Ramayan kisne likha tha

  1. अकबरनामा के लेखक कौन हैं
  2. कौन था गायत्री मंत्र का रचियता ?
  3. [Lyrics & PDF] नमामि शमीशान निर्वाण रूपं स्तुति
  4. अर्थशास्त्र किसने लिखा था
  5. भगवान श्रीराम का संपूर्ण जीवन परिचय, Bhagwan Shri Ram Ki Jivani Ramayan
  6. अकबरनामा के लेखक कौन हैं
  7. [Lyrics & PDF] नमामि शमीशान निर्वाण रूपं स्तुति
  8. कौन था गायत्री मंत्र का रचियता ?
  9. अर्थशास्त्र किसने लिखा था
  10. भगवान श्रीराम का संपूर्ण जीवन परिचय, Bhagwan Shri Ram Ki Jivani Ramayan


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अकबरनामा के लेखक कौन हैं

अनुक्रम • • • • • अकबरनामा के लेखक कौन हैं | आइन-ए-अकबरी किसने लिखा हैं | akbarnama ke lekhak kaun hai | aaine akbari kisne likha अकबरनामा के लेख़क अब्दुल फ़जल हैं. अब्दुल फ़जल अकबर के नवरत्नों में शामिल थे. और अकबर के बहुत नजदीक थे. अकबरनामा में बादशाह अकबर की जीवनी लिखी हुई हैं. इसको ‘आइन-ए-अकबरी’ भी कहा जाता हैं. उर्दू भाषा की लिपि क्या हैं | उर्दू शब्द का हिंदी अर्थ अबुल फ़जल कौन थे? अबुल फ़जल बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक थे. वह अरब के हिजाजी परिवार से सम्बन्ध रखते थे. अबुल फ़जल का पूरा नाम अबुल फजल इन्ब मुबारक था. और उनके पिताजी का नाम शेख मुबारक था. उनका जन्म 14 फरवरी, 1551 में हुआ था. इनका जन्म आगरा में हुआ था. अब्दुल फ़जल बचपन से ही मेधावी और प्रभावशाली थे. अकबर का वित्त मंत्री कौन था | Akbar ka vitt mantri kaun tha उनके पिता ने उनकी प्रतिभा को पहचान करके उनकी उच्च शिक्षा की व्यवस्था की थी. उसके बाद अब्दुल फजल ने पूरी मेहनत के साथ दर्शन शास्त्र और इस्मानिक विषयों में तालीम हासिल की. शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने अध्यापक की नौकरी शुरू की और छात्रों को तालीम देने लगे. अब्दुल फ़जल कैसे अकबर के दरबारी बने थे? अब्दुल फ़जल उस जमाने में रहे. जब हिंदुस्तान में मुग़ल बादशाह अकबर का परचम लहरा रहा था. दिल्ली की गद्दी पर राज करते हुए बादशाह अकबर का प्रभाव पुरे भारत और आस-पास के देशो पर भी था. इस समय हर विद्वान और बुध्दिजीवी अकबर के दरबार का हिस्सा बनना चाहता था. इसमें अब्दुल फ़जल भी थे. पृथ्वीराज चौहान के घोड़े का नाम क्या है – पृथ्वीराज चौहान का इतिहास उन्होंने बादशाह अकबर को प्रभावित करने के लिए उस दौर की कही सारी तहसीरे लिखी. जिससे बादशाह अकबर के कानो तक अब्दुल फ़जल का नाम पंह...

कौन था गायत्री मंत्र का रचियता ?

गायत्री मन्त्र का रचियता कौन ? किसने बनाया था गायत्री मन्त्र ? जानिये गायत्री मंत बनाने वाले के बारे में .. Gayatri-Mantra : जिस प्रकार भारत में पुष्कर Pushkar को तीर्थराज माना जाता है उसी प्रकार मन्त्रों में भी गायत्री मंत्र Gayatri Mantra को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह वास्तव में सूर्य नारायण का मंत्र है और उससे भी आगे गौरव की बात यह है कि इस श्रेष्ठतम मंत्र के दृष्टा क्षत्रिय विश्वामित्र Rishi Vishvamitra थे। मंत्र शब्दार्थ इस प्रकार है- ॐ भू भुवः स्वः तत सवितृ वरेण्यम भर्गो देवस्य धीमहि धियोयोनः प्रचोदयात। ॐ – जो कि प्रणव, आदि स्वर, बीज है। भू- भू लोक- यह पृथ्वी। भुवः- भुवर्लोक – पृथ्वी से ऊपर वायुमंडल। स्वः- स्वर्गलोक जहाँ देवता, अप्सराएँ गंधर्व आदि निवास करते है। भू लोक पर रहने वाले अच्छे व्यक्तियों, संतों, तपस्वियों आदि से भूवर्लोक में सती, झुंझार, भौमिया व अन्य हुतात्माएँ सूक्षम शरीरों में तपस्यारत अन्य सद्शाक्तियों से और स्वर्गलोक में रहने वाले देवताओं से साधक अपनी साधना में सहायता के लिए आह्वान करता है। सवितृ देव का मंत्र तो अब आरम्भ होता है- तत सवितृ वरेण्यम- वरण करने योग्य उस सवितृ। भर्गो देवस्य धीमहि- श्रेष्ठ देवताओं का ध्यान करते है। धियोयोनः प्रचोदयात- जो हमारी बुद्धि को प्रेरित करे। अतः मंत्र का अर्थ हुआ-“वरण करने योग्य श्रेष्ठ देवता सवितृ का हम ध्यान करते है जो हमारी बुद्धि को प्रेरित करें। यहाँ मंत्र के दृष्टा ऋषि विश्वामित्र में सवितृदेव से कोई धन, धान्य, राज्य, सत्ता, शक्ति, बुद्धि, मुक्ति, प्रेम, दया आदि की याचना नहीं की। मात्र सन्मार्ग की ओर बुद्धि को प्रेरित करने का कार्य करे यह अभिलाषा है। विश्वामित्र जी ने इस बात को सूक्ष्म रूप से समझा कि सन्मार्ग...

[Lyrics & PDF] नमामि शमीशान निर्वाण रूपं स्तुति

Namami Shamishan Nirvan Roopam Lyrics in Hindi with PDF आज हम आपके लिए नमामि शमीशान निर्वाण रूपं लेकर आये है | रूपं के लिरिक्स नीचे दिए गये है आप वहां से रूपं को पढ़ सकते है | आप रूपं पढ़ने के अलावा रूपं को pdf format में भी डाउनलोड कर सकते है | PDF डाउनलोड करने का डायरेक्ट लिंक नीचे दिया गया है | नमामि शमीशान निर्वाण रूपं प्रचण्डं प्रकष्ठं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम । त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम । कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चीनान्द दाता पुरारी । चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी । न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम । न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं । ।। इति श्री गोस्वामि तुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकम सम्पूर्णम् ।। Read more– Namami Shaamishan Nirvan Rupam Lyrics PDF PDF डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करे Namami Shamishan Nirvan Roopam Lyrics in English Namami Shamishan Nirvan Roopam, Vibhum Vyapakam Brahma Vedah Swaroopam. Nijam Nirgunam Nirvikalpam Niriham, Chidaakaasha Maakaasha Vaasam Bhaje Ham. Niraakaara Monkaara Moolam Turiiyam, Giraa Gyanan Gotiita Miisham Giriisham. Karaalam Mahaa Kaala Kaalam Kripaalam, Gunaagaara Samsara Paaram Nato Ham. Tushaa Raadri Sankaasha Gauram Gabhiram, Manobhuta Koti Prabha Sri Sariram. Sphuran Mauli Kallolini Charu Ganga, Lasad Bhaala Balendu Kanthe Bhujangaa. Chalatkundalam Shubh Netram Visalam, Prasannaa Nanam Nila Kantham Dayaalam. Mrgadhisa Charmaambaram Mundamaalam, Priyam Sankaram Sarvanaatham Bhajaami. Prac...

अर्थशास्त्र किसने लिखा था

अर्थशास्त्र किसने लिखा था ( arthashastra kisne likha )-अर्थशास्त्र एक साम्राज्य चलाने के लिए एक हस्तपुस्तिका का शीर्षक है, जिसे कौटिल्य (चाणक्य के रूप में भी जाना जाता है, 350-275 ईसा पूर्व) एक भारतीय राजनेता और दार्शनिक, मुख्य सलाहकार और भारतीय सम्राट चंद्रगुप्त के प्रधान मंत्री के द्वारा लिखा गया है। अर्थशास्त्र एक संस्कृत शब्द है, जिसे आम तौर पर द साइंस ऑफ़ मटेरियल गेन के रूप में अनुवादित किया जाता है। अर्थशास्त्र के बारे में अर्थशास्त्र कौटिल्य के राजनीतिक विचारों को संक्षेप में प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक कई शताब्दियों के लिए खो गई थी जब तक कि इसकी एक प्रति, ताड़ के पत्तों पर लिखी गई, 1904 ई। में भारत में पुनः खोज ली गई थी। कौटिल्य के समय के कई शताब्दियों बाद इस संस्करण को लगभग 250 सीई तक दिनांकित किया गया है, लेकिन इस पुस्तक में मुख्य विचार मुख्यतः उनके हैं। पुस्तक में विशिष्ट विषयों के बारे में विस्तृत जानकारी है जो शासकों के लिए प्रासंगिक हैं जो एक प्रभावी सरकार चलाना चाहते हैं। कूटनीति और युद्ध (सैन्य रणनीति सहित) सबसे अधिक विस्तार से व्यवहार किए जाने वाले दो बिंदु हैं, लेकिन काम में कानून, जेल, कराधान, सिंचाई, कृषि, खनन, किलेबंदी, सिक्का, विनिर्माण, व्यापार, प्रशासन, कूटनीति और जासूसों की सिफारिशें भी शामिल हैं। कौथिल्य ने अर्थशास्त्र में जो विचार व्यक्त किए हैं, वे पूरी तरह से व्यावहारिक और असमान हैं। कौटिल्य खुले तौर पर हत्या जैसे विवादास्पद विषयों के बारे में लिखते हैं, जब परिवार के सदस्यों को मारना है, गुप्त एजेंटों का प्रबंधन कैसे करना है, जब संधियों का उल्लंघन करना उपयोगी है, और जब मंत्रियों की जासूसी करना है। इस वजह से, कौटिल्य की तुलना अक्सर द प्रिंस के ल...

भगवान श्रीराम का संपूर्ण जीवन परिचय, Bhagwan Shri Ram Ki Jivani Ramayan

भगवान विष्णु ने अपने सातवें अवतार में भगवान श्रीराम के रूप में जन्म लिया था जिसका मुख्य उद्देश्य रावण का वध करके धरती को पापमुक्त करना था (Bhagwan Ram History In Hindi) व धर्म की पुनः स्थापना करनी थी। किंतु श्रीराम के रूप में उन्होंने एक ऐसा आदर्श स्थापित किया कि उनके जीवन की हरेक घटना हमारे लिए प्रेरणा बन गयी। यदि हम उनके जीवन में घटित किसी भी घटना का विश्लेषण करेंगे तो पाएंगे कि (Essay On Shri Ram In Hindi) हर घटना हमें कुछ न कुछ शिक्षा देकर जाती हैं। इसलिये आज हम आपको श्रीराम के जन्म से लेकर उनके समाधि लेने तक की हर घटना व उससे जुड़ी शिक्षा का वर्णन करेंगे। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जीवन परिचय (Lord Ram Ki Kahani In Hindi) भगवान श्रीराम का जन्म (Shri Ram Ka Janam) अयोध्या के नरेश दशरथ की तीन रानियाँ थी जिनके नाम कौशल्या, कैकेयी व सुमित्रा था। वही दूसरी ओर लंका में अधर्मी राजा रावण का राज्य था जो राक्षसों का सम्राट था (Shri Ram Par Nibandh)। उसके राक्षस केवल लंका तक ही सिमित नही थे बल्कि वे समुंद्र के इस पार दंडकारण्य के वनों में भी फैले हुए थे जिसके कारण ऋषि-मुनियों को भगवान की स्तुति करने व धार्मिक कार्यों को करने में समस्या हो रही थी। इसे भी पढ़ें: आकाश में स्थित देवता भी रावण के बढ़ते प्रभाव के कारण व्यथित थे। तब सभी भगवान विष्णु के पास सहायता मांगने गए। भगवान विष्णु ने कहा कि (Shri Ram Ka Charitra Chitran In Hindi) अब उनका सातवाँ अवतार लेने का समय आ गया हैं। इसके बाद उन्होंने श्रीराम के साथ उनके तीन सौतेले भाई भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न (Shri Ram Ke Kitne Bhai The) का भी जन्म हुआ। अयोध्या की प्रजा (Shri Ram Ka Janm Kahan Hua) अपने भावी राजा को पाकर अत्यंत प्रसन्...

अकबरनामा के लेखक कौन हैं

अनुक्रम • • • • • अकबरनामा के लेखक कौन हैं | आइन-ए-अकबरी किसने लिखा हैं | akbarnama ke lekhak kaun hai | aaine akbari kisne likha अकबरनामा के लेख़क अब्दुल फ़जल हैं. अब्दुल फ़जल अकबर के नवरत्नों में शामिल थे. और अकबर के बहुत नजदीक थे. अकबरनामा में बादशाह अकबर की जीवनी लिखी हुई हैं. इसको ‘आइन-ए-अकबरी’ भी कहा जाता हैं. उर्दू भाषा की लिपि क्या हैं | उर्दू शब्द का हिंदी अर्थ अबुल फ़जल कौन थे? अबुल फ़जल बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक थे. वह अरब के हिजाजी परिवार से सम्बन्ध रखते थे. अबुल फ़जल का पूरा नाम अबुल फजल इन्ब मुबारक था. और उनके पिताजी का नाम शेख मुबारक था. उनका जन्म 14 फरवरी, 1551 में हुआ था. इनका जन्म आगरा में हुआ था. अब्दुल फ़जल बचपन से ही मेधावी और प्रभावशाली थे. अकबर का वित्त मंत्री कौन था | Akbar ka vitt mantri kaun tha उनके पिता ने उनकी प्रतिभा को पहचान करके उनकी उच्च शिक्षा की व्यवस्था की थी. उसके बाद अब्दुल फजल ने पूरी मेहनत के साथ दर्शन शास्त्र और इस्मानिक विषयों में तालीम हासिल की. शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने अध्यापक की नौकरी शुरू की और छात्रों को तालीम देने लगे. अब्दुल फ़जल कैसे अकबर के दरबारी बने थे? अब्दुल फ़जल उस जमाने में रहे. जब हिंदुस्तान में मुग़ल बादशाह अकबर का परचम लहरा रहा था. दिल्ली की गद्दी पर राज करते हुए बादशाह अकबर का प्रभाव पुरे भारत और आस-पास के देशो पर भी था. इस समय हर विद्वान और बुध्दिजीवी अकबर के दरबार का हिस्सा बनना चाहता था. इसमें अब्दुल फ़जल भी थे. पृथ्वीराज चौहान के घोड़े का नाम क्या है – पृथ्वीराज चौहान का इतिहास उन्होंने बादशाह अकबर को प्रभावित करने के लिए उस दौर की कही सारी तहसीरे लिखी. जिससे बादशाह अकबर के कानो तक अब्दुल फ़जल का नाम पंह...

[Lyrics & PDF] नमामि शमीशान निर्वाण रूपं स्तुति

Namami Shamishan Nirvan Roopam Lyrics in Hindi with PDF आज हम आपके लिए नमामि शमीशान निर्वाण रूपं लेकर आये है | रूपं के लिरिक्स नीचे दिए गये है आप वहां से रूपं को पढ़ सकते है | आप रूपं पढ़ने के अलावा रूपं को pdf format में भी डाउनलोड कर सकते है | PDF डाउनलोड करने का डायरेक्ट लिंक नीचे दिया गया है | नमामि शमीशान निर्वाण रूपं प्रचण्डं प्रकष्ठं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम । त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम । कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चीनान्द दाता पुरारी । चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी । न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम । न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं । ।। इति श्री गोस्वामि तुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकम सम्पूर्णम् ।। Read more– Namami Shaamishan Nirvan Rupam Lyrics PDF PDF डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करे Namami Shamishan Nirvan Roopam Lyrics in English Namami Shamishan Nirvan Roopam, Vibhum Vyapakam Brahma Vedah Swaroopam. Nijam Nirgunam Nirvikalpam Niriham, Chidaakaasha Maakaasha Vaasam Bhaje Ham. Niraakaara Monkaara Moolam Turiiyam, Giraa Gyanan Gotiita Miisham Giriisham. Karaalam Mahaa Kaala Kaalam Kripaalam, Gunaagaara Samsara Paaram Nato Ham. Tushaa Raadri Sankaasha Gauram Gabhiram, Manobhuta Koti Prabha Sri Sariram. Sphuran Mauli Kallolini Charu Ganga, Lasad Bhaala Balendu Kanthe Bhujangaa. Chalatkundalam Shubh Netram Visalam, Prasannaa Nanam Nila Kantham Dayaalam. Mrgadhisa Charmaambaram Mundamaalam, Priyam Sankaram Sarvanaatham Bhajaami. Prac...

कौन था गायत्री मंत्र का रचियता ?

गायत्री मन्त्र का रचियता कौन ? किसने बनाया था गायत्री मन्त्र ? जानिये गायत्री मंत बनाने वाले के बारे में .. Gayatri-Mantra : जिस प्रकार भारत में पुष्कर Pushkar को तीर्थराज माना जाता है उसी प्रकार मन्त्रों में भी गायत्री मंत्र Gayatri Mantra को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह वास्तव में सूर्य नारायण का मंत्र है और उससे भी आगे गौरव की बात यह है कि इस श्रेष्ठतम मंत्र के दृष्टा क्षत्रिय विश्वामित्र Rishi Vishvamitra थे। मंत्र शब्दार्थ इस प्रकार है- ॐ भू भुवः स्वः तत सवितृ वरेण्यम भर्गो देवस्य धीमहि धियोयोनः प्रचोदयात। ॐ – जो कि प्रणव, आदि स्वर, बीज है। भू- भू लोक- यह पृथ्वी। भुवः- भुवर्लोक – पृथ्वी से ऊपर वायुमंडल। स्वः- स्वर्गलोक जहाँ देवता, अप्सराएँ गंधर्व आदि निवास करते है। भू लोक पर रहने वाले अच्छे व्यक्तियों, संतों, तपस्वियों आदि से भूवर्लोक में सती, झुंझार, भौमिया व अन्य हुतात्माएँ सूक्षम शरीरों में तपस्यारत अन्य सद्शाक्तियों से और स्वर्गलोक में रहने वाले देवताओं से साधक अपनी साधना में सहायता के लिए आह्वान करता है। सवितृ देव का मंत्र तो अब आरम्भ होता है- तत सवितृ वरेण्यम- वरण करने योग्य उस सवितृ। भर्गो देवस्य धीमहि- श्रेष्ठ देवताओं का ध्यान करते है। धियोयोनः प्रचोदयात- जो हमारी बुद्धि को प्रेरित करे। अतः मंत्र का अर्थ हुआ-“वरण करने योग्य श्रेष्ठ देवता सवितृ का हम ध्यान करते है जो हमारी बुद्धि को प्रेरित करें। यहाँ मंत्र के दृष्टा ऋषि विश्वामित्र में सवितृदेव से कोई धन, धान्य, राज्य, सत्ता, शक्ति, बुद्धि, मुक्ति, प्रेम, दया आदि की याचना नहीं की। मात्र सन्मार्ग की ओर बुद्धि को प्रेरित करने का कार्य करे यह अभिलाषा है। विश्वामित्र जी ने इस बात को सूक्ष्म रूप से समझा कि सन्मार्ग...

अर्थशास्त्र किसने लिखा था

अर्थशास्त्र किसने लिखा था ( arthashastra kisne likha )-अर्थशास्त्र एक साम्राज्य चलाने के लिए एक हस्तपुस्तिका का शीर्षक है, जिसे कौटिल्य (चाणक्य के रूप में भी जाना जाता है, 350-275 ईसा पूर्व) एक भारतीय राजनेता और दार्शनिक, मुख्य सलाहकार और भारतीय सम्राट चंद्रगुप्त के प्रधान मंत्री के द्वारा लिखा गया है। अर्थशास्त्र एक संस्कृत शब्द है, जिसे आम तौर पर द साइंस ऑफ़ मटेरियल गेन के रूप में अनुवादित किया जाता है। अर्थशास्त्र के बारे में अर्थशास्त्र कौटिल्य के राजनीतिक विचारों को संक्षेप में प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक कई शताब्दियों के लिए खो गई थी जब तक कि इसकी एक प्रति, ताड़ के पत्तों पर लिखी गई, 1904 ई। में भारत में पुनः खोज ली गई थी। कौटिल्य के समय के कई शताब्दियों बाद इस संस्करण को लगभग 250 सीई तक दिनांकित किया गया है, लेकिन इस पुस्तक में मुख्य विचार मुख्यतः उनके हैं। पुस्तक में विशिष्ट विषयों के बारे में विस्तृत जानकारी है जो शासकों के लिए प्रासंगिक हैं जो एक प्रभावी सरकार चलाना चाहते हैं। कूटनीति और युद्ध (सैन्य रणनीति सहित) सबसे अधिक विस्तार से व्यवहार किए जाने वाले दो बिंदु हैं, लेकिन काम में कानून, जेल, कराधान, सिंचाई, कृषि, खनन, किलेबंदी, सिक्का, विनिर्माण, व्यापार, प्रशासन, कूटनीति और जासूसों की सिफारिशें भी शामिल हैं। कौथिल्य ने अर्थशास्त्र में जो विचार व्यक्त किए हैं, वे पूरी तरह से व्यावहारिक और असमान हैं। कौटिल्य खुले तौर पर हत्या जैसे विवादास्पद विषयों के बारे में लिखते हैं, जब परिवार के सदस्यों को मारना है, गुप्त एजेंटों का प्रबंधन कैसे करना है, जब संधियों का उल्लंघन करना उपयोगी है, और जब मंत्रियों की जासूसी करना है। इस वजह से, कौटिल्य की तुलना अक्सर द प्रिंस के ल...

भगवान श्रीराम का संपूर्ण जीवन परिचय, Bhagwan Shri Ram Ki Jivani Ramayan

भगवान विष्णु ने अपने सातवें अवतार में भगवान श्रीराम के रूप में जन्म लिया था जिसका मुख्य उद्देश्य रावण का वध करके धरती को पापमुक्त करना था (Bhagwan Ram History In Hindi) व धर्म की पुनः स्थापना करनी थी। किंतु श्रीराम के रूप में उन्होंने एक ऐसा आदर्श स्थापित किया कि उनके जीवन की हरेक घटना हमारे लिए प्रेरणा बन गयी। यदि हम उनके जीवन में घटित किसी भी घटना का विश्लेषण करेंगे तो पाएंगे कि (Essay On Shri Ram In Hindi) हर घटना हमें कुछ न कुछ शिक्षा देकर जाती हैं। इसलिये आज हम आपको श्रीराम के जन्म से लेकर उनके समाधि लेने तक की हर घटना व उससे जुड़ी शिक्षा का वर्णन करेंगे। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जीवन परिचय (Lord Ram Ki Kahani In Hindi) भगवान श्रीराम का जन्म (Shri Ram Ka Janam) अयोध्या के नरेश दशरथ की तीन रानियाँ थी जिनके नाम कौशल्या, कैकेयी व सुमित्रा था। वही दूसरी ओर लंका में अधर्मी राजा रावण का राज्य था जो राक्षसों का सम्राट था (Shri Ram Par Nibandh)। उसके राक्षस केवल लंका तक ही सिमित नही थे बल्कि वे समुंद्र के इस पार दंडकारण्य के वनों में भी फैले हुए थे जिसके कारण ऋषि-मुनियों को भगवान की स्तुति करने व धार्मिक कार्यों को करने में समस्या हो रही थी। इसे भी पढ़ें: आकाश में स्थित देवता भी रावण के बढ़ते प्रभाव के कारण व्यथित थे। तब सभी भगवान विष्णु के पास सहायता मांगने गए। भगवान विष्णु ने कहा कि (Shri Ram Ka Charitra Chitran In Hindi) अब उनका सातवाँ अवतार लेने का समय आ गया हैं। इसके बाद उन्होंने श्रीराम के साथ उनके तीन सौतेले भाई भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न (Shri Ram Ke Kitne Bhai The) का भी जन्म हुआ। अयोध्या की प्रजा (Shri Ram Ka Janm Kahan Hua) अपने भावी राजा को पाकर अत्यंत प्रसन्...