायाम करने की विधि : इसके लिए आप अपनी कमर को सीधा करके बैठ जायें और अपनी उँगलियों को आँखों पर रखकर बंद कर लें, साथ ही आप अपने अंगूठो को अपने कानो पर रखें. ध्यान रहे कि आपकी उँगलियों से आपकी आँखों पर जोर न पड़े. अब आप सांस को अंदर लेकर एक मधुमक्खी की तरह आवाज को निकालें. इसके साथ ही आप धीरे धीरे सांस को भी छोड़ते रहें. 3. कपालभाती : इस प्राणायाम को कपाल उदय सांस, ललाट मस्तिष्क शोधन और कपालभारती के नाम से भी जाना जाता है. मनुष्य के मस्तिष्क के आगे वाले हिस्से को कपाल कहा जाता है और भाती का अर्थ होता है ज्योति. इस तरह कपालभाती प्राणायाम का अर्थ उस प...

प्राणायाम

प्राणायाम शब्द, 'प्राण' तथा 'आयाम' दो शब्दों की सन्धि से बनता है। प्राण जीवनी शक्ति है और आयाम उसका ठहराव या पड़ाव है। हमारे श्वास-प्रश्वास की अनैच्छिक क्रिया निरन्तर अनवरत चल रही है। इस अनैच्छिक क्रिया को अपने वश में करके ऐच्छिक बना लेने पर श्वास का पूरक करके कुम्भक करना और फिर इच्छानुसार रेचक करना प्राणायाम कहलाता है। प्राण वायु का शुद्ध व सात्विक अंश है। यदि प्राण शब्द का विवेचन करें तो प्राण शब्द (प्र+अन+अच) का अर्थ गति, कम्पन, गमन, प्रकृष्टता आदि के रूप में ग्रहण किया जाता है। उक्तियाँ [ ] • तस्मिन् सति श्वासप्रश्वासयोर्गतिविच्छेदः प्राणायामः ॥ -- पातञ्जल योगसूत्र 2/49 आसन के स्थिर हो जाने पर श्वास और प्रश्वास की गति का रुक जाना प्राणायाम है। • प्राणापान समायोगः प्राणायाम इतीरितः । प्राणायाम इति प्रोक्तो रेचक पूरक कुम्भकैः ॥ -- योगसूत्र 6/2 प्राण और अपान वायु के मिलाने को प्राणायाम कहते हैं। प्राणायाम कहने से रेचक, पूरक और कुम्भक की क्रिया समझी जाती है। • बाह्याभ्यनन्तरस्तम्भवृत्तिर्देशकालसंख्याभिः परिदृष्टो दीर्घसूक्ष्मः ॥ -- योगसूत्र 2/50 बाह्माभ्यन्तरविषयाक्षेपी चतुर्थः। -- योगसूत्र 2/51 महर्षि पतंजलि के अनुसार प्राणायाम के चार भेद हैं - (1) बाह्यवृत्ति प्राणायाम (2) आशभ्यन्तरवृत्ति प्राणायाम (3) स्तम्भवृत्ति प्राणायाम (4) बाह्याभ्यन्तर विषयाक्षेपी प्राणायाम • आसन पर विजय होने पर श्वास या बाह्य वायु का आगमन तथा प्रश्वास या वायु का निःसारण, इन दोनों गतियों का जो विच्छेद है अर्थात उभय भाव है, वही प्राणायाम है। -- महर्षि व्यास • अपाने जुहवति प्राणं प्राणेऽपानं तथा परे प्राणापानगती रूदध्वा प्राणायामः परायणः ॥ -- श्रीमद्भगवतगीता 4/29 अपान वायु में प्राणवायु का हवन, प्रा...

प्राणायाम के प्रकार, फायदे और सावधानियां

विषयसूची • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Avertisement उपक्षेप – Introduction प्राणायामशब्द 2 शब्दोंकेमेलसेबनाहै, जिसमेंसेएकप्राणऔरदूसराआयामहै| प्राणएकउज्जवलशक्तिऊर्जाहै, जोहमारेशरीरकोजिंदारखतीहैऔरजोहमारेतनऔरमनकोशक्तिप्रदानकरतीहै| प्राणायामकोइसप्रकारसमझसकतेहैं, जिसमेंप्राणशब्दकामतलबहमारेजीवनशक्तिमेंउल्लेखहोताहैऔरइसकेविपरीतआयाममतलबनियमितरूपसेकरनाहोताहै| इसविस्तारसेप्राणायामशब्दकामतलबहोताहैखुदकेजीवनशक्तिकोनियमितकरनाऔरउसकासहीरूपसेउपयोगकरना| प्राणायामकोकरनेसेहमेंकईहजारऊष्माऊर्जाजिसेहमनाड़ीकहतेहैंऔरऊर्जाकेकेंद्रजैसेचक्रभीकहाजाताहै, शरीरकेचारोंऔरबनतीहै| प्राणायामहमारेशरीरकेलिएअत्यंतलाभकारीहै| हमेशालोगइसेसूर्यकेआनेसेपहलेकरतेहैं| प्राणायामएकऐसायोगहै, जोहमारेशरीरकोहीनहींबल्किदिमागभीतंदुरुस्तकरताहै| इसकेआधारपरप्राणशक्तिकीमात्रामनुष्यकेमनोरथकोनिर्धारितकरतीहै, जिससेवहशक्तिकोअपनेअनेकअच्छेकार्यमेंलगासकताहै| प्राणायामकेपूर्णअभ्याससेहमारीप्राणशक्तिकोबलवानहोनेमेंसहायतामिलतीहै, जिसकेकारणवहहमेशातन, मनऔरशरीरसेस्वस्थरहताहै| देखाजाएतोप्राणायामकेबहुतसारेफायदेहैं, जोहमारेजीवनकेलिएअत्यंतमहत्वपूर्णहै| प्रतिदिननियमितरूपपरप्राणायामकरनेसेबहुतसारीऊर्जाकानिवासशरीरमेंहोताहै| प्राणायाममेंसांसलेनेकाअत्यंतजरूरीमोलहै, जिसकेकारणमनुष्यकीसांसपहलेसेज्यादाअच्छीहोजातीहै| Avertisement प्राणायामऔरइसकाइतिहासक्याहैं– What is Pranayama in Hindi प्राणायाममेंदोहीशब्दबहुतहीअनमोलहैजिसमेंसेपहलाशब्दप्राणऔरदूसराआयामहै| प्राणशब्दवहहै, जिसमेंमनुष्यकीआत्माकानिवासहोताहै| यदिहमआयामशब्दकासंधिविच्छेदकरेंतोपहलेशब्दजो“आ”हैइसकाउपयोगउपसर्गकेतौरपरकियाजाताहै| “यम”कामतलबदमनहोताहैजिससेप्राणायामकाशब्दकानिर्माणहुआहै| यहांपरदेखनेवाल...