पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के 5 उपाय लिखिए

  1. जल प्रदूषण को रोकने के 5 उपाय
  2. पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार क्या है Types Of Pollution In Hindi
  3. पर्यावरण संरक्षण विषय पर लगभग 250 शब्दों में निबंध लिखिए: Answer... CLASS
  4. पर्यावरण पर उपदेश और नसीहत के बजाय सोच बदलें
  5. पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, प्रकार, कारण, उपाय, Environmental Pollution in Hindi
  6. Environmental Pollution : Meaning, Types, Effects, Causes and Prevention
  7. पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उपाय /सुझाव
  8. पर्यावरण प्रदूषण : नियंत्रण एवं उपाय


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जल प्रदूषण को रोकने के 5 उपाय

प्रस्तावना :- जल पर्यावरण का एक अभिन्न अंग है जल के बिना हम अपने जीवन की कल्पना तक नही कर सकते इसलिए कहा जाता है कि जल ही जीवन है। परन्तु आज औद्योगिकरण के युग में धरती पर जल प्रदूषण एक लगातार बढ़ती समस्या बनता जा रहा है जो मानवो के साथ-साथ जीव जन्तुओं को भी प्रभावित कर रहा है। जल प्रदुषण का अर्थ :- मानव गतिविधियों के द्वारा उत्पन्न जहरीले प्रदुषको से पीने के पानी का गन्दा होना ही जल प्रदुषण है। दूसरे शब्दो मे जल के भौतिक एवं रासायनिक में परिवर्तन करना जल प्रदूषण कहलाता है। नदी ,झिल, तालाबो, भूगर्भ और समुद्र के पानी मे ऐसे पदार्थ मिल जाते है जिससे पानी में रहने वाले जीव-जन्तुओ के लिए बहुत ही नूकसान और प्राणियो के प्रयोग करने के लिए योग्य पानी नही रह जाता है। इसी वजह से हर एक व्यक्ति का जीवन जो पानी पर आधारित होता है। वह बहुत अधिक प्रभावित होती है। जल प्रदुषण का कारण :- जल प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारण उद्योग धंधो कल कारखानों के जहरीले, रासायनिक कचरे को अक्सर नदियों और तालाबो मे छोड दिया जाता है। गंगा एक आंकलन के अनुसार 1 मिलियन नदी जो देश की सबसे पवित्र नदी मानी जाती है उसमे रोज लगभग 1,480 लीटर सीवेज और 200 मिलियन लीटर औद्योगिक कचरा लगातार छोड़ा जा रहा है। जोकि बहुत ही निंदनीय है। इसके अलावा घरेलू कचरे का नदियों और तालाबो मे फेंका जाना, खेतो मे रासायनिक उर्वरकी का प्रयोग, दुर्घटना हो जाने पर समुद्री जहाजो के ईंधन का समुद्र मे फैल जाना मे जल में परमाणु परीक्षणों का किया जाना जल प्रदूषण के मुख्य कारणो मे है। 'भरे जीवो के जीवाश्मो और मृदा अपरदन से भी जल भक्ति होता है। जल प्रदूषण के गम्भीर प्रभाव:- आधुनिक युग मे जल प्रदूषण एक बहुत ही गंभीर समस्या बन चुका है। दूषित जल को पीना स्वास्...

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार क्या है Types Of Pollution In Hindi

इस पोस्ट Types Of Pollution In Hindi में पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार (Pradushan Types In Hindi) पर जानकारी है। प्रदूषण हमारी धरती की एक गम्भीर समस्या है। इस समस्या का निवारण अगर जल्दी ही नही किया गया तो हमारी यह खूबसूरत धरती इंसानों के रहने लायक नही रहेगी। प्रदूषण मुक्त पृथ्वी बनाने के लिए हम इंसानों को ही उपयोगी कदम उठाने होंगे। इस आर्टिकल “Pollution Types In Hindi” में पर्यावरण प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं? इन दिनों प्रश्नों का ही उत्तर जानने का प्रयास करेंगे। Contents • • • • • • पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते हैं? पर्यावरण में दूषित प्रदार्थों के कारण पैदा हुए असंतुलन को प्रदूषण ( Pollution) कहते है। पर्यावरण में प्राकृतिक संसाधन आते है जिनके दूषित होने पर पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है। प्राकृतिक संसाधनों में पानी, हवा, मिट्टी मुख्य रूप से आते है। मनुष्य की पृथ्वी विरोधी गतिविधियों के कारण पर्यावरण के इन संसाधनों पर संकट उत्पन्न होता है। मानवीय गतिविधियों के कारण हवा, पानी और मिट्टी प्रदूषित हो रहे है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण मनुष्य और जीव जंतुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी मनुष्य का सम्पूर्ण आपने जाना की पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते हैं?, अब पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार ( Types Of Pollution In Hindi) की बात करेंगे। पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार – Types Of Pollution In Hindi मुख्यतः पर्यावरण प्रदूषण 4 प्रकार (Pollution Types In Hindi) का होता है। 1. वायु प्रदूषण (Air Pollution) हवा में बढ़ते प्रदूषण के चलते सांस लेना मुश्किल हो गया है। ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट के कारण वायुमंडल में हानिकारक ज़हरीली गैस कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। हमारे वायुमंडल में गैसों का संतुलन है जि...

पर्यावरण संरक्षण विषय पर लगभग 250 शब्दों में निबंध लिखिए: Answer... CLASS

Que : 105. पर्यावरण प्रदूषण विषय पर लगभग 250 शब्दों में निबंध लिखिए: Answer: पर्यावरण प्रदूषण भूमिका :- वैज्ञानिकों की चिन्ता में दूषित वातावरण प्रदूषण का सदा लक्ष्य रहेगा। अस्वच्छ पर्यावरण इसकी शक्ति के आगे है झुके सब इसी से खतरे में पड़ा मानव जीवन। पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर समस्या का रूप ले चुका है। इससे मानव समाज के जीवन-मरण का महत्वपूर्ण प्रश्न जुड़ गया है। हमारा दायित्व है कि समय रहते ही इस समस्या के समाधान के लिए आवश्यक कदम उठायें। यदि इसके लिए आवश्यक उपाय नहीं किये गये तो प्रदूषण युक्त इस वातावरण में मानव जाति का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है। आज मनुष्य अपनी सुख सुविधा के लिए प्राकृतिक सम्पदाओं का अनुचित रूप से दोहन कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप ही प्रदूषण की समस्या सामने आई है। प्रदूषण क्या है ? :- सबसे पहले हमारे सामने यह प्रश्न आता है कि प्रदूषण क्या है ? जिसने लोगों का जीना हराम कर दिया है। जलवायु व भूमि के भौतिक , रासायनिक या जैविक गुणों में होने वाला कोई भी अवांछनीय परिवर्तन है , जो विकृति को जन्म देता है। एक और दुनिया तेजी से विकास कर रही है , जिन्दगी को सजाने-संवारने के नये तरीके ढूंढ रही है। दूसरी ओर वह तेजी से प्रदूषित होती जा रही है। इस प्रदूषण के कारण जीना दूभर होता जा रहा है। आज आसमान जहरीले धुएं से भरता जा रहा है। नदियों का पानी गंदा होता जा रहा है। सारी जलवायु , सारा वातावरण दूषित हो गया है। इसी वातावरण प्रदूषण का नाम है ' पॉल्यूशन ' । प्रदूषण के कारण :- इस समस्या के कारणों पर विचार से ज्ञात होता है कि अणु परमाणु विस्फोटों से फैलने वाली धूलों से वायुमण्डल और पृथ्वीमण्डल सभी विषाक्त हो रहे है जिससे रक्त कैंसर होता है। आज संपूर्ण विश्व तेजी से औद्योगीकर...

पर्यावरण पर उपदेश और नसीहत के बजाय सोच बदलें

प्रति वर्ष जून में विश्व पर्यावरण दिवस एक परंपरा निभाने की तरह मनाया जाता है। इसकी शुरूआत सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र के स्टॉकहोम अधिवेशन में हुई। इसे सामान्य नागरिक को स्वस्थ वातावरण देने और उसका बुनियादी अधिकार मानने के संकल्प की तरह देखा गया। हर साल एक थीम चुना जाता है और उसके अनुसार दुनिया भर में जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम बनाए जाते हैं और एक रिचुअल यानी रस्म अदायगी के बाद भुला दिया जाता है। इस बार भी प्लास्टिक के नुक्सान और उससे होने वाले प्रदूषण को समाप्त करने का थीम रखा गया। कथनी और करनी : हकीकत यह है कि दुनिया कुछ भी कहे और प्लास्टिक की जितनी चाहे बुराई कर ले, प्लास्टिक का इस्तेमाल रुकने वाला नहीं है। कारण यह है कि 400 मिलियन टन वार्षिक इसका उत्पादन होता है। 10 प्रतिशत से भी कम रिसाइकल होता है कुछ समुद्र में चला जाता है और शेष अपना घातक प्रभाव छोड़ता जाता है। बताते हैं कि इंसान हर साल लगभग 50 हजार माइक्रो प्लास्टिक के कण उपभोग करता है यानी खा जाता है जो सेहत के लिए हानिकारक है। यह बात इसलिए बताई कि जब उत्पादन बंद नहीं होगा तो किस मुंह से प्लास्टिक के दुष्प्रभावों से बचने की बात की जाती है। कुछ दिन पहले सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने की बात सुनाई दी थी जो अब हवा हवाई हो चुकी है और धड़ल्ले से इसका पहले से भी ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है क्योंकि इसका उत्पादन बढ़ रहा है। पर्यावरण की व्याख्या : पर्यावरण या वातावरण को सीधी तरह समझा जाए तो यह और कुछ नहीं बल्कि ‘प्र’ से प्रकृति का आवरण या पर्दा है जो संसार के सभी जीवधारियों की सुरक्षा के लिए बना है। इसी प्रकार वातावरण का वात या वायु का आवरण या पर्दा है जो जीवन को बचाए रखता है क्योंकि हवा न हो तो सांस नहीं ले ...

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, प्रकार, कारण, उपाय, Environmental Pollution in Hindi

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे इस पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध के बारे में जानना चाहते है यदि हाँ तो यह पोस्ट आप के लिए ही है क्योकि आज हम पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध के बारे में अच्छी तरह से जानेंगे लेकिन आपको इसे अच्छी तरह से समझने के लिए पूरे आर्टिकल को स्टेप बाई स्टेप पढ़ना होगा तो चलिए शुरू करते है Table of Contents • • • • • • • • • • • पर्यावरण प्रदूषण क्या है ? दोस्तों पर्यावरण प्रदूषण क्या है इसे जानने से पहले हमें प्रदूषक (Pollutants) के बारे में जानना जरूरी है तो चलिए पहले प्रदूषक के बारे में जान लेते है प्रदूषक क्या होता है ? (What are Pollutants in Hindi?) वह पदार्थ (Agents) जो पर्यावरण को प्रदूषित करता है उसे प्रदूषक (Pollutants) कहते है अब आप सोच रहे होंगे कि प्रदूषक का उत्पादन कहा से होता है दोस्तों इसका ज्यादातर उत्पादन मानव क्रियाओं के द्वारा होता है पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध या पर्यावरण प्रदूषण क्या है ? पर्यावरण जीवों का परिवेश है। जिस वातावरण में जीव रहता है वह वायु, जल, भूमि आदि जैसे विभिन्न घटकों से बना होता है। जीवों को रहने के लिए पर्यावरण में एक अनुकूल संतुलन बनाने के लिए ये घटक निश्चित अनुपात में पाए जाते हैं। किसी भी प्रकार का आइछित और अवांछित इन घटकों के अनुपात में परिवर्तन को प्रदूषण कहा जा सकता है। यह मुद्दा हर गुजरते साल के साथ बढ़ता ही जा रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो आर्थिक, शारीरिक और सामाजिक परेशानी पैदा करता है। पर्यावरण की समस्या जो दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है, उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि मनुष्य और ग्रह पर इसके हानिकारक प्रभावों को समाप्त किया जा सके। पर्यावरण प्रदूषण के कारण – उद्योगों के उदय और रोजगार की तलाश में गांवों से शह...

Environmental Pollution : Meaning, Types, Effects, Causes and Prevention

पर्यावरण के किसी भी घटक में होने वाला अवांछनीय परिवर्तन, जिससे जीव जगत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, प्रदूषण कहलाता है। पर्यावरण प्रदूषण में मानव की विकास प्रक्रिया, औद्योगिकीकरण तथा नगरीकरण आदि का महत्वपूर्ण योगदान है। पर्यावरणीय घटकों के आधार पर पर्यावरणीय प्रदूषण को भी ध्वनि, जल, वायु एवं मृदा प्रदूषण आदि में बाँटा जाता है | सभी जीव अपनी वृद्धि एवं विकास तथा अपने जीवन चक्र को चलाने के लिए संतुलित पर्यावरण पर निर्भर करते हैं | संतुलित पर्यावरण से तात्पर्य एक ऐसे पर्यावरण से है, जिसमें प्रत्येक घटक एक निश्चित मात्रा एवं अनुपात में उपस्थित होता है | परंतु कभी-कभी मानवीय या अन्य कारणों से पर्यावरण में एक अथवा अनेक घटकों की मात्रा या तो आवश्यकता से बहुत अधिक बढ़ जाती है अथवा पर्यावरण में हानिकारक घटकों का प्रवेश हो जाता है। इस स्थिति में पर्यावरण दूषित हो जाता है तथा जीव समुदाय के लिए किसी न किसी रूप में हानिकारक सिद्ध होता है। पर्यावरण में इस अनचाहे परिवर्तन को ही ‘पर्यावरणीय प्रदूषण’ कहते हैं। प्रदूषण के प्रकार पर्यावरणीय घटकों के आधार पर पर्यावरणीय प्रदूषण को भी मृदा, वायु, जल एवं ध्वनि प्रदूषण आदि में बाँटा जाता है - मृदा प्रदूषण मृदा के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में कोई ऐसा अवांछनीय परिवर्तन जिसका प्रभाव मानव पोषण तथा फसल उत्पादन व उत्पादकता पर पड़े और जिससे मृदा की गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो, 'मृदा प्रदूषण' कहलाता है। कैडमियम, क्रोमियम, तांबा, कीटनाशक पदार्थ, रासायनिक उर्वरक, खरपतवारनाशी पदार्थ, विषैली गैसें आदि प्रमुख मृदा प्रदूषक हैं | मृदा प्रदूषण के प्रभाव मृदा प्रदूषण के प्रभाव निम्नलिखित हैं- • मृदा प्रदूषण से मृदा के भौतिक एवं रासायनिक गुण प्रभावित होते है...

पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उपाय /सुझाव

पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के 5 उपाय लिखिए |पर्यावरण प्रदूषण के कारण और उपाय | पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार पर्यावरण प्रदूषण क्या है:- मानव जीवन सदा से ही पर्यावरण से प्रभावित रहा है। उसे अपने जीवन को सुचारू रूप से चलने के लिए संतुलित पर्यावरण की आवश्यकता रही है। संतुलित पर्यावरण से तात्पर्य है पर्यावरण संबंधी सभी स्वास्थ्यवर्धक आवश्यक तत्वों का निश्चित अनुपात में रहना। किंतु जब इसमें विषैले तत्वों की अधिकता या कमी हो जाती है, तो पर्यावरण में असंतुलन पैदा हो जाता है। ऐसे ही पर्यावरण का दूषित होना अथवा पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। पर्यावरण के सभी घटकों जैसे:- वायु ,जल ,मृदा आदि का प्रदूषित होना पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है। पर्यावरण प्रदूषण आज के समय में एक वैश्विक समस्या बनता जा रहा है। जिसके कारण पूरी मानव जाति का भविष्य संकट में नजर आ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण आज ग्लोबल वार्मिंग जैसी विकट समस्या नजर आ रही है। अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो शायद आने वाले समय में यह जहरीला वातावरण पृथ्वी पर प्राणी जगत के जीवन हेतु एक खतरा बन जाएगा। पर्यावरण की भूमिका:- आज-कल के वक्त में मनुष्य आधुनिकता की ओर परस्पर लगातार बढ़ रहा है तथा इस होड में हम प्रकृति के साथ ही खिलवाड़ कर रहे हैं। मानुष्य अपनी सुख-सुविधाओं की पुर्ती करने के हेतु लगातार ऐसी गतिविधियां कर रहा है जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता जा रहा है। प्रदूषण प्राकृतिक असंतुलन बिगड़ रही है और इससे भविष्य में भयानक परिणाम देखने को मिल सकता है। पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ:- प्रदूषण पर्यावरण में दूषित पदार्थों के प्रवेश के कारण प्रकृति संतुलन में पैदा होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषण का अर्थ- हवा ,पानी ,मिट्टी आदि का दू...

पर्यावरण प्रदूषण : नियंत्रण एवं उपाय

नदियों, तालाबों के जल एवं भूमिगत जल को तो मनुष्यों ने प्रदूषित किया ही है। प्रदूषित करने में इसने सागर के जल को भी नहीं छोड़ा। सागर किनारे कई स्थलों पर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है, जिससे सागर किनारे कई छोटी-बड़ी बस्तियां बस गई हैं। वहां के लोगों का जीवनयापन पर्यटकों को विभिन्न प्रकार की सामग्रियां बेचकर होता है। उन बस्तियों में किसी प्रकार के शौचालय की व्यवस्था नहीं है, अगर है भी तो वे सुचारू रूप से कार्यरत नहीं है, जिसके कारण बस्ती के लोग सागर के पानी में ही शौच करते हैं तथा घर के कुड़े-कचरे को भी सागर के जल में बहा देते हैं, जिससे सागर का जल प्रदूषित होता है। बढ़ता प्रदूषण वर्तमान समय की एक सबसे बड़ी समस्या है, जो आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत समाज में तेजी से बढ़ रहा है। इस समस्या से समस्त विश्व अवगत तथा चिंतित है। प्रदूषण के कारण मनुष्य जिस वातावरण या पर्यावरण में रहा है, वह दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है। कहीं अत्यधिक गर्मी सहन करनी पड़ रही है तो कहीं अत्यधिक ठंड। इतना ही नहीं, समस्त जीवधारियों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है। प्रकृति और उसका पर्यावरण अपने स्वभाव से शुद्ध, निर्मल और समस्त जीवधारियों के लिए स्वास्थ्य-वर्द्धक होता है, परंतु किसी कारणवश यदि वह प्रदूषित हो जाता है तो पर्यावरण में मौजूद समस्त जीवधारियों के लिए वह विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करता है। ज्यों-ज्यों मानव सभ्यता का विकास हो रहा है, त्यों-त्यों पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती ही जा रही है। इसे बढ़ाने में मनुष्य के क्रियाकलाप और उनकी जीवनशैली काफी हद तक जिम्मेवार है। सभ्यता के विकास के साथ-साथ मनुष्य ने कई नए आविष्कार किए हैं जिससे औद्योगीकरण एवं नगरीकरण ...