Prativedan kise kahate hain

  1. प्रतिवेदन का तरीका, प्रकार, विशेषता और महत्व
  2. प्रवास किसे कहते है ? प्रवास के कारण, परिणाम, वर्गीकरण।
  3. Pradushan Kitne Prakar Ke Hote Hain
  4. प्रतिबिंब किसे कहते है
  5. CBSE Class 12 Hindi संपादकीय लेखन
  6. प्रतिवेदन किसे कहते हैं? » Prativedan Kise Kehte Hain
  7. पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते है, कितने प्रकार का होता है, प्रदूषण से नुकसान सहित जानकारी
  8. शब्द किसे कहते हैं, परिभाषा, प्रयोग और उदाहरण ( हिंदी व्याकरण )


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प्रतिवेदन का तरीका, प्रकार, विशेषता और महत्व

"किसी प्रकरण, घटना, कार्य योजना आदि के बारे में स्पष्ट देखकर या छानबीन करके जो लिखित रूप में परिपूर्ण विवरण से प्रस्तुत किया जाता है उसे प्रतिवेदन कहते है". प्रतिवेदन का अर्थ | Prativedan Meaning In Hindi प्रतिवेदन (प्रति + विद) शब्द के जुड़ने से बना है जिसका अर्थ है समस्त अर्थात पूरी जानकारी रखना. प्रतिवेदन में विशेष कार्य की जानकारी तो दी जाती है साथ ही विभिन्न सुझाव और साथ ही संतुष्टि भी दी जाती है. हम जानते हैं कि देश – विदेश में कई घटनाएं हो होती रहती हैं जिसको जानने के लिए हम उत्सुक रहते हैं जिसके लिए उस घटना का निरीक्षण या छानबीन की आवश्यकता होती है जो सरकारी और गैर सरकारी संस्था या उसके द्वारा नियुक्त एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा की जा सकती है. ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा प्रस्तुत परिपूर्ण विवरण को प्रतिवेदन कहा जाता है. प्रतिवेदन लिखते समय कुछ बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए:- • प्रतिवेदन हमेशा संक्षिप्त में होना चाहिए. • प्रतिवेदन का शीर्षक स्पष्ट और शिष्ट होना चाहिए. • प्रतिवेदन की भाषा सरल और साफ़-साफ़ होना चाहिए. • शीर्षक ऐसा होना चाहिए जो मुख्य विषय को रेखांकित करता हो. • घटना, प्रकरण आदि जो भी हुआ हो उसकी तिथि और समय की सूचना दी जानी चाहिए. • प्रतिवेदन में केवल महत्वपूर्ण बातों को ही लिखना चाहिए. • कोई घटना, प्रकरण या किसी छानबीन की मुख्य बातें प्रतिवेदन में अवश्य लिखी जानी चाहिए. • व्याख्या सही क्रमानुसार रूप में हो. • निर्णयों की जानकारी देना चाहिए. • प्रतिवेदन लिखते समय भाषा में प्रथम पुरुष का प्रयोग नहीं होना जाना चाहिए. प्रतिवेदन के प्रकार| Type Of Prativedan प्रतिवेदन के तीन प्रकार होते हैं : • व्यक्तिगत प्रतिवेदन • संगठनात्मक प्रतिवेदन • वि...

प्रवास किसे कहते है ? प्रवास के कारण, परिणाम, वर्गीकरण।

pravas kise kahate hain -किसी कारण बस व्यक्ति अपने पूर्व निवास स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर जाकर बसने की प्रक्रिया को प्रवास कहा जाता है। इसमें कुछ दुरी तय करना तथा निवास स्थान में परिवर्तन प्रमुख प्रक्रिया होता है। जन्म दर और मृत्यु दर के अतिरिक्त एक और कारक या घटक है। जो लोगों के आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक,राजनैतिक या, अन्य कारणों से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर बसना, या निवास करना प्रवास कहलाता है। इसमें निवास स्थान में परिवर्तन होना मुख्या कारक होता है। इसमें ‘सरकुलेशन'(Crculation), ‘कम्यूटिंग'(Cummuting ) और ‘ट्रांसह्यूमेन्स'(Trans-humence) को शामिल नहीं किया जाता है। क्योकि इन तीनो क्रियाओ में लोगो के निवास स्थान में कोई परिवर्तन नहीं होता है। सर्कुलेशन इसका संबंध किसी गाँव या शहर में, किसी कार्य के लिए क्षणिक समय के लिए इस गली से उस गली, मोहल्ले के जाना और शाम तक अपने निवास स्थल में वापस आ जाना सर्कुलेशन कहलाता है। कम्यूटिंग इसका का संबंध व्यक्ति अपने कार्य के लिए कार्यालय जाता है, बच्चे पढ़ने के लिए विद्यालय, महाविद्यालय जाते है, और मजदूर अपना कार्य के लिए शहर या अन्य जगह जाते है। और शाम तक वापस अपने निवास स्थान तक पहुँच जाते है इसको भी प्रवास के अंतर्गत नहीं रखा जाता है। ट्रांसह्यूमेन्स इसमे में लोग अपने पशुओ के समूह के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान आते-जाते है। पशुओ को चराने के लिए, पर्वतो के ऊपर निचे स्थनांतरित होते रहते है। इसी को ट्रांसह्यूमेन्स कहा जाता है। जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते है। तो वह स्थान जहाँ से लोग गमन करते है उदगम स्थान कहलाता है। और जिस स्थान में आगमन करते है वह गंतव्य स्थान कहलाता है। उदगम स्थान जनसंख्या में कमी को दर्शाता है। जबक...

Pradushan Kitne Prakar Ke Hote Hain

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • आज के आर्टिकल में हम प्रदूषण (Pradushan) के बारे में बात करेंगे। इसके अन्तर्गत हम प्रदूषण क्या है (Pradushan Kya Hai), प्रदूषण किसे कहते है (Pradushan Kise Kahate Hain), प्रदूषण की परिभाषा (Pradushan Ki Paribhasha), प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं (Pradushan Kitne Prakar Ke Hote Hain) के बारे में जानेंगे। प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं – Pradushan Kitne Prakar Ke Hote Hain प्रदूषण क्या है – Pradushan Kya Hai प्रदूषण (Pradushan) वह स्थिति है जब भौतिक, रासायनिक होने लगता है जिससे जीवन में प्रगति रुक जाती है तथा जीना दूभर होने लगता है। प्रदूषण (Pollution) एक वांछनीय एवं एक असामान्य स्थिति है। रासायनिक और जैविक परिवर्तनों के कारण हवा, जल और धरातल अपनी गुणवत्ता खो बैठते हैं तथा जीवधारियों के लिए पर्यावरण लाभकारी होने के बजाय हानिका इस स्थिति में प्रदूषक तत्त्व सीमा से अधिक पर्यावरण के तत्त्वों में समाहित होकर उसकी गुणवत्ता को समाप्त करने लगते हैं। अतः जिस क्रिया से हवा, पानी, मिट्टी एवं वहाँ के संसाधनों के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में किसी अवांछनीय परिवर्तन से जैव जगत एवं सकल परिवेश पर हानिप्रद प्रभाव पहुँचे, उसे प्रदूषण (Pradushan) कहते हैं। प्रदूषण किसे कहते हैं – Pollution Kise Kahate Hain वायु-जल या भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में होने वाले ऐसे अनचाहे परिवर्तन जो मनुष्य एवं अन्य जीवधारियों, उनकी जीवन परिस्थितियों, औद्योगिक प्रक्रियाओं एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों के लिए हानिकारक हो, प्रदूषण (Pollution) कहलाते है। प्रदूषण की परिभाषा – Pradushan Ki Paribhasha ओडम के अनुसार, ’’हवा, पानी एवं मि...

प्रतिबिंब किसे कहते है

Pratibimb Ke Prakar प्रतिबिंब के प्रकार :- प्रतिबिंब दो प्रकार के होते हैं। • वास्तविक प्रतिबिंब :- किसी प्रकाश के स्रोत से निकलने वाली प्रकाश किरण दर्पण से परावर्तित होकर जिस बिंदु पर मिलती है। उसे उस बिंदु स्रोत को वास्तविक प्रतिबिंब कहते है। वास्तविक प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है। वास्तविक प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा हमेशा उल्टा होता है। 2. आभासी प्रतिबिंब :- जब किसी प्रकाश के स्रोत से निकलने वाली प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तित होकर जिस बिंदु पर मिलती हुई प्रतीत होती हैं। उसे उस बिंदु स्रोत को आभासी प्रतिबिंब कहते हैं। आभासी प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा हमेशा सीधा बनता है। आभासी प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता है। यह भी पढ़ें – हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया Pratibimb Kise Kahate Hain आपको पसंद आयी होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं। Categories Post navigation

CBSE Class 12 Hindi संपादकीय लेखन

CBSE Class 12 Hindi संपादकीय लेखन प्रश्नः 1. संपादकीय का क्या महत्त्व है? उत्तरः संपादक संपादकीय पृष्ठ पर अग्रलेख एवं संपादकीय लिखता है। इस पृष्ठ के आधार पर संपादक का पूरा व्यक्तित्व झलकता है। अपने संपादकीय लेखों में संपादक युगबोध को जाग्रत करने वाले विचारों को प्रकट करता है। साथ ही समाज की विभिन्न बातों पर लोगों का ध्यान आकर्षित करता है। संपादकीय पृष्ठों से उसकी साधना एवं कर्मठता की झलक आती है। वस्तुतः संपादकीय पृष्ठ पत्र की अंतरात्मा है, वह उसकी अंतरात्मा की आवाज़ है। इसलिए कोई बड़ा समाचार-पत्र बिना संपादकीय पृष्ठ के नहीं निकलता। पाठक प्रत्येक समाचार-पत्र का अलग व्यक्तित्व देखना चाहता है। उनमें कुछ ऐसी विशेषताएँ देखना चाहता है जो उसे अन्य समाचार से अलग करती हों। जिस विशेषता के आधार पर वह उस पत्र की पहचान नियत कर सके। यह विशेषता समाचार-पत्र के विचारों में, उसके दृष्टिकोण में प्रतिलक्षित होती है, किंतु बिना संपादकीय पृष्ठ के समाचार-पत्र के विचारों का पता नहीं चलता। यदि समाचार-पत्र के कुछ विशिष्ट विचार हो, उन विचारों में दृढ़ता हो और बारंबार उन्हीं विचारों का समर्थन हो तो पाठक उन विचारों से असहमत होते हुए भी उस समाचार-पत्र का मन में आदर करता है। मेरुदंडहीन व्यक्ति को कौन पूछेगा। संपादकीय लेखों के विषय समाज के विभिन्न क्षेत्रों को लक्ष्य करके लिखे जाते हैं। प्रश्नः 2. किन-किन विषयों पर संपादकीय लिखा जाता है? उत्तरः जिन विषयों पर संपादकीय लिखे जाते हैं, उनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है – • समसामयिक विषयों पर संपादकीय • दिशा-निर्देशात्मक संपादकीय • संकेतात्मक संपादकीय • दायित्वबोध और नैतिकता की भावना से परिपूर्ण संपादकीय • व्याख्यात्मक संपादकीय • आलोचनात्मक संपादकीय • समस्या ...

प्रतिवेदन किसे कहते हैं? » Prativedan Kise Kehte Hain

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। प्रतिवेदन जो होता है रे बाबू तथा वर्तमान की विशेष घटना प्रशांत या विषय के प्रमुख कार्यों के क्रमबद्ध और संक्षिप्त विवरण को प्रतिवेदन कहते हैं या फिर प्रतिवेदन वह होता है और लिखित सामग्री जो कि किसी घटना कार्य योजना समारोह आदि के बारे में प्रत्यक्ष देखकर या छानबीन करके तैयार की गई हो उसे भी प्रतिवेदन या रिपोर्ट कहते हैं prativedan jo hota hai ray babu tatha vartaman ki vishesh ghatna prashant ya vishay ke pramukh karyo ke krambaddh aur sanshipta vivran ko prativedan kehte hain ya phir prativedan vaah hota hai aur likhit samagri jo ki kisi ghatna karya yojana samaroh aadi ke bare mein pratyaksh dekhkar ya chanbin karke taiyar ki gayi ho use bhi prativedan ya report kehte hain प्रतिवेदन जो होता है रे बाबू तथा वर्तमान की विशेष घटना प्रशांत या विषय के प्रमुख कार्यों क

पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते है, कितने प्रकार का होता है, प्रदूषण से नुकसान सहित जानकारी

पर्यावरण प्रदूषण - आज की इस पोस्ट में पर्यावरण प्रदूषण क्या है, कितने प्रकार का होता है, जल प्रदूषण किसे कहते, वायु प्रदूषण किसे कहते, ध्वनि प्रदूषण किसे कहते है, प्रदूषण सेहानियां, पर्यावरण प्रदूषण के कारक, पर्यावरण प्रदूषण के दुष्प्रभाव, पर्यावरण प्रदूषण Trick PDF Downloadआदि से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए है। पर्यावरण प्रदूषण पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार प्रदूषण किसे कहते है? वायु प्रदूषण की परिभाषा- औद्योगिकीकरण, जनसंख्या वृद्धि तथा वृक्षों की कटाई के कारण वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। हाइड्रोकार्बन, नाइट्रस ऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड,सल्फर डाइ ऑक्साइड आदि गैसें वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है। वायु प्रदूषकों के कारण पादपों के साथ-साथमनुष्य (सजीव प्राणियों) में भी अनेक बीमारियाँ उत्पन्न होती है, जिनमें कार्बन मोनो ऑक्साइड से हाइपोक्सिया, नाइट्रोजन यौगिक से फेफड़ों में सूजन व जलशोध रोग, सल्फर डाई ऑक्साइड से कैंसर व त्वचा रोगतथा फ्लोराइड यौगिकों से फ्लोरोसिस नामक रोग हो जाता है। सल्फर डाइ ऑक्साइड वायुमण्डल में स्थित जलवाष्प से क्रिया करके सल्फ्यूरिक अम्ल और नाइट्रोजन ऑक्साइड वायुमण्डल में स्थित जलवाष्प से क्रिया करके नाइट्रिक अम्ल बनाते हैं, जो वर्षा जल के साथ भूमि पर बरसते हैं, इस अम्ल युक्त वर्षा को अम्ल वर्षा कहते हैं। स्वचालित वाहनों तथा औद्योगिक गतिविधियों से उत्पन्न धुएँ व गैसों पर नियन्त्रक करके तथा अधिक से अधिक वृक्षारोपण करके वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है। • भूमि प्रदूषण का मुख्य कारण औद्योगिक कचरा, घरेलू कचरा,प्रवाहित मल, जल, औद्योगिक उत्सर्जित जल, खनिज धातु तथा अनेक गैसें है। • रासायनिक उर्वरक, रसायन, प्लास्टिक, कीटनाशक, विभिन्न धात...

शब्द किसे कहते हैं, परिभाषा, प्रयोग और उदाहरण ( हिंदी व्याकरण )

शब्द किसे कहते हैं ? एक या उससे अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि शब्द कहलाती है। किसी भाषा में अनेक सार्थक शब्दों का प्रयोग किया जाता है तब वह एक वाक्य का रूप लेकर पूर्ण अभिव्यक्ति करने में सक्षम हो पाता है। यह स्थाई नहीं होते , यह परिवर्तनशील होते हैं, यह समाज परिवेश और आवश्यकता के अनुसार जुड़ते रहते हैं तथा विलुप्त होते जाते हैं। जैसे पूर्व समय में व्यापार विनिमय का विभिन्न साधन था उस समय जो शब्द – सेर , सवा सेर , कुंटल , तोला , मासा , आदि का प्रयोग किया जाता था आज वह प्रयोग में नहीं है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है समाज में रहते हुए उसे अपने विचारों के आदान-प्रदान के लिए शब्द तथा भाषा की आवश्यकता होती है। शब्द भाषा की छोटी इकाई होती है। दो या अधिक वर्णन को जोड़ने पर इस का निर्माण होता है , उसी प्रकार दो या अधिक शब्दों के जोड से भाषा का निर्माण होता है। व्यक्ति सामाजिक प्राणी है और समझदार भी इसलिए वह अपने अभिव्यक्ति के लिए भाषा का प्रयोग करता है। Table of Contents • • • • • • • शब्दों का वर्गीकरण ( शब्द किसे कहते हैं विभिन्न आधार ) शब्दों का वर्गीकरण विभिन्न आधारों पर किया जाता है हम उन सभी को यहां निम्नलिखित रुप से व्यक्त कर रहे हैं – • अर्थ की दृष्टि से • प्रयोग की दृष्टि से • इतिहास या स्रोत की दृष्टि से • रचना की दृष्टि से • व्याकरणिक प्रकार्य के आधार पर 1 अर्थ की दृष्टि से शब्दों का वर्गीकरण शब्द को भाषा की इकाई माना जाता है। शब्द वाक्य में प्रयोग होकर भाषा का रूप लेता है। एक ही शब्द वाक्यों में अलग-अलग अर्थ की प्रतीति कराता है ,शब्द का स्वरूप वाक्य के अनुरूप बदल जाता है। अतः उसमें अर्थ भिन्नता देखने को मिलता है इस दृष्टि से हम शब्दों को चार प्रकार से अध्...