प्रथम शैलपुत्री द्वितीय ब्रह्मचारिणी श्लोक

  1. चैत्र नवरात्रि में 9 देवियों के 9 औषधीय रूप की करते हैं पूजा, जानिए नाम और मंत्र
  2. ब्रह्मचारिणी
  3. Navratri 2022 these 9 ayurvedic medicines know as a navadurga
  4. नवरात्रि का पहला दिन (नवरात्रि प्रथमा तिथि)
  5. Navratri 1st Day: नवरात्र के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की इस विधि से पूजा, ये रही भोग, मंत्र और आरती की संपूर्ण जानकारी
  6. Navratri 1st Day: नवरात्र के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की इस विधि से पूजा, ये रही भोग, मंत्र और आरती की संपूर्ण जानकारी
  7. नवरात्रि का पहला दिन (नवरात्रि प्रथमा तिथि)
  8. Navratri 2022 these 9 ayurvedic medicines know as a navadurga
  9. ब्रह्मचारिणी
  10. चैत्र नवरात्रि में 9 देवियों के 9 औषधीय रूप की करते हैं पूजा, जानिए नाम और मंत्र


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चैत्र नवरात्रि में 9 देवियों के 9 औषधीय रूप की करते हैं पूजा, जानिए नाम और मंत्र

Chaitra Navratri 2022चैत्र नवरात्रि या शारदीय नवरात्र दोनों में ही माता के 9 औषधि रूप की पूजा भी की जाती है। ये औषधियां समस्त प्राणियों के रोगों को हरने वाली हैं। ये शरीर की रक्षा के लिए कवच समान कार्य करती हैं। इनके प्रयोग से मनुष्य अकाल मृत्यु से बचकर सौ वर्ष जी सकता है। आइए जानते हैं दिव्य गुणों वाली नौ औषधियों को जिन्हें नवदुर्गा कहा गया है। 3. तृतीय चंद्रघंटा यानि चन्दुसूर- नवदुर्गा का तीसरा रूप है चंद्रघंटा, इसे चन्दुसूर या चमसूर कहा गया है। धनिये के समान इस पौधे की पत्तियों की सब्जी बनाई जाती है, जो लाभदायक होती है। यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है, इसलिए इसे चर्महन्ती भी कहते हैं। शक्ति को बढ़ाने वाली, हृदय रोग को ठीक करने वाली चंद्रिका औषधि है। अत: इस बीमारी से संबंधित रोगी को चंद्रघंटा की पूजा करना चाहिए। 4. चतुर्थ कूष्मांडा यानी पेठा- नवदुर्गा का चौथा रूप कूष्मांडा है। इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है, इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं। इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक व रक्त के विकार को ठीक कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति के लिए यह अमृत समान है। यह शरीर के समस्त दोषों को दूर कर हृदय रोग को ठीक करता है। कुम्हड़ा रक्त पित्त एवं गैस को दूर करता है। इन बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को पेठा का उपयोग के साथ कूष्मांडा देवी की आराधना करना चाहिए। 6. षष्ठम कात्यायनी यानी मोइया- नवदुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है। इसे आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका। इसके अलावा इसे मोइया अर्थात माचिका भी कहते हैं। यह कफ, पित्त, अधिक विकार एवं कंठ के रोग का नाश करती है। इससे पीड़ित रोगी को इसका सेवन व कात्यायनी की ...

ब्रह्मचारिणी

अनुक्रम • 1 श्लोक • 2 शक्ति • 3 फल • 4 उपासना • 5 सन्दर्भ • 6 बाहरी कड़ियाँ श्लोक [ ] दधाना कर पद्माभ्यामक्ष माला कमण्डलु | देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा || शक्ति [ ] इस दिन साधक कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए भी साधना करते हैं। जिससे उनका जीवन सफल हो सके और अपने सामने आने वाली किसी भी प्रकार की बाधा का सामना आसानी से कर सकें। फल [ ] माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन इन्हीं के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘स्वाधिष्ठान ’चक्र में शिथिल होता है। इस चक्र में अवस्थित मनवाला योगी उनकी कृपा और भक्ति प्राप्त करता है। इस दिन ऐसी कन्याओं का पूजन किया जाता है कि जिनका विवाह तय हो गया है लेकिन अभी शादी नहीं हुई है। इन्हें अपने घर बुलाकर पूजन के पश्चात भोजन कराकर वस्त्र, पात्र आदि भेंट किए जाते हैं। उपासना [ ] प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में द्वितीय दिन इसका जाप करना चाहिए। या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। अर्थ: हे माँ! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। सन्दर्भ [ ] • NDTVIndia (हिन्दी भाषा में). १९ मार्च 2020. . अभिगमन तिथि...

Navratri 2022 these 9 ayurvedic medicines know as a navadurga

नवरात्रि का आयुर्वेद से है गहरा संबंध, इन 9 औषधियों को माना जाता है मां दुर्गा का स्वरूप Navratri 2022: नवरात्रि का आयुर्वेद में गहरा संबंध है. आज हम आपको कुछ ऐसी आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में बताएंगे जिसमें नवदुर्गा के 9 स्वरूप विराजमान हैं. मां दुर्गा के नौ रूप वाली इन औषधियां का डाइट में सेवन करने से कई तरह की बीमारियां कम हो जाती है. नई दिल्ली: Navratri 2022: नवरात्रि कोई नव दुर्गा की नौ शक्तियों का कोई रूप नहीं हैं बल्कि हमारे आयुर्वेद के ज्ञाता ऋषि मुनियों ने कुछ औषधियों को इस ऋतु में विशेष सेवन हेतु बताया था.जिससे प्रत्येक दिन हम सभी उसका सेवन कर शक्ति के रूप में शारीरिक व मानसिक क्षमता को बढ़ाकर हम शक्तिवान, ऊर्जावान बलवान व विद्वान बन सकें. नौ तरह की वह दिव्यगुणयुक्त महा औषधियां निस्संदेह बहुत ही प्रभावशाली व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ साथ हम ताउम्र बदलते मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी स्वयं को ढालने में सक्षम हो और निरोगी बन दीर्घायु प्राप्त करे 2.द्वितीय ब्रह्मचारिणी यानि ब्राह्मी यह आयु और स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली, रूधिर विकारों का नाश करने वाली और स्वर को मधुर करने वाली है. इसलिए ब्राह्मी को सरस्वती भी कहा जाता है.यह मन व मस्तिष्क में शक्ति प्रदान करती है और गैस व मूत्र संबंधी रोगों की प्रमुख दवा है. यह मूत्र द्वारा रक्त विकारों को बाहर निकालने में समर्थ औषधि है. 3. तृतीय चंद्रघंटा यानि चन्दुसूर चंद्रघंटा, इसे चन्दुसूर या चमसूर कहा गया है. यह एक ऐसा पौधा है जो धनिये के समान है. इस पौधे की पत्तियों की सब्जी बनाई जाती है, जो लाभदायक होती है. यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है, इसलिए इसे चर्महन्ती भी कहते हैं. शक्ति को बढ़ाने वाली, हृदय रो...

नवरात्रि का पहला दिन (नवरात्रि प्रथमा तिथि)

नवरात्रि का पहला दिन (नवरात्रि प्रथमा तिथि)-Navratri 1st Day: मां शैलपुत्री की पूजा विधि, प्रथम शैलपुत्री मंत्र, शैलपुत्री के मंत्र, शैलपुत्री की कथा, शैलपुत्री की आरती, माता शैलपुत्री की पूजा का महत्व, Maa Shailputri Puja Vidhi, Shailputri Mantra, Shailputri Ki Aarti, Mata Shailputri Ki Katha in Hindi - The Public नवरात्रि का पहला दिन (नवरात्रि प्रथमा तिथि)-Navratri 1st Day: मां शैलपुत्री की पूजा विधि, प्रथम शैलपुत्री मंत्र, शैलपुत्री के मंत्र, शैलपुत्री की कथा, शैलपुत्री की आरती, माता शैलपुत्री की पूजा का महत्व, Maa Shailputri Puja Vidhi, Shailputri Mantra, Shailputri Ki Aarti, Mata Shailputri Ki Katha in Hindi नवरात्रि का पहला दिन -Navratri 1st Day (नवरात्रि प्रथमा तिथि) नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मान्यता है कि नवरात्र में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को चंद्र दोष से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन घरों में घटस्थापना की जाती है। कलश या घट स्थापना के पश्चात मां शैलपुत्री की पूजा विधि विधान से की जाती है। माता शैल पुत्री शांति और उत्साह देने वाली और भय नाश करने वाली हैं। उनकी आराधना से भक्तों को यश, कीर्ति, धन, विद्या और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए दिनचर्या, पूजाविधि , मां के मंत्र, कथा, आरती व महत्व के बारे में… नवरात्र व्रत के पहले दिन कैसी हो आपकी दिनचर्या नवरात्रि में आहार और दिनचर्या का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि बिना इसके नवरात्रि का शुभ फल नहीं मिल पाता. नवरात्रि में भक्त नौ दिनों तक फलाहार व्रत करते हैं तो कुछ भक्त निर्जला उपवास भी करते ह...

Navratri 1st Day: नवरात्र के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की इस विधि से पूजा, ये रही भोग, मंत्र और आरती की संपूर्ण जानकारी

डीएनए हिंदीःप्रथम दिन नवरात्रि का देवी शैलपुत्री का होता है. घटस्थापन के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना और आरती के साथ देवी के भोग औ कथा के बारे मे चलिए, विस्तार से जानें. शैल का अर्थ है हिमालय और पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है. पार्वती के रूप में इन्हें भगवान् शंकर की पत्नी के रूप में भी जाना जाता है. वृषभ (बैल) इनका वाहन होने के कारण इन्हें वृषभारूढा के नाम से भी जाना जाता है. इनके दाएं हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में इन्होंने कमल धारण किया हुआ है. मां शैलपुत्री का स्वरूप : माता आदि शक्ति ने अपने इस रूप में शैल हिमालय के घर जन्म लिया था, इसी कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा. शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार होती हैं और इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है . माँ दुर्गा सप्तशती ग्रन्थ में देवी कवच स्तोत्र में निम्नांकित श्लोक पढ़ें- प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी. तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् .. पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च. सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् .. नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:. उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना .. मां शैलपुत्री का मंत्र: वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम्. वृषारूढ़ां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥ अर्थात् मैं मनोवांछित लाभ के लिये अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करने वाली, वृष पर सवार रहने वाली, शूलधारिणी और यशस्विनी मां शैलपुत्री की वंदना करता हूं. मंत्र - या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः मां शैलपुत्री का भोग : मां शैलपुत्री के चरणों मे...

Navratri 1st Day: नवरात्र के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की इस विधि से पूजा, ये रही भोग, मंत्र और आरती की संपूर्ण जानकारी

डीएनए हिंदीःप्रथम दिन नवरात्रि का देवी शैलपुत्री का होता है. घटस्थापन के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना और आरती के साथ देवी के भोग औ कथा के बारे मे चलिए, विस्तार से जानें. शैल का अर्थ है हिमालय और पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है. पार्वती के रूप में इन्हें भगवान् शंकर की पत्नी के रूप में भी जाना जाता है. वृषभ (बैल) इनका वाहन होने के कारण इन्हें वृषभारूढा के नाम से भी जाना जाता है. इनके दाएं हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में इन्होंने कमल धारण किया हुआ है. मां शैलपुत्री का स्वरूप : माता आदि शक्ति ने अपने इस रूप में शैल हिमालय के घर जन्म लिया था, इसी कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा. शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार होती हैं और इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है . माँ दुर्गा सप्तशती ग्रन्थ में देवी कवच स्तोत्र में निम्नांकित श्लोक पढ़ें- प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी. तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् .. पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च. सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् .. नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:. उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना .. मां शैलपुत्री का मंत्र: वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम्. वृषारूढ़ां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥ अर्थात् मैं मनोवांछित लाभ के लिये अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करने वाली, वृष पर सवार रहने वाली, शूलधारिणी और यशस्विनी मां शैलपुत्री की वंदना करता हूं. मंत्र - या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः मां शैलपुत्री का भोग : मां शैलपुत्री के चरणों मे...

नवरात्रि का पहला दिन (नवरात्रि प्रथमा तिथि)

नवरात्रि का पहला दिन (नवरात्रि प्रथमा तिथि)-Navratri 1st Day: मां शैलपुत्री की पूजा विधि, प्रथम शैलपुत्री मंत्र, शैलपुत्री के मंत्र, शैलपुत्री की कथा, शैलपुत्री की आरती, माता शैलपुत्री की पूजा का महत्व, Maa Shailputri Puja Vidhi, Shailputri Mantra, Shailputri Ki Aarti, Mata Shailputri Ki Katha in Hindi - The Public नवरात्रि का पहला दिन (नवरात्रि प्रथमा तिथि)-Navratri 1st Day: मां शैलपुत्री की पूजा विधि, प्रथम शैलपुत्री मंत्र, शैलपुत्री के मंत्र, शैलपुत्री की कथा, शैलपुत्री की आरती, माता शैलपुत्री की पूजा का महत्व, Maa Shailputri Puja Vidhi, Shailputri Mantra, Shailputri Ki Aarti, Mata Shailputri Ki Katha in Hindi नवरात्रि का पहला दिन -Navratri 1st Day (नवरात्रि प्रथमा तिथि) नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मान्यता है कि नवरात्र में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को चंद्र दोष से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन घरों में घटस्थापना की जाती है। कलश या घट स्थापना के पश्चात मां शैलपुत्री की पूजा विधि विधान से की जाती है। माता शैल पुत्री शांति और उत्साह देने वाली और भय नाश करने वाली हैं। उनकी आराधना से भक्तों को यश, कीर्ति, धन, विद्या और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए दिनचर्या, पूजाविधि , मां के मंत्र, कथा, आरती व महत्व के बारे में… नवरात्र व्रत के पहले दिन कैसी हो आपकी दिनचर्या नवरात्रि में आहार और दिनचर्या का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि बिना इसके नवरात्रि का शुभ फल नहीं मिल पाता. नवरात्रि में भक्त नौ दिनों तक फलाहार व्रत करते हैं तो कुछ भक्त निर्जला उपवास भी करते ह...

Navratri 2022 these 9 ayurvedic medicines know as a navadurga

नवरात्रि का आयुर्वेद से है गहरा संबंध, इन 9 औषधियों को माना जाता है मां दुर्गा का स्वरूप Navratri 2022: नवरात्रि का आयुर्वेद में गहरा संबंध है. आज हम आपको कुछ ऐसी आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में बताएंगे जिसमें नवदुर्गा के 9 स्वरूप विराजमान हैं. मां दुर्गा के नौ रूप वाली इन औषधियां का डाइट में सेवन करने से कई तरह की बीमारियां कम हो जाती है. नई दिल्ली: Navratri 2022: नवरात्रि कोई नव दुर्गा की नौ शक्तियों का कोई रूप नहीं हैं बल्कि हमारे आयुर्वेद के ज्ञाता ऋषि मुनियों ने कुछ औषधियों को इस ऋतु में विशेष सेवन हेतु बताया था.जिससे प्रत्येक दिन हम सभी उसका सेवन कर शक्ति के रूप में शारीरिक व मानसिक क्षमता को बढ़ाकर हम शक्तिवान, ऊर्जावान बलवान व विद्वान बन सकें. नौ तरह की वह दिव्यगुणयुक्त महा औषधियां निस्संदेह बहुत ही प्रभावशाली व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ साथ हम ताउम्र बदलते मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी स्वयं को ढालने में सक्षम हो और निरोगी बन दीर्घायु प्राप्त करे 2.द्वितीय ब्रह्मचारिणी यानि ब्राह्मी यह आयु और स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली, रूधिर विकारों का नाश करने वाली और स्वर को मधुर करने वाली है. इसलिए ब्राह्मी को सरस्वती भी कहा जाता है.यह मन व मस्तिष्क में शक्ति प्रदान करती है और गैस व मूत्र संबंधी रोगों की प्रमुख दवा है. यह मूत्र द्वारा रक्त विकारों को बाहर निकालने में समर्थ औषधि है. 3. तृतीय चंद्रघंटा यानि चन्दुसूर चंद्रघंटा, इसे चन्दुसूर या चमसूर कहा गया है. यह एक ऐसा पौधा है जो धनिये के समान है. इस पौधे की पत्तियों की सब्जी बनाई जाती है, जो लाभदायक होती है. यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है, इसलिए इसे चर्महन्ती भी कहते हैं. शक्ति को बढ़ाने वाली, हृदय रो...

ब्रह्मचारिणी

अनुक्रम • 1 श्लोक • 2 शक्ति • 3 फल • 4 उपासना • 5 सन्दर्भ • 6 बाहरी कड़ियाँ श्लोक [ ] दधाना कर पद्माभ्यामक्ष माला कमण्डलु | देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा || शक्ति [ ] इस दिन साधक कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए भी साधना करते हैं। जिससे उनका जीवन सफल हो सके और अपने सामने आने वाली किसी भी प्रकार की बाधा का सामना आसानी से कर सकें। फल [ ] माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन इन्हीं के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘स्वाधिष्ठान ’चक्र में शिथिल होता है। इस चक्र में अवस्थित मनवाला योगी उनकी कृपा और भक्ति प्राप्त करता है। इस दिन ऐसी कन्याओं का पूजन किया जाता है कि जिनका विवाह तय हो गया है लेकिन अभी शादी नहीं हुई है। इन्हें अपने घर बुलाकर पूजन के पश्चात भोजन कराकर वस्त्र, पात्र आदि भेंट किए जाते हैं। उपासना [ ] प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में द्वितीय दिन इसका जाप करना चाहिए। या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। अर्थ: हे माँ! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। सन्दर्भ [ ] • NDTVIndia (हिन्दी भाषा में). १९ मार्च 2020. . अभिगमन तिथि...

चैत्र नवरात्रि में 9 देवियों के 9 औषधीय रूप की करते हैं पूजा, जानिए नाम और मंत्र

Chaitra Navratri 2022चैत्र नवरात्रि या शारदीय नवरात्र दोनों में ही माता के 9 औषधि रूप की पूजा भी की जाती है। ये औषधियां समस्त प्राणियों के रोगों को हरने वाली हैं। ये शरीर की रक्षा के लिए कवच समान कार्य करती हैं। इनके प्रयोग से मनुष्य अकाल मृत्यु से बचकर सौ वर्ष जी सकता है। आइए जानते हैं दिव्य गुणों वाली नौ औषधियों को जिन्हें नवदुर्गा कहा गया है। 3. तृतीय चंद्रघंटा यानि चन्दुसूर- नवदुर्गा का तीसरा रूप है चंद्रघंटा, इसे चन्दुसूर या चमसूर कहा गया है। धनिये के समान इस पौधे की पत्तियों की सब्जी बनाई जाती है, जो लाभदायक होती है। यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है, इसलिए इसे चर्महन्ती भी कहते हैं। शक्ति को बढ़ाने वाली, हृदय रोग को ठीक करने वाली चंद्रिका औषधि है। अत: इस बीमारी से संबंधित रोगी को चंद्रघंटा की पूजा करना चाहिए। 4. चतुर्थ कूष्मांडा यानी पेठा- नवदुर्गा का चौथा रूप कूष्मांडा है। इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है, इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं। इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक व रक्त के विकार को ठीक कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति के लिए यह अमृत समान है। यह शरीर के समस्त दोषों को दूर कर हृदय रोग को ठीक करता है। कुम्हड़ा रक्त पित्त एवं गैस को दूर करता है। इन बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को पेठा का उपयोग के साथ कूष्मांडा देवी की आराधना करना चाहिए। 6. षष्ठम कात्यायनी यानी मोइया- नवदुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है। इसे आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका। इसके अलावा इसे मोइया अर्थात माचिका भी कहते हैं। यह कफ, पित्त, अधिक विकार एवं कंठ के रोग का नाश करती है। इससे पीड़ित रोगी को इसका सेवन व कात्यायनी की ...