पवन तनय बल पवन समाना

  1. मन की रस्सी काटकर मौन हो जाएं
  2. कहइ रीछपति सुनु हनुमाना (Hindi Meaning )
  3. Ramayan in Hindi
  4. पवन तनय बल पवन समाना बल बुद्धि बिबेक निधाना चौपाई (pavan tanay bal pavan samaana Lyrics in Hindi)
  5. किष्किन्धा काण्ड चौपाईयां पाठ
  6. पवन तनय बल पवन समाना


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मन की रस्सी काटकर मौन हो जाएं

मौन साधनेसे शांति मिलती है, इसका लोगों ने उल्टा अर्थ लिया। चुप रहकर सोचने लगे कि शांति मिल जाएगी, पर चुप रहना बाहर की गतिविधि है। मौन रहना भीतर का मामला यानी खुद से बात करना बंद कर दिया। चुप होने का मतलब है दूसरों से तो बात नहीं कर रहे परंतु भीतर चर्चा जारी है। इसमें हम और स्वतंत्र हो जाते हैं। कुछ भी बोल-सोच सकते है। इसीलिए चुप रहने वाले लोग जरूरी नहीं कि भीतर से शांत हों। किष्किंधा कांड के एक प्रसंग में वानर लंका जाने को लेकर अपने-अपने बल का प्रदर्शन कर रहे हैं। हनुमानजी आंखें बंद किए बैठे थे। तब जामवंतजी ने जो कहा वह हमारे लिए बहुत बड़ा संदेश है। तुलसीदासजी ने लिखा है- ‘कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। का चुप साधि रहेहु बलवाना।। पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना।। अर्थात हे हनुमान, आप चुप क्यों हों? आप तो बल, बुद्धि, विवेक और ज्ञान की खान हों। हनुमानजी की आंखें बंद थीं और भीतर स्वयं से भी बात नहीं कर रहे थे। जामवंत ने इसी को चुप रहना कहा है। बाहर से लोग समझेंगे कि आप चुप हैं, लेकिन भीतर मौन भी रह सकते हैं। सबसे बड़ी बाधा है हमारा मन। उसके पास ऐसी रस्सी है, जिससे वह किसी को भी, किसी से भी बांध देता है। हमें यह रस्सी काटनी होगी। फिर मन मुक्त हो जाता है। इसका अर्थ यह नहीं कि कहीं भी चला जाए। मतलब यह है कि जिन-जिन लोगों से बंधा है उनसे मुक्त हुआ। फिर वह हमारे काबू में जाता है। हम शांत हो जाते हैं। तब दूसरों की बात ठीक से समझ भी सकेंगे, अपनी बात समझा भी सकेंगे। मौन व्यक्ति द्वारा कैसे काम किए जाते हैं, बिना जुबान हिलाए कैसे बोला जा सकता है यह कला हनुमानजी सिखाते हैं। जीने की राह पं.िवजयशंकर मेहता [email protected]

कहइ रीछपति सुनु हनुमाना (Hindi Meaning )

By Feb 21, 2023 कहइ रीछपति सुनु हनुमाना चौपाई – कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। का चुप साधि रहेहु बलवाना॥ पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं।। कहइ रीछपति सुनु हनुमाना भावार्थ – वनवास काल में जब सीता का हरण हो गया था,तब पूरी वानर सेना सीता जी की खोज में रावण की लंका जाने के लिए समुद्र को पार करना था उस समय हनुमान को अपनी शक्ति का एहसास नहीं था तब ऋक्षराज जामवन्त उस समय हनुमान जी को उनकी शक्ति की याद दिलाते हुए कह हैं- ऋक्षराज जाम्बवान ने श्री हनुमान जी से कहा- हे हनुमान्‌! हे बलवान्‌! सुनो, तुमने यह क्या चुप साध रखी है? तुम पवन के पुत्र हो और बल में पवन के समान हो। तुम बुद्धि-विवेक और विज्ञान की खान हो॥

Ramayan in Hindi

भावार्थ : वानरों की सेना साथ लेकर राक्षसों का संहार करके श्री रामजी सीताजी को ले आएँगे। तब देवता और नारदादि मुनि भगवान्‌ के तीनों लोकों को पवित्र करने वाले सुंदर यश का बखान करेंगे, जिसे सुनने, गाने, कहने और समझने से मनुष्य परमपद पाते हैं और जिसे श्री रघुवीर के चरणकमल का मधुकर (भ्रमर) तुलसीदास गाता है।

पवन तनय बल पवन समाना बल बुद्धि बिबेक निधाना चौपाई (pavan tanay bal pavan samaana Lyrics in Hindi)

पवन तनय बल पवन समाना बल बुद्धि बिबेक निधाना चौपाई (pavan tanay bal pavan samaana Lyrics in Hindi) - पवन तनय बल पवन समाना बुद्धि विवेक विज्ञानं निधाना वीर हनमुाना वीर बजरंगा शिवजी के रूप श्री रामके संगा वीर हनमुाना वीर बजरंगा शिवजी के रूप श्री रामके संगा भस्म भभूत की सब लंका श्री हरि नाम सिंदूर रंगा वीर हनमुाना वीर बजरंगा.......|| सिंह गर्जना करे बजरंगा मार छलांग सिंधु लाँघा वीर हनमुाना वीर बजरंगा कवन सो काज कठिन जग माहीं जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं भस्म भभूत की सब लंका मार छलांग सिंधु लँघा वीर हनमुाना वीर बजरंगा वीर हनमुाना वीर बजरंगा .......|| अजर अमर है अति बलशाली सोटा लाल लंगोट धारी लंकापति को दंभ निकारो अवनी को सब संकट टारो है महावीर है लँगूरा कोऊ करे ना तुमसे पंगा वीर हनमुाना वीर बजरंगा राम काज लगि तव अवतारा सुनतहिं भयउ पर्बताकारा॥ सूक्ष्म रूप अति अति विराटा तेजोमय मुख तेज ललाटा ये जग गाए तुमरी गाथा तुम हो मंगल कारी विधाता हे बलबीरा हे अतिधीरा राम नाम में लीन मलंगा दीन दयाल बिरिदु संभारी हरहु नाथ मम संकट भारी मार छलांग सिंधु लाँघा वीर हनमुाना वीर बजरंगा वीर हनमुाना वीर बजरंगा.......|| पवन तनय बल पवन समाना बुद्धि विवेक विज्ञानं निधाना वीर हनमुाना वीर बजरंगा शिवजी के रूप श्री रामके संगा वीर हनमुाना वीर बजरंगा शिवजी के रूप श्री रामके संगा भस्म भभूत की सब लंका श्री हरि नाम सिंदूर रंगा वीर हनमुाना वीर बजरंगा.......|| पवन तनय बल पवन समाना बल बुद्धि बिबेक निधाना चौपाई (pavan tanay bal pavan samaana Lyrics in English) - pavan tanay bal pavan samaana buddhi vivek vigyaanan nidhaana pavan tanay bal pavan samaana buddhi vivek vigyaanan nidhaana veer hanamuaana veer bajaranga shi...

किष्किन्धा काण्ड चौपाईयां पाठ

॥श्रीगणेशायनमः ॥ ॥श्रीजानकीवल्लभोविजयते ॥ ॥श्रीरामचरितमानस ॥ चतुर्थसोपान (किष्किन्धाकाण्डचौपाईयांपाठ | Kishkindha Kand in Hindi) श्लोक कुन्देन्दीवरसुन्दरावतिबलौविज्ञानधामावुभौ शोभाढ्यौवरधन्विनौश्रुतिनुतौगोविप्रवृन्दप्रियौ। मायामानुषरूपिणौरघुवरौसद्धर्मवर्मौंहितौ सीतान्वेषणतत्परौपथिगतौभक्तिप्रदौतौहिनः।।1।। ब्रह्माम्भोधिसमुद्भवंकलिमलप्रध्वंसनंचाव्ययं श्रीमच्छम्भुमुखेन्दुसुन्दरवरेसंशोभितंसर्वदा। संसारामयभेषजंसुखकरंश्रीजानकीजीवनं धन्यास्तेकृतिनःपिबन्तिसततंश्रीरामनामामृतम्।।2।। सो0-मुक्तिजन्ममहिजानिग्यानखानिअघहानिकर जहँबससंभुभवानिसोकासीसेइअकसन।। जरतसकलसुरबृंदबिषमगरलजेहिंपानकिय। तेहिनभजसिमनमंदकोकृपालसंकरसरिस।। आगेंचलेबहुरिरघुराया।रिष्यमूकपरवतनिअराया।। तहँरहसचिवसहितसुग्रीवा।आवतदेखिअतुलबलसींवा।। अतिसभीतकहसुनुहनुमाना।पुरुषजुगलबलरूपनिधाना।। धरिबटुरूपदेखुतैंजाई।कहेसुजानिजियँसयनबुझाई।। पठएबालिहोहिंमनमैला।भागौंतुरततजौंयहसैला।। बिप्ररूपधरिकपितहँगयऊ।माथनाइपूछतअसभयऊ।। कोतुम्हस्यामलगौरसरीरा।छत्रीरूपफिरहुबनबीरा।। कठिनभूमिकोमलपदगामी।कवनहेतुबिचरहुबनस्वामी।। मृदुलमनोहरसुंदरगाता।सहतदुसहबनआतपबाता।। कीतुम्हतीनिदेवमहँकोऊ।नरनारायनकीतुम्हदोऊ।। दो0-जगकारनतारनभवभंजनधरनीभार। कीतुम्हअकिलभुवनपतिलीन्हमनुजअवतार।।1।। –*–*– कोसलेसदसरथकेजाए।हमपितुबचनमानिबनआए।। नामरामलछिमनदौउभाई।संगनारिसुकुमारिसुहाई।। इहाँहरिनिसिचरबैदेही।बिप्रफिरहिंहमखोजततेही।। आपनचरितकहाहमगाई।कहहुबिप्रनिजकथाबुझाई।। प्रभुपहिचानिपरेउगहिचरना।सोसुखउमानहिंबरना।। पुलकिततनमुखआवनबचना।देखतरुचिरबेषकैरचना।। पुनिधीरजुधरिअस्तुतिकीन्ही।हरषहृदयँनिजनाथहिचीन्ही।। मोरन्याउमैंपूछासाईं।तुम्हपूछहुकसनरकीनाईं।। तवमायाबसफिरउँभुलाना।तातेमैंनहिंप्रभुपहिचाना।। दो0-एकुमै...

पवन तनय बल पवन समाना

घोसी (मऊ) : 'कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। का चुप साणि रहा बलवाना, पवन तनय बल पवन समाना, बुधि बिबेक बिग्यान समाना' तुलसीकृत रामचरित मानस के किष्किन्धा काण्ड की इन चौपाइयों को उद्धृत किया पंडित विजय शरण ने। उन्होंने मानस एवं रामचरित्र के सर्वाधिक चर्चित व्यक्तित्व महाबली हनुमान के विभिन्न रूप एवं गुण की व्याख्या किया। नगर के जूनियर हाईस्कूल में आयोजित नवाह्न पारायण पाठ एवं प्रवचन की दूसरी रात्रि रविवार को बक्सर के मामाजी नाम उपाख्य संत के शिष्य पंडित विजय शरण ने सीता खोज प्रसंग सुनाया। इस प्रसंग से कथा का प्रारंभ करते हुए उन्होंने जामवंत का कथन, 'राम काज लगि तव अवतारा' सुनाया। कहा कि प्रभु श्रीराम को कार्यसिद्धि मिले इस निमित्त देवाधिदेव महा शंकर ने हनुमान के रूप में रुद्र अवतार लिया था। इसीलिए प्रत्येक विषम परिस्थिति में प्रभु स्वयं हनुमान को याद करते है। कहा कि प्रभु के प्रथम दर्शन के बाद विप्र रूप से हनुमान जी के कपि रूप में आते ही स्वयं प्रभु श्रीराम ने कहा, 'सुनु कपि जियं मानसि जनि ऊना, तैं मम प्रिय लछिमन ते दूना' अर्थात सुनो कपि! मन में ग्लानि मत करो। तुम मुझे अनुज लक्ष्मण से दोगुने अधिक प्रिय हो। यह बात भले ही शेषनाग के रूप में धरती को धारण करने वाले लक्ष्मण जी को अप्रिय लगी पर हनुमान जी ने जब दोनों भाइयों को पीठ पर लिया तो संशय जाता रहा। कथा का क्रम वापस जामवंत एवं हनुमान जी के बीच संवाद पर लाते हुए आगे कहा 'सहित सहाय रावनहि मारि, आनउं इहां त्रिकुट उपारी, जामवंत मैं पूछउं तोही, उचित सिखावनु दीजहु मोही'। देर रात्रि तक भक्तों को श्रद्धा की मंदाकिनी में गोते लगाने का अवसर देती रही।