रानी लक्ष्मीबाई का चित्र

  1. रानी लक्ष्मीबाई का मुस्लिम भाई, जो 1858 की जंग में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ा
  2. झाँसी की रानी के वंशज और पुत्र दामोदर राव की मार्मिक कहानी
  3. राणी लक्ष्मीबाई
  4. रानी लक्ष्मीबाई


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रानी लक्ष्मीबाई का मुस्लिम भाई, जो 1858 की जंग में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ा

लक्ष्मीबाई को राखी से मिला था मुस्लिम भाई मोरोपंत तांबे एक ब्राह्मण थे, जो पेशवा बाजीराव द्वितीय के यहां काम करते थे। इनका विवाह भागीरथी बाई से हुआ था। उनके विवाह के बाद 19 नवंबर 1828 में उन्हें एक बेटी हुई। इसका नाम मणिकर्णिका रखा गया था। मणिकर्णिका मोरोपंत की इकलौती संतान थी, जो बाद में झांसी की रानी बनीं। लक्ष्मीबाई को राखी के एक धागे से मुस्लिम भाई मिला, जो उनके जीवन के आखिरी क्षणों तक साथ रहा। आइए जानते हैं कौन है वो.. (All Photo- Lexica Art)

झाँसी की रानी के वंशज और पुत्र दामोदर राव की मार्मिक कहानी

मन में कल्पना कीजिए, सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का भीषण युद्ध चल रहा है झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई अपने दत्तक पुत्र दामोदर राव को पीठ से बाँधें हुए युद्ध कर रही हैं। थके झुंझलाते बच्चे को नींद आ जाती है और वो सो जाता हैं। अचानक तोप का एक गोला महारानी के घोड़े से कुछ दूर गिरता है, जोड़ से आवाज होती है और बच्चे की नींद टूट जाती हैं। 1857 के युद्ध की कहानी आप सब जानते है, अंत समय में दामोदर राव को महारानी अपने विश्वासपात्र सरदार रामचंद्र राव देशमुख को सौंप कर धरती माँ से विदा ले लेती हैं। दामोदर राव से जुड़ी कुछ जानकारी, कहानी तथा उनके वंशज के बारे में। दामोदर राव जिनका असली नाम आनंद राव था की कहानी बड़ी दुखदायी हैं। रानी के मृत्यु के बाद उन्हें काफी कष्ट सहना पड़ा, यहां तक की भिक्षा मांग कर समय काटना पड़ा। दानी भिखारी बन गया, जिसने कभी सूखी रोटी का नाम नही सुना उसे सूखी रोटी खानी पड़ गयी। कोमल शैय्या की जगह पथरीली मिट्टी पर खुले आसमान के नीचे सोना पड़ा। कितना कष्ट भरा जीवन रहा होगा आप सोच सकते हैं। झाँसी की रानी के वंशज आज भी जीवित है किन्तु गुमनामी के अंधेरे में। आनंद राव को क्यों गोद लिया गया गंगाधर राव के साथ व्याही जाने के बाद लक्ष्मीबाई ने 1851 में एक पुत्र को जन्म दिया किन्तु दुर्भाग्यवश चार माह बाद ही उसकी असमय मृत्यु हो गयी। पुत्र के मृत्यु पर्यन्त झाँसी के राजा गंगाधर राव भी बीमार रहने लगे। जिसके कारण शीघ्र ही झाँसी सिंहासन के लिए उत्तराधिकारी की आवश्यकता महसूस होने लगी। क्योंकि उन दिनों अंग्रेजों की एक विस्तारवादी नीति थी- राज्य हड़प की नीति(Doctrine of Lapse) जिसके अनुसार यदि किसी राज्य का उत्तराधिकारी न हो अथवा राजा के निःसंतान होने पर उसका राज्य ब्रितानी सा...

राणी लक्ष्मीबाई

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रानी लक्ष्मीबाई

महिला अधिकार अभियान, नवम्बर 2016 रानी लक्ष्मीबाई (जन्म: 19 नवम्बर 1835, मृत्यु: 18 जून 1858) मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की वीरांगना थीं जिन्होंने मात्र 23 वर्ष की आयु में ब्रिटिश साम्राज्य की सेना से संग्राम किया और रणक्षेत्र में वीरगति प्राप्त की किन्तु जीते जी अंग्रेजों को अपनी झाँसी पर कब्जा नहीं करने दिया। रानी लक्ष्मीबाई का एकमात्र चित्र जिसे एक अंग्रेज फोटोग्राफर जॉन स्टोन एण्ड हॉटमैन ने सन् 1850 में खींचा था उपलब्ध है। लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी जिले के भदैनी नामक नगर में 19 नवम्बर 1835 को हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था परन्तु प्यार से उसे मनु कहा जाता था। मनु की माँ का नाम भागीरथी बाई तथा पिता का नाम मोरोपन्त तांबे था। मोरोपन्त एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा में थे। माता भागीरथी बाई एक सुसंस्कृत, बुद्धिमान एवं धार्मिक महिला थीं। मनु जब चार वर्ष की थी तब उनकी माँ की मृत्यु हो गयी। क्योंकि घर में मनु की देखभाल के लिये कोई नहीं था इसलिए पिता मनु को अपने साथ बाजीराव के दरबार में ले गये जहाँ चंचल एवं सुन्दर मनु ने सबका मन मोह लिया। लोग उसे प्यार से छबीली कहकर बुलाने लगे। मनु ने बचपन में शास्त्रों की शिक्षा के साथ शस्त्रों की शिक्षा भी ली। सन् 1842 में उनका विवाह झाँसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव निम्बालकर के साथ हुआ और वे झाँसी की रानी बनीं। विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। सन् 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया पर चार महीने की आयु में ही उसकी मृत्यु हो गयी। सन् 1853 में राजा गंगाधर राव का स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ जाने पर उन्हें दत्तक पुत्र लेने की सलाह दी गयी। पुत्र गोद लेने के बा...