राज्य पुनर्गठन आयोग ने अपनी रिपोर्ट कब प्रस्तुत की

  1. Linguistic Reorganization of Indian States after Independence
  2. प्रमुख आयोग और समिति (List of Committees)
  3. Class 12 Political Science
  4. परिसीमन आयोग आज
  5. भारतीय संघ एवं राज्यों का पुनर्गठन
  6. राज्य पुनर्गठन आयोग
  7. भारतीय राज्य पुनर्गठन आयोग


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Linguistic Reorganization of Indian States after Independence

Read this article to learn about the Linguistic Reorganization of Indian States after Independence ! Dhar Commission: The integration and merger of princely states was purely ad hoc arrangement and there was need for reorganization of states on a permanent basis on account of the haphazard growth of provinces, disparity between various states and multilingual nature of the states. In 1948, the government appointed commission under S K Dhar, a judge of the Allahabad High Court, to examine the case for the reorganization of states on the linguistic basis. ADVERTISEMENTS: Admitting the importance of the reorganization of states on a linguistic basis, the commission, however, attached more importance to historical, geographical and economic considerations. It favoured reorganization on the basis of administrative convenience rather than linguistic considerations. JVP Committee: In December, 1948, Congress appointed a committee under Jawaharlal Nehru, Vallabh bhai Patel and Pattabhi Sitaramayya (known as the JVP Committee) to examine the issue afresh. The committee, in a report submitted in April, 1949, dismissed the idea of reorganization on a linguistic basis. However the committee stated that the problem may be re-examined in the light of public demand. ADVERTISEMENTS: First Linguistic State: In 1953, the government was forced to create a separate state of Andhra Pradesh for Telugu-speaking people following the long-drawn agitation and death of Potti Sriramulu after a hunger...

प्रमुख आयोग और समिति (List of Committees)

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Class 12 Political Science

12 Class Political Science – II Notes In Hindi Chapter 1 Textbook NCERT Class Class 12 Subject Political Science 2nd Book Chapter Chapter 1 Chapter Name Category Medium Hindi Class 12 Political Science – II Chapter 1 Class 12 Political Science – II Chapter 1 📚 अध्याय = 1 📚 💠 ❇️ भारत की आजादी :- 🔹 लगभग 200 वर्षकी अंग्रेजों की गुलामी के बाद 14 – 15 अगस्त सन 1947की मध्यरात्रिको हिन्दुस्तान आजाद हुआ । लेकिन इस आजादी के साथ देश की जनता को देश के विभाजन का सामना पड़ा । संविधान सभा के विशेष सत्र में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने ‘ भाग्यवधु से चिर – प्रतीक्षित भेंट या ‘ ट्रिस्ट विद् डेस्टिनी‘ के नाम से भाषण दिया । ❇️ आजादी की लड़ाई के समय दो बातों पर सबकी सहमति थी । 🔸 1 ) आजादी के बाद देश का शासन लोकतांत्रिक पद्धति से चलाया जायेगा । 🔸 2 ) सरकार समाज के सभी वर्गों के लिए कार्य करेगी । ❇️ आजाद भारत की नए राष्ट्र की चुनौतियाँ :- 🔹 मुख्य तौर पर भारत के सामने तीन तरह की चुनौतियाँ थी । • ( 1 ) एकता एवं अखडता की चुनौती • ( 2 ) लोकतंत्र की स्थापना • ( 3 ) समानता पर आधारित विकास 🔶 1 ) एकता एवं अखडता की चुनौती :- 🔹 भारत अपने आकार और विविधता में किसी महादेश के बराबर था । यहाँ विभिन्न भाषा , संस्कृति और धर्मो के अनुयायी रहते थे , इन सभी को एकजुट करने की चुनौती थी । 🔶 2 ) लोकतंत्र की स्थापना :- 🔹 भारत ने संसदीय शासन पर आधारित प्रतिनिधित्व मूलक लोकतंत्र को अपनाया है । और भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकार तथा मतदान का अधिकार दिया गया है । 🔶 3 ) समानता पर आधारित विकास :- 🔹 ऐसा विकास जिससे सम्पूर्ण समाज का कल्याण हो , न कि किसी एक वर्ग का अर्थात् सभी के साथ समानता का व्यवह...

परिसीमन आयोग आज

परिसीमन आयोग आज-कल में सौंप सकता है अंतरिम रिपोर्ट, प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा चुनावों के लिए रास्ता तैयार होगा जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने से पूर्व एकीकृत जम्मू कश्मीर राज्य में 111 विधानसभा सीटें थी। इनमें 24 गुलाम कश्मीर के लिए आरक्षित थीं और शेष 87 सीटों में से चार लद्दाख संभाग में 37 जम्मू में और 46 सीटें कश्मीर संभाग में थी। जम्मू,राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर के लिए गठित परिसीमन आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट तैयार कर ली है। इसे संभवत: वीरवार या शुक्रवार को केंद्र सरकार व आयोग के सदस्यों (जम्मू कश्मीर के पांच सांसद) को सौंपा जा सकता है। अंतरिम रिपोर्ट जारी करने के बाद आयोग अगले एक माह के दौरान अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार कर जम्मू कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया को पूरा कर विधानसभा चुनावों के लिए रास्ता तैयार कर सकता है। आयोग के पास मार्च के पहले सप्ताह तक अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने का समय है। आयोग ने हाल में जम्मू कश्मीर में बढ़ाई जा रही जिन सात सीटों का जिक्र किया है, उनमें से छह जम्मू और एक कश्मीर संभाग में है। इसके अलावा कुल 90 सीटों में नौ सीटें अनुसूचित जनजातियों और सात अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित रहेंगी। संबंधित सूत्रों ने बताया कि आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट तैयार कर ली है। इसके बारे में केंद्र को भी सूचित कर दिया गया है। कुछ औपचारिकताएं रहती हैं, जिन्हें आज-कल में पूरा कर लिया जाएगा और उम्मीद है कि यह वीरवार या शुक्रवार को सभी सदस्यों व केंद्र सरकार को सौंपी जा सकती है। इसके बाद आयोग की एक बैठक और होगी और फिर रिपोर्ट को जनता की आपत्तियों व सुझावों के लिए भी सार्वजनिक किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि परिसीमन के बाद जम्मू कश्मीर में अनुस...

भारतीय संघ एवं राज्यों का पुनर्गठन

भारतीय संघ एवं राज्यों का पुनर्गठन ,राज्यों का पुनर्गठन, भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन कब हुआ, राज्यों के भाषाई पुनर्गठन, राज्य पुनर्गठन आयोग के कार्य, राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशें, राज्य पुनर्गठन अधिनियम कब पारित हुआ, राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना कब हुई थी, भाषा के आधार पर पहला राज्य कब बना, राज्य पुनर्गठन आयोग का क्या काम था, फजल अली आयोग की रिपोर्ट कब प्रस्तुत हुई, एकीकरण और पुनर्गठन, भाषाई पदानुक्रम, मगही किस भाषा की बोली है, क्या छोटे राज्यों का विभाजन उचित है, भाषाई बहस, भारत में राज्यों की स्थापना, भारतीय संघ एवं राज्यों का पुनर्गठन , भारतीय संघ एवं राज्यों का पुनर्गठन भारतीय संघ एवं राज्यों का पुनर्गठन :- घटनाओं के संकलन को इतिहास कहते हैं कोई भी घटना यकायक नहीं होती प्याज़ के छिलकों की मानिंद एक-दूसरे पर चढ़ी होती है परत दर परत बस खोलते जाना है नवंबर 1956 में राज्यों का गठन करने के लिए संविधान में हुआ सातवां संशोधन कुछ ऐसी ही परतों का इतिहास है , आज़ादी के बाद 1953 में भाषा के आधार पर बनने वाला राज्य पहला आंध्र प्रदेश था. इससे भी पहले 1936 में उड़ीसा का गठन हुआ था जिसकी नींव 1895 में हुए संबलपुर विद्रोह से जुड़ी थी दरअसल, ब्रिटिश सरकार ने उड़िया भाषी प्रांतों को मध्य प्रांत (आज का मध्य प्रदेश) के साथ जोड़कर उन पर हिंदी को अनिवार्य करने का प्रयास किया था तब लोगों ने इसके विरोध में आवाज़ उठाई थी. इससे भी पहले, और शायद सबसे पहली परत थी, सन 1869 में लोकमान्य बालगंगाधर तिलक का ‘केसरी’ अखबार में छपा लेख जिसका आशय था कि देश का प्रशासनिक ढ़ांचा कुछ ऐतिहासिक घटनाक्रमों और ग़लतियों का नतीजा है तिलक का विचार था कि इसके बजाय भाषा पर आधारित इकाइयां बनाई जाएं, तो देश में ए...

राज्य पुनर्गठन आयोग

राज्य पुनर्गठन आयोग (States Reorganisation Commission) की स्थापना 1953 में की। 1950 के दशक में बने पहले राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश में राज्यों के बंटवारे का आधार इतिहास [ ] अंग्रेजों से पहले का भारत 21 प्रशासनिक इकाइयों (सूबों) में बँटा हुआ था। इनमें से कई सूबों की सांस्कृतिक पहचान सुस्पष्ट थी और कुछ में 1920 के दशक में जैसे ही 1947 में भारत को आजादी मिलते ही भारत के सामने 562 देशी रियासतों के एकीकरण व पुनर्गठन का सवाल मुंह बाए खड़ा था। इसे ध्यान में रखते हुए इसी साल 22 दिसम्बर 1953 में न्यायाधीश राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन हुआ। इस आयोग के तीन सदस्य - न्यायमूर्ति बाहरी कड़ियाँ [ ] • • • •

भारतीय राज्य पुनर्गठन आयोग

स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत में 549 रियासते भारत में शामिल हो गयी आयर बची हुई तीन रियासत (हैदराबाद , जूनागढ़ और जम्मू -कश्मीर) भारत में शामिल होने से मन कर दिया , लेकिन बाद में निम्न तरीको से इन्हें भारत में मिला लिया गया । • हैदराबाद (Hyderabad) – सैन्य कार्यवाही द्वारा • जूनागढ़ (Junagadh) – जनमत संग्रह द्वारा • जम्मू – कश्मीर (Jammu Kashmir) – विलय पत्र द्वारा 1950 में भारतीय संविधान ने भारत को चार वर्गों में विभाजित किया था । • भाग – क / ( Part-A)– जहाँ ब्रिटिश भारत में गवर्नर का शासन था । • भाग – ख / ( Part-A)– 9 राज्य विधानमंडल के साथ शाही शासन । • भाग – ग / ( Part-A)– ब्रिटिश भारत के मुख्य आयुक्त का शासन एवं कुछ में शाही शासन था। इसमें कुल 10 राज्य थे जिसमे केंद्रीकृत शासन था। • भाग – घ / ( Part-A)– इस भाग में केवल अंडमान एवं निकोबार को रखा गया । • • • • धर आयोग समिति भारत की स्वतंत्र के बाद देश में भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग उठने लगी। जून 1948 में भारत सरकार के S.K Dhar की अध्यक्षता में भाषायी आयोग की नियुक्ति की। आयोग दिसम्बर 1948 में अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमे उसने सिफारिश की कि राज्यों के पुनर्गठन का आधार भाषा के आधार पर न होकर प्रशासनिक सुधार के आधार पर होना चाहिए। इससे राज्यों में अत्यधिक असंतोष फ़ैल गया अत: भारत सरकार ने दिसम्बर 1948 भाषायी प्रांत समिति / जेवीपी समिति का गठन किया। भाषायी प्रांत समिति / जेवीपी समिति जवाहरलाल नेहरु, वल्लभ भाई पटेल और पट्टाभिसीतारमैया की अध्यक्षता में दिसम्बर 1948 एक समिति का गठन किया गया जिसे JVP समिति के नाम से भी जाना जाता है । इस समिति ने अप्रैल 1949 में अपनी रिपोर्ट पेश की इसने भी सिफारिश की कि राज्यों क...