पुलवामा हमला कब हुआ था

  1. DNA ANALYSIS: Pulwama attack
  2. फुलवा हमला कब हुआ था? – ElegantAnswer.com
  3. पुलवामा हमले के कितने गुनाहगार खत्म, कितने बाकी?
  4. विश्वसनीय ख़ुफ़िया जानकारियां होने के बावजूद हुआ था पुलवामा हमला: रिपोर्ट
  5. पुलवामा हमला : लापरवाही या षड्यंत्र
  6. फुलवा हमला कब हुआ था? – ElegantAnswer.com
  7. विश्वसनीय ख़ुफ़िया जानकारियां होने के बावजूद हुआ था पुलवामा हमला: रिपोर्ट
  8. पुलवामा हमला : लापरवाही या षड्यंत्र
  9. पुलवामा हमले के कितने गुनाहगार खत्म, कितने बाकी?
  10. DNA ANALYSIS: Pulwama attack


Download: पुलवामा हमला कब हुआ था
Size: 10.76 MB

DNA ANALYSIS: Pulwama attack

आज आपको ये जानना चाहिए कि 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में CRPF के जवानों पर हमला कैसे हुआ था? क्योंकि आप आज उस हमले को भूल गए होंगे. अब आपको ये याद नहीं होगा कि उस दिन कैसे हमारे देश के जवानों पर अचानक आतंकवादियों ने हमला कर दिया था और वैलेंटाइन्स डे मनाता देश अचानक से मातम में डूब गया था. एक Suicide Bomber ने विस्फोटक से भरी एक कार से जवानों की एक बस में टक्कर मार दी थी. इसके साथ ही एक भयानक विस्फोट हुआ. और CRPF की बस के टुकड़े टुकड़े हो गए. जिस बस पर हमला हुआ, उसमें CRPF की अलग अलग बटालियन के जवान सवार थे. बाद में जांच में ये भी पता चला कि हमले को अंजाम देने के लिए करीब 200 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था. ये धमाका इतना बड़ा था कि CRPF की बस का एक हिस्सा पास के एक गांव हजिबल में जाकर गिरा. CRPF के सभी जवान छुट्टियों से वापस आ रहे थे. बर्फबारी की वजह से पिछले तीन-चार दिनों से रास्ता बंद था और रास्ता जिस दिल खोला गया हमला उसी दिन हुआ था. जवानों को Bullet Proof Vehicle और फिर उनके बीच साधारण बसों में लाया जा रहा था. आत्मघाती हमलावर ने उस बस को निशाना बनाया, जो Bullet Proof नहीं थी. इस आत्मघाती हमलावर का नाम था आदिल अहमद डार आदिल जैश-ए- मोहम्मद का आतंकवादी था. आपमें से बहुत सारे लोगों को इस आतंकवादी का नाम भी शायद ही याद होगा. जैश-ए- मोहम्मद और उसके सरगना मसूद अज़हर का नाम भी आपने बार-बार सुना होगा. लेकिन क्या पुलवामा हमले में शहीद हुए CRPF के एक भी जवान का नाम आपको याद है? ये जवान छुट्टियों से वापस आ रहे थे. उन छुट्टियों से जो इन्हें सिर्फ कुछ दिनों के लिए नसीब होती है. इन छुट्टियों में ये अपने परिवार की मदद करते हैं, घर की मरम्मत कराते हैं, बूढ़े माता पि...

फुलवा हमला कब हुआ था? – ElegantAnswer.com

फुलवा हमला कब हुआ था? इसे सुनेंरोकें14 फरवरी 2019 को, जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारतीय सुरक्षा कर्मियों को ले जाने वाले सी०आर०पी०एफ० के वाहनों के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ, जिसमें 45 भारतीय सुरक्षा कर्मियों की जान गयी थी। यह हमला जम्मू और कश्मीर के पुलवामा ज़िले के अवन्तिपोरा के निकट लेथपोरा इलाके में हुआ था। पुलवामा में हमला कैसे हुआ था? इसे सुनेंरोकेंPulwama Terror Attack Investigation: जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को हुए आतंकी हमले को आज तीन साल पूरे हो गए हैं. उस हमले में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी आदिल अहमद डार ने 350 किलो विस्फोटक से भरी SUV बस से भिड़ा दी थी. इस हमले में सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के 40 जवान शहीद हो गए थे. 14 फरवरी को कितने लोग शहीद हुए थे? इसे सुनेंरोकेंक्योंकि आज के ही दिन पुलवामा हमले में देश के 40 जांबाज शहीद हो गए थे. आज पुलवामा अटैक की तीसरी बरसी है. आज जम्मू कश्मीर में हुए पुलवामा हमले (Pulwama Attack) की तीसरी बरसी है. 14 फरवरी 2019 को जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग से करीब 2500 जवानों को लेकर 78 बसों में सीआरपीएफ (CRPF) का काफिला गुजर रहा था. सर्जिकल स्ट्राइक कब हुआ 2019? इसे सुनेंरोकेंदिन मंगलवार, 26 फरवरी 2019. रात के करीब 3.00 बजे थे. जब IAF के 12 मिराज 2000 फाइटर जेट लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पार कर पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हुए और बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया. 2021 में कितने जवान शहीद हुए? इसे सुनेंरोकें2021 में अब तक 32 जवान शहीद: 137 आतंकी ढेर, जानिए जम्मू-कश्मीर में कब-कब हुए आतंकी हमले 2021 में कितने आतंकवादी मारे गए? इसे सुनेंरोकेंकश्मीर रेंज के पुलिस महानिद...

पुलवामा हमले के कितने गुनाहगार खत्म, कितने बाकी?

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले (Pulwama Attack) के बाद से ही आतंकियों के खिलाफ एक अभियान सा चलाया जा रहा है. आए दिन आतंकियों को मौत के घाट उतारा जा रहा है, जिनमें पुलवामा हमले के गुनहगार भी शामिल हैं. हाल ही में पुलवामा जिले के ट्राल इलाके में भी एक आतंकी को मौत के घाट उतार दिया गया है. इतना ही नहीं, उसके साथ दो अन्य आतंकी भी मारे गए हैं जो आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य थे. आपको बताते चलें कि पुलवामा हमले की जिम्मेदारी भी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ही ली है. मसूद अजहर का ये संगठन पाकिस्तान की धरती से ऑपरेट होता है और भारत में आतंक फैलाता है. 26 फरवरी को जैश-ए-मोहम्मद के ही एक आतंकी ठिकाने पर भारत ने एयर स्ट्राइक की थी, जो पाकिस्तान के बालाकोट में चलता था. उम्मीद जताई जा रही है कि उस एयर स्ट्राइक में करीब 300 आतंकी मारे गए हैं. भले ही बालाकोट कैंप में पल रहे आतंकियों को भारतीय वायुसेना ने मौत के घाट उतार दिया हो, लेकिन अभी भी पुलवामा आतंकी हमला कर के 46 सीआरपीएफ जवानों को शहीद करने वाले कई गुनहगार खुलेआम घूम रहे हैं. चलिए जानते हैं अब तक पुलवामा हमले के कितने गुनहगारों को खत्म कर दिया गया है और कितने अभी बाकी हैं. पुलवामा हमले के गुनहगारों को भारतीय सेना के जवान ढूंढ़-ढूंढ़ कर मार रहे हैं. सबसे पहले मरा आदिल डार आदिल डार वही शख्स है, जिसने पुलवामा हमला को अंजाम दिया. इसके लिए उसने करीब 300 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया, जिसे एक मारुति ईको गाड़ी में भरकर सेना के काफिले पर हमला किया गया. ये एक आत्मघाती हमला था, जिसमें सेना के 46 जवान तो शहीद हुए ही, आदिल डार खुद भी मारा गया. 20 वर्षीय आदिल डाल 2018 में आतंकी बना था, जो सबसे पहले मूसा के गजावत-अल-हिंद आतंकी...

विश्वसनीय ख़ुफ़िया जानकारियां होने के बावजूद हुआ था पुलवामा हमला: रिपोर्ट

फ्रंटलाइन पत्रिका की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2 जनवरी 2019 से 13 फरवरी 2019 तक मिली श्रृंखलाबद्ध ख़ुफ़िया जानकारियों पर अगर सुरक्षा एजेंसियों ने सफलतापूर्वक कार्रवाई की होती, तो पुलवामा आतंकी हमले को रोका जा सकता था. पुलवामा आतंकी हमले के बाद राहत एवं बचाव कार्य में लगे सुरक्षाकर्मी. (फाइल फोटो: पीटीआई) नई दिल्ली: साल 2019 के रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उपरोक्त समयावधि में कई खुफिया जानकारियां दी गईं, जिनमें दो सफल कार्रवाई की जानकारियां थीं और अगर उन पर कार्रवाई की जाती तो हमले को रोका जा सकता था. इंस्टिट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट के कार्यकारी निदेशक अजय साहनी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया, ‘यदि कोई खुफिया इनपुट खास है, मान लीजिए कि आतंकवादियों पर एक खुफिया इनपुट में उनके ठिकाने या उनकी पहचान या उसके किसी अन्य विवरण की जानकारी शामिल है, इसे कार्रवाई योग्य खुफिया (जानकारी) माना जाता है.’ घातक आतंकी हमले से पहले सुरक्षा अधिकारियों को जो खुफिया जानकारियां मिली थीं, नीचे उनकी सूची है: 2 जनवरी, 2019: एक खुफिया इनपुट ने पुलवामा के राजपुरा में अपने चार आतंकवादियों की हत्याओं का बदला लेने के लिए दक्षिण कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के किसास मिशन के बारे में एजेंसियों को सतर्क किया. यह पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), जम्मू कश्मीर, और पुलिस महानिरीक्षक, कश्मीर के साथ साझा किया गया था और किसास खतरे की सत्यता पर जोर दिया गया था. साधारण शब्दों में कहें तो किसास मिशन का मतलब सरकार ऑपरेशन ऑल आउट के जवाब में जैश द्वारा तैयार किए जा रहे जवाबी हमले से थी. ऑपरेशन ऑल आउट उग्रवाद पर लगाम लगाने के लिए सभी उग्रवादियों को मार गिराने की योजना है जो कश्मीर घाटी में साल 2017 में शुरू हुई थी. 3 जनव...

पुलवामा हमला : लापरवाही या षड्यंत्र

जब से जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का सनसनीखेज इंटरव्यू आया है तब से मानो टी.वी. चैनलों और अखबारों को सांप सूंघ गया है। गुलाब नबी आजाद के छोटे-बड़े आरोपों पर लंबे-लंबे कार्यक्रम चलाने वाले चैनलों के पास इस महाखुलासे पर चर्चा करने के लिए एक मिनट भी नहीं है। 15 अप्रैल के अखबारों में कहीं भी इस समाचार का जिक्र तक नहीं था। यह बताना जरूरी है कि जब 14 फरवरी 2019 को पुलवामा का हादसा हुआ उस समय सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। उन्होंने हाल ही में पहले प्रकाश टंडन और फिर करण थापर को दिए इंटरव्यू में खुलासा किया कि यह हादसा सरकार की गलती की वजह से हुआ। उन्होंने प्रधानमंत्री को उसी दिन यह बताया कि यह हादसा हमारी गलती से हुआ है और इसे टाला जा सकता था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने और फिर अजित डोभाल ने उन्हें इस बारे में चुप रहने को कहा। यह जरूरी नहीं कि इस इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने जो कुछ कहा उसे ब्रह्मवाक्य की तरह सच मान लिया जाए। यह कोई छुपी बात नहीं है कि कश्मीर के राज्यपाल होते हुए सत्यपाल मलिक की प्रधानमंत्री से कुछ अनबन हो गई थी और वह पिछले कुछ वक्त से नाराज चल रहे हैं। ऐसे में उनके आरोप में किसी द्वेष या खुंदक के चलते अतिशयोक्ति या मिथ्या कथा की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। अगर इस इंटरव्यू के बाद राष्ट्रीय मीडिया सत्यपाल मलिक से जिरह करता, उनके हर दावे की पुष्टि करता और अगर उनसे कोई गलत बयानी हुई है उसकी आलोचना करता तो वह सर्वथा उचित होता। लेकिन इस मुद्दे पर सन्नाटे से तो यही आभास होता है कि मीडिया को फोन करके धमकाया गया है कि खबरदार इस खबर को हाथ नहीं लगाना है। इस प्रायोजित सन्नाटे से तो इंटरव्यू के खुलासों का वजन और भी बढ़ जाता है। लेकिन...

फुलवा हमला कब हुआ था? – ElegantAnswer.com

फुलवा हमला कब हुआ था? इसे सुनेंरोकें14 फरवरी 2019 को, जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारतीय सुरक्षा कर्मियों को ले जाने वाले सी०आर०पी०एफ० के वाहनों के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ, जिसमें 45 भारतीय सुरक्षा कर्मियों की जान गयी थी। यह हमला जम्मू और कश्मीर के पुलवामा ज़िले के अवन्तिपोरा के निकट लेथपोरा इलाके में हुआ था। पुलवामा में हमला कैसे हुआ था? इसे सुनेंरोकेंPulwama Terror Attack Investigation: जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को हुए आतंकी हमले को आज तीन साल पूरे हो गए हैं. उस हमले में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी आदिल अहमद डार ने 350 किलो विस्फोटक से भरी SUV बस से भिड़ा दी थी. इस हमले में सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के 40 जवान शहीद हो गए थे. 14 फरवरी को कितने लोग शहीद हुए थे? इसे सुनेंरोकेंक्योंकि आज के ही दिन पुलवामा हमले में देश के 40 जांबाज शहीद हो गए थे. आज पुलवामा अटैक की तीसरी बरसी है. आज जम्मू कश्मीर में हुए पुलवामा हमले (Pulwama Attack) की तीसरी बरसी है. 14 फरवरी 2019 को जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग से करीब 2500 जवानों को लेकर 78 बसों में सीआरपीएफ (CRPF) का काफिला गुजर रहा था. सर्जिकल स्ट्राइक कब हुआ 2019? इसे सुनेंरोकेंदिन मंगलवार, 26 फरवरी 2019. रात के करीब 3.00 बजे थे. जब IAF के 12 मिराज 2000 फाइटर जेट लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पार कर पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हुए और बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया. 2021 में कितने जवान शहीद हुए? इसे सुनेंरोकें2021 में अब तक 32 जवान शहीद: 137 आतंकी ढेर, जानिए जम्मू-कश्मीर में कब-कब हुए आतंकी हमले 2021 में कितने आतंकवादी मारे गए? इसे सुनेंरोकेंकश्मीर रेंज के पुलिस महानिद...

विश्वसनीय ख़ुफ़िया जानकारियां होने के बावजूद हुआ था पुलवामा हमला: रिपोर्ट

फ्रंटलाइन पत्रिका की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2 जनवरी 2019 से 13 फरवरी 2019 तक मिली श्रृंखलाबद्ध ख़ुफ़िया जानकारियों पर अगर सुरक्षा एजेंसियों ने सफलतापूर्वक कार्रवाई की होती, तो पुलवामा आतंकी हमले को रोका जा सकता था. पुलवामा आतंकी हमले के बाद राहत एवं बचाव कार्य में लगे सुरक्षाकर्मी. (फाइल फोटो: पीटीआई) नई दिल्ली: साल 2019 के रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उपरोक्त समयावधि में कई खुफिया जानकारियां दी गईं, जिनमें दो सफल कार्रवाई की जानकारियां थीं और अगर उन पर कार्रवाई की जाती तो हमले को रोका जा सकता था. इंस्टिट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट के कार्यकारी निदेशक अजय साहनी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया, ‘यदि कोई खुफिया इनपुट खास है, मान लीजिए कि आतंकवादियों पर एक खुफिया इनपुट में उनके ठिकाने या उनकी पहचान या उसके किसी अन्य विवरण की जानकारी शामिल है, इसे कार्रवाई योग्य खुफिया (जानकारी) माना जाता है.’ घातक आतंकी हमले से पहले सुरक्षा अधिकारियों को जो खुफिया जानकारियां मिली थीं, नीचे उनकी सूची है: 2 जनवरी, 2019: एक खुफिया इनपुट ने पुलवामा के राजपुरा में अपने चार आतंकवादियों की हत्याओं का बदला लेने के लिए दक्षिण कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के किसास मिशन के बारे में एजेंसियों को सतर्क किया. यह पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), जम्मू कश्मीर, और पुलिस महानिरीक्षक, कश्मीर के साथ साझा किया गया था और किसास खतरे की सत्यता पर जोर दिया गया था. साधारण शब्दों में कहें तो किसास मिशन का मतलब सरकार ऑपरेशन ऑल आउट के जवाब में जैश द्वारा तैयार किए जा रहे जवाबी हमले से थी. ऑपरेशन ऑल आउट उग्रवाद पर लगाम लगाने के लिए सभी उग्रवादियों को मार गिराने की योजना है जो कश्मीर घाटी में साल 2017 में शुरू हुई थी. 3 जनव...

पुलवामा हमला : लापरवाही या षड्यंत्र

जब से जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का सनसनीखेज इंटरव्यू आया है तब से मानो टी.वी. चैनलों और अखबारों को सांप सूंघ गया है। गुलाब नबी आजाद के छोटे-बड़े आरोपों पर लंबे-लंबे कार्यक्रम चलाने वाले चैनलों के पास इस महाखुलासे पर चर्चा करने के लिए एक मिनट भी नहीं है। 15 अप्रैल के अखबारों में कहीं भी इस समाचार का जिक्र तक नहीं था। यह बताना जरूरी है कि जब 14 फरवरी 2019 को पुलवामा का हादसा हुआ उस समय सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। उन्होंने हाल ही में पहले प्रकाश टंडन और फिर करण थापर को दिए इंटरव्यू में खुलासा किया कि यह हादसा सरकार की गलती की वजह से हुआ। उन्होंने प्रधानमंत्री को उसी दिन यह बताया कि यह हादसा हमारी गलती से हुआ है और इसे टाला जा सकता था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने और फिर अजित डोभाल ने उन्हें इस बारे में चुप रहने को कहा। यह जरूरी नहीं कि इस इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने जो कुछ कहा उसे ब्रह्मवाक्य की तरह सच मान लिया जाए। यह कोई छुपी बात नहीं है कि कश्मीर के राज्यपाल होते हुए सत्यपाल मलिक की प्रधानमंत्री से कुछ अनबन हो गई थी और वह पिछले कुछ वक्त से नाराज चल रहे हैं। ऐसे में उनके आरोप में किसी द्वेष या खुंदक के चलते अतिशयोक्ति या मिथ्या कथा की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। अगर इस इंटरव्यू के बाद राष्ट्रीय मीडिया सत्यपाल मलिक से जिरह करता, उनके हर दावे की पुष्टि करता और अगर उनसे कोई गलत बयानी हुई है उसकी आलोचना करता तो वह सर्वथा उचित होता। लेकिन इस मुद्दे पर सन्नाटे से तो यही आभास होता है कि मीडिया को फोन करके धमकाया गया है कि खबरदार इस खबर को हाथ नहीं लगाना है। इस प्रायोजित सन्नाटे से तो इंटरव्यू के खुलासों का वजन और भी बढ़ जाता है। लेकिन...

पुलवामा हमले के कितने गुनाहगार खत्म, कितने बाकी?

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले (Pulwama Attack) के बाद से ही आतंकियों के खिलाफ एक अभियान सा चलाया जा रहा है. आए दिन आतंकियों को मौत के घाट उतारा जा रहा है, जिनमें पुलवामा हमले के गुनहगार भी शामिल हैं. हाल ही में पुलवामा जिले के ट्राल इलाके में भी एक आतंकी को मौत के घाट उतार दिया गया है. इतना ही नहीं, उसके साथ दो अन्य आतंकी भी मारे गए हैं जो आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य थे. आपको बताते चलें कि पुलवामा हमले की जिम्मेदारी भी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ही ली है. मसूद अजहर का ये संगठन पाकिस्तान की धरती से ऑपरेट होता है और भारत में आतंक फैलाता है. 26 फरवरी को जैश-ए-मोहम्मद के ही एक आतंकी ठिकाने पर भारत ने एयर स्ट्राइक की थी, जो पाकिस्तान के बालाकोट में चलता था. उम्मीद जताई जा रही है कि उस एयर स्ट्राइक में करीब 300 आतंकी मारे गए हैं. भले ही बालाकोट कैंप में पल रहे आतंकियों को भारतीय वायुसेना ने मौत के घाट उतार दिया हो, लेकिन अभी भी पुलवामा आतंकी हमला कर के 46 सीआरपीएफ जवानों को शहीद करने वाले कई गुनहगार खुलेआम घूम रहे हैं. चलिए जानते हैं अब तक पुलवामा हमले के कितने गुनहगारों को खत्म कर दिया गया है और कितने अभी बाकी हैं. पुलवामा हमले के गुनहगारों को भारतीय सेना के जवान ढूंढ़-ढूंढ़ कर मार रहे हैं. सबसे पहले मरा आदिल डार आदिल डार वही शख्स है, जिसने पुलवामा हमला को अंजाम दिया. इसके लिए उसने करीब 300 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया, जिसे एक मारुति ईको गाड़ी में भरकर सेना के काफिले पर हमला किया गया. ये एक आत्मघाती हमला था, जिसमें सेना के 46 जवान तो शहीद हुए ही, आदिल डार खुद भी मारा गया. 20 वर्षीय आदिल डाल 2018 में आतंकी बना था, जो सबसे पहले मूसा के गजावत-अल-हिंद आतंकी...

DNA ANALYSIS: Pulwama attack

आज आपको ये जानना चाहिए कि 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में CRPF के जवानों पर हमला कैसे हुआ था? क्योंकि आप आज उस हमले को भूल गए होंगे. अब आपको ये याद नहीं होगा कि उस दिन कैसे हमारे देश के जवानों पर अचानक आतंकवादियों ने हमला कर दिया था और वैलेंटाइन्स डे मनाता देश अचानक से मातम में डूब गया था. एक Suicide Bomber ने विस्फोटक से भरी एक कार से जवानों की एक बस में टक्कर मार दी थी. इसके साथ ही एक भयानक विस्फोट हुआ. और CRPF की बस के टुकड़े टुकड़े हो गए. जिस बस पर हमला हुआ, उसमें CRPF की अलग अलग बटालियन के जवान सवार थे. बाद में जांच में ये भी पता चला कि हमले को अंजाम देने के लिए करीब 200 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था. ये धमाका इतना बड़ा था कि CRPF की बस का एक हिस्सा पास के एक गांव हजिबल में जाकर गिरा. CRPF के सभी जवान छुट्टियों से वापस आ रहे थे. बर्फबारी की वजह से पिछले तीन-चार दिनों से रास्ता बंद था और रास्ता जिस दिल खोला गया हमला उसी दिन हुआ था. जवानों को Bullet Proof Vehicle और फिर उनके बीच साधारण बसों में लाया जा रहा था. आत्मघाती हमलावर ने उस बस को निशाना बनाया, जो Bullet Proof नहीं थी. इस आत्मघाती हमलावर का नाम था आदिल अहमद डार आदिल जैश-ए- मोहम्मद का आतंकवादी था. आपमें से बहुत सारे लोगों को इस आतंकवादी का नाम भी शायद ही याद होगा. जैश-ए- मोहम्मद और उसके सरगना मसूद अज़हर का नाम भी आपने बार-बार सुना होगा. लेकिन क्या पुलवामा हमले में शहीद हुए CRPF के एक भी जवान का नाम आपको याद है? ये जवान छुट्टियों से वापस आ रहे थे. उन छुट्टियों से जो इन्हें सिर्फ कुछ दिनों के लिए नसीब होती है. इन छुट्टियों में ये अपने परिवार की मदद करते हैं, घर की मरम्मत कराते हैं, बूढ़े माता पि...