राम की शक्ति पूजा के रचनाकार है

  1. Ram Ki Shakti Pooja Pad
  2. द्विज मनोभाव की कविता है, निराला की ‘राम की शक्ति
  3. हिंदी कविता (आधुनिक काल छायावाद तक) सहायिका/राम की शक्ति
  4. Ram Navami special: Shri Ram also worshiped Goddess Shakti, know what was the reason
  5. 'राम की शक्ति पूजा' पर किस रचना का सर्वाधिक प्रभाव है?


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Ram Ki Shakti Pooja Pad

Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Ram Ki Shakti Pooja Pad | राम की शक्ति पूजा के पद (13-15) दोस्तों ! हम RPSC द्वारा आयोजित परीक्षा कॉलेज लेक्चरर के सीरीज पाठ्यक्रम का अध्ययन कर रहे हैं। आज हम इसके पाठ्यक्रम में लगी सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा रचित कविता Ram Ki Shakti Pooja Pad | राम की शक्ति पूजा के 13-15 पदों की व्याख्या करने जा रहे है। अब तक हम इसके 12 पदों का विस्तार से अध्ययन कर चुके है। निराला ने “राम की शक्ति पूजा” में पौराणिक कथानक लिया है। जिसके माध्यम से निराला जी समकालीन संघर्ष की कहानी कहना चाह रहे है। हमें अपनी परीक्षा की दृष्टि से राम की शक्ति पूजा का अध्ययन करना है। इसी क्रम में हम आगे के पदों का अध्ययन करने जा रहे है : आप सूर्यकांत त्रिपाठी निराला कृत “राम की शक्ति पूजा कविता” का विस्तृत अध्ययन करने के लिए नीचे दी गयी पुस्तकों को खरीद सकते है। ये आपके लिए उपयोगी पुस्तके है। तो अभी Shop Now कीजिये : Ram Ki Shakti Pooja Pad | राम की शक्ति पूजा के पदों की व्याख्या सूर्यकांत त्रिपाठी निराला कृत कविता “ राम की शक्ति पूजा” के अगले 13 से 15 तक के पदों की विस्तृत व्याख्या इस प्रकार से है : पद : 13. Ram Ki Shakti Pooja Kavita Ke 13 to 15 Pado Ki Vyakhya : सब सभा रही निस्तब्ध राम के स्तिमित नयन छोड़ते हुए शीतल प्रकाश देखते विमन, जैसे ओजस्वी शब्दों का जो था प्रभाव उससे न इन्हें कुछ चाव, न कोई दुराव, ज्यों हों वे शब्दमात्र मैत्री की समनुरक्ति, पर जहाँ गहन भाव के ग्रहण की नहीं शक्ति। अर्थ : • इस पद में निराला बताते है कि श्री राम, जो पौरुष के धनी थे और मानवता के रक्षक थे, वे रावण से युद्ध करते रहने पर भी किसी निर्णायक स्थिति में नहीं पहुंच ...

द्विज मनोभाव की कविता है, निराला की ‘राम की शक्ति

द्विज मनोभाव की कविता है, निराला की ‘राम की शक्ति-पूजा’ आधुनिक हिंदी साहित्य के द्विज आलोचकों ने सवर्ण सामंती मनोभाव के कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ को महाकवि बना दिया। वर्ण व्यवस्था और द्विज संस्कृति के पक्ष में खड़ी उनकी कविता ‘राम की शक्ति-पूजा’ को हिंदी की सर्वश्रेष्ठ कविता घोषित कर दिया। ‘महाकवि’ निराला और उनकी कविता ‘राम की शक्ति-पूजा’ के हकीकत को उजागर कर रहे हैं कंवल भारती : राम की शक्ति-पूजा और दलित-चिंतन यह कहना बिल्कुल सच है कि प्रगतिशील चिंतनधारा के नामवर लोग भी दलित चेतना को पचा नहीं पा रहे हैं। इसका कारण है, उनका द्विज-फोल्ड से बाहर न निकलना। ठीक उस दैत्य की तरह, जिसके प्राण दूर पहाड़ी पर रखे पिंजरे में बंद तोते में बसते हैं, उसी तरह उनके प्राण भी द्विज आस्थाओं और परंपराओं में बसते हैं। उनकी आस्थाएं जब टूटती हैं, तो उन्हें दर्द होता है, ठीक उसी तरह, जिस तरह तोते की टांग तोड़ने पर दैत्य तड़पने लगता है। वस्तुतः सामंती या अभिजात आदर्शों से निर्मित आस्थाओं का सामाजिक यथार्थ नहीं होता है। इसलिए जब भी आदर्श और यथार्थ आमने-सामने आते हैं, आस्थाओं को चोट पहुंचती है और परंपराएं टूटती हैं। यदि ऐसा न हो, तो समाज जड़ हो जाएगा और जिसे हम वास्तव में प्रगति कहते हैं, वह कभी नहीं हो सकेगी। सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और उनकी कृति ‘राम की शक्ति-पूजा’ सामंती आदर्शवाद ब्राह्मण को गुरु और बुद्धिजीवी मानता है। पर, यह सामाजिक यथार्थ के बिल्कुल विपरीत है। और तार्किक दृष्टि से तो इसे साबित ही नहीं किया जा सकता। किन्तु यही तथाकथित गुरु और बुद्धिजीवी वर्ग दलित चिंतन को लेकर इसलिए दुखी हैं, क्योंकि उनका गुरुडम खतरे में पड़ गया है। इसलिए वह आस्था और परंपरा की दुहाई देकर असल में सामंती आदर्...

हिंदी कविता (आधुनिक काल छायावाद तक) सहायिका/राम की शक्ति

← राम की शक्ति-पूजा राम की शक्ति-पूजा संदर्भ राम की शक्तिपूजा, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' द्वारा रचित काव्य है। निराला जी ने इसका सृजन २३ अक्टूबर १९३६ को सम्पूर्ण किया था। कहा जाता है कि इलाहाबाद से प्रकाशित दैनिक समाचारपत्र 'भारत' में पहली बार 26 अक्टूबर 1936 को उसका प्रकाशन हुआ था। इसका मूल निराला के कविता संग्रह 'अनामिका' के प्रथम संस्करण में छपा। प्रसंग निराला ने राम की शक्ति पूजा ' राम को अंतर्द्वंदों से संपृक्त कर उसे अलौकिकता से उठाकर लौकिक धरातल पर स्थापित किया है। इस प्रकार राम आधुनिक भावबोध से जुड़ते दिखाई पड़ते हैं। व्याख्या ‘राम की शक्ति पूजा ‘ में निराला ने रावण जय -भय की आशंका को दूर करते हुए शक्ति की मौलिक कल्पना द्वारा शक्ति को अर्जित किया है। आज के राम -रावण समर में नर-वानर सेना को व्यापक क्षति पहुंची है और दोनों पक्षों की सेना वापस शिविर की ओर लौट रही है . एक ओर जहां राक्षसों की सेना में आज के रण को लेकर हर्ष व्याप्त है वहीँ दूसरी ओर राम की सेना व्यथित और निराश है और राक्षस सेना के हर्षोल्लास का कारण है शक्ति का उनकी तरफ होना। निराला प्रकृतिवादी अद्वैत चिंतन के आधार पर पंचतत्वों को शक्ति का रूप मानते हैं जिसमें आकाश और जल रावण के पक्ष में है जबकि पृथ्वी तनया सीता कारण यह स्थिर है -‘भूधर ज्यों ध्यान मग्न ‘ अर्थात रावण के पक्ष में नहीं है। इसलिए राक्षसों के पदबल सेपृथ्वी भी आतंकित और प्रकम्पित हो रही है। राम के पक्ष की शक्तियां ‘केवल जलती मशाल ‘ और निष्क्रिय पवन है। फिर निराला फोटो टेक्निक का प्रयोग करते हुए राम की नर -वानर सेना के प्रोटोकॉल का चित्र खींचते हैं।सेना अपने नायक राम के माखन जैसे चरण का अनुसरण करते हुए चल रहे हैं, पीछे लक्ष्मण हैं ,आज के समर ...

Ram Navami special: Shri Ram also worshiped Goddess Shakti, know what was the reason

रामनवमी विशेषः श्री राम ने भी की थी देवी शक्ति की आराधना, जानिए क्या था कारण साहित्य की ओर नजर डालें तो लिखने वालों ने शक्ति के विषय में खूब बल लगाकर लिखा है. इन सबके बीच सूर्य कांत त्रिपाठी निराला का लिखित काव्य ‘राम की शक्ति पूजा’ स्मरणीय है. हालांकि निराला ने केवल एक पौराणिक गाथा को केवल शब्द ही दिए हैं, लेकिन किसी भी स्वरूप में ईश्वर का स्मरण हर भाव को पवित्र और अमर बना देता है. नई दिल्लीः शक्ति की अधिष्ठात्री देवी का उत्सव जारी है. इसके साथ ही यह मर्यादा पुरुषोत्तम की अवतार कथा के शुभारंभ का भी समय है. सनातन परंपरा का यह उत्सव कई पीढ़ियों, सदियों और युगों से चला आ रहा है. दरअसल शक्ति का यह पर्व भले ही देवी स्वरूप में रूपक है, लेकिन इससे अलग यह हमारी अंदरूनी आकंक्षा का ही प्रतीक पर्व है. आखिर कौन है जो शक्तिमान बनना नहीं चाहता है. सृष्टि की शुरुआत से ही यह भावना चारों तरफ व्याप्त है. भौतिक विज्ञान का सबसे जरूरी तथ्य बल (फोर्स) और ऊर्जा ही शक्ति है. फिर चाहे आप बिग बैंग की व्याख्या कर लीजिए, प्रलय का सिद्धांत समझ लीजिए या फिर कयामत के दिन का इंतजार कर लीजिए. शक्ति या ऊर्जा से बात शुरू होगी और इसी पर समाप्त. कवि निराला ने लिखी राम की शक्ति पूजा साहित्य की ओर नजर डालें तो लिखने वालों ने इस पर खूब बल लगाकर लिखा है. इन सबके बीच सूर्य कांत त्रिपाठी निराला का लिखित काव्य ‘राम की शक्ति पूजा’ स्मरणीय है. हालांकि निराला ने केवल एक पौराणिक गाथा को केवल शब्द ही दिए हैं, लेकिन किसी भी स्वरूप में ईश्वर का स्मरण हर भाव को पवित्र और अमर बना देता है. वैसे भी काव्य लिखने वालों में निराला अलग ही सूर्य जैसी चमक रखते हैं, उस पर 1936 में लिखित यह पद्य पंक्तियां आज भी सार्थक हैं. शक्ति पूजा ...

'राम की शक्ति पूजा' पर किस रचना का सर्वाधिक प्रभाव है?

निम्नलिखित अवतरण पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर विकल्पों में से दीजिए — कह हुए भानुकुलभूषण वहां मौन क्षण भर बोले विश्वस्त कंठ से जाम्बवान — ' रघुवर ' विचलित होने का नहीं देखता मैं कारण , हे पुरुष सिंह तुम भी वह शक्ति करो धारण आराधन का दृढ़ आराधन से दो उत्तर तुम वरो विजय संयत प्राणों से प्राणों पर रावण अशुद्ध होकर भी यदि कर सका त्रस्त , तो निश्चय तुम हो सिद्ध करोगे उसे ध्वस्त शक्ति की करो मौलिक कल्पना करो पूजन छोड़ दो समर जब तक न सिद्धि हो रघुनंदन।। 1. ' भानुकुलभूषण ' किसके लिए प्रयुक्त हुआ है ? अ. राम के लिए ब. लक्ष्मण के लिए स. दशरथ के लिए द. विभीषण के लिए उत्तर — अ 2. ' शक्ति की करो मौलिक कल्पना ' से निराला क्या कहना चाहते हैं ? अ. अनुकरण करके सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती ब. हे राम तुम जिस शक्ति की आराधना करोगे वह तामसी शक्ति नहीं होनी चाहिए , जैसी रावण को है स. समय एवं परिस्थिति के अनुरूप शक्ति का स्वरूप बदलता रहता है द. उपर्युक्त सभी उत्तर — द 3. ' बोले विश्वस्त कण्ठ से जाम्बवान ' से आप किस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं ? अ. जामवंत मंत्री हैं , उनमें विवेक है ब. जामवंत किसी भी स्थिति में घबराते नहीं हैं स. जामवंत विवेकवान , धैर्यवान एवं बुद्धिमान हैं द. उपर्युक्त् सभी उत्तर — द 4. ' हे पुरुष सिंह तुम भी यह शक्ति करो धारण ' का अभिप्राय है — अ. जैसे सिंह पर शक्ति (दुर्गा) सवारी करती है उसी प्रकार तुम भी शक्ति को सिंह (वीर) बनकर धारण करो ब. शक्ति की सात्विक कल्पना करो स. वीरत्व जाग्रत करो द. मां काली की उपासना करो उत्तर — अ ' अनामिका ' किसकी रचना है ? अ. जयशंकर प्रसाद ब. सुमित्रानंदन पंत स. महादेवी वर्मा द. सूर्यकांत त्रिपाठी ' निराला ' उत्तर — द निराला की कविता ' राम की शक्ति प...