Prachin bharat ka itihas

  1. Prachin Bharatiya Itihas Ka Sahityik Srot
  2. Prachin Bharat Ka Itihas : Dr.giraj Sankar Prshad : Free Download, Borrow, and Streaming : Internet Archive
  3. भारत का इतिहास


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Prachin Bharatiya Itihas Ka Sahityik Srot

प्राचीन भारतीय इतिहास का साहित्यिक स्रोत (Prachin Bharatiya Itihas Ka Sahityik Srot) : इस लेख में हम केवल साहित्यिक स्रोत का ही वर्णन करेंगें और अन्य दोनों साधनों की व्याख्या हम अगले लेखों में करेंगे | साहित्यिक स्रोत (साहित्यिक साक्ष्य) के अंतर्गत हम साहित्यिक ग्रन्थों से प्राप्त ऐतिहासिक सामग्रियों का अध्ययन करते है | साहित्यिक स्रोत (साहित्यिक साक्ष्य) को दो भागों में बांटा गया है – धार्मिक साहित्य और लौकिक साहित्य | धार्मिक साहित्य में ब्राह्मण और ब्राह्मणेतर साहित्य आते है | ब्राह्मण साहित्यों में वेद, उपनिषद्, पुराण, रामायण, महाभारत और स्मृति ग्रन्थ आते है जबकि ब्राह्मणेतर साहित्यों में बौद्ध और जैन साहित्यों को रखा गया है | लौकिक साहित्य में ऐतिहासिक ग्रंथ, जीवनी, कल्पना-प्रधान व गल्प साहित्य आते है | Prachin Bharatiya Itihas Ka Sahityik Srot | साहित्यिक स्रोत प्राचीन भारत के साहित्यिक स्रोत (Prachin Bharatiya Itihas Ka Sahityik Srot) के अंतर्गत निम्नलिखित पर प्रकाश डाला गया है – • वेद • ब्राह्मण ग्रंथ • आरण्यक • उपनिषद् • वेदांग • महाकाव्य • धर्मशास्त्र • पुराण • जैन साहित्य • बौद्ध साहित्य • लौकिक साहित्य यद्यपि प्राचीन भारत के लोगों को लिपि का ज्ञान 2500 ई.पू. में हो चुका था, लेकिन हमे जो प्राचीनतम पांडुलिपियाँ प्राप्त हुई है वों ईसा की चौथी सदी के पूर्व की नही है, और वें भी मध्य-एशिया से मिली है | भारत में पांडुलिपियाँ भोजपत्रों व तालपत्रों पर लिखी मिली है, लेकिन मध्य एशिया में यें पांडुलिपियाँ मेषचर्म व काष्ठफलकों पर भी प्राप्त हुई है | यद्यपि इन्हें अभिलेख कहा जा सकता है लेकिन यें एक प्रकार की पांडुलिपियाँ ही हैं | Prachin Bharatiya Itihas Ka Sahityik Strot जै...

Prachin Bharat Ka Itihas : Dr.giraj Sankar Prshad : Free Download, Borrow, and Streaming : Internet Archive

Book Source: dc.contributor.author: Dr.giraj Sankar Prshad dc.date.accessioned: 2015-08-13T00:56:24Z dc.date.available: 2015-08-13T00:56:24Z dc.date.copyright: 1955 dc.date.digitalpublicationdate: 2010/07 dc.date.citation: 1955 dc.identifier.barcode: 99999990275953 dc.identifier.origpath: /data6/upload/0128/755 dc.identifier.copyno: 1 dc.identifier.uri: http://www.new.dli.ernet.in/handle/2015/348254 dc.description.scannerno: Banasthali University dc.description.scanningcentre: Banasthali University dc.description.main: 1 dc.description.tagged: 0 dc.description.totalpages: 350 dc.format.mimetype: application/pdf dc.language.iso: Hindi dc.publisher.digitalrepublisher: digital library of india dc.publisher: Jaipur Pablisig Hause dc.source.library: Charan Sahitye Shodh Sansthan dc.title: Prachin Bharat Ka Itihas dc.type: print - paper dc.type: book Addeddate 2017-01-21 19:01:35 Identifier in.ernet.dli.2015.348254 Identifier-ark ark:/13960/t9188nx86 Ocr tesseract 5.0.0-alpha-20201231-10-g1236 Ocr_detected_lang hi Ocr_detected_lang_conf 1.0000 Ocr_detected_script Devanagari Ocr_detected_script_conf 1.0000 Ocr_module_version 0.0.13 Ocr_parameters -l hin Page_number_confidence 84.44 Pdf_module_version 0.0.13 Ppi 300 Scanner Internet Archive Python library 1.1.0

भारत का इतिहास

• टैमबापन्नी के राज्य (५४३–५०५ ई.पू.) • उपाटिस्सा नुवारा का साम्राज्य (५०५–३७७ ई.पू.) • अनुराधापुरा के राज्य (३७७ ई.पू.–१०१७ ईसवी) • रोहुन के राज्य (२०० ईसवी) • पोलोनारोहवा राज्य (३००–१३१० ईसवी) • दम्बदेनिय के राज्य (१२२०–१२७२ ईसवी) • यपहुव के राज्य (१२७२–१२९३ ईसवी) • कुरुनेगाल के राज्य (१२९३–१३४१ ईसवी) • गामपोला के राज्य (१३४१–१३४७ ईसवी) • रायगामा के राज्य (१३४७–१४१२ ईसवी) • कोटि के राज्य (१४१२–१५९७ ईसवी) • सीतावाखा के राज्य (१५२१–१५९४ ईसवी) • कैंडी के राज्य (१४६९–१८१५ ईसवी) • • • अनुक्रम • 1 स्रोत • 2 प्रागैतिहासिक काल (३३०० ईसा पूर्व तक) • 3 पहला नगरीकरण (३३०० ईसापूर्व–१५०० ईसापूर्व) • 3.1 सिन्धु घाटी सभ्यता • 4 वैदिक सभ्यता (१५०० ईसापूर्व–६०० ईसापूर्व) • 5 दूसरा नगरीकरण (६०० ईसापूर्व–२०० ईसापूर्व) • 6 प्रारंभिक मध्यकालीन भारत (२०० ईसापूर्व–१२०० ईसवी) • 7 गत मध्यकालीन भारत (१२०० – १५२६ ईसवी) • 8 प्रारंभिक आधुनिक भारत (१५२६ – १८५८ ईसवी) • 8.1 भारत में उपनिवेश और ब्रिटिश राज • 9 आधुनिक और स्वतन्त्र भारत (१८५० ईसवी के बाद) • 10 इन्हें भी देखें • 11 सन्दर्भ • 12 बाहरी कड़ियाँ स्रोत प्राचीन भारत का इतिहास समान्यत विद्वान भारतीय इतिहास को एक संपन्न पर अर्धलिखित इतिहास बताते हैं पर भारतीय इतिहास के कई स्रोत है। प्रागैतिहासिक काल (३३०० ईसा पूर्व तक) मुख्य लेख: नव पाषाण युग के अंत तक मनुष्य की बुद्धि बहुत कुछ विकसित हो गई थी। इसी समय कृषि का आविष्कार हुआ। कृषि ही सम्यता की माता थी। आर्य ही संसार में सबसे प्रथम कृषक थे। कृषि के उपयोगी स्थानों की खोज में आर्य पंजाब की भूमि में आए और इसी का नाम सप्तसिन्धु प्रदेश रखा। आर्य लोग सम्पूर्ण सप्तसिन्धु प्रदेश में फैल गए, परन्तु उनकी सभ्यत...