रामायण काल्पनिक है सुप्रीम कोर्ट

  1. क्या रामायण काल्पनिक है? सबूत देख लो!
  2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा
  3. ललई सिंह यादव केस : सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का हिंदी अनुवाद
  4. अयोध्या राम मंदिर केस जजमेंट कॉपी डाउनलोड, फुल जजमेंट कॉपी पीडीऍफ़ डाउनलोड, Ayodhya Verdict Download judgement copy pdf here, Ram Janmabhoomi
  5. सुप्रीम कोर्ट ने कहा
  6. ललई सिंह यादव केस : सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का हिंदी अनुवाद
  7. क्या रामायण काल्पनिक है? सबूत देख लो!
  8. अयोध्या राम मंदिर केस जजमेंट कॉपी डाउनलोड, फुल जजमेंट कॉपी पीडीऍफ़ डाउनलोड, Ayodhya Verdict Download judgement copy pdf here, Ram Janmabhoomi
  9. क्या रामायण काल्पनिक है? सबूत देख लो!
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क्या रामायण काल्पनिक है? सबूत देख लो!

मुझे सुनना है 🔊 Listen to this प्रभु श्रीराम हमारे आराध्य हैं, और उन्हीं को आदर्श मानकर भारतीय घरों में रामचरित मानस का पाठ सदियों से किया जा रहा है, पर रामायण की गाथा और पात्रों को देखते हुए कई बार मन में प्रश्न आता है की क्या रामायण काल्पनिक है? क्योंकि तो सवाल है रामायण की घटना महज काल्पनिक है और मात्र लोगों को धर्म पर चलने का संदेश देने के लिए इस महाकाव्य की रचना की गई है या फिर वास्तव में रामायण की घटना घटित हुई हैं, आइये समझते हैं। विषय सूची • • • • • क्या रामायण काल्पनिक है? जानें असली सच। क्यों नहीं दिया गया? क्योंकि रामायण जैसे महाकाव्य की रचना इसलिए नहीं की गई ताकि हम राम और कृष्ण के होने के प्रमाण खोजें, सेतु पुल और हनुमान जी के पैरों के निशान देखकर खुद पर गर्व करें की हम हिन्दू हैं और हमारी भूमि पर इतने महान अवतारों का जन्म हुआ है। बल्कि वास्तव में, रामायण का उद्देश्य हमें रामत्व सिखाना है, अर्थात राम जी के महान गुण जैसे त्याग, प्रेम, अनुशासन को सीखकर हम अपनी मतलब से भरी जिन्दगी से थोडा ऊपर उठकर कुछ अच्छे कर्म करके इस जीवन को सार्थक बना सकें। लेकिन हमारी बुद्धि यह नहीं समझना चाहती की राम ने तो सोने की लंका त्याग दी और हम इतने स्वार्थी और लालची हैं की दो ग्राम सोना तक किसी की भलाई के लिए नहीं त्याग सकते। कहाँ राम और कहाँ हमारा जीवन, और इस घटिया जीवन को सुधारने की अपेक्षा हम बात करते हैं की रामायण की घटनाएँ सच है की नहीं। निश्चित तौर पर जब रामायण लिखी गई तब कलैंडर होता होगा, अतः हजारों वर्ष पहले लिखी गई रामायण में रचनाकार चाहते तो तिथि और जन्मस्थान भी शामिल कर देते, पर चूँकि जो घटना रामायण में है वो कालातीत है यानि समय के पार की है। देखिये राम जी के पास जो चुनौति...

सुप्रीम कोर्ट ने कहा

सुप्रीम कोर्ट में बिहार के रहने वाले लाल बाबू प्रियदर्शी ने अपील की थी। प्रियदर्शी रामायण का उपयोग अपनी अगरबत्ती और इत्र को बेचने के लिए ट्रेडमार्क के रूप में करना चाहते थे। जबकि बौद्घिक संपदा अपीलीय बोर्ड ने इसकी मंजूरी नहीं दी। इस आदेश को चुनौती देते हुए प्रियदर्शी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी रखी थी।

ललई सिंह यादव केस : सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का हिंदी अनुवाद

ललई सिंह यादव केस : सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का हिंदी अनुवाद 1968 में सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ता ललई सिंह ने ईवी रामासामी पेरियार की चर्चित पुस्तिका ‘रामायण : अ ट्रू रीडिंग’ का हिंदी अनुवाद ‘सच्ची रामायण’ के नाम से प्रकाशित किया था, जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था। ललई सिंह ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ लंबी लडाई लडी, जिसमें उनकी जीत हुई (9 दिसंबर, 1969 को उत्तर प्रदेश सरकार ने ईवी रामासामी नायकर ‘पेरियार’ की अंग्रेजी पुस्तक ‘रामायण : अ ट्रू रीडिंग’ व उसके हिंदी अनुवाद ‘सच्ची रामायण’ को ज़ब्त कर लिया था, तथा इसके प्रकाशक पर मुक़दमा कर दिया था। इसके हिंदी अनुवाद के प्रकाशक उत्तर प्रदेश -बिहार के प्रसिद्ध मानवतावादी संगठन अर्जक संघ से जुडे लोकप्रिय सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता ललई सिंह थे। बाद में उत्तर भारत के पेरियार नाम से चर्चित हुए ललई सिंह ने जब्ती के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। वे हाईकोर्ट में मुकदमा जीत गए। सरकार ने हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई तीन जजों की खंडपीठ ने की। खंडपीठ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी.आर. कृष्ण अय्यर थे तथा दो अन्य न्यायमूर्ति पी .एन. भगवती और सैयद मुर्तज़ा फ़ज़ल अली थे। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर 16 सितंबर 1976 को सर्वसम्मति से फैसला देते हुए राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट के न्यायाधीशों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रश्न को मानव समुदाय की विकास यात्रा के साथ जोड़कर देखा और व्यक्ति एवं समाज की प्रगति के लिए अनिवार्य तत्व के रूप में रेखांकित किया। निम्नांकित सुप्रीम कोर्ट के अंग्रेजी में दिए गए फैसले के प्रासंगिक अंशों का अनुवाद ...

अयोध्या राम मंदिर केस जजमेंट कॉपी डाउनलोड, फुल जजमेंट कॉपी पीडीऍफ़ डाउनलोड, Ayodhya Verdict Download judgement copy pdf here, Ram Janmabhoomi

अयोध्या राम मंदिर केस जजमेंट कॉपी डाउनलोड, फुल जजमेंट कॉपी पीडीऍफ़ डाउनलोड, Ayodhya Verdict Download judgement copy pdf here, Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case read Full Text pdf copy Ayodhya Verdict: यहां पढ़ें अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला, 17 अध्याय और 1045 पन्ने हैं शामिल By November 9, 2019 01:45 PM 2019-11-09T13:45:54+5:30 2019-11-09T15:23:33+5:30 Ayodhya Verdict Full Text: चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने दशकों से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया है। यह फैसला 17 अध्यायों में बंटा है और 1045 पन्नों में लिखा गया है। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। यहां पढ़ें फैसले की कॉपीः- Ayodhya Verdict की मुख्य बातेंः- 1. 2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला की मूर्ति को सौंप दिया जाये, हालांकि इसका कब्जा केन्द्र सरकार के रिसीवर के पास ही रहेगा। 3. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस स्थान पर 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद थी जिसे कार सेवकों ने छह दिसंबर, 1992 को गिरा दिया था। बाबरी मस्जिद को नुकसान पहुंचाना कानून के खिलाफ था। 4. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को नई मस्जिद बनाने के लिये अयोध्या में पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन आवंटित की जाए। 5. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदुओं की यह अविवादित मान्यता है कि भगवान राम का जन्म गिराई गयी संरचना मं ही हुआ था। हिंदू इस स्थान को भगवान राम की जन्मभूमि मानते हैं, यहां तक कि मुसलमान भी विवादित स्थ...

सुप्रीम कोर्ट ने कहा

सुप्रीम कोर्ट में बिहार के रहने वाले लाल बाबू प्रियदर्शी ने अपील की थी। प्रियदर्शी रामायण का उपयोग अपनी अगरबत्ती और इत्र को बेचने के लिए ट्रेडमार्क के रूप में करना चाहते थे। जबकि बौद्घिक संपदा अपीलीय बोर्ड ने इसकी मंजूरी नहीं दी। इस आदेश को चुनौती देते हुए प्रियदर्शी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी रखी थी।

ललई सिंह यादव केस : सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का हिंदी अनुवाद

ललई सिंह यादव केस : सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का हिंदी अनुवाद 1968 में सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ता ललई सिंह ने ईवी रामासामी पेरियार की चर्चित पुस्तिका ‘रामायण : अ ट्रू रीडिंग’ का हिंदी अनुवाद ‘सच्ची रामायण’ के नाम से प्रकाशित किया था, जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था। ललई सिंह ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ लंबी लडाई लडी, जिसमें उनकी जीत हुई (9 दिसंबर, 1969 को उत्तर प्रदेश सरकार ने ईवी रामासामी नायकर ‘पेरियार’ की अंग्रेजी पुस्तक ‘रामायण : अ ट्रू रीडिंग’ व उसके हिंदी अनुवाद ‘सच्ची रामायण’ को ज़ब्त कर लिया था, तथा इसके प्रकाशक पर मुक़दमा कर दिया था। इसके हिंदी अनुवाद के प्रकाशक उत्तर प्रदेश -बिहार के प्रसिद्ध मानवतावादी संगठन अर्जक संघ से जुडे लोकप्रिय सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता ललई सिंह थे। बाद में उत्तर भारत के पेरियार नाम से चर्चित हुए ललई सिंह ने जब्ती के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। वे हाईकोर्ट में मुकदमा जीत गए। सरकार ने हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई तीन जजों की खंडपीठ ने की। खंडपीठ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी.आर. कृष्ण अय्यर थे तथा दो अन्य न्यायमूर्ति पी .एन. भगवती और सैयद मुर्तज़ा फ़ज़ल अली थे। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर 16 सितंबर 1976 को सर्वसम्मति से फैसला देते हुए राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट के न्यायाधीशों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रश्न को मानव समुदाय की विकास यात्रा के साथ जोड़कर देखा और व्यक्ति एवं समाज की प्रगति के लिए अनिवार्य तत्व के रूप में रेखांकित किया। निम्नांकित सुप्रीम कोर्ट के अंग्रेजी में दिए गए फैसले के प्रासंगिक अंशों का अनुवाद ...

क्या रामायण काल्पनिक है? सबूत देख लो!

मुझे सुनना है 🔊 Listen to this प्रभु श्रीराम हमारे आराध्य हैं, और उन्हीं को आदर्श मानकर भारतीय घरों में रामचरित मानस का पाठ सदियों से किया जा रहा है, पर रामायण की गाथा और पात्रों को देखते हुए कई बार मन में प्रश्न आता है की क्या रामायण काल्पनिक है? क्योंकि तो सवाल है रामायण की घटना महज काल्पनिक है और मात्र लोगों को धर्म पर चलने का संदेश देने के लिए इस महाकाव्य की रचना की गई है या फिर वास्तव में रामायण की घटना घटित हुई हैं, आइये समझते हैं। विषय सूची • • • • • क्या रामायण काल्पनिक है? जानें असली सच। क्यों नहीं दिया गया? क्योंकि रामायण जैसे महाकाव्य की रचना इसलिए नहीं की गई ताकि हम राम और कृष्ण के होने के प्रमाण खोजें, सेतु पुल और हनुमान जी के पैरों के निशान देखकर खुद पर गर्व करें की हम हिन्दू हैं और हमारी भूमि पर इतने महान अवतारों का जन्म हुआ है। बल्कि वास्तव में, रामायण का उद्देश्य हमें रामत्व सिखाना है, अर्थात राम जी के महान गुण जैसे त्याग, प्रेम, अनुशासन को सीखकर हम अपनी मतलब से भरी जिन्दगी से थोडा ऊपर उठकर कुछ अच्छे कर्म करके इस जीवन को सार्थक बना सकें। लेकिन हमारी बुद्धि यह नहीं समझना चाहती की राम ने तो सोने की लंका त्याग दी और हम इतने स्वार्थी और लालची हैं की दो ग्राम सोना तक किसी की भलाई के लिए नहीं त्याग सकते। कहाँ राम और कहाँ हमारा जीवन, और इस घटिया जीवन को सुधारने की अपेक्षा हम बात करते हैं की रामायण की घटनाएँ सच है की नहीं। निश्चित तौर पर जब रामायण लिखी गई तब कलैंडर होता होगा, अतः हजारों वर्ष पहले लिखी गई रामायण में रचनाकार चाहते तो तिथि और जन्मस्थान भी शामिल कर देते, पर चूँकि जो घटना रामायण में है वो कालातीत है यानि समय के पार की है। देखिये राम जी के पास जो चुनौति...

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अयोध्या राम मंदिर केस जजमेंट कॉपी डाउनलोड, फुल जजमेंट कॉपी पीडीऍफ़ डाउनलोड, Ayodhya Verdict Download judgement copy pdf here, Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case read Full Text pdf copy Ayodhya Verdict: यहां पढ़ें अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला, 17 अध्याय और 1045 पन्ने हैं शामिल By November 9, 2019 01:45 PM 2019-11-09T13:45:54+5:30 2019-11-09T15:23:33+5:30 Ayodhya Verdict Full Text: चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने दशकों से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया है। यह फैसला 17 अध्यायों में बंटा है और 1045 पन्नों में लिखा गया है। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। यहां पढ़ें फैसले की कॉपीः- Ayodhya Verdict की मुख्य बातेंः- 1. 2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला की मूर्ति को सौंप दिया जाये, हालांकि इसका कब्जा केन्द्र सरकार के रिसीवर के पास ही रहेगा। 3. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस स्थान पर 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद थी जिसे कार सेवकों ने छह दिसंबर, 1992 को गिरा दिया था। बाबरी मस्जिद को नुकसान पहुंचाना कानून के खिलाफ था। 4. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को नई मस्जिद बनाने के लिये अयोध्या में पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन आवंटित की जाए। 5. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदुओं की यह अविवादित मान्यता है कि भगवान राम का जन्म गिराई गयी संरचना मं ही हुआ था। हिंदू इस स्थान को भगवान राम की जन्मभूमि मानते हैं, यहां तक कि मुसलमान भी विवादित स्थ...

क्या रामायण काल्पनिक है? सबूत देख लो!

मुझे सुनना है 🔊 Listen to this प्रभु श्रीराम हमारे आराध्य हैं, और उन्हीं को आदर्श मानकर भारतीय घरों में रामचरित मानस का पाठ सदियों से किया जा रहा है, पर रामायण की गाथा और पात्रों को देखते हुए कई बार मन में प्रश्न आता है की क्या रामायण काल्पनिक है? क्योंकि तो सवाल है रामायण की घटना महज काल्पनिक है और मात्र लोगों को धर्म पर चलने का संदेश देने के लिए इस महाकाव्य की रचना की गई है या फिर वास्तव में रामायण की घटना घटित हुई हैं, आइये समझते हैं। विषय सूची • • • • • क्या रामायण काल्पनिक है? जानें असली सच। क्यों नहीं दिया गया? क्योंकि रामायण जैसे महाकाव्य की रचना इसलिए नहीं की गई ताकि हम राम और कृष्ण के होने के प्रमाण खोजें, सेतु पुल और हनुमान जी के पैरों के निशान देखकर खुद पर गर्व करें की हम हिन्दू हैं और हमारी भूमि पर इतने महान अवतारों का जन्म हुआ है। बल्कि वास्तव में, रामायण का उद्देश्य हमें रामत्व सिखाना है, अर्थात राम जी के महान गुण जैसे त्याग, प्रेम, अनुशासन को सीखकर हम अपनी मतलब से भरी जिन्दगी से थोडा ऊपर उठकर कुछ अच्छे कर्म करके इस जीवन को सार्थक बना सकें। लेकिन हमारी बुद्धि यह नहीं समझना चाहती की राम ने तो सोने की लंका त्याग दी और हम इतने स्वार्थी और लालची हैं की दो ग्राम सोना तक किसी की भलाई के लिए नहीं त्याग सकते। कहाँ राम और कहाँ हमारा जीवन, और इस घटिया जीवन को सुधारने की अपेक्षा हम बात करते हैं की रामायण की घटनाएँ सच है की नहीं। निश्चित तौर पर जब रामायण लिखी गई तब कलैंडर होता होगा, अतः हजारों वर्ष पहले लिखी गई रामायण में रचनाकार चाहते तो तिथि और जन्मस्थान भी शामिल कर देते, पर चूँकि जो घटना रामायण में है वो कालातीत है यानि समय के पार की है। देखिये राम जी के पास जो चुनौति...

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अयोध्या राम मंदिर केस जजमेंट कॉपी डाउनलोड, फुल जजमेंट कॉपी पीडीऍफ़ डाउनलोड, Ayodhya Verdict Download judgement copy pdf here, Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case read Full Text pdf copy Ayodhya Verdict: यहां पढ़ें अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला, 17 अध्याय और 1045 पन्ने हैं शामिल By November 9, 2019 01:45 PM 2019-11-09T13:45:54+5:30 2019-11-09T15:23:33+5:30 Ayodhya Verdict Full Text: चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने दशकों से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया है। यह फैसला 17 अध्यायों में बंटा है और 1045 पन्नों में लिखा गया है। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। यहां पढ़ें फैसले की कॉपीः- Ayodhya Verdict की मुख्य बातेंः- 1. 2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला की मूर्ति को सौंप दिया जाये, हालांकि इसका कब्जा केन्द्र सरकार के रिसीवर के पास ही रहेगा। 3. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस स्थान पर 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद थी जिसे कार सेवकों ने छह दिसंबर, 1992 को गिरा दिया था। बाबरी मस्जिद को नुकसान पहुंचाना कानून के खिलाफ था। 4. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को नई मस्जिद बनाने के लिये अयोध्या में पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन आवंटित की जाए। 5. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदुओं की यह अविवादित मान्यता है कि भगवान राम का जन्म गिराई गयी संरचना मं ही हुआ था। हिंदू इस स्थान को भगवान राम की जन्मभूमि मानते हैं, यहां तक कि मुसलमान भी विवादित स्थ...