राजस्थान विधानसभा सीट कितनी है 2022

  1. यानी अब मिलेगा उनको न्याय!
  2. 2022 में कौन कौन से राज्य में चुनाव होने वाले हैं?
  3. Congress wants to change the custom of Rajasthan
  4. Rajasthan By election Sardarshahr seat will be semi final of 2023 assembly elections examination for BJP Congress
  5. BJP ने 2019 में 105 लोकसभा सीटें जीतीं, जो 2014 में 42 थी, 2024 के लिए इसके क्या हैं मायने
  6. 2022 में कौन कौन से राज्य में चुनाव होने वाले हैं?
  7. Rajasthan By election Sardarshahr seat will be semi final of 2023 assembly elections examination for BJP Congress
  8. BJP ने 2019 में 105 लोकसभा सीटें जीतीं, जो 2014 में 42 थी, 2024 के लिए इसके क्या हैं मायने
  9. Congress wants to change the custom of Rajasthan
  10. यानी अब मिलेगा उनको न्याय!


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यानी अब मिलेगा उनको न्याय!

मुरादाबाद जिला कचहरी से दो किलोमीटर दूर, दिल्ली-रामपुर रोड के बगल, मोहल्ला गलशहीद गदर का गवाह रहा है. मुरादाबाद के नवाब मज्जू खां और उनके सैनिकों ने 1857 के गदर के दौरान अंग्रेजी पलटनों को नैनीताल तक खदेड़ दिया था. सरकारी खजाने पर कब्जा हो गया था. इसी जांबाजी के चलते बहादुर शाह जफर ने 8 जून, 1857 को मज्जू खां को मुरादाबाद का हाकिम घोषित किया था. कुछ समय बाद अंग्रेज वापस आए. मज्जू खां की सेना ने उनका मुकाबला किया पर अंग्रेजों की मजबूत सेना से पार न पा सके. ईदगाह के पास मौजूद एक कब्रिस्तान में मज्जू खां का सिर कलम करके इमली के पेड़ पर लटका दिया गया. इसके बाद से इस कब्रिस्तान के आसपास का इलाका गलशहीद के नाम से जाना जाने लगा. करीब सवा सौ साल बाद 1980 में मुरादाबाद का यही गलशहीद इलाका यूपी के बड़े दंगों में से एक का गवाह बना. मुरादाबाद दंगों का जिक्र आते ही गलशहीद कोतवाली के पीछे रहने वाली साजिदा बेगम (75) बेचैन हो उठती हैं. कांपते हाथों से आंसू पोछते हुए वे 13 अगस्त, 1980 की उस मनहूस घड़ी को कोसती हैं जब पुलिस वालों के कहने पर उन्होंने घर का दरवाजा खोल दिया था. साजिदा बताती हैं, ''पुलिस वाले मेरे शौहर (सज्जान हुसैन), ससुर, देवर और नौकर को पकड़कर ले गए. मुझे यही बताते रहे वे लोग जेल में हैं लेकिन आज दिन तक उनका कोई पता नहीं चल पाया है.'' दंगे थमने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी साजिदा से मिलने आई थीं. उन्होने वित्तीय मदद की पेशकश भी की थी पर साजिदा ने साफ मना कर दिया. उस वक्त साजिदा की शादी को महज 13 साल हुए थे. बच्चे बहुत छोटे थे. पति की तलाश में वे दर-दर भटकीं लेकिन उनका कहीं कोई पता न चला. हालात ऐसे बने कि भीख मांगने तक की नौबत आ गई. घरों में झाड़ू-पोंछा करके उन्ह...

2022 में कौन कौन से राज्य में चुनाव होने वाले हैं?

Assembly Election 2022: पांच राज्यों के चुनाव अब खत्म होने की ओर, जानें- साल 2022, 2023 में गुजरात सहित कहां-कहां होने हैं विधानसभा चुनाव Assembly Election 2022: 2023 में कुल 9 राज्यों में चुनाव होने हैं. इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम शामिल है. 2024 में लोकसभा चुनाव है. Assembly Election in 2022: 8 जनवरी को चुनाव आयोग (Assembly Commission) ने देश के 5 राज्यों- उत्तर प्रदेश (UP), उत्तराखंड (Uttarakhand), पंजाब (Punjab), गोवा (Goa) और मणिपुर (Manipur) के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया था. इनमें से उत्तराखंड, गोवा और पंजाब में वोटिंग हो चुकी है. उत्तराखंड और गोवा में 14 और पंजाब में 20 फरवरी को मतदान एक चरण में ही समाप्त हुआ, जबकि मणिपुर में पहले चरण में 27 फरवरी को वोटिंग हुई और अब दूसरे चरण में कल यानी 3 मार्च को लोग अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे. दूसरी तरफ यूपी की बात करें तो चुनाव आयोग ने यहां कुल 7 चरणों में चुनाव कराने का फैसला लिया था, जिसमें से 5 चरण में 10, 14, 20, 23 और 27 फरवरी को वोटिंग हो चुकी है. छठे चरण में 3 मार्च को मतदान होगा. इसके अलावा अंतिम चरण में 7 मार्च को लोग अपने वोट का इस्तेमाल करेंगे. इसी के साथ यूपी में विधानसभा चुनाव संपन्न हो जाएगा. इसके बाद सभी की नज़र 10 मार्च पर टिक जाएगी, जिस दिन इन पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती होगी और फिर पता चलेगा कि किस राज्य में कौन सी पार्टी सरकार बना रही है. 2022 के अंत में इन राज्यों में होंगे विधानसभा चुनाव • वहीं इसी साल यानी 2022 में ही कुछ और राज्यों में भी चुनाव होने वाले हैं और उसकी सुगबुगाहट अभी से शुरू हो गई है. सभी...

Congress wants to change the custom of Rajasthan

- हर सीट पर किया सर्वे, पार्टी कमजोर सीट पर नए लोगों को देगी मौका नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में बदलाव का रिवाज बरकरार रखते हुए जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस राजस्थान में रिवाज बदलना चाहती है। पार्टी को भरोसा है कि विधानसभा चुनाव में वह जीत दर्ज कर फिर सरकार बनाएगी। इसलिए, पार्टी मिशन सरकार रिपीट पर काम कर रही है। राजस्थान में हर पांच साल में बदलाव का रिवाज है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिस तरह योजनाओं का ऐलान और उन्हें लागू किया है, उससे कांग्रेस को उम्मीद जगी है। हालांकि, मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बीच रार अभी बरकरार है। पायलट ने रविवार को भी दौसा में मुख्यमंत्री का नाम लिए बगैर निशाना साधा। इससे सरकार की चुनौतियां बढ़ी हैं। वहीं, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गहलोत ने चुनावी वर्ष में जिस तरह योजनाओं की घोषणा और उन्हें लागू किया है, उससे काफी बदलाव आया है। योजनाओं के साथ पार्टी संगठन को मजबूत करने और सभी को साधने पर भी जोर दे रही है। वहीं, कांग्रेस अपनी कमजोर सीट पर अलग से रणनीति बना रही है। कई कल्याण बोर्ड का गठन किया चुनाव से पहले अलग-अलग समाजों को साधने की रणनीति के तहत प्रदेश सरकार ने कई कल्याण बोर्ड का गठन किया है। इनमें गुर्जर समाज के आराध्य भगवान देवनारायण की जयंती पर अवकाश की घोषणा और महाराणा प्रताप बोर्ड सहित एससी व ओबीसी से जुड़े तीन बोर्ड को मंजूरी देना शामिल हैं ताकि, सर्व समाज का साथ मिल सके। इसके साथ पार्टी राजस्थान कांग्रेस संगठन के पेंच भी कस रही है। पार्टी इस माह के अंत में विधायकों का सम्मेलन करने की तैयारी कर रही है, ताकि चुनाव रणनीति को अंतिम रूप दिया जा सके। पार्टी ने उम्मीदवारों को लेकर एक सर...

Rajasthan By election Sardarshahr seat will be semi final of 2023 assembly elections examination for BJP Congress

Rajasthan By election Sardarshahr seat will be semi final of 2023 assembly elections examination for BJP Congress | राजस्थान : सरदारशहर सीट का उपचुनाव होगा विधानसभा चुनाव 2023 का सेमीफाइनल, BJP, Congress के लिए परीक्षा | Hindi News, Churu राजस्थान : सरदारशहर सीट का उपचुनाव होगा विधानसभा चुनाव 2023 का सेमीफाइनल, BJP, Congress के लिए परीक्षा Sardarshahar seat bypoll election : राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 से पहले सरदारशहर विधानसभा सीट के उपचुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए परीक्षा की घड़ी है. भंवरलाल शर्मा के निधन से ये सीट खाली हुई है. जो कांग्रेस ( congress ) से विधायक थे. कांग्रेस जहां अशोक गहलोत सरकार की योजनाओं के नाम पर जनता के बीच वोट मांगेगी तो वहीं बीजेपी इन चुनावों में कांग्रेस की अंदरूनी कलह, कानून व्यवस्था और किसानों के मुद्दे पर घेरने की तैयारी कर रही है. कितना महत्वपूर्ण है सरदारशहर उपचुनाव राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 के चुनावों में कांग्रेस को राज्य में 99 सीटें मिली थी. लेकिन चुनावों के बीच ही अलवर की रामगढ़ सीट पर बसपा प्रत्याशी का निधन हो गया था. जिससे चुनाव आयोग ने रामगढ़ विधानसभा सीट का चुनाव स्थगित कर दिया था. बाद में जब यहां चुनाव हुए तो कांग्रेस की ओर से साफिया जुबैर चुनाव जीतने में कामयाब रही. तब तक सूबे में कांग्रेस की सरकार बन चुकी थी. जाहिर सी बात है इसका साफिया जुबैर को फायदा भी मिली. रामगढ़ सीट को जीतकर ही कांग्रेस के विधायकों की संख्या 100 हुई थी. साल 2019 के लोकसभा चुनाव हुए. तो नागौर की खींवसर विधानसभा सीट से विधायक हनुमान बेनीवाल नागौर के सांसद बन गए. और झुंझुनूं की मंडावा सीट के विधायक नरेंद्र कुमार को बीजेपी ने टिकट दिया तो वो भी झुंझु...

BJP ने 2019 में 105 लोकसभा सीटें जीतीं, जो 2014 में 42 थी, 2024 के लिए इसके क्या हैं मायने

नई दिल्ली: 2019 के लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 105 सीटों पर 3 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की—2014 की तुलना में 63 सीटें अधिक—जो दर्शाता है कि विपक्षी दलों के सामने 2024 के आम चुनावों में चुनौती कितनी बड़ी है. 23 जून को 18 विपक्षी दलों की पटना में बैठक होने वाली है ताकि आगामी चुनावों में बीजेपी को हराने के लिए एकीकृत रणनीति बनाने की कोशिश की जा सके. दिप्रिंट ने 2014 और 2019 के चुनावों में उम्मीदवारों की जीत के अंतर का विश्लेषण किया है. 2019 में 2 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीतने वाले 236 उम्मीदवारों में से 164 भाजपा के थे. तीन लाख से अधिक मतों के अंतर से जीतने वाले 131 में से 105 भाजपा के थे—शेष 26 में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के 10, कांग्रेस के पांच और बाकी अन्य उम्मीदवार शामिल थे. भाजपा के उम्मीदवारों ने 44 सीटों पर 4 लाख से अधिक मतों से और 15 सीटों पर 5 लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की. लोकनीति के प्रोफेसर और सह-निदेशक संजय कुमार ने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) में एक शोध कार्यक्रम दिप्रिंट से कहा, “निकटतम प्रतिद्वंद्वी (कांग्रेस) का वोट शेयर 2019 में 2014 की तरह ही रहा, लेकिन बीजेपी का वोट शेयर बढ़ गया. इसलिए, आप उम्मीद कर सकते हैं कि भाजपा के अधिकतर सांसद बड़े अंतर से (2024 में) भी जीतेंगे. अलग-अलग राज्यों में अधिक उम्मीदवारों के बड़े अंतर से जीतने की भी उम्मीद होगी.” अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सह...

2022 में कौन कौन से राज्य में चुनाव होने वाले हैं?

Assembly Election 2022: पांच राज्यों के चुनाव अब खत्म होने की ओर, जानें- साल 2022, 2023 में गुजरात सहित कहां-कहां होने हैं विधानसभा चुनाव Assembly Election 2022: 2023 में कुल 9 राज्यों में चुनाव होने हैं. इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम शामिल है. 2024 में लोकसभा चुनाव है. Assembly Election in 2022: 8 जनवरी को चुनाव आयोग (Assembly Commission) ने देश के 5 राज्यों- उत्तर प्रदेश (UP), उत्तराखंड (Uttarakhand), पंजाब (Punjab), गोवा (Goa) और मणिपुर (Manipur) के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया था. इनमें से उत्तराखंड, गोवा और पंजाब में वोटिंग हो चुकी है. उत्तराखंड और गोवा में 14 और पंजाब में 20 फरवरी को मतदान एक चरण में ही समाप्त हुआ, जबकि मणिपुर में पहले चरण में 27 फरवरी को वोटिंग हुई और अब दूसरे चरण में कल यानी 3 मार्च को लोग अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे. दूसरी तरफ यूपी की बात करें तो चुनाव आयोग ने यहां कुल 7 चरणों में चुनाव कराने का फैसला लिया था, जिसमें से 5 चरण में 10, 14, 20, 23 और 27 फरवरी को वोटिंग हो चुकी है. छठे चरण में 3 मार्च को मतदान होगा. इसके अलावा अंतिम चरण में 7 मार्च को लोग अपने वोट का इस्तेमाल करेंगे. इसी के साथ यूपी में विधानसभा चुनाव संपन्न हो जाएगा. इसके बाद सभी की नज़र 10 मार्च पर टिक जाएगी, जिस दिन इन पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती होगी और फिर पता चलेगा कि किस राज्य में कौन सी पार्टी सरकार बना रही है. 2022 के अंत में इन राज्यों में होंगे विधानसभा चुनाव • वहीं इसी साल यानी 2022 में ही कुछ और राज्यों में भी चुनाव होने वाले हैं और उसकी सुगबुगाहट अभी से शुरू हो गई है. सभी...

Rajasthan By election Sardarshahr seat will be semi final of 2023 assembly elections examination for BJP Congress

Rajasthan By election Sardarshahr seat will be semi final of 2023 assembly elections examination for BJP Congress | राजस्थान : सरदारशहर सीट का उपचुनाव होगा विधानसभा चुनाव 2023 का सेमीफाइनल, BJP, Congress के लिए परीक्षा | Hindi News, Churu राजस्थान : सरदारशहर सीट का उपचुनाव होगा विधानसभा चुनाव 2023 का सेमीफाइनल, BJP, Congress के लिए परीक्षा Sardarshahar seat bypoll election : राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 से पहले सरदारशहर विधानसभा सीट के उपचुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए परीक्षा की घड़ी है. भंवरलाल शर्मा के निधन से ये सीट खाली हुई है. जो कांग्रेस ( congress ) से विधायक थे. कांग्रेस जहां अशोक गहलोत सरकार की योजनाओं के नाम पर जनता के बीच वोट मांगेगी तो वहीं बीजेपी इन चुनावों में कांग्रेस की अंदरूनी कलह, कानून व्यवस्था और किसानों के मुद्दे पर घेरने की तैयारी कर रही है. कितना महत्वपूर्ण है सरदारशहर उपचुनाव राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 के चुनावों में कांग्रेस को राज्य में 99 सीटें मिली थी. लेकिन चुनावों के बीच ही अलवर की रामगढ़ सीट पर बसपा प्रत्याशी का निधन हो गया था. जिससे चुनाव आयोग ने रामगढ़ विधानसभा सीट का चुनाव स्थगित कर दिया था. बाद में जब यहां चुनाव हुए तो कांग्रेस की ओर से साफिया जुबैर चुनाव जीतने में कामयाब रही. तब तक सूबे में कांग्रेस की सरकार बन चुकी थी. जाहिर सी बात है इसका साफिया जुबैर को फायदा भी मिली. रामगढ़ सीट को जीतकर ही कांग्रेस के विधायकों की संख्या 100 हुई थी. साल 2019 के लोकसभा चुनाव हुए. तो नागौर की खींवसर विधानसभा सीट से विधायक हनुमान बेनीवाल नागौर के सांसद बन गए. और झुंझुनूं की मंडावा सीट के विधायक नरेंद्र कुमार को बीजेपी ने टिकट दिया तो वो भी झुंझु...

BJP ने 2019 में 105 लोकसभा सीटें जीतीं, जो 2014 में 42 थी, 2024 के लिए इसके क्या हैं मायने

नई दिल्ली: 2019 के लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 105 सीटों पर 3 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की—2014 की तुलना में 63 सीटें अधिक—जो दर्शाता है कि विपक्षी दलों के सामने 2024 के आम चुनावों में चुनौती कितनी बड़ी है. 23 जून को 18 विपक्षी दलों की पटना में बैठक होने वाली है ताकि आगामी चुनावों में बीजेपी को हराने के लिए एकीकृत रणनीति बनाने की कोशिश की जा सके. दिप्रिंट ने 2014 और 2019 के चुनावों में उम्मीदवारों की जीत के अंतर का विश्लेषण किया है. 2019 में 2 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीतने वाले 236 उम्मीदवारों में से 164 भाजपा के थे. तीन लाख से अधिक मतों के अंतर से जीतने वाले 131 में से 105 भाजपा के थे—शेष 26 में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के 10, कांग्रेस के पांच और बाकी अन्य उम्मीदवार शामिल थे. भाजपा के उम्मीदवारों ने 44 सीटों पर 4 लाख से अधिक मतों से और 15 सीटों पर 5 लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की. लोकनीति के प्रोफेसर और सह-निदेशक संजय कुमार ने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) में एक शोध कार्यक्रम दिप्रिंट से कहा, “निकटतम प्रतिद्वंद्वी (कांग्रेस) का वोट शेयर 2019 में 2014 की तरह ही रहा, लेकिन बीजेपी का वोट शेयर बढ़ गया. इसलिए, आप उम्मीद कर सकते हैं कि भाजपा के अधिकतर सांसद बड़े अंतर से (2024 में) भी जीतेंगे. अलग-अलग राज्यों में अधिक उम्मीदवारों के बड़े अंतर से जीतने की भी उम्मीद होगी.” अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सह...

Congress wants to change the custom of Rajasthan

हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में बदलाव का रिवाज बरकरार रखते हुए जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस राजस्थान में रिवाज बदलना चाहती है। पार्टी को भरोसा है कि विधानसभा चुनाव में वह जीत दर्ज कर फिर सरकार बनाएगी। इसलिए, पार्टी मिशन सरकार रिपीट पर काम कर रही है। राजस्थान में हर पांच साल में बदलाव का रिवाज है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिस तरह योजनाओं का ऐलान और उन्हें लागू किया है, उससे कांग्रेस को उम्मीद जगी है। हालांकि, मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बीच रार अभी बरकरार है। पायलट ने रविवार को भी दौसा में मुख्यमंत्री का नाम लिए बगैर निशाना साधा। इससे सरकार की चुनौतियां बढ़ी हैं। वहीं, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गहलोत ने चुनावी वर्ष में जिस तरह योजनाओं की घोषणा और उन्हें लागू किया है, उससे काफी बदलाव आया है। योजनाओं के साथ पार्टी संगठन को मजबूत करने और सभी को साधने पर भी जोर दे रही है। वहीं, कांग्रेस अपनी कमजोर सीट पर अलग से रणनीति बना रही है। कई कल्याण बोर्ड का गठन किया चुनाव से पहले अलग-अलग समाजों को साधने की रणनीति के तहत प्रदेश सरकार ने कई कल्याण बोर्ड का गठन किया है। इनमें गुर्जर समाज के आराध्य भगवान देवनारायण की जयंती पर अवकाश की घोषणा और महाराणा प्रताप बोर्ड सहित एससी व ओबीसी से जुड़े तीन बोर्ड को मंजूरी देना शामिल हैं ताकि, सर्व समाज का साथ मिल सके। इसके साथ पार्टी राजस्थान कांग्रेस संगठन के पेंच भी कस रही है। पार्टी इस माह के अंत में विधायकों का सम्मेलन करने की तैयारी कर रही है, ताकि चुनाव रणनीति को अंतिम रूप दिया जा सके। पार्टी ने उम्मीदवारों को लेकर एक सर्वे भी कराया है। पार्टी के एक नेता के मुताबिक, कर्नाटक की तरह राजस्थान में भी सर्वे के आधार पर...

यानी अब मिलेगा उनको न्याय!

मुरादाबाद जिला कचहरी से दो किलोमीटर दूर, दिल्ली-रामपुर रोड के बगल, मोहल्ला गलशहीद गदर का गवाह रहा है. मुरादाबाद के नवाब मज्जू खां और उनके सैनिकों ने 1857 के गदर के दौरान अंग्रेजी पलटनों को नैनीताल तक खदेड़ दिया था. सरकारी खजाने पर कब्जा हो गया था. इसी जांबाजी के चलते बहादुर शाह जफर ने 8 जून, 1857 को मज्जू खां को मुरादाबाद का हाकिम घोषित किया था. कुछ समय बाद अंग्रेज वापस आए. मज्जू खां की सेना ने उनका मुकाबला किया पर अंग्रेजों की मजबूत सेना से पार न पा सके. ईदगाह के पास मौजूद एक कब्रिस्तान में मज्जू खां का सिर कलम करके इमली के पेड़ पर लटका दिया गया. इसके बाद से इस कब्रिस्तान के आसपास का इलाका गलशहीद के नाम से जाना जाने लगा. करीब सवा सौ साल बाद 1980 में मुरादाबाद का यही गलशहीद इलाका यूपी के बड़े दंगों में से एक का गवाह बना. मुरादाबाद दंगों का जिक्र आते ही गलशहीद कोतवाली के पीछे रहने वाली साजिदा बेगम (75) बेचैन हो उठती हैं. कांपते हाथों से आंसू पोछते हुए वे 13 अगस्त, 1980 की उस मनहूस घड़ी को कोसती हैं जब पुलिस वालों के कहने पर उन्होंने घर का दरवाजा खोल दिया था. साजिदा बताती हैं, ''पुलिस वाले मेरे शौहर (सज्जान हुसैन), ससुर, देवर और नौकर को पकड़कर ले गए. मुझे यही बताते रहे वे लोग जेल में हैं लेकिन आज दिन तक उनका कोई पता नहीं चल पाया है.'' दंगे थमने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी साजिदा से मिलने आई थीं. उन्होने वित्तीय मदद की पेशकश भी की थी पर साजिदा ने साफ मना कर दिया. उस वक्त साजिदा की शादी को महज 13 साल हुए थे. बच्चे बहुत छोटे थे. पति की तलाश में वे दर-दर भटकीं लेकिन उनका कहीं कोई पता न चला. हालात ऐसे बने कि भीख मांगने तक की नौबत आ गई. घरों में झाड़ू-पोंछा करके उन्ह...