प्रमुख पादप रोग एवं रोकथाम

  1. केला में लगने वाले प्रमुख रोग और उनकी रोकथाम
  2. पादप रोगविज्ञान
  3. अंगूर के प्रमुख रोग : कैसे करे पहचान एवं रोकथाम
  4. पादप रोग प्रश्नोत्तरी
  5. पौधों में होने वाले रोगों के नाम
  6. पौधों में होने वाले सामान्य रोग और उनकी रोकथाम
  7. लौकी की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग एवं उनकी रोकथाम
  8. अमरुद के प्रमुख रोग : कैसे करे पहचान एवं रोकथाम
  9. विज्ञान की शाखाएँ branches of science in hindi


Download: प्रमुख पादप रोग एवं रोकथाम
Size: 1.23 MB

केला में लगने वाले प्रमुख रोग और उनकी रोकथाम

केला सबसे ज्यादा बिकने वाला फल है. इसका फल हर मौसम में पाया जाता है. केला की खेती भारत में लगभग सभी हिस्सों में की जा रही है. लेकिन सबसे ज्यादा इसे महाराष्ट्र में उगाया जाता है. केला का इस्तेमाल फल के रूप में खाने के साथ साथ जूस और आटा जैसी काफी चीजों को बनाने में किया जाता है. जबकि इसके कच्चे फलों का इस्तेमाल सब्जी बनाने में किया जाता है. केला की मांग को देखते हुए अब काफी किसान भाई इसकी खेती करने लगे हैं. इसकी खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक होती है. Table of Contents • • • • • • • • • • • • • केला के पौधों में लगने वाले प्रमुख रोग लेकिन केला के पौधों में कई तरह के कीट और जीवाणु जनित रोग देखने को मिलते हैं. जो पौधों की पैदावार को काफी ज्यादा प्रभावित करते हैं. और इन रोगों के बढ़ने की वजह से कभी कभी सम्पूर्ण फसल ही नष्ट हो जाती है. इसके अलावा इसके पौधों पर प्राकृतिक आपदाओं का भी प्रभाव देखने को मिलता हैं. जिससे सम्पूर्ण फसल तक नष्ट हो जाती हैं. आज हम आपको केला के पौधों पर दिखाई देने वाले रोग और उनकी रोकथाम के बारें में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं. Read Also – तना छेदक कीट केला के पौधों में तना छेदक रोग का प्रभाव पौध रोपाई के लगभग चार से पांच महीने बाद दिखाई देता है. जो कीट के माध्यम से पौधों में फैलता हैं. इस रोग के कीट पौधे के तने में छेद कर उनमें सुरंग बना देते हैं. इस रोग के लगने पर शुरुआत में पौधे की पत्तियां पीली दिखाई देने लगती है. और पौधों के तने से गोंदिया पदार्थ का उत्सर्जन होने लगता है. रोग के अधिक प्रभावित होने पर इसके कीट पौधे के तनों में लम्बी सुरंग बना देते हैं. और पौधों से तेज गंध आने लगती है. जिससे पौधे का तना सड़कर गिर जाता है. रोकथाम • इस रोग की रोकथाम ...

पादप रोगविज्ञान

पादप रोगविज्ञान या फायटोपैथोलोजी (plant pathology या phytopathology) शब्द की उत्पत्ति ग्रीक के तीन शब्दों जैसे पादप, रोग व ज्ञान से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "पादप रोगों का ज्ञान (अध्ययन)"। जीव विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत रोगों के लक्ष्णों, कारणों, हेतु की, रोगचक्र, रागों से हानि एवं उनके नियंत्रण का अध्ययन किया जाता हैं। उद्देश्य [ ] इस विज्ञान के निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य है: • पादप-रोगों के संबंधित जीवित, अजीवित एवं पर्यावरणीय कारणों का अध्ययन करना; • रोगजनकों द्वारा रोग विकास की अभिक्रिया का अध्ययन करना; • पौधों एवं रोगजनकों के मध्य में हुई पारस्परिक क्रियाओं का अध्ययन करना; • रोगों की नियंत्रण विधियों को विकसित करना जिससे पौधों में उनके द्वारा होने वाली हानि न हो या कम किया जा सके। परिचय [ ] पादप रोग विज्ञान एक व्यावहारिक विज्ञान है, जिसके अन्तर्गत पौध रोग के कारक एवं उनके प्रायोगिक समाधान आते है। चूंकि पौधे में रोग पादप रोग का महत्व, उनके द्वारा होने वाली हानियों के कारण बहुत ही ब़ढ़ गया है। रोगों द्वारा हानि खेत से भण्डारण तक अथवा बीज बोने से लेकर फसल काटने के बीच किसी भी समय हो सकती है पौधे के जीवन काल में बीज सड़न, आर्द्रमारी, बालपौध झुलसा, तना सडन, पर्णझुलसा, पर्ण-दाग, पुष्प झुलसा तथा फल सड़न ब्याधियॉ उत्पन्न होती है। यद्यपि भारत में पादप रोगों द्वारा होने वाली हानि का सही - सही मूल्यांकन नहीं किया गया है। परन्तु अनुसंधान द्वारा कुछ भीषण बीमारियां जैसे फसलों के अनेक विनाशकारी रोगों के कारण प्रतिवर्ष फसलों की उपज को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अत्याधिक हानि होती है। इन रागों के मुख्य उदाहारण - • • गन्ने का लाल सड़न या कंड - समस्त भारत में, • • ...

अंगूर के प्रमुख रोग : कैसे करे पहचान एवं रोकथाम

अंगूर के प्रमुख रोग : कैसे करे पहचान एवं रोकथाम अंगूर के प्रमुख रोग : कैसे करे पहचान एवं रोकथाम नमस्कार किसान भाईयों, अंगूर की खेती (Farming of grapes) देश के विभिन्न भागों में बहुत बड़े स्तर पर की जाती है. अंगूर का फल मानव स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है. जिससे बाजार में मांग काफी ज्यादा होती है. इसलिए किसान भाई इसकी खेती में काफी मुनाफ़ा होता है. लेकिन अंगूर में लगने वाले रोगों के कारण किसान को इसकी खेती में नुकसान भी उठाना पड़ता है. इसलिए गाँव किसान (Gaon Kisan) आज अपने इस लेख में अंगूर के प्रमुख रोग (Grape disease prevention) के बारे में पूरी जानकारी देगा. जिससे किसान भाई अंगूर में लगने वाले रोगों के प्रकोप से बच सके. तो आइये जानते है अंगूर के प्रमुख रोग कौन-कौन से है और इनसे कैसे अपनी फसल को बचाएं- मृदुरोमिल आसिता (Downy mildew) अंगूर का यह बहुत ही घातक रोग है. सन 1875 के बाद फ्रांस में यह रोग महामारी का रूप लेने लगा था. भारत में इसे सर्वप्रथम पूना के पास सन 1910 में देखा गया. इस रोग में क्षति लताओं के संक्रमण से अधिक होती है. आर्द्र क्षेत्रों में इस रोग से 50 से 75 प्रतिशत तक क्षति होने की संभावना होती है. रोग के कारक यह रोग प्लाजमोपोरा विटिकोला नामक कवक से उत्पन्न होने वाला रोग है. रोग की पहचान इस रोग के आरम्भ में इसके लक्षण पौधे के नए और मुलायम भाग से होता है. ये लक्षण प्रायः पत्तियों, नए प्ररोहों पर अधिक प्रतीत होते है. पत्तियों की निचली सतह पर जगह-जगह कवक की मृदुरोमिल वृध्दि दिखाई देती है. तथा इन्ही धब्बों की जगह पर पत्तियों की ऊपरी सतह पर हल्के पीलें धब्बे दिखाई देते है. इन्ही धब्बों की जगह पर बाद में ऊतक क्षय के कारण धब्बे बनते है. ऐसे कई धब्बे आपस में मिलने...

पादप रोग प्रश्नोत्तरी

• पादप रोगों का सबसे उत्तरदायी कारक कौन है? ➝ फफूंदी। • पौधों को रोग प्रतिरोधी किसके द्वारा बनाया जाता है? ➝ जंगली किस्म से प्रजनन कराके। • हरित बाली रोग किस फसल से सम्बन्धित है? ➝ बाजरा। • टिक्का रोग किस फसल से सम्बन्धित है? ➝ मूंगफली। • धान का प्रसिद्ध रोग ‘खैरा रोग’ किसके कारण होता है? ➝ जस्ता की कमी के कारण। • चाय में लाल रस्ट रोग किसके कारण होता है? ➝ हरे शैवाल। • नींबू का कैंकर रोग किससे होता है? ➝ जीवाणु। • फसलों पर आक्रमण करने की कीट की प्रायः कौन-सी अवस्था अधिक हानि पहुँचाती है? ➝ केटरपिलर। • मिलीबग (Milibug) किस फसल से सम्बन्धित है? ➝ सरसों। • गेहूँ से सम्बन्धित रस्ट (Rust) रोग पर कार्य करने वाले वैज्ञानिक कौन है ? ➝ के. सी. मेहता। • अग्निनीरजा रोग किससे सम्बन्धित है? ➝ सेब। • गन्ने के लाल सड़न रोग के लिए उत्तरदायी कवक कौन सा है? ➝ कोलेटोट्रिकस फालकेटम। • मूंगफली में होने वाले टिक्का रोग के लिए उत्तरदायी कवक कौन सा है? ➝ सर्कोस्पोरा पर्मोनेटा। • किस कवक के कारण बाजरे में ग्रीन इयर रोग होता है? ➝ स्केलेरोस्पोरा ग्रेमिकोला। • आलू में होने वाले उत्तरभावी अंगमारी रोग के लिए उत्तरदायी कवक कौन सा है? ➝ फाइटोफ्थेरा इन्फेस्टेन्स। • सिट्रस कैंकर क्या है? ➝ नींबू का एक रोग। • रिंग रोग (Ring disease) के नाम से कौन सा रोग जाना जाता है? ➝ शैथिल रोग। • आलू में ‘ब्लैक हार्ट’ का कारक कौन है? ➝ ऑक्सीजन की कमी। • साइट्रस कैंकर रोग किसके द्वारा होता है? ➝ जैन्थोमोनास सिट्राई। • ब्लाइट ऑफ पैडी किसके कारण होता है? ➝ जैन्थोमोनास ओरॉइजी। • बाजरे का ग्रीन इअर रोग किसके कारण होता है? ➝ कवक द्वारा। • रिंग रॉट ऑफ पोटेटो किसके कारण होता है? ➝ जैन्थोमोनास सोलिनेसिएरम जीवाणु द्वारा। • यक्ष्मा...

पौधों में होने वाले रोगों के नाम

पादपों में होने वाले रोग, पादप रोग के कारण, फसलों में लगने वाले रोग, पादप रोग pdf, पादप रोग विज्ञान pdf, जीवाणु जनित पादप रोग, प्रमुख पादप रोगों एवं उनके रोकथाम का अध्ययन, धान के प्रमुख रोग, पादप रोग, पादप रोग के कारण, तम्बाकू का मोजेक, आलू का मोजेक रोग, बंकी टॉप ऑफ बनाना, आलू का शैथिल रोग, ब्लैक आर्म या एंगुलर लीफ स्पॉट ऑफ कॉटन, धान का अंगमारी रोग, साइट्रस कैंकर, गेंहूँ का टूण्डू रोग, धान का अंगमारी रोग, मूंगफली का टिक्का रोग,पौधों में होने वाले रोगों के नाम , पौधों में होने वाले रोगों के नाम लिखो , फसलों में होने वाले रोग, कवक से होने वाले पादप रोग , जीवाणु जनित पादप रोग , पादप रोगों का वर्गीकरण , पादप रोग नियंत्रण , पादप रोग प्रबंधन के उपाय , पौधों में होने वाले रोगों के नाम , पादप रोग :-पौधों में किसी भी प्रकार का विघ्न जो उसकी सामान्य संरचना, कार्य अथवा आर्थिक उपयोगिता में अवरोध उत्पन्न करता है, पादप रोग (Plant disease) कहलाता है।भारत जैसे कृषि प्रधान देश में विभिन्न पादप रोग, कीट, खर-पतवार आदि से कुल खाद्यान्न का लगभग 18% का प्रतिवर्ष नुकसान होता है। यह भी पढ़े : पृथ्वी से संबंधित पादप रोग के कारण –पौधों में कई रोग के लिए कई कारक उत्तरदायी हैं जो पौधों में असामान्य लक्षण पैदा करते हैं। पौधों में होने वाले रोगों के नाम तम्बाकू का मोजेक :-तम्बाकू के पौधों में होने वाले इस रोग का कारक टोबेको मोजैक वाइरस (Tobacco Mosaic virus—TMV) है। इस रोग में पौधों की पत्तियाँ सिकुड़ जाती हैं, साथ-ही-साथ ये छोटी भी हो जाती हैं। पत्तियों में उपस्थित हरित लवक (Chlorophyn) नष्ट हो जाता है। रोग से प्रभावित पौधों को काटकर शेष पौधों से अलग कर देना चाहिए तथा जला देना चाहिए। फसल परिवर्तन विधि ...

पौधों में होने वाले सामान्य रोग और उनकी रोकथाम

• Seeds Menu Toggle • Organic Seeds • Vegetables Seeds Menu Toggle • Winter Vegetable Seeds • Summer Vegetable Seeds • Rainy Season Vegetable Seeds • Herb seeds • Flowers seeds Menu Toggle • Winter Flowers Seed • Summer Flower Seeds • Rainy Season Flowers Seeds • Bulbs • Microgreen Seeds • Fruit Seeds • Other Seeds • Seeds Kit • Grow Bags Menu Toggle • HDPE Grow Bags • Rectangle Grow Bag • Geo Fabric • Soil & Fertilizer • Tools • Bundles • Blog Menu Toggle • How to grow • Planting Calendar • Fertilizers & Soil • Pest & Diseases Control • Plant Care Tips • Gardening Products • Gardening Advice • Track Order • Account Menu Toggle • My Account • Wishlist पौधे हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा हैं, जो हमें भोजन, ऑक्सीजन, प्राकृतिक वातावरण और सौंदर्य प्रदान करते हैं। हालांकि इंसानों की तरह पौधे भी बीमार पड़ सकते हैं और पौधों की बीमारियाँ गार्डन के लिए एक बड़ा खतरा हो सकती हैं। यदि इन पादप रोग का इलाज सही समय पर नहीं किया गया, तो बीमारी की छोटी सी शुरुआत से आपके होम गार्डन के सारे पौधे संक्रमित हो सकते हैं, इसलिए अपने गार्डन के पौधे को स्वस्थ तथा रोगमुक्त रखने के लिए प्लांट रोग और उनके बचाव के तरीके की जानकारी होना बहुत जरूरी है। यदि आप एक गार्डनर है और जानना चाहते हैं कि, पौधों में कौन से रोग होते हैं, तो यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा, जिसमें हम आपको पौधों के रोग अर्थात प्रमुख पादप रोग और इन बीमारियों की रोकथाम की जानकारी देंगे। पौधों में होने वाले रोग – Common Plant Diseases And Organic Control In Hindi आमतौर पर गार्डन में लगे पौधे कई तरह के रोग से प्रभावित हो सकते हैं, लेक...

लौकी की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग एवं उनकी रोकथाम

• Home • लौकी की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग एवं उनकी रोकथाम भारत विश्व के प्रमुख सब्जी उत्पादक देशों में से एक है व यह वैश्विक सब्जी उत्पादन में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है. भारत में उगाई जाने वाली विभिन्न सब्जी की फसलों में से कुकुरबिटेसी समूह सब्जियों का सबसे बड़ा समूह है, जो लगभग खाद्य की 130 जातियों और 800 प्रजातियों के साथ साथ सजावटी पौधों से मिलकर बना है. लौकी की खेती भारत विश्व के प्रमुख सब्जी उत्पादक देशों में से एक है व यह वैश्विक सब्जी उत्पादन में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है. भारत में उगाई जाने वाली विभिन्न सब्जी की फसलों में से कुकुरबिटेसी समूह सब्जियों का सबसे बड़ा समूह है, जो लगभग खाद्य की 130 जातियों और 800 प्रजातियों के साथ साथ सजावटी पौधों से मिलकर बना है. देश में उगाई जाने वाली प्रमुख कुकुरबिटेसी सब्जियां खीरा, ककड़ी, स्क्वैश, तरबूज, खरबूजा, लौकी, करेला, कद्दू, लौकी, स्क्वरटिंग खीरा, गोल लौकी आदि हैं. इन सबके बीच लौकी, जिसका वानस्पतिक नाम लगेनेरिया सिसेरिया है, मानव आहार में एक उच्च स्थान रखती है. यह फसल भारतीय व्यंजनों में मुख्य है, जिसके कठोर खोल व बोतल के आकार के फल होते हैं. प्रमुख रोग एवं उनके लक्षण: डाउनी मिल्ड्यू: स्यूडोपेरोनोस्पोरा क्यूबेंसिस कवक जनित डाउनी फफूंदी रोग लौकी के सबसे विनाशकारी रोगों में से एक है, जिससे दुनिया भर में खेतों और ग्रीनहाउस में लौकी की पैदावार में काफी नुकसान होता है. पत्तों की ऊपरी सतह पर हरा क्षेत्र पहले पीला दिखाई देना शुरू होता है, जो पीले कोणीय या आयताकार धब्बों में बदल जाता है. पत्ता पर बनने वाले धब्बे दिखने में अनियमित या अवरुद्ध होते हैं और पत्तों की शिराओं द्वारा सीमांकित होते हैं. मौसम में ज्यादा नमी के कारण कई ब...

अमरुद के प्रमुख रोग : कैसे करे पहचान एवं रोकथाम

अमरुद के प्रमुख रोग : कैसे करे पहचान एवं रोकथाम अमरुद के प्रमुख रोग : कैसे करे पहचान एवं रोकथाम नमस्कार किसान भाईयों, अमरुद की बागवानीदेश के विभिन्न राज्यों में की जाती है. जिससे किसान भाई काफी अच्छा लाभ कमाते है. लेकिन कभी-कभी अमरुद की फसल में विभिन्न प्रकार के रोग से ग्रसित हो जाती है. जिससे बागवानी करने वाले किसानों को काफी हानि पहुंचती है. इसलिए गाँव किसान (Gaon Kisan) आज अपने इस लेख में अमरुद के प्रमुख रोग के बारे में पूरी जानकारी देगा. जिससे बागवान किसान भाई इन रोगों के प्रकोप से अपनी अमरुद की फसल को बचा सके. तो आइये जानते है, अमरूद के प्रमुख रोग (Major guava diseases) कौन-कौन से है, साथ ही इनकी पहचान और रोकथाम कैसे करे- म्लानि या उकठा रोग (Wilt) यह रोग विशेषकर उत्तर प्रदेश में अमरुद के रोगों में सबसे अधिक विनाशकारी रोग है. सर्वप्रथम सन 1935 में यह रोग इलाहाबाद में पाया गया. उत्तर प्रदेश के अमरुद उत्पादन करने वाले लगभग हर जिले में इस रोग का असर है. जिसके कारण प्रतिवर्ष 5 से 10 प्रतिशत पौधे मर जाते है. रोग के कारक अमरूद का यह रोग कई प्रकार के फफूंदियों से उत्पन्न बताया गया है. परन्तु फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम उपजाति साईंडाई प्रमुख रूप से उत्तरदायी है. रोग की पहचान इस रोग के लक्षण प्रायः वर्षा काल समाप्त होते ही विशेष रूप दिखाई देने लगते है. प्रारंभ में ऊपरी पत्तियों में पीलापन आ जाता है. तथा छाल की सतह बदरंग हो जाती है. और सूखने लगती है. यही प्रक्रिया धीरे-धीरे नीचे की तरफ बढ़ती जाती है. और पूरा पौधा मुरझाकर अंत में सूख जाता है. कभी-कभी पौधे का कुछ भाग ही प्रभावित होकर सूखता है. शेष हरा बना रहता है. रोग ग्रसित पौधों की जड़ों तथा टहनियों को बीच से फाड़कर देखने पर बीचोबीच में...

विज्ञान की शाखाएँ branches of science in hindi

अंग्रेजी का साइन्स शब्द लेटिन भाषा के सांइशिया शब्द से बना है, इसका अर्थ है जानना (to know) विज्ञान को निश्चित शब्दों द्वारा परिभाषित करना कठिन है परंतु अधिक मान्य परिभाषा इस प्रकार दे सकते है विज्ञान की परिभाषा (Definition of Science) प्रकृति के क्रमबद्ध अध्ययन से अर्जित एव प्रयोगों द्वारा प्रमाणित वर्गीकृत ज्ञान को विज्ञान कहते हैं। विज्ञान के प्रमुख उद्देश्य ( Main Objective Of Science) • प्रकृति की कार्यशैली को समझना एवं उसकी पूर्ण रूप से व्याख्या करना। • प्रकृति के नियमों के अध्ययन को प्रयोगों द्वारा प्रमाणित कर जानकारी प्राप्त करना। • आवश्यक प्रयोग एव प्रेक्षण लेना तथा उनके निष्कर्ष निकालकर उनका अनुप्रयोग कर प्रकृति पर नियंत्रण करना। • प्रकृति में विद्यमान साधनों का समस्याओं के निराकरण में उपयोग कर मानवीय जीवन को सुखद तथा उत्कृष्ट बनाना। • समाज में व्याप्त विभिन्न रीतियों एवं परम्पराओं के वैज्ञानिक कारणों को जानना। About Us हम copyright का पुरा सम्मान करते हैं। इस वेबसाइट https://www.shirswastudy.com द्वारा दी जा रही जानकारी इंटरनेट से ली गई है। अतः आपसे निवेदन है कि अगर किसी जानकारी के अधिकार क्षेत्र से या अन्य किसी भी प्रकार की दिक्कत है तो आ हमे [email protected] पर सूचित करें।हम निश्चित ही इस content को हटा लेंगे। केवल सही सही प्रकार जानकारी/सूचनाएं प्रदान कराने का प्रयास करते हैं और सदैव यही प्रयत्न करते है कि हम आपको अपडेटड खबरे तथा समाचार प्रदान करे।