प्रबंध काव्य के भेद

  1. संस्कृत काव्यशास्त्र के अनुसार काव्य के भेद अथवा प्रकार बताइए।
  2. काव्य का स्वरूप एवं भेद/महाकाव्य/खंडकाव्य/ मुक्तक काव्य/MAHAKAVYA /KHANDKAVYA/
  3. काव्य के भेद कितने हैं: प्रबंधकाव्य किसे कहते हैं kind of hindi kavya
  4. प्रबंध काव्य
  5. काव्य की परिभाषा और भेद तथा काव्य गुण के प्रकार
  6. रीतिकालीन प्रबंध एवं मुक्तक काव्य तथा अलंकार, छंद, रस एवं काव्यांग निरूपक ग्रंथ


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संस्कृत काव्यशास्त्र के अनुसार काव्य के भेद अथवा प्रकार बताइए।

एक ब्लॉग जो की हिंदी साहित्य से जुड़ी जानकारियाँ आपके साथ शेयर करता है जो की आपके प्रतियोगिता परीक्षा में पूछे जाते हैं, इस ब्लॉग पर एम्. ए. हिंदी साहित्य का पूरा कोर्स लॉन्च करने का प्लान है. अगर आपका सहयोग अच्छा रहा हमारे ब्लॉग में पूरा कोर्स उपलब्ध करा दिया जाएगा. इसमें जो प्रश्न लिखे जा रहे हैं वह न केवल एम्. ए. के लिए उपयोगी है बल्कि यह विभिन्न प्रकार के प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी हिंदी साहित्य के प्रश्न विभिन्न फोर्मेट में हमारा ब्लॉग आपके लिए कंटेंट बनाते रहेगा अपना सहयोग बनाये रखें. 1. संस्कृत काव्यशास्त्र के अनुसार काव्य के भेद अथवा प्रकार बताइए। उत्तर - संस्कृत काव्यशास्त्र की बात करें तो संस्कृत के आचार्यों ने सबसे पहले काव्य के दो भेद - (1) प्रबंध काव्य और (2) मुक्तक काव्य, स्वीकार किये हैं। प्रबंध काव्य का आधार कथानक होता है। मुक्तक काव्य का कथानक से संबंध नहीं होता है। इसके बाद प्रबंध काव्य के दो भेद - 1. महाकाव्य और 2. खंडकाव्य किये गए हैं। महाकाव्य के भिन्न-भिन्न आचार्यों ने अनेक लक्षण किये हैं। इनमें प्रमुख हैं - सर्गबद्ध होना, महान चरित्रों से सुशोभित होना, विशाल-आकार, जटिल शब्दों का अभाव, अर्थ सौष्ठव से सम्पन्न, अलंकारों से युक्त सत्पुरुष पर आश्रित होना चाहिए। इसके अतिरिक्त उसमें मंत्रणा, दूत प्रेषण, अभिधा, युद्ध, नायक का अभ्युदय एवं पांच संधियों का निर्वाह होना चाहिए। महाकाव्य में नायक का वर्णन पहले और प्रतिनायक का बाद में होना चाहिए। इसमें एक रस प्रमुख तथा शेष रस अप्रधान रूप में होने चाहिए। लौकिक व्यवहार के साथ-साथ नायक को आरम्भ से अंत तक दिखाना चाहिए। खंडकाव्य में महाकाव्य के कुछ ही लक्षणों का निर्वाह होता है - खण्डकाव्यं भवेत्काव्यस्यैक देशानुसारि ...

काव्य का स्वरूप एवं भेद/महाकाव्य/खंडकाव्य/ मुक्तक काव्य/MAHAKAVYA /KHANDKAVYA/

भा षा के माध्यम से जीवन की मार्मिक अनुभूतियों की कलात्मक अभिव्यक्ति को साहित्य कहा जाता है। साहित्य को मनोवेगों की सृष्टि भी माना जाता है। उसमें सहीतत्व: अर्थात सहिस्तस्य भवः साहित्यम ; का समावेश होता है। सामान्यत: यह अभिव्यंजना हमें गद्य और पद्य दोनों रूपों में मिलती है। पद्य को गद्य का प्रतिपक्षी रूप कहा जाता है और यह छंदोबद्ध रचना के लिए ही प्रयुक्त होता है। गद्य और कविता का अंतर छंद लय और तूक आधार पर किया जाता है। कविता प्रायः पद्यात्मक और छंदबद्ध होती है। चिंतन की अपेक्षा इसमें भावों की प्रधानता होती है इसका उद्देश्य सौंदर्य की अनुभूति द्वारा आनंद की प्राप्ति करना होता है। कविता को गद्य से ऊंची स्थिति प्राप्त है क्योंकि इसमें रचना के अंतर सौंदर्य का बोध होता है इस प्रकार काव्य( यहां पर काव्य का अर्थ कविता है) उस छंदोबद्ध एवं लयात्मक साहित्य रचना को कहते हैं जो श्रोता या पाठक के मन में भावात्मक आनंद की सृष्टि करती है। अपने व्यापक अर्थ में‘काव्य’ से संपूर्ण गद्य एवं पद्य में रचित भावात्मक सामग्री का बोध होता है। किंतु संकुचित अर्थ में इसे कविता का पर्याय ही समझा जाता है केवल लए एवं तुक के आधार पर गद्य एवं पद्य का अंतर एक सीमा तक ही सच माना जा सकता है। कभी-कभी गद्य में भी कविता के गुण दृष्टिगोचर होते हैं तो दूसरी ओर लय और तुक के अभाव में छंदोबद्ध रचना भी नीरस प्रतीत होती है। कविता का आस्वादन इसके अर्थ – ग्रहण करने में निहित है। इसके लिए पहले कविता पंक्तियों का मुख्य अर्थ समझना आवश्यक है। मुख्य अर्थ समझने के लिए अन्वय करना आवश्यक होता है , क्योंकि कविता की वाक्य संरचना में प्राया शब्दों का वह करम नहीं होता जो गद्य में होता है। अतः अन्वय से शब्दों का परस्पर संबंध व्यक्त हो...

काव्य के भेद कितने हैं: प्रबंधकाव्य किसे कहते हैं kind of hindi kavya

काव्य के भेद कितने हैं: प्रबंधकाव्य किसे कहते हैं| Kind of hindi kavya दोस्तों हिंदी आज से पहले इस रूप में नहीं थी बल्कि कई बोलियों में हिंदी बंटी थी। भारत के प्राचीन भाषा संस्कृत के साहित्य भरतमुनि, बाल्मीकि, कालिदास आदि की परंपरा से शुरू हुई है। आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि हिंदी के काव्य में प्रबंध काव्य किसे कहते हैं. काव्य के भेद कितने होते हैं. काव्य के प्रकार कितने होते हैं. हिंदी भाषा अपने विकास के पहले चरण यानी कविता से शुरू होकर आज आधुनिक हिंदी भाषा के रूप में हमारे सामने हैं। इन सब जानकारी के लिए आप पूरा जरूर पढ़ें। Education, Hindi, veyakaran Table of Contents • • • • • • • • • काव्य/ पद्य किसे कहते हैं what is the kavya in hindi कम शब्दों में प्रभावशाली अभिव्यक्ति की जाती है, उसे काव्य या पद्य कहते हैं। जब शब्दों में संगीत, लयात्मकता और छंदबंद्धता होती है और कम शब्द प्रभावशाली अर्थ व्यक्त करते हैं तो उस रचना को कविता या पद्य कहते हैं। साहित्य में कविता को भी गिना जाता है। हिंदी साहित्य कविता विधा के रूप में प्रतिष्ठित है। बिल्कुल उसी तरह से जैसे कहानी, उपन्यास इत्यादि है, वैसे भी कविता पुराने समय से ही लोगों को आकर्षित करती रही है। कलात्मक और रचनात्मक पक्ष कविता में देखने को मिलता है इसलिए कविता बार-बार पढ़ी जाती है। लोक की कविता बार-बार पढ़ने पर उससे भाव अलग-अलग अर्थों को ग्रहण करते हैं इसलिए, लयात्मकता और छंदबंद्धता के कारण कविता बार-बार पढ़ने में अच्छी लगती है। काव्य के कितने भेद होते हैं? दोस्तों काव्य के दो भेद होते हैं। पहला वह जिसे सुना जा सके, उसे श्रव्य काव्य कहते हैं, दूसरा वे जिसे देखा जा सके उसे दृश्य काव्य कहते हैं। मुक्तक काव्य प्रबंध काव्य किस...

प्रबंध काव्य

काव्य के भेद दो प्रकार से किए गए हैं–. 7 संबंधों: पांडेय बेचन शर्मा "उग्र" (१९०० - १९६७) हिन्दी के साहित्यकार एवं पत्रकार थे। का जन्म उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद के अंतर्गत चुनार नामक कसबे में पौष शुक्ल 8, सं. नई!!: प्रबन्ध, मध्यकालीन संस्कृत साहित्य की एक विधा थी। इनमें प्रसिद्ध व्यक्तियों के जीवन के अर्ध-ऐतिहासिक विवरण हैं। इनकी रचना १३ शताब्दी के बाद के काल में मुख्यतः गुजरात और मालवा के जैन विद्वानों ने किया। प्रबन्धों की भाषा बोलचाल की संस्कृत है जिसमें स्थानीय बोलियों का भी पुट है। . नई!!: राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (३ अगस्त १८८६ – १२ दिसम्बर १९६४) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। हिन्दी साहित्य के इतिहास में वे खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उन्हें साहित्य जगत में 'दद्दा' नाम से सम्बोधित किया जाता था। उनकी कृति भारत-भारती (1912) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली साबित हुई थी और इसी कारण महात्मा गांधी ने उन्हें 'राष्ट्रकवि' की पदवी भी दी थी। उनकी जयन्ती ३ अगस्त को हर वर्ष 'कवि दिवस' के रूप में मनाया जाता है। महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रेरणा से आपने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास किया। इस तरह ब्रजभाषा जैसी समृद्ध काव्य-भाषा को छोड़कर समय और संदर्भों के अनुकूल होने के कारण नये कवियों ने इसे ही अपनी काव्य-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। हिन्दी कविता के इतिहास में यह गुप्त जी का सबसे बड़ा योगदान है। पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हैं, जो 'पंचवटी' से लेकर जयद्रथ वध, यशोधरा और साकेत तक में प्र...

काव्य की परिभाषा और भेद तथा काव्य गुण के प्रकार

काव्य काव्य की परिभाषा - समस्त भाव प्रधान साहित्य को काव्य कहते हैं। आचार्य विश्वनाथ प्रसाद के अनुसार - रसात्मकं वाक्यं काव्यम्। अर्थात् रस युक्त वाक्य ही काव्य है। पंडितराज जगन्नाथ के अनुसार - रमणीयार्थ प्रतिपादक: शब्दः काव्यं। अर्थात् रमणीय अर्थ के प्रतिपादक धर्म को काव्य कहते हैं। भामह के अनुसार - शब्दार्थो सहिर्तो काव्यं। अर्थात् शब्द और अर्थ से युक्त रचना ही काव्य है। श्री जयशंकर प्रदास के अनुसार - आत्मा की संकल्पनात्मक अनुभूति को काव्य कहते हैं। काव्य के भेद - रचना के आधार पर काव्य के दो भेद होते हैं - 1 .श्रव्य काव्य 2 . दृश्य काव्य 1 . श्रव्य काव्य - जिस काव्य को पढ़ने या सुनने से आनन्द प्राप्त होता है। उसे श्रव्य काव्य कहते हैं। श्रव्य काव्य के दो भेद है - 1 . प्रबंध काव्य 2 . मुक्तक काव्य 1 . प्रबंध काव्य - वह काव्य रचना जो कथा सूत्रों तथा छन्दों की तारतम्यता में अच्छी तरह बंधी हो वह प्रबन्ध काव्य कहलाती है। प्रबन्ध काव्य के भेद - ( 1 ) महाकाव्य , ( 2 ) खण्ड काव्य , ( 3 ) आख्यानक गीत ( 1 ) . महाकाव्य महाकाव्य में जीवन का अथवा घटना विशेष का सम्पूर्ण वर्णन होता है। महाकाव्य की विशेषताये - 1. महाकाव्य का आकार बड़ा होता है। 2. महाकाव्य में सम्पूर्ण जीवन का चित्रण किया जाता है। 3. महाकाव्य में पात्रों की संख्या अधिक होती है। 4. महाकाव्य में अनेक छंदो का प्रयोग होता है। 5. महाकाव्य में आठ से अधिक सर्ग होते हैं। रचियता - महाकाव्य तुलसीदास - रामचरित मानस मैथिलीशरण गुप्त - साकेत मलिक मुहम्मद जायसी - पदमावत जयशंकर प्रसाद - कामायनी सुमित्रानंदन पंत - लोकायतन ( 2 ) . खण्डकाव्य खण्डकाव्य में नायक के जीवन की किसी एक घटना या पक्ष का वर्णन होता है। खण्डकाव्य की विशेषताएँ - 1. खण...

रीतिकालीन प्रबंध एवं मुक्तक काव्य तथा अलंकार, छंद, रस एवं काव्यांग निरूपक ग्रंथ

रीतिकालीन मुक्तक एवं प्रबंध काव्य यहाँ पर रीतिकालीन मुक्तक काव्य, प्रबंध काव्य, अलंकार निरूपक ग्रंथ, छंद निरूपक ग्रंथ, रस निरुपक ग्रंथ तथा काव्यांग निरूपक ग्रंथ का विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है। क्योंकि बहुधा इनसे प्रश्न बन जाते हैं, जैसे- निम्न में अलंकार निरूपक ग्रंथ है? इस लिहाज से यह लिस्ट महत्वपूर्ण है। रीतिकालीन प्रमुख मुक्तक काव्य रीतिकाल के प्रमुख मुक्तक काव्यऔर कवि निम्नलिखित हैं- कवि रचनाएं 1.केशव कविप्रिया,रसिकप्रिया,जहांगीर जस चंद्रिका,रामचंद्रिका,विज्ञान गीता 2.चिंतामणि कविकुल कल्पतरु,काव्य विवेक,श्रृंगार मंजरी,काव्य प्रकाश,रस विलास,छन्द विचार 3.भूषण शिवराज भूषण,छत्रसाल दशक,शिवाबावनी,अलंकार प्रकाश,छन्दोहृदय प्रकाश 4.मतिराम ललित ललाम,मतिराम सतसई,रसराज,अलंकार पंचाशिका,वृत्त कौमुदी 5.बिहारी सतसई 6.रसनिधि रतन हजारा,दिष्णुपद कीर्तन,कवित्त,अरिल्ल,हिण्डोला,सतसई,गीति संग्रह 7.जसवंत सिंह भाषा भूषण,आनन्द विलास,सिद्धान्त बोध सिद्धान्तसार,अनुभव प्रकाश,अपरोक्ष सिद्धान्त, स्फुट छंद 8.कुलपति मिश्र रस रहस्य,नखशिख,दुर्गाभक्ति तरंगिणी,मुक्तिरंगिणी,संग्रामसार 9.मंडन रस रत्नावली, रस विलास,नखशिख,जनकपचीसी,नैन पचासा,काव्य रत्न 10.आलम आलमकेलि 11.देव भाव विलास,भवानी विलास,कुशल विलास,रस विलास,जाति विलास रसायन,देव शतक,प्रेमचन्द्रिका,प्रेमदीपिका,राधिका विलास 12.सुरति मिश्र अलंकार माला,रस रत्नमाला,नखशिख,काव्य सिद्धान्त,रस रत्नाकर,श्रृंगार सागर,भक्ति विनोद 13.नृप शंभू नायिका भेद,नखशिख,सातशप्तक 14.श्रीपति काव्य सरोज,कविकल्पद्रुत,रस सागर,अलंकार गंगा,विक्रम विलास,अनुप्रास विनोद 15.गोप रामचंद्र भूषण,रामचंद्राभरण,रामालंकार 16.घनानंद पदावली,वियोग बेलि,सुजान हित प्रबन्ध,प्रीति पावस,कृपाकन्द निबन्...