राजपूताना मध्य भारत सभा

  1. राजस्थान का राजनीतिक चेतना एवं स्वतंत्रता के लिए संघर्ष सामान्य ज्ञान
  2. राजस्थान में प्रजामण्डल आंदोलन {Republican movement in Rajasthan} राजस्थान GK अध्ययन नोट्स
  3. राजस्थान मध्य भारत सभा की स्थापना
  4. राजस्थान में जनजागृति और प्रजामण्डल PART
  5. अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद की स्थापना
  6. राजस्थान मध्य भारत सभा की स्थापना
  7. राजस्थान में जनजागृति और प्रजामण्डल PART
  8. राजस्थान में प्रजामण्डल आंदोलन {Republican movement in Rajasthan} राजस्थान GK अध्ययन नोट्स
  9. अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद की स्थापना
  10. राजस्थान का राजनीतिक चेतना एवं स्वतंत्रता के लिए संघर्ष सामान्य ज्ञान


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राजस्थान का राजनीतिक चेतना एवं स्वतंत्रता के लिए संघर्ष सामान्य ज्ञान

RAJASTHAN RAJNITIK CHETNA RPSC GK IN HINDI • महाराणा प्रताप का राज्यारोहण (राज्याभिषेक) हुआ था- (a) चित्तौड़गढ़ में (b) गोगुन्दा में (c) उदयपुर में (d) राजसमंद में Ans: (b) • कोटा में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में विप्लवकारियों के नेता थे- (a) जयदयाल एवं मेहराब खान (b) रावत बाघसिंह (c) ठाकुर खुशालसिंह (d) अनार सिंह Ans: (a) • निम्न को सुमेलित कीजिए – स्वतंत्रता सेनानी जन्मस्थान (अ) अमरचन्द 1. बाँसिया ग्राम, बाँठिया डँूगरपुर (ब) रिसालदार 2. बीकानेर मेहराबखाँ पठान (स) गोविन्द गिरी 3. करौली (द) मोतीलाल। 4. कोल्यारी ग्राम, तेजावत उदयपुर (a) अ-1, ब-2, स-3, द-4 (b) अ-2, ब-3, स-4, द-1 (c) अ-3, ब-4, स-1, द-2 (d) अ-2, ब-3, स-1, द-4 Ans: (d) • जोधपुर लीजन के सैनिकों ने किस छावनी में क्रांति का उद्‌घोष किया था? (a) नीमच (b) जोधपुर (c) ऐरिनपुरा (d) ब्यावर Ans: (c) • 1857 में हुए विप्लव के समय राजस्थान में एजेन्ट टू गवर्नर जनरल के पद पर कार्यरत थे- (a) कैप्टन शावर्स (b) मेजर बर्टन (c) कैप्टन मोक मेसन (d) जॉर्ज पैट्रिक लॉरेन्स राजस्थान Ans: (d) • ‘कुआडा’ (भीलवाड़ा) स्थान पर तांत्या टोपे की सेना का मुकाबला किस अँग्रेज अफसर की सेना से हुआ था? (a) कैप्टन शावर्स (b) ब्रिगेडियर जॉर्ज लॉरेन्स (c) कैप्टन हीथकोट (d) जनरल रॉबर्ट्‌स Ans: (d) • बिथौड़ा के युद्ध में खुशालसिंह के नेतृत्व में क्रांतिकारियों की सेना ने किस अँग्रेज अफसर की सेना को हराया था? (a) कैप्टन शावर्स (b) ब्रिगेडियर जॉर्ज लॉरेन्स (c) कैप्टन मौकमेसन (d) कैप्टन हीथकोट Ans: (d) • हाड़ा राजपूतों की प्रथम राजधानी कौन सी थी? (a) कोटा (b) बूँदी (c) दौसा (d) अलवर Ans: (b) • निम्न को सुमेलित कीजिए – समाचार पत्र सम्पादक (अ) प्रताप 1. श्री गणे...

राजस्थान में प्रजामण्डल आंदोलन {Republican movement in Rajasthan} राजस्थान GK अध्ययन नोट्स

• प्रजामण्डल भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय रियासतों की जनता के संगठन थे। 1920 के दशक में प्रजामण्डलों की स्थापना तेजी से हुई। • भारतीय रियासतों का शासन व्यवस्था ब्रिटिश नियंत्रण वाले भारतीय क्षेत्र से भिन्न थी तथा अनेक रियासतों के राजा प्रायः अंग्रेजों के मुहरे के समान व्यवहार करते थे। शुरुआती दौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस देशी रियासतों में आन्दोलन के प्रति उदासीन रही तथा रियासतों को अपने अभियान से अलग रखा था। हरिपुरा अधिवेशन (1938) में कांग्रेस की नीति में परिवर्तन आया। रियासती जनता को भी अपने-अपने राज्य में संगठन निर्माण करने तथा अपने अधिकारों के लिए आन्दोलन करने की छूट दे दी। • राजस्थान में प्रजा मंडल आन्दोलन राजनीतिक जागरण एवं देश में गाँधी जी के नेतृत्व में चल रहे स्वतंत्र संघर्ष का परिणाम था। इसकी पृष्ठभूमि राजस्थान राज्यों में चल रहे कृषक आन्दोलन थे। कृषकों ने विभिन्न आन्दोलनों के माध्यम से उस समय के ठिकानेदारों और जागीरदारों के अत्याचारों को तथा कृषि संबंध में आये विचार को स्पष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रचलित व्यवस्था में असन्तोष व्यापक था। इसलिए 1920 ई. के पश्चात् राजनीतिक अधिकारों और सामाजिक सुधारों से संबंधित संस्थाओं की स्थापना हुई। • जयपुर प्रजामण्डल (1931): 1931 ई॰ मे कपूरचन्द पाटनी ने जयपुर प्रजामण्डल का गठन किया था। यह राजस्थान का प्रथम प्रजामण्डल था।सन् 1936 में जयपुर राज्य प्रजा मण्डल का पुनगर्ठन हुआ। इस कार्य के लिए वनस्थली से हीरालाल शास्री को आमन्त्रित किया गया और उन्हें प्रजा मण्डल का प्रधानमंत्री बनाया गया। प्रजामण्डल के सभापति सुप्रसिद्ध एडवोकेट श्री चिरंजीलाल मिश्र बनाए गये। 1938 में प्रजा मण्डल का पहला अधिवेशन जयपुर में हुआ...

राजस्थान मध्य भारत सभा की स्थापना

राजस्थान मध्य भारत सभा – जमनालाल बजाज की अध्यक्षता में दिल्ली में हुआ। इसका मुख्यालय अजमेर में रखना तय किया गया। बजाज के अतिरिक्त इस संस्था के प्रमुख कार्यकर्त्ता थे – सेठ गोविन्द दास (जबलपुर), गणेश शंकर विद्यार्थी (ग्वालियर), चाँदकरण शारदा (अजमेर), स्वामी नरसिंह देव (जयपुर), References : 1. पुस्तक - राजस्थान का इतिहास, लेखक- शर्मा व्यास

राजस्थान में जनजागृति और प्रजामण्डल PART

1857 ई. का प्रथम स्वाधीनता संग्राम सफल नहीं हो पाया, परंतु जनता में नवचेतना व जागृति की भावना अवश्य उत्पन्न हो गई। इसके लिए निम्नांकित कारक उत्तरदायी थे • राजस्थान के सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक वैभव की आत्मानुभूति जब हिन्दी, गुजराती और बांग्ला साहित्य से राजस्थानी चरित्रों के बारे में हुई, तब जनता अपने प्राचीन गौरव के प्रति सजग हो उठी। • आर्य समाज की शाखाओं ने भी राजस्थान में स्वतंत्रता के प्रति विचारों को फैलाकर राष्ट्रीय चेतना प्रज्ज्वलित की। राजनीतिक जागृति की भावना को विकसित करने में स्वामी दयानंद सरस्वती और स्वामी विवेकानंद का महत्वपूर्ण योगदान रहा।। • साहित्य और पत्रकारिता ने भी राष्ट्रीय भावना को जगाया। बंकिमचन्द्र चटर्जी के ‘वन्देमातरम्’ गान से राजस्थान गूंज उठा। राजस्थान समाचार, देश हितैषी, परोपकारक आदि समाचार पत्रों ने भी राष्ट्रीय भावना की जागृति में महत्वपूर्ण सहयोग दिया। उदयपुर से ‘सज्जन कीर्ति सुधाकर’ तथा अजमेर से एक अंग्रेजी साप्ताहिक राजस्थान टाइम्स’ का सन् 1885 ई. में प्रकाशन शुरू हुआ। अखबारों के माध्यम से लोगों में राष्ट्रीय और राजनीतिक चेतना का उदय हुआ। • छप्पनियां के भीषण अकाल के समय अंग्रेजों की ओर से जो उपेक्षा बरती गई, उसके कारण अंग्रेजों के प्रति विरोध का वातावरण बना। अतः जनता के मन में स्वतंत्रता प्राप्ति के विचार बनने आरम्भ हो गए। • एडवर्ड सप्तम के राज्यारोहण समारोह के समय उदयपुर के महाराणा फतेह सिंह को आमंत्रित किया गया। इसमें शामिल होने के लिए उन्होंने दिल्ली प्रस्थान किया। तभी उन्हें रास्ते में शाहपुरा के क्रांतिकारी केसरी सिंह बारहठ ने ‘चेतावनी रा शृंगटियाँ’ नामक एक रचना भेंट की। उससे उनमें आत्मसम्मान की भावना जागी और उन्होंने ‘दिल्ली दरबार’ के स...

अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद की स्थापना

अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद – राजस्थान में विभिन्न संगठनों द्वारा राजनैतिक चेतना विकसित करने का कार्य किया गया। इस प्रकार के संगठन भारत के अन्य देशी राज्यों में भी सक्रिय थे। इन संगठनों के कार्यकर्ता आपस में मिलते रहते थे तथा ब्रिटिश प्रान्तों के काँग्रेसी कार्यकत्ताओं से भी विचार-विमर्श होता रहता था। किन्तु देशी राज्य के कार्यकर्ताओं का कोई केन्द्रीय संगठन नहीं था, जबकि विभिन्न देशी राज्यों की समस्याएँ लगभग समान थी। अतः देशी राज्यों की जनता को एक सूत्र में बाँधने की दृष्टि से एक केन्द्रीय संगठन की आवश्यकता अनुभव की गयी। इधर अखिल भारतीय स्तर पर स्थिति तेजी से बदल रही थी। भारतीय शासकों के संगठन चेम्बर ऑफ प्रिन्सेज में शासक अपने समान, प्रतिष्ठा और अधिकारों के प्रश्न पर विचार-विमर्श कर बटलर समिति नियुक्त करवाने में सफल हो गये थे। इस समिति को शासकों के अधिकारों और राज्यों की आर्थिक सुविधाओं के संबंध में अपनी रिपोर्ट देनी थी। इसी समय साइमन कमीशन की नियुक्ति हुई जिसे भारत में भावी संवैधानिक प्रगति पर अपनी रिपोर्ट देनी थी। इन घटनाओं ने भी भारतीय देशी राज्यों के कार्यकर्त्ताओं को प्रेरणा दी। मार्च, 1920 ई. में देशी राज्य लोक परिषद चाहती थी कि राज्यों के अधिकारियों द्वारा निर्णय करते समय जन प्रतिनिधियों को भी अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाय। वह बटलर समिति के समक्ष जनता का पक्ष रखना चाहती थी। किन्तु ब्रिटिश सरकार को अखिल भारतीय परिप्रेक्ष्य में चेम्बर ऑफ प्रिन्सेज के सहयोग की आवश्यकता थी अतः ब्रिटिश सरकार ने जन प्रतिनिधियों को बटलर समिति के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं दी। विभिन्न स्थानों पर राज्य के आंतरिक प्रशासन में सुधार की माँग जोर पकङने लगी। देशी ...

राजस्थान मध्य भारत सभा की स्थापना

राजस्थान मध्य भारत सभा – जमनालाल बजाज की अध्यक्षता में दिल्ली में हुआ। इसका मुख्यालय अजमेर में रखना तय किया गया। बजाज के अतिरिक्त इस संस्था के प्रमुख कार्यकर्त्ता थे – सेठ गोविन्द दास (जबलपुर), गणेश शंकर विद्यार्थी (ग्वालियर), चाँदकरण शारदा (अजमेर), स्वामी नरसिंह देव (जयपुर), References : 1. पुस्तक - राजस्थान का इतिहास, लेखक- शर्मा व्यास

राजस्थान में जनजागृति और प्रजामण्डल PART

1857 ई. का प्रथम स्वाधीनता संग्राम सफल नहीं हो पाया, परंतु जनता में नवचेतना व जागृति की भावना अवश्य उत्पन्न हो गई। इसके लिए निम्नांकित कारक उत्तरदायी थे • राजस्थान के सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक वैभव की आत्मानुभूति जब हिन्दी, गुजराती और बांग्ला साहित्य से राजस्थानी चरित्रों के बारे में हुई, तब जनता अपने प्राचीन गौरव के प्रति सजग हो उठी। • आर्य समाज की शाखाओं ने भी राजस्थान में स्वतंत्रता के प्रति विचारों को फैलाकर राष्ट्रीय चेतना प्रज्ज्वलित की। राजनीतिक जागृति की भावना को विकसित करने में स्वामी दयानंद सरस्वती और स्वामी विवेकानंद का महत्वपूर्ण योगदान रहा।। • साहित्य और पत्रकारिता ने भी राष्ट्रीय भावना को जगाया। बंकिमचन्द्र चटर्जी के ‘वन्देमातरम्’ गान से राजस्थान गूंज उठा। राजस्थान समाचार, देश हितैषी, परोपकारक आदि समाचार पत्रों ने भी राष्ट्रीय भावना की जागृति में महत्वपूर्ण सहयोग दिया। उदयपुर से ‘सज्जन कीर्ति सुधाकर’ तथा अजमेर से एक अंग्रेजी साप्ताहिक राजस्थान टाइम्स’ का सन् 1885 ई. में प्रकाशन शुरू हुआ। अखबारों के माध्यम से लोगों में राष्ट्रीय और राजनीतिक चेतना का उदय हुआ। • छप्पनियां के भीषण अकाल के समय अंग्रेजों की ओर से जो उपेक्षा बरती गई, उसके कारण अंग्रेजों के प्रति विरोध का वातावरण बना। अतः जनता के मन में स्वतंत्रता प्राप्ति के विचार बनने आरम्भ हो गए। • एडवर्ड सप्तम के राज्यारोहण समारोह के समय उदयपुर के महाराणा फतेह सिंह को आमंत्रित किया गया। इसमें शामिल होने के लिए उन्होंने दिल्ली प्रस्थान किया। तभी उन्हें रास्ते में शाहपुरा के क्रांतिकारी केसरी सिंह बारहठ ने ‘चेतावनी रा शृंगटियाँ’ नामक एक रचना भेंट की। उससे उनमें आत्मसम्मान की भावना जागी और उन्होंने ‘दिल्ली दरबार’ के स...

राजस्थान में प्रजामण्डल आंदोलन {Republican movement in Rajasthan} राजस्थान GK अध्ययन नोट्स

• प्रजामण्डल भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय रियासतों की जनता के संगठन थे। 1920 के दशक में प्रजामण्डलों की स्थापना तेजी से हुई। • भारतीय रियासतों का शासन व्यवस्था ब्रिटिश नियंत्रण वाले भारतीय क्षेत्र से भिन्न थी तथा अनेक रियासतों के राजा प्रायः अंग्रेजों के मुहरे के समान व्यवहार करते थे। शुरुआती दौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस देशी रियासतों में आन्दोलन के प्रति उदासीन रही तथा रियासतों को अपने अभियान से अलग रखा था। हरिपुरा अधिवेशन (1938) में कांग्रेस की नीति में परिवर्तन आया। रियासती जनता को भी अपने-अपने राज्य में संगठन निर्माण करने तथा अपने अधिकारों के लिए आन्दोलन करने की छूट दे दी। • राजस्थान में प्रजा मंडल आन्दोलन राजनीतिक जागरण एवं देश में गाँधी जी के नेतृत्व में चल रहे स्वतंत्र संघर्ष का परिणाम था। इसकी पृष्ठभूमि राजस्थान राज्यों में चल रहे कृषक आन्दोलन थे। कृषकों ने विभिन्न आन्दोलनों के माध्यम से उस समय के ठिकानेदारों और जागीरदारों के अत्याचारों को तथा कृषि संबंध में आये विचार को स्पष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रचलित व्यवस्था में असन्तोष व्यापक था। इसलिए 1920 ई. के पश्चात् राजनीतिक अधिकारों और सामाजिक सुधारों से संबंधित संस्थाओं की स्थापना हुई। • जयपुर प्रजामण्डल (1931): 1931 ई॰ मे कपूरचन्द पाटनी ने जयपुर प्रजामण्डल का गठन किया था। यह राजस्थान का प्रथम प्रजामण्डल था।सन् 1936 में जयपुर राज्य प्रजा मण्डल का पुनगर्ठन हुआ। इस कार्य के लिए वनस्थली से हीरालाल शास्री को आमन्त्रित किया गया और उन्हें प्रजा मण्डल का प्रधानमंत्री बनाया गया। प्रजामण्डल के सभापति सुप्रसिद्ध एडवोकेट श्री चिरंजीलाल मिश्र बनाए गये। 1938 में प्रजा मण्डल का पहला अधिवेशन जयपुर में हुआ...

अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद की स्थापना

अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद – राजस्थान में विभिन्न संगठनों द्वारा राजनैतिक चेतना विकसित करने का कार्य किया गया। इस प्रकार के संगठन भारत के अन्य देशी राज्यों में भी सक्रिय थे। इन संगठनों के कार्यकर्ता आपस में मिलते रहते थे तथा ब्रिटिश प्रान्तों के काँग्रेसी कार्यकत्ताओं से भी विचार-विमर्श होता रहता था। किन्तु देशी राज्य के कार्यकर्ताओं का कोई केन्द्रीय संगठन नहीं था, जबकि विभिन्न देशी राज्यों की समस्याएँ लगभग समान थी। अतः देशी राज्यों की जनता को एक सूत्र में बाँधने की दृष्टि से एक केन्द्रीय संगठन की आवश्यकता अनुभव की गयी। इधर अखिल भारतीय स्तर पर स्थिति तेजी से बदल रही थी। भारतीय शासकों के संगठन चेम्बर ऑफ प्रिन्सेज में शासक अपने समान, प्रतिष्ठा और अधिकारों के प्रश्न पर विचार-विमर्श कर बटलर समिति नियुक्त करवाने में सफल हो गये थे। इस समिति को शासकों के अधिकारों और राज्यों की आर्थिक सुविधाओं के संबंध में अपनी रिपोर्ट देनी थी। इसी समय साइमन कमीशन की नियुक्ति हुई जिसे भारत में भावी संवैधानिक प्रगति पर अपनी रिपोर्ट देनी थी। इन घटनाओं ने भी भारतीय देशी राज्यों के कार्यकर्त्ताओं को प्रेरणा दी। मार्च, 1920 ई. में देशी राज्य लोक परिषद चाहती थी कि राज्यों के अधिकारियों द्वारा निर्णय करते समय जन प्रतिनिधियों को भी अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाय। वह बटलर समिति के समक्ष जनता का पक्ष रखना चाहती थी। किन्तु ब्रिटिश सरकार को अखिल भारतीय परिप्रेक्ष्य में चेम्बर ऑफ प्रिन्सेज के सहयोग की आवश्यकता थी अतः ब्रिटिश सरकार ने जन प्रतिनिधियों को बटलर समिति के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं दी। विभिन्न स्थानों पर राज्य के आंतरिक प्रशासन में सुधार की माँग जोर पकङने लगी। देशी ...

राजस्थान का राजनीतिक चेतना एवं स्वतंत्रता के लिए संघर्ष सामान्य ज्ञान

RAJASTHAN RAJNITIK CHETNA RPSC GK IN HINDI • महाराणा प्रताप का राज्यारोहण (राज्याभिषेक) हुआ था- (a) चित्तौड़गढ़ में (b) गोगुन्दा में (c) उदयपुर में (d) राजसमंद में Ans: (b) • कोटा में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में विप्लवकारियों के नेता थे- (a) जयदयाल एवं मेहराब खान (b) रावत बाघसिंह (c) ठाकुर खुशालसिंह (d) अनार सिंह Ans: (a) • निम्न को सुमेलित कीजिए – स्वतंत्रता सेनानी जन्मस्थान (अ) अमरचन्द 1. बाँसिया ग्राम, बाँठिया डँूगरपुर (ब) रिसालदार 2. बीकानेर मेहराबखाँ पठान (स) गोविन्द गिरी 3. करौली (द) मोतीलाल। 4. कोल्यारी ग्राम, तेजावत उदयपुर (a) अ-1, ब-2, स-3, द-4 (b) अ-2, ब-3, स-4, द-1 (c) अ-3, ब-4, स-1, द-2 (d) अ-2, ब-3, स-1, द-4 Ans: (d) • जोधपुर लीजन के सैनिकों ने किस छावनी में क्रांति का उद्‌घोष किया था? (a) नीमच (b) जोधपुर (c) ऐरिनपुरा (d) ब्यावर Ans: (c) • 1857 में हुए विप्लव के समय राजस्थान में एजेन्ट टू गवर्नर जनरल के पद पर कार्यरत थे- (a) कैप्टन शावर्स (b) मेजर बर्टन (c) कैप्टन मोक मेसन (d) जॉर्ज पैट्रिक लॉरेन्स राजस्थान Ans: (d) • ‘कुआडा’ (भीलवाड़ा) स्थान पर तांत्या टोपे की सेना का मुकाबला किस अँग्रेज अफसर की सेना से हुआ था? (a) कैप्टन शावर्स (b) ब्रिगेडियर जॉर्ज लॉरेन्स (c) कैप्टन हीथकोट (d) जनरल रॉबर्ट्‌स Ans: (d) • बिथौड़ा के युद्ध में खुशालसिंह के नेतृत्व में क्रांतिकारियों की सेना ने किस अँग्रेज अफसर की सेना को हराया था? (a) कैप्टन शावर्स (b) ब्रिगेडियर जॉर्ज लॉरेन्स (c) कैप्टन मौकमेसन (d) कैप्टन हीथकोट Ans: (d) • हाड़ा राजपूतों की प्रथम राजधानी कौन सी थी? (a) कोटा (b) बूँदी (c) दौसा (d) अलवर Ans: (b) • निम्न को सुमेलित कीजिए – समाचार पत्र सम्पादक (अ) प्रताप 1. श्री गणे...