रानी लक्ष्मीबाई की फोटो

  1. Jyotiraditya Scindia went to the tomb of Rani Laxmibai Congress said atonement for sin
  2. Rani Lakshmibai Punyatithi 2021 HD Images: रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए अपनों संग शेयर करें ये Messages, Wallpapers और Photos
  3. Fact Check: जानें, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की ‘असली फोटो’ का सच
  4. राणी लक्ष्मीबाई
  5. Rani Lakshmibai Punyatithi 2022 Messages: झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि, इन हिंदी Quotes, WhatApp Status, Photo SMS के जरिए करें उन्हें नमन
  6. त्याग, समर्पण और देशप्रेम की परम प्रतीक: रानी लक्ष्मीबाई
  7. MP Rani Veerangana Lakshmi Bai Statue Will Satblised In Museum Of Jai Vilas Palace Gwalior ANN


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Jyotiraditya Scindia went to the tomb of Rani Laxmibai Congress said atonement for sin

ग्वालियर: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार को रानी लक्ष्मीबाई के स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया. संभवत: ग्वालियर के तत्कालीन शाही सिंधिया परिवार के किसी सदस्य का शहीद रानी के समाधि स्थल का यह पहला दौरा है. इसपर व्यंग्य करते हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सिंधिया के पूर्वजों के ‘‘पाप’’ का प्रायश्चित करने के लिए यह पर्याप्त नहीं है. मंगलवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने समाधि स्थल के ‘‘शुद्धिकरण’’ का प्रयास भी किया. सिंधिया की श्रद्धांजलि पर व्यंग्य करते हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सिंधिया के पूर्वजों ने 1857 के विद्रोह के दौरान रानी लक्ष्मीबाई का समर्थन नहीं किया. अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई 18 जून, 1858 को ग्वालियर में ब्रिटिश सेना से युद्ध में शहीद हो गयी थीं. सिंधिया के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक लक्ष्मण सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘ ज्योतिरादित्य सिंधिया का झांसी की रानी की प्रतिमा के समक्ष नमन करना एक साहसिक कदम है.’’ प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘रानी लक्ष्मीबाई बलिदान की प्रतीक हैं और उनके स्मारक को सम्मान देकर सिंधिया ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों की वीरता का सम्मान किया है.’’ लेकिन प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के. के. मिश्रा ने कहा कि सिंधिया सिफ इतना करके अपने परिवार के इतिहास का प्रायश्चित नहीं कर सकते. उन्होंने दावा किया कि यह एक प्रसिद्ध तथ्य है कि सिंधिया राजपरिवार ने अंग्रेजों के खिलाफ रानी लक्ष्मीबाई के विद्रोह का समर्थन नहीं किया था. यह भी पढ़िए- योगी सरकार के दिए टैबलेट- स्मार्टफोन खुलेआम बेच रहे छात्र, जानिए पूरा मामला ‘ श्रीमंत प...

Rani Lakshmibai Punyatithi 2021 HD Images: रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए अपनों संग शेयर करें ये Messages, Wallpapers और Photos

Rani Lakshmibai Punyatithi 2021 HD Images: रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए अपनों संग शेयर करें ये Messages, Wallpapers और Photos झांसी की रानी लक्ष्मीबाई एक ऐसी वीरांगना के तौर पर भी जानी जाती हैं, जिन्होंने 1857 के विद्रोह की नींव रखी. रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके साहस, बलिदान और उनकी वीरगाथा को याद किया जाता है. आप भी इन एचडी इमेजेस, मैसेजेस, वॉलपेपर्स और फोटोज को शेयर करके इस महान वीरांगना को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं. Rani Lakshmibai Punyatithi 2021 HD Images: झांसी की रानी लक्ष्मीबाई (Queen of Jhansi) को भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम यानी 1857 की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली देश की महान वीरांगना के तौर पर जाना जाता है. आज (18 जून 2021) रानी लक्ष्मीबाई (Rani Lakshmibai) की पुण्यतिथि (Rani Lakshmibai Punyatithi) मनाई जा रही है. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को हुआ था. बनारस के एक मराठी ब्राह्मण परिवार में जन्मीं लक्ष्मीबाई का नाम मणिकर्णिका रखा गया था, लेकिन उन्हें प्यार से मनु कहकर पुकारा जाता था. मनु का विवाह झांसी के नरेश गंगाधर राव नवलकर के साथ हुआ, जिसके बाद वो मुन से रानी लक्ष्मीबाई कहलाईं. उन्होंने महज 29 साल की उम्र में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ युद्ध किया और रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुईं. बताया जाता है कि लक्ष्मीबाई सिर पर तलवार के वार से शहीद हुई थीं. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई एक ऐसी वीरांगना के तौर पर भी जानी जाती हैं, जिन्होंने 1857 के विद्रोह की नींव रखी. रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके...

Fact Check: जानें, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की ‘असली फोटो’ का सच

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई आज ही के दिन साल 1858 में अंग्रेजों से लोहा लेते हुए शहीद हुई थीं। इस मौके पर हम आज उनकी एक फोटो की सच्चाई बताएंगे जो काफी समय से शेयर की जाती रही है। इस फोटो के साथ दावा किया जाता है कि ये फोटो रानी लक्ष्मीबाई की असली तस्वीर है जिसे ब्रिटिश फोटोग्राफर हॉफमैन ने 1850 में खींचा था। आइए जानते हैं इस फोटो की सच्चाई.. क्या है वायरल फोटो में- सोशल मीडिया पर एक अखबार की कटिंग खूब वायरल है। इसमें एक महिला खुले बाल, माथे पर बिंदी लगाए और कानों में झुमके पहने नजर आ रही है। कैप्शन में लिखा गया है कि इस फोटो को अंग्रेज फोटोग्राफर हॉफमैन ने खींची थी। ये भी लिखा गया है कि भोपाल में हुई विश्व फोटोग्राफी प्रदर्शनी में भी इसे दिखाया गया। क्या है सच्चाई- इस फोटो को देखकर ही शक होता है कि ये रानी लक्ष्मीबाई की तस्वीर हो सकती है। तस्वीर में दिख रही महिला कैमरा फ्रेंडली दिख रही है। साथ ही, इस फोटो की क्वालिटी देखकर लगता है कि यह उस जमाने की फोटो नहीं हो सकती है। हालांकि, इतिहाकारों ने इस फोटो पर भी सवाल उठाए हैं। 'द वॉर ऑफ 1857' के लेखक अमरेश मिश्रा कहते हैं कि उन्होंने यह फोटो कभी नहीं देखी है, ना ही अपने किताब के लिए रिसर्च के वक्त इसके बारे में सुना। उन्होंने आगे बताया कि उन्होंने हॉफमैन के बारे में भी कभी नहीं सुना। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और समथर के राजा रणजीत सिंह जूदेव के मताबिक, 1853 में राजा गंगाराव के मरने के बाद रानी लक्ष्मीबाई को झांसी की गद्दी मिली थी। फिर 1850 में वह सिंहासन पर बैठकर इस वेषभूषा में कैसे फोटो खिंचवा सकती हैं। नई दिल्ली। देश का निर्यात मई के महीने में सालाना आधार पर 10.3 प्रतिशत गिरकर 34.98 अरब डॉलर पर आ गया है। गुरुवार को सरकार की ओर से जारी...

राणी लक्ष्मीबाई

हा कथाकथन अथवा ललित साहित्य लेखनशैली टाळावी,ऐतिहासिक कथा कादंबर्‍यातील संदर्भ टाळावेत अथवा विशीष्टपणे नमुद करून ललित साहित्यातील उल्लेखांबद्दल वेगळा परिच्छेद बनवावा. * विकिपीडियावर इतिहास-विषयक संदर्भ देताना • ऐतिहासिक परिपेक्षात एकाच (कुटूंबा/घराण्या)तील दोन पिढ्यात एकाच नावाच्या व्यक्ती असु शकतात.कृ.[[अंतर्गत विकिदुवा]] देताना, तो नेमका कोणत्या लेखात उघडतो ते तपासा;घाई आणि गल्लत टाळा. आपल्याला १००% कॉपीराइटमुक्त पब्लीक डॉमेन • ऐतिहासिक ललितेतर दस्तऐवज - तह/करारनामे, जाहीरनामे, आज्ञापत्रे, फतवे, वैयक्तिक दप्तरे/पत्रे, बखरी, न्यायनिवाड्याची निकालपत्रे, सैनिकी मोहिमांचे अहवाल/जमाखर्च इत्यादी. • ऐतिहासिक ललित साहित्य - संतसाहित्य, अन्य भक्तिपर साहित्य, स्तुतिपर कवने. • ऐतिहासिक कलाकॄती - समसमीक्षित (पीअर-रिव्ह्यूड) किंवा संपादित माध्यमांतून प्रकाशित झालेली चित्रे/फोटो; मात्र खास त्यांच्यासाठी आयोजलेल्या प्रदर्शनांतून प्रसिद्ध झालेली नसावीत. महाराणी लक्ष्मीबाईसाहेब गंगाधरराव नेवाळकर, म्हणजेच झाशीची राणी लक्ष्मीबाई, ( स्वातंत्र्यलक्ष्मी श्रीमंत राजमाता वीरांगना महाराज्ञी लक्ष्मीबाई साहेब गंगाधरराव नेवाळकर महाराज झाशीची राणी लक्ष्मीबाई टोपणनाव: मनिकर्णिका, मनू, बाईसाहेब, छबिली जन्म: मृत्यू: चळवळ: प्रमुख स्मारके: धर्म: वडील: आई: भागिरथीबाई तांबे पती: अपत्ये: दामोदर, आनंदराव (दत्तकपुत्र) राजमुद्रा: रानी‌ लक्ष्मीबाई सवंत १९१० ( फारसी व‌ उर्दू ) भाषेत. हिंदी व‌ मराठी अर्थ "राणी लक्ष्मीबाई वर्ष १८५४" राजमुद्रा जयते : श्रीमंत रितेशराजे ठाकूर व‌ कवीवर्य मनिष अहिरे द्वारा निर्मित ||स्वराज्यरक्षिनी‌ फिरंगमर्दीनी||राज्ञी लक्ष्मी जयते विरांगणी||‌‌‌‌ |‌|शस्रधारिनी समर भवानी||गंगाधर भार्या ...

Rani Lakshmibai Punyatithi 2022 Messages: झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि, इन हिंदी Quotes, WhatApp Status, Photo SMS के जरिए करें उन्हें नमन

Rani Lakshmibai Punyatithi 2022 Messages: झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि, इन हिंदी Quotes, WhatApp Status, Photo SMS के जरिए करें उन्हें नमन झांसी की रानी लक्ष्मीबाई एक ऐसी वीरांगना थीं, जिन्होंने 1857 के विद्रोह की नींव रखी थी. इस विद्रोह के चलते अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिल गई थी. आखिरी दम तक अंग्रेजों से लोहा लेने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर लोग उनकी वीरता और शौर्यगाथा को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. ऐसे में आप भी इन मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप स्टेटस, फोटो एसएमएस के जरिए उन्हें नमन कर सकते हैं. Rani Lakshmibai Punyatithi 202 2 Messages in Hindi: खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी...मातृभूमि की रक्षा के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों को न्योछावर करने वाली इतिहास की महान वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई (Queen of Jhansi Rani Lakshmibai) की आज यानी 18 जून 2022 को पुण्यतिथि (Rani Lakshmibai Punyatithi) मनाई जा रही है. आखिरी दम तक अंग्रेजों से लोहा लेने वाली रानी लक्ष्मीबाई (Rani Lakshmibai) 17 जून 1858 को अपनी आखिरी जंग के लिए तैयार हुई थीं और अंग्रेजों से लड़ते हुए 18 जून को वीरगति प्राप्त की. रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु को लेकर अलग-अलग मत हैं. लॉर्ड केनिंग की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्हें एक सैनिक ने पीछे से गोली मारी थी, तभी अपने घोड़े के मोड़ते हुए रानी लक्ष्मीबाई ने भी इस सैनिक पर हमला किया था, लेकिन वो उनके वार से बच गया और उसने अपनी तलवार से वध कर दिया था. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई एक ऐसी वीरांगना थीं, जिन्होंने 1857 के विद्रोह की नींव रखी थी. इस विद्रोह के चलते अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिल गई थी. आखिरी दम तक अंग्रेजों से लोहा ...

त्याग, समर्पण और देशप्रेम की परम प्रतीक: रानी लक्ष्मीबाई

shares “वह एक अकेली मर्द थी पूरी सेना में जो लड़ रही थी” ह्यूरोज का ये कथन समर्पित है वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को – रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1828 को बनारस के एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ। उन्हें मणिकर्णिका नाम दिया गया और घर में मनु कहकर बुलाया गया, 4 बरस की थीं, जब उनकी मां गुज़र गईं। पिता मोरोपंत तांबे बिठूर ज़िले के पेशवा के यहां काम करते थे और पेशवा ने उन्हें अपनी बेटी की तरह पाला, प्यार से नाम दिया छबीली। मणिकर्णिका का ब्याह झांसी के महाराजा राजा गंगाधर राव नेवलकर से हुआ और देवी लक्ष्मी पर उनका नाम लक्ष्मीबाई पड़ा। बेटे को जन्म दिया, लेकिन 4 माह का होते ही उसका निधन हो गया, राजा गंगाधर ने अपने चचेरे भाई का बच्चा गोद लिया और उसे दामोदार राव नाम दिया गया। राजा का देहांत होते ही अंग्रेज़ों ने चाल चली और लॉर्ड डलहौज़ी ने ब्रिटिश साम्राज्य के पैर पसारने के लिए झांसी की बदकिस्मती का फायदा उठाने की कोशिश की, अंग्रेज़ों ने दामोदर को झांसी के राजा का उत्तराधिकारी स्वीकार करने से इनकार कर दिया। झांसी की रानी को सालाना 60000 रुपए पेंशन लेने और झांसी का किला खाली कर चले जाने के लिए कहा गया लेकिन रानी ने प्रतिउत्तर देते हुए कहा- “मैं अपनी झाँसी नही दूँगी” रानी की जीवनी पर लिखी एक किताब के मुताबिक फरवरी 1857 में तात्या टोपे चोरी-छिपे लक्ष्मीबाई को एक ख़त देकर गए जिसमें क्रांति का आह्वान था। जानकार कहते हैं कि रानी उस समय को बगावत के लिए सही नहीं मान रही थीं तो निर्णय लिया गया कि बग़ावत का बिगुल 31 मई 1857 को फूंका जाएगा। रोटी और कमल के फूल को क्रांति के निशान के तौर पर चुना गया. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से 10 मई को कलकत्ता के पास बैरकपुर छावनी में विरोध के स्वर फूट पड़े...

MP Rani Veerangana Lakshmi Bai Statue Will Satblised In Museum Of Jai Vilas Palace Gwalior ANN

Gwalior News: 165 साल के एक लंबे अंतराल के बाद ग्वालियर के सिंधिया राजघराने में एक बड़ा परिवर्तन आज शाम होने वाला है. साल 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ हुई पहली क्रांति की नायिका झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का बिगुल बजाते हुए ग्वालियर पहुंची थी और यहीं पर उन्हें वीरगति प्राप्त हुई थी. अंग्रेजों ने बाद में उन्हें फिर से सत्तारूढ़ कराया था, तब से लेकर इस मामले को लेकर सिंधिया परिवार लोगों के निशाने पर रहा था. उन पर लक्ष्मीबाई का साथ न देने का आरोप लगता रहा है. आज ज्योतिरादित्य सिंधिया जिस बीजेपी में है वह तो बाकयदा उनके खिलाफ लगातार यह मामला उठाकर सिंधिया परिवार पर निशाना साधती रही लेकिन अब यह आरोप आज रविवार की शाम से खामोश हो जाएंगी. अब वीरांगना लक्ष्मीबाई सिंधिया परिवार के शाही महल में स्थाई रूप से और सदैव मौजूद रहेंगी. सिंधिया के जयविलास पैलेस में स्थित म्यूजियम में तैयार की गयी एक नयी गैलरी "गाथा स्वराज की " के नाम पर तैयार की गयी है. इसमें मराठा राजाओं के योगदान को दिखाया गया है. इसका उद्घाटन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज शाम को करेंगे. 42 कमरों में बना है यह संग्रहालय यह संग्रहालय जयविलास पैलेस परिसर में ही स्थित है. जयविलास पैलेस इटली की टस्कन और कोरिंथियन शैली में बना न केवल भारत बल्कि दुनिया के चुनिंदा महलों में से एक है जिसके पूरे वास्तु में राजसी वैभव छलकता है. चार सौ भव्य और विशाल हॉल नुमा कमरों वाले इस के चालीस कमरों में दिवंगत राजमाता विजयाराजे सिंधिया द्वारा अपने पति महाराजा जीवाजी राव सिंधिया की स्मृति में एक म्यूजियम का निर्माण कराया गया था जिसमें सिंधिया राज परिवार की गाथा कहते हुए उनके परिवार से जुड़े सामान आदि को संरक्षित किया गया है. ...