पतली कमरिया बोले हाय हाय सॉन्ग

  1. Premchand ke upanyas karmbhoomi hindi novel of premchand प्रेमचंद के उपन्यास कर्मभूमि Novel by Premchand


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Premchand ke upanyas karmbhoomi hindi novel of premchand प्रेमचंद के उपन्यास कर्मभूमि Novel by Premchand

भाग 1 -1 -2 -3 -4 -5 प्रेमचंद हिंदीसमयडॉटकॉम पर उपलब्ध मूल नाम : धनपत राय जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य प्रमुख कृतियाँ : उपन्यास : गोदान, गबन, सेवा सदन, प्रतिज्ञा, प्रेमाश्रम, निर्मला, प्रेमा, कायाकल्प, रंगभूमि, कर्मभूमि, मनोरमा, वरदान, मंगलसूत्र (असमाप्त) कहानी : सोज़े वतन, मानसरोवर (आठ खंड), प्रेमचंद की असंकलित कहानियाँ नाटक : कर्बला, वरदान बाल साहित्य : रामकथा, कुत्ते की कहानी विचार : प्रेमचंद : विविध प्रसंग, प्रेमचंद के विचार (तीन खंडों में) अनुवाद : आजाद-कथा (उर्दू से, रतननाथ सरशार), पिता के पत्र पुत्री के नाम (अंग्रेजी से, जवाहरलाल नेहरू) संपादन : मर्यादा, माधुरी, हंस, जागरण निधन : 8 अक्टूबर 1936 विशेष : प्रगतिशील लेखक संघ के स्थापना सम्मेलन (1936) के अध्यक्ष। इनकी अनेक कृतियों पर फिल्में बन चुकी हैं। विभिन्न देशी-विदेशी भाषाओं में अनुवाद। अमृत राय (प्रेमचंद के पुत्र) ने ‘कलम का सिपाही’ और मदन गोपाल ने ‘कलम का मजदूर’ शीर्षक से उनकी जीवनी लिखी है। हमारे स्कूलों और कॉलेजों में जिस तत्परता से फीस वसूल की जाती है, शायद मालगुजारी भी उतनी सख्ती से नहीं वसूल की जाती। महीने में एक दिन नियत कर दिया जाता है। उस दिन फीस का दाखिला होना अनिवार्य है। या तो फीस दीजिए, या नाम कटवाइए, या जब तक फीस न दाखिल हो, रोज कुछ जुर्माना दीजिए। कहीं-कहीं ऐसा भी नियम है कि उसी दिन फीस दुगुनी कर दी जाती है, और किसी दूसरी तारीख को दुगुनी फीस न दी तो नाम कट जाता है। काशी के क्वीन्स कॉलेज में यही नियम था। सातवीं तारीख को फीस न दो, तो इक्कीसवीं तारीख को दुगुनी फीस देनी पड़ती थी, या नाम कट जाता था। ऐसे कठोर न...