रक्ष धातु रूप

  1. All Dhatu Roop In Sanskrit PDF
  2. रक्ष् ( रक्षा करना ) परस्मैपद धातुरूप
  3. अस् (होना) धातु के रूप
  4. शब्द रूप व धातुरूप : HindiPrem.com
  5. RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि


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All Dhatu Roop In Sanskrit PDF

All Dhatu Roop In Sanskrit PDF | Dhatu Roop In Sanskrit PDF 📚📙❤💚💕 [ संस्कृत धातु रूप PDF ] प्रिय मित्राणि,😍 क्या आप भी फर्राटेदार संस्कृत बोलना चाहते हैं? क्या आप भी संस्कृत बोलने में अपने डर को खतम करना चाहते हैं। तो इसके लिए आपको संस्कृत धातु रूपों को समझना होगा और याद करना होगा। आपकी इसी चिन्ता को दूर करने के लिए हम आपको संस्कृत धातु रूप PDF (All Dhatu Roop In Sanskrit PDF) पुस्तक प्रदान कर रहे हैं। जी हाँ, आज हम आपके लिए Dhatu Roop In Sanskrit PDF बुक लेकर आए हैं। यह संस्कृत धातु रूप PDF Class 6 , Class 8 से लेकर उच्चतर कक्षाओं के लिए भी अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं उपयोगी है। तो आइये, फटाफट से संस्कृत धातु रूप PDF डाउनलोड कीजिये और हां आपकी अपनी इस SanskritExam. Com वेबसाइट पर संस्कृत सीखने के लिए ढेर सारे खट्टे मीठे पकवान (सामग्री) 😍 उपलब्ध हैं। उनका लाभ लेते रहिए। चलिए- संस्कृत धातु रूप PDF डाउनलोड कर लीजिए। All Dhatu Roop In Sanskrit PDF के बारें में पुस्तक/ PDF का नाम- Sanskrit Dhatu Roop PDF पुस्तक PDF प्रकार- संस्कृत धातुरूप भाषा- संस्कृत फाइल प्रकार- PDF इसे भी दबाएँ- All Dhatu Roop In Sanskrit PDF Download प्यारे पाठकों,😍 यदि आप भी संस्कृत बोलना चाहते हैं या संस्कृत आपकी परीक्षा में विषय के रूप में है तो संस्कृत धातु रूप एवं संस्कृत शब्द रूप आपको अवश्य जानने चाहिए। यंहा हम आपको All Dhatu Roop In Sanskrit PDF प्रदान कर रहे हैं। यह संस्कृत धातु रूप लिस्ट PDF Class 6 से लेकर Class 8 अथवा सभी अन्य संस्कृत परीक्षाओं के लिए बहुत ही उपयोगी है। संस्कृत धातु रूप PDF डाउनलोड करने से पहले थोड़ा कुछ रोचक प्रश्नोत्तरी के माध्यम से संस्कृत धातुओं के बारें में जान लीजिए। इसे भी दब...

रक्ष् ( रक्षा करना ) परस्मैपद धातुरूप

रक्ष् ( रक्षा करना ) परस्मैपद धातुरूप लट् लकार ( वर्तमान काल ) पुरूष एकवचन व्दिवचन बहुवचन प्रथम पुरूष रक्षति रक्षत: रक्षन्ति मध्यम पुरुष रक्षसि रक्षथ: रक्षथ उत्तम पुरूष रक्षामि रक्षाव: रक्षाम: लङ् लकार ( भूतकाल ) पुरूष एकवचन व्दिवचन बहुवचन प्रथम पुरूष अरक्षत् अरक्षताम् अरक्षन् मध्यम पुरुष अरक्ष: अरक्षतम् अरक्षत उत्तम पुरूष अरक्षम् अरक्षाव अरक्षाम लृट् लकार ( भविष्यत काल ) पुरूष एकवचन व्दिवचन बहुवचन प्रथम पुरूष रक्षिष्यति रक्षिष्यत: रक्षिष्यन्ति मध्यम पुरुष रक्षिष्यसि रक्षिष्यथ: रक्षिष्यथ उत्तम पुरूष रक्षिष्यामि रक्षिष्याव: रक्षिष्याम: लोट् लकार ( आज्ञा के अर्थ में ) पुरूष एकवचन व्दिवचन बहुवचन प्रथम पुरूष रक्षतु रक्षताम् रक्षन्तु मध्यम पुरुष रक्ष रक्षतम् रक्षत उत्तम पुरूष रक्षाणि रक्षाव रक्षाम विधिलिङ् लकार ( चाहिए के अर्थ में ) पुरूष एकवचन व्दिवचन बहुवचन प्रथम पुरूष रक्षेत् रक्षेताम् रक्षेयु: मध्यम पुरुष रक्षे: रक्षेतम् रक्षेत उत्तम पुरूष रक्षेयम् रक्षेव रक्षेम

अस् (होना) धातु के रूप

विषय सूची • • • • • • • • अस् धातु (होना) अस् धातु संस्कृत व्याकरण का एक अदादिगणीय धातु शब्द होता हैं। इसी प्रकार अस् धातु के जैसे ही अस् धातु के सभी अदादिगणीय धातु के धातु रूप को भी इन्ही के अनुसार बनाया जाता हैं। अस् का अर्थ अस् का अर्थ होता है “होना”। अस् के धातु रूप अस धातु के बहुत सारे रुप होते है, जो कि लकारों, पुरुष एवं तीनों वचन से मिलकर बने होते हैं। यहाँ निम्नलिखित अस् धातु रूप के प्रकार दिये गये है, जो कि सभी लकारों, तीनों वचनों, एवं पुरूष के जोड़ से बने हैं। अस् धातु लट् लकार (वर्तमान काल) पुरुष राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं। Related Posts

शब्द रूप व धातुरूप : HindiPrem.com

शब्द रूप व धातुरूप :- राम, हरि, भानु, मैं, गम्(जाना), भू(होना), कृ(करना) आदि संज्ञा, सर्वनाम और धातु के धातुरूप इत्यादि। शब्द रूप (संज्ञा शब्दों के रूप) – विभक्ति, कारक व कारक चिह्न विभक्ति कारक चिह्न प्रथमा कर्त्ता ने द्वितीया कर्म को तृतीया करण के द्वारा, से चतुर्थी सम्प्रदान के लिए, को पंचम अपादान से (अलगाव की स्थिति) षष्ठी संबंध का, की, के रा, री, रे, ना, नी, ने सप्तमी अधिकरण में, पे, पर सम्बोधन सम्बोधन हे, हो, अरे, भो अराकारांत पुल्लिंग ‘ राम‘ के शब्दरूप अन्य अकारांत पुल्लिंग शब्दों जैसे – ईश्वर, चंद्र, विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथमा रामः रामौ रामाः द्वितीया रामम् रामौ रामान् तृतीया रामेण रामाभ्याम् रामैः चतुर्थ रामाय रामाभ्याम् रामेभ्यः पंचम रामात् रामाभ्याम् रामेभ्यः षष्ठी रामस्य रामयोः रामाणाम् सप्तमी रामे रामयोः रामेषु सम्बोधन हे राम ! हे रामौ ! हे रामाः ! इकारांत पुल्लिंग ‘ हरि‘ के शब्दरूप अन्य इकारान्त शब्दों जैसे – मुनि, गिरि, कवि, रवि, कपि, विधि इत्यादि के भी शब्द रूप हरि की ही भांति होते हैं। विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथमा हरिः हरी हरयः द्वितीया हरिम् हरी हरीन् तृतीया हरिणा हरिभ्याम् हरिभिः चतुर्थी हरये हरिभ्याम् हरिभ्यः पंचमी हरेः हरिभ्याम् हरिभ्यः षष्ठी हरेः हर्योः हरीणाम् सप्तमी हरौ हर्योः हरिषु सम्बोधन ह हरे ! हे हरी ! हे हरयः ! उकारांत पुल्लिंग ‘ भानु‘ के शब्दरूप अन्य उकारांत शब्दों जैसे – गुरु, प्रभु, विष्णु, शत्रु, पशु इत्यादि के भी शब्दरूप भानु की ही तरह होते हैं। विभक्ति एकवचन द्विवचचन बहुवचन प्रथमा भानुः भानू भानवः द्वितीया भानुम् भानू भानून् तृतीया भानुना भानुभ्याम् भानुभिः चतुर्थ भानवे भानुभ्याम् भानुभ्यः पंचम भानोः भानुभ्याम् भानुभ्यः ष...

RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि

The questions presented in the RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि परिभाषा - क्रिया का निर्माण जिससे होता है, उसके मूल रूप को संस्कृत में 'धातु' कहा जाता है। जैसे पठ् या लिख् धातु है और इनसे पठति, लिखतु आदि क्रियापद बनते हैं। संस्कृत में दस लकार होते हैं। कक्षा नवम् के पाठ्यक्रम में पाँच लकार निर्धारित हैं, जिनका परिचय इस प्रकार है - 1. लट् लकार-वर्तमान काल की क्रिया में लट् लकार आता है। अर्थात् जिस क्रिया से वर्तमान काल का बोध होता है, उसमें लट् लकार आता है। जैसे - छात्रः पठति, त्वं लिखसि, आवां क्रीडावः आदि। 2. लोट् लकार-आज्ञा काल या आज्ञा देने के अर्थ में क्रिया के रूप लोट् लकार में चलते हैं। जैसे - सः पठतु, त्वम्, पठ, अहं पठानि आदि। 3. लङ् लकार-भूतकाल के लिए यह लकार आता है। इसमें धातु से पहले सर्वत्र 'अ' जुड़कर क्रिया-पद बनता है। जैसे - अपठत्, अपठः आदि। 4. विधिलिङ् लकार-'चाहिए' अर्थ में, प्रार्थना या निवेदन करने के अर्थ में विधिलिङ् लकार प्रयुक्त होता है। 5. लट् लकार-भविष्यत् काल की क्रिया में लृट् लकार आता है। इसमें सेट् धातुओं में 'स्य' तथा अनिट् धातुओं में 'इस्य' लगता है। जैसे - पठिष्यति, भविष्यति, दास्यामि, वक्ष्यसि आदि। लकार के पुरुष-प्रत्येक लकार के तीन पुरुष होते हैं - (1) प्रथम पुरुष या अन्य पुरुष, (2) मध्यम पुरुष और (3) उत्तम पुरुष। 1. जिसके विषय में कहा जाता है, वह प्रथम पुरुष या अन्य पुरुष होता है। जैसे - सः गच्छति (प्रथम पुरुष एकवचन), तौ पठतः (प्रथम पुरुष द्विवचन), ते लिखन्ति (प्रथम पुरुष बहुवचन)। 2. जिसे सामने कहा जाता है, वह मध्यम पुरुष होता है। जैसे-त्वं पठसि (मध्यम पुरुष एकवचन), युवाम् गच्छथः (मध्यम पुरुष द्विवचन), यूयम् क्रीडथ (मध्यम पुरुष बहुवचन...