रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय हिंदी में

  1. Rani Lakshmibai Punyatithi 2021: रानी लक्ष्मी बाई की पुण्यतिथि पर जानें उनके जीवन की कुछ महत्वपूर्ण बातें
  2. रानी लक्ष्मी बाई की जीवनी
  3. रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध
  4. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी Rani Laxmibai Biography In Hindi — Hindi Varsa
  5. Rani Laxmi Bai Biography In Hindi
  6. रानी लक्ष्मी बाई पर हिंदी में सरल निबंध
  7. रानी लक्ष्मीबाई का जीवन परिचय
  8. Rani Lakshmibai Punyatithi 2021: रानी लक्ष्मी बाई की पुण्यतिथि पर जानें उनके जीवन की कुछ महत्वपूर्ण बातें
  9. रानी लक्ष्मीबाई का जीवन परिचय
  10. रानी लक्ष्मी बाई पर हिंदी में सरल निबंध


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Rani Lakshmibai Punyatithi 2021: रानी लक्ष्मी बाई की पुण्यतिथि पर जानें उनके जीवन की कुछ महत्वपूर्ण बातें

Rani Lakshmibai Punyatithi 2021: रानी लक्ष्मी बाई की पुण्यतिथि पर जानें उनके जीवन की कुछ महत्वपूर्ण बातें हम सब झांसी की रानी को जानते हैं. अपने पाठ्यपुस्तकों में उनकी वीरता की गाथा पढ़ी है. तभी तो, अगर आज भी कहीं “खूब लड़ी मर्दानी”, यह पंक्ति सुनते हैं, तो आगे की कविता अपने आप याद आ जाती है. यह रानी लक्ष्मी बाई के अभूतपूर्व शौर्य का ही परिणाम है, कि आज भारत के बच्चे-बच्चे की वाणी पर उनका नाम है... हम सब झांसी की रानी को जानते हैं. अपने पाठ्यपुस्तकों में उनकी वीरता की गाथा पढ़ी है. तभी तो, अगर आज भी कहीं “खूब लड़ी मर्दानी”, यह पंक्ति सुनते हैं, तो आगे की कविता अपने आप याद आ जाती है. यह रानी लक्ष्मी बाई के अभूतपूर्व शौर्य का ही परिणाम है, कि आज भारत के बच्चे-बच्चे की वाणी पर उनका नाम है. भारत की सुप्त प्राण चेतना को जगाने वाली, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की आज पुण्यतिथि है. उनका कृतित्व सदा के लिए भारतीयों के हृदय पटल पर अंकित हो गया है. आइये, रानी लक्ष्मी बाई की पुण्यतिथि पर, अदम्य साहस से भरी उनकी जीवनयात्रा का परिचय पाते हैं. यह भी पढ़ें: काशी में जन्मी लक्ष्मी बाई रानी लक्ष्मीबाई (Rani Lakshmibai) का जन्म 19 नवंबर, 1835 को काशी में हुआ. उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे था. लक्ष्मीबाई के बचपन का नाम मणिकर्णिका था. उन्हें प्यार से मनु कहकर संबोधित किया जाता था. बाल्यकाल में ही मनु की माता का निधन हो गया. मनु के पिता बिठूर के पेशवा साहेब के यहां काम करते थे. पेशवा साहेब ने मनु को अपनी बेटी की तरह पाला. उन्होंने मनु को छबीली नाम दिया. बचपन से ही मनु शस्त्र-शास्त्र की शिक्षा लेने लगी थी. नाना साहेब और तात्या टोपे के निर्देशन में वे घुड़सवारी और तलवारबाजी में निपुण हो गईं थी. झांसी नर...

रानी लक्ष्मी बाई की जीवनी

1.3 निधन(वीरगति) रानी लक्ष्मी बाई की जीवनी – Rani Lakshmi Bai Biography Hindi जन्म लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवम्बर 1835 ई. को वाराणसी, भारत में हुआ था. उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम भागीरथीबाई था. महान वीरांगना लक्ष्मीबाई के बचपन का नाम मनु और मणिकर्णिका था. वह महाराज गंगाधर राव की पत्नी थी. योगदान गंगाधर राव की मृत्यु के बाद जनरल डलहौजी ने हड़प नीति द्वारा झांसी राज्य को 7 मार्च, 1854 ई. में अंग्रेजी सम्राज्य में सम्मिलित कर लिया। अपने दतक पुत्र दामोदर राव के उत्तराधिकारी हेतु महारानी लक्ष्मीबाई ने कंपनी शासन से प्रयास किया,परन्तु वे असफल रही। अत: उन्होने अग्रेजों से असन्तुष्ट होकर 1857 ई. की क्रांति में अंग्रेजों के विरुद्ध नेतृत्व किया. निधन(वीरगति) अंग्रेजी सेना से लड़ते हुए इस वीरांगना ने 18 जून 1858 में वीरगति प्राप्त की।

रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध

रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध- Rani Laxmi Bai Essay in Hindi रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध- Rani Laxmi Bai Essay in Hindi In this article, we are providing Rani Laxmi Bai Essay in Hindi | Rani Laxmi Bai Par Nibandh रानी लक्ष्मी बाई पर निबंधहिंदी | Nibandh in 100, 200, 250, 300, 500 words For Students & Children. दोस्तों आज हमने Rani Lakshmi Bai Essay in Hindi लिखा है रानी लक्ष्मी बाई पर निबंधहिंदी में कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, और 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए है। Rani Lakshmi Baiinformation in Hindi essay& Speech. रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध- Rani Laxmi Bai Essay in Hindi रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध- Short Essay on Rani Laxmi Bai in Hindi ( 150 words ) ‘खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी’– झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को बच्चा-बच्चा जानता है। लक्ष्मीबाई का बचपन का नाम मन था। उनका जन्म सन 1835 में बनारस में हुआ था। उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम भागीरथी बाई था। मनु को घुड़सवारी, तलवार चलाना और तीर चलाना अच्छा लगता था। सब उसे छबीली भी कहते थे। मनु बहुत चतुर थी। उसने बचपन में ही संस्कृत, हिंदी और मराठी सीख ली थी। सन् 1842 में उसका विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव के साथ हुआ। रानी ने दामोदर राव नाम के एक बालक को गोद लिया। अंग्रेज़ उनके राज्य को हड़पना चाहते थे। रानी ने स्वतंत्रता संग्राम आरम्भ किया। देश के लिए लड़ते-लड़ते वह शहीद हो गईं। 17 जून, 1857 की शाम देश कभी भुला नहीं सकता। देश ने एक वीरांगना को खो दिया। रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध- Rani Laxmi Bai Essay in Hindi ( 300 words ) भारत की वीर नारियों में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम बड़े गर्व से लिया जाता है...

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी Rani Laxmibai Biography In Hindi — Hindi Varsa

Rani Laxmibai Biography In Hindi लक्ष्मीबाई झांसी की मराठा शासित रियासत की रानी थी जो भारत के उत्तरी भाग में स्थित है। उनका जन्म 19 नवंबर 1828 को हुआ था और 18 जून 1858 को उनका निधन हो गया था। उन्हें भारत में ब्रिटिश शासन बढ़ने से पहले एक महान बैरियो माना जाता था और आज भी एक महान व्यक्ति के रूप में पूरे देश में उनका सम्मान किया जाता है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी Rani Laxmibai Biography In Hindi उसने अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अपनी मातृभूमि और अपने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले युद्ध में मर गई। उन्हें सबसे प्रमुख व्यक्तित्वों में से एक के रूप में भी जाना जाता था, जिन्होंने भारत की आजादी के पहले युद्ध में भाग लिया था, जिसे वर्ष 1857 में शुरू किया गया था। लक्ष्मी बाई का प्रारंभिक जीवन :- लक्ष्मी बाई का जन्म 18 नवंबर 1828 को कासी में एक महाराष्ट्रीयन करहेड ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे था, जो अदालत के सलाहकार थे, और उनकी माँ भागीरथी थीं, जो एक विद्वान महिला थीं। बचपन से ही लक्ष्मी बाई को मणिकर्णिका कहा जाता था और उनके परिवार के सदस्य प्यार से उन्हें मनु कहते थे। जब वह केवल चार साल की थी, तो उसने अपनी मां को खो दिया और इस तरह, उसको पालने की पूरी जिम्मेदारी उसके पिता पर आ गई। उसके पिता बिठूर में पेशवा बाजी राव द्वितीय के दरबार में काम करते थे और फिर वह झांसी में राजा गंगाधर राव नेवालकर के दरबार में चले गए। राजा गंगाधर राव नेवालकर झांसी के महाराजा थे और लक्ष्मी बाई के पिता तेरह साल की उम्र में अपने दरबार में चले गए थे। मनु ने अपनी शिक्षा घर पर प्राप्त की। • मनु का पालन-पोषण उनके पिता ने बहुत ही अपरंपरागत तरीके से किया था ...

Rani Laxmi Bai Biography In Hindi

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Rani Laxmi Bai Biography In Hindi बताएँगे। भारत की सबसे साहसिक वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय बताने वाले है। भारत की शौर्य गाथाएं किसको नहीं पता! और उसमे rani lakshmi bai history का जिक्र आते ही हम अपने बचपन में लौट जाते हैं। और सुभद्रा कुमारी चौहान की वह पंक्तियां गुनगुनाने लगते हैं। जिनमें वह कहती हैं कि ” खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी ” . आज हम jhansi ki rani ,rani laxmi bai husband name और rani laxmi bai ki kahani जानकारी बताने वाले है। रानी लक्ष्मीबाई की बचपन की कहानी ओर जानने की कोशिश करते हैं कि रानी लक्ष्मीबाई का बचपन कैसा था। rani laxmi bai ka janm 1835 में वाराणसी जिले के भदैनी में मोरोपन्त तांबे के घर में हुआ था । नाम रखा गया मणीकर्णिका नाम बड़ा था, इसलिए घर वालों ने उसे मनु कहकर बुलाना शुरु कर दिया था। जिसे बाद में दुनिया ने लक्ष्मीबाई से प्रचलित हुए थे। rani laxmibai life story बतादे की उन्होंने एक मर्द की तरह दुश्मनो को धूल चटाई थी। इतनाही नहीं मरते दमतक कभी भी हार नहीं मानी थी। तो चलिए rani laxmi bai jivani बताना शुरू करते है। Rani Laxmi Bai Biography In Hindi – नाम झांसी की रानी लक्ष्मीबाई उपनाम मनु, मणिकर्णिका जन्म 19 नवंबर, 1828 जन्म भूमि वाराणसी, उत्तर प्रदेश माता भागीरथी बाई पिता मोरोपंत ताम्बे अभिभावक भागीरथी बाई और मोरोपंत तांबे पति गंगाधर राव निवालकर संतान दामोदर राव ,आनंद राव [ दत्तक पुत्र ] घराना मराठा साम्राज्य प्रसिद्ध कार्य 1857 का स्वतंत्रता संग्राम प्रसिद्धि मराठा शाशन ,स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम महिला मृत्यु 17 जून,1858 [ 29 वर्ष ] मृत्यु स्थान ग्वालियर, मध्य प्रदे...

रानी लक्ष्मी बाई पर हिंदी में सरल निबंध

प्रस्तावना : झांसी की रानी, वीरांगना लक्ष्मीबाई वास्तविक अर्थ में आदर्श वीरांगना थीं, जिसमें भारतीय वसुंधरा को गौरवान्वित किया तथा अपने साहस और वीरता के बल पर शत्रुओं को धूल चटा दी। अपने पवित्र उद्देश्य की प्राप्ति के लिए ऐसी महान शख्सियत सदैव ही आत्मविश्वासी, कर्तव्य परायण, स्वाभिमानी और धर्मनिष्ठ होते है। ऐसी ही थीं वीरांगना लक्ष्मीबाई (Rani Laxmi Bai) परिचय : रानी लक्ष्मीबाई का जन्म काशी में 19 नवंबर 1835 को हुआ। इनके पिता मोरोपंत ताम्बे चिकनाजी अप्पा के आश्रित थे। इनकी माता का नाम भागीरथी बाई था। महारानी के पितामह बलवंत राव के बाजीराव पेशवा की सेना में सेनानायक होने के कारण मोरोपंत पर भी पेशवा की कृपा रहने लगी। लक्ष्मीबाई अपने बाल्यकाल में मनुबाई के नाम से जानी जाती थीं। विवाह : इधर सन्‌ 1838 में गंगाधर राव को झांसी का राजा घोषित किया गया। वे विधुर थे। सन्‌ 1850 में मनुबाई से उनका विवाह हुआ। सन्‌ 1851 में उनको पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। झांसी के कोने-कोने में आनंद की लहर प्रवाहित हुई, लेकिन चार माह पश्चात उस बालक का निधन हो गया। सारी झांसी शोक सागर में निमग्न हो गई। राजा गंगाधर राव को तो इतना गहरा धक्का पहुंचा कि वे फिर स्वस्थ न हो सके और 21 नवंबर 1853 को चल बसे। यद्यपि महाराजा का निधन महारानी के लिए असहनीय था, लेकिन फिर भी वे घबराई नहीं, उन्होंने विवेक नहीं खोया। राजा गंगाधर राव ने अपने जीवनकाल में ही अपने परिवार के बालक दामोदर राव को दत्तक पुत्र मानकर अंगरेजी सरकार को सूचना दे दी थी। परंतु ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार ने दत्तक पुत्र को अस्वीकार कर दिया। संघर्ष : 27 फरवरी 1854 को लार्ड डलहौजी ने गोद की नीति के अंतर्गत दत्तकपुत्र दामोदर राव की गोद अस्वीकृत कर दी और झांस...

रानी लक्ष्मीबाई का जीवन परिचय

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Rani Lakshmibai Punyatithi 2021: रानी लक्ष्मी बाई की पुण्यतिथि पर जानें उनके जीवन की कुछ महत्वपूर्ण बातें

Rani Lakshmibai Punyatithi 2021: रानी लक्ष्मी बाई की पुण्यतिथि पर जानें उनके जीवन की कुछ महत्वपूर्ण बातें हम सब झांसी की रानी को जानते हैं. अपने पाठ्यपुस्तकों में उनकी वीरता की गाथा पढ़ी है. तभी तो, अगर आज भी कहीं “खूब लड़ी मर्दानी”, यह पंक्ति सुनते हैं, तो आगे की कविता अपने आप याद आ जाती है. यह रानी लक्ष्मी बाई के अभूतपूर्व शौर्य का ही परिणाम है, कि आज भारत के बच्चे-बच्चे की वाणी पर उनका नाम है... हम सब झांसी की रानी को जानते हैं. अपने पाठ्यपुस्तकों में उनकी वीरता की गाथा पढ़ी है. तभी तो, अगर आज भी कहीं “खूब लड़ी मर्दानी”, यह पंक्ति सुनते हैं, तो आगे की कविता अपने आप याद आ जाती है. यह रानी लक्ष्मी बाई के अभूतपूर्व शौर्य का ही परिणाम है, कि आज भारत के बच्चे-बच्चे की वाणी पर उनका नाम है. भारत की सुप्त प्राण चेतना को जगाने वाली, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की आज पुण्यतिथि है. उनका कृतित्व सदा के लिए भारतीयों के हृदय पटल पर अंकित हो गया है. आइये, रानी लक्ष्मी बाई की पुण्यतिथि पर, अदम्य साहस से भरी उनकी जीवनयात्रा का परिचय पाते हैं. यह भी पढ़ें: काशी में जन्मी लक्ष्मी बाई रानी लक्ष्मीबाई (Rani Lakshmibai) का जन्म 19 नवंबर, 1835 को काशी में हुआ. उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे था. लक्ष्मीबाई के बचपन का नाम मणिकर्णिका था. उन्हें प्यार से मनु कहकर संबोधित किया जाता था. बाल्यकाल में ही मनु की माता का निधन हो गया. मनु के पिता बिठूर के पेशवा साहेब के यहां काम करते थे. पेशवा साहेब ने मनु को अपनी बेटी की तरह पाला. उन्होंने मनु को छबीली नाम दिया. बचपन से ही मनु शस्त्र-शास्त्र की शिक्षा लेने लगी थी. नाना साहेब और तात्या टोपे के निर्देशन में वे घुड़सवारी और तलवारबाजी में निपुण हो गईं थी. झांसी नर...

रानी लक्ष्मीबाई का जीवन परिचय

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रानी लक्ष्मी बाई पर हिंदी में सरल निबंध

प्रस्तावना : झांसी की रानी, वीरांगना लक्ष्मीबाई वास्तविक अर्थ में आदर्श वीरांगना थीं, जिसमें भारतीय वसुंधरा को गौरवान्वित किया तथा अपने साहस और वीरता के बल पर शत्रुओं को धूल चटा दी। अपने पवित्र उद्देश्य की प्राप्ति के लिए ऐसी महान शख्सियत सदैव ही आत्मविश्वासी, कर्तव्य परायण, स्वाभिमानी और धर्मनिष्ठ होते है। ऐसी ही थीं वीरांगना लक्ष्मीबाई (Rani Laxmi Bai) परिचय : रानी लक्ष्मीबाई का जन्म काशी में 19 नवंबर 1835 को हुआ। इनके पिता मोरोपंत ताम्बे चिकनाजी अप्पा के आश्रित थे। इनकी माता का नाम भागीरथी बाई था। महारानी के पितामह बलवंत राव के बाजीराव पेशवा की सेना में सेनानायक होने के कारण मोरोपंत पर भी पेशवा की कृपा रहने लगी। लक्ष्मीबाई अपने बाल्यकाल में मनुबाई के नाम से जानी जाती थीं। विवाह : इधर सन्‌ 1838 में गंगाधर राव को झांसी का राजा घोषित किया गया। वे विधुर थे। सन्‌ 1850 में मनुबाई से उनका विवाह हुआ। सन्‌ 1851 में उनको पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। झांसी के कोने-कोने में आनंद की लहर प्रवाहित हुई, लेकिन चार माह पश्चात उस बालक का निधन हो गया। सारी झांसी शोक सागर में निमग्न हो गई। राजा गंगाधर राव को तो इतना गहरा धक्का पहुंचा कि वे फिर स्वस्थ न हो सके और 21 नवंबर 1853 को चल बसे। यद्यपि महाराजा का निधन महारानी के लिए असहनीय था, लेकिन फिर भी वे घबराई नहीं, उन्होंने विवेक नहीं खोया। राजा गंगाधर राव ने अपने जीवनकाल में ही अपने परिवार के बालक दामोदर राव को दत्तक पुत्र मानकर अंगरेजी सरकार को सूचना दे दी थी। परंतु ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार ने दत्तक पुत्र को अस्वीकार कर दिया। संघर्ष : 27 फरवरी 1854 को लार्ड डलहौजी ने गोद की नीति के अंतर्गत दत्तकपुत्र दामोदर राव की गोद अस्वीकृत कर दी और झांस...