Ravan shlok in sanskrit

  1. 50+ भगवान शिव के चुनिंदा संस्कृत श्लोक
  2. { संस्कृत श्लोक अर्थ सहित } Sanskrit Slokas With Meaning in Hindi Language
  3. Individual PDFs – StotraSamhita
  4. 101+ संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित
  5. Shri Ganga Stotram in Sanskrit ( श्री गंगा स्तोत्रं ) – Devshoppe
  6. Shri Tulasi Stotram in Sanskrit ( श्री तुलसी स्तोत्रम्‌ ) – Devshoppe
  7. 50+ भगवान शिव के चुनिंदा संस्कृत श्लोक
  8. Shri Tulasi Stotram in Sanskrit ( श्री तुलसी स्तोत्रम्‌ ) – Devshoppe
  9. Shri Ganga Stotram in Sanskrit ( श्री गंगा स्तोत्रं ) – Devshoppe
  10. { संस्कृत श्लोक अर्थ सहित } Sanskrit Slokas With Meaning in Hindi Language


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50+ भगवान शिव के चुनिंदा संस्कृत श्लोक

Mahadev Shlok with Hindi Meaning: भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है। क्योंकि जब सभी देवता हार मान जाते हैं तो भोले बाबा ही है जो हर संभव से नैय्या को पार लगाने में सहायता करते हैं। भगवान शिव की आराधना का मूल मंत्र तो “ऊं नम: शिवाय” ही है। लेकिन इस मंत्र के अतिरिक्त भी कुछ मंत्र हैं, जो महादेव को प्रिय हैं। भगवान शिव के संस्कृत श्लोक – Shiv Shlok महाशिवरात्रि संस्कृत श्लोक नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहं। हे मोक्षरूप, विभु, व्यापक ब्रह्म, वेदस्वरूप ईशानदिशा के ईश्वर और हम सबके स्वामी शिवजी, आपको मैं नमस्कार करता हूं। निज स्वरूप में स्थित, चेतन, इच्छा रहित, भेद रहित, आकाश रूप शिवजी मैं आपको हमेशा भजता हूँ। महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः। सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै: केदारमीशं शिवमेकमीडे।। भगवान शिव शंकर जो पर्वतराज हिमालय के नजदीक पवित्र मन्दाकिनी के तट पर स्थित केदारखण्ड नामक श्रृंग में निवास करते हैं और हमेशा ऋषि मुनियों द्वारा पूजे जाते हैं। जिनकी यक्ष-किन्नर, नाग व देवता-असुर आदि भी हमेशा पूजा करते हैं उन अद्वितीय कल्याणकारी केदारनाथ नामक शिव शंकर की मैं स्तुति करता हूँ। आदित्य सोम वरुणानिलसेविताय यज्ञाग्निहोत्रवरधूमनिकेतनाय। ऋक्सामवेदमुनिभि: स्तुतिसंयुताय गोपाय गोपनमिताय नम: शिवाय।। जो चन्द्र, वरुण, सूर्य और अनिल द्वारा सेवित है और जिनका निवास अग्निहोत्र धूम एवं यज्ञ में है। वेद, मुनिजन तथा ऋक-सामादि जिसकी स्तुति प्रस्तुत करते हैं। उन नन्दीश्वरपूजित गौओं का पालन करने वाले भगवान शिव को मेरा प्रणाम। अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। अका...

{ संस्कृत श्लोक अर्थ सहित } Sanskrit Slokas With Meaning in Hindi Language

• विद्या पर श्लोक – Sanskrit Slokas With Meaning in Hindi on Vidya • Shloka: द्यूतं पुस्तकवाद्ये च नाटकेषु च सक्तिता । स्त्रियस्तन्द्रा च निन्द्रा च विद्याविघ्नकराणि षट् ॥ भावार्थ: जुआ, वाद्य, नाट्य (फिल्म) में आसक्ति, स्त्री (या पुरुष), तंद्रा, और निंद्रा – ये छः विद्या पाने में विघ्न होते हैं. • Shloka: विद्या वितर्को विज्ञानं स्मृतिः तत्परता क्रिया । यस्यैते षड्गुणास्तस्य नासाध्यमतिवर्तते ॥ भावार्थ: विद्या, तर्कशक्ति, विज्ञान, स्मृतिशक्ति, तत्परता, और कार्यशीलता, ये छः जिसके पास हैं, उसके लिए कुछ भी असाध्य नहीं है. • Shloka: गीती शीघ्री शिरः कम्पी तथा लिखित पाठकः । अनर्थज्ञोऽल्पकण्ठश्च षडेते पाठकाधमाः ॥ भावार्थ: गाकर पढ़ना, जल्दी-जल्दी पढ़ना, पढ़ते हुए सिर हिलाना, लिखा हुआ पढ़ जाना, अर्थ जाने बिना पढ़ना, और धीमा आवाज होना ये छः पाठक के दोष हैं. • Shloka: नास्ति विद्यासमो बन्धुर्नास्ति विद्यासमः सुहृत् । नास्ति विद्यासमं वित्तं नास्ति विद्यासमं सुखम् ॥ भावार्थ: विद्या जैसा बंधु नहीं है, विद्या जैसा कोई मित्र नहीं है, (और) विद्या के जैसा कोई धन नहीं है और विद्या के जैसा कोई सुख नहीं है. • Shloka on Saraswati & Vidya: अपूर्वः कोऽपि कोशोड्यं विद्यते तव भारति । व्ययतो वृद्धि मायाति क्षयमायाति सञ्चयात् ॥ भावार्थ: हे सरस्वती ! तेरा खज़ाना सचमुच अद्भुत है; जो खर्च करने से बढ़ता है, और जमा करने से कम होता है. • Shloka: न भ्रातृभाज्यं न च भारकारी । व्यये कृते वर्धते एव नित्यं विद्याधनं सर्वधन प्रधानम् ॥ भावार्थ: विद्यारुपी धन को कोई चुरा नहीं सकता, राजा ले नहीं सकता, भाईयों के बीच उसका बंटवारा नहीं होता, न उसका कोई वजन होता है और यह विद्यारुपी धन खर्च करने से बढ़ता है. सचमुच, विद्यारुपी ...

Individual PDFs – StotraSamhita

• • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Stotras Big Stotras • Gakaradi Ganapati Sahasranama Stotram • Lalita Trishati • Sankshepa Ramayanam • Santanagopala Stotram • Saundarya Lahari • Saraswati Sahasranama Stotram • Shiva Mahimna Stotram • Shiva Sahasranama Stotram • Surya Sahasranama Stotram • Vishnu Sahasranama Stotram Dhyanam Stotras • Dhyanam • Dhyana Shloka • Kanchi Swasti Vachanam • Nitya Shloka • Parabrahma Pratah Smaranam • Saraswati Prarthana • Vigneshwara Prarthana Ganesha Stotras • Ganapati Stava • Ganashtakam • Ganesha Bhujangam • Mahaganapati Navarnavedapada Stava • Maha Ganesha Pancharatnam Hanuman Stotras • Apaduddharaka Dwadashamukha Hanuman Stotram • Hanuman Chalisa • Hanumat Pancharatnam • Sundara Hanuman Maha Mantra Nama Stotram Krishna Stotras • Achyutashtakam • Akrurakrta Dashavatara Stuti • Balamukundashtakam • Balaraksha • Bhaja Govindam • Bhishma Stuti • Damodarashtakam • Dhruvakrta Bhagavat Stavam • Gita Govindam • Govindashtakam • Guruvatapurisha Pancharatnam • Krishna Dwadasha Nama Stotram • Krishna Jananam • Krishnashtakam1 • Krishnashtakam2 • Krishnashtakam3 • Madhurashtakam • Narayana Keshadipadanta Varnanam Lakshmi Stotras • Kanakadhara Stavam • Mahalakshmyashtakam Navagraha Stotras • Aditya Hrdayam • Angaraka Stotram • Brihaspati Stotram • Budha Panchavimshati Nama Stotram • Chandra Ashtavimshati Nama Stotram • Chandra Grahana Pidaparihara Shlokam • Dwadasharya Surya Stuti • Ketu Panchavimshati Nama Stotram • Navagraha Mangala...

101+ संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित

सर्वश्रेष्ठ संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (Sanskrit Shlokas): संस्कृत भाषा विश्व की सबसे पुरानी भाषा है और संस्कृत भाषा (best sanskrit slokas) का भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहा जाता है। संस्कृत श्लोकों (Slokas in Sanskrit) का आधार हमेशा से ही मनुष्य जीवन रहा हैं, ऐसा प्राचीनकाल से ही चला आ रहा हैं जो वर्तमान जीवन में भी प्रासंगिक हैं। प्रत्येक संस्कृत के श्लोक (5 slokas in sanskrit) में मनुष्य के जीवन जीने के मूल्य, उससे होने वाले लाभ तथा जीवन की नीतियोंके बारे में बताया गया हैं। यह श्लोक (slokam) मात्र विद्यार्थियों के लिए ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण प्राणी मात्र के लिए हैं और उनके जीवन के सम्पूर्ण विकास का आधार माना हैं। बिना ज्ञान और विद्या अर्जन के मानव जीवन दिशाहीन और भ्रमित जैसा लगता हैं। ऋषि-मुनियों ने संस्कृत भाषा (easy sanskrit slokas) में कई सारी बातें संस्कृत श्लोको (Sanskrit Shlokas) में लिखी है। हमने इस इस पोस्ट में आपके लिए संस्कृत में श्लोक अर्थ सहित के कुछ विडियो भी उपलब्ध किये है, आप उन्हें जरूर देखे। तो आइये जानते हैं प्रेरणादायक नीति श्लोक हिंदी अर्थ सहित। काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा तथैव च। अल्पहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं।। अर्थ– हर विद्यार्थी में हमेशा कौवे की तरह कुछ नया सीखाने की चेष्टा, एक बगुले की तरह एक्राग्रता और केन्द्रित ध्यान एक आहत में खुलने वाली कुते के समान नींद, गृहत्यागी और यहाँ पर अल्पाहारी का मतबल अपनी आवश्यकता के अनुसार खाने वाला जैसे पांच लक्षण होते है। श्रोत्रं श्रुतेनैव न कुंडलेन, दानेन पाणिर्न तु कंकणेन। विभाति कायः करुणापराणां, परोपकारैर्न तु चन्दनेन।। अर्थ – कानों में कुंडल पहन लेने से...

Shri Ganga Stotram in Sanskrit ( श्री गंगा स्तोत्रं ) – Devshoppe

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Shri Tulasi Stotram in Sanskrit ( श्री तुलसी स्तोत्रम्‌ ) – Devshoppe

Shri Tulasi Stotram is addressed to the sacred Basil leaf also known as Tulasi (ocimum sanctum). The basil plant (Tulasi or Tulsi) is considered to be an incarnation of the consort of Lord Vishnu. It is believed that if basil leaves are offered to Lord Vishnu, he would fulfill all the wishes of the devotee. Shri Tulasi Stotram was written by Sage Pundareeka who lived in Thirukdalmallai in Tamil Nadu. Tulasi is venerated as a goddess in Hinduism and sometimes considered a wife of Vishnu, sometimes with the epithet Vishnupriya, "the beloved of Vishnu". In India people grow Tulasi as the religious plant and worship it. Its leaves are used in temples for the worship purposes and also on the several occasions such as marriage. A Hindu house is considered incomplete without the Tulasi plant in the courtyard. Tulasi is believed to promote longevity and life long happiness. ॥ श्री तुलसी स्तोत्रम्‌ ॥ जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे । यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः ॥१॥ नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे । नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके ॥२॥ तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा । कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम् ॥३॥ नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम् । यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात् ॥४॥ तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम् । या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः ॥५॥ नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्ध्वाञ्जलिं कलौ । कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथाऽपरे ॥६॥ तुलस्या नापरं किञ्चिद् दैवतं जगतीतले । यथा पवि...

50+ भगवान शिव के चुनिंदा संस्कृत श्लोक

Mahadev Shlok with Hindi Meaning: भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है। क्योंकि जब सभी देवता हार मान जाते हैं तो भोले बाबा ही है जो हर संभव से नैय्या को पार लगाने में सहायता करते हैं। भगवान शिव की आराधना का मूल मंत्र तो “ऊं नम: शिवाय” ही है। लेकिन इस मंत्र के अतिरिक्त भी कुछ मंत्र हैं, जो महादेव को प्रिय हैं। भगवान शिव के संस्कृत श्लोक – Shiv Shlok महाशिवरात्रि संस्कृत श्लोक नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहं। हे मोक्षरूप, विभु, व्यापक ब्रह्म, वेदस्वरूप ईशानदिशा के ईश्वर और हम सबके स्वामी शिवजी, आपको मैं नमस्कार करता हूं। निज स्वरूप में स्थित, चेतन, इच्छा रहित, भेद रहित, आकाश रूप शिवजी मैं आपको हमेशा भजता हूँ। महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः। सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै: केदारमीशं शिवमेकमीडे।। भगवान शिव शंकर जो पर्वतराज हिमालय के नजदीक पवित्र मन्दाकिनी के तट पर स्थित केदारखण्ड नामक श्रृंग में निवास करते हैं और हमेशा ऋषि मुनियों द्वारा पूजे जाते हैं। जिनकी यक्ष-किन्नर, नाग व देवता-असुर आदि भी हमेशा पूजा करते हैं उन अद्वितीय कल्याणकारी केदारनाथ नामक शिव शंकर की मैं स्तुति करता हूँ। आदित्य सोम वरुणानिलसेविताय यज्ञाग्निहोत्रवरधूमनिकेतनाय। ऋक्सामवेदमुनिभि: स्तुतिसंयुताय गोपाय गोपनमिताय नम: शिवाय।। जो चन्द्र, वरुण, सूर्य और अनिल द्वारा सेवित है और जिनका निवास अग्निहोत्र धूम एवं यज्ञ में है। वेद, मुनिजन तथा ऋक-सामादि जिसकी स्तुति प्रस्तुत करते हैं। उन नन्दीश्वरपूजित गौओं का पालन करने वाले भगवान शिव को मेरा प्रणाम। अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। अका...

Shri Tulasi Stotram in Sanskrit ( श्री तुलसी स्तोत्रम्‌ ) – Devshoppe

Shri Tulasi Stotram is addressed to the sacred Basil leaf also known as Tulasi (ocimum sanctum). The basil plant (Tulasi or Tulsi) is considered to be an incarnation of the consort of Lord Vishnu. It is believed that if basil leaves are offered to Lord Vishnu, he would fulfill all the wishes of the devotee. Shri Tulasi Stotram was written by Sage Pundareeka who lived in Thirukdalmallai in Tamil Nadu. Tulasi is venerated as a goddess in Hinduism and sometimes considered a wife of Vishnu, sometimes with the epithet Vishnupriya, "the beloved of Vishnu". In India people grow Tulasi as the religious plant and worship it. Its leaves are used in temples for the worship purposes and also on the several occasions such as marriage. A Hindu house is considered incomplete without the Tulasi plant in the courtyard. Tulasi is believed to promote longevity and life long happiness. ॥ श्री तुलसी स्तोत्रम्‌ ॥ जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे । यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः ॥१॥ नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे । नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके ॥२॥ तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा । कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम् ॥३॥ नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम् । यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात् ॥४॥ तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम् । या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः ॥५॥ नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्ध्वाञ्जलिं कलौ । कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथाऽपरे ॥६॥ तुलस्या नापरं किञ्चिद् दैवतं जगतीतले । यथा पवि...

Shri Ganga Stotram in Sanskrit ( श्री गंगा स्तोत्रं ) – Devshoppe

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{ संस्कृत श्लोक अर्थ सहित } Sanskrit Slokas With Meaning in Hindi Language

• विद्या पर श्लोक – Sanskrit Slokas With Meaning in Hindi on Vidya • Shloka: द्यूतं पुस्तकवाद्ये च नाटकेषु च सक्तिता । स्त्रियस्तन्द्रा च निन्द्रा च विद्याविघ्नकराणि षट् ॥ भावार्थ: जुआ, वाद्य, नाट्य (फिल्म) में आसक्ति, स्त्री (या पुरुष), तंद्रा, और निंद्रा – ये छः विद्या पाने में विघ्न होते हैं. • Shloka: विद्या वितर्को विज्ञानं स्मृतिः तत्परता क्रिया । यस्यैते षड्गुणास्तस्य नासाध्यमतिवर्तते ॥ भावार्थ: विद्या, तर्कशक्ति, विज्ञान, स्मृतिशक्ति, तत्परता, और कार्यशीलता, ये छः जिसके पास हैं, उसके लिए कुछ भी असाध्य नहीं है. • Shloka: गीती शीघ्री शिरः कम्पी तथा लिखित पाठकः । अनर्थज्ञोऽल्पकण्ठश्च षडेते पाठकाधमाः ॥ भावार्थ: गाकर पढ़ना, जल्दी-जल्दी पढ़ना, पढ़ते हुए सिर हिलाना, लिखा हुआ पढ़ जाना, अर्थ जाने बिना पढ़ना, और धीमा आवाज होना ये छः पाठक के दोष हैं. • Shloka: नास्ति विद्यासमो बन्धुर्नास्ति विद्यासमः सुहृत् । नास्ति विद्यासमं वित्तं नास्ति विद्यासमं सुखम् ॥ भावार्थ: विद्या जैसा बंधु नहीं है, विद्या जैसा कोई मित्र नहीं है, (और) विद्या के जैसा कोई धन नहीं है और विद्या के जैसा कोई सुख नहीं है. • Shloka on Saraswati & Vidya: अपूर्वः कोऽपि कोशोड्यं विद्यते तव भारति । व्ययतो वृद्धि मायाति क्षयमायाति सञ्चयात् ॥ भावार्थ: हे सरस्वती ! तेरा खज़ाना सचमुच अद्भुत है; जो खर्च करने से बढ़ता है, और जमा करने से कम होता है. • Shloka: न भ्रातृभाज्यं न च भारकारी । व्यये कृते वर्धते एव नित्यं विद्याधनं सर्वधन प्रधानम् ॥ भावार्थ: विद्यारुपी धन को कोई चुरा नहीं सकता, राजा ले नहीं सकता, भाईयों के बीच उसका बंटवारा नहीं होता, न उसका कोई वजन होता है और यह विद्यारुपी धन खर्च करने से बढ़ता है. सचमुच, विद्यारुपी ...

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