Ram ki shakti puja ke rachnakar hai

  1. राम की शक्ति पूजा
  2. Ram ki shakti puja(translation added))
  3. राम की शक्त्ति पूजा / Ram Ki Shakti Pooja PDF Download Free Hindi Books by Suryakant Tripathi
  4. राम की शक्तिपूजा PDF : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला / Ram Ki Shakti Puja
  5. राम की शक्ति पूजा
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राम की शक्ति पूजा

निराला की राम की शक्ति पूजा अंधकार से होकर प्रकाश में आने की कविता है। यहाँ कवि निराला ने अतीत वर्तमान एवं भविष्य को एक साथ जीता है। 1936 में कवि निराला ने “राम की शक्ति पूजा” कविता लिखी ! इस कविता में बाहर-भीतर एक टकराहट है जिसके फेनिल शोर में अलौकिकता एवं मानवीयता, पौराणिकता एवं आधुनिकता आदि के स्वर घुलमिल गए है। कवि निराला की यह कविता सर्वश्रेष्ठ हिन्दी की कविताओं में से एक है। राम कथा इस देश की सबसे लोकप्रिय कथा है। यह कविता “रवि हुआ अस्त” से शुरू हुई है। कवि पहले ही संकेत दे देता है कि राम-रावण के युद्ध का वर्णन करना इस कविता में उसका उद्देश्य नहीं है और न ही इस युद्ध के बहाने कोई लंका काण्ड रचना है। दूसरी बात यह की राम सूर्य वंशी हैं। कवि शुरू में ही सूर्य का अस्त दिखाकर यह संकेत देता है कि राम जिस लड़ाई में कूद पड़े हैं वह लड़ाई वे किसी वंश परम्परा की ताकत से नहीं जीतेंगें। और न ही अपनी पूर्वजों की अर्जित ताकत इस लड़ाई में उनकी मदद करेगी। यह युद्ध सामान्य युद्ध नहीं है। यह राम-रावण का युद्ध उतना नहीं जितना यह रामत्व और रावणत्व के बीच का युद्ध है। हर युग में रावणत्व के खिलाफ राम संघर्ष करता है। रावणत्व बार-बार पराजित होता है तथा हर नए युग में वह फिर सर उठाता है। कवि का कहना है कि रावणत्व एवं रामत्व के बीच होने वाला युद्ध कभी खत्म नहीं हुआ यह युद्ध अपराजेय और निरंतर है। इस युद्ध में राम की चिंता का सबसे बड़ा कारण है “अन्याय जिधर है उधर शक्ति” यहीं चिंता निराला के युग की भी चिंता थी और आज तो यह चिंता कुछ अधिक ही प्रासंगिक है। आज जो लोग दिन रात पसीने से भीगे हुए है उनको आज जीवन की मूलभूत सुविधा भी मयस्सर नहीं है और जो जितना ही कपटी छली है वो दिन दूना रात चौगूना फल फूल रहा है...

Ram ki shakti puja(translation added))

First few stanzas of this poem NIraji says that Ram n his army r unable to defeat Ravan. Ram becomes disappointed when he couldn't kill Ravan. He says in frustration : " 'Unnyaay (injustice) jidhar hai udhar shakti (power)' kehte chalchal ho gaye nayan, kuch boond punah dhalke drig jal" Lord Ram questions why Goddes Shakti(or Durga) is on unjust Ravan's side n not in his (Ram) side though he is following all morals n ethics Then VIbhishan n Jamwant comes to console Ram. Jamvant advises Ram to worship Ma Durga for power n nor to worry abt war as he, Laxman, Hanuman, Angad, Sugriv, vibhishan, Nal, Neel r there Ram agrees n asks Hanumaan to bring 108 rare blue lotuses from a far away place Devidaha. Hanuman brings blues lotuses within a short time (for a normal person it could take 10 years) Ram starts worshiping Ma Durga. On the first day He worships Her with steadfast mind. For five days he worships with unanswering devotion. because of constant meditation all His Kundalini Chakras starts glowing on Shashti ( sixth day) n Saptami(seventh day). He offers lotuses one by one to Ma Durga. On Ashtami (eighth day) all deities becomes stunned when they saw Ram's steadfast devotion. Lord Ram arouses above all Gods. On the midnight of Ashtami(eigth day) when Ram was in deep meditation Ma Durga takes an invisble form n takes away the last 108th flower. When Lord Ram streches his hand to take the last flower to offer it he finds it missing. He opens his eyes n finds the last flower mi...

राम की शक्त्ति पूजा / Ram Ki Shakti Pooja PDF Download Free Hindi Books by Suryakant Tripathi

पुस्तककाविवरण (Description of Book of रामकीशक्त्तिपूजा / Ram Ki Shakti Pooja PDF Download) :- नाम📖 रामकीशक्त्तिपूजा / Ram Ki Shakti Pooja PDF Download लेखक🖊️ सूर्यकांतत्रिपाठीनिराला / Suryakant Tripathi आकार 0.007 MB कुलपृष्ठ 9 भाषा Hindi श्रेणी Download Link 📥 Working 'रामकीशक्तिपूजा' (ram ki shakti puja) काव्यकोनिरालाजीने 23 अक्टूबर, 1936 मेंपूराकियाथा. इलाहाबादसेप्रकाशितदैनिकसमाचारपत्र 'भारत' मेंपहलीबारउसीवर्ष 26 अक्टूबरकोइसकविताकाप्रकाशनहुआथा. Nirala Ki Shakti Puja: सूर्यकान्तत्रिपाठी 'निराला' (Suryakant Tripathi Nirala) को 'महाप्राण' भीकहाजाताहै. [adinserter block="1"] पुस्तककाकुछअंश रामकीशक्तिपूजाकाएकअंश- रविहुआअस्त, ज्योतिकेपत्रपरलिखा अमररहगयाराम-रावणकाअपराजेयसमर। आजकातीक्ष्णशरविधृतक्षिप्रकर, वेगप्रखर, शतशेलसम्वरणशील, नीलनभगर्जितस्वर, प्रतिपलपरिवर्तितव्यूहभेदकौशलसमूह राक्षसविरुद्धप्रत्यूह, क्रुद्धकपिविषमहूह, विच्छुरितवह्निराजीवनयनहतलक्ष्यबाण, लोहितलोचनरावणमदमोचनमहीयान, राघवलाघवरावणवारणगतयुग्मप्रहर, उद्धतलंकापतिमर्दितकपिदलबलविस्तर, अनिमेषरामविश्वजिद्दिव्यशरभंगभाव, विद्धांगबद्धकोदण्डमुष्टिखररुधिरस्राव, रावणप्रहारदुर्वारविकलवानरदलबल, मुर्छितसुग्रीवांगदभीषणगवाक्षगयनल, वारितसौमित्रभल्लपतिअगणितमल्लरोध, गर्जितप्रलयाब्धिक्षुब्धहनुमत्केवलप्रबोध, उद्गीरितवह्निभीमपर्वतकपिचतुःप्रहर, जानकीभीरूउरआशाभर, रावणसम्वर। लौटेयुगदल।राक्षसपदतलपृथ्वीटलमल, बिंधमहोल्लाससेबारबारआकाशविकल। वानरवाहिनीखिन्न, लखनिजपतिचरणचिह्न चलरहीशिविरकीओरस्थविरदलज्योंविभिन्न। [adinserter block="1"] 'रामकीशक्तिपूजा' कीकुछअन्तिमपंक्तियाँदेखिए- "साधु, साधु, साधकधीर, धर्म-धनधन्यराम !" कह, लियाभगवतीनेराघवकाहस्तथाम। दे...

राम की शक्तिपूजा PDF : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला / Ram Ki Shakti Puja

नमस्कार प्यारे दोस्तों ! आज के इस ब्लॉग में हम सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की एक बहुत ही प्रसिद्ध कविता ‘राम की शक्तिपूजा’ के बारे में बात करने जा रहें है। यह कविता निराला के जीवन की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक मानी जाती है। राम की शक्तिपूजा में जो भाषाई लयात्मकता देखने को मिलती है वह निश्चय ही हिंदी की किसी अन्य रचना में मिलती होगी। Table of Contents • • • • ‘राम की शक्तिपूजा’ मूलपाठ रवि हुआ अस्त; ज्योति के पत्र पर लिखा अमर रह गया राम-रावण का अपराजेय समर आज का तीक्ष्ण शर-विधृत-क्षिप्रकर, वेग-प्रखर, शतशेलसम्वरणशील, नील नभगर्ज्जित-स्वर, प्रतिपल – परिवर्तित – व्यूह – भेद कौशल समूह राक्षस – विरुद्ध प्रत्यूह,-क्रुद्ध – कपि विषम हूह, विच्छुरित वह्नि – राजीवनयन – हतलक्ष्य – बाण, लोहितलोचन – रावण मदमोचन – महीयान, राघव-लाघव – रावण – वारण – गत – युग्म – प्रहर, उद्धत – लंकापति मर्दित – कपि – दल-बल – विस्तर, अनिमेष – राम-विश्वजिद्दिव्य – शर – भंग – भाव, विद्धांग-बद्ध – कोदण्ड – मुष्टि – खर – रुधिर – स्राव, रावण – प्रहार – दुर्वार – विकल वानर – दल – बल, मुर्छित – सुग्रीवांगद – भीषण – गवाक्ष – गय – नल, वारित – सौमित्र – भल्लपति – अगणित – मल्ल – रोध, गर्ज्जित – प्रलयाब्धि – क्षुब्ध हनुमत् – केवल प्रबोध, उद्गीरित – वह्नि – भीम – पर्वत – कपि चतुःप्रहर, जानकी – भीरू – उर – आशा भर – रावण सम्वर। लौटे युग – दल – राक्षस – पदतल पृथ्वी टलमल, बिंध महोल्लास से बार – बार आकाश विकल। वानर वाहिनी खिन्न, लख निज – पति – चरणचिह्न चल रही शिविर की ओर स्थविरदल ज्यों विभिन्न। प्रशमित हैं वातावरण, नमित – मुख सान्ध्य कमल लक्ष्मण चिन्तापल पीछे वानर वीर – सकल रघुनायक आगे अवनी पर नवनीत-चरण, श्लथ धनु-गुण है, कटिबन्...

राम की शक्ति पूजा

रवि हुआ अस्त ज्योति के पत्र पर लिखा अमर रह गया राम-रावण का अपराजेय समर। आज का तीक्ष्ण शरविधृतक्षिप्रकर, वेगप्रखर, शतशेल सम्वरणशील, नील नभगर्जित स्वर, प्रतिपल परिवर्तित व्यूह भेद कौशल समूह राक्षस विरुद्ध प्रत्यूह, क्रुद्ध कपि विषम हूह, विच्छुरित वह्नि राजीवनयन हतलक्ष्य बाण, लोहित लोचन रावण मदमोचन महीयान, राघव लाघव रावण वारणगत युग्म प्रहर, उद्धत लंकापति मर्दित कपि दलबल विस्तर, अनिमेष राम विश्वजिद्दिव्य शरभंग भाव, विद्धांगबद्ध कोदण्ड मुष्टि खर रुधिर स्राव, रावण प्रहार दुर्वार विकल वानर दलबल, मुर्छित सुग्रीवांगद भीषण गवाक्ष गय नल, वारित सौमित्र भल्लपति अगणित मल्ल रोध, गर्जित प्रलयाब्धि क्षुब्ध हनुमत् केवल प्रबोध, उद्गीरित वह्नि भीम पर्वत कपि चतुःप्रहर, जानकी भीरू उर आशा भर, रावण सम्वर। लौटे युग दल। राक्षस पदतल पृथ्वी टलमल, बिंध महोल्लास से बार बार आकाश विकल। वानर वाहिनी खिन्न, लख निज पति चरणचिह्न चल रही शिविर की ओर स्थविरदल ज्यों विभिन्न। प्रशमित हैं वातावरण, नमित मुख सान्ध्य कमल लक्ष्मण चिन्तापल पीछे वानर वीर सकल रघुनायक आगे अवनी पर नवनीतचरण, श्लध धनुगुण है, कटिबन्ध त्रस्त तूणीरधरण, दृढ़ जटा मुकुट हो विपर्यस्त प्रतिलट से खुल फैला पृष्ठ पर, बाहुओं पर, वृक्ष पर, विपुल उतरा ज्यों दुर्गम पर्वत पर नैशान्धकार चमकतीं दूर ताराएं ज्यों हों कहीं पार। आये सब शिविर सानु पर पर्वत के, मन्थर सुग्रीव, विभीषण, जाम्बवान आदिक वानर सेनापति दल विशेष के, अंगद, हनुमान नल नील गवाक्ष, प्रात के रण का समाधान करने के लिए, फेर वानर दल आश्रय स्थल। बैठे रघुकुलमणि श्वेत शिला पर, निर्मल जल ले आये कर पद क्षालनार्थ पटु हनुमान अन्य वीर सर के गये तीर सन्ध्या विधान वन्दना ईश की करने को लौटे सत्वर, सब घेर राम को बै...

राम की शक्त्ति पूजा / Ram Ki Shakti Pooja PDF Download Free Hindi Books by Suryakant Tripathi

पुस्तककाविवरण (Description of Book of रामकीशक्त्तिपूजा / Ram Ki Shakti Pooja PDF Download) :- नाम📖 रामकीशक्त्तिपूजा / Ram Ki Shakti Pooja PDF Download लेखक🖊️ सूर्यकांतत्रिपाठीनिराला / Suryakant Tripathi आकार 0.007 MB कुलपृष्ठ 9 भाषा Hindi श्रेणी Download Link 📥 Working 'रामकीशक्तिपूजा' (ram ki shakti puja) काव्यकोनिरालाजीने 23 अक्टूबर, 1936 मेंपूराकियाथा. इलाहाबादसेप्रकाशितदैनिकसमाचारपत्र 'भारत' मेंपहलीबारउसीवर्ष 26 अक्टूबरकोइसकविताकाप्रकाशनहुआथा. Nirala Ki Shakti Puja: सूर्यकान्तत्रिपाठी 'निराला' (Suryakant Tripathi Nirala) को 'महाप्राण' भीकहाजाताहै. [adinserter block="1"] पुस्तककाकुछअंश रामकीशक्तिपूजाकाएकअंश- रविहुआअस्त, ज्योतिकेपत्रपरलिखा अमररहगयाराम-रावणकाअपराजेयसमर। आजकातीक्ष्णशरविधृतक्षिप्रकर, वेगप्रखर, शतशेलसम्वरणशील, नीलनभगर्जितस्वर, प्रतिपलपरिवर्तितव्यूहभेदकौशलसमूह राक्षसविरुद्धप्रत्यूह, क्रुद्धकपिविषमहूह, विच्छुरितवह्निराजीवनयनहतलक्ष्यबाण, लोहितलोचनरावणमदमोचनमहीयान, राघवलाघवरावणवारणगतयुग्मप्रहर, उद्धतलंकापतिमर्दितकपिदलबलविस्तर, अनिमेषरामविश्वजिद्दिव्यशरभंगभाव, विद्धांगबद्धकोदण्डमुष्टिखररुधिरस्राव, रावणप्रहारदुर्वारविकलवानरदलबल, मुर्छितसुग्रीवांगदभीषणगवाक्षगयनल, वारितसौमित्रभल्लपतिअगणितमल्लरोध, गर्जितप्रलयाब्धिक्षुब्धहनुमत्केवलप्रबोध, उद्गीरितवह्निभीमपर्वतकपिचतुःप्रहर, जानकीभीरूउरआशाभर, रावणसम्वर। लौटेयुगदल।राक्षसपदतलपृथ्वीटलमल, बिंधमहोल्लाससेबारबारआकाशविकल। वानरवाहिनीखिन्न, लखनिजपतिचरणचिह्न चलरहीशिविरकीओरस्थविरदलज्योंविभिन्न। [adinserter block="1"] 'रामकीशक्तिपूजा' कीकुछअन्तिमपंक्तियाँदेखिए- "साधु, साधु, साधकधीर, धर्म-धनधन्यराम !" कह, लियाभगवतीनेराघवकाहस्तथाम। दे...

राम की शक्ति पूजा

निराला की राम की शक्ति पूजा अंधकार से होकर प्रकाश में आने की कविता है। यहाँ कवि निराला ने अतीत वर्तमान एवं भविष्य को एक साथ जीता है। 1936 में कवि निराला ने “राम की शक्ति पूजा” कविता लिखी ! इस कविता में बाहर-भीतर एक टकराहट है जिसके फेनिल शोर में अलौकिकता एवं मानवीयता, पौराणिकता एवं आधुनिकता आदि के स्वर घुलमिल गए है। कवि निराला की यह कविता सर्वश्रेष्ठ हिन्दी की कविताओं में से एक है। राम कथा इस देश की सबसे लोकप्रिय कथा है। यह कविता “रवि हुआ अस्त” से शुरू हुई है। कवि पहले ही संकेत दे देता है कि राम-रावण के युद्ध का वर्णन करना इस कविता में उसका उद्देश्य नहीं है और न ही इस युद्ध के बहाने कोई लंका काण्ड रचना है। दूसरी बात यह की राम सूर्य वंशी हैं। कवि शुरू में ही सूर्य का अस्त दिखाकर यह संकेत देता है कि राम जिस लड़ाई में कूद पड़े हैं वह लड़ाई वे किसी वंश परम्परा की ताकत से नहीं जीतेंगें। और न ही अपनी पूर्वजों की अर्जित ताकत इस लड़ाई में उनकी मदद करेगी। यह युद्ध सामान्य युद्ध नहीं है। यह राम-रावण का युद्ध उतना नहीं जितना यह रामत्व और रावणत्व के बीच का युद्ध है। हर युग में रावणत्व के खिलाफ राम संघर्ष करता है। रावणत्व बार-बार पराजित होता है तथा हर नए युग में वह फिर सर उठाता है। कवि का कहना है कि रावणत्व एवं रामत्व के बीच होने वाला युद्ध कभी खत्म नहीं हुआ यह युद्ध अपराजेय और निरंतर है। इस युद्ध में राम की चिंता का सबसे बड़ा कारण है “अन्याय जिधर है उधर शक्ति” यहीं चिंता निराला के युग की भी चिंता थी और आज तो यह चिंता कुछ अधिक ही प्रासंगिक है। आज जो लोग दिन रात पसीने से भीगे हुए है उनको आज जीवन की मूलभूत सुविधा भी मयस्सर नहीं है और जो जितना ही कपटी छली है वो दिन दूना रात चौगूना फल फूल रहा है...

Ram ki shakti puja(translation added))

First few stanzas of this poem NIraji says that Ram n his army r unable to defeat Ravan. Ram becomes disappointed when he couldn't kill Ravan. He says in frustration : " 'Unnyaay (injustice) jidhar hai udhar shakti (power)' kehte chalchal ho gaye nayan, kuch boond punah dhalke drig jal" Lord Ram questions why Goddes Shakti(or Durga) is on unjust Ravan's side n not in his (Ram) side though he is following all morals n ethics Then VIbhishan n Jamwant comes to console Ram. Jamvant advises Ram to worship Ma Durga for power n nor to worry abt war as he, Laxman, Hanuman, Angad, Sugriv, vibhishan, Nal, Neel r there Ram agrees n asks Hanumaan to bring 108 rare blue lotuses from a far away place Devidaha. Hanuman brings blues lotuses within a short time (for a normal person it could take 10 years) Ram starts worshiping Ma Durga. On the first day He worships Her with steadfast mind. For five days he worships with unanswering devotion. because of constant meditation all His Kundalini Chakras starts glowing on Shashti ( sixth day) n Saptami(seventh day). He offers lotuses one by one to Ma Durga. On Ashtami (eighth day) all deities becomes stunned when they saw Ram's steadfast devotion. Lord Ram arouses above all Gods. On the midnight of Ashtami(eigth day) when Ram was in deep meditation Ma Durga takes an invisble form n takes away the last 108th flower. When Lord Ram streches his hand to take the last flower to offer it he finds it missing. He opens his eyes n finds the last flower mi...

राम की शक्ति पूजा

रवि हुआ अस्त ज्योति के पत्र पर लिखा अमर रह गया राम-रावण का अपराजेय समर। आज का तीक्ष्ण शरविधृतक्षिप्रकर, वेगप्रखर, शतशेल सम्वरणशील, नील नभगर्जित स्वर, प्रतिपल परिवर्तित व्यूह भेद कौशल समूह राक्षस विरुद्ध प्रत्यूह, क्रुद्ध कपि विषम हूह, विच्छुरित वह्नि राजीवनयन हतलक्ष्य बाण, लोहित लोचन रावण मदमोचन महीयान, राघव लाघव रावण वारणगत युग्म प्रहर, उद्धत लंकापति मर्दित कपि दलबल विस्तर, अनिमेष राम विश्वजिद्दिव्य शरभंग भाव, विद्धांगबद्ध कोदण्ड मुष्टि खर रुधिर स्राव, रावण प्रहार दुर्वार विकल वानर दलबल, मुर्छित सुग्रीवांगद भीषण गवाक्ष गय नल, वारित सौमित्र भल्लपति अगणित मल्ल रोध, गर्जित प्रलयाब्धि क्षुब्ध हनुमत् केवल प्रबोध, उद्गीरित वह्नि भीम पर्वत कपि चतुःप्रहर, जानकी भीरू उर आशा भर, रावण सम्वर। लौटे युग दल। राक्षस पदतल पृथ्वी टलमल, बिंध महोल्लास से बार बार आकाश विकल। वानर वाहिनी खिन्न, लख निज पति चरणचिह्न चल रही शिविर की ओर स्थविरदल ज्यों विभिन्न। प्रशमित हैं वातावरण, नमित मुख सान्ध्य कमल लक्ष्मण चिन्तापल पीछे वानर वीर सकल रघुनायक आगे अवनी पर नवनीतचरण, श्लध धनुगुण है, कटिबन्ध त्रस्त तूणीरधरण, दृढ़ जटा मुकुट हो विपर्यस्त प्रतिलट से खुल फैला पृष्ठ पर, बाहुओं पर, वृक्ष पर, विपुल उतरा ज्यों दुर्गम पर्वत पर नैशान्धकार चमकतीं दूर ताराएं ज्यों हों कहीं पार। आये सब शिविर सानु पर पर्वत के, मन्थर सुग्रीव, विभीषण, जाम्बवान आदिक वानर सेनापति दल विशेष के, अंगद, हनुमान नल नील गवाक्ष, प्रात के रण का समाधान करने के लिए, फेर वानर दल आश्रय स्थल। बैठे रघुकुलमणि श्वेत शिला पर, निर्मल जल ले आये कर पद क्षालनार्थ पटु हनुमान अन्य वीर सर के गये तीर सन्ध्या विधान वन्दना ईश की करने को लौटे सत्वर, सब घेर राम को बै...

राम की शक्तिपूजा PDF : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला / Ram Ki Shakti Puja

नमस्कार प्यारे दोस्तों ! आज के इस ब्लॉग में हम सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की एक बहुत ही प्रसिद्ध कविता ‘राम की शक्तिपूजा’ के बारे में बात करने जा रहें है। यह कविता निराला के जीवन की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक मानी जाती है। राम की शक्तिपूजा में जो भाषाई लयात्मकता देखने को मिलती है वह निश्चय ही हिंदी की किसी अन्य रचना में मिलती होगी। Table of Contents • • • • ‘राम की शक्तिपूजा’ मूलपाठ रवि हुआ अस्त; ज्योति के पत्र पर लिखा अमर रह गया राम-रावण का अपराजेय समर आज का तीक्ष्ण शर-विधृत-क्षिप्रकर, वेग-प्रखर, शतशेलसम्वरणशील, नील नभगर्ज्जित-स्वर, प्रतिपल – परिवर्तित – व्यूह – भेद कौशल समूह राक्षस – विरुद्ध प्रत्यूह,-क्रुद्ध – कपि विषम हूह, विच्छुरित वह्नि – राजीवनयन – हतलक्ष्य – बाण, लोहितलोचन – रावण मदमोचन – महीयान, राघव-लाघव – रावण – वारण – गत – युग्म – प्रहर, उद्धत – लंकापति मर्दित – कपि – दल-बल – विस्तर, अनिमेष – राम-विश्वजिद्दिव्य – शर – भंग – भाव, विद्धांग-बद्ध – कोदण्ड – मुष्टि – खर – रुधिर – स्राव, रावण – प्रहार – दुर्वार – विकल वानर – दल – बल, मुर्छित – सुग्रीवांगद – भीषण – गवाक्ष – गय – नल, वारित – सौमित्र – भल्लपति – अगणित – मल्ल – रोध, गर्ज्जित – प्रलयाब्धि – क्षुब्ध हनुमत् – केवल प्रबोध, उद्गीरित – वह्नि – भीम – पर्वत – कपि चतुःप्रहर, जानकी – भीरू – उर – आशा भर – रावण सम्वर। लौटे युग – दल – राक्षस – पदतल पृथ्वी टलमल, बिंध महोल्लास से बार – बार आकाश विकल। वानर वाहिनी खिन्न, लख निज – पति – चरणचिह्न चल रही शिविर की ओर स्थविरदल ज्यों विभिन्न। प्रशमित हैं वातावरण, नमित – मुख सान्ध्य कमल लक्ष्मण चिन्तापल पीछे वानर वीर – सकल रघुनायक आगे अवनी पर नवनीत-चरण, श्लथ धनु-गुण है, कटिबन्...

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