पुरा महादेव

  1. पुरमहादेव मंदिर
  2. Many temples including Pura Mahadev Trilok Tirtha Dham remained closed
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पुरमहादेव मंदिर

महत्वपूर्ण जानकारी • स्थान: कल्याणपुर पुरा रोड, पुरा, उत्तर प्रदेश 250606। • खुलने और बंद होने का समय: सुबह 06:00 बजे से शाम 08:00 बजे तक पुरामहादेव एक हिन्दू मंदिर है जो कि पुर्णःतय भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश बागपत जिले से 30 किलोमीटर और मेरठ से 36 किलोमीटर दूर बालौनी कस्बे के पुरा गांव में स्थित है। यह भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है। जो शिवभक्तों का श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर एक प्राचीन सिद्धपीठ है। पुरामहादेव मंदिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रसिद्ध मंदिर है या ऐसा कहा जा सकता है यह मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। पुरामहादेव मंदिर कि ऐसी मान्यता है कि लाखों शिवभक्त श्रावण और फाल्गुन के माह में पैदल ही हरिद्वार से कांवड़ में गंगा का पवित्र जल लाकर परशुरामेश्वर महादेव का अभिषेक करते हैं। ऐसा करने से शिवभक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है। ऐसा कहा जाता है कि पुरामहादेव लिंग पर जल चढ़ाने से परशुराम प्रसन्न होते है। वर्तमान में पुरामहादेव मंदिर है कभी बहुत पहले यहाँ पर कजरी वन हुआ करता था। इसी वन में जमदग्नि ऋषि अपनी पत्नी रेणुका सहित अपने आश्रम में रहते थे। रेणुका प्रतिदिन कच्चा घड़ा बनाकर हिंडन नदी नदी से जल भर कर लाती थी। वह जल शिव को अर्पण किया करती थी। हिंडन नदी, जिसे पुराणों में पंचतीर्थी कहा गया है और हरनन्दी नदी के नाम से भी विख्यात है। इतिहास रीमद्भागवत में दृष्टान्त है कि गन्धर्वराज चित्ररथ को अप्सराओं के साथ विहार करता देख हवन हेतु नदी तट पर जल लेने गई रेणुका आसक्त हो गयी और कुछ देर तक वहीं रुक गयीं। हवन काल व्यतीत हो जाने से क्रुद्ध मुनि जमदग्नि ने अपनी पत्नी के आर्य मर्यादा व...

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मंदिर में रोजाना पूजा अर्चना करने वाले श्रद्धालुजनों को घरों में ही पूजा-अर्चना कर भगवान से इस बीमारी से बचाव की प्रार्थना की। इसके अलावा धर्मनगरी बड़ागांव का त्रिलोक तीर्थ धाम, डूंडाहेड़ा का बालाजी आश्रम, बड़ागांव का प्राचीन मां मनसा देवी मंदिर, खेकड़ा का बाबा काले सिंह मंदिर, बड़ा गांव का अद्वैत तपस्वी आश्रम, रटौल का शिव मंदिर, पूरनपुर नवादा का दाती महाराज मंदिर और बागपत में पक्का घाट मंदिर का भी कपाट बंद रहा। महामंडलेश्वर भैया दास ने बताया की बालाजी आश्रम में भी रविवार को श्रद्धालु दर्शनों को नहीं पहुंचे।

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मंदिर में रोजाना पूजा अर्चना करने वाले श्रद्धालुजनों को घरों में ही पूजा-अर्चना कर भगवान से इस बीमारी से बचाव की प्रार्थना की। इसके अलावा धर्मनगरी बड़ागांव का त्रिलोक तीर्थ धाम, डूंडाहेड़ा का बालाजी आश्रम, बड़ागांव का प्राचीन मां मनसा देवी मंदिर, खेकड़ा का बाबा काले सिंह मंदिर, बड़ा गांव का अद्वैत तपस्वी आश्रम, रटौल का शिव मंदिर, पूरनपुर नवादा का दाती महाराज मंदिर और बागपत में पक्का घाट मंदिर का भी कपाट बंद रहा। महामंडलेश्वर भैया दास ने बताया की बालाजी आश्रम में भी रविवार को श्रद्धालु दर्शनों को नहीं पहुंचे।

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महत्वपूर्ण जानकारी • स्थान: कल्याणपुर पुरा रोड, पुरा, उत्तर प्रदेश 250606। • खुलने और बंद होने का समय: सुबह 06:00 बजे से शाम 08:00 बजे तक पुरामहादेव एक हिन्दू मंदिर है जो कि पुर्णःतय भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश बागपत जिले से 30 किलोमीटर और मेरठ से 36 किलोमीटर दूर बालौनी कस्बे के पुरा गांव में स्थित है। यह भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है। जो शिवभक्तों का श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर एक प्राचीन सिद्धपीठ है। पुरामहादेव मंदिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रसिद्ध मंदिर है या ऐसा कहा जा सकता है यह मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। पुरामहादेव मंदिर कि ऐसी मान्यता है कि लाखों शिवभक्त श्रावण और फाल्गुन के माह में पैदल ही हरिद्वार से कांवड़ में गंगा का पवित्र जल लाकर परशुरामेश्वर महादेव का अभिषेक करते हैं। ऐसा करने से शिवभक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है। ऐसा कहा जाता है कि पुरामहादेव लिंग पर जल चढ़ाने से परशुराम प्रसन्न होते है। वर्तमान में पुरामहादेव मंदिर है कभी बहुत पहले यहाँ पर कजरी वन हुआ करता था। इसी वन में जमदग्नि ऋषि अपनी पत्नी रेणुका सहित अपने आश्रम में रहते थे। रेणुका प्रतिदिन कच्चा घड़ा बनाकर हिंडन नदी नदी से जल भर कर लाती थी। वह जल शिव को अर्पण किया करती थी। हिंडन नदी, जिसे पुराणों में पंचतीर्थी कहा गया है और हरनन्दी नदी के नाम से भी विख्यात है। इतिहास रीमद्भागवत में दृष्टान्त है कि गन्धर्वराज चित्ररथ को अप्सराओं के साथ विहार करता देख हवन हेतु नदी तट पर जल लेने गई रेणुका आसक्त हो गयी और कुछ देर तक वहीं रुक गयीं। हवन काल व्यतीत हो जाने से क्रुद्ध मुनि जमदग्नि ने अपनी पत्नी के आर्य मर्यादा व...

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मंदिर में रोजाना पूजा अर्चना करने वाले श्रद्धालुजनों को घरों में ही पूजा-अर्चना कर भगवान से इस बीमारी से बचाव की प्रार्थना की। इसके अलावा धर्मनगरी बड़ागांव का त्रिलोक तीर्थ धाम, डूंडाहेड़ा का बालाजी आश्रम, बड़ागांव का प्राचीन मां मनसा देवी मंदिर, खेकड़ा का बाबा काले सिंह मंदिर, बड़ा गांव का अद्वैत तपस्वी आश्रम, रटौल का शिव मंदिर, पूरनपुर नवादा का दाती महाराज मंदिर और बागपत में पक्का घाट मंदिर का भी कपाट बंद रहा। महामंडलेश्वर भैया दास ने बताया की बालाजी आश्रम में भी रविवार को श्रद्धालु दर्शनों को नहीं पहुंचे।

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महत्वपूर्ण जानकारी • स्थान: कल्याणपुर पुरा रोड, पुरा, उत्तर प्रदेश 250606। • खुलने और बंद होने का समय: सुबह 06:00 बजे से शाम 08:00 बजे तक पुरामहादेव एक हिन्दू मंदिर है जो कि पुर्णःतय भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश बागपत जिले से 30 किलोमीटर और मेरठ से 36 किलोमीटर दूर बालौनी कस्बे के पुरा गांव में स्थित है। यह भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है। जो शिवभक्तों का श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर एक प्राचीन सिद्धपीठ है। पुरामहादेव मंदिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रसिद्ध मंदिर है या ऐसा कहा जा सकता है यह मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। पुरामहादेव मंदिर कि ऐसी मान्यता है कि लाखों शिवभक्त श्रावण और फाल्गुन के माह में पैदल ही हरिद्वार से कांवड़ में गंगा का पवित्र जल लाकर परशुरामेश्वर महादेव का अभिषेक करते हैं। ऐसा करने से शिवभक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है। ऐसा कहा जाता है कि पुरामहादेव लिंग पर जल चढ़ाने से परशुराम प्रसन्न होते है। वर्तमान में पुरामहादेव मंदिर है कभी बहुत पहले यहाँ पर कजरी वन हुआ करता था। इसी वन में जमदग्नि ऋषि अपनी पत्नी रेणुका सहित अपने आश्रम में रहते थे। रेणुका प्रतिदिन कच्चा घड़ा बनाकर हिंडन नदी नदी से जल भर कर लाती थी। वह जल शिव को अर्पण किया करती थी। हिंडन नदी, जिसे पुराणों में पंचतीर्थी कहा गया है और हरनन्दी नदी के नाम से भी विख्यात है। इतिहास रीमद्भागवत में दृष्टान्त है कि गन्धर्वराज चित्ररथ को अप्सराओं के साथ विहार करता देख हवन हेतु नदी तट पर जल लेने गई रेणुका आसक्त हो गयी और कुछ देर तक वहीं रुक गयीं। हवन काल व्यतीत हो जाने से क्रुद्ध मुनि जमदग्नि ने अपनी पत्नी के आर्य मर्यादा व...

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महत्वपूर्ण जानकारी • स्थान: कल्याणपुर पुरा रोड, पुरा, उत्तर प्रदेश 250606। • खुलने और बंद होने का समय: सुबह 06:00 बजे से शाम 08:00 बजे तक पुरामहादेव एक हिन्दू मंदिर है जो कि पुर्णःतय भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश बागपत जिले से 30 किलोमीटर और मेरठ से 36 किलोमीटर दूर बालौनी कस्बे के पुरा गांव में स्थित है। यह भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है। जो शिवभक्तों का श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर एक प्राचीन सिद्धपीठ है। पुरामहादेव मंदिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रसिद्ध मंदिर है या ऐसा कहा जा सकता है यह मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। पुरामहादेव मंदिर कि ऐसी मान्यता है कि लाखों शिवभक्त श्रावण और फाल्गुन के माह में पैदल ही हरिद्वार से कांवड़ में गंगा का पवित्र जल लाकर परशुरामेश्वर महादेव का अभिषेक करते हैं। ऐसा करने से शिवभक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है। ऐसा कहा जाता है कि पुरामहादेव लिंग पर जल चढ़ाने से परशुराम प्रसन्न होते है। वर्तमान में पुरामहादेव मंदिर है कभी बहुत पहले यहाँ पर कजरी वन हुआ करता था। इसी वन में जमदग्नि ऋषि अपनी पत्नी रेणुका सहित अपने आश्रम में रहते थे। रेणुका प्रतिदिन कच्चा घड़ा बनाकर हिंडन नदी नदी से जल भर कर लाती थी। वह जल शिव को अर्पण किया करती थी। हिंडन नदी, जिसे पुराणों में पंचतीर्थी कहा गया है और हरनन्दी नदी के नाम से भी विख्यात है। इतिहास रीमद्भागवत में दृष्टान्त है कि गन्धर्वराज चित्ररथ को अप्सराओं के साथ विहार करता देख हवन हेतु नदी तट पर जल लेने गई रेणुका आसक्त हो गयी और कुछ देर तक वहीं रुक गयीं। हवन काल व्यतीत हो जाने से क्रुद्ध मुनि जमदग्नि ने अपनी पत्नी के आर्य मर्यादा व...

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मंदिर में रोजाना पूजा अर्चना करने वाले श्रद्धालुजनों को घरों में ही पूजा-अर्चना कर भगवान से इस बीमारी से बचाव की प्रार्थना की। इसके अलावा धर्मनगरी बड़ागांव का त्रिलोक तीर्थ धाम, डूंडाहेड़ा का बालाजी आश्रम, बड़ागांव का प्राचीन मां मनसा देवी मंदिर, खेकड़ा का बाबा काले सिंह मंदिर, बड़ा गांव का अद्वैत तपस्वी आश्रम, रटौल का शिव मंदिर, पूरनपुर नवादा का दाती महाराज मंदिर और बागपत में पक्का घाट मंदिर का भी कपाट बंद रहा। महामंडलेश्वर भैया दास ने बताया की बालाजी आश्रम में भी रविवार को श्रद्धालु दर्शनों को नहीं पहुंचे।