राजा के ऊंचे नीचे महल

  1. भारत के 10 ऐतिहासिक स्मारक, जिनको देखकर अपने को भारतीय कहलाने पर गर्व करेंगे आप
  2. 25+ भारत में घूमने की सबसे खूबसूरत जगह 2023
  3. ताजमहल का इतिहास और रोचक तथ्य
  4. राजा
  5. Top 10 Simple Story in Hindi
  6. आमेर दुर्ग
  7. बौद्धिक शिक्षा प्रणाली (baudhic shiksha pranali)
  8. राजस्थान के दुर्ग
  9. Top 10 Simple Story in Hindi
  10. बौद्धिक शिक्षा प्रणाली (baudhic shiksha pranali)


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भारत के 10 ऐतिहासिक स्मारक, जिनको देखकर अपने को भारतीय कहलाने पर गर्व करेंगे आप

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25+ भारत में घूमने की सबसे खूबसूरत जगह 2023

यही तो भारत की पहचान है कि इतने विभिनता के बावजूद भारत में एकता है। जब आप भारत के बारे में जानेंगे तब पता चलेगा कि भारत के हर एक भाग में कई ऐतिहासिक पर्यटक स्थल और प्रकृति की सुंदरता से भरपूर स्थान है, जहां पर समय बिताने के लिए पर्यटक अन्य देश से भारत आते हैं। भारत में कई यूरोपियन देशों के लोगों ने शासन किया। इसके अतिरिक्त कई राजा महाराजा हुए, जिन्होंने भारत के हर एक भाग में तत्कालीन कलाकृतियों के इस्तेमाल से कई सुंदर इमारतों का निर्माण किया है और वे इमारतें भारत की इतिहास को बताती है। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • भारत में घूमने लायक जगह (India Me Ghumne ki Jagah) जैसा कि पहले बताया कि भारत में भिन्न-भिन्न प्रकार की कई जगह घूमने लायक है, लेकिन हम आपको यहां पर ऐसी भारत में घूमने लायक जगह (tourist places in india in hindi) बतायंगे, जिसे देखे बिना भारत भ्रमण अधूरा है। ऋषिकेश ‘योग कैपिटल ऑफ द वर्ड’ के नाम से प्रसिद्ध ऋषिकेश उत्तराखंड के मशहूर पर्यटक स्थल में से एक है। ऋषिकेश को गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ और यमुनोत्री का प्रवेशद्वार माना जाता है। यहां गंगा नदी के तट पर स्थित त्रिवेणी घाट काफी प्रसिद्ध है, जहां पर हर शाम महाआरती होती है और लाखों श्रद्धालु यहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं। यहां की पवित्र नदी गंगा नदी में श्रद्धालु स्नान करके अपने आप को पाप मुक्त करते हैं। ऋषिकेश उत्तराखंड के जिला ऋषिकेश के नदियों और झरनों में स्विमिंग और राफ्टिंग का आनंद ले सकते है। इसके अतिरिक्त यहां पर बंजी जंपिंग और कैंपिंग काफी लोकप्रिय है। Image: Rishikesh ऋषिकेश में कई सारे प्राचीन मंदिर और योग आश्रम हैं। यहां के फूलों से भरी घाटी के सुहावने...

ताजमहल का इतिहास और रोचक तथ्य

Taj Mahal History in Hindi ताजमहलअपनीबेमिसालखूबसूरतीऔरभव्यताकीवजहसेदुनियाकेसातअजूबोंमेंसेएकहै।ताजमहलकोमोहब्बतकीमिसालमानाजाताहै।यहमुगलशासकशाहजहांऔरउनकीसबसेचहेतीबेगममुमताजमहलकेअटूटप्रेमकीयाददिलवाताहै।आगरामेंस्थितताजमहलकीसुंदरताकोदेखनेदूर-दूरसेसैलानीआतेहैंऔरइसकेअद्भतसौन्दर्यकोदेखकरआश्चर्यचकितरहजातेहैं। ताजमहलकहाहैं? (Taj Mahal Kahan Hai?) आग्रा, उत्तरप्रदेश ताजमहलकिसनेबनाया? (Tajmahal Kisne Banaya) शाहजहांने ताजमहलकबबना? (Taj Mahal Kab Bana) इसवीसन 1653 ताजमहलकानिर्माणकबऔरकिसनेकरवायाऔरइसकाइतिहास– Taj Mahal Information in Hindi ताजमहलदुनियाकीसबसेमशहूरऐतिहासिकइमारतोंमेंसेएकहै।मुगलशासकशाहजहांनेअपनीसबसेचहेतीबेगम मुमताजमहलकीयादमेंकरवायादुनियाकीइससबसेखूबसूरतइमारतकानिर्माण– Taj Mahal Story in Hindi खुर्रमउर्फशाहजहांने 1612 ईसवीमेंअरजुमंदबानोबेगम (मुमताजमहल) सेउनकीखूबसूरतीसेप्रेरितहोकरनिकाहकियाथा।जिसकेबादवेउनकीसबसेप्रियऔरपसंदीदाबेगमबनगईंथी।मुगलबादशाहशाहजहांअपनीबेगममुमताजमहलकोइसकदरप्यारकरताथाकिवहएकपलभीउनसेदूरनहींरहसकताथा, यहांतककीवहअपनेराजनैतिकदौरेमेंभीउनकोअपनेसाथलेकरजाताथाऔरमुमताजबेगमकीसलाहसेहीअपनेराज-काजसेजुड़ेसभीफैसलेलेताथाऔरमुमताजकीमुहरलगनेकेबादहीशाहीफरमानजारीकरताथा। वहीं 1631 ईसवीमेंमुमताजमहलजबअपनी 14वींसंतानकोजन्मदेरहीथीं, तभीअत्याधिकप्रसवपीड़ाकीवजहसेउनकीमौतहोगईथी।वहींशाहजहांअपनेप्रियबेगमकीमौतसेअंदरसेबिल्कुलटूटगयाथा, औरइसकेबादवहकाफीगमगीनरहनेलगाथा, फिरउसनेअपनेप्रेमकोसदाअमररखनेकेलिए”मुमताजकामकबरा”बनानेकाफैसलालियाथा,जोकिबादमेंताजमहलकेनामसेमशहूरहुआ।इसलिए, इसेशाहजहांऔरमुमताजकेबेमिसालप्रेमकाप्रतीकभीमानाजाताहै। ताजमहलकबबनाऔरइसकेनिर्माणमेंकितनासमयलगा– Taj Mahal Kab Bana Tha And Time Per...

राजा

अनुक्रम • 1 राजा सम्बन्धी भारतीय विचार • 2 __LEAD_SECTION__ • 3 __LEAD_SECTION__ • 4 इन्हें भी देखें राजा सम्बन्धी भारतीय विचार [ ] राज्य के सप्ताङ्गों का शिरोभाग राजा होता है। सप्ताङ्गमुच्यते राज्यं तत्र मूर्धा नृपः स्मृतः ( (अर्थ - राज्य, सात अंगो वाल होता है। उसमें भी सबसे ऊपर राजा का स्थान है।) राजारहित इस विश्व में भयाक्रान्त प्राणियों के द्वारा आत्म रक्षार्थ इधर-उधर भ्रमण करने पर, परमात्मा ने इस संसार की रक्षा के लिए अराजके हि सर्वस्मिन् सर्वतो विद्वते भयात्। रक्षार्थमस्य सर्वस्य राजानसृजत् प्रभुः ॥ (शुक्रनीति - 1/71) इन्द्रानिलयमार्काणाभग्नेश्च वरूणस्य च । चन्द्राक्तिशयोश्चापि मात्रा निर्हत्य शाश्वतीः ॥ (शुक्रनीति - 1/72) राज्य की सप्तप्रकृतियों में राजा का स्थान सर्वश्रेष्ठ है। आचार्य तत्कूटस्थानीयो हि स्वामीति। राजा राज्यमिति प्रकृतिसंक्षेपः ॥ (कौटिल्य अर्थशास्त्र - 8/1,2) राजा प्रजानां प्रथमं शरीरं प्रजाश्च राजोऽप्रतिमं शरीरम् ॥ राजा विहीना न भवन्ति देशाः, देशैविहीना न नृपा भवन्ति॥ (महाभारत, शान्तिपर्व - 67/59) भारतीय राजनीतिशास्त्रियों की मान्यता है कि ईश्वर ने अत्याचारियों के भय से डरी हुई प्रजा की रक्षा के लिए इन्द्र, वायु, यम, सूर्य, अग्नि, वरूण, चन्द्रमा तथा कुबेर के अंश से राजा का निर्माण किया है। इस मान्यता का अर्थ है दिव्य शक्तियों के समान राजा भी प्रजा का कल्याण करे, उसकी रक्षा-सुरक्षा करे, उसका लालन-पालन करे। ब्राह्मप्राप्तेन संस्कारं क्षत्रियेण यथाविधि। सर्वस्यास्य यथान्यायं कर्त्तव्यं परिरक्षणम् ॥ ( मनुस्मृति - 7/2) सोऽग्निर्भवति वायुश्च सोऽर्कः सोमः स धर्मराट्। सः कुबेरः स वरुणः स महेन्द्रः प्रभावतः ॥' ( मनुस्मृति - 7/7) निक्षेप्यस्यसमंमूल्यं दण्डयोन...

Top 10 Simple Story in Hindi

• Top 10 Moral Stories in Hindi 1# मूर्ख बकरियां की कहानी – Short Simple Story in Hindi एक बार एक काली बकरी और एक भूरी बकरी संकरे पुल पर बीचोंबीच मिलीं। दोनों एक दूसरे से तुम पीछे हटो- तुम पीछे हटो कहके एक-दूसरे पर हमला कर दिया । मूर्ख बकरियों का संतुलन बिगड़ा और वे नदी में गिरकर डूब गई। कुछ देर बाद दूसरी दो बकरियाँ भी पुल से गुज़रीं । वे दोनों काफ़ी चतुर थीं। उनमें से एक नीचे बैठ गई और दूसरी उसके ऊपर से सुरक्षित दूसरी ओर चली गई । शिक्षा – क्रोध से हानी और शांत दिमाग से प्रसन्नता व सफलता प्राप्त होती है। 2# मुर्ख कौआ की कहानी – Short Simple Story in Hindi एक भूखे कौए को कहीं से पनीर का एक टुकड़ा मिला। कौआ पेड़ की टहनी पर बैठकर अपनी भूख शांत करना चाहता था। तभी एक लोमड़ी पेड़ के नीचे आयी । उसने कौए को पनीर के टुकड़े के साथ देख लिया था । लोमड़ी को देख कौए ने पनीर का टुकड़ा मज़बूती से चोंच में दबा लिया | लोमड़ी ने पनीर का टुकड़ा पाने के लिए कौए से कहा-” कौए भाई, तुम बहुत सुंदर हो, मुझे अपना गाना तो सुनाओ ।” प्रशंसा सुनकर कौआ कॉव-काँव करने लगा तो पनीर का टुकड़ा नीचे गिर गया। लोमड़ी पनीर का टुकड़ा लेकर वहाँ से भाग निकली। अब कौए की समझ में आ गया था कि लोमड़ी ने प्रशंसा करके उसे मूर्ख बनाया था । शिक्षा : किसी काम को करने से पहले आगा-पीछा विचार लें । 3# दो बिल्लिया की कहानी – A Small Story in Hindi एक बार दो बिल्लियों को एक रोटी मिली। उनमें से एक बिल्ली ने झपटकर रोटी उठा ली – और दूसरे ने उसे छीनने का प्रयास किया। जब वे दोनों बहस कर रही थीं, तभी एक बंदर वहाँ से गुज़र रहा था । बिल्लियों ने बंदर से कहा कि वह उनका विवाद हल करे। तब बंदर ने सहमति देकर रोटी के दो बराबर टुकड़े कर दिये। एक छोटा...

आमेर दुर्ग

निर्देशांक 26°59′09″N 75°51′03″E / 26.9859°N 75.8507°E / 26.9859; 75.8507 26°59′09″N 75°51′03″E / 26.9859°N 75.8507°E / 26.9859; 75.8507 प्रकार स्थल जानकारी नियंत्रक जनप्रवेश हाँ दशा संरक्षित स्थल इतिहास निर्मित १५५८-१५९२ निर्माता प्रयोगाधीन १५९२ - १७२७ सामग्री आमेर दुर्ग (जिसे आमेर का किला या आंबेर का किला नाम से भी जाना जाता है) लाल बलुआ पत्थर एवं संगमर्मर से निर्मित यह आकर्षक एवं भव्य दुर्ग पहाड़ी के चार स्तरों पर बना हुआ है, जिसमें से प्रत्येक में विशाल प्रांगण हैं। इसमें दीवान-ए-आम अर्थात जन साधारण का प्रांगण, दीवान-ए-खास अर्थात विशिष्ट प्रांगण, शीश महल या जय मन्दिर एवं सुख निवास आदि भाग हैं। सुख निवास भाग में जल धाराओं से कृत्रिम रूप से बना शीतल वातावरण यहां की भीषण ग्रीष्म-ऋतु में अत्यानन्ददायक होता था। यह महल कछवाहा अनुक्रम • 1 नाम व्युत्पत्ति • 2 भूगोल • 3 इतिहास • 3.1 आरम्भिक इतिहास • 3.2 कछवाहाओं द्वारा आमेर का अधिग्रहण • 3.2.1 अन्य कथा • 4 अभिन्यास • 4.1 प्रवेश द्वार • 4.2 प्रथम प्रांगण • 4.2.1 गणेश पोल • 4.3 शिला देवी मन्दिर • 4.4 द्वितीय प्रांगण • 4.5 तृतीय प्रांगण • 4.6 चतुर्थ प्रांगण • 5 संरक्षण • 5.1 पशुओं का शोषण • 6 विश्व धरोहर घोषणा • 7 प्रचलित चलचित्रों में दृश्य • 8 आवागमन • 8.1 सड़क मार्ग • 8.2 रेल मार्ग • 8.3 वायु मार्ग • 9 चित्र दीर्घा • 10 सन्दर्भ ग्रन्थ एवं टीका • 11 सन्दर्भ • 12 बाहरी कड़ियाँ नाम व्युत्पत्ति आंबेर या आमेर को यह नाम यहां निकटस्थ चील के टीले नामक पहाड़ी पर स्थित अम्बिकेश्वर मन्दिर से मिला। अम्बिकेश्वर नाम भगवान यहाँ के अधिकांश लोग इसका मूल वैसे टॉड एवं कन्निंघम, दोनों ने ही अम्बिकेश्वर नामक शिव स्वरूप से इसका नाम व्युत्पन्न माना ह...

बौद्धिक शिक्षा प्रणाली (baudhic shiksha pranali)

बौद्धिक शिक्षा प्रारम्भ करने से पूर्व सर्वप्रथम बौद्ध मन्त्र का जाप कराया जाता था तत्पश्चात बालक का बौद्धिक शिक्षा में प्रवेश होता था। यहाँ हम भी बौद्ध मन्त्र के बाद ही बौद्धिक शिक्षा प्रणाली का अध्यन्न करेंगे – बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि मैं बुद्ध की शरण लेता हूं, मैं धर्म की शरण लेता हूं, मैं संघ की शरण लेता हूं भगवान बुद्ध ने चार आर्य सत्य की खोज की- 1 दुखम – संसार में दुःख है। 2 दुख समुदाया – दुःख का कारण है। 3 दुख निरोध – दुःख का निवारण संभव है। 4 दुख निरोध मार्ग – दुःख निवारण हेतु अष्टांगिक मार्ग का पालन करना। हमारे देश भारत में बौद्ध धर्म का आगमन लगभग 500 ईशा पूर्व हुआ माना जाता है। कहा जाता है कि अति इति का कारण बनता है। ऋग्वैदिक काल के बाद उत्तर वैदिक काल में जब समाज में जाति व रिती रिवाज का अधिक प्रसार होने लगा, तो समाज के कुछ लोग इसके विरोध में भी उठे। इस प्रकार की जाति तथा रिती रिवाज का विरोध करने वाले सर्वप्रथम चार्वाक व आजीविक थे। साथ ना मिलने के कारण इनकी आवाज को दबा दिया गया तथा इसी के साथ विरोध भी खत्म हो गया। IV.I यह भी जानें – परिचय बौद्ध धर्म की स्थापना का श्रेय महात्मा बुद्ध को जाता है। महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी नामक वन में हुआ था जो वर्तमान में नेपाल में है। महात्मा बुद्ध राजा शुद्धोधन के पुत्र थे तथा उनकी माता का नाम मायादेवी था। जन्म के 1 सप्ताह में ही उनकी माता का देहांत हो गया जिसके बाद उनका लालन पोषण उनकी मौसी गौतमी द्वारा हुआ। गौतम बुद्ध को जन्म से सिद्धार्थ नाम से जाना जाता था। असित ऋषि द्वारा सिद्धार्थ के 32 महापुरुष लक्षणों को देखकर उनके बुद्धत्व की भविष्यवाणी की गई थी। 500 ई...

राजस्थान के दुर्ग

राजस्थान के दुर्ग राजस्थान के राजपूतों के नगरों और प्रासदों का निर्माण पहाडि़यों में हुआ, क्योकि वहां शुत्रओं के विरूद्ध प्राकृतिक सुरक्षा के साधन थे। शुक्रनीति में दुर्गो की नौ श्रेणियों का वर्णन किया गया। एरण दूर्ग खाई, कांटों तथा कठौर पत्थरों से युक्त जहां पहुंचना कठिन हो जैसे - रणथम्भौर दुर्ग। पारिख दूर्ग जिसके चारों ओर खाई हो जैसे -लोहगढ़/भरतपुर दुर्ग। पारिध दूर्ग ईट, पत्थरों से निर्मित मजबूत परकोटा -युक्त जैसे -चित्तौड़गढ दुर्ग वन/ओरण दूर्ग चारों ओर वन से ढ़का हुआ जैसे- सिवाणा दुर्ग। धान्व दूर्ग जो चारों ओर रेत के ऊंचे टीलों से घिरा हो जैसे-जैसलमेर । जल/ओदक पानी से घिरा हुआ जैसे - गागरोन दुर्ग गिरी दूर्ग एकांत में पहाड़ी पर हो तथा जल संचय प्रबंध हो जैसे-दुर्ग, कुम्भलगढ़ सैन्य दूर्ग जिसकी व्यूह रचना चतूर वीरों के होने से अभेद्य हो यह दुर्ग माना जाता हैं सहाय दूर्ग सदा साथ देने वाले बंधुजन जिसमें हो। 1. चित्तौड़गढ़ दुर्ग चित्तौड़गढ का किला राज्य के सबसे प्राचीन और प्रमुख किलों में से एक है यह मौर्य कालिन दुर्ग राज्य का प्रथम या प्राचीनतम दुर्ग माना जाता है। अरावली पर्वत श्रृखला के मेशा पठार पर धरती से 180 मीटर की ऊंचाई पर विस्तृत यह दुर्ग राजस्थान के क्षेत्रफल व आकार की दुष्टी से सबसे विसालकाय दुर्ग है जिसकी तुलना बिट्रीश पुरातत्व दुत सर हूयूज केशर ने एक भीमकाय जहाज से की थी उन्होंने लिखा हैं- "चित्तौड़ के इस सूनसान किलें मे विचरण करते समय मुझे ऐसा लगा मानों मे किसी भीमकाय जहाज की छत पर चल रहा हूँ" चित्तौड़गढ दुर्ग ही राज्य का एकमात्र एसा दुर्ग है जो शुक्रनिती में वर्णित दुर्गों के अधिकांश प्रकार के अर्न्तगत रखा जा सकता है। जैसे गिरी दुर्ग, सैन्य दुर्ग, सहाय दुर्ग आदि।...

Top 10 Simple Story in Hindi

• Top 10 Moral Stories in Hindi 1# मूर्ख बकरियां की कहानी – Short Simple Story in Hindi एक बार एक काली बकरी और एक भूरी बकरी संकरे पुल पर बीचोंबीच मिलीं। दोनों एक दूसरे से तुम पीछे हटो- तुम पीछे हटो कहके एक-दूसरे पर हमला कर दिया । मूर्ख बकरियों का संतुलन बिगड़ा और वे नदी में गिरकर डूब गई। कुछ देर बाद दूसरी दो बकरियाँ भी पुल से गुज़रीं । वे दोनों काफ़ी चतुर थीं। उनमें से एक नीचे बैठ गई और दूसरी उसके ऊपर से सुरक्षित दूसरी ओर चली गई । शिक्षा – क्रोध से हानी और शांत दिमाग से प्रसन्नता व सफलता प्राप्त होती है। 2# मुर्ख कौआ की कहानी – Short Simple Story in Hindi एक भूखे कौए को कहीं से पनीर का एक टुकड़ा मिला। कौआ पेड़ की टहनी पर बैठकर अपनी भूख शांत करना चाहता था। तभी एक लोमड़ी पेड़ के नीचे आयी । उसने कौए को पनीर के टुकड़े के साथ देख लिया था । लोमड़ी को देख कौए ने पनीर का टुकड़ा मज़बूती से चोंच में दबा लिया | लोमड़ी ने पनीर का टुकड़ा पाने के लिए कौए से कहा-” कौए भाई, तुम बहुत सुंदर हो, मुझे अपना गाना तो सुनाओ ।” प्रशंसा सुनकर कौआ कॉव-काँव करने लगा तो पनीर का टुकड़ा नीचे गिर गया। लोमड़ी पनीर का टुकड़ा लेकर वहाँ से भाग निकली। अब कौए की समझ में आ गया था कि लोमड़ी ने प्रशंसा करके उसे मूर्ख बनाया था । शिक्षा : किसी काम को करने से पहले आगा-पीछा विचार लें । 3# दो बिल्लिया की कहानी – A Small Story in Hindi एक बार दो बिल्लियों को एक रोटी मिली। उनमें से एक बिल्ली ने झपटकर रोटी उठा ली – और दूसरे ने उसे छीनने का प्रयास किया। जब वे दोनों बहस कर रही थीं, तभी एक बंदर वहाँ से गुज़र रहा था । बिल्लियों ने बंदर से कहा कि वह उनका विवाद हल करे। तब बंदर ने सहमति देकर रोटी के दो बराबर टुकड़े कर दिये। एक छोटा...

बौद्धिक शिक्षा प्रणाली (baudhic shiksha pranali)

बौद्धिक शिक्षा प्रारम्भ करने से पूर्व सर्वप्रथम बौद्ध मन्त्र का जाप कराया जाता था तत्पश्चात बालक का बौद्धिक शिक्षा में प्रवेश होता था। यहाँ हम भी बौद्ध मन्त्र के बाद ही बौद्धिक शिक्षा प्रणाली का अध्यन्न करेंगे – बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि मैं बुद्ध की शरण लेता हूं, मैं धर्म की शरण लेता हूं, मैं संघ की शरण लेता हूं भगवान बुद्ध ने चार आर्य सत्य की खोज की- 1 दुखम – संसार में दुःख है। 2 दुख समुदाया – दुःख का कारण है। 3 दुख निरोध – दुःख का निवारण संभव है। 4 दुख निरोध मार्ग – दुःख निवारण हेतु अष्टांगिक मार्ग का पालन करना। हमारे देश भारत में बौद्ध धर्म का आगमन लगभग 500 ईशा पूर्व हुआ माना जाता है। कहा जाता है कि अति इति का कारण बनता है। ऋग्वैदिक काल के बाद उत्तर वैदिक काल में जब समाज में जाति व रिती रिवाज का अधिक प्रसार होने लगा, तो समाज के कुछ लोग इसके विरोध में भी उठे। इस प्रकार की जाति तथा रिती रिवाज का विरोध करने वाले सर्वप्रथम चार्वाक व आजीविक थे। साथ ना मिलने के कारण इनकी आवाज को दबा दिया गया तथा इसी के साथ विरोध भी खत्म हो गया। IV.I यह भी जानें – परिचय बौद्ध धर्म की स्थापना का श्रेय महात्मा बुद्ध को जाता है। महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी नामक वन में हुआ था जो वर्तमान में नेपाल में है। महात्मा बुद्ध राजा शुद्धोधन के पुत्र थे तथा उनकी माता का नाम मायादेवी था। जन्म के 1 सप्ताह में ही उनकी माता का देहांत हो गया जिसके बाद उनका लालन पोषण उनकी मौसी गौतमी द्वारा हुआ। गौतम बुद्ध को जन्म से सिद्धार्थ नाम से जाना जाता था। असित ऋषि द्वारा सिद्धार्थ के 32 महापुरुष लक्षणों को देखकर उनके बुद्धत्व की भविष्यवाणी की गई थी। 500 ई...