पुत्र

  1. संवाद लेखन की परिभाषा, उदाहरण ( Samvad lekhan )
  2. भगवान सुर्य का परिवार
  3. पुत्र शब्द के रूप (Putr Ke Shabd Roop)
  4. भगवान शिव के थे 8 पुत्र, जानिए कौन
  5. Boy
  6. The Son (TV series)
  7. " पुत्र


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संवाद लेखन की परिभाषा, उदाहरण ( Samvad lekhan )

प्रस्तुत लेख में संवाद लेखन ( Samvad lekhan, Dialogue writing in Hindi ) की परिभाषा, उदाहरण, महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर सहित सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध है। संवाद लेखन व्याकरण का अंग है, यह अधिकतर कक्षा दसवीं तक की परीक्षाओं में प्रश्न के रूप में पूछा जाता है। सबसे पहले हम संवाद लेखन की परिभाषा को समझेंगे और उसके बाद कुछ महत्वपूर्ण बातों को सीखेंगे। तत्पश्चात बहुत सारे उदाहरण पढ़ेंगे जो आपको परीक्षा के अनुरूप पढ़ाया जाएगा। संवाद लेखन की परिभाषा परिभाषा :- दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच की बातचीत को वार्तालाप या कथोपकथन कहते हैं। वार्तालाप में संवादों का विशिष्ट महत्व होता है। संवादों के द्वारा वार्तालाप और अधिक आकर्षक बन जाता है। संवाद ही वार्तालाप को व्यवस्थित तथा आकर्षक बनाते हैं। संवाद लिखते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए :- • संवाद की भाषा शैली सरल होनी चाहिए। • छोटे व रुचिकर होने चाहिए। • संवाद पात्रों के अनुकूल होने चाहिए। • संवादों की स्वाभाविकता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। • संवाद जीवंत होने चाहिए। • संवाद विषय अनुकूल होने से रोचकता बनी रहती है। दो दोस्तों के बीच पढ़ाई को लेकर संवाद लेखन प्रदीप – कैसे हो दोस्त ? सुरेश – मैं ठीक हूं , तुम कैसे हो ? प्रदीप – पढ़ाई कैसी चल रही है ? सुरेश – मेरी पढ़ाई तो बहुत बढ़िया हो रही है ! तुम्हारी पढ़ाई कैसी हो रही है? प्रदीप – मेरी भी पढ़ाई ठीक चल रही है , बस कुछ विषय में दिक्कत है ! सुरेश – किस विषय में दिक्कत है ? प्रदीप – अर्थशास्त्र में चक्रवृद्धि ब्याज समझ नहीं आ रहा। सुरेश – वह तो बहुत आसान है छोटा सा ट्रिक है। प्रदीप – क्या तुम मुझे समझा सकते हो ? सुरेश – क्यों नहीं तुम जो मेरे मित्र हो। प्रदीप – कब समय दे सकते ...

भगवान सुर्य का परिवार

विश्वकर्मा (त्वष्टा) – की पुत्री संज्ञा (त्वाष्ट्री) – से जब सूर्य का विवाह हुआ तब अपनी प्रथम तीन सन्तानों वैवस्वत मनु, यम तथा यमी (यमुना) – की उत्पत्ति के बाद उनके तेज को न सह सकने के कारण संज्ञा अपने ही रूप-आकृति तथा वर्णवाली अपनी छाया को वहाँ स्थापित कर अपने पिता के घर होती हुई ‘उत्तरकुरु’ में जाकर छिपकर वडवा (अश्वा) – का रूप धारण कर अपनी शक्त्ति वृद्धि के लिये कठोर तप करने लगी। इधर सूर्य ने छाया को ही पत्नी समझ तथा उसमें उन्हें सावर्णि मनु, शनि, तपती, तथा विष्टि (भद्रा) – ये चार सन्तानें हुईं। जिन्हें वह अधिक प्यार करती, किन्तु संज्ञा की सन्तानों वैवस्वत मनु तथा यम एवं यमी का निरन्तर तिरस्कार करती रहती। माता छाया के तिरस्कार से दुःखी होकर एक दिन यम ने पिता सूर्य से कहा – तात! यह छाया हम लोगों की माता नहीं हो सकती; कयोंकि यह हमारी सदा उपेक्षा, ताड़न करती है और सावर्णि मनु आदि को अधिक प्यार करती है। यहाँ तक कि उसने मुझे शाप भी दे डाला है। सन्तान माता का कितना ही अनिष्ट करे, किन्तु वह अपनी सन्तान को कभी शाप नहीं दे सकती। यम की बातें सुनकर कुपित हुये सूर्य ने छाया से ऐसे व्यवहार का कारण पूछा और कहा – सच-सच बताओ तुम कौन हो ? यह सुनकर छाया भयभीत हो गयी और उसने सारा रहस्य प्रकट कर दिया कि मैं संज्ञा नहीं, बल्कि उसकी छाया हूँ। सूर्य तत्काल संज्ञा को खोजते हुये विश्वकर्मा के घर पहुँचे। उन्होंने बताया कि भगवान् ! आपका तेज सहन न कर सकने के कारण संज्ञा अश्वा (घोड़ी) – का रूप धारण कर उत्तरकुरु में तपस्या कर रही है। तब विश्वकर्मा ने सूर्य की इच्छा पर उनके तेज को खरादकर कम कर दिया। अब सौम्य शक्त्ति से सम्पन्न भगवान् सूर्य अश्वरूप से वडवा (संज्ञा-अश्विनी)- के पास उससे मिले। वडवा ने पर...

पुत्र शब्द के रूप (Putr Ke Shabd Roop)

Putr Shabd पुत्र शब्द (Son, बेटा, पुत्र, वंशज, पुत्रक, वंशधर, कुमार): पुत्र शब्द के अकारान्त पुल्लिंग शब्द के शब्द रूप, पुत्र (Putr) शब्द के अंत में “अ” का प्रयोग हुआ इसलिए यह अकारान्त हैं। अतः Putr Shabd के Shabd Roop की तरह पुत्र जैसे सभी अकारान्त पुल्लिंग शब्दों के शब्द रूप ( पुत्र के शब्द रूप – Shabd roop of Putr विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथमा पुत्रः पुत्रौ पुत्राः द्वितीया पुत्रम् पुत्रौ पुत्रान् तृतीया पुत्रेण पुत्राभ्याम् पुत्रैः चतुर्थी पुत्राय पुत्राभ्याम् पुत्रेभ्यः पंचमी पुत्रात् पुत्राभ्याम् पुत्रेभ्यः षष्ठी पुत्रस्य पुत्रयोः पुत्राणाम् सप्तमी पुत्रे पुत्रयोः पुत्रेषु सम्बोधन हे पुत्र ! हे पुत्रौ ! हे पुत्राः ! पुत्र शब्द का अर्थ/मतलब पुत्र शब्द का अर्थ Son, बेटा, पुत्र, वंशज, पुत्रक, वंशधर, कुमार होता है। पुत्र शब्द अकारान्त शब्द है इसका मतलब भी ‘Son, बेटा, पुत्र, वंशज, पुत्रक, वंशधर, कुमार’ होता है। 1. लड़का । बेटा । विशेष—’पुत्र’ शब्द की व्युत्पत्ति के लिये यह कल्पना की गई है कि जो पुन्नाम [‘पुत्’ नाम] नरक से उद्धार करे उसकी संज्ञा पुत्र है । पर यह व्यत्पत्ति कल्पित है । मनु ने बारह प्रकार के पुत्र कहै हैं—औरस, क्षेत्रज, दत्तक, कृत्रिम्, गूढ़ोत्पन्न, अपविद्ध, कानीन, सहोढ, क्रीत, पौनर्भव, स्वयंदत्त और शौद्घ । • विवाहिता सवर्णा स्त्री के गर्भ से जिसकी उत्पत्ति हुई हो वह ‘औरस’ कहलाता है । औरस ही सबसे श्रेष्ठ और मुख्य पुत्र है । • मृत, नपुंसक आदि की स्त्री देवर आदि से नियोग द्वारा जो पुत्र उत्पन्न करे वह ‘क्षेत्रज’ है । • गोद लिया हुआ पुत्र ‘दत्तक’ कहलाता है । • किसी पुत्र गुणों से युक्त व्यक्ति को यदि कोई अपने पुत्र के स्थान पर नियत करे तो वह ‘कृत्रिम’ पुत...

भगवान शिव के थे 8 पुत्र, जानिए कौन

आपने भगवान विष्णु के पुत्रों के नाम पढ़े होंगे। नहीं पढ़ें तो अब पढ़ लें- आनंद, कर्दम, श्रीद और चिक्लीत। विष्णु ने ब्रह्मा के पुत्र भृगु की पुत्री लक्ष्मी से विवाह किया था। शिव ने ब्रह्मा के पुत्र दक्ष की कन्या सती से विवाह किया था, लेकिन सती तो दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर भस्म हो गई थी। उनका तो कोई पुत्र या पुत्री नहीं थी। तब कैसे जन्मे शिव के पुत्र? गणेश : भगवान शिव की पहली पत्नी सती थीं, जो आग में जलकर भस्म हो गई थीं। उन्हीं सती ने जब दूसरा जन्म पार्वती के रूप में लिया तब उन्होंने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए तपस्या की। शिवजी ने प्रसन्न होकर उनकी मनोकामना पूर्ण की और उनसे विवाह किया। पुराणों में गणेशजी की उत्पत्ति की विरोधाभासी कथाएं मिलती हैं। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेशजी का जन्म हुआ था। दूसरी कथा के अनुसार गणेश को द्वार पर बिठाकर पार्वतीजी स्नान करने लगीं। इतने में शिव आए और पार्वती के भवन में प्रवेश करने लगे। गणेश ने जब उन्हें रोका तो क्रुद्ध शिव ने उनका सिर काट दिया। इन गणेश की उत्पत्ति पार्वतीजी ने चंदन के मिश्रण से की थी। जब पार्वतीजी ने देखा कि उनके बेटे का सिर काट दिया गया तो वे क्रोधित हो उठीं। उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर गणेशजी के सिर पर लगा दिया और वह जी उठा। कार्तिकेय : शिव के दूसरे पुत्र कार्तिकेय को सुब्रमण्यम, मुरुगन और स्कंद भी कहा जाता है। उनके जन्म की कथा भी विचित्र है। कार्तिकेय की पूजा मुख्यत: दक्षिण भारत में होती है। अरब में यजीदी जाति के लोग भी इन्हें पूजते हैं, ये उनके प्रमुख देवता हैं। उत्तरी ध्रुव के निकटवर्ती प्रदेश उत्तर कुरु के क्षे‍त्र विशेष में ही इन्होंने स्कंद नाम से शासन किय...

Boy

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The Son (TV series)

• • El Jefe • Five & Dime Productions Release Original network Original release April 8, 2017 ( 2017-04-08)– June 29, 2019 ( 2019-06-29) The Son is an American Plot [ ] In 1849, Eli McCullough is kidnapped at the age of 13 by Cast [ ] • • • • • • • Elizabeth Frances as Prairie Flower • • • Production [ ] Originally, A 10-episode season premiered on Episodes [ ] Season Episodes Originally aired First aired Last aired 10 April8,2017 ( 2017-04-08) June10,2017 ( 2017-06-10) 10 April27,2019 ( 2019-04-27) June29,2019 ( 2019-06-29) Season 1 (2017) [ ] No. overall No. in season Title Directed by Teleplay by Original air date U.S. viewers (millions) 1 1 "First Son of Texas" April8,2017 ( 2017-04-08) 1.92 In 1849, young Eli McCullough and his brother, Martin, are taken captive by 2 2 "The Plum Tree" Daniel C. Connolly April8,2017 ( 2017-04-08) 1.92 In 1849, Eli's attempt to escape the Comanche camp is thwarted, and, after being punished, he becomes the Comanches' slave. In 1915, Eli and Pete debate over their captive, Cesar, whom they caught fleeing a sabotaged oil rig. Eli tortures Cesar, believed to also be linked to the thefts. Pete later escorts Cesar to a river to release him into Mexico. However, Cesar attacks Pete, forcing him to kill Cesar and secretly bury him. 3 3 "Second Empire" Kevin Dowling April15,2017 ( 2017-04-15) 1.55 In 1915, Eli and oldest son Phineas meet with potential investor William Philpott, who declines due to Eli's shaky finances and the unlikelihood of fi...

" पुत्र

‘ पुत्र प्रेम ‘ हिंदी साहित्य के महान रचनाकार मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित है |बाबू चैतन्यदास एक वकील थे और दो – तीन गाँव के जमींदार भी थे | वे बहुत सोच समझकर खर्च करते थे | उनके दो पुत्र थे | बड़े पुत्र का नाम प्रभुदास और छोटे का नाम शिवदास था | दोनों कॉलेज में पढ़ते थे | प्रभुदास पर पिता का स्नेह अधिक था | वे उसे इंग्लैंड भेजकर बैरिस्टर बनाना चाहते थे | कुछ ऐसा संयोग हुआ कि प्रभुदास को बी० ए० की परीक्षा के बाद ज्वर ( बुखार) आने लगा | एक महीने तक इलाज करवाने के बाद भी ज्वर कम नहीं हुआ | डॉक्टर ने कहा – तपेदिक हुआ है | मेरी सलाह मानो तो इन्हें इटली के सेनेटोरियम मे भेज दिया जाए जिसके लिए लगभग तीन हजार का खर्च लगेगा |वहाँ साल भर रहना होगा परंतु यह निश्चय नहीं कि वहाँ से पूरी तरह ठीक होकर ही लौटेगे | यह सब सुनकर चैतन्यदास ने अपने बेटे प्रभुदास को इलाज के लिए इटली नहीं भेजा |छ्ह महीने बाद शिवदास बी० ए० पास हुआ तो चेैतन्यदास ने उसे इंग्लैंड भेज दिया | उसके थोड़े समय बाद ही प्रभुदास की मृत्यु हो गई | बनारस के मणिकर्णिका घाट पर प्रभुदास का अंतिम संस्कार करके चैतन्यदास उसके बारे में सोच रहे थे |कि इलाज के लिए इटली भेज देता तो वह बच जाता | तभी अचानक उसने देखा शहनाई के साथ, ढोल बजाते, गाते पुष्प वर्षा करते कुछ लोग अर्थी (लाश ) का अंतिम संस्कार करने के लिए लाए जिसके साथ आए सभी लोग कह रहे थे कि पुत्र ने अपने पिता की बहुत सेवा की किसी वैद्य की दवाई न छोड़ी परंतु भगवान को जो मंजूर था परंतु मन में यह भाव तो न रहा कि वह अपने पिता के लिए कुछ न कर पाया | यह सब सुनकर चैतन्यदास को बहुत ग्लानि हुई वह पश्चाताप के भाव से भर गया यही कारण था कि उसने बहुत सा धन प्रभुदास के अंतिम संस्कार पर लगा दिया