पत्तल पर परोसा गया भोजन क्या कहलाता है

  1. पत्तल में खाना नहीं पसंद, तो ये बेहतरीन सेहत फायदे जानने के बाद रोजाना खाएंगे पत्तल में खाना
  2. valmiki pics on plate public gives memorandum to Shimla DC hpvk, वाल्मीकी की तस्वीर वाले पत्तल पर परोसा मटन, शिमला विरोध में, सोलन में FIR
  3. जाने और समझें पत्तल में भोजन करने के होने वाले अद्भुत स्वास्थ्य और सामाजिक लाभ को–
  4. भोजन करने संबंधी कुछ जरूरी नियम...
  5. सेहत से है प्यार तो पत्तल में शुरु करें खाना, मिलेगा हर बीमारी का इलाज
  6. सेहत से है प्यार तो पत्तल में शुरु करें खाना, मिलेगा हर बीमारी का इलाज
  7. जाने और समझें पत्तल में भोजन करने के होने वाले अद्भुत स्वास्थ्य और सामाजिक लाभ को–
  8. पत्तल में खाना नहीं पसंद, तो ये बेहतरीन सेहत फायदे जानने के बाद रोजाना खाएंगे पत्तल में खाना
  9. भोजन करने संबंधी कुछ जरूरी नियम...
  10. valmiki pics on plate public gives memorandum to Shimla DC hpvk, वाल्मीकी की तस्वीर वाले पत्तल पर परोसा मटन, शिमला विरोध में, सोलन में FIR


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पत्तल में खाना नहीं पसंद, तो ये बेहतरीन सेहत फायदे जानने के बाद रोजाना खाएंगे पत्तल में खाना

'बापू सेहत के लिए तू तो हानिकारक है' दंगल फिल्म का आपने यह गाना तो ज़रूर सुना होगा। साथ ही आपने कई बार 'पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा' गाना भी गाया होगा। आपके पापा कहे न कहे पर फिल्म देखना सबको बहुत पसंद होता है। फिल्म हमारे जीवन और दुनिया की सच्चाई को दर्शाती है।आप अपने पिता के साथ ये फादर स्पेशल फिल्म देख सकते हैं। These fruits remove dirt of body : शरीर में जमी गंदगी यदि बाहर निकल जाती है तो व्यक्ति हर तरह से निरोगी हो जाता है। इससे आयु भी बढ़ती है। योग और आयुर्वेद में शरीर में जमा गंदगी को बाहर निकालने के कई तरीके बताए गए हैं, लेकिन इसके लिए आपको पहले चाय, कॉफी, दूध, कोल्ड्रिंक, मैदा, बेसन, बैंगन, समोसे, कचोरी, पोहे, पिज्जा, बर्गर आदि का त्याग करना पड़ता है। पुरषों में डायबिटीज, हार्ट अटैक और ब्लड प्रेशर का खतरा ज्यादा रहता है। अगर आपने अभी तक फादर्स डे का गिफ्ट नहीं खरीदा है तो आप फिटनेस गैजेट गिफ्ट कर सकते हैं। इन गैजेट की मदद से आप अपने पिता के स्वास्थ को मॉनिटर कर सकते हैं। ये गैजेट आपके पिता के स्वास्थ को बेहतर रखने में मदद भी करेंगे। चलिए जानते हैं इन गैजेट के बारे में.. पिता के महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए हर साल विश्वभर में फादर्स डे (father's day) मनाया जाता है। इस साल फादर्स डे 14 जून को मनाया जाएगा। अगर आपने अभी तक अपने पिता के लिए कोई भी गिफ्ट नहीं लिया है तो आप इन लास्ट मिनट गिफ्ट आईडिया की मदद से गिफ्ट चुन सकते हैं। चलिए जानते हैं क्या हैं ये गिफ्ट आईडिया...

valmiki pics on plate public gives memorandum to Shimla DC hpvk, वाल्मीकी की तस्वीर वाले पत्तल पर परोसा मटन, शिमला विरोध में, सोलन में FIR

शिमला. खाने की पत्तल में महावीर वाल्मीकी (Valmiki) की तस्वीर छपने को लेकर शिमलावाल्मीकि समुदाय ने कम्पनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.आरोप है कि पत्तल में मटन भी परोसा जा रहा है. शिमला (Shimla) में वाल्मीकी समुदाय के लोगों ने डीसी शिमला अमित कश्यप को ज्ञापन सौंपा और कार्रवाई की मांग की है. वहीं, मामले में सोलन में केस भी दर्ज किया गया है. बाल्मीकि समुदाय के लोगों का कहना है कि सोलन की एक कंपनी द्वारा खाने की पत्तल में महावीर बाल्मीकि की तस्वीर छाप दी है, जो बाज़ारों में भी उपलब्ध हो गई है. इससे लोग बड़े बड़े समारोहों में इस्तेमाल करेंगे और इन्हीं पत्तलों रोटी खाकर इन्हें डस्टबीन में डालेंगे, जिससे उनकी आत्मा आहत होगी. क्या बोले प्रधान बाल्मीकि सभा के अध्यक्ष प्रीतपाल मट्टू का कहना है कि पत्तल में छपी तस्वीर महावीर बाल्मीकि की भावना को ठेस पहुंची है.इसका बाल्मीकि समाज विरोध करता है और उन्होंने इस मामले पर कंपनी के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है.उन्होंने कहा यदि प्रशासन और सरकार कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं करती है तो उसके खिलाफ सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा. सोलन में केस दर्ज सोलन वाल्मीकि वर्ग सुधार समिति ने प्रधान प्रेम चंद मट्टू ने कहा कि कागज़ की प्लेटों पर वाल्मीकि जी का चित्र दर्शाया गया था और उसे खाना परोसने के लिए उपयोग में लाया जा रहा था. यह रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि जी का यह निरादर है और वाल्मीकि वर्ग सुधार समिति इसका पुरजोर विरोध करती है. पुलिस चौकी पर दोषी व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है. . Tags: ,

जाने और समझें पत्तल में भोजन करने के होने वाले अद्भुत स्वास्थ्य और सामाजिक लाभ को–

पत्तल में खाना खाना हमारी पुरानी संस्कृति का हिस्सा रहा हैं। ये कोई दकियानूसी बात नहीं थी बल्कि ये स्वस्थ्य के हिसाब से बहुत ही उंच था। आज भी आदिवासी लोग इनका उपयोग करते थे। भारत में पत्तल बनाने और इस पर भोजन करने की परंपरा कब शुरू हुई, इसका कोई प्रामाणिक इतिहास उपलब्ध नहीं है लेकिन यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।पत्तों से खाना खाने हेतु प्लेट, प्यालियाँ आदि बनाना समूचे भारत में प्रचलन में है। हलवाइयों की दुकानों चाट एवं मिठाइयां पत्तों से बने दोनों में ही ग्राहकों को बेची जाती रही हैं। गांवों में विवाह एवं सामूहिक भोज दोना-पत्तलों में ही परोसे जाते रहे हैं। इस प्रकार के बर्तनों के प्रयोग में छुआछूत प्रथा एवं जाति प्रथा का भी योगदान रहा है। इनके उपयोग में सबसे सुविधाजनक बात तो यह है कि उपयोग के बाद इन्हें फेंका जा सकता है। यह आसानी से स्वतः नष्ट हो जाते हैं। इनसे पर्यावरण की भी हानि नहीं होती। भारत में सदियों से विभिन्न वनस्पतियों के पत्तों से बने पत्तल संस्कृति का अनिवार्य हिस्सा रहे हैं। ये पत्तल अब भले विदेशों में लोकप्रिय हो रहा है भारत में तो कोई भी सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक उत्सव इनके बिना पूरा नहीं हो सकता था। इन समारोहों में आने वाले अतिथियों को इन पत्तलों पर ही भोजन परोसा जाता था। ग्रामीण अंचलों में शादी-ब्याह में खाखरे/पलाश के पत्ते से बने दोना और पत्तल में बारातियों और रिश्तेदारों को भोजन कराया जाता था ।आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे देश मे अनेक वनस्पतियों की पत्तियों से तैयार किये जाने वाले पत्तलों और उनसे होने वाले लाभों के विषय मे पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान उपलब्ध है पर मुश्किल से पाँच प्रकार की वनस्पतियों का प्रयोग हम अपनी दिनचर्या मे करते है। पत...

भोजन करने संबंधी कुछ जरूरी नियम...

हिन्दू धर्म में भोजन के करते वक्त भोजन के सात्विकता के अलावा अच्छी भावना और अच्छे वातावरण और आसन का बहुत महत्व माना गया है। यदि भोजन के सभी नियमों का पालन किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता। हिन्दू धर्म अनुसार भोजन शुद्ध होना चाहिए, उससे भी शुद्ध जल होना चाहिए और सबसे शुद्ध वायु होना चाहिए। यदि यह तीनों शुद्ध है तो व्यक्ति कम से कम 100 वर्ष तो जिंदा रहेगा। आजो जानते हैं भोजन के कुछ खास नियम। How many shravan somvar in 2023 : आषाढ़ माह से वर्षा ऋ‍तु प्रारंभ हो जाती है। इसके बाद श्रावण माह आता है जिसमें भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। वैसे तो पूरे माह की व्रत रखते हैं परंतु इस माह में सोमवार के दिन व्रत रखने का खास महत्व होता है। आओ जानते हैं कि श्रावण मास कब से हो रहा है प्रारंभ, कितने सोमवार रहेंगे इस माह में? Halharini amavasya 2023 : आषाढ़ माह की अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या कहते हैं। किसानों के लिए यह शुभ दिन है। यह दिन किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि आषाढ़ में पड़ने वाली इस अमावस्या के समय तक वर्षा ऋतु का आरंभ हो जाता है और धरती भी नम पड़ जाती है। फसल की बुआई के लिए यह समय उत्तम होता है। इसे आषाढ़ी अमावस्या भी कहा जाता है। How to Care for Indoor Plants in Hindi : घर में हरेभरे पौधा के होने से मन प्रसन्न रहता है और सकारात्मकता फैलती है। क्या आपके गमले में पौधे पनप नहीं पा रहे हैं? जल्दी से मुरझा जाते हैं या पौधों की अच्छी ग्रोथ नहीं हो पा रही है? ऐसे में जानिए हमारे द्वारा बताए गए मात्र 3 टिप्स। इन टिप्स को आजमाएंगे तो आपके पौधे भी हरेभरे होकर महकने लगेंगे। Lal kitab karj mukti ke upay : यदि आप कर्ज क...

सेहत से है प्यार तो पत्तल में शुरु करें खाना, मिलेगा हर बीमारी का इलाज

घर पर या बाहर हो रहे फंक्शन के लिए प्लास्टिक या थर्माकोल की प्लेट का इस्तेमाल किया जाता है। जो कि न केवल हमारे पर्यावरण के लिए अच्छी नहीं हैं, बल्कि हमारे शरीर को भी कई तरह के नुकसान पहुंचाती हैं। इन प्लेट्स ने धीरे धीरे पुराने समय से प्रयोग की जा रही पत्तल की प्लेटों का स्थान ले लिया हैं। पत्तल में खाने से हमारे शरीर को कई तरह के फायदे मिलते है। भारत में शुरु से विभिन्न वनस्पती से के पत्तों से बनी पत्तल की प्लेटों का इस्तेमाल किया जाता रहा हैं। अब यह ट्रेंड विदेशों में बढ़ रहा लेकिन वहीं अपने देश में इसे भूला जा रहा है। पहले किसी भी तरह का फंक्शन क्यों न हो अतिथि को पत्तल में ही खाना परोसा जाता था। आज हम भारतीयों को न केवल अपने लिए बल्कि पर्यावरण के लिए अपनी पुरानी आदतों को अपनाने की जरुरत है। पत्तल की प्लेट भी उन्हीं में से एक हैं। इतिहास पत्तल यानि की पत्तों में रख कर भोजन करने की परंपरा कब से इसका कोई प्रमाण नहीं है लेकिन एक समय था जब 20 हजार से ज्यादा वनस्पितयों की पत्तियों से पत्तल बनते थे। लेकिन शहर में बढ़ रही आधुनिकता ने इसे खत्म करके रख दिया हैं। प्राचीन समय से ही केले के पत्तों में भोजन करने की परंपरा रही है। शायद इसलिए आज महंगे होटल व रेस्तरा में भी केले के पत्ते पर भोजन रख कर परोसा जाता है। चाहे भारत में यह परंपरा खत्म हो रही है,लेकिन जर्मनी में पत्तल में खाने की परंपरा काफी प्रचलित हो रही है। पत्तलों की प्लेट से हमारा गहरा रिश्ता पत्तल पर भोजन खाना न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि इससे हमारे शरीर को भी कई औषधीय गुण मिलते है। जब लोग प्लास्टिक, स्टील या थर्माकोल की प्लेट में खाना खाते है तो उसमें से निकलने वाले कैमिकल हमारे शररी को काफी नुकसान पहुंचाते है। जिससे कै...

सेहत से है प्यार तो पत्तल में शुरु करें खाना, मिलेगा हर बीमारी का इलाज

घर पर या बाहर हो रहे फंक्शन के लिए प्लास्टिक या थर्माकोल की प्लेट का इस्तेमाल किया जाता है। जो कि न केवल हमारे पर्यावरण के लिए अच्छी नहीं हैं, बल्कि हमारे शरीर को भी कई तरह के नुकसान पहुंचाती हैं। इन प्लेट्स ने धीरे धीरे पुराने समय से प्रयोग की जा रही पत्तल की प्लेटों का स्थान ले लिया हैं। पत्तल में खाने से हमारे शरीर को कई तरह के फायदे मिलते है। भारत में शुरु से विभिन्न वनस्पती से के पत्तों से बनी पत्तल की प्लेटों का इस्तेमाल किया जाता रहा हैं। अब यह ट्रेंड विदेशों में बढ़ रहा लेकिन वहीं अपने देश में इसे भूला जा रहा है। पहले किसी भी तरह का फंक्शन क्यों न हो अतिथि को पत्तल में ही खाना परोसा जाता था। आज हम भारतीयों को न केवल अपने लिए बल्कि पर्यावरण के लिए अपनी पुरानी आदतों को अपनाने की जरुरत है। पत्तल की प्लेट भी उन्हीं में से एक हैं। इतिहास पत्तल यानि की पत्तों में रख कर भोजन करने की परंपरा कब से इसका कोई प्रमाण नहीं है लेकिन एक समय था जब 20 हजार से ज्यादा वनस्पितयों की पत्तियों से पत्तल बनते थे। लेकिन शहर में बढ़ रही आधुनिकता ने इसे खत्म करके रख दिया हैं। प्राचीन समय से ही केले के पत्तों में भोजन करने की परंपरा रही है। शायद इसलिए आज महंगे होटल व रेस्तरा में भी केले के पत्ते पर भोजन रख कर परोसा जाता है। चाहे भारत में यह परंपरा खत्म हो रही है,लेकिन जर्मनी में पत्तल में खाने की परंपरा काफी प्रचलित हो रही है। पत्तलों की प्लेट से हमारा गहरा रिश्ता पत्तल पर भोजन खाना न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि इससे हमारे शरीर को भी कई औषधीय गुण मिलते है। जब लोग प्लास्टिक, स्टील या थर्माकोल की प्लेट में खाना खाते है तो उसमें से निकलने वाले कैमिकल हमारे शररी को काफी नुकसान पहुंचाते है। जिससे कै...

जाने और समझें पत्तल में भोजन करने के होने वाले अद्भुत स्वास्थ्य और सामाजिक लाभ को–

पत्तल में खाना खाना हमारी पुरानी संस्कृति का हिस्सा रहा हैं। ये कोई दकियानूसी बात नहीं थी बल्कि ये स्वस्थ्य के हिसाब से बहुत ही उंच था। आज भी आदिवासी लोग इनका उपयोग करते थे। भारत में पत्तल बनाने और इस पर भोजन करने की परंपरा कब शुरू हुई, इसका कोई प्रामाणिक इतिहास उपलब्ध नहीं है लेकिन यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।पत्तों से खाना खाने हेतु प्लेट, प्यालियाँ आदि बनाना समूचे भारत में प्रचलन में है। हलवाइयों की दुकानों चाट एवं मिठाइयां पत्तों से बने दोनों में ही ग्राहकों को बेची जाती रही हैं। गांवों में विवाह एवं सामूहिक भोज दोना-पत्तलों में ही परोसे जाते रहे हैं। इस प्रकार के बर्तनों के प्रयोग में छुआछूत प्रथा एवं जाति प्रथा का भी योगदान रहा है। इनके उपयोग में सबसे सुविधाजनक बात तो यह है कि उपयोग के बाद इन्हें फेंका जा सकता है। यह आसानी से स्वतः नष्ट हो जाते हैं। इनसे पर्यावरण की भी हानि नहीं होती। भारत में सदियों से विभिन्न वनस्पतियों के पत्तों से बने पत्तल संस्कृति का अनिवार्य हिस्सा रहे हैं। ये पत्तल अब भले विदेशों में लोकप्रिय हो रहा है भारत में तो कोई भी सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक उत्सव इनके बिना पूरा नहीं हो सकता था। इन समारोहों में आने वाले अतिथियों को इन पत्तलों पर ही भोजन परोसा जाता था। ग्रामीण अंचलों में शादी-ब्याह में खाखरे/पलाश के पत्ते से बने दोना और पत्तल में बारातियों और रिश्तेदारों को भोजन कराया जाता था ।आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे देश मे अनेक वनस्पतियों की पत्तियों से तैयार किये जाने वाले पत्तलों और उनसे होने वाले लाभों के विषय मे पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान उपलब्ध है पर मुश्किल से पाँच प्रकार की वनस्पतियों का प्रयोग हम अपनी दिनचर्या मे करते है। पत...

पत्तल में खाना नहीं पसंद, तो ये बेहतरीन सेहत फायदे जानने के बाद रोजाना खाएंगे पत्तल में खाना

'बापू सेहत के लिए तू तो हानिकारक है' दंगल फिल्म का आपने यह गाना तो ज़रूर सुना होगा। साथ ही आपने कई बार 'पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा' गाना भी गाया होगा। आपके पापा कहे न कहे पर फिल्म देखना सबको बहुत पसंद होता है। फिल्म हमारे जीवन और दुनिया की सच्चाई को दर्शाती है।आप अपने पिता के साथ ये फादर स्पेशल फिल्म देख सकते हैं। These fruits remove dirt of body : शरीर में जमी गंदगी यदि बाहर निकल जाती है तो व्यक्ति हर तरह से निरोगी हो जाता है। इससे आयु भी बढ़ती है। योग और आयुर्वेद में शरीर में जमा गंदगी को बाहर निकालने के कई तरीके बताए गए हैं, लेकिन इसके लिए आपको पहले चाय, कॉफी, दूध, कोल्ड्रिंक, मैदा, बेसन, बैंगन, समोसे, कचोरी, पोहे, पिज्जा, बर्गर आदि का त्याग करना पड़ता है। पुरषों में डायबिटीज, हार्ट अटैक और ब्लड प्रेशर का खतरा ज्यादा रहता है। अगर आपने अभी तक फादर्स डे का गिफ्ट नहीं खरीदा है तो आप फिटनेस गैजेट गिफ्ट कर सकते हैं। इन गैजेट की मदद से आप अपने पिता के स्वास्थ को मॉनिटर कर सकते हैं। ये गैजेट आपके पिता के स्वास्थ को बेहतर रखने में मदद भी करेंगे। चलिए जानते हैं इन गैजेट के बारे में.. पिता के महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए हर साल विश्वभर में फादर्स डे (father's day) मनाया जाता है। इस साल फादर्स डे 14 जून को मनाया जाएगा। अगर आपने अभी तक अपने पिता के लिए कोई भी गिफ्ट नहीं लिया है तो आप इन लास्ट मिनट गिफ्ट आईडिया की मदद से गिफ्ट चुन सकते हैं। चलिए जानते हैं क्या हैं ये गिफ्ट आईडिया...

भोजन करने संबंधी कुछ जरूरी नियम...

हिन्दू धर्म में भोजन के करते वक्त भोजन के सात्विकता के अलावा अच्छी भावना और अच्छे वातावरण और आसन का बहुत महत्व माना गया है। यदि भोजन के सभी नियमों का पालन किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता। हिन्दू धर्म अनुसार भोजन शुद्ध होना चाहिए, उससे भी शुद्ध जल होना चाहिए और सबसे शुद्ध वायु होना चाहिए। यदि यह तीनों शुद्ध है तो व्यक्ति कम से कम 100 वर्ष तो जिंदा रहेगा। आजो जानते हैं भोजन के कुछ खास नियम। हर व्यक्ति के जीवन में अच्छा समय भी आता है और बुरा समय भी। कई बार बुरे समय के आने के पहले ही हमें अहसास होने लगता है कि कोई होनी अनहोनी होने वाली है। हालांकि पारंपरिक विश्‍वास के आधार पर भी यह जाना जाता है कि बुरा वक्त कब आने वाला है। ऐसे 5 संकेत हैं जिससे यह जाना जा सकता है कि बुरा समय आने वाला है। इसे जानकर पहले ही सतर्क हो जाएं। हालांकि इसकी हम पुष्टि नहीं करते हैं। Amarnath Yatra 2023 : वर्ष 2023 में अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई 2023 से शुरू होने की संभावना है जोकि 31 अगस्त को समाप्त होगी। यदि आप भी अमरनाथ यात्रा करना चाहते हैं तो अमरनाथ यात्रा के पंजीकरण के लिए करीब 542 बैंक शाखाओं में 17 अप्रैल से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का काम शुरू हो गया है। यदि आप यात्रा की दुर्गमता को जानकर या रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण अमरनाथ यात्रा नहीं जा पा रह हैं तो यहां चले जाएं। शुभ विक्रम संवत्-2080, शक संवत्-1945, हिजरी सन्-1444, ईस्वी सन्-2023 संवत्सर नाम-पिंगल अयन-उत्तरायण मास-आषाढ़ पक्ष-कृष्ण ऋतु-ग्रीष्म वार-शनिवार तिथि (सूर्योदयकालीन)-सप्तमी नक्षत्र (सूर्योदयकालीन-शतभिषा योग (सूर्योदयकालीन)-विषकुम्भ करण (सूर्योदयकालीन)-वणिज लग्न (सूर्योदयकालीन)-वृषभ शुभ समय-प्रात:...

valmiki pics on plate public gives memorandum to Shimla DC hpvk, वाल्मीकी की तस्वीर वाले पत्तल पर परोसा मटन, शिमला विरोध में, सोलन में FIR

शिमला. खाने की पत्तल में महावीर वाल्मीकी (Valmiki) की तस्वीर छपने को लेकर शिमलावाल्मीकि समुदाय ने कम्पनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.आरोप है कि पत्तल में मटन भी परोसा जा रहा है. शिमला (Shimla) में वाल्मीकी समुदाय के लोगों ने डीसी शिमला अमित कश्यप को ज्ञापन सौंपा और कार्रवाई की मांग की है. वहीं, मामले में सोलन में केस भी दर्ज किया गया है. बाल्मीकि समुदाय के लोगों का कहना है कि सोलन की एक कंपनी द्वारा खाने की पत्तल में महावीर बाल्मीकि की तस्वीर छाप दी है, जो बाज़ारों में भी उपलब्ध हो गई है. इससे लोग बड़े बड़े समारोहों में इस्तेमाल करेंगे और इन्हीं पत्तलों रोटी खाकर इन्हें डस्टबीन में डालेंगे, जिससे उनकी आत्मा आहत होगी. क्या बोले प्रधान बाल्मीकि सभा के अध्यक्ष प्रीतपाल मट्टू का कहना है कि पत्तल में छपी तस्वीर महावीर बाल्मीकि की भावना को ठेस पहुंची है.इसका बाल्मीकि समाज विरोध करता है और उन्होंने इस मामले पर कंपनी के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है.उन्होंने कहा यदि प्रशासन और सरकार कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं करती है तो उसके खिलाफ सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा. सोलन में केस दर्ज सोलन वाल्मीकि वर्ग सुधार समिति ने प्रधान प्रेम चंद मट्टू ने कहा कि कागज़ की प्लेटों पर वाल्मीकि जी का चित्र दर्शाया गया था और उसे खाना परोसने के लिए उपयोग में लाया जा रहा था. यह रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि जी का यह निरादर है और वाल्मीकि वर्ग सुधार समिति इसका पुरजोर विरोध करती है. पुलिस चौकी पर दोषी व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है. . Tags: ,