रेशम मार्ग से क्या आशय है

  1. प्रश्न 11रेशम मार्ग क्यों प्रसिद्ध है?`? – ElegantAnswer.com
  2. [Solved] प्राचीन काल में "रेशम मार्ग" शब्द का अर्थ ____
  3. रेशम मार्ग के बारे में जानने योग्य 5 बातें
  4. रेशम मार्ग से क्या आशय है?
  5. रेशम मार्ग
  6. English to Hindi Transliterate


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प्रश्न 11रेशम मार्ग क्यों प्रसिद्ध है?`? – ElegantAnswer.com

प्रश्न 11रेशम मार्ग क्यों प्रसिद्ध है?`? इसे सुनेंरोकेंरेशम मार्ग (The Silk Road) व्यापार मार्गों का एक समूह था जो पूरे एशिया में भूमध्य सागर तक जाता था। इसने चीन को मध्य पूर्व और भूमध्यसागरीय दुनिया के साथ व्यापार करने दिया। इसे रेशम मार्ग कहा जाता था क्योंकि इसके साथ रेशम का व्यापार होता था। रेशम मार्ग का क्या अर्थ है? इसे सुनेंरोकेंरेशम मार्ग प्राचीनकाल और मध्यकाल में ऐतिहासिक व्यापारिक-सांस्कृतिक मार्गों का एक समूह था जिसके माध्यम से एशिया, यूरोप और अफ्रीका जुड़े हुए थे। इसका सबसे जाना-माना हिस्सा उत्तरी रेशम मार्ग है जो चीन से होकर पश्चिम की ओर पहले मध्य एशिया में और फिर यूरोप में जाता था और जिस से निकलती एक शाखा भारत की ओर जाती थी। श्रेणी से क्या आशय है? इसे सुनेंरोकेंस्त्रीलिंग – कार्य, योग्यता, आदि के विचार से पदार्थों, व्यक्तियों आदि का वर्ग, विभाग या दर्जा। श्रेणी – संज्ञा स्त्रीलिंग [संस्कृत] देशज शब्द देखें ‘श्रेणि’ । गिल्ड्स क्या था शहरी क्षेत्रों में गिल्ड्स के किन्हीं दो कार्यों का उल्लेख कीजिए? इसे सुनेंरोकेंमर्चेंट गिल्ड व्यापारियों के संगठन थे जो लंबी दूरी के वाणिज्य और स्थानीय थोक व्यापार में शामिल थे, और अपने घर शहरों और दूर के स्थानों में वस्तुओं के खुदरा विक्रेता भी हो सकते थे, जहां उनके पास दुकान स्थापित करने के अधिकार थे। भारत में कितने प्रकार का रेशम पाया जाता है? इसे सुनेंरोकेंभारत रेशम का बड़ा उपभोक्ता देश होने के साथ-साथ पांच किस्म के रेशम- मलबरी, टसर, ओक टसर, एरि और मूंगा सिल्क का उत्पादन करने वाला अकेला देश है।

[Solved] प्राचीन काल में "रेशम मार्ग" शब्द का अर्थ ____

• चीन से दूसरे देशों में रेशमी कपड़े को ले जाने वाला व्यापारियों का यात्रा मार्ग • समुद्री मार्ग जो उन देशों को जोड़ते थे जहाँ रेशमी कपड़ों के व्यापारी अपने उत्पाद बेचने थे • सभी देशों को जोड़ती सड़कें जहाँ शहतूत के पौधों की खेती होती थी • सड़क, समुद्र और वायु मार्ग जहाँ रेशमी उत्पादों का व्यापार होता था प्राचीन काल में "सिल्क रुट" शब्द का अर्थ चीन से अन्य देशों में रेशमी कपड़े ले जाने वाले व्यापारियों के यात्रा मार्ग से है। Key Points • रेशम के समृद्ध, चमकदार रंग, साथ ही साथ इसकी चिकनी बनावट, इसे अधिकांश समाजों में एक अत्यधिक मूल्यवान कपड़ा बनाती है। • रेशम बनाने की तकनीक का आविष्कार सबसे पहले चीन में लगभग 7000 साल पहले हुआ था। • जबकि विधियाँ हज़ारों वर्षों तक गुप्त रूप से गुप्त रहीं, चीन के कुछ लोग जो पैदल, घोड़े की पीठ और ऊंटों पर दूर-दराज के देशों में जाते थे, अपने साथ रेशम ले जाते थे। • उन्होंने जिन रास्तों का अनुसरण किया, उन्हें सिल्क रूट के नाम से जाना जाने लगा। • रेशम बहुत महंगा था, क्योंकि इसे चीन से, खतरनाक सड़कों पर, पहाड़ों और रेगिस्तानों के माध्यम से लाया जाना था। • मार्ग के किनारे रहने वाले लोग अक्सर व्यापारियों को गुजरने की अनुमति देने के लिए भुगतान की मांग करते थे। • कुछ राजाओं ने रेशम मार्ग के बड़े हिस्से को नियंत्रित करने की कोशिश की ताकि वे करों, श्रद्धांजलि और उपहारों से लाभ प्राप्त कर सकें जो व्यापारियों द्वारा यात्रा के दौरान लाए गए थे। • बदले में, वे अक्सर उन व्यापारियों की रक्षा करते थे जो लुटेरों के हमलों से अपने राज्यों से गुजरते थे। • रेशम मार्ग को नियंत्रित करने वाले सबसे प्रसिद्ध शासक कुषाण थे, जिन्होंने लगभग 2000 साल पहले मध्य एशिया और उत्तर-प...

रेशम मार्ग के बारे में जानने योग्य 5 बातें

पोस्ट में जो चित्र ऊपर दिया गया है उसमें लाल रंग में ‘थल रेशमी मार्ग’ को और नीले रंग में ‘संमूद्री रेशमी मार्ग’ को दर्शाया गया है। 1. रेशम मार्ग क्यों महत्वपूर्ण था? रेशम मार्ग प्राचीन समय में बहुत महत्वपूर्ण मार्ग था क्योंकि विश्व का ज्यादातर व्यापार इसी मार्ग के जरिए होता था। इस मार्ग द्वारा व्यापार के सिवाए किसी एक प्रदेश के ज्ञान, धर्म, संस्कृति और दौलत के बारे में दूसरे प्रदेशों को पता चला तथा उनका आदान – प्रदान हुआ। वर्तमान समय में भी सिल्क रोड की जमीन और उसकी समुद्री शाखा पर व्यापार हो रहा है। “New Silk Road” नाम के project से कई परियोजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनके जरिए ऐतिहासिक मार्गों पर transport infrastructure का विस्तार किया जा रहा है। शायद सबसे प्रसिद्ध Chinese Belt and Road Initiative (BRI) है। 2. रेशम मार्ग का यह नाम क्यों पड़ा? ‘ रेशम मार्ग‘ का यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इस मार्ग द्वारा ज्यादातर रेशम का व्यापार होता था जो 3. रेशम मार्ग की लंबाई कितनी है? रेशम मार्ग के मुख्य हिस्से ‘उत्तर रेशम मार्ग’ की लंबाई लगभग 6500 किलोमीटर थी। यह मार्ग कई शहरों को आपस में जोड़ता था। ज्यादातर व्यापारी रेशम मार्ग का उपयोग वस्तुओं को एक शहर से दूसरे शहर में पहुँचाने का काम करते थे जहां से सामान हाथ बदल – बदलकर हज़ारों मील दूर चला जाता। वर्तमान समय में रेशम मार्ग के कई हिस्सों में पक्की सड़क बन चुकी है और रेल लाइन भी बिछाई जा चुकी है। 4. सिल्क रोड कहाँ से शुरू हुआ और कहाँ समाप्त होता था? आमतौर पर यह माना जाता है कि सिल्क रोड चीन के चांगान (Chang’an) से शुरू होता था और यह ऐसा इसलिए है क्योंकि सिल्क रोड खोलने वाले पहले व्यक्ति झांग कियान (Zhang Qian) पश्चिमी हान राजवंश (206 ईसा ...

रेशम मार्ग से क्या आशय है?

सवाल: प्रकाश के प्रकीर्णन को समझाइए? प्रकाश के प्रकीर्णन का मतलब होता है प्रकाश की चुम्बकीय या विभवात्मक विचरण की प्रक्रिया को समझना या वर्णित करना। यह एक विज्ञानिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा प्रकाश एक स्रोत से उत्पन्न होता है, एक वस्तु से टकराता है और फिर इंगित करके या अन्य प्रकार के प्रकाश के साथ इंटरैक्ट करके हमें प्रतीत होता है। जब प्रकाश एक वस्तु पर पड़ता है, तो यह वस्तु इसे अवशोषित, परावर्तित, विकिरणित या अद्यावत कर सकती है। इन प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप, हम प्रकाश के विभिन्न गुणों जैसे रंग, आभा, उच्च या निम्न आयाम, विकिरण आदि को देख सकते हैं। यह प्रक्रिया मूल रूप से प्रकाश के वेवलेट और गुणों की विभिन्न प्रोपर्टीज़ पर निर्भर करती है। जब किसी वस्तु पर प्रकाश पड़ता है, तो उस वस्तु में मौजूद धातुओं और अणुओं के साथ इंटरैक्शन के परिणामस्वरूप विभिन्न गुणों का प्रकाश में प्रकट होने लगता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से हम उन वस्तुओं को देख, पहचान और अनुभव कर सकते हैं जो प्रकाश के प्रकीर्णन द्वारा हमें प्राप्त होती हैं। सवाल: रेशम मार्ग से क्या आशय है? "रेशम मार्ग" एक उद्योगिक शब्द है जिसका उपयोग साधारण रूप से वस्त्र उद्योग के संबंध में किया जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है "रेशमी रास्ता" या "रेशमी सड़क"। रेशम मार्ग (Silk Route) प्राचीनकालीन व्यापारिक मार्गों में से एक है जो दक्षिणी एशिया के बीच एकाधिक देशों को जोड़ता था। इस मार्ग का प्रमुख कार्य रेशम के वस्त्रों और अन्य वस्त्रों के व्यापार का था, जिसे भारतीय मूल के रेशम के बुनावटी वस्त्र थे। यह मार्ग चीन, भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इरान, सीरिया, तुर्की, ग्रीस, रोम, एगिप्ट, अरब सागर के पास जाता था और यूरोपीय देशों तक फैलता...

रेशम मार्ग

रेशम मार्ग का मानचित्र - भूमार्ग लाल रंग में हैं और समुद्री मार्ग नीले रंग में रेशम मार्ग प्राचीनकाल और मध्यकाल में ऐतिहासिक व्यापारिक-सांस्कृतिक मार्गों का एक समूह था जिसके माध्यम से एशिया, यूरोप और अफ्रीका जुड़े हुए थे। इसका सबसे जाना-माना हिस्सा उत्तरी रेशम मार्ग है जो चीन से होकर पश्चिम की ओर पहले मध्य एशिया में और फिर यूरोप में जाता था और जिस से निकलती एक शाखा भारत की ओर जाती थी। रेशम मार्ग का जमीनी हिस्सा ६,५०० किमी लम्बा था और इसका नाम चीन के रेशम के नाम पर पड़ा जिसका व्यापार इस मार्ग की मुख्य विशेषता थी। इसके माध्यम मध्य एशिया, यूरोप, भारत और ईरान में चीन के हान राजवंश काल में पहुँचना शुरू हुआ। रेशम मार्ग का चीन, भारत, मिस्र, ईरान, अरब और प्राचीन रोम की महान सभ्यताओं के विकास पर गहरा असर पड़ा। इस मार्ग के द्वारा व्यापार के आलावा, ज्ञान, धर्म, संस्कृति, भाषाएँ, विचारधाराएँ, भिक्षु, तीर्थयात्री, सैनिक, घूमन्तू जातियाँ, और बीमारियाँ भी फैलीं। व्यापारिक नज़रिए से चीन रेशम, चाय और चीनी मिटटी के बर्तन भेजता था, भारत मसाले, हाथीदांत, कपड़े, काली मिर्च और कीमती पत्थर भेजता था और रोम से सोना, चांदी, शीशे की वस्तुएँ, शराब, कालीन और गहने आते थे। हालांकि 'रेशम मार्ग' के नाम से लगता है कि यह एक ही रास्ता था वास्तव में बहुत कम लोग इसके पूरे विस्तार पर यात्रा करते थे। अधिकतर व्यापारी इसके हिस्सों में एक शहर से दूसरे शहर सामान पहुँचाकर अन्य व्यापारियों को बेच देते थे और इस तरह सामान हाथ बदल-बदलकर हजारों मील दूर तक चला जाता था। शुरू में रेशम मार्ग पर व्यापारी अधिकतर भारतीय और बैक्ट्रियाई थे, फिर सोग़दाई हुए और मध्यकाल में ईरानी और अरब ज़्यादा थे। रेशम मार्ग से समुदायों के मिश्रण भी...

English to Hindi Transliterate

परिचय कच्चा रेशम बनाने के लिए रेशम के कीटों का पालन सेरीकल्चर या रेशम कीट पालन कहलाता है। भूमिका व्यक्ति रेशम उत्पादों के प्रति हमेशा जिज्ञासु रहा है । वस्त्रों की रानी के नाम से विख्यात रेशम विलासिता, मनोहरता, विशिष्टता एवं आराम का सूचक है । मानव जाति ने अद्वितीय आभा वाले इस झिलमिलाते वस्त्र को चीनी सम्राज्ञी शीलिंग टी द्वारा अपने चाय के प्याले में इसके पता लगने के काल से ही चाहा है यद्यपि इसे अन्य प्राकृतिक एवं बनावटी वस्त्रों की कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा, फिर भी शताब्दियों से वस्त्रों की रानी के रूप में विख्यात, इसने निर्विवाद रूप से अपना स्थान बनाए रखा है । प्राकृतिक आभा, रंगाई एवं जीवन्त रंगों के प्रति अंतर्निहित आकर्षण, उच्च अवशोषण क्षमता, हल्का, लचकदार एवं उत्कृष्ट वस्त्र-विन्यास जैसे श्रेष्ठ गुणों ने रेशम को विश्व में किसी सुअवसर का अत्यंत सम्मोहक एवं अपरिहार्य साथी बना दिया है । रेशम, रसायन की भाषा में रेशमकीट के रूप में विख्यात इल्ली द्वारा निकाले जाने वाले एक प्रोटीन से बना होता है । ये रेशमकीट कुछ विशेष खाद्य पौधों पर पलते हैं तथा अपने जीवन को बनाए रखने के लिए ‘सुरक्षा कवच’ के रूप में कोसों का निर्माण करते हैं । रेशमकीट का जीवन-चक्र 4 चरणों का होता है, अण्डा, इल्ली, प्यूपा तथा शलभ । व्यक्ति रेशम प्राप्त करने के लिए इसके जीवन-चक्र में कोसों के चरण पर अवरोध डालता है जिससे व्यावसायिक महत्व का अटूट तन्तु निकाला जाता है तथा इसका इस्तेमाल वस्त्र की बुनाई में किया जाता है । रेशम का उत्पादन क्यों ? रेशम ऊंचे दाम किंतु कम मात्रा का एक उत्पाद हे जो विश्व के कुल वस्त्र उत्पा दन का मात्र 0.2% है । चूंकि रेशम उत्पादन एक श्रम आधारित उच्च आय देने वाला उद्योग है तथा...