राणा सांगा के पिता का नाम

  1. राणा संगा का जीवन परिचय और विचार
  2. शूरवीर योद्धा राणा सांगा का इतिहास
  3. राणा सांगा का इतिहास
  4. राणा सांगा
  5. राणा सांगा
  6. राणा सांगा का इतिहास और जीवन परिचय
  7. शूरवीर योद्धा राणा सांगा का इतिहास
  8. राणा सांगा
  9. राणा सांगा का इतिहास
  10. राणा सांगा का इतिहास और जीवन परिचय


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राणा संगा का जीवन परिचय और विचार

राणा सांगा :- नाम ही काफी है !! प्रारंभिक जीवन :-- राणा सांगा (महाराणा संग्राम सिंह) (राज 1509-1528) उदयपुर में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा थे तथा राणा रायमल के सबसे छोटे पुत्र थे। मेवाड़ योद्धाओं की भूमि है, यहाँ कई शूरवीरों ने जन्म लिया और अपने कर्तव्य का प्रवाह किया । उन्ही उत्कृष्ट मणियों में से एक थे राणा सांगा । पूरा नाम महाराणा संग्राम सिंह । वैसे तो मेवाड़ के हर राणा की तरह इनका पूरा जीवन भी युद्ध के इर्द-गिर्द ही बीता लेकिन इनकी कहानी थोड़ी अलग है । एक हाथ , एक आँख, और एक पैर के पूर्णतः क्षतिग्रस्त होने के बावजूद इन्होंने ज़िन्दगी से हार नही मानी और कई युद्ध लड़े । ज़रा सोचिए कैसा दृश्य रहा होगा जब वो शूरवीर अपने शरीर मे 80 घाव होने के बावजूद, एक आँख, एक हाथ और एक पैर पूर्णतः क्षतिग्रस्त होने के बावजूद जब वो लड़ने जाता था ।। राणा सांगा अदम्य साहसी थे । इन्होंने सुलतान मोहम्मद शासक माण्डु को युद्ध में हराने व बन्दी बनाने के बाद उन्हें उनका राज्य पुनः उदारता के साथ सौंप दिया, यह उनकी बहादुरी को दर्शाता है। बचपन से लगाकर मृत्यु तक इनका जीवन युद्धों में बीता। इतिहास में वर्णित है कि महाराणा संग्राम सिंह की तलवार का वजन 20 किलो था । राणा रायमल के तीनों पुत्रों ( कुंवर पृथ्वीराज, जगमाल तथा राणा सांगा ) में मेवाड़ के सिंहासन के लिए संघर्ष प्रारंभ हो जाता है। एक भविष्यकर्त्ता के अनुसार सांगा को मेवाड़ का शासक बताया जाता है ऐसी स्थिति में कुंवर पृथ्वीराज व जगमाल अपने भाई राणा सांगा को मौत के घाट उतारना चाहते थे परंतु सांगा किसी प्रकार यहाँ से बचकर अजमेर पलायन कर जाते हैं तब सन् 1509 में अजमेर के कर्मचन्द पंवार की सहायता से राणा सांगा मेवाड़ राज्य प्राप्त हुुुआ | महाराणा सांगा ...

शूरवीर योद्धा राणा सांगा का इतिहास

यह शूरवीर योद्धा राणा सांगा का पूरा नाम महाराणा संग्राम सिंह था। हमारे भारतीय इतिहास के शूरवीर और पराक्रमी शासको में राणा सांगा का नाम बहुत ही सम्मान से लिया जाता है। राजस्थान जिल्ले में कई सारे महान शासक ने जन्म लिया था, राणा सांगा उन्ही शासको में से एक थे। राणा सांगा को त्याग, बलिदान और समर्पण के लिए जाना जाता था। यह हमारे भारत देश के एक बहुत ही बहादुर योद्धा रहे थे और इनके पीछे का इतिहास बहुत ही रोचक रहा है। इस आर्टिकल में हम शूरवीर योद्धा राणा सांगा के जीवन परिचय और उनके गौरवशाली इतिहास के बारे में विस्तार से बताने जा रहे है तो आप हमारा यह आर्टिकल को पुरे ध्यान से अंत तक जरुर पढ़े। शूरवीर योद्धा राणा सांगा का जन्म और इतिहास शूरवीर योद्धा महाराणा संग्राम सिंह जी का जन्म 12 अप्रेल,1472 ईस्वी में चित्तौड़ में हुआ था। उनके पिता का नाम राणा रायमल था वह राजस्थान के राजा थे। राणा रायमल के वहा तीन पुत्रो का जन्म हुआ था, कुंवर पृथ्वीराज, जगमाल और राणा सांगा। उनके तीसरे नंबर के पुत्र राणा सांगा का शासन काल 12 अप्रेल 1484 से 30 जनवरी 1528 के बीच रहा था। शूरवीर योद्धा राणा सांगा ने सन 1509 से 1528 में उदयपुर में सिसोदिया राजपुर राजवंश के राजा के रूप में राज किया था। राणा सांगा अपने दोनों भाइयो में से सबसे छोटे थे। और मेवाड़ के सिंहासन के लिए इन तीनो भाइयो में बहुत ही बड़े संषर्ष का प्रारंभ हुआ, जिसकी वजह से राणा सांगा मेवाड़ को छोड़ दिया था और अजमेर चले गए थे। वहा पर शूरवीर योद्धा राणा सांगा कर्मचन्द पंवार की मदद लेकर 1509 में मेवाड़ राज्य को प्राप्त कर लिया था। महाराणा संग्राम सिंह (राणा सांगा) हमारे मध्यकालीन भारत के सबसे अंतिम और हिन्दुओ में सबसे अधिक शक्तिशाली शासक रहे थे। राणा सांगा...

राणा सांगा का इतिहास

जन्म: 12 April 1482, चित्तौरगढ़ मृत्यु: 30 जनवरी, 1528 माण्डलगढ (भीलवाड़ा) पिता: राणा रायमल जीवनसंगी: रानी कर्णावती बच्चे: उदय सिंह, भोजराज , रतन सिंह, विक्रमादित्य सिंह राष्ट्रीयता: भारतीय धर्म : हिन्दू महाराणा कुम्भा के बाद महाराणा संग्रामसिंह जो कि सांगा के नाम से प्रसिद्ध है. मेवाड़ में सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक हुआ. उसने अपने शक्ति के बल पर मेवाड़ सम्राज्य का विस्तार किया एवं राजपूताना के सभी नरेशों को अपने अधीन संगठित किया. रायमल की मृत्यु के बाद 1509 में राणा सांगा मेवाड़ का महाराणा बना. सांगा ने अन्य राजपूत सरदारों के साथ शक्ति को संगठित किया इन्होने पड़ोसी राज्य गुजरात के शासक महमूद से भी संघर्ष किया. कुम्भाकालीन गौरव प्राप्त करने की दृष्टि से मुस्लिम शक्तियों के के विरुद्ध संघर्ष करना जरुरी था. सांगा का गुजरात के बादशाह से 1520 में संघर्ष हुआ था. जिसमें सांगा विजयी रहे थे. इसी प्रकार मालवा के सुलतान महमूद खिलजी को भी सांगा ने परास्त कर जेल में कैद कर दिया. बाद में अच्छा व्यवहार करने की शर्त पर उसे रिहा कर दिया. राणा सांगा ने अपनी शक्ति को संगठित कर दिल्ली सल्तनत के अधीनस्थ मेवाड़ के निकटवर्ती भागों को अपने राज्य में मिलाना शुरू कर दिया. सन 1517 में दिल्ली के सुलतान इब्राहीम लोदी व सांगा में खतौली का युद्ध हुआ, जिसमे सुलतान बुरी तरह पराजित हुआ. पराजय के बाद सुलतान को सांगा ने बाड़ी के युद्ध में और पराजित किया. स्थानीय साहित्य में उल्लेख मिलता है किराणा सांगा ने कई बार दिल्ली, मांडू और गुजरात के सुल्तानों को पराजित किया था. राणा सांगा के युद्ध और उपलब्धियाँ (War and achievements of Rana Sanga) पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहीम लोदी को परास्त कर दिल्ली सल्तनत पर बाबर ने अ...

राणा सांगा

महाराणा संग्राम सिंह को राणा सांगा के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने 1509 और 1527 तक मेवाड़ पर शासन किया। उनका जन्म 12 अप्रैल, 1484 को हुआ था और वे सूर्यवंशी राजपूतों के सिसोदिया वंश के वंशज थे। उनका जन्म मेवाड़ के शासक रायमल से हुआ था और उनके दो भाई पृथ्वीराज और जयमल थे। युवा भाई एक-दूसरे के बहुत करीब थे और अक्सर मेवाड़ के पास एक पहाड़ी गुफा में जाते थे। एक दिन गुफा में एक ज्योतिषी डायन ने भाइयों से कहा कि राणा सांगा मेवाड़ का अगला राजा बनेगा और यह सुनकर अन्य दो भाई ईर्ष्या करने लगे। तब से भाइयों में कटु संबंध होने लगे, जिससे उनके पिता को बहुत दुख हुआ। महाराणा संग्राम सिंह को उनके भाइयों के साथ बुरा झगड़ा होने के बाद भगा दिया गया था और उन्होंने इस अवधि को अरावली पहाड़ियों के एक दूरदराज के गांव में चरवाहे के रूप में काम करते हुए बिताया। राणा ने गांव के मुखिया की बेटी से शादी कर ली। महाराणा संग्राम सिंह के दोनों भाई सिंहासन के लिए हिंसक रूप से लड़ते हुए मारे गए। उनकी मृत्यु के बाद महाराणा संग्राम सिंह अपने माता-पिता को संभालने और उनकी विरासत की रक्षा करने के लिए अपने पिता के दरबार में लौट आए। वह 1509 में रायमल की मृत्यु के बाद मेवाड़ के शासक के रूप में अपने पिता के उत्तराधिकारी बने। महाराणा संग्राम सिंह का शासन दोहराव की लड़ाई की एक श्रृंखला द्वारा प्रकट हुआ था। उन्होंने विभिन्न अवसरों पर दिल्ली, गुजरात और मालवा के शासकों की सेनाओं से लड़ते हुए, मुस्लिम सेनाओं के साथ अठारह युद्ध किए। इन लड़ाइयों के दौरान, उनके शरीर पर चौरासी घाव लगे थे। इन सबके बावजूद महाराणा संग्राम सिंह जीत में निष्पक्ष थे और 1519 में मांडू के सुल्तान महमूद को जबरन पकड़ लिया गया और एक कैदी के रूप में ले...

राणा सांगा

अनुक्रम • 1 परिचय • 2 प्रारंभिक जीवन • 3 सैन्य वृत्ति • 4 शासन • 5 मालवा पर विजय • 6 गुजरात पर विजय • 7 लोदी पे विजय • 8 मुगलों से संघर्ष • 9 मृत्यु • 10 इन्हें भी देखें • 11 बाहरी कड़ियाँ • 12 संदर्भ परिचय [ ] महाराणा संग्राम सिंह, राणा सांगा ने इन्होंने दिल्ली, गुजरात, व मालवा मुगल बादशाहों के आक्रमणों से अपने राज्य की ऱक्षा की। उस समय के वह सबसे शक्तिशाली राजा थे। फरवरी 1527 ई. में खानवा केे युद्ध से पूर्व बयाना केे युद्ध में राणा सांगा ने मुगल सम्राट बाबर की सेना को परास्त कर बयाना का किला जीता | खानवा की लड़ाई में हसन खां मेवाती राणाजी के सेनापति थे। युद्ध में राणा सांगा केे कहने पर राजपूत राजाओं ने बयाना के युद्ध के पश्चात् 16 मार्च,1527 ई. में खानवा के मैैैदान में राणा साांगा घायल हो गए। ऐसी अवस्था में राणा सांगा जी को युद्ध मैैदान से बाहर निकलना पडा। ओर उनकी जगह उनके परम मित्र राज राणा अजजा झाला ने ली । उन्होंने अपनी वीरता से दूसरों को प्रेरित किया। इनके शासनकाल में मेवाड़ अपनी समृद्धि की सर्वोच्च ऊँचाई पर था। एक धर्मपरनय राजा की तरह इन्होंने अपने राज्य की ‍रक्षा तथा उन्नति की। राणा सांगा इतने वीर थे की एक भुजा, एक आँख, एक टांग खोने व अनगिनत ज़ख्मों के बावजूद उन्होंने अपना महान पराक्रम नहीं खोया, सुलतान मोहम्मद शाह माण्डु के युद्ध में हराने व बन्दी बनाने के बाद उन्हें उनका राज्य पुनः उदारता के साथ सौंप दिया, यह उनकी बहादुरी को दर्शाता है।खानवा की लड़ाई में राणाजी को लगभग ८० घाव लगे थे अतः राणा सांगा को सैनिकों का भग्नावशेष भी कहा जाता है। बाबर भी अपनी आत्मकथा मैं लिखता है कि “राणा सांगा अपनी वीरता और तलवार के बल पर अत्यधिक शक्तिशाली हो गया है। वास्तव में उसका राज्य...

राणा सांगा का इतिहास और जीवन परिचय

Rana Sanga History in Hindi: राणा सांगा का पूरा नाम महाराणा संग्राम सिंह है। इतिहास के शूरवीर और पराक्रमी शासकों में इनका नाम सम्म्मान से लिया जाता है। राजस्थान में कई महान शासकों ने जन्म लिया है, राणा सांगा का नाम उन्ही में से एक है। उन्हें त्याग, बलिदान और समर्पण के लिए जाना जाता है। यह भारत के एक शूरवीर योद्धा रहे हैं और इनके पीछे का इतिहास बहुत रोचक रहा है। विषय सूची • • • • • • • • • • राणा सांगा का जन्म और इतिहास (Rana Sanga History in Hindi) महाराणा संग्राम सिंह का जन्म 12 अप्रैल, 1484 में चित्तौड़ राजस्थान के राजा राणा रायमल के यहां हुआ। इनके तीन पुत्र हुए, कुंवर पृथ्वीराज, जगमाल तथा राणा सांगा। उन्होंने सन 1509 से 1528 में उदयपुर में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा के रूप में राज किया। राणा सांगा अपने भाइयो में सबसे छोटे थे। मेवाड़ के सिंहासन के लिए तीनों भाइयों में संघर्ष प्रारंभ हुआ, जिसके कारण राणा सांगा मेवाड़ छोड़कर अजमेर पलायन कर जाते हैं। वहां कर्मचन्द पंवार की सहायता से 1509 में मेवाड़ राज्य प्राप्त करते है। राणा सांगा मध्यकालीन भारत के अंतिम एवं हिन्दूओं के सबसे शक्तिशाली शासक रहे। राणा सांगा ने 1527 में राजपूतों को एकजुट करने का कार्य किया और उस युद्ध में राणा सांगा ने अपनी सेना के साथ जीत प्राप्त की थी। लेकिन उस युद्ध में राणा सांगा गंभीर रूप से घायल हो गए, उनके शरीर में 80 से भी अधिक घाव लगे और उनका एक पैर और हाथ बुरी तरह से जख्मी हुआ था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अंत तक लड़ाई करते रहे। उत्तराधिकारी के लिए संघर्ष राणा सांगा के पिता महाराणा रायमल के 13 पुत्र एवं दो पुत्रियां थी और उन 13 पुत्रों में पृथ्वीराज, जयमल और संग्राम सिंह के नाम विशेष थे। म...

शूरवीर योद्धा राणा सांगा का इतिहास

यह शूरवीर योद्धा राणा सांगा का पूरा नाम महाराणा संग्राम सिंह था। हमारे भारतीय इतिहास के शूरवीर और पराक्रमी शासको में राणा सांगा का नाम बहुत ही सम्मान से लिया जाता है। राजस्थान जिल्ले में कई सारे महान शासक ने जन्म लिया था, राणा सांगा उन्ही शासको में से एक थे। राणा सांगा को त्याग, बलिदान और समर्पण के लिए जाना जाता था। यह हमारे भारत देश के एक बहुत ही बहादुर योद्धा रहे थे और इनके पीछे का इतिहास बहुत ही रोचक रहा है। इस आर्टिकल में हम शूरवीर योद्धा राणा सांगा के जीवन परिचय और उनके गौरवशाली इतिहास के बारे में विस्तार से बताने जा रहे है तो आप हमारा यह आर्टिकल को पुरे ध्यान से अंत तक जरुर पढ़े। शूरवीर योद्धा राणा सांगा का जन्म और इतिहास शूरवीर योद्धा महाराणा संग्राम सिंह जी का जन्म 12 अप्रेल,1472 ईस्वी में चित्तौड़ में हुआ था। उनके पिता का नाम राणा रायमल था वह राजस्थान के राजा थे। राणा रायमल के वहा तीन पुत्रो का जन्म हुआ था, कुंवर पृथ्वीराज, जगमाल और राणा सांगा। उनके तीसरे नंबर के पुत्र राणा सांगा का शासन काल 12 अप्रेल 1484 से 30 जनवरी 1528 के बीच रहा था। शूरवीर योद्धा राणा सांगा ने सन 1509 से 1528 में उदयपुर में सिसोदिया राजपुर राजवंश के राजा के रूप में राज किया था। राणा सांगा अपने दोनों भाइयो में से सबसे छोटे थे। और मेवाड़ के सिंहासन के लिए इन तीनो भाइयो में बहुत ही बड़े संषर्ष का प्रारंभ हुआ, जिसकी वजह से राणा सांगा मेवाड़ को छोड़ दिया था और अजमेर चले गए थे। वहा पर शूरवीर योद्धा राणा सांगा कर्मचन्द पंवार की मदद लेकर 1509 में मेवाड़ राज्य को प्राप्त कर लिया था। महाराणा संग्राम सिंह (राणा सांगा) हमारे मध्यकालीन भारत के सबसे अंतिम और हिन्दुओ में सबसे अधिक शक्तिशाली शासक रहे थे। राणा सांगा...

राणा सांगा

महाराणा संग्राम सिंह को राणा सांगा के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने 1509 और 1527 तक मेवाड़ पर शासन किया। उनका जन्म 12 अप्रैल, 1484 को हुआ था और वे सूर्यवंशी राजपूतों के सिसोदिया वंश के वंशज थे। उनका जन्म मेवाड़ के शासक रायमल से हुआ था और उनके दो भाई पृथ्वीराज और जयमल थे। युवा भाई एक-दूसरे के बहुत करीब थे और अक्सर मेवाड़ के पास एक पहाड़ी गुफा में जाते थे। एक दिन गुफा में एक ज्योतिषी डायन ने भाइयों से कहा कि राणा सांगा मेवाड़ का अगला राजा बनेगा और यह सुनकर अन्य दो भाई ईर्ष्या करने लगे। तब से भाइयों में कटु संबंध होने लगे, जिससे उनके पिता को बहुत दुख हुआ। महाराणा संग्राम सिंह को उनके भाइयों के साथ बुरा झगड़ा होने के बाद भगा दिया गया था और उन्होंने इस अवधि को अरावली पहाड़ियों के एक दूरदराज के गांव में चरवाहे के रूप में काम करते हुए बिताया। राणा ने गांव के मुखिया की बेटी से शादी कर ली। महाराणा संग्राम सिंह के दोनों भाई सिंहासन के लिए हिंसक रूप से लड़ते हुए मारे गए। उनकी मृत्यु के बाद महाराणा संग्राम सिंह अपने माता-पिता को संभालने और उनकी विरासत की रक्षा करने के लिए अपने पिता के दरबार में लौट आए। वह 1509 में रायमल की मृत्यु के बाद मेवाड़ के शासक के रूप में अपने पिता के उत्तराधिकारी बने। महाराणा संग्राम सिंह का शासन दोहराव की लड़ाई की एक श्रृंखला द्वारा प्रकट हुआ था। उन्होंने विभिन्न अवसरों पर दिल्ली, गुजरात और मालवा के शासकों की सेनाओं से लड़ते हुए, मुस्लिम सेनाओं के साथ अठारह युद्ध किए। इन लड़ाइयों के दौरान, उनके शरीर पर चौरासी घाव लगे थे। इन सबके बावजूद महाराणा संग्राम सिंह जीत में निष्पक्ष थे और 1519 में मांडू के सुल्तान महमूद को जबरन पकड़ लिया गया और एक कैदी के रूप में ले...

राणा सांगा का इतिहास

जन्म: 12 April 1482, चित्तौरगढ़ मृत्यु: 30 जनवरी, 1528 माण्डलगढ (भीलवाड़ा) पिता: राणा रायमल जीवनसंगी: रानी कर्णावती बच्चे: उदय सिंह, भोजराज , रतन सिंह, विक्रमादित्य सिंह राष्ट्रीयता: भारतीय धर्म : हिन्दू महाराणा कुम्भा के बाद महाराणा संग्रामसिंह जो कि सांगा के नाम से प्रसिद्ध है. मेवाड़ में सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक हुआ. उसने अपने शक्ति के बल पर मेवाड़ सम्राज्य का विस्तार किया एवं राजपूताना के सभी नरेशों को अपने अधीन संगठित किया. रायमल की मृत्यु के बाद 1509 में राणा सांगा मेवाड़ का महाराणा बना. सांगा ने अन्य राजपूत सरदारों के साथ शक्ति को संगठित किया इन्होने पड़ोसी राज्य गुजरात के शासक महमूद से भी संघर्ष किया. कुम्भाकालीन गौरव प्राप्त करने की दृष्टि से मुस्लिम शक्तियों के के विरुद्ध संघर्ष करना जरुरी था. सांगा का गुजरात के बादशाह से 1520 में संघर्ष हुआ था. जिसमें सांगा विजयी रहे थे. इसी प्रकार मालवा के सुलतान महमूद खिलजी को भी सांगा ने परास्त कर जेल में कैद कर दिया. बाद में अच्छा व्यवहार करने की शर्त पर उसे रिहा कर दिया. राणा सांगा ने अपनी शक्ति को संगठित कर दिल्ली सल्तनत के अधीनस्थ मेवाड़ के निकटवर्ती भागों को अपने राज्य में मिलाना शुरू कर दिया. सन 1517 में दिल्ली के सुलतान इब्राहीम लोदी व सांगा में खतौली का युद्ध हुआ, जिसमे सुलतान बुरी तरह पराजित हुआ. पराजय के बाद सुलतान को सांगा ने बाड़ी के युद्ध में और पराजित किया. स्थानीय साहित्य में उल्लेख मिलता है किराणा सांगा ने कई बार दिल्ली, मांडू और गुजरात के सुल्तानों को पराजित किया था. राणा सांगा के युद्ध और उपलब्धियाँ (War and achievements of Rana Sanga) पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहीम लोदी को परास्त कर दिल्ली सल्तनत पर बाबर ने अ...

राणा सांगा का इतिहास और जीवन परिचय

Rana Sanga History in Hindi: राणा सांगा का पूरा नाम महाराणा संग्राम सिंह है। इतिहास के शूरवीर और पराक्रमी शासकों में इनका नाम सम्म्मान से लिया जाता है। राजस्थान में कई महान शासकों ने जन्म लिया है, राणा सांगा का नाम उन्ही में से एक है। उन्हें त्याग, बलिदान और समर्पण के लिए जाना जाता है। यह भारत के एक शूरवीर योद्धा रहे हैं और इनके पीछे का इतिहास बहुत रोचक रहा है। विषय सूची • • • • • • • • • • राणा सांगा का जन्म और इतिहास (Rana Sanga History in Hindi) महाराणा संग्राम सिंह का जन्म 12 अप्रैल, 1484 में चित्तौड़ राजस्थान के राजा राणा रायमल के यहां हुआ। इनके तीन पुत्र हुए, कुंवर पृथ्वीराज, जगमाल तथा राणा सांगा। उन्होंने सन 1509 से 1528 में उदयपुर में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा के रूप में राज किया। राणा सांगा अपने भाइयो में सबसे छोटे थे। मेवाड़ के सिंहासन के लिए तीनों भाइयों में संघर्ष प्रारंभ हुआ, जिसके कारण राणा सांगा मेवाड़ छोड़कर अजमेर पलायन कर जाते हैं। वहां कर्मचन्द पंवार की सहायता से 1509 में मेवाड़ राज्य प्राप्त करते है। राणा सांगा मध्यकालीन भारत के अंतिम एवं हिन्दूओं के सबसे शक्तिशाली शासक रहे। राणा सांगा ने 1527 में राजपूतों को एकजुट करने का कार्य किया और उस युद्ध में राणा सांगा ने अपनी सेना के साथ जीत प्राप्त की थी। लेकिन उस युद्ध में राणा सांगा गंभीर रूप से घायल हो गए, उनके शरीर में 80 से भी अधिक घाव लगे और उनका एक पैर और हाथ बुरी तरह से जख्मी हुआ था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अंत तक लड़ाई करते रहे। उत्तराधिकारी के लिए संघर्ष राणा सांगा के पिता महाराणा रायमल के 13 पुत्र एवं दो पुत्रियां थी और उन 13 पुत्रों में पृथ्वीराज, जयमल और संग्राम सिंह के नाम विशेष थे। म...