पूर्ण सूर्य ग्रहण 1995

  1. 417 साल पहले पता चला सूर्य ग्रहण वैज्ञानिक घटना; क्यों और कैसे लगता है ग्रहण?
  2. देखिए 119 साल पहले कैसा था पूर्ण सूर्य ग्रहण, भारत में भी हुई थी शूटिंग
  3. दीपावली पर खंडग्रास सूर्य ग्रहण का साया, इन राशियों वाले रहें सावधान
  4. Surya Grahan 2023: Read To Know What Is Hybrid Solar Eclipse
  5. Mahabharat Mahabharata Mahabharat Live Solar Eclipse 2020 Solar Eclipse Shri Krishna Yudhishthira Arjun War Yudh
  6. योएयर ब्लॉग
  7. सूर्यग्रहण
  8. Solar Eclipse 2020: 1995 में हुआ था ऐसा सूर्य ग्रहण, आज टूटेंगी इतिहास की ये परंपराएं


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417 साल पहले पता चला सूर्य ग्रहण वैज्ञानिक घटना; क्यों और कैसे लगता है ग्रहण?

दीपावाली के ठीक एक दिन बाद 25 अक्टूबर को, यानी आज सूर्य ग्रहण लग रहा है। इसे कई लोग अशुभ मान रहे हैं। हालांकि, विज्ञान इसे सिर्फ एक खगोलीय घटना मानता है। आज से 417 साल पहले साइंटिस्ट जोहांस केपलर ने पता लगाया कि सूर्य ग्रहण एक वैज्ञानिक घटना है। वहीं, 103 साल पहले यूनाइटेड किंगडम के रहने वाले सर आर्थर एडिंगटन ने विज्ञान के जरिए ग्रहण को एक खगोलीय घटना साबित किया था। अब जानते हैं कि सूर्य ग्रहण होता क्या है? गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से पृथ्वी और सभी दूसरे ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर 365 दिनों में एक चक्कर लगाती है। जबकि चंद्रमा एक उपग्रह है, जो पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर लगाने में चंद्रमा को 27 दिन लगते हैं। चंद्रमा के चक्कर लगाने के दौरान कई बार ऐसी स्थिति बनती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तो सूर्य की रोशनी धरती तक नहीं पहुंच पाती है। इसे सूर्यग्रहण कहते हैं। ज्यादातर सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन होते हैं, क्योंकि तब चंद्रमा पृथ्वी के करीब होता है। हर 18 महीने में दुनिया के किसी न किसी हिस्से में सूर्य ग्रहण जरूर लगता है। तस्वीर में सूर्य ग्रहण को समझिए…. ग्रहण मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते हैं.. 1. आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse): जब चंद्रमा की परछाई सूर्य के पूरे भाग को ढंकने की बजाय किसी एक हिस्से को ही ढंके तब आंशिक सूर्य ग्रहण होता है। इस दौरान सूर्य के केवल एक छोटे हिस्से पर अंधेरा छा जाता है। 2. वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse): वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता है तथा इसका आकार छोटा दिखाई देता है। इस दौरान चंद्रमा, सूर्य को पूरी ...

देखिए 119 साल पहले कैसा था पूर्ण सूर्य ग्रहण, भारत में भी हुई थी शूटिंग

दुनिया में पहली बार पूर्ण सूर्य ग्रहण का वीडियो शूट कब हुआ और कैसा था उस दौरान नज़ारा? इन सवालों का जवाब भी खगोलशास्त्रियों ने तलाश लिया है। 28 मई 1900 को हुए सूर्य ग्रहण की तस्वीर नॉर्थ कैरोलिना में ब्रिटिश जादूगर एवं अपने समय के उभरते फिल्म निर्माता नेविल मास्किलिन ने खींची थी। अब 119 साल बाद उस फिल्म को डेवलप कर वीडियो दुनिया के सामने जारी कर दिया गया है। आज हम किसी भी खगोलीय घटना का आसानी से इमेज या वीडियो शूट कर लेते हैं। पर 119 साल पहले तकनीक हमारे पास ऐसी नहीं थी। सोचना भी संभव नहीं था लेकिन उस दौरा में भी नेविल ने अटलांटिक को पार करते हुए नॉर्थ कैरोलिना में सन 1900 में सूर्य ग्रहण को रिकॉर्ड किया था। नेविल जादूगर के अलावा सिनेमेटोग्राफर भी थे। वह खुद को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जीना और दुनिया को दिखाना चाहते थे इसलिए उन्होंने सूर्यग्रहण को भी बेहतरीन अंदाज में दुनिया के सामने पेश करने की ठानी। 2 जुलाई को होगा पूर्ण सूर्य ग्रहण आपको बता दें कि 2 जुलाई, 2019 को एक बार फिर से सूर्य और धरती के बीच चांद आएगा और ग्रहण काल आएगा। आकाश में होने वाली इस ऐतिहासिक खगोलीय घटना को लेकर सभी खगोलीय शास्त्री तैयारियों में जुटे हैं। ये पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। इस सूर्यग्रहण का समय रात 11 बजकर 31 मिनट से 2 बजकर 15 मिनट तक लगेगा। 1900 फिल्मों से मिलकर बनाया गया वीडियो ब्रिटेन की रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी के संग्रहालय में नेविल के द्वारा खीचीं गईं सूर्य ग्रहण की 1900 फिल्में सुरक्षित रखी थीं। वैज्ञानिकों ने इन्हीं फिल्मों को जोड़कर एक वीडियो बनाया और दुनिया के सामने जारी किया। सोसायटी के अध्यक्ष माइक क्रूज ने बताया कि वैज्ञानिक इतिहास का आज के समय में सामने आना एक सुखद एहसास है। खगोल विज...

दीपावली पर खंडग्रास सूर्य ग्रहण का साया, इन राशियों वाले रहें सावधान

इससे पहले यह सूर्य ग्रहण का संयोग दीपावली पर 27 साल पहले 24 अक्टूबर, 1995 को भी दीपावली पर पड़ा था। वह पूर्ण सूर्य ग्रहण था लेकिन मोक्ष काल के बाद दीपावली होने से त्योहारों पर ब्रेक नहीं लगा। यह पहली बार होगा, जब पंच पर्व पर सूर्य ग्रहण का ब्रेक लगेगा। ग्रहण होने के कारण गोवर्धन पूजा 1 दिन बाद 26 अक्टूबर को होगी। सूर्य ग्रहण के बारे में ज्योतिषाचार्य डॉ. सतीश का कहना है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को 25 अक्टूबर को खंडग्रास सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। 40 मिनट की अवधि वाले ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले यानी 25 अक्टूबर को सुबह 4.29 पर लगेगा और ग्रहण का स्पर्श दिन के 4.31 पर होगा। ग्रहण का मध्य काल 5.14 बजे और मोक्ष काल 5.57 पर होगा। इस ग्रहण के होने से जगत का कल्याण होगा। धन की वृद्धि, उपद्रवो में कमी के साथ जनता में आनंद रहेगा किंतु राज पुत्रों को पीड़ा सहन करनी होगी। दीपावली के अगले दिन सूर्य ग्रहण के सूतक के चलते मंदिरों व आश्रमों के पट रहेंगे पूर्णत: बंद रहेंगे। राशि गत सूर्य ग्रहण का प्रभाव वृषभ राशि, सिंह राशि, धनु राशि, मकर राशि के लोगों के लिए यह सूर्य ग्रहण शुभ रहने वाला होगा। मेष राशि, मिथुन राशि, कन्या राशि, कुंभ राशि के लिए सूर्य ग्रहण सामान्य रहेगा। कर्क राशि, तुला राशि, वृश्चिक राशि, मीन राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्रहण का फल अशुभ रहेगा। कार्तिक पूर्णिमा पर घटित होगा चंद्र ग्रहण कार्तिक पूर्णिमा 8 नवंबर पर चंद्रग्रहण की छाया रहेगी। ऐसे में एक दिन पहले देव दीपावली मनाई जाएगी। डॉ.सोनी ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का सूतक काल 8 नवंबर को सुबह 8.10 बजे से शुरू होगा। शाम को 6.10 बजे ग्रहण का मोक्ष काल होगा। देव दीपावली के सभी आयोजन शाम को होते ...

Surya Grahan 2023: Read To Know What Is Hybrid Solar Eclipse

Solar Eclipse 2023: साल 2023 में कुल 4 ग्रहण लगने वाले हैं जिनमें से 2 सूर्य ग्रहण होंगे और अन्य 2 चंद्र ग्रहण बताए जा रहे हैं. 20 अप्रैल के दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला है. नासा (Nasa) ने हाल ही में इस बात का खुलासा किया है कि यह सूर्य ग्रहण हाइब्रिड सूर्य ग्रहण (Hybrid Solar Eclipse) होने वाला है. हाइब्रिड सूर्य ग्रहण एक शताब्दी में कुछ ही बार लगता है. यह हाइब्रिड सूर्य ग्रहण ही है जिसमें चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर नजर आती है. जानिए किस तरह लगता है हाइब्रिड सूर्य ग्रहण और कैसा दिखता है यह. हाइब्रिड सूर्य ग्रहण क्या होता है | What Is Hybrid Solar Eclipse हाइब्रिड सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरते हुए सूरज को पूरी तरह ढक लेता है और जिससे चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है और पृथ्वी के कई हिस्सेपूरी तरह अंधकारमय हो जाते हैं. ग्रहण यूं तो कई तरह के होते हैं जैसे पूर्ण ग्रहण या आंशिक ग्रहण आदि, लेकिन इन ग्रहण के लगने पर सूर्य की बाहरी आकृति नजर आती है और साफ-साफ दिखाई देती है या फिर सूरज पर आधा ही ग्रहण लगता है. लेकिन, हाइब्रिड सूर्य ग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह से सूरज को ढक लेता है. कब और कहां से दिखेगा सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल के दिन लगने वाला हाइब्रिड सूर्य ग्रहण ऑस्ट्रेलिया से 10: 29 पीएम से 10: 35 पीएम ईडीटी ( 20 अप्रैल को 0229 से 0235 जीएमटी) और इंडोनेशिया में 11:23 पीएम से 11:58 पीएम ईडीटी (0323 to 0358 जीएमटी) के वक्त नजर आएगा. वहीं, ईस्ट टिमोर में 11:19 पीएम से 11:22 पीएम ईडीटी (0319 to 0322 जीएमटी) के समय दिखेगा. सूर्य ग्रहण की धार्मिक मान्यता सूर्य ग्रहण की विशेष धार्मिक मान्यता भी होती है. माना जाता है कि जिन देशों में सूर्य ग्...

Mahabharat Mahabharata Mahabharat Live Solar Eclipse 2020 Solar Eclipse Shri Krishna Yudhishthira Arjun War Yudh

Mahabharat: श्रीकृष्ण को था सूर्य ग्रहण का पूर्ण ज्ञान, ऐसे बचाई थी अर्जुन की जान Mahabharat In Hindi: सूर्य ग्रहण के कारण ही महाभारत के युद्ध में अर्जुन की जान बची थी. भगवान श्रीकृष्ण को ग्रहण का ज्ञान था. सूर्य ग्रहण का यही ज्ञान कुरुक्षेत्र में अर्जून की जान बचाने में कैसे काम आया, आइए जानते हैं. Solar Eclipse Mahabharat story: सूर्य ग्रहण का महाभारत के युद्ध से गहरा संबंध है. महाभारत के युद्ध में सूर्य ग्रहण का जिक्र आता है. सूर्य ग्रहण का वर्णन वेदों में भी आता है. महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला था. कहा जाता है कि युद्ध के दौरान पूर्णिमा और संभावित पूर्ण सूर्य ग्रहण के बीच 13 दिनों का ही अंतर था. श्रीकृष्ण को ग्रहों और ग्रहण का पूर्ण ज्ञान था जिसके वजह से ही उन्होंने अपने परम मित्र अर्जुन की जान बचाई थी. इसकी कथा इस प्रकार है. पांडवों से जब कौरव हराने लगे महाभारत के युद्ध में कौरवों पर जब पांडवों की सेना भारी पड़ने लगी तो कौरवों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया. अर्जुन संपूर्ण कौरवों की सेना पर काल बनकर टूट रहे थे उनके वाणों की वर्षा के आगे सभी शूरवीर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पा रहे थे. इससे दुर्योधन बहुत क्रोधित हो उठा और उसने भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य पर आरोप लगाए कि आप लोग पूरे मनोयोग से पांडवों से युद्ध नहीं कर रहे हैं क्योंकि आप लोग उनके प्रति स्नेह रखते हैं. इस पर भीष्म और द्रोणाचार्य को बहुत खराब लगा. तब कौरवों ने युद्ध की रण्नीति में बदलाव किया. कौरवों ने रची चक्रव्यूह की रचना अर्जुन को रोकने और युधिष्ठिर को बंदी बनाने के कौरवों ने चक्रव्यूह की रचना की. इसके लिए पहले यह तय किया गया कि किसी प्रकार से अर्जुन को युद्धभूमि से दूर किया जाए. ऐसा करते ही युधिष्ठिर को बं...

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पोस्ट दृश्य: 20,234 4 दिसंबर को, दुनिया 10 जून, 2021 को इस साल के कुंडलाकार सूर्य ग्रहण की तुलना में पूर्ण सूर्य ग्रहण का गवाह बनेगी। ध्रुवीय ग्रहण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका और अटलांटिक में दिखाई देगा। दुर्भाग्य से, यह ग्रहण भारत में नहीं देखा जाएगा। शनिवार की खगोलीय घटना के बारे में सब कुछ जानें, जिसमें दिनांक, समय, लाइव स्ट्रीमिंग और क्या करें और क्या न करें शामिल हैं। साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर, 2021 को लगेगा। इस साल 10 जून को लगने वाले पिछले वलयाकार सूर्य ग्रहण के विपरीत, यह खगोलीय घटना पूर्ण सूर्य ग्रहण होगी। हम एक सूर्य ग्रहण देखते हैं जब क्रेडिट: पिक्साबे 4 दिसंबर के ग्रहण का समय • यह शनिवार को सुबह 10:59 बजे (IST) शुरू होगा। • कुल ग्रहण दोपहर 12:30 बजे शुरू होगा, जिसमें सबसे बड़ा ग्रहण दोपहर 1:03 बजे होगा • पूर्ण सूर्य ग्रहण दोपहर 1:33 बजे समाप्त होगा, जबकि आंशिक सूर्य ग्रहण दोपहर 3:07 बजे समाप्त होगा • यह 4 घंटे 8 मिनट तक चलेगा। एक और आकर्षक आँकड़ा यह है कि चंद्रमा 2021: 221,702 मील (356,794 किमी) में पृथ्वी के सबसे करीब पहुंच जाएगा (जिसे पेरिगी कहा जाता है)। लेकिन, इससे भी अधिक पेचीदा, चंद्रमा का पृथ्वी के सबसे निकट का दृष्टिकोण - सुबह 5:07 ईएसटी (0807 जीएमटी) - अमावस्या के बाद केवल 144 मिनट बाद होगा। नतीजतन, सूर्य और चंद्रमा दोनों पृथ्वी के एक ही तरफ होंगे, और चंद्रमा पृथ्वी के निकटतम बिंदु पर होगा। इस तरह के "समीपस्थ" चंद्रमा वर्ष के उच्चतम ज्वार का कारण बन सकते हैं, और इस अमावस्या के बाद के कुछ दिनों में समुद्र के ज्वार सामान्य रूप से अधिक भिन्नता का अनुभव करेंगे। उदाहरण के लिए, निम्न ज्वार काफी कम होंगे और उच्च ज्वार सामान्य से बहुत अधिक हों...

सूर्यग्रहण

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Solar Eclipse 2020: 1995 में हुआ था ऐसा सूर्य ग्रहण, आज टूटेंगी इतिहास की ये परंपराएं

21 June Surya Grahan: आज 21 जून आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या दिन रविवार खण्डग्रास सूर्यग्रहण सम्पूर्ण भारत में दिखाई देगा. यह सूर्यग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में प्रारम्भ होकर आर्द्रा नक्षत्र में मोक्ष को प्राप्त करेगा. ऐसा सूर्य ग्रहण आज से 25 साल पहले साल 1995 में हुआ था. आज के सूर्य ग्रहण में इतिहास की कई सारी परंपराएं टूटने वाली हैं, जिनके बारे में आज हम आपको बता रहे हैं. 1.सदी का दूसरा अनोखा सूर्य ग्रहण 21 जून यानी की आज 2020 का पहला सूर्य ग्रहण होने जा रहा है. सूर्य ग्रहण तीन तरह के होते हैं. पूर्ण सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य को पूर्ण रूप से ढंक लेता है. वहीं आंशिक और कुंडलाकार ग्रहण में सूर्य का केवल एक हिस्सा ही छिपता है. आज यानी कि 21 जून को कुंडलाकार ग्रहण होगा, जिसमें सूर्य वलयाकार दिखाई देगा. ग्रहण जब चरम पर होगा तो सूर्य किसी चमकते हुए कंगन, या अंगूठी की तरह दिखाई देगा. 2.1995 में हुआ था ऐसा सूर्य ग्रहण 3.सूर्य ग्रहण में दुर्लभ संयोग सूर्य ग्रहण का सूतक काल 20 जून शनिवार को रात 10:20 से शुरू हो जाएगा. 21 जून को दो बड़ी खगोलीय घटनाएं होंगी. पहली घटना सूर्यग्रहण है. इसमें सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा इस तरह आ जाएगा, वहीं सूर्य का आधे से ज्यादा हिस्सा छिप जाएगा और सूर्य कंगन की तरह दिखाई देगा. दूसरी घटना में सूर्य कर्क रेखा के ठीक ऊपर आ जाएगा, जिससे ये साल का सबसे बड़ा दिन भी होगा. ये सदी का दूसरा ऐसा सूर्यग्रहण है, जो 21 जून को हो रहा है. इससे पहले 2001 में 21 जून को सूर्य ग्रहण हुआ था. 4 कुरुक्षेत्र में मेले की परंपरा टूटेगी इस बार कोरोना काल में सूर्य ग्रहण हो रहा है, ऐसे में कुरुक्षेत्र में लगने वाला मेला अब नहीं लग पाएगा. क्योंकि कोरोना के चलते लोग...