प्रेम मंदिर किसने बनवाया है

  1. हैदराबाद की चारमीनार की जानकारी
  2. कोणार्क मंदिर किसने बनवाया था , konark sun temple was built by in hindi – 11th , 12th notes In hindi
  3. [2022] स्वर्ण मंदिर कहाँ है और किसने बनवाया
  4. प्रेम मंदिर: वृन्दावन, मथुरा उत्तर प्रदेश (राधा
  5. केदारनाथ मंदिर का इतिहास व कहानी, Kedarnath Temple Story In Hindi
  6. प्रेम मंदिर किसने बनवाया था?
  7. प्रेम मंदिर किसने बनवाया था?
  8. हैदराबाद की चारमीनार की जानकारी
  9. केदारनाथ मंदिर का इतिहास व कहानी, Kedarnath Temple Story In Hindi
  10. प्रेम मंदिर: वृन्दावन, मथुरा उत्तर प्रदेश (राधा


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हैदराबाद की चारमीनार की जानकारी

हैदराबाद की चारमीनार की जानकारी – information about charminar in hindi हैदराबाद की चारमीनार की जानकारी, हैदराबाद की चारमीनार का इतिहास, चार मीनार किसने बनवाया था, चार मीनार कहां स्थित है, information about charminar in hindi, Charminar Hyderabad History In Hindi चारमीनार भारत के तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद शहर में स्थित है।चारमीनार हैदराबाद की पहचान है। मुसी नदी के तट पर स्थित चार मीनार का इतिहास 400 साल पुराना माना जाता है। 1591 में निर्मित यह स्मारक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। ईद-उल-अधा और ईद-उल-फितर के दौरान यहां काफी भीड़ देखने को मिलती है। इसके साथ ही चार मीनार का एरिया शॉपिंग के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ के दुकानों में महिलाओं की पसंद की सारी सामने मिल जाती है। चारमीनार अपने अद्भुत संरचना और बनावट के कारण पर्यटक के आकर्षण का केंद्र है। चारमीनार का निर्माण सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने 1591 ईसवी में करवाया था। चारमीनार का निर्माण के पीछे कहा जाता है की इसके निर्माण का उद्देशय गोलकोंडा और मछलीपट्टनम के मार्ग को जोड़कर व्यापार को बढ़ाना था। दूसरी तरह चार मीनार के निर्माण के पीछे यह भी कहा जाता है की यह कुतुब शाह और भगमती की प्रेम का प्रतीक है। जो भी कारण रहा हो इस इतिहासिक स्मारक को देखने हर साल लाखों पर्यटक हैदराबाद आते हैं। चारमीनार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा राष्ट्रीय स्मारकों की सूची में शामिल किया गया है। इस लेख में चारमीनार का इतिहास और रोचक तथ्य जान पाएंगे। चार मीनार का मतलब है चार और मीनार उर्दू शब्द हैं, जिसका आशय “चार स्तंभ” से है। हैदराबाद की चारमीनार की जानकारी – information about charminar in hindi साथ ही जानेंगे की ऐसी ...

कोणार्क मंदिर किसने बनवाया था , konark sun temple was built by in hindi – 11th , 12th notes In hindi

konark sun temple was built by in hindi कोणार्क मंदिर किसने बनवाया था ? कोणार्कः ओडिशा स्थित कोणार्क भारतीय हिंदू धर्म का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल है। इसका निर्माण राजा लंगुला नरसिंह देव ने 13वीं शताब्दी में करवाया था। हालांकि हो सकता है इसी स्थान पर नौवीं शताब्दी में भी सूर्य मंदिर का निर्माण हुआ हो। खोंडालाइट से निर्मित इस मंदिर के निर्माण में 1200 मजदूरों ने 16 वर्ष का समय लगाया था। 1830 में कुर्धा (कर्धा) राजा ने इस मंदिर के तीन प्रवेश द्वारों को नष्ट कर दिया था। मंदिर में प्रवेश के लिए 180 मीटर लंबे प्रवेश माग्र से होकर गुजरना पड़ता है। विस्तृत क्षेत्र में फैली मंदिर परिसर आसपास की भूमि से 2 मीटर नीची है। परिसर के पूर्वी भाग में भोगा मंदिर स्थित है, जिसे कुछ लोगों द्वारा नटमंडप की संज्ञा दी जाती है। इसके पश्चिमी भाग में जगमोहन नामक द्वारमण्डप स्थित है, जो लगभग 39 मीटर ऊंचा है। पूर्वी भाग में स्थित मण्डप मूल मण्डप था, जो लगभग 60 मीटर ऊंचा था। परिसर को दक्षिणी भाग से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि मंदिर का निर्माण युद्ध में प्रयुक्त एक रथ के रूप में किया गया है। 4 मीटर ऊंचे प्लेटफाॅर्म पर निर्मित पहियों के 12 युग्म मंदिर को आधार प्रदान करते हैं। मंदिर में प्रवेश पूर्वी भाग से किया जा सकता है। भोगा मंदिर की दीवारों पर सुंदर नक्काशी की गई है। इन प्रतिमाओं के विषय सामान्य जीवन से लिए गये हैं नृत्य, नर्तकों, संगीतकार, दरबार, प्रेम एवं विवाह आदि दृश्य। परिसर में निर्मित विविध प्रतिमाएं वस्तुतः उड़िया वास्तुशिल्प को अपने में समेटे हुए हैं। द्वारमण्डप की छत तीन कतारों में बंटी हुई है। निचली एवं मध्यम परतों के मध्य संगीतकारों का वाद्य यंत्रों को बजाते हुए चित्रित किया गया है। मं...

[2022] स्वर्ण मंदिर कहाँ है और किसने बनवाया

दोस्तों हमारा भारत देश अनैकों प्रकार के धार्मिक स्थलों, मान्यताओं, श्रद्धा-भाव एवं आस्थाओं का देश हैं जोकि भारत को धार्मिक-राष्ट्र के रूप में विख्यात बनाता है। आज आप इस लेख के माध्यम से सिख धर्म-स्थल सिख धर्म की पवित्र भूमि है वल्कि दुनियाभर के सभी धर्मों में मौजूद श्रद्धालुओं की भक्ति-भावना एवं पर्यटन का प्रमुख स्थल एवं आकर्षण का केंद्र है। इस लेख को आगे पढ़ते हुए बेहद सुन्दर अमृत सरोवर के बीचों-बीच स्थित सिखों के श्रेष्ठ तीर्थ-स्थल स्वर्ण मंदिर कहाँ है और किसने बनवाया | स्वर्ण मंदिर का इतिहास को विस्तार से जानते हैं। अनुक्रम • • • • • • स्वर्ण मंदिर कहाँ है – Where is golden temple in hindi सिख धर्म-स्थल स्वर्ण मंदिर या गोल्डन टेम्पल भारतीय राज्य पंजाब में मौजूद अमृतसर शहर के बीचों-बीच अमृत सरोवर नामक पवित्र तालाब में स्थित है मतलब पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के आस-पास बसता है। इसके अलावा अम्रतसर शहर का नाम इसी अमृत सरोवर के नाम पर रखा है। इनके अलावा स्वर्ण मंदिर को श्री हरमंदिर साहिब या दरबार साहिब के नाम से भी पुकारा जाता है जोकि सिख धर्म के अनुयाइयों का पवित्र एवं प्रमुख गुरुद्वारा रहा है। स्वर्ण मंदिर का इतिहास – Golden Temple history in hindi अमृतशहर के बीचों-बीच स्थित स्वर्ण मंदिर या गोल्डन टेम्पल का इतिहास काफी रोचक है जोकि विभिन्न धर्मों के बीच शुरुआत से ही एकता कायम रखने की ओर अग्रसर है। इस मंदिर की नींव सिखों के चौथे गुरु रामदास जी (इस मंदिर की नींव में गुरु अर्जन साहिब जी का भी अहम भूमिका थी।) ने रखी थी। 400 वर्षों सेभी ज्यादा पुराना यह स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) एवं गुरुद्वारा अमृत सरोवर के बीच में स्थित है। जिसके ऊपर का बाहरी हिस्सा सोने की परत के द्वारा ...

प्रेम मंदिर: वृन्दावन, मथुरा उत्तर प्रदेश (राधा

प्रेम मंदिर (अर्थात दिव्य प्रेम का मंदिर) भारत के मथुरा शहर में वृंदावन में एक हिंदू मंदिर है। जो की 55 एकड़ भूमि में फैला, प्रेम मंदिर, दम्पत्ति, युवा, वृद्धों और सभी उम्र के लोगों के लिए सबसे अधिक बार देखा जाने वाला धार्मिक स्थल है, जो यहां श्री राधा-कृष्णा के शाश्वत प्रेम से प्रेरित होने के लिए आते हैं जो प्रेम का सबसे बड़ा उदाहरण हैं। यह प्रेम मंदिर वृन्दावन का इतिहास – History of Prem Mandir Vrindavan Prem Mandir Vrindavan gate प्रेम मंदिर वृन्दावन (Prem Mandir Vrindavan) की आधारशिला 14 जनवरी 2001 को जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा हजारों भक्तों की उपस्थिति में रखी गई थी। उद्घाटन समारोह 15 फरवरी से 17 फरवरी 2012 तक हुआ। मंदिर परिसर के निर्माण में लगभग 1000 कलाकारों को लगभग 12 साल लगे। इस मंदिर को बनाने में 150 करोड़ रुपए का खर्च आया था। प्रेम मंदिर वृन्दावन का निर्माण पूरी तरह से इतालवी संगमरमर से हुआ है, ध्वज सहित मंदिर का कुल आयाम 125 फीट ऊंचा, 190 फीट लंबा और 128 फीट चौड़ा है। विशाल शिखर, स्वर्ण कलश और ध्वज के वजन को सहन करने के लिए गर्भगृह (मुख्य तीर्थ) की दीवारों की मोटाई 8 फीट है। वृन्दावन – मथुरा की संस्कृति मथुरा संस्कृति भारतीय इतिहास और संस्कृति में एक विशिष्ट स्थान रखती है। मथुरा उत्तर प्रदेश में कई दशकों से ब्राह्मणवाद, बौद्ध धर्म और जैन धर्म का एक सक्रिय केंद्र रहा है। कला, धर्म, त्योहारों में मथुरा की संस्कृति शामिल है, जो दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इतिहास, समाज, पुरालेख, धर्म, पुरातत्व, प्रतिमा विज्ञान, मुद्राशास्त्र, कला और मूर्तिकला जैसे सभी प्रमुख पहलुओं के साथ मथुरा की संस्कृति चरम पर है। मथुरा में सांझी जैसी कुछ सांस्कृतिक परंपराएं हैं, जो जम...

केदारनाथ मंदिर का इतिहास व कहानी, Kedarnath Temple Story In Hindi

केदारनाथ धाम 2013 में आई प्राकृतिक आपदा के बाद से सैलानियों के बीच अत्यधिक प्रसिद्ध हो चुका (Kedarnath Temple Story In Hindi) है। हालाँकि धार्मिक रूप से इसकी मान्यता पहले जैसी ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में एक ज्योतिर्लिंग, पंच केदार में एक केदार एवं उत्तराखंड के चार छोटे धामों में से एक धाम (Kedarnath Mandir Ki Kahani In Hindi) है। अब बात करते है केदारनाथ के इतिहास की (Kedarnath Mandir History In Hindi)। बहुत से भक्तों के मन में यह प्रश्न होता हैं कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने किया या केदारनाथ की कहानी क्या हैं? इसलिए आज हम आपको केदारनाथ मंदिर का संपूर्ण इतिहास बताएँगे। केदारनाथ मंदिर का इतिहास (Kedarnath Temple History In Hindi) महाभारत युद्ध के पश्चात पांडवों का पश्चाताप (Kedarnath Pandav Story In Hindi) कुरुक्षेत्र की भूमि पर 18 दिनों तक लड़े गए महाभारत के भीषण युद्ध के बारे में भला कौन नही जानता। इस युद्ध में सभी रिश्तों की बलि चढ़ गयी थी फिर चाहे वह गुरु-शिष्य का रिश्ता हो या भाई-भाई का या चाचा-भतीजे का। 18 दिनों तक निरंतर कुरुक्षेत्र की भूमि कौरव व पांडवों की सेना के रक्त से लाल हो गयी थी। महाभारत का युद्ध समाप्त होने के पश्चात विजय तो अवश्य ही पांडवों की हुई थी लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी क्योंकि उन्होंने भी बहुत कुछ खो दिया था। युद्ध समाप्ति के कुछ समय बाद, जब सभी पांडव भगवान श्रीकृष्ण के साथ बैठकर युद्ध के परिणामों व प्रभावों के बारे में चर्चा कर रहे थे तब श्रीकृष्ण ने उन्हें पश्चाताप करने को कहा। श्रीकृष्ण के अनुसार पांडवों के ऊपर ब्रह्महत्या, गौत्रहत्या, कुलहत्या, गुरुहत्या इत्यादि कई पाप चढ़ चुके थे। इसके लिए उनका प्रायश्चित करना...

प्रेम मंदिर किसने बनवाया था?

प्रेम मंदिर जगद्गुरु कृपालु महाराज ने बनवाया था। प्रेम मंदिर के निर्माण में करीब एक दशक का समय लगा और इसे श्रद्धालुओं के लिए फरवरी, 2012 में खोला गया। मंदिर का पूरा परिसर 50 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में फैला हुआ है। प्रेम मंदिर राधाकृष्ण और सीताराम को समर्पित है। यह इटली से आए संगमरमर से बना है। इसकी ऊंचाई 125 फुट, लंबाई 122 फुट और चौड़ाई 115 फुट है। इस मंदिर में 94 कलामंडित स्तम्भ हैं। इस मंदिर के भूतल पर राधाकृष्ण की बहुत सुंदर प्रतिमा है, जबकि प्रथम तल पर सीताराम का मनोहर युगल विग्रह मूर्ति के रूप में है। मंदिर की दीवारों पर विभिन्न धार्मिक कलाकृतियां उकेरी गई हैं, जिनमें कृष्ण भगवान की लीलाएं, भजन-कीर्तन करते प्रसिद्ध संतो-भक्तों के चित्र हैं। इनमें भजन-कीर्तन में लीन जगद्गुरु कृपालु महाराज की भी कलाकृतियां हैं। मंदिर परिसर में भगवान कृष्ण की लीलाओं की बड़ी मनोहर झांकियां बनी हैं, जो श्रद्धालुओं के आनंद को और बढ़ा देती हैं। मंदिर परिसर में प्रवेश करने पर बायीं ओर कालिया मर्दन करते बाल कृष्ण दिखाई देंगे, तो दायीं ओर गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाए कृष्ण। उसी ओर थोड़ा आगे बढ़ने पर गोपियों और राधा के साथ महारास करते कृष्ण की झांकी दिखेगी, तो थोड़ा आगे बढ़ने पर बाल ग्वाल को साथ गाय चराते कृष्ण दिखाई देंगे। प्रेम मंदिर की होली बहुत दर्शनीय होती है। कार्त्तिक माह भगवान दामोदर को बहुत प्रिय है, तो वृंदावन में कार्त्तिक माह में भी श्रद्धालुओं की संख्या अन्य मासों की अपेक्षा ज्यादा होती है और वृंदावन आने वाला शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा, जो प्रेम मंदिर में न आए। मंदिर परिसर में एक दुकान है, जहां भगवान को भोग लगाया प्रसाद उचित मूल्य पर मिलता है। धार्मिक साहित्य और सुं...

प्रेम मंदिर किसने बनवाया था?

प्रेम मंदिर जगद्गुरु कृपालु महाराज ने बनवाया था। प्रेम मंदिर के निर्माण में करीब एक दशक का समय लगा और इसे श्रद्धालुओं के लिए फरवरी, 2012 में खोला गया। मंदिर का पूरा परिसर 50 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में फैला हुआ है। प्रेम मंदिर राधाकृष्ण और सीताराम को समर्पित है। यह इटली से आए संगमरमर से बना है। इसकी ऊंचाई 125 फुट, लंबाई 122 फुट और चौड़ाई 115 फुट है। इस मंदिर में 94 कलामंडित स्तम्भ हैं। इस मंदिर के भूतल पर राधाकृष्ण की बहुत सुंदर प्रतिमा है, जबकि प्रथम तल पर सीताराम का मनोहर युगल विग्रह मूर्ति के रूप में है। मंदिर की दीवारों पर विभिन्न धार्मिक कलाकृतियां उकेरी गई हैं, जिनमें कृष्ण भगवान की लीलाएं, भजन-कीर्तन करते प्रसिद्ध संतो-भक्तों के चित्र हैं। इनमें भजन-कीर्तन में लीन जगद्गुरु कृपालु महाराज की भी कलाकृतियां हैं। मंदिर परिसर में भगवान कृष्ण की लीलाओं की बड़ी मनोहर झांकियां बनी हैं, जो श्रद्धालुओं के आनंद को और बढ़ा देती हैं। मंदिर परिसर में प्रवेश करने पर बायीं ओर कालिया मर्दन करते बाल कृष्ण दिखाई देंगे, तो दायीं ओर गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाए कृष्ण। उसी ओर थोड़ा आगे बढ़ने पर गोपियों और राधा के साथ महारास करते कृष्ण की झांकी दिखेगी, तो थोड़ा आगे बढ़ने पर बाल ग्वाल को साथ गाय चराते कृष्ण दिखाई देंगे। प्रेम मंदिर की होली बहुत दर्शनीय होती है। कार्त्तिक माह भगवान दामोदर को बहुत प्रिय है, तो वृंदावन में कार्त्तिक माह में भी श्रद्धालुओं की संख्या अन्य मासों की अपेक्षा ज्यादा होती है और वृंदावन आने वाला शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा, जो प्रेम मंदिर में न आए। मंदिर परिसर में एक दुकान है, जहां भगवान को भोग लगाया प्रसाद उचित मूल्य पर मिलता है। धार्मिक साहित्य और सुं...

हैदराबाद की चारमीनार की जानकारी

हैदराबाद की चारमीनार की जानकारी – information about charminar in hindi हैदराबाद की चारमीनार की जानकारी, हैदराबाद की चारमीनार का इतिहास, चार मीनार किसने बनवाया था, चार मीनार कहां स्थित है, information about charminar in hindi, Charminar Hyderabad History In Hindi चारमीनार भारत के तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद शहर में स्थित है।चारमीनार हैदराबाद की पहचान है। मुसी नदी के तट पर स्थित चार मीनार का इतिहास 400 साल पुराना माना जाता है। 1591 में निर्मित यह स्मारक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। ईद-उल-अधा और ईद-उल-फितर के दौरान यहां काफी भीड़ देखने को मिलती है। इसके साथ ही चार मीनार का एरिया शॉपिंग के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ के दुकानों में महिलाओं की पसंद की सारी सामने मिल जाती है। चारमीनार अपने अद्भुत संरचना और बनावट के कारण पर्यटक के आकर्षण का केंद्र है। चारमीनार का निर्माण सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने 1591 ईसवी में करवाया था। चारमीनार का निर्माण के पीछे कहा जाता है की इसके निर्माण का उद्देशय गोलकोंडा और मछलीपट्टनम के मार्ग को जोड़कर व्यापार को बढ़ाना था। दूसरी तरह चार मीनार के निर्माण के पीछे यह भी कहा जाता है की यह कुतुब शाह और भगमती की प्रेम का प्रतीक है। जो भी कारण रहा हो इस इतिहासिक स्मारक को देखने हर साल लाखों पर्यटक हैदराबाद आते हैं। चारमीनार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा राष्ट्रीय स्मारकों की सूची में शामिल किया गया है। इस लेख में चारमीनार का इतिहास और रोचक तथ्य जान पाएंगे। चार मीनार का मतलब है चार और मीनार उर्दू शब्द हैं, जिसका आशय “चार स्तंभ” से है। हैदराबाद की चारमीनार की जानकारी – information about charminar in hindi साथ ही जानेंगे की ऐसी ...

केदारनाथ मंदिर का इतिहास व कहानी, Kedarnath Temple Story In Hindi

केदारनाथ धाम 2013 में आई प्राकृतिक आपदा के बाद से सैलानियों के बीच अत्यधिक प्रसिद्ध हो चुका (Kedarnath Temple Story In Hindi) है। हालाँकि धार्मिक रूप से इसकी मान्यता पहले जैसी ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में एक ज्योतिर्लिंग, पंच केदार में एक केदार एवं उत्तराखंड के चार छोटे धामों में से एक धाम (Kedarnath Mandir Ki Kahani In Hindi) है। अब बात करते है केदारनाथ के इतिहास की (Kedarnath Mandir History In Hindi)। बहुत से भक्तों के मन में यह प्रश्न होता हैं कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने किया या केदारनाथ की कहानी क्या हैं? इसलिए आज हम आपको केदारनाथ मंदिर का संपूर्ण इतिहास बताएँगे। केदारनाथ मंदिर का इतिहास (Kedarnath Temple History In Hindi) महाभारत युद्ध के पश्चात पांडवों का पश्चाताप (Kedarnath Pandav Story In Hindi) कुरुक्षेत्र की भूमि पर 18 दिनों तक लड़े गए महाभारत के भीषण युद्ध के बारे में भला कौन नही जानता। इस युद्ध में सभी रिश्तों की बलि चढ़ गयी थी फिर चाहे वह गुरु-शिष्य का रिश्ता हो या भाई-भाई का या चाचा-भतीजे का। 18 दिनों तक निरंतर कुरुक्षेत्र की भूमि कौरव व पांडवों की सेना के रक्त से लाल हो गयी थी। महाभारत का युद्ध समाप्त होने के पश्चात विजय तो अवश्य ही पांडवों की हुई थी लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी क्योंकि उन्होंने भी बहुत कुछ खो दिया था। युद्ध समाप्ति के कुछ समय बाद, जब सभी पांडव भगवान श्रीकृष्ण के साथ बैठकर युद्ध के परिणामों व प्रभावों के बारे में चर्चा कर रहे थे तब श्रीकृष्ण ने उन्हें पश्चाताप करने को कहा। श्रीकृष्ण के अनुसार पांडवों के ऊपर ब्रह्महत्या, गौत्रहत्या, कुलहत्या, गुरुहत्या इत्यादि कई पाप चढ़ चुके थे। इसके लिए उनका प्रायश्चित करना...

प्रेम मंदिर: वृन्दावन, मथुरा उत्तर प्रदेश (राधा

प्रेम मंदिर (अर्थात दिव्य प्रेम का मंदिर) भारत के मथुरा शहर में वृंदावन में एक हिंदू मंदिर है। जो की 55 एकड़ भूमि में फैला, प्रेम मंदिर, दम्पत्ति, युवा, वृद्धों और सभी उम्र के लोगों के लिए सबसे अधिक बार देखा जाने वाला धार्मिक स्थल है, जो यहां श्री राधा-कृष्णा के शाश्वत प्रेम से प्रेरित होने के लिए आते हैं जो प्रेम का सबसे बड़ा उदाहरण हैं। यह प्रेम मंदिर वृन्दावन का इतिहास – History of Prem Mandir Vrindavan Prem Mandir Vrindavan gate प्रेम मंदिर वृन्दावन (Prem Mandir Vrindavan) की आधारशिला 14 जनवरी 2001 को जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा हजारों भक्तों की उपस्थिति में रखी गई थी। उद्घाटन समारोह 15 फरवरी से 17 फरवरी 2012 तक हुआ। मंदिर परिसर के निर्माण में लगभग 1000 कलाकारों को लगभग 12 साल लगे। इस मंदिर को बनाने में 150 करोड़ रुपए का खर्च आया था। प्रेम मंदिर वृन्दावन का निर्माण पूरी तरह से इतालवी संगमरमर से हुआ है, ध्वज सहित मंदिर का कुल आयाम 125 फीट ऊंचा, 190 फीट लंबा और 128 फीट चौड़ा है। विशाल शिखर, स्वर्ण कलश और ध्वज के वजन को सहन करने के लिए गर्भगृह (मुख्य तीर्थ) की दीवारों की मोटाई 8 फीट है। वृन्दावन – मथुरा की संस्कृति मथुरा संस्कृति भारतीय इतिहास और संस्कृति में एक विशिष्ट स्थान रखती है। मथुरा उत्तर प्रदेश में कई दशकों से ब्राह्मणवाद, बौद्ध धर्म और जैन धर्म का एक सक्रिय केंद्र रहा है। कला, धर्म, त्योहारों में मथुरा की संस्कृति शामिल है, जो दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इतिहास, समाज, पुरालेख, धर्म, पुरातत्व, प्रतिमा विज्ञान, मुद्राशास्त्र, कला और मूर्तिकला जैसे सभी प्रमुख पहलुओं के साथ मथुरा की संस्कृति चरम पर है। मथुरा में सांझी जैसी कुछ सांस्कृतिक परंपराएं हैं, जो जम...