Ramayan kisne likhi hai

  1. भगवान राम का जन्म कब और किस युग में हुआ?
  2. Ramayan ke rachyita kaun hai
  3. पद्मावत
  4. रामायण किसने लिखी है
  5. पहली रामायण किसने लिखी थी, Hanuman Ne Likhi Pahli Ramayan
  6. Shri Ram Stuti: श्री राम स्तुति
  7. Ramayana Introduction in Hindi
  8. Ramayan Kisne Likhi Thi


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भगवान राम का जन्म कब और किस युग में हुआ?

वैदिक प्रमाण द्वारा राम का जन्म राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था। आदिकाव्य वाल्मीकीय रामायण में राम-जन्म के सम्बन्ध में निम्नलिखित वर्णन उपलब्ध है:- नक्षत्रेऽदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पञ्चसु। ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह॥1.18.9॥ अर्थात् चैत्र मास की नवमी तिथि में, पुनर्वसु नक्षत्र में, पाँच ग्रहों के अपने उच्च स्थान में रहने पर तथा कर्क लग्न में चन्द्रमा के साथ बृहस्पति के स्थित होने पर (श्रीराम का जन्म हुआ)। राम का जन्म त्रेता के अंत में हुआ था। वाल्मीकि जी लिखते है, हत्वा क्रूरम् दुराधर्षम् देव ऋषीणाम् भयावहम्। दश वर्ष सहस्राणि दश वर्ष शतानि च॥१-१५-२९॥ भावार्थ - देवताओं तथा ऋषियोंको भय देनेवाले उस क्रूर एवं दुर्घर्ष राक्षस का नाश करके मैं ग्यारह हजार वर्षोंतक इस पृथ्वीका पालन करता हुआ मन्युष्यलोकमें निवास करुँगा। अर्थात राम 11000 वर्षों तक पृथ्वी पर रहे। युग, वैदिक धर्म (हिन्दू धर्म) सभ्यता के अनुसार, एक निर्धारित संख्या के वर्षों की कालावधि है। ब्रह्माण्ड का काल चक्र चार युगों के बाद दोहराता है। जिसमे चार युग होते है। यह चारो योग में कुल कितने समय होते है इस बारे में हमने अपने लेख में बता दिया है। अवश्य पढ़े कलि युग - 432,000 मानव वर्ष का होता है। अभी-अभी कृष्ण द्वापर में हुए है। द्वापर युग - 864,000 मानव वर्ष का होता है। जब कृष्ण संसार से प्रस्थान किये तो कलियुग का प्रारम्भ हुआ। आज से लगबघ 5100वर्ष पहले कृष्ण प्रस्थान किये थे। और जब राम संसार से प्रस्थान किये तब द्वापर युग प्रारंभ हुआ। अतएव द्वापर 8,64,000 वर्ष का होता हैं। राम का जन्म त्रेता युग में अर्थात द्वापर से पहले हुआ था। राम रहे है 11000 वर्ष फिर द्वापर युग के अंत से अबतक कलियुग का 5100वर्ष बीत चू...

Ramayan ke rachyita kaun hai

• Home • KABIR • माता भजन • RAMDEVJI • MEERABAI • आरती • गौरक्षनाथजी • देशभक्ति गीत • BHAWANI NATH • BRAHMANAD JI • Chalisa • लखबीरसिंह लक्खा • पंचाग • Mantra • Katha • SHIV BHAJAN • Ganesh Ji • English Blog • Toggle website search रामायण के रचयिता कौन है? रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मिकी है। इन्होने ही रामायण महाकाव्य की रचना की थी एवं इसको श्रीराम के दोनो पुत्र लव एवं कुश के द्वारा सभी दुर इसका प्र्रचार प्रसार किया गया जिससे सभी को रामायण जेसे पवित्र ग्रंथ को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अतः रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मिकी जी है। कई लोगो को यह लगता है कि रामायण को गोस्वामी तुलसीदासजी ने लिखी है जो कि पूर्णतः गलत है, रामायण को वाल्मिकी जी ने लिखी थी। तो फिर लोग

पद्मावत

kavi mool shirshak 'padmavat' mukhy patr ' desh bhasha vidha prakar mukhaprishth rachana sajild vishesh is pustak ki vyakhya bhi isi nam se tippani jayasi ki is premagatha mean sianhaladvip ki rajakumari ' padmavat ( Padmavat) ek premagatha hai, jo adhyatmik svaroop mean hai. kathanak kavi sianhaladvip, usake raja gandharvasen, rajasabha, nagar, bagiche ityadi ka varnan karake padmavati ke janm ka ullekh karata hai. rajabhavan mean 'hiraman' nam ka ek adbhut sue ka bikana ek din padmavati sakhiyoan ko lie hue manasarovar mean snan aur jalakri da karane gee. sooe ne socha ki ab yahaan se chatapat chal dena chahie. vah van ki or u da, jahaan pakshiyoan ne usaka b da satkar kiya. das din pichhe ek baheliya hari pattiyoan ki tatti lie us van mean chala a raha tha aur pakshi to us chalate pe d ko dekhakar u d ge par hiraman chare ke lobh mean vahian raha. ant mean baheliye ne use pak d liya aur bazar mean use bechane ke lie le gaya. chittau d ke ek vyapari ke sath ek din sue dvara padmavati ka bakhan ek din ratnasen kahian shikar ko gaya tha. usaki rani nagamati sooe ke pas aee aur boli - 'mere saman sundari aur bhi koee sansar mean hai?' is par sooa hansa aur usane sianhal ki padmini striyoan ka varnan karake kaha ki unamean aur tumamean din aur aandheri rat ka antar hai. rani ne socha ki yadi yah ratnasen ka sianhal jana usake sath solah hazar kuanvar bhi jogi hokar chale. vasant panchami par padmavati aur ratnasen ka milana vasant panchami ke din padmavati sakhiyoan ke sahit...

रामायण किसने लिखी है

रामायण की रचना वाल्मीकि ने की है। रामायण हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं में से एक है। रामायण व महाभारत हिन्दू धर्म की सर्वोच्च रचनाएँ हैं। रामायण ग्रंथ में सूर्य साम्राज्य के शासक राम चंद्र की जीवन कथा का लिखित रूप मिलता है जिसमें यह बताया गया है कि राजा राम साक्षात ईश्वर का मनुष्य रूप थे। इसलिए हिन्दू धर्म के रीति रिवाजों पर रामायण की घटनाओं का विशेष प्रभाव है। दीवाली जो कि हिंदुओं का मुख्य त्यौहार है भी रामायण की घटना से सबंधित है। रामायण ग्रंथ आधुनिक समय में भी हिन्दू धर्म की धार्मिक नीतियों का मार्गदर्शन करता है।

पहली रामायण किसने लिखी थी, Hanuman Ne Likhi Pahli Ramayan

हम सब यह भलीभांति जानते हैं कि हनुमान जी प्रभु श्रीराम के कितने बड़े भक्त (Ramayan Sabse Pahle Kisne Likhi Thi) थे। यहाँ तक कि आज भी कभी राम भक्तों की बात आती है तो उसमें हनुमान जी का नाम सबसे ऊपर आता हैं। यह इसलिए क्योंकि हनुमान जी ने सच्चे मन व पूरी निष्ठाभाव से प्रभु श्रीराम की सेवा की थी व हर संकट में उनका साथ दिया था। इसी के साथ-साथ हनुमान एक बहुत बड़े विद्वान भी थे जिन्हें सभी वेद-शास्त्र कंठस्थ थे। भगवान हनुमान एक योद्धा होने के साथ-साथ दूरदर्शी सोच रखने वाले व कई अद्भुत शक्तियों में निपुण (Who Wrote Ramayana First Time) थे। श्रीराम की सेना में यदि हनुमान को सबसे कुशल सैनिक कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी। आज हम भगवान श्रीराम के जीवन व उनके द्वारा किये गए कार्यों को महर्षि वाल्मीकि के द्वारा लिखी गयी रामायण व कलियुग में तुलसीदास जी द्वारा लिखी गयी रामचरितमानस के द्वारा जानते हैं किन्तु क्या आपको यह ज्ञात हैं कि वाल्मीकि जी से पहले ही भगवान हनुमान ने राम जी की कथा को लिख दिया था जिसे हनुमद रामायण (Hanumad Ramayan In Hindi) के नाम से जाना जाता हैं। यह रामायण वाल्मीकि जी की रामायण से कही अधिक श्रेष्ठ थी किन्तु आज यह उपलब्ध नही है क्योंकि स्वयं हनुमान जी ने इसे नष्ट कर दिया था। आइये इसके बारें में पूरी कथा जानते हैं। पहली रामायण किसने लिखी थी (Hanuman Ramayana in Hindi) प्रभु श्रीराम का अयोध्या लौटना (Shree Ram Ka Ayodhya Aana) 14 वर्षों के वनवास व दुष्ट रावण का वध करके प्रभु श्रीराम अपने छोटे भाई लक्ष्मण, पत्नी सीता, भक्त हनुमान व कुछ अन्य लोगों के साथ वापस अयोध्या लौट आये व वहां का शासन संभाला। चारों ओर प्रभु के वापस आने की खुशी थी व अयोध्या जगमगा रही थी। इसी बीच भ...

Shri Ram Stuti: श्री राम स्तुति

Shri Ram Stuti: श्री राम स्तुति “Shri RamChandra Kripalu” is a prayer written by Goswami Tulsidas. It was written in the sixteenth century, in the Sanskrit language. The prayer glorifies Râm and his characteristics. श्रीराम स्तुति (…..मूल ………….) श्रीराम स्तुति (हिंदी भावानुवाद) Sri Ram Stuti (Translation) श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं। नवकंज-लोचन कंज मुख, कर कंज, पद कंजारुणं॥१॥ हे मन, कृपा करने वाले श्रीराम का भजन करो जो कष्टदायक जन्म-मरण के भय का नाश करने वाले हैं, जो नवीन कमल के समान आँखों वाले हैं, जिनका मुख कमल के समान है, जिनके हाथ कमल के समान हैं, जिनके चरण रक्तिम (लाल) आभा वाले कमल के समान हैं॥१॥ O mind! Chant names of compassionate Sri Ramachandra, who destroys the greatest fear of repeated birth and death. His eyes are like newly flowered lotus, his mouth is like a lotus, his hands are like lotus and his feet are like lotus with crimson hue. ॥1॥ कन्दर्प अगणित अमित छवि नवनील-नीरद सुन्दरं। पटपीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरं॥२॥ जो अनगिनत कामदेवों के समान तेजस्वी छवि वाले हैं, जो नवीन नील मेघ के समान सुन्दर हैं, जिनका पीताम्बर सुन्दर विद्युत् के समान है, जो पवित्रता की साकार मूर्ति श्रीसीता जी के पति हैं॥२॥ His beauty exceeds innumerable Kaamdevs (Cupids). He is like a newly formed beautiful blue cloud. The yellow robe on his body appears like delightful lightening. He is the consort of the daughter of Sri Janak (Sri Sita), the embodiment of sacredness. ॥2॥ भजु दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्यवंश-निकन्दनं। रघुनन्द आनन्द कंद कौशलचन्द दशरथ-नन्द नं ॥३॥...

Ramayana Introduction in Hindi

रामायण संसार की सबसे पुराने एवं लोकप्रिय महाकाव्यों में से एक है हिंदू धर्म में भगवान सूर्य के वंशज महापराक्रमी राजा दशरथ का अवधपुरी में जन्म हुआ था यह तो आप सभी को ज्ञात होगा कि उनके 4 पुत्र और तीन रानियां थी चारों पुत्रों में श्री राम सबसे बड़े फिर भरत लक्ष्मण और शत्रुघ्न अर्थात शत्रुघ्न राजा दशरथ के सबसे छोटे पुत्र थे रामायण में रघुकुल शिरोमणि राम सहित तीनों भाइयों के लीलाएं दर्शाई गई हैं रामायण मनुष्य को सत्य तथा त्याग एवं विश्वास और भक्ति के पथ पर चलने का ज्ञान देती है रामायण में प्रस्तुत अभिलेखों का अध्ययन करने के पश्चात आप त्याग भक्ति विश्वास जैसे शब्दों की असली परिभाषा समझेंगे रा मायण के लेखक कौन हैं Ramayan kisne likhi thi or kab सबसे पहले रामायण ऋषि वाल्मीकि जी के द्वारा संस्कृत भाषा में लिखी गई है कहते हैं यह रामायण बाल्मीकि जी ने श्री राम के जन्म से कई वर्ष पहले ही लिख दी थी रामायण लिखने में मुनि नारद जी जोकि ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं उन्होंने मुनि बाल्मीकि जी की रामायण लिखने मैं सहायता की थी रामचरितमानस क्या है R amcharitmanas kisne likhi thi orramcharitmanas ki bhasha kya hai तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देत रघुवीर तुलसीदास जी तोते के रूप में कवि को देख कर अपने शरीर की सुधि भूल गए राम जी ने चंदन लेकर तुलसीदास और अपने माथे पर स्वयं लगाया और अंतर्ध्यान हो गए । फिर हनुमान जी ने तुलसीदास को संवत 1628 मैं अवध जाने को कहा तब तुलसीदास प्रयाग होते हुए काशी आए वहां आकर लाद घाट पर एक ब्राह्मण के यहां निवास किया। वहां पर संस्कृत में पद्य रचना करने लगे परंतु रोज रात्रि में वह सभी रचनाएं लुप्त हो जाती थी और यह घटना रोजाना घटित होती थी आठवें दिन तुलसीदास जी को स्वपन हुआ स्वप...

Ramayan Kisne Likhi Thi

Ramayan Kisne Likhi Thi: रामायण हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओ में से एक है और क्या आपको पता है Ramayan Kisne Likhi Thi अगर नही पता है तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है. क्यूंकि आज हम रामायण के बारे में बहुत कुछ जानेंगे जैसे: रामायण किसने लिखी और कब लिखी, रामायण में कितने कांड है और रामायण कितने साल पुराणी है आदि. आपने टीवी में रामायण सीरियल तो देखा ही होगा यह रामायण सीरियल लॉकडाउन में सबसे जायदा देखे जाने वाला सीरियल था और इसको ही सबसे जायदा TRP मिली थी. आज भी लोग रामायण को देखने के लिए उत्सुक है, तो चलिए जानते है रामायण किसने लिखी थी? • • • • • • Ramayan Kisne Likhi Thi | रामायण किसने लिखी और कब लिखी थी? संस्कृत महर्षि वाल्मीकि जी ने की थी. वाल्मीकि जी एक संस्कृत कवि थे और इनके द्वारा रची गयी रामायण का नाम अब अगर हम बात करे की सबसे पहले रामायण किसने थी तो आपको बता दू की सबसे पहले रामायण हनुमान जी ने लिखी थी. जब श्री राम जी और रावन का युद्ध समाप्त हो गया था तब हनुमान जी शिव आराधना के लिए हिमालय पर चले गये थे और उस दौरान हनुमान जी ने अपने नाख़ून से हिमालय की शिलाओ पर श्री राम जी के कर्मो का उल्लेख करते हुए हनुमान जी ने हनुमद रामायण की रचना की थी. जब महर्षि वाल्मीकि जी ने रामायण लिखी थी तब उन्होंने सोचा की यह रामायण की कथा को सबसे पहले भगवान् शंकर को भेट के रूप में दू. वाल्मीकि जी अपनी रामायण लेकर कैलाश पर्वत पहुचे और देखे की वहा पर पहले से ही हनुमद रामायण रखी हुई थी उसे देख कर महर्षि वाल्मीकि निराश हो गये, तब हनुमान जी ने वाल्मीकि जी से निराशा का कारन पूछा तो महर्षि वाल्मीकि जी बोले की मैंने कठीन परिश्रम से जो रामायण लिखी है वह हनुमद रामायण के सामने कुछ भी नही है...