पठ् धातु के पांचो लकार

  1. Sanskrit Grammar Class 6
  2. पठ् धातु रूप टेबल
  3. पठ् धातु रूप संस्कृत में
  4. As Dhatu Roop
  5. चि धातु के रूप संस्कृत में – Chi Dhatu Roop In Sanskrit
  6. Path Dhatu Roop
  7. Sanskrit Grammar Class 8


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Sanskrit Grammar Class 6

क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं। धातु तीन प्रकार के होते हैं- परस्मैपदी, आत्मनेपदी और उभयपदी। इस कक्षा 6 में आपको सिर्फ परस्मैपदी धातु पढ़ना है। परस्मैपदी, आत्मनेपदी और उभयपदी – इन तीनों के बारे में अगली कक्षा में विस्तारपूर्वक पढ़ेंगे । ये सिर्फ मैंने आपकी जानकारी बढ़ाने के लिए बताया है । अभी आपको सिर्फ और सिर्फ पठ् (पढ़ना) का पाँचो लकारों धातु-रूप याद करना है। बस। Don’t think about परस्मैपदी, आत्मनेपदी और उभयपदी right now । धातु-रूपाणि

पठ् धातु रूप टेबल

पठ् धातु (पढ़ना, to read) भ्वादिगणीय धातु है। Path Dhatu के Dhatu Roop की तरह पठ् जैसे सभी भ्वादिगणीय धातु के धातु रूप ( पठ् धातु का गण (Conjugation)‘भ्वादिगण (प्रथम गण – First Conjugation)’ है। पठ् का अर्थ पढ़ना (to read) होता है। पठ् धातु के रूप संस्कृत में (Path Dhatu Roop In Sanskrit) पठ् धातु रूप के पांच लकार इस प्रकार है- • • • • • पठ् धातु के धातु रूप संस्कृत में सभी लकारों (All Lakar), पुरुष एवं तीनों वचन में पठ् धातु रूप (Path Dhatu Roop) नीचे दिये गये हैं- पठ् धातु के लट् लकार में रूप – वर्तमान काल, Present Tense संस्कृत में पुरुष एकवचन द्विवचन वहुवचन प्रथम पुरुष पठति पठत: पठन्ति मध्यम पुरुष पठसि पठथः पठथ उत्तम पुरुष पठामि पठावः पठामः पठ् धातु के लट् लकार में वाक्य और उदाहरण- • वह पढ़ता है। – सः पठति। • वह पढ़ती है। – सा पठति। • वे दोनों पढ़ते हैं। – तौ पठतः। • वे दोनों पढ़ती हैं। – ते पठतः। • वे सब पढ़ते हैं। – ते पठन्ति। • वे सब पढ़ती हैं। – ता पठन्ति। • तुम पढ़ते हो। – त्वं पठसि। • तुम दोनों पढ़ते हो। – युवां पठथः। • तुम सब पढ़ते हो। – यूयं पठथ। • मैं पढ़ता हूँ। – अहं पठामि। • हम दोनों पढ़ते हैं। – आवां पठावः। • हम सब पढ़ते हैं। – वयं पठामः। पठ् धातु के लृट् लकार में रूप – भविष्यत् काल, Future Tense संस्कृत में पुरुष एकवचन द्विवचन वहुवचन प्रथम पुरुष पठिष्यति पठिष्यतः पठिष्यन्ति मध्यम पुरुष पठिष्यसि पठिष्यथः पठिष्यथ उत्तम पुरुष पठिष्यामि पठिष्यावः पठिष्यामः पठ् धातु के लृट् लकार में उदाहरण- • सः पठिष्यति। = वह पढ़ेगा। • सः कुत्र पठिष्यति? = वह कहाँ पढ़ेगा? • ते पठिष्यन्ति। = वे सब पढ़ेंगे। पठ् धातु के लङ् लकार में रूप – भूतकाल, Past Tense पुरुष एकवचन द्विवचन वहुवचन ...

पठ् धातु रूप संस्कृत में

आज मैं आपके लिए पठ् धातु रूप संस्कृत में (path dhatu roop in Sanskrit) लेकर आया हूँ. पठ् शब्द का अर्थ हिंदी में “ पढ़ना” होता है. अगर आप इस लेख को पीडीएफ के माध्यम से पढ़ना चाहते है, तो निचे आप पीडीएफ फाइल को डाउनलोड कर सकते हैं. पठ् धातु रूप – Path dhatu roop in Sanskrit लट्लकार – वर्तमान काल पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष पठति पठतः पठन्ति मध्यम पुरुष पठसि पठथः पठथ उत्तम पुरुष पठामि पठावः पठामः लङ्लकार – भूतकाल पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष अपठत् अपठताम् अपठन् मध्यम पुरुष अपठः अपठतम् अपठत उत्तम पुरुष अपठम् अपठाव अपठाम लृट्लकार – भविष्य काल पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष पठिष्यति पठिष्यतः पठिष्यन्ति मध्यम पुरुष पठिष्यसि पठिष्यथः पठिष्यथ उत्तम पुरुष पठिष्यामि पठिष्यावः पठिष्यामः • लोट्लकार – आदेश के अर्थ में पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष पठतु पठताम् पठन्तु मध्यम पुरुष पठ पठतम् पठत उत्तम पुरुष पठानि पठाव पठाम विधिलिङ्लकार – संभावना के अर्थ में पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष पठेत् पठेताम् पठेयुः मध्यम पुरुष पठेः पठेतम् पठेत उत्तम पुरुष पठेयम् पठेव पठेम निम्नलिखित धातुएं के रूप ‘पठ’ धातु की तरह होती है. निन्द् ( निंदा करना ), वद् ( कहना ), क्रन्द् ( रोना ), क्रीड् ( खेलना ), खाद् ( खाने के लिए ), गर्ज् ( गर्जन करना ), चर्व् ( चबाना ), ज्वल ( जलना ), नन्द् ( खुश होना ), ब्रज् ( जाना ), चर् ( घूमना ), पत् ( गिरना ), भ्रम् ( घूमना ), लुन्थ् ( चोरी करना ), हस् ( हसना ), खन् ( खोदना ), रक्ष् ( रक्षा करना ), मूर्छ ( बेहोश होना ). आपके लिए :- • • • • • ये था पठ् धातु रूप संस्कृत में (path dhatu roop in Sanskrit) . मुझे उम्मीद है की आपको पठ् ध...

As Dhatu Roop

Table of Contents • • • As Dhatu Roop अस् धातु रूप के पांचो लकार संस्कृत भाषा में। अस् धातु का अर्थ होता है होना। अस् धातु रूप के सभी लकारों में धातु रूप नीचे दिये गये हैं। अस् धातु के पांच लकार इस प्रकार है। • लट् लकार – वर्तमान काल • लोट् लकार – आदेशवाचक • लङ् लकार – भूतकाल • विधिलिङ् लकार – चाहिए के अर्थ में • लृट् लकार – भविष्यत् काल • अस् धातु रूप लट् लकार – वर्तमान काल पुरुष एकवचन द्विवचन वहुवचन प्रथम पुरुष अस्ति स्तः सन्ति मध्यम पुरुष असि स्थः स्थ उत्तम पुरुषअस्मि स्वः स्मः • अस् धातु रूप लोट् लकार – आदेशवाचक पुरुष एकवचन द्विवचन वहुवचन प्रथम पुरुष-अस्तु स्ताम् सन्तु मध्यम पुरुष- एधि स्तम् स्त उत्तम पुरुष– असानि असाव असाम • अस् धातु रूप लङ् लकार – भूतकाल पुरुष एकवचन द्विवचन वहुवचन प्रथम पुरुष. आसीत् आस्ताम् आसन् मध्यम पुरुष आसीः आस्तम् आस्त उत्तम पुरुषआसम् आस्व आस्म • अस् धातु रूप विधिलिङ् लकार – चाहिए के अर्थ में इसे भी पढ़े: पुरुष एकवचन द्विवचन वहुवचन प्रथम पुरुष स्यात् स्याताम् स्युः मध्यम पुरुषस्याः स्यातम् स्यात उत्तम पुरुष स्याम् स्याव स्याम • अस् धातु रूप लृट् लकार – भविष्यत् काल पुरुष एकवचन द्विवचन वहुवचन प्रथम पुरुष भविष्यति भविष्यत: भविष्यन्ति मध्यम पुरुष भविष्यसि भविष्यथः भविष्यथ उत्तम पुरुष भविष्यामि भविष्यावः भविष्यामः As Dhatu Roop Video

चि धातु के रूप संस्कृत में – Chi Dhatu Roop In Sanskrit

• लट् लकार - वर्तमान काल • लोट् लकार - आदेशवाचक • लङ् लकार - भूतकाल • विधिलिङ् लकार - चाहिए के अर्थ में • लृट् लकार - भविष्यत् काल चि धातु रूपलट् लकार - वर्तमान काल पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष चिनोति चिनुतः चिन्वन्ति मध्यम पुरुष चिनोषि चिनुथः चिनुथ उत्तम पुरुष चिनोमि चिन्वः, चिनुवः चिन्मः, चिनुमः चि धातु रूपलोट् लकार - आदेशवाचक पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष चिनोतु चिनुताम् चिन्वन्तु मध्यम पुरुष चिनु चिनुतम् चिनुत उत्तम पुरुष चिन्वानि चिन्वाव चिन्वाम चि धातु रूपलङ् लकार - भूतकाल पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष अचिनोत् अचिनुताम् अचिन्वन् मध्यम पुरुष अचिनोः अचिनुतम् अचिनुत उत्तम पुरुष अचिन्वम् अचिनुव/अचिन्व अचिनुम/अचिन्म चि धातु रूपविधिलिङ् लकार - चाहिए के अर्थ में पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष चिनुयात् चिनुयाताम् चिनुयुः मध्यम पुरुष चिनुयाः चिनुयातम् चिनुयात उत्तम पुरुष चिनुयाम् चिनुयाव चिनुयाम चि धातु रूपलृट् लकार - भविष्यकाल पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष चेष्यति चेष्यतः चेष्यन्ति मध्यम पुरुष चेष्यसि चेष्यथः चेष्यथ उत्तम पुरुष चेष्यामि चेष्यावः चेष्यामः

Path Dhatu Roop

Path Dhatu Roop | पठ धातु रूप संस्कृत- पठ् धातुरूपाणि | Path Dhatu Roop In Sanskrit- All Lakar संस्कृत में धातु रूपों की इस शृंखला में आज पठ धातु रूप प्रस्तुत किए जा रहे हैं। Path Dhatu Roop In Sanskrit All Lakar अर्थात् संस्कृत में पठ् धातु के लट् लिट् लुट् लृट् आदि सभी लकारों के रूप यंहा दिए जा रहे हैं। प्यारे मित्रों, स्वागत है आप सभी का आपकी अपनी इस SanskritExam.Com वेबसाइट में। जैंसे कि आपको पता होगा कि इस वेबसाइट पर बेसिक संस्कृत से लेकर एडवांस संस्कृत सीखने के लिए हर प्रकार की सामग्री फ्री में उपलब्ध है। संस्कृत नोट्स, PDF, संस्कृत शब्दकोश, संस्कृत गिनती, संस्कृत में अनुवाद एवं एडवांस संस्कृत व्याकरण के शब्द रूप, संस्कृत धातुरूप, संस्कृत कारक, संस्कृत संधि आदि ज्ञान का महासागर इस वेबसाइट पर फैला हुआ है। इसे भी दबाएँ- संस्कृत के विभिन्न धातु रूप इस वेबसाइट पर उपलब्ध हैं जिन्हें आप मेनूबार में जाकर देख सकते हैं। आज की इस शृंखला में हम Path Dhatu Roop (पठ धातु रूप) जानेंगे। पठ् धातु के रूप आप सभी को अवश्य देखने व याद करने चाहिए। चूंकि पठ् धातु पढने से संबंधित है। तो आइये, शुरु करते हैं - Path Dhatu Roop In Sanskrit All Lakar इसे भी दबाएँ- पठ् धातु का अर्थ (Path Dhatu Meaning) पठ् धातु रूप जानने से पहले पठ धातु का अर्थ समझ लीजिए। पठ् धातु- हिंदी में पढने के लिए प्रयोग की जाती है। पठ् धातु का अर्थ होता है- पढना। पठ व्यक्तायां वाचि। उदाहरण के लिए- रामः पुस्तकं पठति- राम पुस्तक पढता है आदि वाक्य। Path Dhatu को अंग्रेजी में To Read (पढने) के अर्थ में ही प्रयोग किया जाता है। इसे भी दबाएँ- पठ् धातु का परिचय (Path Dhatu Introduction) पठ् धातु संस्कृत व्याकरण की एक प्रसिद्ध धात...

Sanskrit Grammar Class 8

क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं।धातु तीन प्रकार के होते हैं- परस्मैपदी, आत्मनेपदी और उभयपदी। इस कक्षा में हम धातु के तीनों प्रकार पढ़ेंगे। परस्मैपदी धातु वैसी धातु (क्रिया) को कहते हैं जो कर्ता के द्वारा किया जाए और उस क्रिया का प्रभाव किसी और पर पड़े । जैसे – पठ् (पढ़ना), हस् (हँसना), वद् (बोलना), गम् (जाना) इत्यादि। आत्मनेपदी धातु वैसी धातु (क्रिया) को कहते हैं जो कर्ता के द्वारा किया जाए और उस क्रिया का प्रभाव भी उसी कर्ता पर पड़े। जैसे – सेव् (सेवा करना), वृत् (होना) लभ् (प्राप्त करना), मुद् (खुश होना) इत्यादि। जो क्रियाएँ परस्मैपदी और आत्मनेपदी दोनों प्रकार के रूप रखती है, वे उभयपदी कहलाती है। जैसे – कृ ( करना), याच् (निवेदन करना), नी (लेना), दा (देना) इत्यादि। इन धातुओं के रूप चलते हैं – पाँच लकार (According to your syllabus) और तीन वचन में। • लट् लकार (वर्तमान काल/ Present Tense) 2. लृट् लकार (भविष्य काल/Future Tense) 3. लङ् लकार (भूत काल/Past Tense) 4. लोट् लकार (अनुज्ञा/आदेश) (permission/order) 5. विधिलिङ्लकारः (विधिः/सम्भावना) Method/ possibility Note: वैसे तो संख्या में पूरे धातु 2000 से भी ज्यादा हैं । We will cover: उभयपदी धातु: नी-नय् (लेना), परस्मैपदी धातु: पठ् (पढ़ना), गम्-गच्छ् (जाना), स्था-तिष्ठ (ठहरना), नी-नय् (लेना), चिन्त् (सोचना), चर् (चलना, चरना), कृ (करना), वस् (रहना), दृश् (पश्य) देखना, पच् (पकाना), पा (पिब्) पीना, ज्ञा (जानना), प्रच्छ् (पूछना) । आत्मनेपदी धातु: लभ् (प्राप्त करना), नी-नय् (लेना), सेव् (सेवा करना), वृत् (होना), मुद् (खुश होना)