प्रतिबल प्रबंधन पर एक प्रतिवेदन प्रस्तुत करें

  1. कार्यालयी हिंदी/प्रतिवेदन (Report)
  2. कार्यालयी हिंदी/प्रतिवेदन
  3. अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रतिवेदन मानक
  4. प्रबन्धन
  5. प्रतिवेदन लेखन: उदाहरण और अभ्यास सहित
  6. English to Hindi Transliterate


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कार्यालयी हिंदी/प्रतिवेदन (Report)

प्रतिवेदन (Report) [ ] सरकारी कामकाज के प्रमुख अंग के रूप में जाँच ,तथ्यान्वेषण , सुझाव आदि के विस्तृत विवरण प्रस्तुत करने की प्रणाली को प्रतिवेदन या रिपोर्ट कहा जाता है। प्रतिवेदन में वह सूचना या जानकारी प्रस्तुत की जाती है जो सावजनिक रूप में यथातथ्य ज्ञात नहीं किन्तु प्रतिवेदन प्रस्तुत करने वाला व्यकि्त या आयोग या समिति उसे सम्बध्य व्यकि्तयों या सरकार तक तथ्यों को यथासि्थति प्रस्तुत करते हैं। प्रतिवेदन एक या अनेक व्यकि्त , अधिकारी , सचिव तथा सरकार के दारा गठित आयोग , मण्डल प्रस्तुत करते हैं। प्रतिवेदन में तथ्यों की यथासि्थति प्रस्तुत करने का प्रामाणिक प्रयास किया जाता है। उसमें प्रस्तुत की जाने वाली सभी बातें क्रमबध्द रूप से दी जाती हैं। विषय तथा सि्थति की गम्भीरता के अनुसार उसकी पृष्ठभूमि संक्षिप्ता अथवा विस्तृत भी हो सकती है । किन्तु जब प्रतिवेदन किसी विशेषज्ञ द्दारा प्रस्तुत किया जाता है तो वह विस्तृत रूप में विश्लेषणात्मक ही रहता है। समितियों , आयोगों तथा प्रतिनिधि मंडलों द्दारा प्रस्तुत किये गये प्रतिवेदनों में सम्बध्द विषय के अन्वेषण व जाँच का पूरा ब्योरा दिया जाता है। साक्ष्यों तथा प्रमाणों को क्रमशा: प्रतिवेदन में रखा जाता और अन्त में समिति या आयोग के निष्कर्ष को प्रस्तुत किया जाता है। यह निष्कर्ष सिफारिश के रूप में भी हो सकता है। अथवा सम्बध्द मामले को एकदम समाप्त करने के लिए भी हो सकता है। किन्तु कार्यवाही की सिफारिश का संकेत इस प्रकार के प्रतिवेदन में अवश्य रहता है। संर्दभ [ ] १. प्रयोजनमूलक हिन्दी: सिध्दान्त और प्रयोग -- --- दंगल झाल्टे पृष्ट--१८२

कार्यालयी हिंदी/प्रतिवेदन

सामग्री • १ प्रतिवेदन(Report) • २ प्रतिवेदन की प्रक्रिया • ३ प्रतिवेदन की विशेषताएँ • ४ संर्दभ प्रतिवेदन(Report) [ ] आधुनिक युग में सरकारी और गैर-सरकारी कार्य प्रणाली में 'प्रतिवेदन' का प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जा रहा है। 'प्रतिवेदन' अंग्रेजी के रिपोर्ट (Report) अथवा रिपोटिंग (Reporting) शब्दों के पर्याय के रूप में प्रयोग में लाया जा रहा है। विभिन्न सरकारी कार्यालयों, संस्थानों, संगठनों, कम्पनियों, मंत्रालयों तथा विभागों आदि के कार्याकलापों का लैखा-जोखा वार्षिक रिपोर्ट में प्रस्तुत किया जाता है। इन कार्यालयों में अनेक समितियाँ नियुक्त होती हैं और उनकी नियमित बैठकें होती रहती हैं। इन बैठकों की कार्यवाही का ब्योरा प्रतिवेदन अथवा रिपोर्ट में दिया जाता है। किसी महत्वपूर्ण घटना के तथ्यों की छानबीन करने के लिए सरकार द्दारा उच्चाधिकार प्राप्त समितियाँ तथा आयोग स्थापित किए जाते हैं। ये समितियाँ और आयोग वांछित छानबीन करके उसका तथ्य शोधक प्रतिवेदन सरकार को प्रस्तुत करते हैं। कभी-कभी अत्यन्त महत्वपूर्ण राष्टीय मामलों के सम्बन्ध में सरकार स्वयं जनता की जानकारी हेतु 'श्वेत पत्र' (White Paper) के रूप में प्रतिवेदन प्रस्तुत करती है जिसमें घटनाओं और मामलों की यथातथ्य स्थिति दर्शायी जाती है। इस प्रकार, सरकारी कार्य प्रणाली के एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में प्रतिवेदन का प्रयोग किया जाता है। कोशग्रंथों के अनुसार Report से तात्पर्य है-- १) Some thing which gives information २) Formal account of the results of an investigation given by a person authorised to make investigation. इस प्रकार के मामले की छानबीन के पश्चात तथ्यों का ब्योरा देने, गम्भीर मामले और घटनाओं के बारे में सही जानकारी प्रस्तु...

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रतिवेदन मानक

अनुक्रम • 1 IFRS की संरचना • 2 रूपरेखा • 3 रूपरेखा की भूमिका • 3.1 वित्तीय विवरणों के उद्देश्य • 3.2 अंतर्निहित धारणाएं • 3.3 वित्तीय विवरणों की गुणात्मक विशेषताएं • 3.4 वित्तीय विवरण के तत्त्व • 3.5 वित्तीय विवरण के तत्वों की पहचान • 3.6 वित्तीय विवरण में तत्त्वों के मापन • 3.7 पूंजी की अवधारणा और पूंजी का रखरखाव • 3.8 पूंजी की अवधारणा • 3.8.1 पूंजी के रख-रखाव की अवधारणा और लाभ का निर्धारण • 4 IFRS की आवश्यकताएं • 5 IASB की चालू परियोजनाएं • 6 IFRS का अंगीकरण • 6.1 ऑस्ट्रेलिया • 6.2 कनाडा • 6.3 यूरोपीय संघ • 6.4 रूस • 6.5 तुर्की • 6.6 हांगकांग • 6.7 सिंगापुर • 6.8 संयुक्त राज्य और US GAAP के साथ अभिसरण • 6.9 भारत • 6.10 जापान • 7 संपूर्ण पाठ लिंक के साथ IFRS विवरणों की सूची • 8 संपूर्ण पाठ लिंक के साथ व्याख्याओं की सूची • 9 अतिरिक्त पठन • 10 इन्हें भी देखें • 11 सन्दर्भ • 12 बाहरी कड़ियाँ IFRS की संरचना [ ] IFRS को "आदर्शों पर आधारित" मानकों का समूह-बंध (सेट) माना जाता है जिसमें विस्तारित नियमों एवं उनके उपचारों के लिए विशेष आदेश स्थापित किए गए हैं। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रतिवेदन मानकों के अंतर्गत समाविष्ट हैं: • अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रतिवेदन मानक (IFRS) - 2001 के बाद जारी किए गए मानक • अंतर्राष्ट्रीय लेखांकन मानक (IAS) - 2001 से पहले जारी किए गए मानक • अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रतिवेदन प्रतिपादन समिति (IFRIC) से उत्पन्न प्रतिपादन - 2001 के बाद जारी • स्थायी प्रतिपादन समिति (SIC) - 2001 से पहले जारी वित्तीय विवरणों की उपक्रम एवं उपस्थापना के लिए एक रूपरेखा भी है जो IFRS में अंतर्भुक्त उद्देश्यों की व्याख्या करती है। IAS 8 अनुच्छेद 11 "अनुच्छेद 10 में उल्लिखित निर्णय क...

प्रबन्धन

व्यवसाय एवं प्रबन्धन (Management) का अर्थ है - उपलब्ध संसाधनों का दक्षतापूर्वक तथा प्रभावपूर्ण तरीके से उपयोग करते हुए लोगों के कार्यों में समन्वय करना ताकि लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित की जा सके। प्रबन्धन के अन्तर्गत आयोजन (planning), संगठन-निर्माण (organizing), स्टाफिंग (staffing), नेतृत्व करना (leading या directing), तथा संगठन अथवा पहल का नियंत्रण करना आदि आते हैं। संगठन भले ही बड़ा हो या छोटा, लाभ के लिए हो अथवा गैर-लाभ वाला, सेवा प्रदान करता हो अथवा विनिर्माणकर्ता, प्रबंध सभी के लिए आवश्यक है। प्रबंध इसलिए आवश्यक है कि व्यक्ति सामूहिक उद्देश्यों की पूर्ति में अपना श्रेष्ठतम योगदान दे सकें। प्रबंध में पारस्परिक रूप से संबंधित वह कार्य सम्मिलित हैं जिन्हें सभी प्रबंधक करते हैं। प्रबंधक अलग-अलग कार्यों पर भिन्न समय लगाते हैं। संगठन के उच्चस्तर पर बैठे प्रबंधक नियोजन एवं संगठन पर नीचे स्तर के प्रबंधकों की तुलना में अधिक समय लगाते हैं अनुक्रम • 1 प्रबंध की परिभाषाएँ • 1.1 अवधारणा • 2 प्रभावपूर्णता बनाम कुशलता • 3 प्रबंध की विशेषताएँ • 4 प्रबंध के उद्देश्य • 4.1 संगठनात्मक उद्देश्य • 4.1.1 जीवित रहना • 4.1.2 लाभ • 4.1.3 बढ़ोतरी • 4.2 सामाजिक उद्देश्य • 4.3 व्यक्तिगत उद्देश्य • 5 प्रबन्ध का महत्त्व • 6 प्रबंध की प्रकृति • 6.1 प्रबंध एक कला • 6.1.1 सैद्धांतिक ज्ञान का होना • 6.1.2 व्यक्तिगत योग्यतानुसार उपयोग • 6.1.3 व्यवहार एवं रचनात्मकता पर आधारित • 6.2 प्रबंध एक विज्ञान के रूप में • 6.2.1 क्रमबद्ध ज्ञान-समूह • 6.2.2 परीक्षण पर आधारित सिद्धांत • 6.2.3 व्यापक वैधता • 6.3 प्रबंध एक पेशे के रूप में • 6.3.1 भली-भाँति परिभाषित ज्ञान का समूह • 6.3.2 अवरोधित प्रवेश • 6.3.3 पेशाग...

प्रतिवेदन लेखन: उदाहरण और अभ्यास सहित

प्रतिवेदन का अर्थ है, किसी भी संदर्भ में संपन्न हुई कार्रवाई का विवरण लिखित रूप में प्रस्तुत करना। किसी भी सभा, संस्था विभाग में जो बैठक आयोजित की जाती है और उसकी जो कार्रवाई होती है, उसे लिखित रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यही प्रतिवेदन होता है ( प्रतिवेदन लेखन)। कार्रवाई में बैठक में लिए गए अथवा पारित हुए प्रस्ताव या निर्णय स्पष्ट एवं संक्षिप्त रूप में लिखे जाते हैं। सभा में उपस्थित सदस्य तथा अध्यक्ष के नाम भी उल्लिखित होते हैं। संस्था की बैठक पिछली‘बैठकों भी‘ कार्रवाई की पुष्टि भी की जाती है और उसका उल्लेख भी किया जाता है। प्रतिवेदन लिखते हुए निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए: • प्रतिवेदन संक्षिप्त होता है। • कोई भी तथ्य अस्पष्ट नहीं होना चाहिए, अन्यथा विवाद उत्पन्न होता है। • प्रतिवेदन में केवल आवश्यक बातों को ही स्थान दिया जाता है। • इसमें क्रमबद्धता का ध्यान रखा जाता है। प्रतिवेदन लेखन के उदाहरण - 1. विद्यालय में 2 जनवरी, 2017 को संपन्न हुई 'प्रेमचंद साहित्य सभा' का प्रतिवेदन विद्यालय के सभागार में सांय 4 बजे हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. नरेश की अध्यक्षता में‘प्रेमचंद साहित्य सभा‘ की बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में निम्नलिखित सदस्य उपस्थित थे। कार्रवाई का संचालन सभा के मंत्री दिवाकर ने किया। • डॉ. नरेश - (अध्यक्ष) • श्री दिवाकर - (मंत्री) • श्री कमल किशोर - (कोषाध्यक्ष) • कु. गीतिका - (सदस्या) • कु. अनुकृति - (सदस्या) • कु. मणिका - (सदस्य) • श्री अनुज - (सदस्य) • श्री लोकेंद्र - (सदस्य) मंत्री महोदय ने विगत बैठक की कार्रवाई का विवरण पढ़कर सुनाया, जिसको सभी सदस्यों ने स्वीकृति दी। तत्पश्चात् अध्यक्ष महोदय ने सभा को यह समाचार सुनाया, कि प्राचार्य महोदय ने सभा की प्रगति से प...

English to Hindi Transliterate

राज्यों की पर्यावरण रिपोर्ट पर्यावरण की स्थिति पर प्रतिवेदन का मुख्य उद्देश्य है भारत में पर्यावरण की वस्तु-स्थिति प्रस्तुत करना जो मौलिक दस्तावेज के रूप में प्रयुक्त हों तथा युक्तिसंगत एवं सूचना आधारित निर्णय-निर्माण की प्रक्रिया में सहायता करे। पर्यावरण की दशा पर प्रतिवेदन का लक्ष्य आने वाले दशकों में संसाधन के निर्धारण हेतु पर्यावरण की दशा एवं प्रवृत्ति के विश्लेषण पर आधारित नीति-निर्देश उपलब्ध कराना तथा राष्ट्रीय पर्यावरणकारी योजना हेतु दिशा-निर्देश मुहैया कराना है। भारत के लिए पर्यावरण स्थिति पर प्रतिवेदन के अंतर्गत पर्यावरण (भूमि, वायु, जल, जैव विविधता) की दशा एवं प्रवृत्तियाँ तथा 5 महत्त्वपूर्ण विषय, अर्थात् जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, जल सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा एवं शहरीकरण का प्रबंधन शामिल हैं। प्रतिवेदन में पर्यावरण की वर्तमान दशा एवं प्राकृतिक संसाधनों, पर्यावरण में परिवर्तनों के लिए उत्तरदायी दबाव तथा इन परिवर्तनों के प्रभाव से संबंधित अनेक प्राथमिक मुद्दे शामिल हैं। यह प्रतिवेदन, भविष्य में पर्यावरण क्षरण की रोकथाम एवं निगरानी के उत्तरदायित्व के रूप में कार्यक्रमों अथवा सरकार द्वारा लागू की गई वर्त्तमान एवं प्रस्तावित नीतिगत उपायों का मूल्यांकन भी करता है, साथ ही, नीतिगत विकल्प भी प्रस्तावित करता है। पर्यावरण स्थिति पर प्रतिवेदन 2009 के महत्त्वपूर्ण बिंदु • भारत में भूमि का लगभग 45% अपरदन, मृदा अम्लीयता, क्षारीयता एवं लवणीयता, जल जमाव तथा वायु अपरदन के कारण निम्निकृत है। भूमि के निम्नीकरण के मुख्य कारण हैं- वनों की कटाई, अ-धारणीय (असुस्थिर) कृषि, खनन एवं भू-जल का अत्यधिक दोहन। यद्यपि, 1470 लाख हेक्टेयर निम्नीकृत भूमि की दो-तिहाई को बड़ी सरलता से सुधारा जा सकत...