पूर्णिमा कब है may 2023

  1. May 2023 Vrat
  2. guru purnima 2023 kab hai date time guru purnima adiguru ved vyas ji ka janmadivas guru purnima ki vidhi guru purnima ka shubh muhurat hindi Latest News in Hindi, Newstrack Samachar, Aaj Ki Taja Khabar
  3. Buddha Purnima 2023 Date: कब है वैशाख पूर्णिमा, क्या है पूजा विधि और महत्व?
  4. Vat Savitri Purnima 2023 Date:कब है वट सावित्री पूर्णिमा व्रत? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व


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May 2023 Vrat

• • Faith Hindi • May 2023 Vrat-Tyohar List: इस माह आएंगे बुद्ध पूर्णिमाा, वट सावित्री और निर्जला एकादशी जैसे त्योहार, यहां देखें लिस्ट May 2023 Vrat-Tyohar List: इस माह आएंगे बुद्ध पूर्णिमाा, वट सावित्री और निर्जला एकादशी जैसे त्योहार, यहां देखें लिस्ट May 2023 Vrat-Tyohar List: व्रत व त्योहार के लिहाज से मई का महीना बहुत ही खास होने वाला है. क्योंकि इस माह कई बड़े व्रत व त्योहार आने वाले हैं जिनका सालभर इंतजार किया जाता है. May 2023 Vrat-Tyohar List: हिंदी कैलेंडर के अनुसार फिलहाल वैशाख का महीना चल रहा है और जल्द ही ज्येष्ठ का माह शुरू होगा. ऐसे में मई का महीना बेहद ही खास होने वाला है. क्योंकि वैशाख और ज्येष्ठ दोनों माह के व्रत-त्योहार मई में पड़ने वाले हैं. मई के महीने की शुरुआत मोहिनी एकादशी के साथ हुई है जो कि आज यान 1 मई को है. इसी तरह मई के महीने में हर दिन एक व्रत व त्योहार आने वाला है. जिसमें संकष्टी चतुर्थी, शनि जयंती, बुद्ध पूर्णिमा, चंद्र ग्रहण, वट सावित्री व्रत और गंगा दशहरा जैसे प्रमुख त्योहार शामिल हैं. आइए जानते हैं किस दिन पड़ेगा कौन सा व्रत? यहां देखें मई में आने वाले व्रत-त्योहारों की पूरी लिस्ट Also Read: • • • मई 2023 व्रत-त्योहार लिस्ट • 1 मई- मोहिनी एकादशी व्रत • 3 मई- प्रदोष व्रत • 5 मई – बुद्ध पूर्णिमा, चंद्र ग्रहण • 8 मई – संकष्टी चतुर्थी • 15 मई- अपरा एकादशी • 17 मई- मासिक शिवरात्रि • 19 मई- शनि जयंति, वट सावित्री व्रत • 30 मई- गंगा दशहरा • 31 मई- निर्जला एकादशी चंद्र ग्रहण बता दें कि इस बार साल का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई 2023 को लगने जा रहा है. सबसे खास बात है कि इसी दिन बुद्धि पूर्णिमा भी मनाई जाएगी. यानि बुद्धि पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक ही दिन है...

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guru purnima 2023 kab hai date time guru purnima adiguru ved vyas ji ka janmadivas guru purnima ki vidhi guru purnima ka shubh muhurat hindi Latest News in Hindi, Newstrack Samachar, Aaj Ki Taja Khabar | Guru Purnima 2023 Kab Hai: गुरु पूर्णिमा कब है 2023 में ,जानिए पूजा विधि और मुहूर्त महत्व : newstrack धर्म जीवन को देखने का काव्यात्मक ढंग है। सारा धर्म एक महाकाव्य है। अगर यह खयाल में आए, तो आषाढ़ की पूर्णिमा बड़ी अर्थपूर्ण हो जाएगी। अन्यथा आषाढ़ में पूर्णिमा दिखाई भी न पड़ेगी। बादल घिरे होंगे, आकाश खुला न होगा। और भी प्यारी पूर्णिमाएं हैं, शरद पूर्णिमा है, उसको क्यों नहीं चुन लिया? ज्यादा ठीक होता, ज्यादा मौजूं मालूम पड़ता। नहीं, लेकिन चुनने वालों का कोई खयाल है, कोई इशारा है। वह यह है कि गुरु तो है पूर्णिमा जैसा और शिष्य है आषाढ़ जैसा। शरद पूर्णिमा का चांद तो सुंदर होता है, क्योंकि आकाश खाली है। वहां शिष्य है ही नहीं, गुरु अकेला है। आषाढ़ में सुंदर हो, तभी कुछ बात है, जहां गुरु बादलों जैसा घिरा हो शिष्यों से। शिष्य सब तरह के हैं, जन्मों-जन्मों के अंधेरे को लेकर आ छाए हैं। वे अंधेरे बादल हैं, आषाढ़ का मौसम हैं। उसमें भी गुरु चांद की तरह चमक सके, उस अंधेरे से घिरे वातावरण में भी रोशनी पैदा कर सके, तो ही गुरु है। इसीलिए आषाढ़ की पूर्णिमा! वह गुरु की तरफ भी इशारा है और उसमें शिष्य की तरफ भी इशारा है। और स्वभावत: दोनों का मिलन जहां हो, वहीं कोई सार्थकता है। गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त (Guru Purnima shubh muhurat) इस साल गुरु पूर्णिमा के दिन सूर्य कर्क राशि में रहेगा। उत्तरषाढ़ा नक्षत्र और विष्कुंभ योग बनेगा। जानिए इस दिन का शुभ मुहूर्त और योग। पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - 2 जुला...

Buddha Purnima 2023 Date: कब है वैशाख पूर्णिमा, क्या है पूजा विधि और महत्व?

Buddha Purnima 2023 Date: हर महीने की पूर्णिमा खास महत्व रखती है क्योंकि इस दिन जहां चांद अपने पूरे आकार में होता है वहीं इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से इंसान के सारे आर्थिक कष्टों का अंत हो जाता है। इस दिन लोग दान-पुण्य भी करते हैं, जिससे उनके घरों में सुख-संपदा बनी रहे। वैशाख पूर्णिमा 5 मई को है और इस पूर्णिमा का दोहरा महत्व होता है क्योंकि इस दिन बुद्ध पूर्णिमा भी है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध का भी जन्म हुआ था। किताबों में वर्णित है कि भगवान बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. में वैशाख पूर्णिमा के दिन शाक्य राज्य के लुंबिनी में हुआ था। इसलिए इस पूर्णिमा का इंतजार बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को भी होता है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा के दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण लग रहा है इसकी वजह से भी ये दिन बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। • जो लोग पूर्णिमा के दिन चंद्र देव और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं उन्हें उस दिन सबसे पहले सुबह-नहा धोकर स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए। • फिर व्रत का संकल्प लेकर पूजा प्रारंभ करनी चाहिए। • पूजा स्थल पर मां लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति रखकर उन्हें फूल-फल चढ़ाना चाहिए और भोग लगाना चाहिए। • मां लश्र्मी की कहानी, चालीसा या आरती करनी चाहिए। • इसके बाद प्रसाद लोगों को बांटना चाहिए। • और एक लोटे में जलरखकर शाम को चंद्रदेव की पूजा करनी चाहिए। • चंद्र देव की आरती करने के बाद उन्हें अर्ध्य देना चाहिए और प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। बुद्द पूर्णिमा का व्रत • जो लोग बुद्द पूर्णिमा का व्रत रख रहे हैं, वो सबसे पहले सुबह-नहा धोकर स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए। • उसके बाद व्रत का संकल्प लेकर सूर्य देव को अर्ध्य देना चाहिए। • फिर नदी में तिल प्रवाहित करना चाहिए। • भगवान बुद्ध क...

Vat Savitri Purnima 2023 Date:कब है वट सावित्री पूर्णिमा व्रत? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Vat Savitri Purnima 2023 Date: वट सावित्री पूर्णिमा व्रत देश के विभिन्न राज्यों जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, गुजरात आदि में मनाया जाने वाला एक पारंपरिक त्योहार है। जहां उत्तर भारत में में भक्त ज्येष्ठ अमावस्या के दिन उपवास का पालन करते हैं, वहीं दक्षिण भारत में, लोग ज्येष्ठ पूर्णिमा या पूर्णिमा के दिन व्रत रखते हैं। वट सावित्री व्रत में विवाहित महिलाएं व्रत रखने से साथ वट सावित्री व्रत कथा का श्रवण करती हैं और इसके बाद पूरे विधि विधान से वट वृक्ष का पूजन करती हैं। इस बार वट सावित्री पूर्णिमा पर 3 शुभ योग का निर्माण हो रहा है। वट पूर्णिमा के दिन प्रातः काल और दोपहर मुहूर्त हैं। आइए जानते हैं वट सावित्री पूर्णिमा की तिथि, पूजा मुहूर्त शुभ योग के बारे में। Hastrekha Vigyan: हथेली पर क्रॉस का निशान देता है ये संकेत,जानें क्या कहता है हस्तरेखा विज्ञान वट सावित्री का महत्व वट या बरगद के पेड़ का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है जो तीन सर्वोच्च देवताओं- ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतिनिधित्व करता है। विवाहित महिलाएं तीन दिनों तक उपवास रखती हैं और ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से, वे अपने पति के लिए सौभाग्य और सौभाग्य लाती हैं, जिस तरह सावित्री ने अपने पति को मृत्यु के मुंह से वापस लाया था।