रानी लक्ष्मी बाई का जन्म कहां हुआ

  1. Martyrs Day 23 March 2023 शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है, इतिहास, महत्व और तथ्य
  2. How And Why Manikarnika Become Jhansi Ki Rani Laxmi Bai , Read Story Here
  3. रानी लक्ष्मीबाई का जन्म कब और कहाँ हुआ था?


Download: रानी लक्ष्मी बाई का जन्म कहां हुआ
Size: 67.53 MB

Martyrs Day 23 March 2023 शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है, इतिहास, महत्व और तथ्य

India Martyrs Day 23 March 2023 History Significance Facts In Hindi: भारतमेंशहीददिवसकईतिथियोंपरमनायाजाताहै। 23 मार्चकोउसदिनकेरूपमेंयादकियाजाताहैजबभगतसिंह, शिवरामराजगुरुऔरसुखदेवथापरनामकेतीनबहादुरस्वतंत्रतासेनानियोंकोअंग्रेजोंनेफांसीदीथी।साथही, 30 जनवरीकोमहात्मागांधीकीयादमेंशहीददिवसयाशहीददिवसकेरूपमेंमनायाजाताहै।आइएइसकेबारेमेंविस्तारसेपढ़ें। शहीददिवसक्याहै? भारतमें, मुख्यतः 2 तारीखोंको, शहीददिवसमनायाजाताहै।इसदिनहमउनस्वतंत्रतासेनानियोंकोश्रद्धांजलिअर्पितकरतेहैंजिन्होंनेअपनीमातृभूमिकेलिएअपनाबलिदानदियाहै। 30 जनवरीकोशहीददिवसयाशहीददिवसमहात्मागांधीकीयादमेंमनायाजाताहैऔर 23 मार्चकोभीभारतकेतीनक्रांतिकारियोंभगतसिंह, शिवरामराजगुरुऔरसुखदेवकोश्रद्धांजलिअर्पितकरनेकेलिएशहीददिवसमनायाजाताहै। 23 मार्चकोशहीददिवसक्योंमनायाजाताहै? 30 जनवरीकोमहात्मागांधीकीयादमेंशहीददिवसकेरूपमेंमनायाजाताहैऔर 23 मार्चकोभारतकेतीनस्वतंत्रतासेनानियोंकेबलिदानकोयादकरनेकेलिएशहीददिवसकेरूपमेंमनायाजाताहै। 23 मार्चकोहमारेराष्ट्रकेतीननायकोंकोअंग्रेजोंनेभगतसिंह, शिवरामराजगुरुऔरसुखदेवथापरकोफांसीपरलटकादियाथा।इसमेंकोईसंदेहनहींहै, उन्होंनेहमारेराष्ट्रकेकल्याणकेलिएअपनेजीवनकाबलिदानकियाहै, चाहेउन्होंनेमहात्मागांधीसेअलगरास्ताचुनाहो।वहभारतकेयुवाओंकेलिएप्रेरणास्रोतहैं।इतनीकमउम्रमें, वहआगेआएऔरस्वतंत्रताकेलिएउन्होंनेबहादुरीकेसाथसंघर्षकिया। भगतसिंहऔरउनकेसाथियोंकेबारेमें भगतसिंहकाजन्म 28 सितंबर 1907 कोपंजाबकेलायलपुरमेंहुआथा।भगतसिंहनेअपनेसाथियोंराजगुरु, सुखदेव, आज़ादऔरगोपालकेसाथमिलकरलालालाजपतरायकीहत्याकेलिएलड़ाईलड़ी।भगतसिंगअपनेसाहसीकारनामोंकेकारणयुवाओंकेलिएप्रेरणाबनगए।उन्होंने 8 अप्रैल 1929 कोअपनेसाथियोंकेसाथ "इंकलाबजिंदाबाद" कानारादियाऔरकेंद...

How And Why Manikarnika Become Jhansi Ki Rani Laxmi Bai , Read Story Here

Manikarnika The Queen Of Jhansi : कंगना रनौत अभिनीत फिल्म इन मणिकर्णिका इन दिनों बॉक्स ऑफिस पर जमकर कमाई कर रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस फिल्म का नाम 'मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी' क्यों रखा गया. झांसी की रानी का नाम तो रानी लक्ष्मीबाई था, अब सवाल यह उठता है कि अगर झांसी की रानी लक्ष्मी बाई थी तो फिर मणिकर्णिका कौन थी.. और यदि ये दोनों ही नाम एक ही शख्स के हैं तो आखिर उन्होंने अपना नाम क्यों बदला. आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर मणिकर्णिका रानी लक्ष्मीबाई कब और क्यों बन गई. आज़ादी की लड़ाई की पहली वीरांगना महारानी लक्ष्मी बाई का जन्म 1828 में वाराणसी के अस्सी घाट के नज़दीक अस्सी मोहल्ले में हुआ था. उनके पिता का नाम मोरेपंत और मां का नाम भागीरथी बाई था. लक्ष्मी बाई के पिता ने उनका नाम मणिकर्णिका रखा, लेकिन प्यार से उन्हें मनु कहा जाता था. महज़ 4 साल की उम्र में मणिकर्णिका उर्फ मनु अपनी जन्भूमि को हमेशा के लिए छोड़ कर अपनी मां और पिता के साथ बिठूर चली गई थीं. कानपुर के पास बिठूर का गंगा तट और बिठूर के गंगा तट पर था पेशवा बाजीराव का महल. बाजीराव की अपनी कोई संतान नहीं थी लिहाज़ा वंश को आगे बढ़ाने लिए उन्होंने नानासाहेब को गोद लिया था. नानासाहेब की उम्र मनु यानि लक्ष्मी बाई से कोई 11 साल ज़्यादा थी, लेकिन लक्ष्मीबाई का बचपन उन्हीं के साथ खेलते-कूदते बीतने लगा. साल 1842 में मणिकर्णिका जब महज़ 14 साल की थीं तब राजा गंगाधर राव से झांसी के गणेश मंदिर में उनकी शादी हो गई. उस दौर में ये प्रथा हुआ करती थी कि शादी के बाद लड़की को ससुरालवालों की ओर से एक नया नाम दिया जाए. इसी के चलते शादी के बाद मणिकर्णिका के पति और झांसी के राजा गंगाधर राव ने उनका नाम लक्ष्मी बाई रख दिया. झांसी के राजम...

रानी लक्ष्मीबाई का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

आज के इस लेख में हम आपको झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के जीवन की कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं। आपको बताएँगे की झाँसी की रानी कहे जाने वाली लक्ष्मी बाई का जन्म कब हुआ था और किस स्थान पर जनम हुआ था। सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी आज भी जब यह वीर रस का काव्य कानों में सुनाई देता हैं, तो हम भारतियों का सीना चौड़ा हो जाता हैं। देश प्रेम को दर्शाती यह कविता लोगो में जान फूंक देती हैं। यह प्रसिद्ध कविता सुभद्रा कुमारी चौहान के द्वारा लिखी गई हैं, जो उनकी कविता ' झाँसी की रानी' से लिया गया हैं। यह सुभद्राकुमारी चौहान की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक हैं, जो रानी लक्ष्मीबाई को समर्पित हैं। जी हाँ, दोस्तों आज मैं आपका सोलो साथी, आपको काशी या वाराणसी के तंग गलियों से होते हुये उस स्थान पर ले जा रहा हूँ, जहाँ पर देवी रानी लक्ष्मीबाई का जन्म हुआ हैं। आज की पूरी चर्चा उस भूमि पर हैं, जहाँ लक्ष्मीबाई जैसे वीरांगना का जन्म हुआ हैं। हम में से कई लोग वाराणसी कितने बार गए होंगे घूमने कई मंदिरों में दर्शन किये होंगे, सारनाथ के साथ- साथ घाटों पर मौज मस्ती के साथ घण्टो समय बिताये होंगे, परन्तु उनमें से 5% भी लोग इस जन्म स्थान पर नही जा पाते हैं, अर्थात सीधे शब्दों में कहा जाये तो 90% से भी ज्यादा लोग इस जन्म स्थान के बारे में जानते ही नही हैं, और यदि जानते भी हैं तो इस जन्मभूमि पर जाना जरूरी नही समझते हैं। तो आइये सबसे पहले रानी लक्ष्मीबाई के बारे में जानते हैं, फिर आगे की चर्चा जन्म स्थान पर करेंगे। रानी लक्ष्मीबाई जन्म स्थली- 'भदैनी' रानी लक्ष्मीबाई जी का जन...